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यहोवा हमारी भलाई के लिए हम पर नज़र रखता है

यहोवा हमारी भलाई के लिए हम पर नज़र रखता है

यहोवा हमारी भलाई के लिए हम पर नज़र रखता है

“यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ दिखाए।”—2 इति. 16:9.

1. यहोवा हमें क्यों जाँचता है?

 यहोवा एक बेजोड़ पिता है। वह हमारी रग-रग से वाकिफ है और हमारे “विचारों के प्रत्येक उद्देश्‍य” को भी जानता है। (1 इति. 28:9, NHT) लेकिन वह हममें खामियाँ ढूँढ़ने के लिए हमें नहीं जाँचता। (भज. 11:4; 130:3) इसके बजाय, वह हमें ऐसे हर खतरे से बचाना चाहता है, जिससे उसके साथ हमारा रिश्‍ता बिगड़ सकता है या हम अंनत जीवन की आशा गँवा सकते हैं।—भज. 25:8-10, 12, 13.

2. यहोवा किन लोगों के लिए अपनी सामर्थ दिखाता है?

2 यहोवा पूरे जहान में सबसे शक्‍तिशाली है और सबकुछ देख सकता है। इसलिए जब उसके वफादार सेवक ज़रूरत की घड़ी में या आज़माइश के वक्‍त उसे पुकारते हैं, तो वह उनकी मदद करता है और उन्हें सहारा देता है। दूसरा इतिहास 16:9 कहता है: “यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ दिखाए।” ध्यान दीजिए कि यहोवा उन लोगों की मदद करने के लिए अपनी सामर्थ दिखाता है, जो निष्कपट मन से उसकी सेवा करते हैं। लेकिन वह बेईमान या कपटी लोगों के लिए ऐसी कोई परवाह नहीं दिखाता।—यहो. 7:1, 20, 21, 25; नीति. 1:23-33.

परमेश्‍वर के साथ-साथ चलिए

3, 4. (क) ‘परमेश्‍वर के साथ-साथ चलने’ का क्या मतलब है? (ख) बाइबल में दिए कौन-से उदाहरण दिखाते हैं कि परमेश्‍वर के साथ चलना मुमकिन है?

3 कई लोग शायद सोचें कि भला इतने बड़े विश्‍व का सिरजनहार, हम मामूली इंसानों को अपने संग चलने का न्यौता क्यों देगा। लेकिन सच तो यही है कि यहोवा चाहता है कि हम उसके साथ-साथ चलें। बाइबल में दिए कुछ लोगों के उदाहरणों पर गौर कीजिए। हनोक और नूह ‘परमेश्‍वर के साथ-साथ चले।’ (उत्प. 5:24; 6:9) मूसा “अनदेखे को मानो देखता हुआ दृढ़ रहा।” (इब्रा. 11:27) राजा दाऊद नम्रता से अपने पिता यहोवा के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चला। उसने कहा: “[यहोवा] मेरे दहिने हाथ रहता है मैं कभी न डगमगाऊंगा।”—भज. 16:8.

4 देखा जाए तो हम सचमुच में परमेश्‍वर का हाथ पकड़कर नहीं चल सकते। तो फिर, उसके साथ-साथ चलने का क्या मतलब है? भजनहार आसाप ने लिखा: “मैं निरन्तर तेरे संग ही था; तू ने मेरे दहिने हाथ को पकड़ रखा। तू सम्मति देता हुआ, मेरी अगुवाई करेगा।” (भज. 73:23, 24) सीधे शब्दों में कहें तो यहोवा के साथ-साथ चलने का मतलब है, उसकी सम्मति या सलाह को पूरी तरह मानना। यह सलाह हमें खासकर उसके वचन बाइबल और “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए मिलती है।—मत्ती 24:45; 2 तीमु. 3:16.

5. (क) एक पिता की तरह यहोवा अपने वफादार जनों पर कैसे नज़र रखता है? (ख) हमें परमेश्‍वर के बारे में कैसा महसूस करना चाहिए?

