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क्या आप अपनी खराई बनाए रखेंगे?

क्या आप अपनी खराई बनाए रखेंगे?

क्या आप अपनी खराई बनाए रखेंगे?

“जब तक मेरा प्राण न छूटे तब तक मैं अपनी खराई से न हटूंगा।”—अय्यू. 27:5.

1, 2. क्या बनाने की हमारी मेहनत बेकार नहीं जाएगी और हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?

 फर्ज़ कीजिए कि आप एक घर का नक्शा देख रहे हैं। घर का डिज़ाइन इतना बढ़िया है कि आप उस पर फिदा हो जाते हैं। आप मन-ही-मन सपने बुनने लगते हैं कि आप और आपका परिवार उस घर में क्या-क्या करेगा और आप कितने खुश रहेंगे। मगर इन बातों के बारे में सोच-सोचकर खुश होने से कोई फायदा नहीं, जब तक कि आप खुद के लिए ऐसा सुंदर घर बनाकर उसमें रहने न लगें और घर को उसी हाल में रखने के लिए उसकी अच्छी देखभाल न करें।

2 खराई के मामले में भी यह बात सच है। हम शायद सोचें: वाह, खराई क्या ही लाजवाब गुण है! खराई बनाए रखने से मुझे और मेरे अज़ीज़ों को कितना फायदा होगा! लेकिन सिर्फ इस बारे में सोचने से ही बात नहीं बनेगी, जब तक कि हम खरे इंसान न बनें और अपनी खराई बरकरार न रखें। आज के ज़माने में एक बढ़िया मकान बनाने के लिए काफी खर्चा करना पड़ता है। (लूका 14:28, 29) उसी तरह, खराई बनाने के लिए भी काफी वक्‍त और मेहनत लगती है। मगर इसके लिए की गयी मेहनत बेकार नहीं जाती। तो आइए तीन सवालों पर चर्चा करें: हम खरे इंसान कैसे बन सकते हैं? हम अपनी खराई कैसे बनाए रख सकते हैं? अगर एक व्यक्‍ति कुछ समय के लिए खराई नहीं बनाए रखता, तब क्या किया जा सकता है?

हम खरे इंसान कैसे बन सकते हैं?

3, 4. (क) यहोवा किस तरह हमें खरा इंसान बनने में मदद देता है? (ख) हम भी यीशु की तरह खरे इंसान कैसे बन सकते हैं?

3 हमने पिछले लेख में देखा कि यहोवा ने हमें यह चुनने की आज़ादी दी है कि हम खरे इंसान बनेंगे या नहीं। लेकिन इसके साथ-साथ उसने हमें मार्गदर्शन भी दिया है। वह हमें सिखाता है कि हम खरे इंसान कैसे बन सकते हैं। यही नहीं, वह हमें सीखी हुई बातों को लागू करने में पवित्र शक्‍ति के ज़रिए मदद भी देता है। (लूका 11:13) साथ ही, यहोवा उन लोगों की आध्यात्मिक रूप से हिफाज़त करता है, जो खराई की राह पर चलते रहने की कोशिश करते हैं।—नीति. 2:7.

4 यहोवा ने कैसे हमें खराई बनाए रखना सिखाया? अपने बेटे यीशु के ज़रिए। धरती पर रहते वक्‍त, यीशु ने पूरी तरह परमेश्‍वर की आज्ञा मानी। वह “यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि [उसने] मृत्यु, . . . भी सह ली।” (फिलि. 2:8) उसने हर मामले में अपने पिता की बात मानी, फिर चाहे ऐसा करना उसके लिए कितना ही मुश्‍किल क्यों न रहा हो। उसने यहोवा से कहा: “मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो।” (लूका 22:42) हममें से हरेक को अपने आपसे यह सवाल पूछना चाहिए, ‘क्या मैं भी हर मामले में यहोवा की बात मानता हूँ?’ अगर हम नेक इरादे के साथ परमेश्‍वर की बात हमेशा मानें, तो हम भी खराई रखनेवाले इंसान बन सकते हैं। ज़िंदगी के कुछ ऐसे पहलुओं पर गौर कीजिए, जिनमें आज्ञा मानना खासकर ज़रूरी है।

5, 6. (क) दाऊद ने अकेले में भी खराई बनाए रखने की अहमियत पर कैसे ज़ोर दिया? (ख) मसीहियों को अकेले में खराई बनाए रखने के लिए किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है?

