इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलो अपने समर्पण के मुताबिक जीओ

पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलो अपने समर्पण के मुताबिक जीओ

पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलो अपने समर्पण के मुताबिक जीओ

“पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलते रहो और तुम शरीर की ख्वाहिशों को हरगिज़ पूरा न करोगे।”—गला. 5:16.

1. पिन्तेकुस्त के त्योहार के दिन कौन-से दो किस्म के बपतिस्मे हुए?

 ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त त्योहार के दिन यीशु के चेले अलग-अलग भाषाओं में बात करने लगे। यह इसलिए मुमकिन हुआ क्योंकि उन्होंने पवित्र शक्‍ति से बपतिस्मा पाया था। इस बपतिस्मे के बाद ही यह ज़ाहिर हुआ कि उन्होंने पवित्र शक्‍ति के चमत्कार से यह वरदान पाया था। (1 कुरिं. 12:4-10) इस वरदान के इस्तेमाल का और प्रेषित पतरस के भाषण का लोगों पर क्या असर हुआ? कई लोगों का “दिल उन्हें बेहद कचोटने लगा।” पतरस के उकसाने पर उन्होंने पश्‍चाताप किया और पानी में बपतिस्मा लिया। बाइबल कहती है: “जितनों ने पूरे दिल से उसके वचन को माना, उन सभी ने बपतिस्मा लिया और उस दिन करीब तीन हज़ार लोग, चेलों में शामिल हो गए।” (प्रेषि. 2:22, 36-41) जैसे यीशु ने हिदायत दी थी, उन्होंने पिता, बेटे और पवित्र शक्‍ति के नाम से पानी में बपतिस्मा लिया होगा।—मत्ती 28:19.

2, 3. (क) पवित्र शक्‍ति से बपतिस्मा पाने और पवित्र शक्‍ति के नाम से बपतिस्मा लेने में क्या फर्क है? (ख) आज जो सच्चे मसीही बनते हैं, उन सभी से पानी में बपतिस्मा लेने की उम्मीद क्यों की जाती है?

2 लेकिन क्या पवित्र शक्‍ति से बपतिस्मा पाने और पवित्र शक्‍ति के नाम से बपतिस्मा लेने में कोई फर्क है? जी हाँ। पवित्र शक्‍ति से बपतिस्मा पानेवाले, परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति के ज़रिए उसके बेटों के रिश्‍ते से दोबारा पैदा होते हैं। (यूह. 3:3) उनका अभिषेक किया जाता है कि आगे चलकर वे स्वर्ग में परमेश्‍वर के राज में यीशु के साथ राज करेंगे और याजकों के नाते उसके नीचे काम करेंगे। और वे मसीह के आत्मिक शरीर का हिस्सा हैं। (1 कुरिं. 12:13; गला. 3:27; प्रका. 20:6) यहोवा ने पिन्तेकुस्त के दिन और उसके बाद कुछ लोगों को पवित्र शक्‍ति से बपतिस्मा दिया और इस तरह उन्हें मसीह के संगी वारिस होने के लिए चुना। (रोमि. 8:15-17) लेकिन पवित्र शक्‍ति के नाम से पानी में दिया जानेवाला बपतिस्मा क्या है, जो आज यहोवा के लोगों के सम्मेलनों और अधिवेशनों में दिया जाता है?

3 सच्चे मसीही जब तन-मन से अपनी ज़िंदगी यहोवा परमेश्‍वर को समर्पित करते हैं तो इसकी निशानी के तौर पर वे पानी में बपतिस्मा लेते हैं। जिन्हें स्वर्ग में जीवन पाने का बुलावा मिला है, उन्होंने यह बपतिस्मा पाया है। मगर पानी में बपतिस्मा लेना आज उन लाखों लोगों के लिए भी ज़रूरी है जो धरती पर हमेशा की ज़िंदगी पाने की उम्मीद रखते हैं। हर वह इंसान जो परमेश्‍वर की मंज़ूरी पाना चाहता है, उसके लिए पिता, बेटे और पवित्र शक्‍ति के नाम से पानी में बपतिस्मा लेना ज़रूरी है, फिर चाहे वह धरती पर जीने की आशा रखता हो या स्वर्ग में। इस किस्म का बपतिस्मा लेनेवाले सभी मसीहियों से उम्मीद की जाती है कि वे “पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलते” रहेंगे। (गलातियों 5:16 पढ़िए।) क्या आप पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चल रहे हैं और इस तरह अपने समर्पण के मुताबिक जी रहे हैं?

