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“पवित्र शक्‍ति की तलवार” का कुशलता से इस्तेमाल कीजिए

“पवित्र शक्‍ति की तलवार” का कुशलता से इस्तेमाल कीजिए

“पवित्र शक्‍ति की तलवार” का कुशलता से इस्तेमाल कीजिए

“पवित्र शक्‍ति की तलवार, यानी परमेश्‍वर का वचन ले लो।”—इफि. 6:17.

1, 2. राज प्रचारकों की बढ़ती ज़रूरत को देखते हुए हमें क्या करना चाहिए?

 जब यीशु ने भीड़ को देखा कि उन्हें परमेश्‍वर से मार्गदर्शन पाने की कितनी भूख है, तो उसने चेलों से कहा: “कटाई के लिए फसल बहुत है, मगर मज़दूर थोड़े हैं। इसलिए खेत के मालिक से बिनती करो कि वह कटाई के लिए और मज़दूर भेज दे।” यीशु ने सिर्फ इतना कहकर बात खत्म नहीं की, बल्कि उसने “अपने बारह चेलों को पास बुलाया” और उन्हें ‘कटनी’ या प्रचार काम के लिए भेजा। (मत्ती 9:35-38; 10:1, 5) बाद में, यीशु ने “सत्तर और चेले चुने और . . . उन्हें दो-दो की जोड़ियों में” प्रचार करने के लिए भेजा।—लूका 10:1, 2.

2 आज भी हमें ज़्यादा-से-ज़्यादा राज प्रचारकों की ज़रूरत है। सन्‌ 2009 में दुनिया-भर में स्मारक के लिए 1,81,68,323 इकट्ठा हुए थे। यह संख्या यहोवा के साक्षियों की कुल संख्या से 1 करोड़ ज़्यादा थी। तो ज़ाहिर है कि खेत कटनी के लिए पक चुके हैं। (यूह. 4:34, 35) इसलिए हमें यहोवा से और मज़दूर भेजने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। मगर हम अपनी प्रार्थना के मुताबिक काम कैसे कर सकते हैं? हम ऐसा राज के प्रचार और चेले बनाने के काम में और कुशल होने के ज़रिए कर सकते हैं।—मत्ती 28:19, 20; मर. 13:10.

3. कुशल प्रचारक बनने में परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति कैसे अहम भूमिका निभाती है?

3 पिछले लेख में हमने चर्चा की थी कि पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलने से कैसे हमें “निडर होकर परमेश्‍वर का वचन सुनाने” में मदद मिलती है। (प्रेषि. 4:31) यही शक्‍ति हमें कुशल प्रचारक बनने में भी मदद दे सकती है। प्रचार काम में कुशल बनने का एक तरीका है, परमेश्‍वर यहोवा के दिए एक बेहतरीन औज़ार यानी उसके वचन, बाइबल का सही तरीके से इस्तेमाल करना। यह वचन, परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति की प्रेरणा से लिखा गया है। (2 तीमु. 3:16) इसलिए प्रचार में जब हम लोगों को बाइबल की सच्चाइयाँ कुशलता से समझाते हैं, तो उस वक्‍त दरअसल परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति हमारा मार्गदर्शन कर रही होती है। यह जानने से पहले की हम लोगों को कैसे कुशलता से समझा सकते हैं, आइए देखें कि परमेश्‍वर का वचन कितना ताकतवर है।

‘परमेश्‍वर के वचन में ज़बरदस्त ताकत है’

4. परमेश्‍वर के वचन, बाइबल में दिया संदेश एक इंसान में क्या बदलाव ला सकता है?