5 हमें यहोवा की आज्ञा तब भी माननी चाहिए, जब हम बिलकुल अकेले होते हैं। भजनहार दाऊद ने भी अकेले में खराई बनाए रखने की अहमियत को समझा था। (भजन 101:2 पढ़िए।) राजा होने के नाते दाऊद अकसर न सिर्फ सैकड़ों बल्कि हज़ारों लोगों से घिरा रहता था। (भजन 26:12 से तुलना कीजिए।) उसके लिए ऐसे मौकों पर खराई बनाए रखना बहुत ज़रूरी था, क्योंकि उसे प्रजा के सामने एक अच्छी मिसाल रखनी थी। (व्यव. 17:18, 19) लेकिन दाऊद ने यह बात समझी कि “घर में” अकेले होने पर भी खराई बनाए रखना बहुत ज़रूरी है। आज हमारे बारे में क्या?

6 हम भजन 101:3 (NHT) में दाऊद के ये शब्द पढ़ते हैं: “मैं किसी अनुचित बात को अपनी आँखों के सामने न रखूँगा।” आज अनुचित बातों को अपनी आँखों के सामने रखने के कई मौके हमारे सामने आते हैं, खासकर तब, जब हम अकेले होते हैं। अब तो इंटरनेट घर-घर में मौजूद है, जिसकी वजह से कई लोगों के लिए खराई बनाए रखना एक चुनौती बन गयी है। एक इंसान बड़ी आसानी से बहककर बेहूदा, यहाँ तक कि अश्‍लील चीज़ें देखने लग सकता है। लेकिन अगर हम ऐसा करें तो क्या हम वह आज्ञा मान रहे होंगे, जो परमेश्‍वर ने दाऊद से लिखवायी थी? पोर्नोग्राफी का असर बहुत बुरा होता है क्योंकि यह एक इंसान में गलत इच्छाएँ जगाती हैं, उसको लालची बनाती है, उसके विवेक को भ्रष्ट कर देती है, पति-पत्नी के बीच दरार पैदा कर देती है। इतना ही नहीं, इसे देखनेवाले खुद अपनी नज़रों में गिर जाते हैं।—नीति. 4:23; 2 कुरि. 7:1; 1 थिस्स. 4:3-5.

7. कौन-से सिद्धांत हमें अकेले में भी खराई बनाए रखने में मदद दे सकते हैं?

7 असल में यहोवा का कोई भी सेवक कभी अकेला नहीं होता। हमारे पिता की आँखें हम पर हमेशा लगी रहती हैं। (भजन 11:4 पढ़िए।) ज़रा सोचिए, आपको प्रलोभनों का विरोध करते देखकर यहोवा को कितनी खुशी होती होगी! जब आप ऐसा करते हैं, तो आप मत्ती 5:28 में दी यीशु की चेतावनी को मान रहे होते हैं। इसलिए ठान लीजिए कि आप किसी भी कीमत पर ऐसी तसवीरें नहीं देखेंगे, जो आपको बुरा काम करने के लिए लुभा सकती हैं। पोर्नोग्राफी देखने या पढ़ने के लिए अपनी अनमोल खराई का सौदा मत कीजिए!

8, 9. (क) दानिय्येल और उसके साथियों की खराई कैसे परखी गयी? (ख) आज के मसीही नौजवान कैसे यहोवा और अपने संगी मसीहियों का दिल खुश करते हैं?

8 हम यहोवा की आज्ञा मानकर अपनी खराई उस समय भी बरकरार रख सकते हैं, जब हम अविश्‍वासियों के बीच होते हैं। दानिय्येल और उसके तीन साथियों को याद कीजिए। वे लड़के ही थे कि उन्हें गुलाम बनाकर बाबुल ले जाया गया। बाबुल के लोग यहोवा के बारे में शायद ही कुछ जानते थे। उन्होंने इन चारों पर ऐसी चीज़ें खाने का दबाव डाला, जिन्हें यहोवा की व्यवस्था के मुताबिक खाना मना था। ये लड़के चाहते तो परमेश्‍वर की आज्ञा ना मानने के कई बहाने ढूँढ़ सकते थे। इसके अलावा, न तो उनके माँ-बाप, ना ही याजक या दूसरे बुज़ुर्ग यह देखने के लिए वहाँ थे कि वे क्या कर रहे हैं और क्या नहीं। लेकिन फिर भी, कोई था जो उन्हें देख रहा था। और वह था, यहोवा। इसलिए वे दबावों और खतरों के बावजूद डटे रहे और उन्होंने परमेश्‍वर की आज्ञा मानी।—दानि. 1:3-9.

