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देखो! यहोवा का चुना हुआ दास

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देखो! यहोवा का चुना हुआ दास

“मेरे दास को देखो . . . जिस से मेरा जी प्रसन्‍न है।”—यशा. 42:1.

1. यीशु का स्मारक दिन जैसे-जैसे करीब आ रहा है, यहोवा के लोगों को क्या करने का बढ़ावा दिया जाता है और क्यों?

 यीशु की मौत की यादगार मनाने का वक्‍त करीब आ रहा है। ऐसे में, परमेश्‍वर के लोगों को बढ़ावा दिया जाता है कि वे प्रेरित पौलुस की इस सलाह को मानें कि “विश्‍वास के कर्त्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर ताकते रहें।” पौलुस ने आगे यह भी कहा: “उस पर ध्यान करो, जिस ने अपने विरोध में पापियों का इतना वाद-विवाद सह लिया, कि तुम निराश होकर हियाव न छोड़ दो।” (इब्रा. 12:2, 3) यीशु ने जिस तरह अपनी ज़िंदगी में आखिरी साँस तक वफादारी दिखायी, उस पर ध्यान देने से अभिषिक्‍त मसीहियों और अन्य भेड़ों को मदद मिलेगी कि वे वफादारी से यहोवा की सेवा में लगे रहें और कभी अपना ‘हियाव न छोड़ें।’—गलतियों 6:9 से तुलना कीजिए।

2. परमेश्‍वर के बेटे से ताल्लुक रखनेवाली यशायाह की भविष्यवाणियों से हम क्या सीखेंगे?

2 यशायाह नबी के ज़रिए यहोवा ने अपने बेटे से ताल्लुक रखनेवाली कई भविष्यवाणियाँ करवायीं। ये भविष्यवाणियाँ हमें “विश्‍वास के कर्त्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु [मसीह] की ओर ताकते” रहने में मदद करती हैं। * इसके अलावा, ये यीशु की शख्सियत पर रौशनी डालती हैं, साथ ही बताती हैं कि उसे कैसे-कैसे दुख झेलने पड़ेंगे और राजा और छुड़ानेवाले की हैसियत से उसे कैसे महान किया जाएगा। ये हमें स्मारक की अहमियत को और भी अच्छी तरह समझने में मदद देंगी, जो हम इस साल गुरुवार, 9 अप्रैल के दिन सूर्यास्त के बाद मनानेवाले हैं।

दास की पहचान

3, 4. (क) यशायाह की किताब में शब्द “दास” किसके लिए इस्तेमाल किया गया है? (ख) यशायाह के 42, 49, 50, 52 और 53 अध्यायों में जिस दास का ज़िक्र किया गया है, बाइबल उसकी पहचान कैसे कराती है?

3 यशायाह की किताब में शब्द “दास” कई बार आता है। कभी-कभार यह खुद यशायाह के लिए इस्तेमाल किया गया है। (यशा. 20:3; 44:26) कुछ जगहों पर पूरी इसराएल जाति या याकूब को दास कहा गया है। (यशा. 41:8, 9; 44:1, 2, 21) लेकिन यशायाह के 42, 49, 50, 52 और 53 अध्यायों में दी गयी खास भविष्यवाणियों में दास किसे कहा गया है? मसीही यूनानी शास्त्र साफ-साफ पहचान कराता है कि इन अध्यायों में बताया गया दास कौन है। प्रेरितों की किताब बताती है कि जब सुसमाचार के प्रचारक फिलिप्पुस को पवित्र शक्‍ति के निर्देशन में कूशी अधिकारी के पास भेजा गया, तब वह इन्हीं में से एक भविष्यवाणी पढ़ रहा था। यह भविष्यवाणी यशायाह 53:7, 8 में दर्ज़ है। इसे पढ़ने के बाद अधिकारी ने फिलिप्पुस से पूछा: “मैं तुझ से बिनती करता हूं, यह बता कि भविष्यद्वक्‍ता यह किस के विषय में कहता है, अपने या किसी दूसरे के विषय में।” और फिलिप्पुस ने बिना समय गँवाए उसे समझाया कि यशायाह, मसीहा यानी यीशु की बात कर रहा था।—प्रेरि. 8:26-35.

