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आपके छुटकारे के लिए यहोवा ने जो किया, क्या आप उसकी कदर करते हैं?

आपके छुटकारे के लिए यहोवा ने जो किया, क्या आप उसकी कदर करते हैं?

आपके छुटकारे के लिए यहोवा ने जो किया, क्या आप उसकी कदर करते हैं?

“इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा की जयजयकार हो, क्योंकि उसने अपने लोगों पर ध्यान दिया है और उन्हें छुटकारा दिलाया है।”—लूका 1:68.

1, 2. हम जिस गंभीर हालत में हैं, उसकी किससे तुलना की जा सकती है? हम किन सवालों पर गौर करेंगे?

 मान लीजिए, आपको एक जानलेवा बीमारी है जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं है। आप अस्पताल में भरती हैं और आपके वार्ड में जितने मरीज़ हैं, सबको वही बीमारी है। फिर आपको पता चलता है कि एक डॉक्टर उस बीमारी का इलाज ढूँढ़ने में लगा हुआ है। इससे आप उम्मीदें बाँधने लगते हैं कि शायद कोई इलाज मिल जाए। आप डॉक्टर की खोजबीन के बारे में हर बात जानने के लिए बेताब रहते हैं। आखिरकार एक दिन आपको पता चलता है कि आपकी बीमारी का इलाज मिल गया है! जिस डॉक्टर ने इलाज ढूँढ़ निकाला, उसने इसके लिए बहुत बड़े-बड़े त्याग किए। आप कैसा महसूस करेंगे? आपके दिल में उस डॉक्टर के लिए इज़्ज़त और बढ़ जाएगी और आप उसका एहसान कभी नहीं भूलेंगे। आखिर उसने आपको और आप जैसे कइयों को मौत के मुँह से बचाने का रास्ता जो निकाला!

2 आप शायद सोचें, यह तो सिर्फ कहने की बातें हैं, ऐसा असल ज़िंदगी में कहाँ होता है? लेकिन सच तो यह है कि हम सब ऐसे ही हालात में हैं। देखा जाए तो हमारी हालत बीमार लोगों से कहीं ज़्यादा गंभीर है और हमें छुटकारे की सख्त ज़रूरत है। (रोमियों 7:24 पढ़िए।) हमें छुटकारा दिलाने के लिए यहोवा ने कोई कसर नहीं उठा रखी। उसके बेटे ने भी कई बड़े-बड़े त्याग किए। आइए हम इस सिलसिले में चार सवालों पर गौर करें। हमें छुटकारे की क्यों ज़रूरत है? छुटकारे के लिए यीशु को क्या करना पड़ा? यहोवा को क्या कीमत चुकानी पड़ी? और हम कैसे दिखा सकते हैं कि परमेश्‍वर की तरफ से मिलनेवाले छुटकारे की हम कदर करते हैं?

हमें छुटकारे की क्यों ज़रूरत है?

3. पाप कैसे एक महामारी की तरह है?

3 हाल ही में लिए गए एक सर्वे से पता चला है कि इंसानी इतिहास की सबसे भयानक महामारी 1918 में फैली स्पैनिश फ्लू थी। इसने करोड़ों लोगों की जानें लीं। दूसरी कई बीमारियाँ एक मायने में इस महामारी से ज़्यादा खतरनाक होती हैं। ये बीमारियाँ कम लोगों में फैलती हैं, लेकिन उनमें मौत की दर ज़्यादा होती है। * पाप भी एक ऐसी महामारी की तरह है। ध्यान दीजिए रोमियों 5:12 क्या कहता है, “एक आदमी से पाप दुनिया में आया और पाप से मौत आयी, और इस तरह मौत सब इंसानों में फैल गयी क्योंकि सबने पाप किया।” पाप का असर हरेक पर होता है और इसलिए सभी असिद्ध इंसान पाप करते हैं। (रोमियों 3:23 पढ़िए।) कितने लोग पाप से मरते हैं? पौलुस कहता है, ‘सब इंसान।’

4. हमारी ज़िंदगी के बारे में यहोवा का नज़रिया क्या है? उसका नज़रिया आज के बहुत-से लोगों के नज़रिए से किस तरह अलग है?

