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“शैतान का साम्हना करो,” ठीक जैसे यीशु ने किया था

“शैतान का साम्हना करो,” ठीक जैसे यीशु ने किया था

“शैतान का साम्हना करो,” ठीक जैसे यीशु ने किया था

“शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा।”—याकू. 4:7.

1. धरती पर यीशु को जिस विरोध का सामना करना पड़ता, उस बारे में वह क्या जानता था?

 यीशु मसीह जानता था कि उसे शैतान के विरोध का सामना करना पड़ेगा। यह उस बात से साफ ज़ाहिर था, जो परमेश्‍वर ने सर्प, यानी दुष्ट और बागी स्वर्गदूत शैतान से कही थी: “मैं तेरे और इस स्त्री [यहोवा के संगठन का स्वर्गीय हिस्सा] के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्‍न करुंगा, वह [यीशु मसीह] तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।” (उत्प. 3:14, 15; प्रका. 12:9) यीशु की एड़ी को डसने का मतलब था कि उसे धरती पर रहते वक्‍त मार डाला जाता। लेकिन यह चोट सिर्फ कुछ समय के लिए होती, क्योंकि यहोवा उसे फिर से ज़िंदा करके स्वर्गीय महिमा देता। मगर सर्प का सिर कुचलने का मतलब है कि शैतान को हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाएगा।प्रेरितों 2:31, 32; इब्रानियों 2:14 पढ़िए।

2. यहोवा को क्यों यकीन था कि यीशु, शैतान का विरोध करने में कामयाब होगा?

2 यहोवा को यकीन था कि धरती पर यीशु अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करने के साथ-साथ शैतान का विरोध करने में भी कामयाब होगा। यहोवा को इतना यकीन क्यों था? क्योंकि उसने यीशु को स्वर्ग में मुद्दतों पहले बनाया था। इस दौरान उसने अपने “कुशल कारीगर” (NHT) और ‘सारी सृष्टि में पहिलौठे’ पर गौर किया था और जानता था कि वह आज्ञाकारी और वफादार है। (नीति. 8:22-31; कुलु. 1:15) इसलिए जब यहोवा ने यीशु को धरती पर भेजा और उसे मरते दम तक शैतान के हाथों परखा जाने दिया, तो यहोवा को यकीन था कि उसका एकलौता पुत्र शैतान का विरोध करने में कामयाब होगा।—यूह. 3:16.

यहोवा अपने सेवकों की हिफाज़त करता है

3. शैतान, यहोवा के सेवकों की तरफ कैसा रवैया दिखाता है?

3 यीशु ने शैतान को “जगत का सरदार” कहा। उसने अपने चेलों को खबरदार किया कि शैतान ने जैसे मुझे सताया, वैसे ही वह तुम्हें सताएगा। (यूह. 12:31; 15:20) यह संसार जो शैतान की मुट्ठी में है, सच्चे मसीहियों से नफरत करता है, क्योंकि वे यहोवा की सेवा करते हैं और धार्मिकता का प्रचार करते हैं। (मत्ती 24:9; 1 यूह. 5:19) शैतान का खास निशाना बचे हुए अभिषिक्‍त जन हैं, जो आगे चलकर मसीह के साथ स्वर्ग में राज करेंगे। वह यहोवा के उन लाखों साक्षियों को भी अपना निशाना बनाता है, जिन्हें धरती पर फिरदौस में हमेशा तक जीने की आशा है। परमेश्‍वर का वचन हमें आगाह करता है: “तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जनेवाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।”—1 पत. 5:8.

4. किन बातों से साबित होता है कि परमेश्‍वर के लोग शैतान का विरोध करने में कामयाब हुए हैं?

4 यहोवा हमेशा अपने संगठन के साथ रहा है, जो उसके लोगों से मिलकर बना है। इसलिए वे शैतान का विरोध करने में कामयाब होते हैं। ज़रा इन बातों पर गौर कीजिए: पिछले 100 सालों में बेरहम तानाशाह सरकारों ने साक्षियों का वजूद मिटाने में एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाया। लेकिन उस भयानक दौर में भी साक्षियों की गिनती बढ़ती चली गयी और आज पूरी दुनिया में 1,00,000 से ज़्यादा कलीसियाओं में करीब 70,00,000 यहोवा के साक्षी हैं। उन तानाशाह सरकारों का क्या हुआ? यहोवा के लोगों को मिटाने के बजाय, वे खुद मिट्टी में मिल गए!