5 जो यहोवा के साथ-साथ चलते हैं, उन्हें वह अनमोल समझता है। इसलिए एक पिता की तरह वह उनकी देखभाल करने, हिफाज़त करने और उन्हें सिखाने के लिए उन पर नज़र रखता है। परमेश्‍वर कहता है: “मैं तुझे बुद्धि दूँगा और जिस मार्ग पर तुझे चलना है उसमें तेरी अगुवाई करूंगा, मैं अपनी दृष्टि तुझ पर लगाए रखकर तुझे सम्मति दूंगा।” (भजन 32:8, NHT) खुद से पूछिए: ‘क्या मैं यहोवा का हाथ थामे हुए उसके साथ-साथ चलता हूँ? यानी क्या मैं उसकी बुद्धि-भरी बातों को सुनता हूँ और यह मानता हूँ कि उसकी आँखें मुझे देख रही हैं? क्या मेरी सोच, बातों और कामों से यह ज़ाहिर होता है कि यहोवा का वजूद मेरे लिए सच्चा है? जब मैं गलती कर बैठता हूँ, तो मेरे मन में यहोवा के बारे में क्या खयाल आता है? क्या मैं उसे एक रुखा और सख्ती बरतनेवाला परमेश्‍वर समझता हूँ? या एक दयालु और प्यार करनेवाला पिता मानता हूँ, जो पश्‍चाताप करनेवालों को उसके साथ दोबारा रिश्‍ता कायम करने में मदद देता है?’—भज. 51:17.

6. यहोवा ऐसा क्या देख सकता है, जो इंसानी माँ-बाप नहीं देख सकते?

6 यहोवा हमारी मदद करने को हरदम तैयार रहता है। कभी-कभी तो हमारे गलत कदम उठाने से पहले ही वह हमारी मदद करता है। मिसाल के लिए, वह शायद देखे कि हमारा धोखेबाज़ दिल किसी ऐसी चीज़ की इच्छा करने लगा है, जो गलत है। (यिर्म. 17:9) ऐसे में, वह किसी इंसानी माँ-बाप से भी पहले कदम उठा सकता है, क्योंकि उसकी “आंखें” हमारे अंदर छिपी इच्छाओं और विचारों को साफ देख सकती हैं। (भज. 11:4; 139:4; यिर्म. 17:10) आइए यिर्मयाह के सहायक और जिगरी दोस्त, बारूक की मिसाल लें और देखें कि जब बारूक के मन में कुछ इच्छाएँ पनपने लगीं, तो यहोवा ने क्या किया।

बारूक के लिए एक सच्चा पिता साबित हुआ

7, 8. (क) बारूक कौन था और वह किन बातों की इच्छा करने लगा था? (ख) यहोवा ने कैसे बारूक के लिए पिता जैसी परवाह दिखायी?

7 बारूक पेशे से एक शास्त्री था। उसने एक जोखिम-भरे काम में यिर्मयाह का वफादारी से साथ दिया था। वह काम था, यहूदा को यहोवा का न्यायदंड सुनाना। (यिर्म. 1:18, 19) लेकिन एक वक्‍त ऐसा आया जब बारूक, जो शायद ऊँचे घराने से था, अपनी “बड़ाई” खोजने लगा। हो सकता है, वह नामो-शोहरत या धन-दौलत पाने की इच्छा करने लगा हो। बारूक चाहे जो भी खोजने लगा हो, यहोवा ने देखा कि उसके मन में जो चाहत पैदा हो रही थी, वह उसे ले डूबेगी। इसलिए यहोवा ने फौरन कदम उठाया। उसने यिर्मयाह के ज़रिए बारूक से कहा: “तू ने कहा, हाय मुझ पर! क्योंकि यहोवा ने मुझे दु:ख पर दु:ख दिया है; मैं कराहते कराहते थक गया और मुझे कुछ चैन नहीं मिलता।” फिर परमेश्‍वर ने कहा: “क्या तू अपने लिये बड़ाई खोज रहा है? उसे मत खोज।”—यिर्म. 45:1-5.