9 दुनिया-भर में यहोवा के जवान साक्षी भी इसी तरह डटे रहते हैं। वे अपने साथियों से आनेवाले बुरे दबावों के बावजूद, यहोवा के स्तरों को थामे रहते हैं। जवानो, जब आप ड्रग्स, हिंसा, गाली-गलौज और दूसरे गलत कामों से दूर रहते हैं, तो आप यहोवा की आज्ञा मान रहे होते हैं। और ऐसा करने के ज़रिए आप अपनी खराई बनाए रखते हैं। इससे आपको तो फायदा पहुँचता ही है, साथ ही आप यहोवा और संगी मसीहियों का दिल भी खुश कर पाते हैं।—भज. 110:3.

10. (क) व्यभिचार के बारे में कौन-से गलत नज़रिए की वजह से कुछ जवानों ने अपनी खराई के साथ समझौता किया है? (ख) खराई हमें क्या बात ध्यान में रखने में मदद देगी ताकि हम व्यभिचार से पूरी तरह दूर रहें?

10 विपरीत लिंग के लोगों के साथ व्यवहार करते वक्‍त भी हमें यहोवा की आज्ञा माननी चाहिए। हम अच्छी तरह जानते हैं कि परमेश्‍वर के वचन में व्यभिचार की सख्त मनाही है। लेकिन कभी-कभी एक इंसान इस मामले में छूट लेने लगता है। मिसाल के लिए, कुछ नौजवान मुख मैथुन, गुदा मैथुन और दूसरे व्यक्‍ति के साथ हस्तमैथुन में शरीक हुए हैं। उन्होंने शायद मन-ही-मन खुद को समझाया हो कि ये काम इतने बुरे नहीं हैं, क्योंकि वे असल में “सेक्स नहीं कर रहे” हैं। मगर ऐसे जवान यह भूल जाते हैं या इस बात को नज़रअंदाज़ कर देते हैं कि बाइबल में व्यभिचार के लिए इस्तेमाल किए गए शब्द में ये सभी काम शामिल हैं और ऐसे बुरे काम करनेवाले व्यक्‍ति को बहिष्कृत किया जा सकता है। * और-तो-और वे खराई बनाए रखने की कोई ज़रूरत नहीं समझते। हम खराई बनाए रखना चाहते हैं इसलिए बुरे चालचलन के लिए हम सफाई पेश करने की कोशिश नहीं करेंगे। ना ही हम यह हिसाब लगाएँगे कि बिना सज़ा पाए हम किस हद तक जा सकते हैं। हम सिर्फ इस बात की फिक्र नहीं करेंगे कि फलाँ पाप करने से हमारे खिलाफ क्या न्यायिक कार्यवाही की जाएगी। इसके बजाय, हम यह सोचेंगे कि उस काम से यहोवा को कितनी ठेस पहुँचेगी और इसलिए वह काम करने से दूर रहेंगे। जी हाँ, हम यह हिसाब नहीं लगाएँगे कि हम बिना सज़ा पाए किस हद तक पाप के करीब जा सकते हैं। इसके बजाय, हम ‘व्यभिचार से भागेंगे।’ (1 कुरि. 6:18, NHT) इस तरह हम दिखाएँगे कि हम सच्ची खराई रखनेवाले लोग हैं।

हम अपनी खराई कैसे बनाए रख सकते हैं?

11. समझाइए कि ज़िंदगी के हरेक छोटे-बड़े मामले में परमेश्‍वर की आज्ञा मानना ज़रूरी क्यों हैं?

11 हम आज्ञा मानने के ज़रिए एक खरे इंसान बनते हैं। इसलिए खराई बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि हम धीरज धरते हुए परमेश्‍वर की आज्ञा मानते रहें। जब हम किसी एक मामले में परमेश्‍वर का कहा मानते हैं, तो हमें यह अपने आपमें कोई बड़ी बात न लगे। मगर समय के गुज़रते, जब हम एक-एक करके ज़िंदगी के हर छोटे-बड़े मामले में परमेश्‍वर की आज्ञा मानते हैं, तो हम खराई का एक बढ़िया रिकॉर्ड कायम करते हैं। इसे समझने के लिए एक उदाहरण लीजिए। एक ईंट हमें अपने आपमें बहुत मामूली जान पड़े। लेकिन अगर हम तरतीब से ईंट पर ईंट रखें, तो एक सुंदर घर तैयार कर सकते हैं। तो हम देखते हैं कि ज़िंदगी के हर कदम पर परमेश्‍वर की आज्ञा मानने के ज़रिए हम अपनी खराई बनाए रखते हैं।—लूका 16:10.

