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बच्चो और जवानो, यहोवा की सेवा करने की अपनी इच्छा बढ़ाइए

बच्चो और जवानो, यहोवा की सेवा करने की अपनी इच्छा बढ़ाइए

बच्चो और जवानो, यहोवा की सेवा करने की अपनी इच्छा बढ़ाइए

“अपनी जवानी के दिनों में अपने सृजनहार को स्मरण रख।”—सभो. 12:1.

1. इसराएल के बच्चों को क्या हिदायत दी गयी थी?

 करीब 3,500 साल पहले की बात है। यहोवा के भविष्यवक्‍ता मूसा ने इसराएल के याजकों और बुज़ुर्गों को यह आज्ञा दी: “क्या पुरुष, क्या स्त्री, क्या बालक, . . . सब लोगों को इकट्ठा करना कि वे सुनकर सीखें, और तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा का भय मानकर, इस व्यवस्था के सारे वचनों के पालन करने में चौकसी करें।” (व्यव. 31:12) गौर कीजिए कि जब सब इसराएलियों को उपासना के लिए इकट्ठा होने के लिए कहा गया, तो उनमें कौन-कौन शामिल था—स्त्री-पुरुष और बालक। जी हाँ, बच्चों और जवानों को भी यह हिदायत दी गयी थी कि वे यहोवा की सुनें, उससे सीखें और उसके निर्देशनों पर चलें।

2. यहोवा ने मसीही मंडली के बच्चों और जवानों के लिए कैसे परवाह दिखायी?

2 पहली सदी में भी यहोवा ने उसका भय माननेवाले बच्चों और जवानों के लिए परवाह दिखायी। उदाहरण के लिए, जब प्रेषित पौलुस ने अलग-अलग मंडलियों को चिट्ठी लिखी, तब परमेश्‍वर ने उनमें जवानों के लिए खास हिदायतें शामिल करने की उसे प्रेरणा दी। (इफिसियों 6:1; कुलुस्सियों 3:20 पढ़िए।) इस तरह की सलाहों पर चलकर कई जवान मसीहियों के दिल में स्वर्ग में रहनेवाले पिता के लिए कदरदानी बढ़ी। साथ ही, उन्हें परमेश्‍वर से आशीषें भी मिलीं।

3. आज जवान लोग कैसे ज़ाहिर करते हैं कि वे यहोवा की उपासना करना चाहते हैं?

3 क्या आज बच्चों और जवानों को न्यौता दिया जाता है कि वे यहोवा की उपासना करने के लिए मंडली में इकट्ठा हों? बिलकुल। और जब ये जवान, पौलुस के इस उपदेश को दिल से मानते हैं, तो परमेश्‍वर के सभी लोगों का दिल बाग-बाग हो जाता है: “आओ हम प्यार और बढ़िया कामों में उकसाने के लिए एक-दूसरे में गहरी दिलचस्पी लें, और एक-दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसा कुछ लोगों का दस्तूर है। बल्कि एक-दूसरे की हिम्मत बंधाएँ, और जैसे-जैसे तुम उस दिन को नज़दीक आता देखो, यह और भी ज़्यादा किया करो।” (इब्रा. 10:24, 25) कई बच्चे न सिर्फ सभाओं में हाज़िर होते हैं, बल्कि अपने माता-पिता के साथ मिलकर परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी भी सुनाते हैं। (मत्ती 24:14) इसके अलावा, हर साल हज़ारों नौजवान बपतिस्मा लेते हैं, क्योंकि वे यहोवा को दिलो-जान से प्यार करते हैं। और मसीह के चेले होने की वजह से उन पर परमेश्‍वर की भरपूर आशीषें होती हैं।—मत्ती 16:24; मर. 10:29, 30.

जल्द-से-जल्द न्यौता स्वीकार कीजिए

4. बच्चे और जवान कब परमेश्‍वर की सेवा करने का न्यौता स्वीकार कर सकते हैं?

