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अपने बधिर भाई-बहनों की संगति का आनंद उठाइए

अपने बधिर भाई-बहनों की संगति का आनंद उठाइए

अपने बधिर भाई-बहनों की संगति का आनंद उठाइए

आज परमेश्‍वर के लोग एक बहुत बड़े परिवार का हिस्सा हैं और वे सभी आध्यात्मिक भाई-बहन हैं। उन्हें यह विरासत पुराने ज़माने के वफादार स्त्री-पुरुषों से मिली है। उनमें से कुछ हैं, शमूएल, दाविद, शिमशोन, राहाब, मूसा, अब्राहम, सारा, नूह और हाबिल। यहोवा के वफादार सेवकों में बहुत-से बधिर भी हैं। उदाहरण के लिए, मंगोलिया में जो सबसे पहले यहोवा के साक्षी बने, वे बधिर पति-पत्नी थे। रूस में हमारे बधिर भाई-बहनों की खराई की वजह से ‘मानव अधिकारों की यूरोपीय अदालत’ में हमें जीत मिली।

आज के दिनों में ‘विश्‍वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास’ ने साइन लैंग्वेज में साहित्य मुहैया कराए हैं और साइन लैंग्वेज मंडलियाँ बनायी हैं। साथ-ही, साइन लैंग्वेज में सम्मेलनों और अधिवेशनों का भी इंतज़ाम किया है। (मत्ती 24:45) इन इंतज़ामों से बधिर लोगों को बहुत फायदा हुआ है। * मगर क्या आपके मन में कभी यह खयाल आया है कि जब ये इंतज़ाम नहीं थे, तब बधिर लोग कैसे सच्चे परमेश्‍वर के बारे में सीखते थे और उन्होंने सच्चाई में कैसे तरक्की की? क्या आपने कभी सोचा है कि आप अपने इलाके में रहनेवाले बधिरों की कैसे मदद कर सकते हैं?

जब आज के इंतज़ाम नहीं थे

अगर आप ऐसे बधिर भाई-बहनों से बात करें जो सालों से सच्चाई में हैं और उनसे पूछें कि परमेश्‍वर के बारे में जानने में उनका अनुभव कैसा था, तो जानते हैं वे आपको क्या जवाब देंगे? वे शायद आपको बताएँ कि जब उन्होंने पहली बार जाना कि परमेश्‍वर का एक नाम है, तो इस एक सच्चाई ने उनकी ज़िंदगी बदलकर रख दी। और इस सच्चाई ने उन्हें तब तक सँभाले रखा, जब तक कि साइन लैंग्वेज में वीडियो कार्यक्रम या डीवीडी उपलब्ध नहीं हुए, जिनकी मदद से वे सच्चाई की गहरी समझ हासिल कर सकते। वे आपको बताएँगे कि वह वक्‍त कैसा था जब साइन लैंग्वेज में न तो सभाएँ होती थीं और न ही उनका अनुवाद साइन लैंग्वेज में किया जाता था। बस इतना होता था कि कोई उनके बगल में बैठकर सभाओं में बतायी जा रही बातों को कागज़ पर लिखकर समझाता था। एक बधिर भाई को इसी तरह बाइबल सच्चाइयाँ सीखने में सात साल लगे। इसके बाद ही साइन लैंग्वेज में सभाओं का अनुवाद शुरू किया गया।

जो बधिर साक्षी बहुत सालों से सच्चाई में हैं, वे उस वक्‍त के बारे में बताते हैं जब वे अपनी मंडली के बाकी भाई-बहनों के साथ “सुननेवालों” को प्रचार करने जाते थे। वे एक हाथ में एक कार्ड पकड़े रहते थे जिस पर आसान-सा राज संदेश लिखा होता था। और उनके दूसरे हाथ में प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! की नयी पत्रिकाएँ होती थीं। अगर उन्हें ऐसा कोई बधिर व्यक्‍ति मिलता जो बाइबल अध्ययन के लिए राज़ी होता, तो उन्हें किताबों और पत्रिकाओं से उसका बाइबल अध्ययन कराने में बहुत मुश्‍किल होती थी। क्योंकि अध्ययन करनेवाला और करानेवाला दोनों ही किताब और पत्रिका की भाषा अच्छी तरह नहीं समझ पाते थे। पहले के बधिर प्रचारक शायद आपको बताएँ कि जब लोग उनकी बातों को समझ नहीं पाते थे और इस वजह से जब वे बाइबल की सच्चाइयों के बारे में ज़्यादा बात नहीं कर पाते थे, तो उन्हें कितनी खीज होती थी। वे यह भी बता सकते हैं कि उन्हें उस वक्‍त कैसा महसूस होता था जब वे यहोवा से प्यार करने के बावजूद सीखी हुई बातें अपनी ज़िंदगी में पूरे यकीन के साथ लागू नहीं कर पाते थे क्योंकि उन्हें यह मालूम नहीं होता था कि उन्होंने बात को ठीक से समझा है या नहीं।