4 परमेश्‍वर के वचन में ज़बरदस्त ताकत है! (इब्रा. 4:12) लाक्षणिक मायने में, बाइबल में लिखा संदेश किसी भी इंसान की बनायी हुई तलवार से कहीं ज़्यादा तेज़ है क्योंकि यह हड्डियों को गूदे तक आर-पार चीरकर अलग कर देता है। यानी बाइबल की सच्चाई एक इंसान के विचारों और भावनाओं को जाँचती है और ज़ाहिर कर देती है कि वह अंदर से कैसा इंसान है। इसमें इतनी ताकत है कि यह एक इंसान को पूरी तरह बदल देती है। (कुलुस्सियों 3:10 पढ़िए।) जी हाँ, परमेश्‍वर का वचन ज़िंदगी बदल सकता है!

5. बाइबल किन तरीकों से हमारा मार्गदर्शन करती है? इसका नतीजा क्या होता है?

5 इतना ही नहीं, बाइबल में बेजोड़ बुद्धि का खज़ाना है। इसमें लिखी जानकारी की मदद से एक इंसान इस मुश्‍किल-भरे संसार में कामयाबी से जी सकता है। परमेश्‍वर का वचन न सिर्फ हमारे हर कदम को, बल्कि हमारे पूरे रास्ते को रौशन करता है। (भज. 119:105) जब हमें किसी समस्या को सुलझाना होता है या कोई फैसला लेना होता है, जैसे दोस्तों, मनोरंजन, नौकरी, पहनावे वगैरह के चुनाव के बारे में, तो परमेश्‍वर का वचन हमारी मदद करता है। (भज. 37:25; नीति. 13:20; यूह. 15:14; 1 तीमु. 2:9) परमेश्‍वर के वचन में ऐसे सिद्धांत मिलते हैं, जिन्हें ज़िंदगी में लागू करने से हमें दूसरों के साथ शांति बनाए रखने में मदद मिलती है। (मत्ती 7:12; फिलि. 2:3, 4) यह हमारे रास्ते को दूर तक रौशन करता है यानी इसकी मदद से हम देख पाते हैं कि हम ज़िंदगी में आज जो फैसले लेंगे, उनका आगे चलकर क्या असर होगा। (1 तीमु. 6:9) बाइबल हमें यह भी बताती है कि परमेश्‍वर भविष्य में क्या करेगा। इससे हमें ऐसी ज़िंदगी जीने में मदद मिलती है, जो उसके मकसद से मेल खाती है। (मत्ती 6:33; 1 यूह. 2:17, 18) वाकई जब एक इंसान हर कदम पर परमेश्‍वर के सिद्धांतों के मुताबिक चलने की कोशिश करता है, तो वह एक मकसद-भरी ज़िंदगी जी पाता है!

6. शैतान के साथ हमारी लड़ाई में बाइबल कैसे एक ज़बरदस्त हथियार है?

6 बाइबल की एक और खासियत है कि यह हमारी आध्यात्मिक लड़ाई में एक ज़बरदस्त हथियार के तौर पर काम आती है। पौलुस ने इसे “पवित्र शक्‍ति की तलवार” कहा। (इफिसियों 6:12, 17 पढ़िए।) अगर बाइबल का संदेश असरदार तरीके से पेश किया जाए, तो यह इंसानों को शैतान की गिरफ्त से आज़ाद कर सकता है। यह ऐसी तलवार है जो जान लेने के बजाय जान बचाती है। तो क्या हमें इस हथियार का कुशलता से इस्तेमाल नहीं करना चाहिए?

वचन का सही तरह से इस्तेमाल कीजिए

7. यह क्यों ज़रूरी है कि हम सही तरीके से “पवित्र शक्‍ति की तलवार” को चलाना सीखें?

7 एक सैनिक अपना हथियार तभी असरदार तरीके से चला पाएगा, जब वह उसका सही तरीके से इस्तेमाल करना सीखेगा और उसका अभ्यास करेगा। यही बात “पवित्र शक्‍ति की तलवार” के बारे में भी सच है, जिसे हम शैतान के साथ अपनी लड़ाई में इस्तेमाल करते हैं। पौलुस ने लिखा: “तू अपना भरसक कर ताकि खुद को परमेश्‍वर के सामने एक ऐसे सेवक की तरह पेश कर सके जो उसकी मंज़ूरी पाए और जिसे अपने काम पर शर्मिंदा न होना पड़े, और जो सच्चाई के वचन को सही तरह से इस्तेमाल करता हो।”—2 तीमु. 2:15.