4 जब यीशु एक शिशु था, तब एक धर्मी इंसान शमौन ने पवित्र शक्‍ति से भरकर कहा कि “बालक यीशु” “अन्य जातियों को प्रकाश देने के लिये ज्योति” बनेगा, जैसा कि यशायाह 42:6 और 49:6 में भविष्यवाणी की गयी थी। (लूका 2:25-32) इसके अलावा, यशायाह 50:6-9 में यह भी बताया गया कि यीशु को गिरफ्तार करने के बाद उसे किस तरह ज़लील किया जाएगा। (मत्ती 26:67; लूका 22:63) ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त के बाद प्रेरित पतरस ने इस बात की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी कि यीशु ही यहोवा का वह “दास” है। (यशा. 52:13; 53:11;  प्रेरितों 3:13, 26 पढ़िए।) तो मसीहा के बारे में की गयी इन भविष्यवाणियों से हम क्या सीख सकते हैं?

यहोवा अपने दास को तालीम देता है

5. दास को किस तरह तालीम मिली?

5 परमेश्‍वर के दास के बारे में यशायाह की एक भविष्यवाणी में बताया गया है कि यीशु के धरती पर आने से पहले, यहोवा का अपने इस एकलौते बेटे के साथ कितना गहरा रिश्‍ता था। (यशायाह 50:4-9 पढ़िए।) दास खुद बताता है कि किस तरह यहोवा ने उसे लगातार तालीम दी। वह कहता है: “भोर को वह नित मुझे जगाता और मेरा कान खोलता है कि मैं शिष्य के समान सुनू।” (यशा. 50:4) उस समय के दौरान यहोवा के इस दास ने अपने पिता की सुनी और उससे बहुत कुछ सीखा और इस तरह वह एक आज्ञाकारी शिष्य बना। ज़रा सोचिए दुनिया के बनानेवाले से तालीम हासिल करना कितने फख्र की बात है!

6. दास ने कैसे दिखाया कि वह अपने पिता के पूरी तरह अधीन था?

6 इस भविष्यवाणी में दास अपने पिता को “प्रभु” कहकर पुकारता है। यह दिखाता है कि दास ने इस अहम सच्चाई को समझा कि इस दुनिया का मालिक यहोवा है। वह अपने पिता के पूरी तरह अधीन था, जैसा कि इन शब्दों से ज़ाहिर होता है: “प्रभु यहोवा ने मेरा कान खोला है, और मैं ने विरोध न किया, न पीछे हटा।” (यशा. 50:5) वह इस विश्‍व और इंसान की सृष्टि करते वक्‍त एक कुशल ‘कारीगर की तरह यहोवा के पास था।’ वह ‘प्रति दिन यहोवा की प्रसन्‍नता था, और हर समय उसके साम्हने आनन्दित रहता था।’ परमेश्‍वर का बेटा ‘उसकी बसाई हुई पृथ्वी से प्रसन्‍न था और उसका सुख मनुष्यों की संगति से होता था।’—नीति. 8:22-31.

7. क्या बात दिखाती है कि परीक्षाओं के दौरान दास को पूरा यकीन था कि उसका पिता उसके साथ है?

7 दास को बढ़िया तालीम मिली थी और उसे इंसानों से बेहद प्यार था। इस वजह से, धरती पर आने के बाद वह कड़े-से-कड़ा विरोध सहने के लिए पूरी तरह तैयार था। सबसे कठिन परीक्षा के दौरान भी उसने पिता की इच्छा पूरी करने में सुख पाया। (भज. 40:8; मत्ती 26:42; यूह. 6:38) परीक्षाओं से गुज़रते वक्‍त यीशु को पूरा यकीन था कि यहोवा हरदम उसके साथ है और उस पर उसकी मंज़ूरी है। जैसा कि यशायाह ने भविष्यवाणी की, यीशु यह कहा सका: “जो मुझे धर्मी ठहराता है वह मेरे निकट है। मेरे साथ कौन मुक़द्दमा करेगा? . . . सुनो, प्रभु यहोवा मेरी सहायता करता है।” (यशा. 50:8, 9) यशायाह की एक और भविष्यवाणी बताती है कि धरती पर सेवा करते वक्‍त इस वफादार दास की यहोवा ने वाकई मदद की।

धरती पर दास की सेवा

8. क्या बात साबित करती है कि यशायाह 42:1 में बताया यहोवा का ‘चुना हुआ’ दास, यीशु है?