4 लेकिन आज बहुत-से लोगों को नहीं लगता कि पाप और मौत एक भयानक महामारी की तरह हैं। वे बेवक्‍त मौत मरने से तो डरते हैं, लेकिन उस मौत को “आम बात” समझते हैं जो बुढ़ापे के साथ इंसानों पर आती है। ऐसे में हम ज़िंदगी के बारे में सिरजनहार का नज़रिया आसानी से भूल सकते हैं। उसने हमारे लिए जितनी लंबी उम्र चाही थी, हम उससे बहुत कम जीते हैं। दरअसल उसकी नज़र में आज तक कोई भी इंसान “एक दिन” भी नहीं जीया है। (2 पत. 3:8) परमेश्‍वर का वचन कहता है कि हमारी ज़िंदगी घास या श्‍वास की तरह पल-दो-पल की है। (भज. 144:4; 1 पत. 1:24) हमें परमेश्‍वर का नज़रिया कभी नहीं भूलना चाहिए। क्यों? क्योंकि अगर हम यह समझें कि हम कितनी गंभीर “बीमारी” की गिरफ्त में हैं, तो हम इसके “इलाज” की और भी कदर कर पाएँगे। वह इलाज है, हमारा छुटकारा।

5. पाप की वजह से हमने क्या चीज़ कभी नहीं पायी?

5 अगर हम समझना चाहते हैं कि पाप ने हमें कितना भारी नुकसान पहुँचाया है, तो पहले हमें जानना होगा कि पाप ने हमसे क्या छीना है। यह समझना शुरू-शुरू में हमें शायद मुश्‍किल लगे, क्योंकि पाप की वजह से हमने वह चीज़ कभी पायी ही नहीं जो हमारे पहले माता-पिता आदम और हव्वा के पास थी—सिद्ध ज़िंदगी। तन और मन से उनमें कोई खोट नहीं था, इसलिए वे चाहते तो अपनी सोच, भावनाओं और कामों पर पूरा काबू रख सकते थे। इस तरह वे यहोवा के सेवक के नाते अपने अंदर बेहतरीन गुण बढ़ा सकते थे। मगर उन्होंने वह नायाब तोहफा ठुकरा दिया और यहोवा के खिलाफ पाप किया। नतीजा, उन्होंने खुद के लिए और अपनी संतानों के लिए वैसी ज़िंदगी खो दी, जैसी यहोवा ने चाही थी। (उत्प. 3:16-19) इसके साथ ही, वे खुद पर और हम पर एक भयानक “बीमारी” ले आए, जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं। इसलिए यहोवा का उन्हें सज़ा देना वाजिब था। लेकिन उसने हमें आशा दी है कि वह हमें इस बीमारी से छुटकारा दिलाएगा।—भज. 103:10.

हमारे छुटकारे के लिए यीशु को क्या करना पड़ा?

6, 7. (क) यहोवा ने कैसे ज़ाहिर किया कि हमारे छुटकारे के लिए उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी? (ख) हाबिल और कुलपिताओं ने जो बलिदान चढ़ाए उनसे क्या पता चलता है?

6 यहोवा जानता था कि आदम और हव्वा की संतानों को छुटकारा दिलाने के लिए उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। उत्पत्ति 3:15 में दर्ज़ भविष्यवाणी से हमें इस कीमत के बारे में थोड़ा-बहुत पता चलता है। इसके मुताबिक यहोवा एक “वंश” यानी छुड़ानेवाले को भेजेगा, जो एक दिन शैतान का नामो-निशान मिटा देगा। लेकिन इससे पहले उसे दुख उठाना पड़ेगा और लाक्षणिक मायने में उसकी एड़ी को डसा जाएगा। हम जानते हैं कि एड़ी पर चोट लगने से एक व्यक्‍ति को बहुत दर्द होता है और वह कुछ वक्‍त के लिए ठीक से चल-फिर नहीं पाता। लेकिन इस भविष्यवाणी में एड़ी को डसने का क्या मतलब है? यहोवा के इस चुने हुए जन को ठीक किन-किन दुखों का सामना करना पड़ता?