4 सभोपदेशक 12:1 में लिखा है: “अपनी जवानी के दिनों में अपने सृजनहार को स्मरण रख।” बच्चो और जवानो, आपको किस उम्र में यहोवा की उपासना और सेवा करने का न्यौता स्वीकार करना चाहिए? बाइबल कोई तय उम्र नहीं बताती। इसलिए यह सोचकर कि आप अभी बहुत छोटे हैं, यहोवा की सुनने और उसकी सेवा करने से पीछे मत हटिए। आपकी उम्र चाहे जो भी हो, आपको बढ़ावा दिया जाता है कि आप यहोवा की सेवा करने का न्यौता तुरंत स्वीकार करें।

5. माँ-बाप अपने बच्चों की मदद कैसे कर सकते हैं ताकि वे सच्चाई में तरक्की करें?

5 आपमें से बहुतों को शायद आपकी माँ या पिता, या फिर दोनों ने मिलकर सच्चाई में तरक्की करने में मदद दी हो। इस मायने में आप बाइबल में बताए तीमुथियुस की तरह हैं। जब वह एक शिशु ही था, तभी से उसकी माँ यूनीके और उसकी नानी लोइस उसे पवित्र शास्त्र से सिखाने लगीं। (2 तीमु. 3:14, 15) हो सकता है आपके मम्मी-पापा भी कुछ इसी तरह आपको तालीम देते हों। वे आपके साथ बाइबल अध्ययन और प्रार्थना करते हों। वे आपको अपने साथ मंडली की सभाओं और सम्मेलनों में ले जाते हों। आपके साथ मिलकर प्रचार में जाते हों। इसमें कोई दो राय नहीं कि आपको परमेश्‍वर का मार्ग सिखाना, उनके लिए एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। और यह ज़िम्मेदारी उन्हें किसी और ने नहीं बल्कि खुद यहोवा ने दी है। तो आपके मम्मी-पापा आपके लिए जो प्यार और परवाह दिखाते हैं, क्या आप उसकी कदर करते हैं?—नीति. 23:22.

6. (क) भजन 110:3 के मुताबिक, यहोवा किस तरह की उपासना से खुश होता है? (ख) इस लेख में हम किस बात पर गौर करेंगे?

6 बच्चो, जैसे-जैसे आप बड़े हो रहे हैं, यहोवा चाहता है कि आप तीमुथियुस की तरह “परखकर खुद के लिए मालूम करते [रहें] कि परमेश्‍वर की भली, उसे भानेवाली और उसकी सिद्ध इच्छा क्या है।” (रोमि. 12:2) अगर आप ऐसा करें, तो आप मंडली के कामों में इस वजह से हिस्सा नहीं लेंगे कि आपके मम्मी-डैडी ऐसा चाहते हैं, बल्कि इसलिए कि खुद आपमें परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने का जज़्बा है। अगर आप अपनी इच्छा से उसकी सेवा करें, तो आप यहोवा का दिल खुश करेंगे। (भज. 110:3) तो फिर आप कैसे दिखा सकते हैं कि यहोवा की सुनने और उसके निर्देशन पर चलने की अपनी इच्छा को आप और भी बढ़ाना चाहते हैं? इसके तीन अहम तरीके हैं। वे हैं, अध्ययन करने, प्रार्थना करने और शुद्ध चालचलन बनाए रखने के ज़रिए। आइए हम एक-एक कर इन तीनों तरीकों की जाँच करें।

यहोवा को एक शख्स के तौर पर जानिए

7. ऐसा क्यों कहा जा सकता है कि यीशु, शास्त्र का अच्छा विद्यार्थी था? किस बात ने उसे ऐसा बनने में मदद दी?