8 यहोवा ने बारूक को सीधे-सीधे सलाह दी, मगर इसलिए नहीं कि वह उससे नाराज़ था। बल्कि इसलिए कि वह एक पिता की तरह बारूक की परवाह करता था। ज़ाहिर है कि परमेश्‍वर ने देखा होगा कि उसका दिल बुरा या कपटी नहीं था। यहोवा यह भी जानता था कि यरूशलेम और यहूदा का जल्द ही अंत होनेवाला है और वह नहीं चाहता था कि बारूक ऐसी नाज़ुक घड़ी में डगमगा जाए। इसलिए परमेश्‍वर ने उसे हकीकत से रू-ब-रू कराते हुए याद दिलाया कि वह जल्द ही ‘सारे मनुष्यों पर विपत्ति डालनेवाला’ है। उसने यह भी कहा कि अगर बारूक समझ से काम ले, तो उसकी जान बच सकती है। (यिर्म. 45:5) परमेश्‍वर मानो बारूक से कह रहा था: ‘वक्‍त की नज़ाकत को समझो बारूक! यह मत भूलो कि यरूशलेम और यहूदा के दिन गिनती के रह गए हैं। अगर तुम वफादार रहोगे, तो ज़िंदा बचोगे। मैं तुम्हारा बाल भी बाँका नहीं होने दूँगा।’ यहोवा की यह बात ज़रूर बारूक के दिल को छू गयी होगी। क्योंकि उसने यहोवा की सलाह मानी और यरूशलेम के नाश से बच गया, जो 17 साल बाद हुआ।

9. ऊपर दिए सवालों के आप क्या जवाब देंगे?

9 बारूक के बारे में दिए ब्यौरे पर मनन करते वक्‍त इन सवालों और आयतों पर ध्यान दीजिए: बारूक के साथ यहोवा के व्यवहार से हमें यहोवा के बारे में और अपने सेवकों के लिए उसकी भावनाओं के बारे में क्या पता चलता है? (इब्रानियों 12:9 पढ़िए।) हम जिस नाज़ुक दौर में जी रहे हैं उसे मद्देनज़र रखते हुए बारूक को दी गयी सलाह से हम क्या सीख सकते हैं? और बारूक ने जो रवैया दिखाया उससे हमें क्या सबक मिलता है? (लूका 21:34-36 पढ़िए।) यिर्मयाह की तरह, मसीही प्राचीन कैसे दिखा सकते हैं कि उन्हें अपने भाइयों के लिए यहोवा जैसी परवाह है?गलतियों 6:1 पढ़िए।

हू-ब-हू पिता के जैसा प्यार दिखाया

10. कलीसिया के मुखिया के नाते अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करने के लिए यीशु को क्या मदद दी गयी है?

10 मसीही कलीसिया के बनने से पहले यहोवा ने भविष्यवक्‍ताओं और दूसरे वफादार सेवकों के ज़रिए अपने लोगों के लिए प्यार दिखाया। वही प्यार आज वह खासकर मसीही कलीसिया के मुखिया, यीशु मसीह के ज़रिए दिखाता है। (इफि. 1:22, 23) इसी वजह से प्रकाशितवाक्य की किताब में यीशु को एक मेम्ना बताया गया है जिसकी “सात आंखें थीं; ये परमेश्‍वर की सातों आत्माएं हैं, जो सारी पृथ्वी पर भेजी गई हैं।” (प्रका. 5:6) जी हाँ, यीशु आत्मा यानी पवित्र शक्‍ति से भरपूर है और इसलिए उसमें हर मामले को सही-सही परखने की काबिलीयत है। वह हमारे दिल की थाह ले सकता है और उसकी आँखों से कुछ भी छिपा नहीं रह सकता।

11. मसीह क्या भूमिका अदा करता है और वह किस मायने में अपने पिता के जैसा है?