8, 9. बाइबल की किसी आयत को सही तरह समझने में क्या बात हमारी मदद करेगी? एक उदाहरण दीजिए।

8 क्या बात हमें प्रचार में “सच्चाई के वचन को सही तरह से इस्तेमाल” करने में मदद देगी? दूसरों को बाइबल की कोई आयत समझाने से पहले, खुद हमें उसे अच्छी तरह समझ लेना चाहिए। इसके लिए ज़रूरी है कि हम उस आयत के संदर्भ पर गौर करें। संदर्भ क्या होता है? इस बारे में एक शब्दकोश यूँ कहता है, “किसी शब्द, वाक्य या पाठ के पहले या बाद में लिखी जानकारी, जिससे हमें उस शब्द, वाक्य या पाठ का मतलब और साफ समझ में आता है।”

9 बाइबल की किसी आयत की सही समझ पाने के लिए हमें उसकी आस-पास की आयतों या अध्यायों पर अच्छी तरह गौर करना चाहिए। आइए इसका एक उदाहरण देखें। गलातियों 5:13 में पौलुस ने लिखा: “भाइयो, तुम्हें आज़ाद होने के लिए बुलाया गया था। बस इतना करो कि इस आज़ादी को शरीर की ख्वाहिशें उकसाने का साधन न बनाओ, मगर प्यार से एक-दूसरे की सेवा करो।” पौलुस यहाँ किस आज़ादी की बात कर रहा था? क्या वह पाप और मौत से आज़ादी की, या झूठे धर्म या किसी और तरह की आज़ादी के बारे में कह रहा था? संदर्भ से पता चलता है कि पौलुस यहाँ “मूसा के कानून के शाप से” आज़ाद होने के बारे में कह रहा था। (गला. 3:13, 19-24; 4:1-5) वह दरअसल उस आज़ादी की बात कर रहा था, जो मसीह के रास्ते पर चलने से मिलती है। जिन लोगों ने इस आज़ादी का मतलब समझा, उन्होंने प्यार से एक-दूसरे की सेवा की। मगर जिनमें प्यार नहीं था, वे पीठ पीछे दूसरों की बुराई करने और रगड़े-झगड़े में लगे रहे।—गला. 5:15.

10. बाइबल को सही-सही समझने के लिए हमें किस तरह की जानकारी पर गौर करना चाहिए? यह जानकारी हमें कहाँ से मिल सकती है?

10 शब्द “संदर्भ” का एक और मतलब भी है। इसके दूसरे समान अर्थवाले शब्द हैं, “प्रसंग, हालात, . . . माहौल।” किसी आयत का सही-सही मतलब समझने के लिए उसके पीछे की जानकारी पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है, जैसे बाइबल की किताब किसने, कब और किन हालात में लिखी। आयत समझने में यह जानकारी भी मददगार होती है, जैसे किताब किस मकसद से लिखी गयी थी और उस वक्‍त लोगों का रहन-सहन और उनके नैतिक मूल्य क्या थे और वे किन धर्मों को मानते थे। *

11. बाइबल समझाते समय हमें किस बात का ध्यान रखना चाहिए?

11 “सच्चाई के वचन को सही तरह से इस्तेमाल” करने के लिए आयतों को सही-सही समझाना ही काफी नहीं। हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम बाइबल का इस्तेमाल दूसरों को डराने-धमकाने के लिए न करें। इसके बजाय, हम सच्चाई की पैरवी के लिए इसका इस्तेमाल करें, ठीक जैसे यीशु ने किया था, जब शैतान ने उसकी परीक्षा ली थी। याद रखिए, बाइबल कोई सोंटा नहीं, जिसे बात मनवाने के लिए इस्तेमाल किया जाए। (व्यव. 6:16; 8:3; 10:20; मत्ती 4:4, 7, 10) हमें प्रेषित पतरस की इस सलाह पर गौर करना चाहिए: “मसीह को प्रभु जानकर अपने दिलों में पवित्र मानो, और जो कोई तुम्हारी आशा की वजह जानने की माँग करता है, उसके सामने अपनी आशा की पैरवी करने के लिए हमेशा तैयार रहो, मगर ऐसा कोमल स्वभाव और गहरे आदर के साथ करो।”—1 पत. 3:15.