‘पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलने’ का मतलब

4. ‘पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलने’ का क्या मतलब है?

4 ‘पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलने’ का मतलब है, पवित्र शक्‍ति आपको जिस राह पर ले जाना चाहती है उसी पर चलना और अपनी ज़िंदगी को उसी के मुताबिक ढालना। दूसरे शब्दों में, इसका मतलब है अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन पर चलना। गलातियों के अध्याय 5 में बताया गया है कि पवित्र शक्‍ति के मुताबिक खुद को ढालने और शरीर की ख्वाहिशों के मुताबिक काम करने में क्या फर्क है।गलातियों 5:17, 18 पढ़िए।

5. पवित्र शक्‍ति के मुताबिक अपनी ज़िंदगी को ढालने के लिए किन कामों से दूर रहना ज़रूरी है?

5 अगर आप अपनी ज़िंदगी पवित्र शक्‍ति के मुताबिक ढाल रहे हैं तो आप शरीर के कामों से दूर रहने की कोशिश करेंगे। ये ऐसे काम हैं जैसे, “व्यभिचार, अशुद्धता, बदचलनी, मूर्तिपूजा, भूत-विद्या, दुश्‍मनी, तकरार, जलन, गुस्से से उबलना, झगड़े, फूट, गुटबंदी, ईर्ष्या, नशेबाज़ी के दौर, रंगरलियाँ।” (गला. 5:19-21) आप मानो “परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति से शरीर के कामों को मार देते” हैं। (रोमि. 8:5, 13) पवित्र शक्‍ति आपको आध्यात्मिक बातों पर मन लगाने और उसके निर्देशन के मुताबिक काम करने में मदद देगी। इसलिए आप शरीर की ख्वाहिशों के गुलाम नहीं होंगे।

6. मिसाल देकर समझाइए कि पवित्र शक्‍ति का फल पैदा करने के लिए क्या ज़रूरी है।

6 जब पवित्र शक्‍ति आप पर काम करती है तो आप अपने व्यवहार में “परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति का फल” यानी परमेश्‍वर को भानेवाले गुण दिखाते हैं। (गला. 5:22, 23) मगर साथ ही आप जानते हैं कि ऐसे गुण दिखाने के लिए आपको खुद मेहनत करने की भी ज़रूरत है। इसे समझने के लिए यह मिसाल लीजिए: एक किसान अपना खेत जोतता है। मगर उसकी मेहनत के साथ-साथ फसल के बढ़ने के लिए धूप और पानी भी ज़रूरी हैं। इनके बिना वह अच्छी फसल की उम्मीद नहीं कर सकता। पवित्र शक्‍ति मानो धूप की तरह है। अपने जीवन में पवित्र शक्‍ति का फल पैदा करने के लिए हमें इसकी ज़रूरत है। लेकिन, अगर किसान कड़ी मेहनत न करे, तो क्या उसके खेत में कुछ पैदा होगा? (नीति. 10:4) यही बात हमारे मामले में भी सच है। हम अपने दिल की मिट्टी को जितनी अच्छी तरह जोतेंगे, उसी से यह तय होगा कि हमारे अंदर पवित्र शक्‍ति के फल की पैदावार कितनी ज़्यादा और कितनी अच्छी होगी। इसलिए खुद से पूछिए, ‘क्या मैं पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन पर चलकर अपने अंदर इसे फल पैदा करने दे रहा हूँ?’

7. पवित्र शक्‍ति का फल पैदा करने के लिए अध्ययन और मनन क्यों बहुत ज़रूरी है?