11 यहोवा की तरह यीशु भी कोई पुलिसवाला नहीं, जो हमारी गलतियाँ पकड़ने के लिए चौबीसों घंटे हम पर नज़र रखता हो। वह हम पर इसलिए नज़र रखता है क्योंकि वह हमसे प्यार करता है। दरअसल यीशु को दी उपाधि, “अनन्तकाल का पिता” हमें याद दिलाती है कि वह क्या भूमिका निभाएगा। परमेश्‍वर से मिली शक्‍ति की बदौलत वह उन सभी को अनंत जीवन देगा, जो उस पर विश्‍वास करते हैं। (यशा. 9:6) लेकिन आज भी, मसीही कलीसिया के मुखिया के तौर पर वह तजुरबेकार मसीहियों को, खासकर प्राचीनों को उभार सकता है कि वे ज़रूरतमंदों को दिलासा या सलाह दें।—1 थिस्स. 5:14; 2 तीमु. 4:1, 2.

12. (क) सातों कलीसियाओं को लिखे खतों से क्या ज़ाहिर होता है? (ख) प्राचीन, परमेश्‍वर के झुंड के लिए मसीह जैसी परवाह कैसे दिखाते हैं?

12 मसीह, परमेश्‍वर के झुंड में गहरी दिलचस्पी लेता है। यह बात उन खतों से साफ ज़ाहिर होती है, जो उसने एशिया माइनर की सातों कलीसियाओं के प्राचीनों को लिखे थे। (प्रका. 2:1–3:22) उन खतों में यीशु ने इस बात की ओर इशारा किया कि उसे अच्छी तरह मालूम है कि हर कलीसिया में क्या हो रहा है। और यह भी कि उसे अपने चेलों की सच्ची परवाह है। यह बात आज और भी ज़्यादा लागू होती है। क्योंकि प्रकाशितवाक्य का यह दर्शन “प्रभु के दिन” में पूरा हो रहा है। * (प्रका. 1:10) हमारे समय में मसीह अपना प्यार अकसर कलीसिया के चरवाहों के ज़रिए दिखाता है। वह ‘मनुष्यों के रूप में दान’ यानी प्राचीनों को उभार सकता है ताकि वे ज़रूरतमंदों को दिलासा दें, उनका हौसला बढ़ाएँ या उन्हें सलाह दें। (इफि. 4:8; प्रेरि. 20:28. यशायाह 32:1, 2 पढ़िए।) क्या आप उनकी मेहनत को इस बात का सबूत मानते हैं कि मसीह को आपमें सच्ची दिलचस्पी है?

सही वक्‍त पर दी गयी मदद

13-15. परमेशवर किन तरिकों से हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देता है? उदाहरण देकर समझाइए।

13 क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपने मदद के लिए सच्चे दिल से यहोवा को पुकारा और उसने आपका हौसला बढ़ाने के लिए एक प्रौढ़ मसीही को भेजा? (याकू. 5:14-16) या फिर उसने मसीही सभा के किसी भाषण या साहित्य के ज़रिए आपकी मदद की हो? यहोवा अकसर इन तरीकों से हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देता है। इस सिलसिले में एक बहन की मिसाल लीजिए, जिसके साथ कुछ समय पहले घोर अन्याय हुआ था। एक दिन जब वह सभा में गयी, तो उसने एक प्राचीन का भाषण सुना जिसमें बाइबल से ऐसे कई मुद्दे बताए गए थे जो उसके हालात पर लागू होते थे। इस भाषण से उसे बहुत तसल्ली मिली। सभा के बाद वह उस प्राचीन के पास गयी और अपना दुखड़ा रोने के बजाय तहेदिल से उसका शुक्रिया अदा किया। वाकई, वह बहन कितनी खुश थी कि वह उस सभा में गयी!