लेकिन इन सभी बाधाओं के बावजूद हमारे बधिर भाई-बहन परमेश्‍वर के वफादार बने रहे। (अय्यू. 2:3) उन्होंने सही समय के लिए यहोवा का इंतज़ार किया। (भज. 37:7) और आज यहोवा उन्हें इतनी आशीष दे रहा है जिसकी उनमें से कइयों ने कभी उम्मीद भी नहीं की थी।

एक बधिर भाई की मेहनत पर गौर कीजिए। जब साइन लैंग्वेज में वीडियो उपलब्ध नहीं थे, उस वक्‍त भी वह भाई नियमित तौर पर पारिवारिक अध्ययन में अपने परिवार की अगुवाई करता था। उसका बेटा याद करते हुए कहता है: “मेरे पिता के लिए पारिवारिक अध्ययन चलाना हमेशा मुश्‍किल होता था, क्योंकि हमें सिखाने के लिए उनके पास सिर्फ छपी हुई किताबें-पत्रिकाएँ होती थीं। अकसर वह साहित्य में लिखी सारी बात समझ नहीं पाते थे। और हम बच्चे भी उनके लिए और मुसीबत खड़ी कर देते थे। जब वे लिखी बातों को ठीक से नहीं समझा पाते थे तो हम तुरंत उन्हें बता देते थे। लेकिन इस सबके बावजूद वे हमेशा पारिवारिक अध्ययन चलाते थे। उनका मानना था कि अँग्रेज़ी की अच्छी समझ न होने की वजह से कभी-कभी शर्मिंदा होने से कहीं बेहतर है कि हम बच्चे यहोवा के बारे में कुछ-न-कुछ सीखें।”

सत्तर साल के एक भाई रिचर्ड का उदाहरण लीजिए। वे बधिर होने के साथ-साथ देख भी नहीं सकते। वे अमरीका में न्यू यॉर्क राज्य के ब्रुकलिन शहर में रहते हैं। भाई रिचर्ड नियमित तौर पर मसीही सभाओं में आने के लिए मशहूर हैं। सभाओं के लिए वे अकेले ही सबवे (सुरंग से जानेवाली ट्रेन) से जाते हैं। वे रास्ते-भर गिनते जाते हैं कि राज्य घर आने से पहले ट्रेन कितनी बार रुकती है और इस तरह उन्हें पता होता है कि कब उतरना है। एक दिन सर्दियों में बहुत भयंकर बर्फीला तूफान चला, जिस वजह से सभा रद्द करनी पड़ी। इस बारे में मंडली के सभी लोगों को खबर कर दी गयी, मगर किसी वजह से भाई रिचर्ड को खबर नहीं दी जा सकी। जब भाइयों को एहसास हुआ कि वे भाई रिचर्ड को खबर नहीं कर पाए हैं तो वे उन्हें ढूँढ़ने के लिए निकले। उन्होंने भाई को राज्य घर के बाहर खड़े पाया। भाई रिचर्ड शांति से राज्य घर खुलने का इंतज़ार कर रहे थे। जब उनसे पूछा गया कि आप क्यों इस तूफान में यहाँ आए, तो उन्होंने जवाब दिया “मैं यहोवा से प्यार करता हूँ”।

आप क्या कर सकते हैं?

क्या आपके इलाके में बधिर लोग रहते हैं? उनसे बात करने के लिए क्या आप साइन लैंग्वेज सीख सकते हैं? बधिर लोग अकसर बड़े अदब और धीरज से दूसरों को अपनी भाषा सिखाते हैं। आपकी मुलाकात बधिर लोगों से राह चलते या प्रचार में हो सकती है। ऐसे में आप क्या कर सकते हैं? उनसे बात करने की कोशिश कीजिए। इशारे से, लिखकर, ड्राइंग, तसवीरों या इन सभी की मदद से उनसे बात करने की कोशिश कीजिए। अगर एक बधिर ज़ाहिर करता है कि उसे सच्चाई में दिलचस्पी नहीं है तब भी ऐसे साक्षी को अपनी इस मुलाकात के बारे में बताइए जो बधिर हो या जो साइन लैंग्वेज जानता हो। हो सकता है कि जब उस बधिर व्यक्‍ति से साइन लैंग्वेज में बात की जाए, तो वह हमारे संदेश में दिलचस्पी ले।

शायद आप साइन लैंग्वेज सीख रहे हों और साइन-लैंग्वेज मंडली में जाते हों। आप कैसे इस भाषा में माहिर हो सकते हैं और उसे अच्छी तरह समझ सकते हैं? हो सकता है कि आपकी मंडली में साइन लैंग्वेज जाननेवाले दूसरे प्रचारक हों जो बोल सकते हैं, क्यों न उनके साथ भी आप साइन लैंग्वेज में बात करें? इससे आपको साइन लैंग्वेज में सोचने में मदद मिलेगी। कई बार आपको आसान रास्ता अपनाने का मन करेगा और आप सोचेंगे कि क्यों न मैं बोलकर अपनी बात कह दूँ। लेकिन याद रखिए कि किसी भी भाषा में महारत हासिल करने के लिए आपको मेहनत करनी होगी।