12. बदसलूकी और नाइंसाफी के बावजूद दाऊद ने कैसे खराई की एक मिसाल रखी?

12 हम खासकर तब अपनी खराई का सबूत देते हैं, जब हम बदसलूकी, नाइंसाफी और मुश्‍किलों के बावजूद धीरज धरते हैं। ज़रा दाऊद के उदाहरण पर गौर कीजिए। जब वह जवान था तो उसे एक ऐसे राजा के हाथों तकलीफें सहनी पड़ीं, जिसे यहोवा ने अधिकार के पद पर ठहराया था। वह राजा था शाऊल। हालाँकि शाऊल ने परमेश्‍वर का अनुग्रह खो दिया था, फिर भी वह कुछ वक्‍त के लिए राजा बना रहा। वह परमेश्‍वर के चहेते दाऊद से जलने लगा था। वह अपनी फौज लेकर दाऊद के पीछे पड़ गया और उसका जीना मुश्‍किल कर दिया। यहोवा ने कुछ सालों तक दाऊद के साथ ऐसी नाइंसाफी होने दी। तो क्या इससे दाऊद के मन में परमेश्‍वर के लिए कड़वाहट भर गयी? क्या वह यह सोचने लगा कि उसके धीरज धरने का कोई फायदा नहीं? जी नहीं। ऐसे हालात में भी दाऊद ने शाऊल का आदर किया। उसे पता था कि शाऊल परमेश्‍वर का अभिषिक्‍त है। इसलिए शाऊल से बदला लेने का मौका मिलने पर भी उसने उसे बख्श दिया।—1 शमू. 24:2-7.

13. अगर हमें कोई निराश कर दे या ठेस पहुँचाए, तो हम अपनी खराई बरकरार रखने के लिए क्या कर सकते हैं?

13 दाऊद के उदाहरण से हमें क्या ही बढ़िया सबक मिलता है! आज हम दुनिया-भर में फैली एक कलीसिया का हिस्सा हैं, जिसमें सभी लोग असिद्ध हैं। इसलिए हो सकता है कि एक मसीही हमारे साथ बुरा सलूक करे या सच्चाई छोड़ दे। लेकिन हम इस बात का यकीन रख सकते हैं कि यहोवा के लोग एक समूह के तौर पर कभी भी भ्रष्ट नहीं होंगे। (यशा. 54:17) लेकिन अगर एक भाई या बहन हमें निराश कर दे या हमारी भावनाओं को ठेस पहुँचाए, तब हम क्या करेंगे? ऐसे में हमें अपने दिल में उसके लिए नाराज़गी नहीं पाल लेनी चाहिए, क्योंकि इससे हमारी खराई खतरे में पड़ सकती है। यह सही नहीं कि दूसरों के बुरे सलूक की वजह से हम परमेश्‍वर के लिए अपने दिल में कड़वाहट पैदा कर लें या सच्चाई के रास्ते पर चलना छोड़ दें। (भज. 119:165) परीक्षाओं के दौर में भी धीरज धरने से हमें खराई बनाए रखने में मदद मिलेगी।

14. जब संगठन के काम करने के तरीके में कोई फेरबदल होता है या बाइबल की किसी शिक्षा की नयी समझ दी जाती है, तो खराई रखनेवाले कैसा रवैया दिखाते हैं?

14 खराई बरकरार रखने के लिए यह भी ज़रूरी है कि हम दूसरों में बुराई ढूँढ़ने या उनकी नुक्‍ताचीनी करने से दूर रहें। बेशक ऐसा करके हम यहोवा के लिए अपनी वफादारी दिखा रहे होंगे। यहोवा आज पहले से कहीं ज़्यादा अपने लोगों को आशीष दे रहा है। पूरे इतिहास में पहले कभी-भी शुद्ध उपासना को इस तरह बुलंद नहीं किया गया। (यशा. 2:2-4) जब बाइबल की शिक्षाओं के बारे में कोई नयी समझ दी जाती है या संगठन के काम करने के तरीके में तबदीलियाँ की जाती हैं, तो हम उन्हें कबूल करते हैं। हमें यह देखकर बड़ी खुशी होती है कि दिन-ब-दिन आध्यात्मिक रोशनी बढ़ती जा रही है। (नीति. 4:18) अगर हम किए गए फेरबदल को समझना मुश्‍किल पाते हैं, तो हमें इस बारे में यहोवा से प्रार्थना में मदद माँगनी चाहिए। साथ ही, हमें धीरज धरते हुए उसकी सेवा में लगे रहना चाहिए। इस तरह हम अपनी खराई बरकारार रख पाएँगे।

तब क्या जब एक व्यक्‍ति खराई बनाए नहीं रखता?