5. यशायाह 54:17 में लिखी बात आज यहोवा के सेवकों के मामले में कैसे सच साबित हुई है?

5 परमेश्‍वर ने प्राचीन इस्राएल की कलीसिया से वादा किया था: “जितने हथियार तेरी हानि के लिये बनाए जाएं, उन में से कोई सफल न होगा, और, जितने लोग मुद्दई होकर तुझ पर नालिश करें उन सभों से तू जीत जाएगा। यहोवा के दासों का यही भाग होगा, और वे मेरे ही कारण धर्मी ठहरेंगे, यहोवा की यही वाणी है।” (यशा. 54:17) आज इन “अन्तिम दिनों” के दौरान भी परमेश्‍वर अपना यह वादा निभा रहा है। (2 तीमु. 3:1-5, 13) आज हम शैतान का विरोध कर रहे हैं। और हमें मिटाने के लिए शैतान का हर हथियार बेकार साबित हुआ है, क्योंकि यहोवा हमारी तरफ है।—भज. 118:6, 7.

6. शैतान की हुकूमत का क्या होगा, इस बारे में दानिय्येल की भविष्यवाणी क्या बताती है?

6 इस दुष्ट संसार का बहुत जल्द विनाश होनेवाला है। तब शैतान की हुकूमत का हर पहलू मिटा दिया जाएगा। इसी सिलसिले में दानिय्येल नबी ने ईश्‍वर-प्रेरणा से यह भविष्यवाणी की: “[हमारे समय के इंसानी] राजाओं के दिनों में . . . परमेश्‍वर, [स्वर्ग में] एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा, और न वह किसी दूसरी जाति के हाथ में किया जाएगा। वरन वह उन सब राज्यों को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा।” (दानि. 2:44) उस वक्‍त, न तो शैतान की और न असिद्ध इंसानों की हुकूमत रहेगी। शैतान की पूरी व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया जाएगा और परमेश्‍वर का राज्य सारी धरती पर हुकूमत करेगा। फिर उसके खिलाफ आवाज़ उठानेवाला कोई नहीं होगा।2 पतरस 3:7, 13 पढ़िए।

7. हम कैसे जानते हैं कि हममें से हरेक शैतान का विरोध करने में कामयाब हो सकता है?

7 इसमें कोई शक नहीं कि शैतान यहोवा के संगठन का कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा और उस संगठन पर यहोवा की आशीष हमेशा बनी रहेगी। (भजन 125:1, 2 पढ़िए।) लेकिन हममें से हरेक के बारे में क्या? बाइबल कहती है कि यीशु की तरह हम भी शैतान का विरोध करने में कामयाब हो सकते हैं। यह बात उस दर्शन से साफ ज़ाहिर होती है, जो मसीह ने प्रेरित यूहन्‍ना को दिया था। उसमें यूहन्‍ना ने देखा कि शैतान के विरोध के बावजूद, धरती पर जीने की आशा रखनेवालों की ‘एक बड़ी भीड़’ इस संसार के विनाश से बचकर निकली है। बाइबल के मुताबिक, वह भीड़ ऊँचे शब्द से कहती है: “उद्धार के लिये हमारे परमेश्‍वर का जो सिंहासन पर बैठा है, और मेम्ने [यीशु मसीह] का जय-जय-कार हो।” (प्रका. 7:9-14) अभिषिक्‍त जनों के बारे में बाइबल बताती है कि वे शैतान पर जयवंत होंगे और ‘अन्य भेड़’ के उनके साथी भी शैतान का विरोध करने में कामयाब होंगे। (यूह. 10:16, NW; प्रका. 12:10, 11) लेकिन शैतान का विरोध करने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होगी और ‘उस दुष्ट से बचाए’ जाने के लिए प्रार्थना करनी होगी।—मत्ती 6:13, NHT, फुटनोट।

शैतान का विरोध करने में एक उम्दा मिसाल

8. वीराने में शैतान सबसे पहले यीशु पर कौन-सी परीक्षा लाया? और यीशु ने क्या किया?