14 यहोवा प्रार्थनाओं के जवाब में हमारी और किस तरह से मदद करता है, इस बारे में तीन कैदियों की मिसाल पर गौर कीजिए। उन्होंने जेल में रहते वक्‍त बाइबल की सच्चाई सीखी और बपतिस्मा-रहित प्रचारक बन गए। एक बार जेल में हिंसा की एक वारदात हुई, जिससे सारे कैदियों पर और भी पाबंदियाँ लगायी गयीं। कैदियों ने इन पाबंदियों के खिलाफ आवाज़ उठाने की ठान ली। उन्होंने फैसला किया कि अगले दिन नाश्‍ते के बाद वे अपनी-अपनी थालियाँ नहीं लौटाएँगे। इस पर वे तीनों प्रचारक बड़ी कश्‍मकश में पड़ गए। अगर वे दूसरे कैदियों का साथ देते, तो वे रोमियों 13:1 में दी यहोवा की आज्ञा को तोड़ते। और अगर वे उनका साथ देने से इनकार करते, तो कैदी उनका जीना दुश्‍वार कर देते। उनकी हालत ऐसी थी कि यह करवट लें तो मुसीबत, वह करवट लें तो मुसीबत।

15 इन बपतिस्मा-रहित प्रचारकों के लिए एक-दूसरे से सलाह-मशविरा करना मुमकिन नहीं था। उन्होंने सही फैसला करने के लिए यहोवा से बुद्धि माँगी। अगली सुबह उन्हें मालूम हुआ कि उन तीनों ने एक-जैसा फैसला किया था। वह यह कि वे नाश्‍ता ही नहीं करेंगे। इसलिए नाश्‍ते के बाद जब सिपाही थाली लेने आए, तो उन तीनों के पास देने के लिए थालियाँ थीं ही नहीं। सच, वे कितने खुश थे कि ‘प्रार्थना का सुननेवाला’ यहोवा उनके करीब था।—भज. 65:2.

पूरे यकीन के साथ भविष्य का सामना करना

16. प्रचार काम कैसे इस बात का सबूत है कि यहोवा भेड़ समान लोगों की परवाह करता है?

16 प्रचार काम इस बात का एक और सबूत है कि यहोवा नेकदिल लोगों की परवाह करता है, फिर चाहे वे दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न रहते हों। (उत्प. 18:25) वह कैसे? जब यहोवा के सेवक प्रचार में निकलते हैं, तो वह उन्हें स्वर्गदूतों के ज़रिए उन लोगों को ढूँढ़ने में मदद देता है जो भेड़ समान हैं। कभी-कभी तो ये लोग ऐसे इलाकों से होते हैं, जहाँ अब तक सुसमाचार नहीं सुनाया गया है। (प्रका. 14:6, 7) मिसाल के लिए, पहली सदी में यहोवा ने एक स्वर्गदूत के ज़रिए सुसमाचार के प्रचारक, फिलिप्पुस को एक कूशी अधिकारी को ढूँढ़ने और उसे शास्त्र की बातें समझाने के लिए भेजा। नतीजा क्या हुआ? उस अधिकारी ने सुसमाचार कबूल किया और बपतिस्मा लेकर यीशु का चेला बन गया। *यूह. 10:14; प्रेरि. 8:26-39.

17. हमें भविष्य को लेकर बेवजह चिंता क्यों नहीं करनी चाहिए?

17 जैसे-जैसे इस दुनिया का अंत करीब आ रहा है, भविष्यवाणी में बतायी ‘पीड़ाएँ’ बढ़ती जाएँगी। (मत्ती 24:8) हो सकता है, खाद्य पदार्थों की माँग बढ़ने, आबोहवा के गड़बड़ाने और अर्थव्यवस्था के लड़खड़ाने से खाने की चीज़ों के दाम आसमान छूने लगें। नौकरी की मारा-मारी हो और जिनके पास नौकरी हो उनसे शायद दिन-रात कोल्हू के बैल की तरह काम करवाया जाए। हालात चाहे जैसा भी रुख लें, जो यहोवा की सेवा को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देते हैं और अपनी “आंख निर्मल” रखते हैं, उन्हें भविष्य को लेकर बेवजह चिंता करने की ज़रूरत नहीं। वे जानते हैं कि परमेश्‍वर उनसे प्यार करता है और उन्हें सँभाले रहेगा। (मत्ती 6:22-34) ज़रा ध्यान दीजिए कि सा.यु.पू. 607 में जब यरूशलेम पर मुसीबत के काले बादल मँडरा रहे थे, तब यहोवा ने कैसे यिर्मयाह की ज़रूरतें पूरी कीं।

18. यरूशलेम की घेराबंदी के दौरान, यहोवा ने यिर्मयाह के लिए अपना प्यार कैसे दिखाया?