15. कौन आपको खराई की राह से हटा सकता है?

15 यह वाकई सोचनेवाली बात है। जैसा कि हमने पिछले लेख में देखा, खराई एक बेहद ज़रूरी गुण है। इसके बिना न तो हम परमेश्‍वर के साथ कोई रिश्‍ता कायम कर सकते हैं और ना ही भविष्य के लिए कोई आशा रख सकते हैं। यह बात कभी मत भूलिए: पूरे जहाँ में सिर्फ एक ही शख्स है, जो आपको खराई की राह से हटा सकता है। और वह हैं, खुद आप। अय्यूब इस सच्चाई को बखूबी जानता था। उसने कहा: “जब तक मेरा प्राण न छूटे तब तक मैं अपनी खराई से न हटूंगा।” (अय्यू. 27:5) अगर आप भी ऐसा ही अटल फैसला करें और हमेशा यहोवा के करीब रहें, तो आप अपनी खराई हमेशा बनाए रख पाएँगे।—याकू. 4:8.

16, 17. अगर एक इंसान गंभीर पाप करने की आदत बना लेता है, तो उसे क्या नहीं करना चाहिए? और क्या करना चाहिए?

16 इसके बावजूद, कुछ लोग अपनी खराई बनाए रखने में नाकाम हुए हैं। ऐसा प्रेरितों के ज़माने में हुआ था। कुछ लोगों ने गंभीर पाप करने की आदत बना ली थी। अगर पाप करना आपकी भी आदत बन चुकी है, तो क्या इसका मतलब यह है कि आपके लिए कोई रास्ता नहीं बचा? ऐसी बात नहीं। तो फिर क्या किया जा सकता है? आइए सबसे पहले देखें कि आपको क्या नहीं करना चाहिए। अपने गलत कामों को माँ-बाप, संगी मसीहियों या प्राचीनों से छिपाना इंसानी फितरत है। लेकिन बाइबल हमें याद दिलाती है: “जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सुफल नहीं होता, परन्तु जो उनको मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जायेगी।” (नीति. 28:13) जो अपने पापों को छिपाने की कोशिश करते हैं, वे एक बड़ी गलती करते हैं। वे भूल जाते हैं कि परमेश्‍वर से कोई बात छिपी नहीं रहती। (इब्रानियों 4:13 पढ़िए।) कुछ लोग शायद दोहरी ज़िंदगी जीएँ। वे एक तरफ तो यहोवा की सेवा करने का दिखावा करें और दूसरी तरफ अपने पापों में लगे रहें। ऐसी ज़िंदगी जीनेवाले अपनी खराई पर बने नहीं रहते। यहोवा ऐसे इंसानों की उपासना कबूल नहीं करता, जो चोरी-छिपे गंभीर पाप करने में लगे रहते हैं। इतना ही नहीं, वह ऐसे कपटियों से सख्त नफरत करता है।—नीति. 21:27; यशा. 1:11-16.

17 बाइबल इस बारे में साफ हिदायत देती है कि अगर एक मसीही गंभीर पाप में पड़ जाए, तो उसे क्या करना चाहिए। उसे मसीही प्राचीनों की मदद लेनी चाहिए। यहोवा ने आध्यात्मिक रूप से बीमार लोगों की मदद करने कि लिए यही इंतज़ाम किया है। (याकूब 5:14 पढ़िए।) अगर आप दोबारा आध्यात्मिक तौर पर सेहतमंद होना चाहते हैं, तो प्राचीनों से मिलनेवाले अनुशासन या ताड़ना के डर से उनकी मदद लेने से मत हिचकिचाइए। क्या एक समझदार इंसान, इंजेक्शन या ऑपरेशन के डर से अपनी किसी जानलेवा बीमारी का इलाज नहीं करवाएगा?—इब्रा. 12:11.

18, 19. (क) दाऊद का उदाहरण कैसे दिखाता है कि दोबारा खराई पाना मुमकिन है? (ख) अपनी खराई के बारे में आपने क्या संकल्प किया है?