7 अच्छी फसल पाने के लिए खेत को पानी से सींचना भी ज़रूरी होता है। उसी तरह, पवित्र शक्‍ति का फल अपने अंदर बढ़ाने के लिए आपको सच्चाई का ज्ञान पाने की ज़रूरत है जो पानी की तरह है। आज यह ज्ञान बाइबल में पाया जाता है और मसीही मंडली के ज़रिए दिया जा रहा है। (यशा. 55:1) आपने बेशक बहुतों को बताया होगा कि बाइबल, पवित्र शक्‍ति की प्रेरणा से लिखी गयी है। (2 तीमु. 3:16) साथ ही, विश्‍वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाला दास हमें बाइबल की सच्चाई की समझ दे रहा है जो शुद्ध जल की तरह है और जिसकी हमें सख्त ज़रूरत है। (मत्ती 24:45-47) मतलब बिलकुल साफ है। अगर हम पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलना चाहते हैं तो हमें परमेश्‍वर का वचन पढ़ना चाहिए और उस पर मनन करना चाहिए। अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो आप भविष्यवक्‍ताओं की बढ़िया मिसाल पर चल रहे हैं जो परमेश्‍वर से मिलनेवाली जानकारी के बारे में ‘बहुत लगन के साथ पूछताछ करते थे और बड़े ध्यान से खोजबीन’ करते थे। यह बात गौर करने लायक है कि स्वर्गदूतों ने भी वादा किए गए वंश के बारे में और अभिषिक्‍त लोगों की मसीही मंडली के बारे में आध्यात्मिक सच्चाइयाँ जानने में गहरी दिलचस्पी दिखायी है।1 पतरस 1:10-12 पढ़िए।

पवित्र शक्‍ति के मुताबिक खुद को ढालना—कैसे?

8. यहोवा से उसकी पवित्र शक्‍ति के लिए प्रार्थना करना क्यों आपके लिए ज़रूरी है?

8 पवित्र शक्‍ति के मुताबिक खुद को ढालने के लिए पवित्र शास्त्र का अध्ययन करना और मनन करना काफी नहीं है। आपको यहोवा से मदद और मार्गदर्शन के लिए लगातार प्रार्थना करने की ज़रूरत है। “जितना हम माँग सकते हैं या जहाँ तक हम सोच सकते हैं, उससे कहीं बढ़कर [परमेश्‍वर] हमारे लिए कर सकता है।” (इफि. 3:20; लूका 11:13) लेकिन अगर कोई पूछे कि “परमेश्‍वर तो ‘मेरे माँगने से पहले जानता है कि मुझे किन चीज़ों की ज़रूरत है,’ फिर मैं क्यों प्रार्थना में उससे माँगता रहूँ,” तो आप क्या जवाब देंगे? (मत्ती 6:8) जब आप पवित्र शक्‍ति के लिए प्रार्थना करते हैं तो आप दिखाते हैं कि आप यहोवा पर निर्भर हैं। मिसाल के लिए, अगर कोई आपसे मदद माँगता है तो आप उसकी मदद करने के लिए अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश करेंगे। इसकी एक वजह यह है कि उसने आपसे मदद माँगकर आप पर भरोसा दिखाया है। (नीतिवचन 3:27 से तुलना कीजिए।) उसी तरह, जब आप यहोवा की पवित्र शक्‍ति के लिए उससे प्रार्थना करते हैं तो उसे बहुत खुशी होती है और वह आपको अपनी पवित्र शक्‍ति देगा।—नीति. 15:8.

9. मसीही सभाओं में हाज़िर होने से पवित्र शक्‍ति के मुताबिक खुद को ढालने में आपको कैसे मदद मिलती है?

9 परमेश्‍वर अपनी पवित्र शक्‍ति के मुताबिक हमें ढालने के लिए एक और तरीका इस्तेमाल करता है। वह है, हमारी सभाएँ, सम्मेलन और अधिवेशन। इनमें हाज़िर होने की पूरी-पूरी कोशिश करना और कार्यक्रम को ध्यान से सुनना बहुत ज़रूरी है। ऐसा करने से आप “परमेश्‍वर के गहरे रहस्यों” को समझ पाएँगे। (1 कुरिं. 2:10) सभाओं में नियमित तौर पर जवाब देने से भी फायदे होते हैं। पिछले चार हफ्तों के दौरान आप जिन सभाओं में हाज़िर हुए थे, उन्हें याद कीजिए। आपने जवाब देने और अपना विश्‍वास ज़ाहिर करने के लिए कितनी बार हाथ उठाया था? क्या आपको लगता है कि इस मामले में आपको कुछ सुधार करने की ज़रूरत है? अगर हाँ, तो ठान लीजिए कि आप आनेवाले हफ्तों में सुधार के लिए क्या करेंगे। सभाओं में भाग लेने की आपकी तैयारी पर यहोवा गौर करेगा और आपको अपनी पवित्र शक्‍ति देगा, जिसकी मदद से आप सभाओं से और ज़्यादा फायदा पाएँगे।

10. पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलने में दूसरों को कौन-सा न्यौता देना शामिल है?