8 शैतान ने यीशु की खराई तोड़ने की बहुत कोशिश की। वीराने में वह यीशु पर कई परीक्षाएँ लाया, ताकि यीशु किसी तरह यहोवा की आज्ञा तोड़ दे। लेकिन यीशु ने उसका विरोध करने में एक उम्दा मिसाल रखी। वीराने में यीशु ने 40 दिन और 40 रात तक कुछ नहीं खाया-पीया था। इसलिए उसे बहुत भूख लगी। इस पर शैतान ने यीशु से कहा: “यदि तू परमेश्‍वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियां बन जाएं।” मगर यीशु ने जवाब दिया: “लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्‍वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।” इस तरह यीशु ने परमेश्‍वर से मिली शक्‍ति का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए नहीं किया।—मत्ती 4:1-4; व्यव. 8:3.

9. जब शैतान हमारी शारीरिक इच्छाओं का फायदा उठाकर हमें लुभाने की कोशिश करता है, तो हमें क्यों उसका विरोध करना चाहिए?

9 यहोवा ने हमें जिन शारीरिक इच्छाओं के साथ बनाया है, उन इच्छाओं का फायदा उठाकर शैतान हमें गलत काम करने के लिए लुभाता है। उसकी सबसे ज़बरदस्त चाल है लैंगिक अनैतिकता। इसलिए हमें ठान लेना चाहिए कि हम शैतान की इस चाल का डटकर विरोध करेंगे, फिर चाहे दुनिया में बदचलनी आम क्यों न हो गयी हो। परमेश्‍वर का वचन साफ शब्दों में बताता है: “क्या तुम नहीं जानते कि दुष्ट लोग परमेश्‍वर के राज्य के उत्तराधिकारी न होंगे? धोखा न खाओ: न व्यभिचारी, न मूर्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न कामातुर, न पुरुषगामी, . . . परमेश्‍वर के राज्य के उत्तराधिकारी होंगे।” (1 कुरि. 6:9, 10, NHT) इससे साफ ज़ाहिर है कि जो लोग बदचलन ज़िंदगी जीते हैं और अपने तौर-तरीकों को बदलना नहीं चाहते, उन्हें परमेश्‍वर की नयी दुनिया में रहने नहीं दिया जाएगा।

10. मत्ती 4:5, 6 के मुताबिक यीशु की खराई तोड़ने के लिए शैतान उस पर कौन-सी दूसरी परीक्षा लाया?

10 वीराने में शैतान यीशु पर एक और परीक्षा लाया। इस बारे में बाइबल बताती है: “तब इब्‌लीस उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया। और उस से कहा यदि तू परमेश्‍वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा; और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे; कहीं ऐसा न हो कि तेरे पांवों में पत्थर से ठेस लगे।” (मत्ती 4:5, 6) दूसरे शब्दों में कहें तो, शैतान ने यीशु को उकसाया कि वह अपने मसीहा होने का शानदार सबूत पेश करे। लेकिन सच पूछो तो ऐसा करना यह दिखाता कि यीशु घमंड से भरा हुआ है और इससे यहोवा कतई खुश नहीं होता। एक बार फिर यीशु ने अपनी खराई बनाए रखी। उसने बाइबल की एक आयत का हवाला देते हुए शैतान को जवाब दिया: “यह भी लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्‍वर की परीक्षा न कर।”—मत्ती 4:7; व्यव. 6:16.

11. शैतान कैसे हमें लुभा सकता है? उसके बहकावे में आने का क्या नतीजा हो सकता है?

11 शैतान हमें गलत तरीके से यहोवा को परखने के लिए लुभा सकता है। कैसे? वह हमें इस संसार की मंज़ूरी पाने के लिए उकसा सकता है। वह हमें पहनावे और बनाव-श्रृंगार के मामले में दुनिया के तौर-तरीके अपनाने और गलत किस्म के मनोरंजन का मज़ा लेने के लिए लुभा सकता है। पर सोचिए, अगर हम बाइबल की सलाह ठुकराकर दुनिया के रंग में रंग जाएँ, तो क्या यहोवा अपने स्वर्गदूतों के ज़रिए हमें हमारे कामों के बुरे अंजामों से बचाएगा? इस मामले में राजा दाऊद की मिसाल लीजिए। हालाँकि उसने बतशेबा के साथ किए पाप का पश्‍चाताप किया, लेकिन यहोवा ने उसे उसके पाप के बुरे अंजामों से नहीं बचाया। (2 शमू. 12:9-12) इन बातों को मद्देनज़र रखते हुए, आइए हम इस संसार से दोस्ती करके या दूसरे गलत तरीकों से यहोवा को न परखें।—याकूब 4:4; 1 यूहन्‍ना 2:15-17 पढ़िए।

12. मत्ती 4:8, 9 में दर्ज़ एक और परीक्षा क्या थी? परमेश्‍वर के बेटे ने शैतान को क्या जवाब दिया?