18 क्या एक व्यक्‍ति दोबारा आध्यात्मिक तौर पर पूरी तरह तंदुरुस्त हो सकता है? क्या वह अपनी खराई दोबारा पा सकता है? एक बार फिर दाऊद के उदाहरण पर गौर कीजिए। उसने गंभीर पाप किया था। उसने दूसरे की पत्नी को बुरी नज़र से देखा, उसके साथ व्यभिचार किया और उसके बेगुनाह पति को मरवा डाला। क्या ज़िंदगी के इस मुकाम पर कोई दाऊद को खरा इंसान मान सकता था? हरगिज़ नहीं। लेकिन क्या इसका मतलब यह था कि उसके लिए कोई उम्मीद नहीं थी? बेशक दाऊद को कड़ी ताड़ना की ज़रूरत थी और उसे यह मिली भी। लेकिन जब उसने सच्चा पश्‍चाताप दिखाया, तो यहोवा ने उस पर रहम करके उसे माफ किया। उसने ताड़ना से सबक सीखा। उसने धीरज धरते हुए परमेश्‍वर की आज्ञा मानी और अपनी खराई फिर से पा ली। दाऊद नीतिवचन 24:16 में लिखी इस बात की जीती-जागती मिसाल है: “धर्मी चाहे सात बार गिरे तौभी उठ खड़ा होता है।” दाऊद के आज्ञा मानने का क्या नतीजा निकला? गौर कीजिए कि दाऊद के मरने के बाद यहोवा ने उसके बारे में सुलैमान से क्या कहा। (1 राजा 9:4 पढ़िए।) परमेश्‍वर ने दाऊद को एक खरे इंसान के तौर पर याद किया। तो इसमें कोई शक नहीं कि एक गुनहगार जब सच्चे दिल से पश्‍चाताप करता है, तो यहोवा उसके दामन पर लगे पाप के गहरे दाग भी मिटा देता है।—यशा. 1:18.

19 जी हाँ, प्यार भरे दिल से परमेश्‍वर की आज्ञा मानकर आप एक खरे इंसान बन सकते हैं। धीरज धरिए और अपनी खराई बनाए रखिए। अगर आप कोई गंभीर पाप कर बैठते हैं, तो सच्चे दिल से पश्‍चाताप कीजिए। हमारी खराई बेशकीमती है! इसलिए आइए हम सभी दाऊद की तरह यह अटल फैसला कर लें: “मैं तो खराई से चलता रहूंगा।”—भज. 26:11.

[फुटनोट]

^ 15 फरवरी, 2004 की प्रहरीदुर्ग का पेज 13, पैराग्राफ 15 देखिए।

आप क्या जवाब देंगे?

• आप कैसे एक खरे इंसान बन सकते हैं?

• आप किस तरह अपनी खराई बनाए रख सकते हैं?

• खराई को दोबारा पाना कैसे मुमकिन है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 8 पर बक्स]

“मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ!”

ये शब्द पाँच महीने की एक गर्भवती महिला ने एक ईमानदार अजनबी की तारीफ में कहे थे। यह महिला अपना पर्स एक कॉफी शॉप में भूल आयी थी। पर्स में करीब 80,000 रुपए थे। वह आम तौर पर इतना पैसा लेकर बाहर नहीं जाती थी। उस महिला को कई घंटों बाद जाकर याद आया कि वह अपना पर्स भूल आयी है। इस बारे में उसने शहर के अखबार को बताया कि “जैसे ही मुझे पर्स का खयाल आया, मेरी तो जान ही सूख गयी!” लेकिन एक अजनबी लड़की को उसका पर्स मिला और उसने तुरंत पर्स के मालिक को ढूँढ़ने की कोशिश की। जब उसकी कोशिशें नाकाम हो गयीं, तो वह पुलिस स्टेशन गयी। पुलिस ने उस गर्भवती महिला का पता लगाया। जब उस महिला को उसका पर्स लौटाया गया, तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। उसने कहा, “मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ कि मुझे मेरा पर्स मिल गया!” उस अजनबी लड़की ने पर्स लौटाने के लिए इतनी ज़हमत क्यों उठायी? अखबार बताता है कि वह लड़की यहोवा की एक साक्षी है और “उसने अपनी ईमानदारी और खराई का सारा श्रेय अपने धर्म को दिया, जिसमें उसकी परवरिश हुई।”

[पेज 9 पर तसवीर]

आज़माइशों के बावजूद जवान खराई बनाए रख सकते हैं

[पेज 10 पर तसवीर]

दाऊद कुछ समय के लिए अपनी खराई गँवा बैठा, लेकिन उसने उसे दोबारा पा लिया