10 पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलने में यह भी शामिल है कि हम प्रकाशितवाक्य 22:17 में दिए इस न्यौते को कबूल करें: “पवित्र शक्‍ति और वह दुल्हन कहती रहती हैं: ‘आ!’ और सुननेवाला हर कोई कहे: ‘आ!’ और हर कोई जो प्यासा हो वह आए। जो कोई चाहे वह जीवन देनेवाला पानी मुफ्त में ले ले।” अभिषिक्‍त जन जो मसीह की दुल्हन का हिस्सा हैं, इनके ज़रिए पवित्र शक्‍ति जीवन देनेवाले पानी के बारे में यह न्यौता दे रही है। अगर आपने यह न्यौता कबूल किया है तो क्या आपने दूसरों को भी यह न्यौता देने का पक्का फैसला किया है? यह ऐसा काम है जो लोगों की जान बचाता है और इसमें हिस्सा लेना क्या ही बड़ा सम्मान है!

11, 12. प्रचार के काम में पवित्र शक्‍ति कैसे मदद देती है?

11 आज यह ज़रूरी काम पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में पूरा किया जा रहा है। हम बाइबल में पढ़ते हैं कि पहली सदी में पवित्र शक्‍ति ने किस तरह मिशनरियों को प्रचार के नए इलाकों में जाने का मार्गदर्शन दिया था। प्रेषित पौलुस और उसके साथियों को “पवित्र शक्‍ति ने . . . एशिया ज़िले में वचन सुनाने से मना किया” और उन्हें बितूनिया प्रांत में जाने की भी इजाज़त नहीं दी। हम ठीक-ठीक नहीं जानते कि पवित्र शक्‍ति ने उन्हें इन इलाकों में जाने से कैसे रोका, मगर यह साफ है कि पवित्र शक्‍ति पौलुस को यूरोप में प्रचार के बड़े इलाके में ले गयी। उसे एक दर्शन दिया गया जिसमें यूरोप के मकिदुनिया का एक आदमी उससे मदद की बिनती कर रहा था।—प्रेषि. 16:6-10.

12 आज भी यहोवा की पवित्र शक्‍ति दुनिया भर में चल रहे प्रचार काम के लिए निर्देशन दे रही है। आज चमत्कार से कोई दर्शन नहीं दिया जाता मगर यहोवा अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए अभिषिक्‍त जनों को मार्गदर्शन देता है। और पवित्र शक्‍ति भाई-बहनों को उकसाती है कि वे प्रचार और सिखाने के काम में जी-जान से मेहनत करें। बेशक आप भी इस ज़रूरी काम में हिस्सा ले रहे होंगे। क्या आप इस काम में और ज़्यादा वक्‍त देकर अपनी खुशी बढ़ा सकते हैं?