7 यहोवा की सुनने और उसके निर्देशन पर चलने की अपनी इच्छा बढ़ाने का सबसे पहला तरीका है, हर दिन बाइबल पढ़ना। ऐसा करने से आप परमेश्‍वर से मार्गदर्शन पाने की अपनी भूख मिटा पाएँगे। साथ ही, आप बाइबल से अनमोल ज्ञान भी हासिल कर पाएँगे। (मत्ती 5:3) इस सिलसिले में यीशु हमारे लिए एक बढ़िया मिसाल है। जब वह 12 साल का था, तो उसके माता-पिता उसे तलाश करते-करते मंदिर में आए। वहाँ उन्होंने देखा कि “वह शिक्षकों के बीच बैठा उनकी सुन रहा था और उनसे सवाल कर रहा था।” (लूका 2:44-46) यह वाकया दिखाता है कि बचपन से ही यीशु को शास्त्र की गूढ़ बातें जानने की ललक थी। आखिर किस बात ने उसमें यह ललक पैदा की? कोई शक नहीं कि इसमें उसकी माँ मरियम और दत्तक पिता यूसुफ का बहुत बड़ा हाथ था। वे परमेश्‍वर के सेवक थे और उन्होंने यीशु को छुटपन से ही परमेश्‍वर के बारे में सिखाना शुरू कर दिया था।—मत्ती 1:18-20; लूका 2:41, 51.

8. (क) माता-पिताओं को कब से अपने बच्चों के दिल में परमेश्‍वर के वचन के लिए प्यार पैदा करना चाहिए? (ख) एक अनुभव बताइए जो दिखाता है कि बच्चों को जन्म से ही तालीम देना फायदेमंद है।

8 वैसे ही आज, परमेश्‍वर का भय माननेवाले माता-पिता जानते हैं कि शुरू से ही बच्चों के दिल में बाइबल सच्चाई जानने की ललक पैदा करना कितना ज़रूरी है। (व्यव. 6:6-9) रूबी नाम की एक मसीही बहन ने कुछ ऐसा ही किया। उसके बड़े बेटे जोसफ के पैदा होने के फौरन बाद, वह हर रोज़ उसे बाइबल कहानियों की मेरी मनपसंद किताब पढ़कर सुनाने लगी। जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया, रूबी ने उसे बाइबल की कुछ आयतें मुँह-ज़ुबानी याद करना सिखाया। क्या जोसफ को इस तालीम से फायदा हुआ? जब वह बोलना सीखने लगा, तो वह बाइबल की कई कहानियाँ अपने शब्दों में सुनाने लगा। और जब वह पाँच साल का था, तो उसने परमेश्‍वर की सेवा स्कूल में अपना पहला भाग पेश किया।

9. बाइबल पढ़ना और उस पर मनन करना क्यों ज़रूरी है?

9 बच्चो, आध्यात्मिक तरक्की करने के लिए आपको अभी से रोज़ बाइबल पढ़ने की आदत डालनी चाहिए। फिर जब आप किशोर उम्र के होंगे और उसके बाद बड़ों की दुनिया में कदम रखेंगे, तब आप अपनी यह आदत बनाए रख पाएँगे। (भज. 71:17) लेकिन आप शायद सोचें कि बाइबल पढ़ाई का आपकी तरक्की से क्या लेना-देना? गौर कीजिए, अपने पिता से प्रार्थना करते वक्‍त यीशु ने क्या कहा। उसने कहा: “हमेशा की ज़िंदगी पाने के लिए ज़रूरी है कि वे तुझ एकमात्र सच्चे परमेश्‍वर का . . . ज्ञान लेते रहें।” (यूह. 17:3) आप जितना ज़्यादा यहोवा के बारे में ज्ञान लेंगे, उतना ज़्यादा वह आपके लिए एक असल शख्स बनता जाएगा और उसके लिए आपका प्यार गहराता जाएगा। (इब्रा. 11:27) इसलिए हर बार जब आप बाइबल का एक भाग पढ़ते हैं, तो उस मौके का फायदा उठाकर यहोवा को और भी करीबी से जानने की कोशिश कीजिए। खुद से पूछिए: ‘यह ब्यौरा मुझे यहोवा की शख्सियत के बारे में क्या सिखाता है? बाइबल की ये आयतें कैसे दिखाती हैं कि परमेश्‍वर मुझसे प्यार और मेरी परवाह करता है?’ वक्‍त निकालकर इस तरह के सवालों पर गहराई से सोचने से आप यहोवा की सोच और भावनाओं के बारे में ज़्यादा जान पाएँगे। और यह भी कि वह आपसे क्या चाहता है। (नीतिवचन 2:1-5 पढ़िए।) तब आप भी तीमुथियुस की तरह खुद को “दलीलें देकर” बाइबल से सीखी बातों का “यकीन” दिला रहे होंगे। नतीजा, आप अपनी मरज़ी से यहोवा की उपासना करने के लिए उभारे जाएँगे।—2 तीमु. 3:14.