12 वीराने में शैतान ने यीशु की एक और परीक्षा ली। उसने यीशु के सामने पूरी दुनिया पर हुकूमत करने की पेशकश रखी। शैतान ने यीशु को दुनिया के तमाम राज्य और उनकी शानो-शौकत दिखायी और कहा: “यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूंगा।” (मत्ती 4:8, 9) जिस उपासना पर सिर्फ यहोवा का हक है, उसे पाने और यीशु की वफादारी तोड़ने के लिए शैतान ने क्या ही धूर्त चाल चली! एक समय पर यही शैतान यहोवा का एक वफादार स्वर्गदूत था। मगर फिर, उसमें इंसानों से उपासना पाने की इच्छा पैदा हुई। वह जितना ज़्यादा इस बारे में सोचने लगा, उतना ज़्यादा यह इच्छा उस पर हावी होने लगी। नतीजा, उसने यहोवा के खिलाफ पाप किया। (याकू. 1:14, 15) लेकिन यीशु, शैतान के जैसा बिलकुल नहीं था। वह हर हाल में अपने पिता यहोवा का वफादार रहना चाहता था। इसलिए उसने कहा: “हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है, कि तू [यहोवा] अपने परमेश्‍वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।” परमेश्‍वर के बेटे ने एक बार फिर साफ शब्दों में शैतान का विरोध किया। उस दुष्ट की उपासना करना तो दूर, यीशु उसके संसार का कोई हिस्सा भी नहीं बनना चाहता था।—मत्ती 4:10; व्यव. 6:13; 10:20.

“शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा”

13, 14. (क) दुनिया के तमाम राज्य दिखाकर शैतान यीशु को क्या देने का वादा कर रहा था? (ख) शैतान हमें भ्रष्ट करने की कैसे कोशिश करता है?

13 दुनिया के तमाम राज्य दिखाकर शैतान, यीशु को ऐसी ताकत और अधिकार देने का वादा कर रहा था, जो इससे पहले किसी इंसान के पास नहीं था। शैतान ने सोचा कि ये सारे राज्य यीशु की आँखों को भा जाएँगे और वह धरती का सबसे ताकतवर नेता बनने के लिए राज़ी हो जाएगा। आज शैतान हमें सारे राज्यों का लालच नहीं देता, लेकिन वह हमारी आँखों, कानों और सोच के ज़रिए हमारे मन को भ्रष्ट करने की कोशिश ज़रूर करता है।

14 यह दुनिया शैतान के इशारों पर चलती है। इसलिए मीडिया पर भी उसका दबदबा है। तभी इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि आजकल की किताबों-पत्रिकाओं, गानों, फिल्मों और टी.वी. कार्यक्रमों में हिंसा और सेक्स की भरमार है। विज्ञापन जगत हमारे अंदर नयी-नयी चीज़ें खरीदने की ख्वाहिश पैदा करता है, जिनकी हमें ज़रूरत भी नहीं होती। इस तरह शैतान बार-बार हमें उन बातों के ज़रिए लुभाने की कोशिश करता है, जो शायद हमारी आँखों, कानों और सोच को अच्छी लगती हैं। लेकिन जब हम ऐसी बातों को देखने, सुनने और पढ़ने से इनकार करते हैं, जो बाइबल सिद्धांतों के खिलाफ हैं, तो एक तरह से हम कह रहे होते हैं: “हे शैतान दूर हो जा!” ऐसा करके हम भी यीशु की तरह पूरी दृढ़ता के साथ शैतान के अशुद्ध संसार को ठुकराते हैं। इसके अलावा, जब हम अपने सहकर्मियों, स्कूल के साथियों, पड़ोसियों और रिश्‍तेदारों को यह बताने से नहीं लजाते कि हम यहोवा के साक्षी और मसीह के चेले हैं, तब भी हम दिखाते हैं कि हम शैतान के संसार का कोई भाग नहीं हैं।मरकुस 8:38 पढ़िए।

15. शैतान का विरोध करने के लिए हमें क्यों हर समय चौकन्‍ना रहने की ज़रूरत है?