12, 13. परमेश्‍वर का वचन “गहराई तक समायी हुई” कौन-सी बातों को काट सकता है? इसका एक उदाहरण दीजिए।

12 अगर परमेश्‍वर के वचन का सही इस्तेमाल किया जाए, तो इसकी सच्चाई का लोगों पर क्या असर होता है? (2 कुरिंथियों 10:4, 5 पढ़िए।) इसकी सच्चाई “गहराई तक समायी हुई बातों” को जड़ से उखाड़ सकती है। यह झूठी धारणाओं, बुरी आदतों और असिद्ध इंसानी फलसफों की कमियों को उजागर कर देती है। हम बाइबल का इस्तेमाल कर “परमेश्‍वर के ज्ञान के खिलाफ” खड़े होनेवाले किसी भी विचार को काट सकते हैं। जी हाँ, हम लोगों के विचारों को बाइबल में दी सच्चाई के मुताबिक ढाल सकते हैं।

13 भारत में रहनेवाली 93 साल की एक महिला का उदाहरण लीजिए। उसे बचपन से पुनर्जन्म की शिक्षा सिखायी गयी थी। उसके बेटे ने उसके साथ खत के ज़रिए बाइबल अध्ययन शुरू किया, जो विदेश में रहता था। जब इस महिला ने यहोवा और उसके वादों के बारे में सीखा, तो तुरंत उन बातों पर विश्‍वास कर लिया। लेकिन पुनर्जन्म की शिक्षा उसके दिल में इतनी गहराई तक समायी हुई थी कि जब उसके बेटे ने मरे हुओं के बारे में उसे सच्चाई बतायी तो उसने उसकी बात मानने से साफ इनकार कर दिया। उसने कहा: “मुझे तुम्हारी बाइबल की यह बात बिलकुल समझ में नहीं आती। सारे धर्म सिखाते हैं कि इंसान के अंदर एक आत्मा होती है। और मैंने हमेशा से यह विश्‍वास किया है कि शरीर मर जाता है, मगर उसकी आत्मा अमर होती है और वह करीब 84,00,000 बार अलग-अलग शरीर में जन्म लेती है। यह शिक्षा गलत कैसे हो सकती है? क्या सभी धर्म झूठ सिखाते हैं?” गहराई तक समायी हुई ऐसी धारणा को क्या “पवित्र शक्‍ति की तलवार” से काटा जा सकता है? कुछ हफ्ते तक बाइबल से इस विषय पर और चर्चा होने के बाद, उसने अपने बेटे को लिखा: “अब मुझे मौत के बारे में सच्चाई समझ आने लगी है। यह जानकर मुझे बड़ी खुशी हो रही है कि परमेश्‍वर मरे हुए हमारे अज़ीज़ों को ज़िंदा करेगा और हम उनसे दोबारा मिल पाएँगे। मैं यही प्रार्थना करती हूँ कि परमेश्‍वर का राज जल्द-से-जल्द आए।”

वचन की मदद से कायल कीजिए

14. एक इंसान को कायल करने का मतलब क्या है?