प्रार्थना से कैसे यहोवा के लिए आपका प्यार गहरा होता है

10, 11. प्रार्थना करने से कैसे परमेश्‍वर की सेवा करने की आपकी इच्छा और भी ज़बरदस्त होती है?

10 तन-मन से यहोवा की सेवा करने की अपनी इच्छा को और भी ज़बरदस्त करने का दूसरा तरीका है, प्रार्थना। भजन 65:2 में हम पढ़ते हैं: “हे प्रार्थना के सुननेवाले! सब प्राणी तेरे ही पास आएंगे।” हालाँकि इसराएली परमेश्‍वर के चुने हुए लोग थे, फिर भी विदेशियों को यहोवा के मंदिर में आकर उससे प्रार्थना करने की इजाज़त थी। (1 राजा 8:41, 42) परमेश्‍वर किसी की तरफदारी नहीं करता। वह यकीन दिलाता है कि जो कोई उसकी आज्ञाएँ मानेगा, उसकी वह ज़रूर सुनेगा। (नीति. 15:8) और बेशक, ‘सब प्राणियों’ में बच्चे और जवान भी शामिल हैं।

11 जैसा कि आप जानते हैं, पक्की दोस्ती की बुनियाद होती है अच्छी बातचीत। अगर आपका एक जिगरी दोस्त है, तो बेशक आप उससे कोई भी बात नहीं छिपाएँगे। आप क्या सोचते या महसूस करते हैं और क्या चिंता आपको सता रही है, ये सारी बातें आप उसे बताएँगे। उसी तरह जब आप दिल की गहराई से प्रार्थना करते हैं, तो आप असल में अपने महान सिरजनहार से बात कर रहे होते हैं। (फिलि. 4:6, 7) यहोवा से इस तरह बात कीजिए, जैसे आप अपने प्यारे मम्मी-पापा, या फिर अपने सबसे करीबी दोस्त को अपने दिल का हाल सुना रहे हों। दरअसल, आप कैसी प्रार्थना करते हैं और यहोवा के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं, इन दोनों के बीच बहुत ही गहरा नाता है। इसलिए यहोवा के साथ आपकी दोस्ती जितनी गहरी होगी, उतना ज़्यादा आप दिल से प्रार्थना कर पाएँगे।

12. (क) दिल से प्रार्थना करने का मतलब, ढेर सारे शब्दों का इस्तेमाल करना क्यों नहीं है? (ख) किस बात से आपका एहसास बढ़ेगा कि यहोवा आपके करीब है?

12 मगर याद रखिए कि दिल से प्रार्थना करने का यह मतलब नहीं कि ढेर सारे शब्दों का इस्तेमाल करना। बल्कि अपने अंदर छिपी भावनाएँ ज़ुबान पर लाना। इसलिए इस तरह प्रार्थना कीजिए जिससे कि यहोवा के लिए आपका प्यार, गहरा आदर और भरोसा ज़ाहिर हो। फिर जब आप यहोवा को आपकी प्रार्थनाओं का जवाब देते हुए महसूस करेंगे, तो आपको एहसास होगा कि “जितने यहोवा को पुकारते हैं, . . . उन सभों के वह निकट रहता है।” (भज. 145:18) जी हाँ, यहोवा आपके करीब आएगा और आपको मज़बूत बनाएगा ताकि आप इब्‌लीस का विरोध कर सकें और ज़िंदगी में सही चुनाव कर सकें।याकूब 4:7, 8 पढ़िए।

13. (क) परमेश्‍वर से दोस्ती करने की वजह से एक बहन को कैसी मदद मिली? (ख) बताइए कि परमेश्‍वर से दोस्ती करने की वजह से आपको साथियों के दबाव का सामना करने में कैसी मदद मिली है।