साइन लैंग्वेज में बात करने के लिए हम जो मेहनत करते हैं उससे ज़ाहिर होता है कि हम अपने बधिर भाई-बहनों से कितना प्यार करते हैं और कितना आदर करते हैं। ज़रा सोचिए, जब हर दिन काम की जगह पर या स्कूल में बधिर लोग दूसरे लोगों की बात समझ नहीं पाते, तो उन्हें कितनी खीज होती होगी! एक बधिर भाई कहता है “हर दिन मैं देखता हूँ कि मेरे चारों तरफ लोग एक-दूसरे से बात कर रहे हैं। अकसर मैं बहुत अकेला महसूस करता हूँ और मैं चिढ़ जाता हूँ। कभी-कभी तो मुझे बहुत गुस्सा आता है। कई बार ऐसा भी होता है कि मैं जो महसूस करता हूँ उसे मैं बयान नहीं कर पाता।” हमारी सभाएँ ऐसी होनी चाहिए जहाँ हमारे बधिर भाई-बहनों को आध्यात्मिक खाना मिले और जहाँ वे दूसरे भाई-बहनों से बात कर सकें और उनकी संगति का आनंद उठा सकें।—यूह. 13:34, 35.

हमें बधिरों के उन छोटे-छोटे समूहों को भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए, जो सुन-बोल सकनेवाली मंडलियों के साथ संगति करते हैं। उनके लिए सभाओं के कार्यक्रम का अनुवाद साइन लैंग्वेज में किया जाता है। सभाओं को पूरी तरह से समझने के लिए बधिर लोग राज्य घर में सबसे आगे बैठते हैं। इस वजह से वे साइन लैंग्वेज में अनुवाद करनेवाले और वक्‍ता, दोनों को बिना किसी दिक्कत के देख पाते हैं। देखा गया है कि मंडली के बाकी भाई-बहन इस इंतज़ाम के जल्द ही आदी हो जाते हैं और उन्हें इससे कोई परेशानी नहीं होती। इस तरह के इंतज़ाम उन सम्मेलनों और अधिवेशनों में भी किए जाते हैं, जहाँ कार्यक्रम का अनुवाद साइन लैंग्वेज में किया जाता है। हम उन मेहनती भाई-बहनों की तारीफ करते हैं जो सभा के भागों का अनुवाद साइन-लैंग्वेज में उसी तरह करते हैं जैसे एक बधिर इंसान करता। उनका अनुवाद आसानी से समझ में आता है।

आप शायद ऐसी मंडली में जाते होंगे जिसमें एक साइन लैंग्वेज समूह भी है या जहाँ कुछ बधिर लोग आते हैं जिनके लिए साइन लैंग्वेज में सभाओं का अनुवाद किया जाता है। इन बधिर भाई-बहनों में सच्ची दिलचस्पी दिखाने के लिए आप क्या कर सकते हैं? आप उन्हें अपने घर बुला सकते हैं। अगर मुमकिन हो तो कुछ साइन सीखिए। यह सोचकर उनसे दूर मत रहिए कि आपको उनकी भाषा नहीं आती और आप उनसे बात नहीं कर पाएँगे। आपको उनसे बात करने का रास्ता ज़रूर मिल जाएगा और इस तरह प्यार दिखाने से आपको जो अनुभव होंगे उन्हें आप हमेशा याद रखेंगे। (1 यूह. 4:8) हमारे बधिर भाई-बहन हमें काफी कुछ सिखा सकते हैं। वे बात करने में बड़े माहिर होते हैं, मामलों की गहरी जानकारी रखते हैं और खूब हँसते-हँसाते हैं। एक भाई जिसके माता-पिता बधिर हैं कहता है: “मेरी पूरी ज़िंदगी बधिर लोगों के इर्द-गिर्द ही घूमी है। और उन्होंने मुझे जो दिया है उतना मैं उन्हें कभी लौटा नहीं सकता। हम अपने बधिर भाई-बहनों से बहुत कुछ सीख सकते हैं।”

यहोवा अपने विश्‍वासी जनों से बहुत प्यार करता है, उनसे भी जो बधिर हैं। उनके विश्‍वास और धीरज का उदाहरण वाकई यहोवा के संगठन की खूबसूरती में चार चाँद लगा देता है। इसलिए आइए हम अपने बधिर भाई-बहनों की संगति का आनंद उठाते रहें!

[फुटनोट]

^ 15 अगस्त, 2009 की प्रहरीदुर्ग में दिया लेख, “यहोवा ने उन पर अपने मुख का प्रकाश चमकाया है” देखिए।

[पेज 31 पर तसवीर]

जब किसी बधिर इंसान को राज संदेश साइन लैंग्वेज में बताया जाता है तो वह उसके दिल को छू सकता है

[पेज 32 पर तसवीरें]

हमारी सभाएँ मरुभूमि में शीतल जल की धारा की तरह होनी चाहिए, जहाँ हमारे बधिर भाई-बहनों को परमेश्‍वर की सेवा में लगे रहने की हिम्मत मिले