7 मानवजाति को पाप से छुटकारा दिलाने के लिए छुड़ानेवाले को प्रायश्‍चित का रास्ता खोलना था जिससे यहोवा के साथ इंसानों की सुलह हो सके। यह रास्ता कैसे खोला गया? शुरू से ही इस बात का इशारा मिला कि इसके लिए एक बलिदान की ज़रूरत थी। जब पहले वफादार इंसान हाबिल ने यहोवा के लिए जानवरों की बलि चढ़ायी, तो उसे परमेश्‍वर की मंज़ूरी मिली। आगे चलकर नूह, अब्राहम, याकूब और अय्यूब जैसे परमेश्‍वर का डर माननेवाले कुलपिताओं ने भी बलिदान चढ़ाकर उसे खुश किया। (उत्प. 4:4; 8:20, 21; 22:13; 31:54; अय्यू. 1:5) फिर जब मूसा का कानून आया, तब उसमें बलिदान के बारे में और भी खुलकर बताया गया।

8. हर साल प्रायश्‍चित दिन को महायाजक क्या करता था?

8 कानून के मुताबिक वे बलिदान सबसे खास होते थे जो साल में एक बार, प्रायश्‍चित दिन को चढ़ाए जाते थे। गौर कीजिए उस दिन महायाजक क्या-क्या करता था। वह पहले याजकवर्ग के पापों के लिए, फिर इसराएल के बाकी गोत्रों के पापों के लिए यहोवा को बलिदान चढ़ाता था। महायाजक निवास-स्थान या मंदिर के परम-पवित्र भाग में दाखिल होता था, जहाँ सिर्फ वह जा सकता है और वह भी साल में एक बार। वहाँ वह करार के संदूक के आगे बलिदान किए जानवरों का लहू छिड़कता था। उस पवित्र संदूक के ऊपर कभी-कभी एक तेज़ बादल चमकता दिखायी देता था, जो यहोवा की मौजूदगी की निशानी था।—निर्ग. 25:22; लैव्य. 16:1-30.

9. (क) प्रायश्‍चित दिन को महायाजक किसे दर्शाता था? और जानवरों के बलिदान किस बात की निशानी थे? (ख) महायाजक का परम-पवित्र में दाखिल होना किस बात को दर्शाता था?

9 परमेश्‍वर की प्रेरणा से प्रेषित पौलुस ने खुलासा किया कि महायाजक के इन कामों का क्या मतलब था। उसने बताया कि महायाजक, मसीहा यानी यीशु मसीह को दर्शाता है। जबकि जानवरों की बलि चढ़ाना, मसीह की कुरबानी की निशानी था। (इब्रा. 9:11-14) यीशु के सिद्ध बलिदान के ज़रिए दो समूह के लोगों के लिए सच्चा प्रायश्‍चित मुमकिन हुआ। यानी 1,44,000 अभिषिक्‍त भाइयों से मिलकर बने याजकवर्ग के लिए और ‘दूसरी भेड़ों’ के लिए। (यूह. 10:16) महायाजक का परम-पवित्र में दाखिल होना इस बात को दर्शाता था कि कैसे यीशु स्वर्ग में दाखिल होकर अपने सिद्ध जीवन का हक फिरौती के तौर पर यहोवा परमेश्‍वर को देगा।—इब्रा. 9:24, 25.

10. बाइबल की भविष्यवाणियों के मुताबिक मसीहा के साथ क्या-क्या होता?

10 ज़ाहिर है कि आदम और हव्वा की संतानों के छुटकारे के लिए मसीहा को बहुत बड़ा त्याग करना पड़ता। उसे अपनी ज़िंदगी कुरबान करनी पड़ती! इस बारे में भविष्यवक्‍ताओं ने इब्रानी शास्त्र में काफी कुछ जानकारी दी। मसलन, भविष्यवक्‍ता दानिय्येल ने साफ-साफ बताया कि “अधर्म का प्रायश्‍चित” करने के लिए “अभिषिक्‍त प्रधान” को “काटा जाएगा” यानी उसे मार डाला जाएगा। (दानि. 9:24-26) यशायाह नबी ने बताया कि मसीहा को ठुकराया और सताया जाएगा। उसे घायल किया जाएगा यानी सूली पर चढ़ाया जाएगा। यह सब इसलिए होगा, ताकि वह असिद्ध इंसानों के पाप उठा ले जाए।—यशा. 53:4, 5, 7.

