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जवानों की मदद के लिए एक नयी किताब

जवानों की मदद के लिए एक नयी किताब

जवानों की मदद के लिए एक नयी किताब

करीब 3,000 साल पहले बुद्धिमान राजा सुलैमान ने लिखा, ‘अपनी जवानी में अपने सिरजनहार को याद रख।’ (सभो. 12:1, टूडेज़ इंग्लिश वर्शन) मसीही जवानों के लिए अब एक और किताब उपलब्ध है, जो उन्हें अपनी जवानी में सिरजनहार को याद रखने में मदद देगी। इसका नाम है, युवाओं के प्रश्‍न—व्यावहारिक उत्तर, भाग 2 (क्वेस्चन्स यंग पीपल आस्क—आन्सर्ज़ दैट वर्क, वॉल्यूम 2)। यह किताब यहोवा के साक्षियों के ज़िला अधिवेशन, “परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन पर चलिए” में रिलीज़ की गयी, जो दुनिया-भर में मई 2008 से जनवरी 2009 के दौरान रखे गए थे।

किताब का कवर खोलते ही बायीं तरफ जवानों के लिए शासी निकाय की तरफ से एक खत है। इसमें कुछ बातें यूँ लिखी हैं: “हमारी यही दुआ है कि इस किताब में दी जानकारी से आप जवानों को दबावों और परीक्षाओं का सामना करने में, साथ ही परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक सही फैसले करने में मदद मिले।”

माता-पिता चाहते हैं कि वे अपने बच्चों की परवरिश ‘यहोवा की तरफ से आनेवाले अनुशासन’ और “उसी की सोच के मुताबिक उनके मन को ढालते हुए” करें। (इफि. 6:4) जब बच्चे जवानी में कदम रखते हैं, तो कई बच्चों का आत्म-विश्‍वास खत्म होने लगता है और वे सही मार्गदर्शन के लिए तरसते हैं। अगर आपके बच्चे ने जवानी में कदम रखा है, तो इस किताब से ज़्यादा-से-ज़्यादा फायदा पाने में आप अपने बच्चे की मदद कैसे कर सकते हैं? नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं, आइए उन पर ध्यान दें:

आप भी अपने लिए इस किताब की एक कॉपी लीजिए और उससे अच्छी तरह वाकिफ होइए। वाकिफ होने के लिए सिर्फ किताब को पढ़ लेना काफी नहीं, बल्कि आपको देखना है कि इसमें बातों को किस अंदाज़ में समझाया गया है। यह किताब जवानों को सिर्फ यह नहीं बताती कि क्या सही है और क्या गलत, बल्कि यह उनकी “सोचने-समझने की शक्‍ति” को भी तेज़ करती है। (इब्रा. 5:14) इसके अलावा, यह इस बारे में सुझाव देती है कि नौजवान सही काम करने के लिए कैसे कारगर कदम उठा सकते हैं। मिसाल के लिए, अध्याय 15 (“मैं दोस्तों से आनेवाले दबावों का कैसे सामना कर सकता हूँ?”) में बताया गया है कि जवान गलत कामों के लिए ‘ना’ कहने के अलावा और क्या कर सकते हैं। साथ ही, इसमें बताया गया है कि एक जवान बाइबल के उसूलों की मदद से ज़िंदगी में मुश्‍किल हालात का कैसे सामना कर सकता है और कैसे वह ‘हर एक को जवाब दे’ सकता है।—कुलु. 4:6.