14 प्रचार में बाइबल का असरदार तरीके से इस्तेमाल करने का मतलब यह नहीं कि हम सिर्फ आयतें खोल-खोलकर दिखाएँ। पौलुस ने लोगों को “कायल” किया और हमें भी ऐसा करना है। (प्रेषितों 19:8, 9; 28:23 पढ़िए।) “कायल” करने का मतलब है, किसी को “जीत लेना।” एक इंसान जो किसी बात पर कायल हो जाता है, “वह पूरी तरह उस बात पर विश्‍वास करने लगता है।” जब हम एक इंसान को बाइबल की कोई शिक्षा मानने के लिए कायल करते हैं, तो हम उसे उस शिक्षा पर पूरा भरोसा दिलाते हैं और उसे जीत लेते हैं। ऐसा करने के लिए हमें उसे यकीन दिलाना होगा कि हम जो कह रहे हैं वह बिलकुल सच है। हम यह कैसे कर सकते हैं, इसके कुछ तरीके आगे बताए गए हैं।

15. आप घर-मालिक का ध्यान बाइबल पर कैसे खिंच सकते हैं, जिससे उसके दिल में बाइबल के लिए आदर पैदा हो?

15 परमेश्‍वर के वचन की तरफ ध्यान खींचिए और उसके लिए आदर पैदा कीजिए। घर-मालिक को बाइबल से कोई वचन दिखाने से पहले उसे बताइए कि किसी विषय पर परमेश्‍वर का विचार जानना क्यों ज़रूरी है। उससे एक सवाल पूछने और उसका जवाब पाने के बाद आप कुछ ऐसा कह सकते हैं: ‘आइए देखें कि इस विषय के बारे में परमेश्‍वर का क्या नज़रिया है।’ या आप कह सकते हैं: ‘इस बारे में परमेश्‍वर का क्या कहना है?’ ऐसा कहने के बाद जब हम घर-मालिक को आयत दिखाते हैं, तो हम इस बात पर ज़ोर देते हैं कि बाइबल परमेश्‍वर की तरफ से है और हम उसके मन में बाइबल के लिए गहरा आदर पैदा करते हैं। यह तरीका उस घर-मालिक के साथ अपनाना खासकर बहुत ज़रूरी होता है, जो परमेश्‍वर पर विश्‍वास तो करता है, मगर बाइबल की शिक्षाओं को नहीं जानता।—भज. 19:7-10.

16. आप आयतों को कैसे अच्छी तरह समझा सकते हैं?

16 न सिर्फ आयतें पढ़िए बल्कि उन्हें समझाइए भी। पौलुस सिखाते वक्‍त हमेशा ‘शास्त्र से हवाले दे-देकर समझाता और सबूत देता’ था। (प्रेषि. 17:3) किसी आयत में अकसर एक–से-ज़्यादा मुद्दे होते हैं। इसलिए आपको आयत के सिर्फ उस शब्द या शब्दों पर ज़ोर देना चाहिए, जो आपके चर्चा किए जा रहे विषय से जुड़े होते हैं। आप यह कैसे कर सकते हैं? आप चाहें तो विषय से जुड़े खास शब्दों को दोहरा सकते हैं या घर-मालिक से ऐसे सवाल पूछ सकते हैं, जिनसे वह उस खास शब्दों को पहचान सके। फिर उसका मतलब समझाइए। इसके बाद, घर-मालिक को बताइए कि वह कैसे उस आयत को अपनी ज़िंदगी में लागू कर सकता है।

17. आप शास्त्र से तर्क-वितर्क कैसे कर सकते हैं, जिससे सुननेवाला कायल हो जाए?