15 जब शैतान यीशु की खराई तोड़ने में तीसरी बार नाकाम हुआ, तब “शैतान उसके पास से चला गया।” (मत्ती 4:11) लेकिन उसने हार नहीं मानी, क्योंकि बाइबल बताती है: “जब शैतान सब परीक्षा कर चुका, तब कुछ समय के लिये उसके पास से चला गया।” (लूका 4:13) जब हम शैतान का विरोध करने में कामयाब होते हैं, तो हमें यहोवा का धन्यवाद करना चाहिए। साथ ही हमें परमेश्‍वर से मदद माँगते रहना चाहिए, क्योंकि शैतान हमें लुभाने के लिए वापस आएगा, शायद तब जब हम इसकी उम्मीद भी न कर रहे हों। इसलिए हमें हर समय चौकन्‍ना रहने की ज़रूरत है, ताकि हम आज़माइशों के बावजूद यहोवा की उपासना करते रहें।

16. यहोवा हमें कौन-सी ज़बरदस्त ताकत देता है? और हमें इसके लिए क्यों प्रार्थना करनी चाहिए?

16 शैतान का विरोध करने के लिए हमें परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए और यह यकीन रखना चाहिए कि वह हमें यह शक्‍ति ज़रूर देगा। पवित्र शक्‍ति दुनिया की हर ताकत से कहीं ज़्यादा प्रबल है। इसकी मदद से हम वह काम कर पाएँगे, जो अपने बलबूते पर करना हमारे लिए नामुमकिन है। यीशु ने अपने चेलों को भरोसा दिलाया कि उन्हें परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति ज़रूर मिलेगी। उसने कहा: “जब तुम [असिद्ध और इस वजह से] बुरे होकर अपने लड़केबालों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो स्वर्गीय पिता अपने मांगनेवालों को पवित्र आत्मा [“पवित्र शक्‍ति,” NW] क्यों न देगा।” (लूका 11:13) आइए हम यहोवा से उसकी पवित्र शक्‍ति के लिए प्रार्थना करते रहें। शैतान का विरोध करने में अगर यह ज़बरदस्त ताकत हमारे साथ होगी, तो हमारी जीत पक्की है। नियमित तौर पर और सच्चे दिल से प्रार्थना करने के अलावा हमें परमेश्‍वर से मिले आध्यात्मिक अस्त्र-शस्त्र भी बाँध लेने चाहिए। इससे हम “शैतान की युक्‍तियों” यानी धूर्त चालों “के साम्हने खड़े रह” सकेंगे।—इफि. 6:11-18.

17. शैतान का विरोध करने में किस आनंद ने यीशु की मदद की?

17 शैतान का विरोध करने के लिए यीशु को एक और बात से मदद मिली। इस बारे में बाइबल कहती है: “[यीशु ने] उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्‍वर के दहिने जा बैठा।” (इब्रा. 12:2) वह आनंद क्या था? वह था, यहोवा की हुकूमत को बुलंद करना, उसके पवित्र नाम का आदर करना और अनंत जीवन के इनाम को मन में रखना। यही आनंद हमें भी शैतान का विरोध करने में मदद दे सकता है। जब शैतान और उसके कामों को हमेशा के लिए मिटा दिया जाएगा और “नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे,” तो हमें कितनी खुशी होगी! (भज. 37:11) उस समय के आने तक शैतान का विरोध करते रहिए, ठीक जैसे यीशु ने किया था।याकूब 4:7, 8 पढ़िए।

आप क्या जवाब देंगे?

• किन बातों से साबित होता है कि यहोवा अपने लोगों की हिफाज़त करता है?

• शैतान का विरोध करने में यीशु ने क्या मिसाल रखी?

• आप किन तरीकों से शैतान का विरोध कर सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 29 पर तसवीर]

संसार के साथ दोस्ती करना परमेश्‍वर से दुश्‍मनी करना है

[पेज 31 पर तसवीर]

यीशु ने शैतान की पेशकश को ठुकराकर पूरी दुनिया पर हुकूमत करने से इनकार कर दिया