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जो हो आपसी सहयोग, तो करे परिवार आध्यात्मिक तरक्की

जो हो आपसी सहयोग, तो करे परिवार आध्यात्मिक तरक्की

जो हो आपसी सहयोग, तो करे परिवार आध्यात्मिक तरक्की

आपसी सहयोग की भावना होना बेहद ज़रूरी है। अगर एक मसीही चाहता है कि उसका परिवार यहोवा से प्यार करे और सच्ची उपासना में लगा रहे, तो सभी सदस्यों को आपस में सहयोग करना चाहिए। यही बात यहोवा ने भी ज़ाहिर की जब उसने पहले इंसानी जोड़े को बनाया। उसने हव्वा को आदम के लिए “एक उपयुक्‍त सहायक” बनाया। (उत्प. 2:18, NHT) शादी का बंधन एक ऐसी साझेदारी है, जिसमें पति-पत्नी मिल-जुलकर काम करते हैं। (सभो. 4:9-12) इसके अलावा, परिवार में माता-पिता और बच्चों को अपनी-अपनी भूमिका निभाने में भी सहयोग की ज़रूरत होती है।

परिवार का साथ मिलकर उपासना करना

हाइडी और बैरी पाँच बच्चों के माता-पिता हैं। उन्होंने पाया कि पारिवारिक बाइबल अध्ययन करने में जब सभी सदस्य सहयोग देते हैं, तो हरेक को आध्यात्मिक तरक्की करने में मदद मिलती है। बैरी बताता है: “पारिवारिक अध्ययन के लिए मैं बच्चों को समय-समय पर छोटे-छोटे काम देता हूँ। जैसे, मैं उनसे कहता हूँ कि वे पहले से सजग होइए! का एक लेख पढ़कर रखें और अध्ययन के दौरान बताएँ कि उन्होंने उस लेख से क्या सीखा। इसके अलावा हम प्रचार में क्या कहेंगे, इसकी भी रिहर्सल करते हैं। इससे हर बच्चा प्रचार में पेशकश देने के लिए पहले से तैयार रहता है।” हाइडी कहती है: “हम सब अपने-अपने आध्यात्मिक लक्ष्यों की लिस्ट बनाते हैं और समय-समय पर पारिवारिक अध्ययन के दौरान उस पर चर्चा करते हैं। इससे हम खुद देख पाते हैं कि हम कितनी तरक्की कर रहे हैं।” इस जोड़े का यह भी कहना है कि अगर हम तय करते हैं कि फलाँ शाम हम टी.वी नहीं देखेंगे, तो सबको बाइबल साहित्य पढ़ने का अच्छा मौका मिलता है।

मंडली की सभाएँ

माइक और डनीज़ ने चार बच्चों को पाल पोसकर बड़ा किया। आपसी सहयोग से उनके परिवार को कैसे फायदा हुआ? माइक कहता है: “कभी-कभी ऐसा होता था कि हम सभाओं में समय पर पहुँचने की पूरी तैयारी करते थे, लेकिन ऐन वक्‍त पर हमारी सारी योजनाओं पर पानी फिर जाता था। मगर हमने देखा कि जब परिवार के सभी लोग आपस में सहयोग करते हैं तो हम समय पर पहुँच पाते हैं।” डनीज़ बताती है: “जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते गए हम उन्हें घर के छोटे-मोटे काम सौंपने लगे। हमारी बेटी किम खाना पकाने और खाना लगाने में मेरा हाथ बँटाती थी।” उनका बेटा माइकल याद करता है: “मंगलवार शाम को हमारे घर पर मंडली की सभा होती थी। इसलिए हम घर साफ करते और कुर्सियाँ सजाते थे।” दूसरा बेटा मैथ्यू कहता है: “सभावाले दिन पापा काम से जल्दी घर आ जाते थे और तैयार होने में हमारी मदद करते थे।” इसके क्या नतीजे निकले?

मेहनत रंग लाती है

माइक कहता है: “हमारे परिवार को कई आशीषें मिलीं। मैंने और डनीज़ ने 1987 में पायनियर सेवा शुरू की। उस समय, हमारे तीन बच्चे हमारे साथ रहते थे। हमारे दो बच्चे हमारी तरह पायनियर बन गए और बाकी दो बेटों ने बेथेल निर्माण-काम में हाथ बँटाया। हमारे परिवार को एक और आशीष यह मिली कि हम 40 लोगों को समर्पण करने और बपतिस्मा लेने में मदद दे पाए हैं। इसके अलावा, हमें अपने परिवार के साथ देश-विदेश में निर्माण काम में हिस्सा लेने का सुअवसर मिला है।”

जी हाँ, परिवार में एक-दूसरे को सहयोग देने में हमारी मेहनत रंग लाती है। आप और किन-किन तरीकों से अपने परिवार को सहयोग दे सकते हैं? यकीन रखिए कि सहयोग की भावना होने से आप अपने परिवार के साथ परमेश्‍वर की सेवा में लगातार बढ़ते जाएँगे।

[पेज 28 पर तसवीर]

रिहर्सल करने से हम अच्छी तरह प्रचार कर पाएँगे