13. आप पवित्र शक्‍ति के निर्देशन में कैसे चल सकते हैं? एक मिसाल बताइए।

13 आज परमेश्‍वर के लोगों को दी जानेवाली जानकारी पर अमल करना भी एक तरीका है जिससे आप पवित्र शक्‍ति के निर्देशन में चलते हैं। जापान की एक बहन मीहोको की मिसाल पर ध्यान दीजिए। एक नयी पायनियर होने के नाते वह वापसी भेंट करने में नाकाबिल महसूस करती थी। उसे लगता था कि वह इस तरह बात नहीं कर पाती जिससे घर-मालिक का ध्यान बाँध सके। उसी दौरान, हमारी राज-सेवा में कुछ कारगर सुझाव दिए गए कि थोड़े से वक्‍त में वापसी भेंट कैसे की जा सकती है। इसके बाद संतोष से भरी ज़िंदगी—कैसे हासिल की जा सकती है ब्रोशर प्रकाशित किया गया। यह ब्रोशर खासकर जापान में काफी असरदार साबित हुआ है। मीहोको ने इस ब्रोशर को इस्तेमाल करने के सुझावों पर अमल किया, खासकर थोड़े वक्‍त में वापसी भेंट करने के बारे में दिए सुझावों को। कुछ ही समय के अंदर वह ऐसे लोगों के साथ बाइबल अध्ययन शुरू कर पायी जो शायद पहले उसके साथ अध्ययन के लिए तैयार न होते। वह कहती है, “मैं एक वक्‍त पर 12 बाइबल अध्ययन चलाती थी। और इतने सारे लोग बाइबल अध्ययन करना चाहते थे कि मुझे कुछ लोगों को वेटिंग लिस्ट में रखना पड़ा!” वाकई, अगर आप पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलें और यहोवा के सेवकों को दिए जानेवाले निर्देशन को मानें तो आप अच्छा और भरपूर फल काटेंगे।

परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति पर निर्भर रहिए

14, 15. (क) असिद्ध इंसानों के लिए अपने समर्पण के मुताबिक जीना कैसे मुमकिन है? (ख) आप सबसे अच्छे दोस्त कैसे पा सकते हैं?

14 परमेश्‍वर के ठहराए सेवक होने के नाते आपको सेवा का काम सौंपा गया है। (रोमि. 10:14) आपको शायद लगे कि आप इस ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए पूरी तरह योग्य नहीं हैं। मगर परमेश्‍वर जिस तरह अभिषिक्‍त जनों को इस काम के योग्य बनाता है, उसी तरह वह आपको भी योग्य बनाएगा। (2 कुरिंथियों 3:5 पढ़िए।) अगर आप अपनी तरफ से पूरी कोशिश करें और परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति पर निर्भर रहें तो आप अपने समर्पण के मुताबिक जी सकेंगे।

15 हम पापी, असिद्ध इंसानों ने अपनी ज़िंदगी यहोवा परमेश्‍वर को समर्पित की है जो सिद्ध और निष्पाप है, इसलिए इस समर्पण के मुताबिक जीना हमारे लिए आसान नहीं है। एक मुश्‍किल यह है कि आप पहले जिन लोगों के साथ मेल-जोल रखते थे, वे शायद आपके जीने का नया तरीका देखकर ताज्जुब करते हों और ‘आपके बारे में बुरा-भला कहते’ हों। (1 पत. 4:4) मगर यह मत भूलिए कि आपको नए दोस्त भी मिले हैं, जिनमें सबसे खास दोस्त हैं यहोवा परमेश्‍वर और यीशु मसीह। (याकूब 2:21-23 पढ़िए।) अपनी मंडली के भाई-बहनों को जानना भी बहुत ज़रूरी है, जो दुनिया भर में फैली “भाइयों की सारी बिरादरी” का हिस्सा हैं। (1 पत. 2:17; नीति. 17:17) यहोवा अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए आपको ऐसे दोस्त पाने में मदद करेगा जो हमेशा आप पर अच्छा असर डालेंगे।

16. आप भी पौलुस की तरह क्यों अपनी ‘कमज़ोरियों में खुश’ हो सकते हैं?