11. यहोवा के बेटे ने किस तरह दिखाया कि वह हमारे छुटकारे के लिए खुद को बलिदान करने को तैयार था?

11 धरती पर आने से पहले परमेश्‍वर के इकलौते बेटे को मालूम था कि इंसानों को छुटकारा दिलाने के लिए उसे बहुत यातनाएँ झेलनी पड़ेंगी और आखिरकार मार डाला जाएगा। उसके पिता ने जब उसे ये सारी बातें बतायीं, तो क्या वह धरती पर आने से पीछे हटा या क्या उसने बगावत की? नहीं। इसके बजाय, अपने पिता की सिखायी बातों को कबूल कर उसने अधीनता दिखायी। (यशा. 50:4-6) और जब वह धरती पर आया, तब भी उसने अपने पिता की आज्ञा मानकर उसकी मरज़ी पूरी की। जानते हैं क्यों? यीशु ने इसकी एक वजह इन शब्दों में दी, “मैं पिता से प्यार करता हूँ।” दूसरी वजह बताते हुए उसने कहा, “इससे बढ़कर प्यार कोई क्या करेगा कि वह अपने दोस्तों की खातिर अपनी जान दे दे।” (यूह. 14:31; 15:13) तो फिर हमारे लिए छुटकारा खासकर इसलिए मुमकिन हुआ क्योंकि यीशु अपने पिता और लोगों से प्यार करता है। हालाँकि उसे अपना सिद्ध इंसानी जीवन बलिदान करना पड़ा, मगर उसने हमारी खातिर खुशी-खुशी यह कुरबानी दी।

हमारे छुटकारे के लिए यहोवा को क्या कीमत चुकानी पड़ी?

12. फिरौती बलिदान किसकी मरज़ी का सबूत है? उसने यह इंतज़ाम क्यों किया?

12 फिरौती बलिदान का इंतज़ाम करनेवाला यीशु नहीं, यहोवा था। यह इंतज़ाम यहोवा की मरज़ी का एक अहम हिस्सा था। प्रेषित पौलुस ने इशारा किया कि मंदिर की वेदी, जिस पर बलिदान चढ़ाए जाते थे, यहोवा की मरज़ी को दर्शाती है। (इब्रा. 10:10) इसलिए मसीह के बलिदान से हमें जो छुटकारा मिलता है, उसके लिए हमें सबसे पहले और सबसे बढ़कर यहोवा के एहसानमंद होना चाहिए। (लूका 1:68) यह इंतज़ाम उसकी सिद्ध मरज़ी और इंसानों के लिए उसके महान प्यार का सबूत है।—यूहन्‍ना 3:16 पढ़िए।

13, 14. यहोवा ने हमारी खातिर जो किया, उसे समझने और उसकी कदर करने में अब्राहम की मिसाल किस तरह हमारी मदद कर सकती है?