13 गौर कीजिए, शेरी को यहोवा के साथ करीबी रिश्‍ता कायम करने की वजह से कैसे ताकत मिली। जब वह हाई स्कूल में थी, तो वह पढ़ाई और खेलकूद में अव्वल आती थी और इसके लिए उसे कई इनाम मिले। जब उसने अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी की, तो उसे ऊँची शिक्षा के लिए वज़ीफा मिला। शेरी कहती है: “यह इतना बढ़िया मौका था कि मेरा मन उसे कबूल करने के लिए ललचा रहा था। ऊपर से खेलकूद के कोच और दूसरे विद्यार्थियों ने भी मुझ पर बहुत दबाव डाला।” लेकिन जब शेरी ने इस बारे में गहराई से सोचा, तो उसे एहसास हुआ कि ऊँची तालीम हासिल करने का मतलब है, अपना ज़्यादातर समय पढ़ाई और खेल प्रतियोगिताओं की तैयारी में बिता देना। और इसका नतीजा यह होगा कि यहोवा की सेवा के लिए उसके पास न के बराबर समय बचेगा। तो फिर शेरी ने क्या फैसला लिया? वह कहती है: “मैंने यहोवा से प्रार्थना की और वज़ीफा ठुकराकर पायनियर सेवा शुरू की।” आज उसे एक पायनियर के तौर पर सेवा करते हुए पाँच साल हो गए हैं। वह कहती है: “मुझे अपने फैसले पर कोई अफसोस नहीं। बल्कि मुझे खुशी है, क्योंकि मैं जानती हूँ कि मेरे फैसले से यहोवा खुश है। वाकई, अगर हम पहले उसके राज की खोज में लगे रहें, तो बाकी सारी चीज़ें भी हमें दे दी जाएँगी।”—मत्ती 6:33.

अच्छे चालचलन से ज़ाहिर होता है कि आपका “हृदय शुद्ध है”

14. यहोवा की नज़रों में अच्छा चालचलन बनाए रखना क्यों ज़रूरी है?

14 आप अपनी मरज़ी से यहोवा की सेवा कर रहे हैं, यह दिखाने का तीसरा तरीका है, अपने चालचलन से। यहोवा उन जवानों को आशीष देता है, जो नैतिक रूप से शुद्धता बनाए रखते हैं। (भजन 24:3-5 पढ़िए।) शमूएल जब छोटा था, तब वह महायाजक एली के बेटों के जैसा बदचलन नहीं बना। उसका अच्छा चालचलन लोगों की नज़रों से छिपा नहीं रहा। बाइबल कहती है: “शमूएल बालक बढ़ता गया और यहोवा और मनुष्य दोनों उस से प्रसन्‍न रहते थे।”—1 शमू. 2:26.

15. अच्छा चालचलन बनाए रखने की कुछ वजह क्या हैं?

15 आज हम ऐसी दुनिया में जी रहे हैं, जहाँ लोग सिर्फ खुद से प्यार करते हैं। वे मगरूर, विश्‍वासघाती, खूँखार और घमंड से फूले हुए हैं। वे न तो माता-पिता की मानते, न ही किसी का एहसान मानते। यही नहीं, वे परमेश्‍वर के बजाय मौज-मस्ती से प्यार करते हैं। ये उन रवैयों में से कुछ हैं, जिनका ज़िक्र पौलुस ने किया था। (2 तीमु. 3:1-5) ऐसी दुष्ट दुनिया में अच्छा चालचलन बनाए रखना कोई आसान बात नहीं। फिर भी, हर बार जब आप सही काम करते हैं और किसी भी बुरे काम में हिस्सा लेने से साफ इनकार कर देते हैं, तो आप साबित करते हैं कि आप विश्‍व पर हुकूमत करने के मसले में यहोवा के पक्ष में हैं। (अय्यू. 2:3, 4) इसके अलावा, आपको इस बात से भी संतोष मिलेगा कि आप यहोवा के इस प्यार-भरे न्यौते को कबूल कर रहे होते हैं: “हे मेरे पुत्र, बुद्धिमान होकर मेरा मन आनन्दित कर, तब मैं अपने निन्दा करनेवाले को उत्तर दे सकूंगा।” (नीति. 27:11) और-तो-और, यह जानकर कि यहोवा की मंज़ूरी आप पर है, उसकी सेवा करने का आपका इरादा और भी बुलंद होगा।

16. एक बहन ने कैसे यहोवा का दिल खुश किया?