16 मंडली में आपके दोस्त चाहे आपकी कितनी भी मदद करें, फिर भी रोज़मर्रा की चुनौतियों से जूझना आपको मुश्‍किल लग सकता है। आपको कभी-कभी ऐसी मुश्‍किलों का सामना करना पड़ सकता है कि उनसे निपटने का आपको शायद कोई उपाय नज़र न आए और आपको लगे कि आप समस्याओं की ऐसी अंधेरी सुरंग में हैं जो कभी खत्म ही नहीं होगी। खासकर ऐसे वक्‍त में आपको यहोवा से मदद माँगनी चाहिए, उसकी पवित्र शक्‍ति के लिए उससे बिनती करनी चाहिए। प्रेषित पौलुस ने लिखा: “जब मैं कमज़ोर होता हूँ, तभी मैं ताकतवर होता हूँ।” (2 कुरिंथियों 4:7-10; 12:10 पढ़िए।) पौलुस जानता था कि इंसानी कमज़ोरियों की वजह से हम जो नहीं कर पाते वह हम परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति से पूरा कर सकते हैं, फिर चाहे हमारी कमज़ोरी जो भी हो। इसलिए जब कभी आप महसूस करते हैं कि आप कमज़ोर हैं और आपको मदद की ज़रूरत है तो ऐसे में परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति आपको मज़बूत कर सकती है। पौलुस ने लिखा कि वह अपनी “कमज़ोरियों में . . . खुश” होता है। जब वह कमज़ोर होता था तब वह महसूस कर पाता था कि पवित्र शक्‍ति उस पर काम कर रही है। आप चाहें तो खुद अपने तजुरबे से जान सकते हैं कि यह एहसास कैसा होता है!—रोमि. 15:13.

17. पवित्र शक्‍ति आपको अपने लक्ष्य तक पहुँचने में कैसे मदद दे सकती है?

17 अपने समर्पण के मुताबिक जीने के लिए हमें परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति की मदद की ज़रूरत है। सोचिए कि आप एक जहाज़ के कप्तान हैं। आप हवा के रुख को सही-सही पहचानना चाहते हैं ताकि अपने जहाज़ को मंज़िल तक सही-सलामत पहुँचा सकें। उसी तरह, आपकी ज़िंदगी के सफर का लक्ष्य है, हमेशा तक यहोवा की सेवा करना। पवित्र शक्‍ति उस हवा की तरह है जो आपको लक्ष्य तक पहुँचाएगी। आप नहीं चाहते कि शैतान की दुनिया की फितरत आपको यहाँ-वहाँ उछालती रहे। (1 कुरिं. 2:12) इसलिए आपको मानो हवा का रुख पता करना है यानी यह जानना है कि पवित्र शक्‍ति आपको किस तरफ ले जाना चाहती है और फिर उसके मुताबिक चलना है। परमेश्‍वर के वचन और उसकी पवित्र शक्‍ति के निर्देशन पर चलनेवाले संगठन के ज़रिए, पवित्र शक्‍ति आपको सही राह पर चलने के लिए उकसाएगी।

18. आपने अब क्या ठाना है? और क्यों?

18 अगर आप कुछ वक्‍त से यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल अध्ययन कर रहे हैं, उनकी सभाओं में उनसे संगति कर रहे हैं, मगर अभी तक आपने समर्पण और बपतिस्मा के ज़रूरी कदम नहीं उठाए, तो खुद से पूछिए, ‘क्या वजह है कि मैंने अब तक ये कदम नहीं उठाए?’ अगर आप यह मानते हैं कि आज यहोवा की मरज़ी पूरी करने में पवित्र शक्‍ति का बहुत बड़ा हाथ है और यह भी जानते हैं कि यह किस तरह काम करती है, तो वे कदम उठाइए जो आप जानते हैं कि आपको उठाने चाहिए। यहोवा आपको ढेरों आशीषें देगा। वह आपको अपनी पवित्र शक्‍ति भरपूर देगा। अगर आपने बरसों पहले बपतिस्मा लिया था, तो आप अपने तजुरबे से जानते हैं कि पवित्र शक्‍ति ने आपकी ज़िंदगी को कैसे ढाला है। आपने देखा है और खुद महसूस किया है कि परमेश्‍वर कैसे अपनी पवित्र शक्‍ति देकर आपको मज़बूत कर सकता है। आगे भी, जी हाँ, हमेशा-हमेशा तक परमेश्‍वर आपके लिए ऐसा कर सकता है। इसलिए ठान लीजिए कि आप पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलते रहेंगे।

क्या आपको याद है?

• ‘पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलने’ का क्या मतलब है?

• “पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलते” रहने में क्या बात आपकी मदद कर सकती है?

• आप अपने समर्पण के मुताबिक कैसे जी सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 15 पर तसवीर]

अपने दिल की मिट्टी को जोतने में मेहनत लगती है

[पेज 16, 17 पर तसवीरें]

क्या परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति आपकी ज़िंदगी पर असर कर रही है?