8 बाइबल बताती है कि ईसवी सन्‌ 29 में यीशु के बपतिस्मे पर क्या हुआ। यह कहती है: “पवित्र आत्मा . . . उस पर उतरा, और यह आकाशवाणी हुई, कि तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से प्रसन्‍न हूं।” (लूका 3:21, 22) इस तरह यहोवा ने अपने “चुने हुए” दास की साफ पहचान करायी, जिसके बारे में यशायाह में भविष्यवाणी की गयी थी। (यशायाह 42:1-7 पढ़िए।) अपनी सेवा के दौरान यीशु ने इस भविष्यवाणी को बहुत शानदार तरीके से पूरा किया। मत्ती ने अपनी सुसमाचार की किताब में यशायाह 42:1-4 के शब्दों का हवाला दिया और बताया कि वे बातें दरअसल यीशु के बारे में थीं।—मत्ती 12:15-21.

9, 10. (क) यीशु ने किस तरह अपनी सेवा के दौरान यशायाह 42:3 की भविष्यवाणी पूरी की? (ख) मसीह ने धरती पर किस तरह ‘न्याय चुकाया’ और कब वह ‘पृथ्वी पर न्याय स्थिर करेगा’?

9 यहूदी धर्मगुरु अपनी जाति के आम लोगों को तुच्छ समझते थे। (यूह. 7:47-49) वे उनके साथ बड़ा बुरा सलूक करते थे और उनकी दशा “कुचले हुए नरकट” और “टिमटिमाती बत्ती” की तरह थी, जो बस पल भर में बुझ जाती है। मगर यीशु ने दीन-दुखियों और गरीबों पर करुणा दिखायी। (मत्ती 9:35, 36) उसने ऐसे लोगों को प्यार-भरा न्यौता दिया: “हे सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।” (मत्ती 11:28) इसके अलावा यीशु ने यहोवा के सही-गलत के स्तर सिखाकर लोगों का ‘सच्चाई से न्याय चुकाया।’ (यशा. 42:3) उसने सिखाया कि दूसरों के हालात को ध्यान में रखकर दया और समझदारी से परमेश्‍वर के कानूनों को लागू करना ज़रूरी है। (मत्ती 23:23) यही नहीं, यीशु ने बिना भेद-भाव के अमीर और गरीब सबको प्रचार करने के ज़रिए सच्चा न्याय दिखाया।—मत्ती 11:5; लूका 18:18-23.

10 यशायाह की भविष्यवाणी यह भी बताती है कि यहोवा का ‘चुना हुआ’ पूरी ‘पृथ्वी पर न्याय स्थिर करेगा।’ (यशा. 42:4) वह जल्द ही मसीहाई राज्य के राजा के तौर पर ऐसा करेगा। वह दुनिया की सारी सरकारों को खत्म करके अपना धर्मी शासन कायम करेगा। इस तरह वह एक नयी दुनिया की शुरुआत करेगा, जहाँ “धार्मिकता बास करेगी।”—2 पत. 3:13; दानि. 2:44.

“प्रकाश” और “वाचा”

11. पहली सदी में यीशु किस मायने में “[अन्य] जातियों के लिये प्रकाश” था और आज कैसे है?