किताब के हर अध्याय में पढ़नेवाले से कुछ सवाल पूछे गए हैं, इन सवालों के जवाब लिखिए। हालाँकि ये सवाल जवानों से पूछे गए हैं, पर आप माता-पिता भी अपनी कॉपी में जहाँ सही लगे, इनके जवाब लिख सकते हैं। * जैसे, पेज 16 पर डेटिंग के बारे में 2 सवाल दिए गए हैं। याद कीजिए कि जब आप अपने बेटे या बेटी की उम्र के थे तब आप डेटिंग के बारे में कैसा महसूस करते थे। उसी बात को ध्यान में रखकर आप चाहें तो खाली जगह पर अपने जवाब लिख सकते हैं। फिर आप खुद से पूछ सकते हैं: ‘सालों के दौरान डेटिंग के बारे में मेरे नज़रिए में क्या बदलाव आया है? इस बारे में आज मुझे और क्या गहरी समझ मिली है, जो तब नहीं थी? और मैं यह बात कैसे असरदार तरीके से अपने बच्चे को समझा सकता हूँ?’

अपने बच्चे की किताब मत पढ़िए, इस तरह उसका आदर कीजिए। इस किताब में दिए सवाल इस तरह तैयार किए गए हैं जो आपके बच्चे के मन में दबी बातों को बाहर निकालेंगे। ये सवाल उसे उकसाएँगे कि वह अपनी किताब में उनके जवाब लिखे या उस बारे में सोचे। याद रखिए, आपका लक्ष्य यह जानना है कि आपके बच्चे के दिल में क्या है, न कि उसने अपनी किताब में क्या लिखा है, उसमें ताँक-झाँक करना। इसलिए “माता-पिता के लिए एक संदेश” भाग के पेज 3 पर यह सलाह दी गयी है: “अपने जवान बच्चे को उकसाइए कि वह ईमानदारी से और खुलकर अपने विचार किताब में लिखे। मगर साथ ही वह जो लिखता है, उसे पढ़ने की कोशिश मत कीजिए। हो सकता है, बाद में वह खुद आकर किताब में लिखी बातें आपको बताए।

पारिवारिक बाइबल अध्ययन के लिए एक बढ़िया किताब

पारिवारिक बाइबल अध्ययन में इस किताब का इस्तेमाल करने से काफी मदद मिल सकती है। मगर इस किताब में किसी भी पैराग्राफ के लिए कोई सवाल नहीं दिए गए हैं, तो फिर आप कैसे इसका अध्ययन कर सकते हैं? क्यों न आप अध्ययन करने का कोई ऐसा तरीका अपनाएँ, जो आपके बच्चों के लिए फायदेमंद भी हो और उन्हें दिलचस्प भी लगे?

उदाहरण के लिए, कुछ परिवार पेज 132-133 पर दिए “साथियों के दबाव का सामना करने की योजना” का इस्तेमाल कर रिहर्सल कर सकते हैं, जिससे उन्हें मज़ा भी आएगा। इन पेज पर दिया पहला सवाल आपके लड़के या लड़की को यह सोचने में मदद देगा कि उसके साथियों से उस पर सबसे बड़ा दबाव कौन-सा आ सकता है। दूसरा सवाल, उसे यह जानने में मदद देगा कि किस वक्‍त या हालात में वह दबाव आ सकता है। आगे के कुछ सवाल उसे यह सोचने में मदद देंगे कि अगर वह साथियों के दबाव में आ जाता है, तो क्या नतीजा होगा और अगर विरोध करता है, तब क्या नतीजा होगा। फिर बच्चे से कहा गया है कि दबाव आने पर वह कैसे जवाब देगा इसकी पहले से तैयारी करे। पहला (absorb), क्या वह साथियों के तानों को सुन लेगा और चंद शब्दों में इनकार की वजह बताएगा। दूसरा (deflect), क्या वह सीधे-सीधे अपना फैसला सुनाएगा और बात को वहीं खत्म कर देगा। या तीसरा (return), क्या वह फलाँ काम न करने की वजह बताएगा और अपने साथियों को सोचने पर मज़बूर करेगा कि वे जो काम कर रहे हैं, उसे करने में समझदारी है या नहीं। अपने बेटे या बेटी को कोई ऐसा जवाब सोचने और तैयार करने में मदद दीजिए, जो उसके लिए आसान भी हो और जिसे वह पूरे यकीन के साथ कह सके।—भज. 119:46.