16 कैरल नाम की एक मसीही बहन जब किशोर उम्र की थी, तब वह स्कूल में बाइबल के सिद्धांतों पर टिकी रही। नतीजा, उसके साथी साफ देख पाए कि उसका चालचलन अच्छा है। दरअसल हुआ यह कि कैरल बाइबल से तालीम पाए अपने विवेक के मुताबिक चलकर किसी भी त्योहार या देशभक्‍ति से जुड़े समारोह में हिस्सा नहीं लेती थी। इसलिए क्लास के दूसरे विद्यार्थी उस पर ताना कसते थे। कई बार कैरल को अपने विश्‍वास के बारे में बताने का मौका भी मिला। एक अरसे बाद, कैरल को अपनी एक पुरानी साथी से एक कार्ड मिला। उसमें लिखा था: “मैं कब से तुमसे मिलना चाहती थी ताकि तुम्हारा धन्यवाद कर सकूँ। एक मसीही जवान के नाते तुमने जो बढ़िया मिसाल कायम की और अच्छा चालचलन बनाए रखा, वह वाकई काबिले-तारीफ है। मैंने यह भी गौर किया कि तुम कितनी हिम्मत के साथ समझाती थी कि तुम क्यों त्योहारों में हिस्सा नहीं लेती। तुम पहली यहोवा की साक्षी हो, जिससे मेरी मुलाकात हुई थी।” कैरल के अच्छे चालचलन से उसकी साथी पर इतना गहरा असर हुआ कि बाद में वह बाइबल का अध्ययन करने लगी। कार्ड में उसने यह भी लिखा कि उसे बपतिस्मा लेकर साक्षी बने 40 से भी ज़्यादा साल हो गए हैं! तो देखा बच्चो, हिम्मत के साथ बाइबल के सिद्धांतों पर टिके रहने का नतीजा! अगर आप भी कैरल की तरह अच्छा चालचलन बनाए रखें, तो क्या पता, नेकदिल लोग यह देखकर यहोवा के बारे में जानने के लिए उभारे जाएँ।

यहोवा की महिमा करनेवाले बच्चे और जवान

17, 18. (क) अपनी मंडली के बच्चों और जवानों के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं? (ख) परमेश्‍वर का भय माननेवाले जवानों के आगे कैसा भविष्य है?

17 हम सभी दुनिया-भर में फैले यहोवा के संगठन का हिस्सा हैं और जब हम हज़ारों जवानों को पूरे जोश के साथ सच्ची उपासना करते देखते हैं तो हममें सनसनी और खुशी की लहर दौर उठती है! ये जवान, यहोवा की उपासना करने की अपनी इच्छा बढ़ाने के लिए रोज़ बाइबल पढ़ते हैं, प्रार्थना करते हैं और परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक अच्छा चालचलन बनाए रखते हैं। इन जवानों को देख उनके माता-पिता और यहोवा के लोगों को क्या ही ताज़गी मिलती है!—नीति. 23:24, 25.

18 भविष्य में इन वफादार जवानों की गिनती उन लोगों में होगी, जो आनेवाले नाश से बचकर नयी दुनिया में कदम रखेंगे, जिसका वादा परमेश्‍वर ने किया है। (प्रका. 7:9, 14) वहाँ जैसे-जैसे यहोवा के लिए उनकी कदरदानी बढ़ेगी, वैसे-वैसे परमेश्‍वर उन पर आशीषों की बौछार करेगा। फिर वे हमेशा-हमेशा के लिए उसकी महिमा करते रहेंगे।—भज. 148:12, 13.

क्या आप समझा सकते हैं?

• आज बच्चे और जवान सच्ची उपासना में कैसे हिस्सा ले सकते हैं?

• बाइबल पढ़ाई से फायदा पाने के लिए मनन करना क्यों ज़रूरी है?

• प्रार्थना कैसे आपको यहोवा के और करीब लाती है?

• अगर एक मसीही अच्छा चालचलन बनाए रखे, तो इससे क्या फायदा होगा?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 5 पर तसवीर]

क्या आपको रोज़ बाइबल पढ़ने की आदत है?