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15 अक्टूबर, 2008

अध्ययन के लिए

दिए गए हफ्तों के लिए अध्ययन लेख:

1-7 दिसंबर, 2008

यहोवा की “आंखें” सबको जाँचती हैं

पेज 3

गीत नं. 6 (45), 9 (37)

8-14 दिसंबर, 2008

यहोवा हमारी भलाई के लिए हम पर नज़र रखता है

पेज 7

गीत नं. 26 (212), 11 (85)

15-21 दिसंबर, 2008

यहोवा से की गयी दिली प्रार्थना का जवाब

पेज 12

गीत नं. 7 (51), 20 (93)

22-28 दिसंबर, 2008

क्या आप आदर दिखाने में अच्छी मिसाल रखते हैं?

पेज 21

गीत नं. 28 (224), 23 (200)

29 दिसंबर, 2008–4 जनवरी, 2009

हमेशा तक जीने के लिए आप क्या कुरबानी देंगे?

पेज 25

गीत नं. 22 (130), 26 (212)

अध्ययन लेखों का मकसद

अध्ययन लेख 1, 2 पेज 3-11

ये लेख हमें भरोसा दिलाते हैं कि हमारे साथ जो कुछ होता है, उसे यहोवा अच्छी तरह जानता है। वह हमारे धीरज की कदर करता है और हमारी चिंताओं को समझता है। हम जो मेहनत करते हैं और हम पर जो बीतती है, वह उससे छिपा नहीं रहता। यह जानकर हमें क्या ही सुकून मिलता है!

अध्ययन लेख 3 पेज 12-16

हममें से ज़्यादातर लोग भजन 83:18 से वाकिफ हैं। लेकिन इस भजन की दूसरी आयतों के बारे में क्या? यह लेख बताता है कि भजन 83 आज मसीहियों को कैसे ज़बरदस्त हौसला देता है।

अध्ययन लेख 4 पेज 21-25

पौलुस ने कहा था: “परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो।” दूसरों का आदर करने का क्या मतलब है? किन्हें दूसरों का आदर करना चाहिए? और कौन आदर पाने के योग्य हैं? इस बारे में बाइबल में क्या उदाहरण दिए गए हैं? यह लेख बड़े कारगर तरीके से इस विषय पर चर्चा करता है।

अध्ययन लेख 5 पेज 25-29

एक मौक पर यीशु ने पूछा था: “मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा?” आप यीशु के इस सवाल का क्या जवाब देंगे? यहाँ “प्राण” से यीशु का क्या मतलब था? आप अपने प्राण को कितना अनमोल समझते हैं, यह आपकी ज़िंदगी से कैसे ज़ाहिर होता है? यह लेख आपको यीशु के इस गंभीर सवाल पर मनन करने में मदद देगा।

इस अंक में ये लेख भी हैं:

“वाकई, यह परमेश्‍वर का सबसे पवित्र और महान नाम है”

पेज 16

‘यहोवा मेरा बल है’

पेज 17

यहोवा का वचन जीवित है—तीतुस, फिलेमोन और इब्रानियों को लिखी पत्रियों की झलकियाँ

पेज 30