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15 नवंबर, 2008

अध्ययन के लिए

दिए गए हफ्तों के लिए अध्ययन लेख:

5-11 जनवरी, 2009

झुंड से भटके हुओं की मदद कीजिए

पेज 8

गीत नं. 11 (85), 28 (224)

12-18 जनवरी, 2009

जल्द-से-जल्द झुंड में लौट आने में उनकी मदद कीजिए!

पेज 12

गीत नं. 23 (200), 22 (130)

19-25 जनवरी, 2009

सेहत का खयाल रखने में बाइबल का नज़रिया अपनाइए

पेज 23

गीत नं. 6 (45), 24 (185)

26 जनवरी, 2009–1 फरवरी, 2009

“शैतान का साम्हना करो,” ठीक जैसे यीशु ने किया था

पेज 27

गीत नं. 5 (46), 21 (191)

अध्ययन लेखों का मकसद

अध्ययन लेख 1, 2 पेज 8-16

जानिए कि प्राचीन और दूसरे प्रचारक, परमेश्‍वर के झुंड से भटके हुए मसीहियों की कैसे मदद कर सकते हैं। इन लेखों में समझाया गया है कि सच्चाई में ठंडे पड़ चुके मसीहियों की आप कैसे मदद कर सकते हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि झुंड में लौटनेवाले मसीही, कलीसिया के भाई-बहनों से क्या उम्मीद कर सकते हैं।

अध्ययन लेख 3 पेज 23-27

अपनी सेहत की फिक्र करना लाज़िमी है। इसलिए यहोवा के साक्षी बीमार पड़ने पर डॉक्टर के पास जाते हैं और ठीक होने के लिए कई तरह के इलाज भी करवाते हैं। लेकिन इस मामले में ‘स्वस्थ मन’ से काम लेना ज़रूरी है। (तीतु. 2:12, NW) हमें सबसे ज़्यादा अपनी आध्यात्मिक सेहत का खयाल रखना चाहिए और परमेश्‍वर के साथ अपने रिश्‍ते को मज़बूत करना चाहिए।

अध्ययन लेख 4 पेज 27-31

जानिए कि यीशु मसीह ने शैतान का विरोध करने में क्या मिसाल रखी। यह लेख बताता है कि परमेश्‍वर को अपने बेटे पर क्यों यकीन था कि वह शैतान का विरोध करने में सफल होगा। इसमें यह भी बताया गया है कि यीशु ऐसा करने में किस तरह कामयाब हुआ और हम भी कैसे कामयाब हो सकते हैं।

इस अंक में ये लेख भी हैं:

आप कैसे इंसान बनना चाहते हैं?

पेज 3

“एक चित्त और एक मन” होकर परमेश्‍वर की सेवा कीजिए

पेज 6

‘उन बातों की कोशिश कीजिए जिनसे मेल मिलाप हो’

पेज 17

यहोवा का वचन जीवित है—याकूब और पतरस की पत्रियों की झलकियाँ

पेज 20

इतिहास की एक अहम कड़ी—“सागर का गीत”

पेज 32