बातचीत करने में मददगार

यह किताब जवानों को बढ़ावा देती है कि वे अपने माता-पिता से खुलकर बातचीत करें। मिसाल के लिए, “मैं अपने माँ-बाप से सेक्स के बारे में कैसे बात कर सकता हूँ?” (पेज 63-64) और “अपने माँ-बाप से बात कीजिए!” (पेज 189) बक्स में कारगर सुझाव दिए गए हैं कि एक जवान इन नाज़ुक विषयों पर माँ-बाप से कैसे बातचीत शुरू कर सकता है। तेरह साल की एक लड़की लिखती है, “इस किताब से मुझे इतनी हिम्मत मिली कि मैं अपने मम्मी-डैडी से उन बातों पर चर्चा कर पायी, जो मेरे दिमाग में घूम रही थीं, यहाँ तक कि मैं उनसे यह भी कह सकी कि मैंने क्या-क्या किया है।”

यह किताब और कई तरीकों से बच्चों को उकसाती है कि वे अपने माँ-बाप से बात करें। हर अध्याय के आखिरी में एक बक्स है, जिसका शीर्षक है “आप क्या सोचते हैं?” (“What do you think?”) हालाँकि यह बक्स सीखी बातों को दोहराने के लिए है, मगर पूरा परिवार मिलकर इस पर अच्छी चर्चा कर सकता है। अध्यायों में एक और बक्स है जिसका शीर्षक है, “आप क्या करेंगे।” (“Action Plan!”) इस बक्स में दी खाली जगह पर जवान लिख सकते हैं कि वे सीखी बातों को किस तरह लागू करेंगे। इस बक्स का आखिरी सवाल है, “इस विषय पर मैं अपने माता-पिता से क्या पूछूँगा . . . ” यह सवाल बच्चों को बढ़ावा देता है कि वे फलाँ विषय पर अपने माता-पिता से सलाह लें।

दिल तक पहुँचिए

आप माता-पिता की हमेशा यही कोशिश होनी चाहिए कि आप अपने बच्चे के दिल तक पहुँचें। यह किताब आपको ऐसा करने में मदद देगी। ध्यान दीजिए कि एक पिता इस किताब की मदद से कैसे अपनी बेटी से खुलकर बात कर पाया।

वह कहता है, “मेरी और मेरी बेटी रिबेका की कुछ मनपसंद जगह हैं, जहाँ हम अकसर टहलने, साइकिल चलाने या गाड़ी से घूमने जाते हैं। ऐसे मौकों पर, मैंने देखा है कि वह खुलकर मुझसे बात करती है।”

“मैंने अपनी बेटी के साथ सबसे पहले, इस किताब में दिया शासी निकाय का खत और ‘माता-पिता के लिए एक संदेश’ पर चर्चा की। और पेज 3 पर जैसा बताया गया है, मैंने उससे कहा कि वह खुलकर अपनी भावनाएँ इस किताब में लिख सकती है और मैं नहीं देखूँगा कि उसने क्या लिखा है।”

“मैंने रिबेका से कहा कि वह पहले जिस अध्याय पर चर्चा करना चाहती है, उसे चुन ले। उसने जो अध्याय चुना, उसे देखकर मैं हैरान रह गया। अध्याय का शीर्षक था, ‘क्या मुझे इलैक्ट्रॉनिक गेम्स खेलने चाहिए?’ मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि वह उस अध्याय को चुनेगी। मगर उसके यह अध्याय चुनने की एक वजह थी। उसके कई दोस्त मार-धाड़वाले और दूसरे खतरनाक गेम्स खेलते थे। जब मैंने रिबेका के साथ पेज 251 पर दिया बक्स ‘आप क्या करेंगे’ पर चर्चा की, तब जाकर मुझे पता चला कि ये गेम्स कितने खून-खराबेवाले होते हैं और इनमें कितनी गंदी भाषा बोली जाती है। इस बक्स से रिबेका को यह तैयारी करने में भी मदद मिली कि जब उसके साथी उस पर ऐसे गेम्स खेलने का दबाव डालेंगे, तो वह क्या करेगी।”