11 यशायाह 42:6 की भविष्यवाणी के मुताबिक यीशु “[अन्य] जातियों के लिये प्रकाश” ठहरा। हालाँकि धरती पर अपनी सेवा के दौरान उसने खासकर यहूदियों को आध्यात्मिक प्रकाश दिया, लेकिन यीशु ने यह भी कहा कि ‘मैं जगत की ज्योति हूं।’ (मत्ती 15:24; प्रेरि. 3:26; यूह. 8:12) जी हाँ, वह न सिर्फ यहूदियों के लिए बल्कि दूसरी जातियों के लिए भी ज्योति बना। उसने आध्यात्मिक समझ दी और इंसानों के लिए छुड़ौती के तौर अपना सिद्ध जीवन कुरबान कर दिया। (मत्ती 20:28) पुनरुत्थान के बाद, उसने अपने चेलों को आज्ञा दी कि वे “पृथ्वी की छोर तक” गवाही दें। (प्रेरि. 1:8) पौलुस और बरनबास ने “अन्यजातियों के लिये ज्योति” की भविष्यवाणी का ज़िक्र किया और उसे गैर-यहूदियों में अपने प्रचार काम पर लागू किया। (प्रेरि. 13:46-48; यशायाह 49:6 से तुलना कीजिए।) यीशु के अभिषिक्‍त भाई और उनके साथी आज भी आध्यात्मिक रौशनी फैलाने का काम कर रहे हैं और लोगों को “[अन्य] जातियों के लिये प्रकाश” यानी यीशु पर विश्‍वास करने में मदद दे रहे हैं।

12. यहोवा ने किस तरह अपने सेवक को “प्रजा के लिये वाचा” के तौर पर दिया?

12 उसी भविष्यवाणी में यहोवा ने अपने चुने हुए दास से कहा: ‘मैं तेरी रक्षा करूंगा; मैं तुझे प्रजा के लिये वाचा ठहराऊंगा।’ (यशा. 42:6) शैतान ने यीशु की सेवा को रोकने और उसे मार डालने की लगातार कोशिश की। लेकिन जब तक यीशु की मौत का नियत समय नहीं आया, यहोवा उसकी हिफाज़त करता रहा। (मत्ती 2:13; यूह. 7:30) यीशु की मौत के बाद यहोवा ने उसे दोबारा ज़िंदा किया और उसे इंसानों के लिए एक “वाचा” या ज़मानत के तौर पर दिया। इस वाचा से लोगों को यह आश्‍वासन मिला कि परमेश्‍वर का यह वफादार दास “[अन्य] जातियों के लिये प्रकाश” के तौर पर उन्हें आध्यात्मिक अंधकार से बाहर निकालने का काम करता रहेगा।—यशायाह 49:8, 9 पढ़िए। *

13. धरती पर अपनी सेवा के दौरान यीशु ने “अन्धियारे में बैठे” लोगों को कैसे छुटकारा दिलाया और आज भी कैसे दिला रहा है?

13 वाचा के मुताबिक यहोवा का चुना हुआ दास “अन्धों की आंखें” खोलता, “बंधुओं को बन्दीगृह से” और “जो अन्धियारे में बैठे हैं उनको कालकोठरी से” निकालता। (यशा. 42:6, 7) धरती पर अपनी सेवा के दौरान यीशु ने झूठे धार्मिक रिवाज़ों का परदाफाश किया और राज्य की खुशखबरी का प्रचार किया। (मत्ती 15:3; लूका 8:1) इस तरह उसने यहूदियों को आध्यात्मिक अंधकार से छुटकारा दिलाया और आगे चलकर वे उसके चेले बने। (यूह. 8:31, 32) उसी तरह यीशु ने लाखों गैर-यहूदियों को झूठे धर्म से छुटकारा दिलाया। उसने अपने चेलों को आज्ञा दी, “तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ” और वादा किया कि वह “जगत के अन्त तक” हमेशा उनके साथ रहेगा। (मत्ती 28:19, 20) आज यीशु स्वर्ग से पूरी दुनिया में होनेवाले प्रचार काम की निगरानी कर रहा है।

यहोवा ने अपने “दास” को महान किया

14, 15. यहोवा ने अपने दास को क्यों और कैसे महान किया?

14 अपने मसीहाई दास के बारे में एक और भविष्यवाणी में यहोवा कहता है: “देखो, मेरा दास बुद्धि से काम करेगा, वह ऊंचा, महान और अति महान हो जाएगा।” (यशा. 52:13) यहोवा ने उसे महान किया क्योंकि उसने कड़ी आज़माइशों में भी वफादारी दिखायी और उसकी हुकूमत के अधीन रहा।

15 यीशु के बारे में प्रेरित पतरस ने लिखा: “वह स्वर्ग पर जाकर परमेश्‍वर के दहिनी ओर बैठ गया; और स्वर्गदूत और अधिकारी और सामर्थी उसके आधीन किए गए हैं।” (1 पत. 3:22) उसी तरह प्रेरित पौलुस ने भी लिखा: “[उसने] मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। इस कारण परमेश्‍वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है। कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे हैं; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें। और परमेश्‍वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।”—फिलि 2:8-11.