17 बाइबल से इस तरह दलीलें दीजिए कि घर-मालिक को यकीन हो जाए। पौलुस ‘पवित्र शास्त्र से तर्क-वितर्क करता था।’ (प्रेषि. 17:2, 4) ऐसा करते वक्‍त वह ठोस दलीलें देता था और प्यार से गुज़ारिश करता था। उसी तरह, आपको भी घर-मालिक के दिल तक पहुँचने की कोशिश करनी चाहिए। उससे ऐसे सवाल पूछिए, जिससे ज़ाहिर हो कि आपको उसमें सच्ची दिलचस्पी है और इस तरह उसके दिल की बात ‘निकालिए।’ (नीति. 20:5) ध्यान रखिए कि आप रुखाई से पेश न आएँ। इसके बजाय, साफ-साफ और सिलसिलेवार ढंग से दलीलें दीजिए। अपनी दलीलों को सबूतों के ज़रिए पक्का कीजिए। आपकी बातें पूरी तरह परमेश्‍वर के वचन पर आधारित होनी चाहिए। एक-के-बाद-एक कई आयतें पढ़ने के बजाय अच्छा होगा, अगर आप एक ही आयत पढ़ें और उदाहरण देकर उसे समझाएँ। आप दलीलें पेश करते वक्‍त, बाहरी सबूत भी दे सकते हैं। इससे हमारी “वाणी में मनवाने की शक्‍ति” यानी हमारी बातें कायल करनेवाली होंगी। (नीति. 16:23, बुल्के बाइबिल) कभी-कभी हमें शायद खोजबीन कर और ज़्यादा जानकारी देनी पड़े। इस लेख में 93 साल की जिस महिला का ज़िक्र किया गया था, उसे यह समझने की ज़रूरत थी कि आखिर अमर आत्मा की शिक्षा सभी धर्मों में इतनी आम क्यों है। क्योंकि जब वह यह जान लेती कि इस शिक्षा की शुरूआत कहाँ से हुई और कैसे यह सब धर्मों में फैल गयी, तभी वह इस बारे में बाइबल की शिक्षा पर कायल होती। *

परमेश्‍वर का वचन कुशलता से इस्तेमाल करते रहिए

18, 19. हमें क्यों “पवित्र शक्‍ति की तलवार” का कुशलता से इस्तेमाल करते रहना चाहिए?

18 बाइबल कहती है, “इस दुनिया का दृश्‍य बदल रहा है।” दुष्ट और फरेबी, बुराई में बद-से-बदतर होते चले जा रहे हैं। (1 कुरिं. 7:31; 2 तीमु. 3:13) इसलिए यह ज़रूरी है कि हम “गहराई तक समायी हुई” बातों को काट डालने के लिए ‘पवित्र शक्‍ति की तलवार, यानी परमेश्‍वर के वचन’ का इस्तेमाल करते रहें।

19 यह कितनी खुशी की बात है कि हमारे पास परमेश्‍वर का वचन, बाइबल है और इसके ज़बरदस्त संदेश से हम लोगों के दिल तक पहुँच सकते हैं और उनमें समायी झूठी शिक्षाओं को जड़ से उखाड़ सकते हैं! जी हाँ, परमेश्‍वर का वचन गहराई तक समायी हुई किसी भी बात से ज़्यादा ताकतवर है। तो आइए हम परमेश्‍वर से मिले राज के प्रचार काम में, “पवित्र शक्‍ति की तलवार” का कुशलता से इस्तेमाल करने की पूरी-पूरी कोशिश करें।

[फुटनोट]

^ बाइबल की किताबें कब, किसने, कहाँ लिखीं, इस बारे में ज़्यादा जानने के लिए “ऑल स्क्रिप्चर इज़ इंस्पायर्ड ऑफ गॉड एण्ड बैनिफीशियल,” इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्‌ और प्रहरीदुर्ग में छपे लेख, “यहोवा का वचन जीवित है” बहुत मददगार हैं।

^ ब्रोशर, मरने पर हमारा क्या होता है? (अँग्रेज़ी) पेज 5-16 देखिए।

आपने क्या सीखा?

• परमेश्‍वर का वचन कितना ताकतवर है?

• हम कैसे “सच्चाई के वचन को सही तरह से इस्तेमाल” कर सकते हैं?

• बाइबल का संदेश “गहराई तक समायी हुई” बातों को क्या कर सकता है?

• प्रचार में आप लोगों को कायल करने में और कुशल कैसे बन सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 12 पर बक्स/तसवीर]

वचन की मदद से कायल कैसे करें

▪ बाइबल के लिए आदर पैदा कीजिए

▪ आयत को समझाइए

▪ दिल तक पहुँचने के लिए कायल करनेवाली दलीलें दीजिए

[पेज 11 पर तसवीर]

“पवित्र शक्‍ति की तलवार” का कुशलता से इस्तेमाल करना सीखिए