“इसके बाद, रिबेका ने खुद ही बताया कि उसने अपनी किताब में क्या लिखा था। अध्ययन करते वक्‍त हमारी बातचीत कभी खत्म नहीं होती थी। हम बारी-बारी से पैराग्राफ पढ़ते और फिर रिबेका हर चीज़ पर बात करना चाहती है, यहाँ तक कि तसवीरों और बक्स के बारे में भी। बातचीत करते वक्‍त मैं रिबेका को बताता कि उसकी उम्र में मुझे किन हालात का सामना करना पड़ा था। फिर वह मुझे बताती कि आज वह किन हालात का सामना करती है। वह मुझे अपने बारे में सबकुछ बताना चाहती है!”

अगर आप एक माता-पिता हैं तो आपको बेशक युवाओं के प्रश्‍न—व्यावहारिक उत्तर, भाग 2 के रिलीज़ होने पर बेहद खुशी हुई होगी। अब आपके सामने इस किताब को इस्तेमाल करने का बढ़िया मौका है। शासी निकाय को उम्मीद है कि यह किताब आपके परिवार के लिए एक आशीष साबित होगी। ऐसा हो कि यह किताब सभी को, खासकर हमारे प्यारे जवानों को ‘पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलते रहने’ में मदद दे।—गला. 5:16.

[फुटनोट]

^ कुछ सवालों की वर्क-शीट हर उम्र के लोगों के लिए है। मिसाल के लिए, बक्स “अपने गुस्से पर काबू रखिए” (पेज 221) आपके जवान लड़के या लड़की के साथ-साथ खुद आपके लिए भी फायदेमंद है। ऐसे ही दूसरे और भी बक्स इस किताब में दिए गए हैं। जैसे, “साथियों के दबाव का सामना करने की योजना” (पेज 132-133), “मेरा महीने का बजट” (पेज 163) और “मेरे लक्ष्य” (पेज 314)।

[पेज 30 पर बक्स]

कुछ जवानों का कहना है

“यह एक ऐसी किताब है, जो आपको गहराई से सोचने और लिखने पर मजबूर करती है। इस किताब को इस तरह तैयार किया गया है, मानो यह आपकी निजी डायरी है ताकि आप अकेले में अपनी लिखी बातों पर सोच सकें और एक बेहतरीन ज़िंदगी जीने का लक्ष्य बना सकें।”—निकोला।

“मुझ पर डेटिंग करने का बहुत दबाव आता है, यहाँ तक कि उन लोगों से भी जो मेरा भला चाहते हैं। इस किताब के पहले भाग से मुझे यकीन हो गया कि चाहे कोई कुछ भी कहे, मैं डेटिंग के लिए तैयार नहीं हूँ।”—कटरीना।

“बपतिस्मा कितना गंभीर कदम है, इसका एहसास मुझे तब हुआ जब मैंने यह बक्स पढ़ा, ‘क्या आप बपतिस्मा लेने की सोच रहे हैं?’ इससे मैं निजी अध्ययन और प्रार्थना की अपनी आदतों की जाँच करने के लिए प्रेरित हुई।”—एश्‍ली।

“हालाँकि मेरे मसीही माता-पिता ने मुझे बचपन से सच्चाई सिखायी थी, मगर इस किताब ने मुझे सोचने पर मजबूर किया है कि मैं अपनी ज़िंदगी में कौन-से कदम उठाऊँ। साथ ही, इस किताब ने मुझे अपने माता-पिता से और भी खुलकर बात करना सिखाया।”—ज़ैमीरा।

[पेज 31 पर तसवीर]

माता-पिताओ इस किताब से अच्छी तरह वाकिफ होइए

[पेज 32 पर तसवीर]

अपने बच्चे के दिल तक पहुँचने की कोशिश कीजिए