16. सन्‌ 1914 में यीशु को कैसे “अति महान” किया गया और तब से उसने कौन-सा काम पूरा किया है?

16 सन्‌ 1914 में यहोवा ने यीशु को मसीहाई राज्य का राजा बनाकर उसे “अति महान” किया। (भज. 2:6; दानि. 7:13, 14) उसके बाद से यीशु ‘अपने शत्रुओं के बीच शासन कर’ रहा है। (भज. 110:2) सबसे पहले उसने शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों को स्वर्ग से खदेड़कर इस धरती पर फेंक दिया। (प्रका. 12:7-12) इसके बाद महान कुस्रू के तौर पर मसीहा ने अपने बचे हुए अभिषिक्‍त भाइयों को ‘बड़े बाबुल’ की बेड़ियों से आज़ादी दिलायी। (प्रका. 18:2; यशा. 44:28) आज वह पूरी दुनिया में हो रहे प्रचार काम की निगरानी कर रहा है। नतीजा यह हुआ कि अभिषिक्‍त भाइयों के “शेष” जनों यानी “छोटे झुण्ड” को, साथ ही उनके लाखों वफादार साथियों या ‘अन्य भेड़ों’ को इकट्ठा किया जा रहा है।—प्रका. 12:17; यूह. 10:16, NW; लूका 12:32.

17. अभी तक हमने यशायाह की भविष्यवाणी से “दास” के बारे में जो चर्चा की है, उससे क्या सीखा?

17 हमने अभी यशायाह की किताब से जिन शानदार भविष्यवाणियों की चर्चा की, उससे बेशक अपने राजा और छुड़ानेवाले यीशु मसीह के लिए हमारी कदरदानी बढ़ी है। धरती पर सेवा करते वक्‍त, यीशु जिस तरह अपने पिता यहोवा के अधीन रहा, उससे समझ में आता है कि स्वर्ग में उसने अपने पिता से बढ़िया तालीम पायी थी। उसने अपनी सेवा, साथ ही वह आज तक प्रचार काम की जिस तरह अगुवाई कर रहा है, उसके ज़रिए खुद को “[अन्य] जातियों के लिये प्रकाश” साबित किया है। अब हम अगले लेख में इस मसीहाई दास के बारे में एक और भविष्यवाणी पर चर्चा करेंगे। उसमें बताया गया है कि उसने किस तरह हमारी खातिर दुख झेले और अपनी ज़िंदगी दे दी। और जैसे-जैसे यीशु की मौत का यादगार दिन करीब आ रहा है, ज़रूरी है कि हम इन बातों पर “ध्यान” से या और गहराई से जाँच करें।—इब्रा. 12:2, 3.

[फुटनोट]

^ ये भविष्यवाणियाँ यशायाह 42:1-7; 49:1-12; 50:4-9 और 52:13–53:12 में दी गयी हैं।

^ यशायाह 49:1-12 में दी भविष्यवाणी के बारे में जानने के लिए यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग 2, पेज 136-145 देखिए।

दोहराने के लिए

• यशायाह की भविष्यवाणी में बताया गया “दास” कौन है और हम यह कैसे जानते हैं?

• दास को यहोवा से किस तरह तालीम मिली?

• यीशु किस तरह “[अन्य] जातियों के लिये प्रकाश” ठहरा?

• दास को किस तरह महान किया गया?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 21 पर तसवीर]

यशायाह में बताए गए “दास” की साफ-साफ पहचान कराते हुए फिलिप्पुस ने कहा कि यीशु ही मसीहा है

[पेज 23 पर तसवीर]

यहोवा के चुने हुए दास के तौर पर यीशु ने दीन-दुखियों और गरीबों पर करुणा दिखायी

[पेज 24 पर तसवीर]

यीशु को उसके पिता ने महान किया और उसे मसीहाई राज्य का राजा बनाया