18 यरूशलेम की घेराबंदी के दौरान, यिर्मयाह को पहरे के आँगन में कैद रखा गया। अब उसे खाना कहाँ से मिलता? अगर वह आज़ाद होता, तो कहीं-न-कहीं से अपने खाने का बंदोबस्त कर सकता था। मगर वह तो पूरी तरह अपने आस-पास के लोगों के रहमोकरम पर था, जिनमें से ज़्यादातर लोग उससे नफरत करते थे। ऐसे में भी यिर्मयाह ने इंसानों पर नहीं, यहोवा पर भरोसा रखा, जिसने उससे वादा किया था कि वह उसकी देखभाल करेगा। तो क्या यहोवा ने अपना वादा निभाया? बिलकुल! उसने इस बात का ध्यान रखा कि यिर्मयाह को तब तक हर दिन “एक रोटी” मिलती रहे, “जब तक नगर की सब रोटी न चुक गई।” (यिर्म. 37:21) यिर्मयाह, बारूक, एबेदमेलेक और दूसरे वफादार लोग अकाल, महामारी और मौत के उस खौफनाक दौर से ज़िंदा बचे।—यिर्म. 38:2; 39:15-18.

19. भविष्य को ध्यान में रखते हुए हमें क्या ठान लेना चाहिए?

19 जी हाँ, “[यहोवा] की आंखें धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उन की बिनती की ओर लगे रहते हैं।” (1 पत. 3:12) क्या यह जानकर आपको खुशी नहीं होती कि आपका पिता यहोवा आप पर नज़र रखता है? क्या इस बात से आप सुरक्षित महसूस नहीं करते कि यहोवा आपकी भलाई के लिए ऐसा करता है? तो फिर ठान लीजिए कि आनेवाला कल चाहे कैसा भी हो, आप परमेश्‍वर के साथ-साथ चलते रहेंगे! हम यकीन रख सकते हैं कि एक पिता की तरह, यहोवा हमेशा अपने वफादार सेवकों पर नज़र रखेगा।—भज. 32:8. यशायाह 41:13 पढ़िए।

[फुटनोट]

^ हालाँकि खत में लिखी बातें खासकर मसीह के अभिषिक्‍त चेलों के लिए थीं, लेकिन उनमें दिए सिद्धांत परमेश्‍वर के सभी सेवकों पर लागू होते हैं।

^ परमेश्‍वर से मिलनेवाले मार्गदर्शन की एक और मिसाल प्रेरितों 16:6-10 में दी गयी है। वहाँ बताया गया है कि पौलुस और उसके साथियों को “पवित्र शक्‍ति” (NW) ने एशिया और बितूनिया में “वचन सुनाने से मना किया।” इसके बजाय, उन्हें मकिदुनिया में प्रचार करने के लिए कहा गया, जहाँ कई नम्र लोगों ने सुसमाचार को कबूल किया।

क्या आप समझा सकते हैं?

• हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम ‘परमेश्‍वर के साथ-साथ चलते’ हैं?

• यहोवा ने बारूक के लिए अपना प्यार कैसे दिखाया?

• मसीही कलीसिया का मुखिया होने के नाते, यीशु किस मायने में अपने पिता जैसा है?

• इस नाज़ुक दौर में, हम किन तरीकों से दिखा सकते हैं कि हम परमेश्‍वर पर भरोसा रखते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 9 पर तसवीरें]

यिर्मयाह की तरह, मसीही प्राचीन यहोवा जैसी परवाह दिखाते हैं

[पेज 10 पर तसवीर]

यहोवा कैसे सही वक्‍त पर मदद दे सकता है?