13 हमारे लिए यहोवा को क्या कीमत चुकानी पड़ी? यह हमारी समझ से परे है। फिर भी बाइबल में दर्ज़ एक वाकया कुछ हद तक यह बात समझने में हमारी मदद करता है। यहोवा ने वफादार इंसान अब्राहम को एक बहुत ही मुश्‍किल काम करने को कहा। उसे अपने बेटे इसहाक की बलि चढ़ानी थी। अब्राहम अपने बेटे से बेहद प्यार करता था। खुद यहोवा ने कबूल किया कि अब्राहम ‘अपने एकलौते पुत्र से प्रेम रखता है।’ (उत्प. 22:2) फिर भी अब्राहम ने बेटे के प्यार से ज़्यादा यहोवा की मरज़ी पूरी करना ज़रूरी समझा। उसने यहोवा की आज्ञा के मुताबिक कदम उठाया। लेकिन यहोवा ने अब्राहम को वह काम करने नहीं दिया जो एक दिन वह खुद करता। उसने ऐन मौके पर एक स्वर्गदूत भेजकर अब्राहम को अपने बेटे का बलिदान चढ़ाने से रोक दिया। अब्राहम ने इस कठिन परीक्षा में परमेश्‍वर की आज्ञा मानने का इतना पक्का इरादा कर लिया था कि वह अपने बेटे की बलि चढ़ाने को तैयार था। उसे लगा कि वह अपने बेटे को तभी ज़िंदा देख पाएगा जब यहोवा उसका पुनरुत्थान करेगा। और उसे पूरा विश्‍वास था कि यहोवा ऐसा ज़रूर करेगा। दरअसल पौलुस कहता है कि अब्राहम ने लाक्षणिक मायने में पुनरुत्थान के ज़रिए अपने बेटे को वापस पाया।—इब्रा. 11:19.

14 क्या आप सोच सकते हैं कि जब अब्राहम अपने बेटे की बलि चढ़ाने की तैयारी कर रहा था, तब उसके दिल पर क्या बीती होगी? यह वाकया एक तरह से हमें यह समझने में मदद देता है कि यहोवा के दिल पर क्या बीती होगी जब उसने ‘अपने प्यारे बेटे’ का बलिदान किया था। (मत्ती 3:17) यह मत भूलिए कि यहोवा का दर्द अब्राहम के दर्द से कहीं बढ़कर था। उसने और उसके बेटे ने अरबों-खरबों साल एक-साथ गुज़ारे थे। इन सालों के दौरान बेटे ने पिता के साथ खुशी-खुशी काम किया। वह उसका “कुशल कारीगर” और “वचन” यानी उसकी तरफ से बोलनेवाला था। (नीति. 8:22, 30, 31; यूह. 1:1) जब यहोवा के बेटे को तड़पाया गया, उसकी खिल्ली उड़ायी गयी, उसे एक मुजरिम की तरह सूली पर चढ़ाया गया, तो यहोवा को जो दर्द हुआ होगा उसका हम शायद ही अंदाज़ा लगा सकें। सचमुच, हमारे छुटकारे के लिए यहोवा को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ी! तो फिर हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम उस छुटकारे की दिलो-जान से कदर करते हैं?

आप कैसे दिखा सकते हैं कि आप छुटकारे की कदर करते हैं?

15. यीशु ने प्रायश्‍चित का काम कैसे पूरा किया? और इससे क्या मुमकिन हुआ?

15 यीशु ने प्रायश्‍चित का काम अपने पुनरुत्थान के बाद पूरा किया। कैसे? वह स्वर्ग जाकर अपने पिता से मिला और अपने सिद्ध इंसानी जीवन का हक पिता को दिया ताकि यहोवा इंसानों को छुटकारा दिला सके। इससे बड़ी-बड़ी आशीषें मिलने का रास्ता खुल गया। सबसे पहले मसीह के अभिषिक्‍त भाइयों के पापों, फिर “सारी दुनिया के पापों” को पूरी तरह से माफ किया जाना मुमकिन हुआ। आज जो लोग अपने पापों के लिए सच्चा पश्‍चाताप करते हैं और मसीह के चेले बनते हैं, वे यहोवा के साथ करीबी रिश्‍ता बना सकते हैं। (1 यूह. 2:2) इन आशीषों के लिए आप अपनी कदर कैसे दिखा सकते हैं?

