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15 अगस्त, 2008

अध्ययन के लिए

दिए गए हफ्तों के लिए अध्ययन लेख:

29 सितंबर, 2008–5 अक्टूबर, 2008

यहोवा अपने वफादार जनों को कभी नहीं छोड़ेगा

पेज 3

गीत नं. 23 (200), 6 (45)

6-12 अक्टूबर, 2008

एक चित्त होकर यहोवा के वफादार बने रहिए

पेज 7

गीत नं. 16 (143), 21 (191)

13-19 अक्टूबर, 2008

गरिमा दिखाकर यहोवा का आदर कीजिए

पेज 12

गीत नं. 22 (130), 26 (212)

20-26 अक्टूबर, 2008

यहोवा अपने बुज़ुर्ग सेवकों की गहरी परवाह करता है

पेज 17

गीत नं. 7 (51), 9 (37)

27 अक्टूबर, 2008–2 नवंबर, 2008

क्या आप “शुद्ध भाषा” अच्छी तरह बोलते हैं?

पेज 21

गीत नं. 17 (187), 11 (85)

अध्ययन लेखों का मकसद

अध्ययन लेख 1, 2 पेज 3-11

इन लेखों में बताया गया है कि किन हालात में इस्राएल के 12 गोत्रों का उत्तरी और दक्षिणी राज्यों में बँटवारा हुआ। और कैसे यहोवा ने अपने वफादार लोगों को अकेला नहीं छोड़ा। इनमें इस बात पर भी ज़ोर दिया गया है कि हमें आज पूरे दिल से वफादारी दिखाने की ज़रूरत है, ताकि हम धन-दौलत के लालच में न फँसें और अपनी मर्यादा पार न करें।

अध्ययन लेख 3 पेज 12-16

यह लेख बताता है कि परमेश्‍वर के गौरव का हम पर क्या असर होना चाहिए। यह इस बात पर भी ध्यान दिलाता है कि यीशु जिस तरह दूसरों के साथ आदर से पेश आया, उससे हम क्या सीख सकते हैं। इसमें हम यह भी सीखेंगे कि हम गरिमा कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं।

अध्ययन लेख 4 पेज 17-21

बुज़ुर्ग मसीहियों को उसी नज़र से देखना सीखिए, जैसे यहोवा उन्हें देखता है। ध्यान दीजिए कि बाइबल किस तरह हमारी मदद करती है, ताकि हम इन बुज़ुर्गों के ज्ञान और तजुरबे की कदर कर सकें, उनकी भावनाओं को समझ सकें और मसीही कामों में सरगर्म रहने में उनका हाथ बँटा सकें।

अध्ययन लेख 5 पेज 21-25

यहोवा ने अपने नबी सपन्याह के ज़रिए कहा: “मैं देश-देश के लोगों से एक नई और शुद्ध भाषा बुलवाऊंगा।” (सप. 3:9) जानिए कि यह “शुद्ध भाषा” क्या है और इसे सीखने के लिए आप क्या तरीके आज़मा सकते हैं। यह भी जानिए कि इस अनोखी भाषा के ज़रिए आप यहोवा की स्तुति कैसे कर सकते हैं।

इस अंक में ये लेख भी हैं:

यहोवा का वचन जीवित है—गलतियों, इफिसियों, फिलिप्पियों और कुलुस्सियों को लिखी पत्रियों की झलकियाँ

पेज 26

क्या आपको याद है?

पेज 29

मिशनरी, टिड्डियों के समान हैं

पेज 30