16. उदाहरण देकर समझाइए कि हमें क्यों छुटकारे के लिए यहोवा का एहसानमंद होना चाहिए।

16 आइए एक बार फिर लेख की शुरूआत में दिए उदाहरण पर गौर करें। फर्ज़ कीजिए कि जिस डॉक्टर ने इलाज ढूँढ़ निकाला है, वह आपके वार्ड में आता है और कहता है, ‘जो मरीज़ मेरे बताए तरीके से दवा लेगा और खान-पान के मामले में परहेज़ करेगा वह बिलकुल ठीक हो जाएगा।’ लेकिन वार्ड के ज़्यादातर मरीज़ कहते हैं कि दवा लेना या खान-पान में परहेज़ करना बहुत मुश्‍किल है, इसलिए वे डॉक्टर का कहना नहीं मानते। ऐसे में आप क्या करेंगे? आपके पास इस बात का पक्का सबूत है कि इस डॉक्टर का बताया इलाज सचमुच काम करता है, तो भी क्या आप उस इलाज से इनकार करेंगे? जी नहीं। इसके बजाय, आप उस डॉक्टर का शुक्रिया अदा करेंगे और उसकी हर बात मानने की कोशिश करेंगे। शायद उस इलाज के बारे में आप दूसरों को भी बताएँ। अब ज़रा हमारे छुटकारे के बारे में सोचिए, जो यहोवा ने अपने बेटे के फिरौती बलिदान के ज़रिए मुमकिन किया है। क्या हम यह दिखाने के लिए बेताब नहीं रहेंगे कि हम इस छुटकारे के लिए यहोवा के कितने एहसानमंद है?—रोमियों 6:17, 18 पढ़िए।

17. आपके छुटकारे के लिए यहोवा ने जो किया है, उसके लिए आप किस तरह कदर दिखा सकते हैं?

17 हमें पाप और मौत से छुटकारा दिलाने के लिए यहोवा और उसके बेटे ने जो किया है, उसकी अगर हम कदर करते हैं, तो यह हम अपने कामों से दिखाएँगे। (1 यूह. 5:3) हम पाप करने की अपनी फितरत से लड़ेंगे और जानबूझकर पाप करने से दूर रहेंगे। हम कपटी लोगों की तरह दोहरी ज़िंदगी नहीं जीएँगे, क्योंकि ऐसा करने से हम दिखाएँगे कि हमें फिरौती के इंतज़ाम की कोई कदर नहीं। इसके बजाय, हम यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे। (2 पत. 3:14) यही नहीं, छुटकारे की शानदार आशा के बारे में हम दूसरों को भी बताएँगे, ताकि वे भी यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता जोड़ सकें और हमेशा की ज़िंदगी पा सकें। (1 तीमु. 4:16) हमें अपना पूरा समय और ताकत यहोवा और उसके बेटे की महिमा करने में लगानी चाहिए क्योंकि वे इसके हकदार हैं! (मर. 12:28-30) ज़रा उस समय के बारे में सोचिए जब हमें पाप से पूरी तरह छुटकारा मिल जाएगा। हम हमेशा के लिए सिद्ध ज़िंदगी जी पाएँगे, वैसी ज़िंदगी जैसी यहोवा ने चाही थी। और यह सब इसलिए मुमकिन होगा क्योंकि यहोवा ने हमारे छुटकारे का इंतज़ाम किया है।—रोमि. 8:21.

[फुटनोट]

^ कहा जाता है कि दुनिया की 20 से 50 प्रतिशत तक की आबादी को स्पैनिश फ्लू हुआ था। और इस महामारी ने करीब 1 से 10 प्रतिशत लोगों की जानें लीं। इसके उलट, एबोला वायरस इक्की-दुक्की जगहों में फैला था। लेकिन वहाँ उसने लगभग 90 प्रतिशत लोगों की जानें लीं।

आप क्या जवाब देंगे?

• आपको छुटकारे की सख्त ज़रूरत क्यों है?

• यीशु ने जो कुरबानी दी उसका आप पर क्या असर होता है?

• यहोवा ने फिरौती का जो तोहफा दिया है, उसके बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?

• आपके छुटकारे के लिए यहोवा ने जो इंतज़ाम किए हैं, बदले में आप क्या करने के लिए उभारे जाते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 27 पर तसवीर]

प्रायश्‍चित दिन को इसराएल का महायाजक, मसीहा को दर्शाता था

[पेज 28 पर तसवीर]

अब्राहम जिस तरह अपने बेटे की बलि चढ़ाने को तैयार हो गया, उससे हम यहोवा के महान बलिदान के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं