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यहोवा के मकसद के पूरा होने में पवित्र शक्‍ति की भूमिका

यहोवा के मकसद के पूरा होने में पवित्र शक्‍ति की भूमिका

यहोवा के मकसद के पूरा होने में पवित्र शक्‍ति की भूमिका

‘मेरा वचन जो मेरे मुख से निकलता है, वह उस काम को सफल करेगा जिसके लिये मैं ने उसको भेजा है।’—यशा. 55:11.

1. उदाहरण देकर समझाइए कि योजना और मकसद में क्या अंतर होता है।

 कल्पना कीजिए कि दो आदमी कार से अपने सफर पर निकलने की तैयारी कर रहे हैं। पहला आदमी अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए एक रास्ते का पता लगा लेता है। वह उस रास्ते को पहचानने के लिए हर छोटी-बड़ी निशानी ठीक-ठीक लिख लेता है। दूसरे आदमी के मन में उसकी मंज़िल साफ तय है और वह वहाँ तक पहुँचने के कई रास्ते जानता है। वह सफर में किसी भी रुकावट को पार करने और अगर ज़रूरत पड़ी तो अपना रास्ता भी बदलने को तैयार है ताकि अपनी मंज़िल तक पहुँच सके। इन दोनों आदमियों के तरीके में जो फर्क है वह हमें यह समझने में मदद देता है कि एक योजना और एक मकसद में क्या अंतर होता है। पहले आदमी ने जो तैयारी की वह एक योजना है क्योंकि योजना में हर बारीक जानकारी का पहले से ध्यान रखा जाता है। लेकिन जहाँ तक दूसरे आदमी की बात है उसने अपने लिए एक मकसद ठहराया है। मकसद में मंज़िल ठीक-ठीक पता होती है और वहाँ तक पहुँचने के लिए पहले से तय किया हुआ सिर्फ एक रास्ता नहीं होता।

2, 3. (क) यहोवा के मकसद में क्या बात शामिल है? आदम और हव्वा के पाप करने के बाद यहोवा ने हालात से निपटने के लिए क्या किया? (ख) यहोवा के मकसद के पूरा होने के बारे में हमें क्यों पूरी समझ रखनी चाहिए?

2 यहोवा अपनी मरज़ी पूरी करने के लिए कोई पक्की योजना नहीं बनाता। इसके बजाय, वह एक मकसद ठहराता है जो अपने समय पर ज़रूर पूरा होता है। (इफि. 3:11) यहोवा के मकसद में यह शामिल है कि यह धरती फिरदौस में तबदील हो जाए, जहाँ सिद्ध इंसान हमेशा तक शांति और खुशी से रह सकें। इंसानों और धरती के लिए शुरूआत में यही उसका मकसद था। (उत्प. 1:28) आदम और हव्वा के पाप करने के बाद भी उसका यह मकसद नाकाम नहीं हुआ। यहोवा ने हालात से निपटने के लिए ऐसे कुछ इंतज़ाम किए हैं जिससे भविष्य में उसका मकसद हर हाल में पूरा होगा। (उत्पत्ति 3:15 पढ़िए।) यहोवा ने मुकर्रर किया कि उसकी लाक्षणिक स्त्री, एक “वंश” या बेटा पैदा करेगी जो वक्‍त आने पर मुसीबत की जड़ शैतान को कुचल देगा और उसकी वजह से जितना भी नुकसान हुआ है उसकी भरपाई करेगा।—इब्रा. 2:14; 1 यूह. 3:8.

3 परमेश्‍वर ने अपने जिस मकसद का ऐलान किया है उसे पूरा होने से स्वर्ग या धरती की कोई भी ताकत नहीं रोक सकती। (यशा. 46:9-11) हम यह कैसे कह सकते हैं? क्योंकि इस मकसद के पूरा होने में यहोवा की पवित्र शक्‍ति काम कर रही है। यह एक ऐसी शक्‍ति है जिसका कोई विरोध नहीं कर सकता और यह गारंटी देती है कि परमेश्‍वर का मकसद ज़रूर ‘सफल होगा।’ (यशा. 55:10, 11) यहोवा किस तरह कदम-ब-कदम अपने मकसद को अंजाम तक ले जा रहा है, उसके बारे में पूरी समझ रखना और उसके मुताबिक काम करना हमारे लिए फायदेमंद है। क्योंकि उसके मकसद के पूरा होने पर ही हमारा भविष्य टिका है। इसके अलावा, यह देखकर हमारा विश्‍वास मज़बूत होता है कि यहोवा कैसे अपनी पवित्र शक्‍ति का इस्तेमाल करता है। इसलिए आइए गौर करें कि परमेश्‍वर ने अपना मकसद पूरा करने के लिए बीते समय में कैसे अपनी पवित्र शक्‍ति का इस्तेमाल किया था, आज कैसे कर रहा है और आनेवाले समय में कैसे करेगा।

बीते समय में पवित्र शक्‍ति ने कैसे काम किया

4. यहोवा ने समय के गुज़रते कैसे अपना मकसद ज़ाहिर किया?

4 बाइबल के ज़माने में यहोवा ने समय के गुज़रते अपने मकसद के बारे में एक-एक बात अपने सेवकों पर ज़ाहिर की। शुरूआत में यह “एक पवित्र रहस्य” था कि वादा किया गया वंश कौन होगा। (1 कुरिं. 2:7) यहोवा ने इस वंश के बारे में पहली बार भविष्यवाणी करने के करीब 2,000 साल बाद ही उसके बारे में कुछ जानकारी दी। इस बार उसने अब्राहम से उस वंश का वादा किया। (उत्पत्ति 12:7; 22:15-18 पढ़िए।) अब्राहम से किए गए वादे से वंश के बारे में और इस इंतज़ाम से मिलनेवाली आशीषों के बारे में और ज़्यादा जानकारी मिली। शब्द “तेरे वंश के कारण” से यह साफ ज़ाहिर हुआ कि वादा किया गया वंश अब्राहम का एक वंशज होता यानी वह एक इंसान होता। जब यहोवा ने इस जानकारी का खुलासा किया तो शैतान ने भी ज़रूर कान लगाकर सुना होगा। परमेश्‍वर के इस दुश्‍मन ने अब्राहम के वंशजों को मिटा देने या उन्हें भ्रष्ट करने की कोशिश की होगी ताकि परमेश्‍वर का मकसद नाकाम हो जाए। मगर ऐसा होना नामुमकिन था क्योंकि परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति, जो कि अदृश्‍य है, उसके मकसद के पूरा होने में काम कर रही थी। यह किन तरीकों से काम कर रही थी?

5, 6. यहोवा ने कैसे अपनी पवित्र शक्‍ति का इस्तेमाल कर उन लोगों की रक्षा की जिनके ज़रिए वंश पैदा होता?

5 यहोवा ने अपनी पवित्र शक्‍ति का इस्तेमाल कर उन सभी की रक्षा की जिनके ज़रिए वादा किया गया वंश पैदा होता। यहोवा ने अब्राम (अब्राहम) से कहा: ‘मैं तेरी ढाल हूँ।’ (उत्प. 15:1) ये शब्द यहोवा ने यूँ ही नहीं कहे थे। एक मिसाल पर गौर कीजिए कि ईसा पूर्व 1919 के आस-पास जब अब्राहम और सारा कुछ समय के लिए गरार नाम की जगह में रह रहे थे तो क्या हुआ। वहाँ के राजा अबीमेलेक को पता नहीं था कि सारा, अब्राहम की पत्नी है। इसलिए वह सारा को अपनी पत्नी बनाने के लिए उसे अपने यहाँ ले गया। क्या इसके पीछे शैतान की कोई चाल थी? क्या वह ऐसी रुकावट पैदा करने की कोशिश कर रहा था जिससे सारा, अब्राहम का वंश पैदा न कर सके? बाइबल इस बारे में कुछ नहीं बताती। लेकिन यह इतना ज़रूर कहती है कि यहोवा ने कोई भी अनर्थ होने से पहले कदम उठाया। उसने एक सपने में अबीमेलेक को चेतावनी दी कि वह सारा को हाथ तक न लगाए।—उत्प. 20:1-18.

6 यह सिर्फ इकलौती ऐसी घटना नहीं है जब यहोवा ने उन लोगों की हिफाज़त की जिनके ज़रिए वंश पैदा होता। उसने अब्राहम और उसके परिवार के सदस्यों को कई मौकों पर मुसीबत से बचाया। (उत्प. 12:14-20; 14:13-20; 26:26-29) इसीलिए अब्राहम और उसके वंशजों के बारे में भजनहार यह कह सका: “[यहोवा] ने किसी मनुष्य को उन पर अन्धेर करने न दिया; और वह राजाओं को उनके निमित्त यह धमकी देता था, कि मेरे अभिषिक्‍तों को मत छुओ, और न मेरे नबियों की हानि करो!”—भज. 105:14, 15.

7. यहोवा ने किन तरीकों से इसराएल राष्ट्र की रक्षा की?

7 यहोवा ने अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए प्राचीन इसराएल राष्ट्र की रक्षा की क्योंकि उसी राष्ट्र में वादा किए गए वंश को पैदा होना था। अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए यहोवा ने इसराएलियों को अपना कानून दिया। इस कानून ने सच्ची उपासना की हिफाज़त की और यहूदियों को आध्यात्मिक और शारीरिक बातों में और चालचलन के मामले में दूषित होने से बचाया। (निर्ग. 31:18; 2 कुरिं. 3:3) न्यायियों के ज़माने में यहोवा की पवित्र शक्‍ति ने कुछ पुरुषों को इस काबिल बनाया कि वे इसराएल राष्ट्र को दुश्‍मनों से छुड़ा सकें। (न्यायि. 3:9, 10) इसके बाद, यीशु के पैदा होने तक यानी सदियों तक पवित्र शक्‍ति ने यरूशलेम, बेतलेहेम और यहोवा के मंदिर की रक्षा करने में ज़रूर एक अहम भूमिका निभायी होगी, क्योंकि यीशु के बारे में की गयी बहुत-सी भविष्यवाणियाँ इन जगहों में पूरी होनी थीं।

8. क्या दिखाता है कि परमेश्‍वर के बेटे की ज़िंदगी और उसकी सेवा में पवित्र शक्‍ति की खास भूमिका रही थी?

8 यीशु की ज़िंदगी और उसकी सेवा में पवित्र शक्‍ति की खास भूमिका रही थी। पवित्र शक्‍ति ने कुँवारी मरियम के गर्भ में ऐसा करिश्‍मा किया कि इस स्त्री ने असिद्ध होते हुए भी एक सिद्ध बच्चे को जन्म दिया, जिस पर मौत की सज़ा लागू नहीं थी। इस तरह एक असिद्ध स्त्री से सिद्ध बच्चे का जन्म होना एक अनोखा चमत्कार था, जो न इससे पहले कभी हुआ था और न इसके बाद फिर कभी हुआ। (लूका 1:26-31, 34, 35) बाद में जब यीशु एक नन्हा बच्चा था तब पवित्र शक्‍ति ने उसकी हत्या होने से बचाया। (मत्ती 2:7, 8, 12, 13) जब यीशु करीब 30 साल का हुआ तब परमेश्‍वर ने अपनी पवित्र शक्‍ति से उसका अभिषेक किया यानी उसे प्रचार का काम करने के लिए नियुक्‍त किया और दाविद की राजगद्दी का वारिस ठहराया। (लूका 1:32, 33; 4:16-21) पवित्र शक्‍ति ने यीशु को चमत्कार करने की भी ताकत दी, जिसकी वजह से उसने बीमारों को ठीक किया, भीड़-की-भीड़ को खिलाया और मरे हुओं को ज़िंदा किया। ऐसे ज़बरदस्त काम हमें आनेवाले समय की एक झलक देते हैं कि यीशु के राज में हमें कैसी आशीषें मिलेंगी।

9, 10. (क) पहली सदी में यह कैसे ज़ाहिर हुआ कि यीशु के चेलों पर पवित्र शक्‍ति काम कर रही थी? (ख) यहोवा के मकसद के पूरा होने में पहली सदी में कौन-सा नया इंतज़ाम शुरू हुआ?

9 ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त के दिन से यहोवा ने अपनी पवित्र शक्‍ति से उन लोगों का अभिषेक करना शुरू किया जो अब्राहम के वंश का दूसरा भाग थे। इनमें से ज़्यादातर लोग अब्राहम के वंशज नहीं थे। (रोमि. 8:15-17; गला. 3:29) पहली सदी में यह साफ देखा जा सकता था कि पवित्र शक्‍ति यीशु के चेलों पर काम कर रही थी। पवित्र शक्‍ति ने उन्हें जोश के साथ प्रचार करने के काबिल बनाया और बड़े-बड़े चमत्कार करने की शक्‍ति दी। (प्रेषि. 1:8; 2:1-4; 1 कुरिं. 12:7-11) पवित्र शक्‍ति ने उन्हें ऐसे चमत्कार करने का वरदान देकर यह ज़ाहिर किया कि यहोवा ने अपने मकसद को अंजाम तक पहुँचाने के लिए एक नए इंतज़ाम की शुरूआत की है। यह था मसीही मंडली का इंतज़ाम जो कुछ ही समय पहले बनाया गया था। सच्ची उपासना के लिए सदियों से चला आ रहा इंतज़ाम अब यहोवा को स्वीकार नहीं था, जिसमें यरूशलेम का मंदिर सबसे खास जगह थी। इसके बजाय, अब उसकी आशीष अभिषिक्‍त जनों से बनी मसीही मंडली पर थी। पहली सदी से लेकर आज तक यहोवा अपने मकसद को पूरा करने के लिए इसी मंडली का इस्तेमाल कर रहा है।

10 हिफाज़त करना, काबिल बनाना और अभिषिक्‍त करना—ऐसे कई तरीकों से यहोवा ने बाइबल के ज़माने में अपनी पवित्र शक्‍ति का इस्तेमाल किया ताकि उसका मकसद अंजाम तक बढ़ता जाए। अब हमारे ज़माने के बारे में क्या कहा जा सकता है? आज यहोवा अपने मकसद को पूरा करने के लिए पवित्र शक्‍ति का कैसे इस्तेमाल कर रहा है? हमें इसका जवाब जानने की ज़रूरत है क्योंकि हम चाहते हैं कि पवित्र शक्‍ति हमें जैसे मार्गदर्शन देती है हम वैसे ही चलें। तो आइए देखें कि आज यहोवा किन चार तरीकों से अपनी पवित्र शक्‍ति का इस्तेमाल कर रहा है।

आज पवित्र शक्‍ति कैसे काम करती है

11. क्या दिखाता है कि पवित्र शक्‍ति, परमेश्‍वर के लोगों को शुद्ध बने रहने के लिए ज़रूरी ताकत देती है? आप कैसे दिखा सकते हैं कि आप पवित्र शक्‍ति के निर्देशन के मुताबिक काम कर रहे हैं?

11 पहला, पवित्र शक्‍ति परमेश्‍वर के लोगों को शुद्ध बने रहने के लिए ज़रूरी ताकत देती है। परमेश्‍वर के लोगों का चालचलन शुद्ध रहना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि वे उसकी इच्छा के मुताबिक उसकी सेवा करते हैं और उसके मकसद के पूरा होने से फायदा पाते हैं। (1 कुरिंथियों 6:9-11 पढ़िए।) सच्चे मसीही बनने से पहले कुछ लोग नाजायज़ संबंध रखने के गुनहगार थे। जैसे वे व्यभिचारी थे, शादी के बाहर यौन-संबंध रखते थे या समलैंगिक थे। ऐसी पापी इच्छाएँ एक इंसान के दिल में बहुत गहराई तक समायी होती हैं। (याकू. 1:14, 15) मगर ऐसे घोर पाप करनेवालों को भी “धोकर शुद्ध किया” गया, यानी उन्होंने परमेश्‍वर को खुश करने के लिए अपनी ज़िंदगी में ज़रूरी बदलाव किए। क्या बात परमेश्‍वर से प्यार करनेवाले एक इंसान की मदद करती है, जिससे वह अपने मन में उठनेवाली बुरी इच्छाओं पर काबू पाने और उनका विरोध करने में कामयाब होता है? पहला कुरिंथियों 6:11 कहता है कि ‘परमेश्‍वर अपनी पवित्र शक्‍ति’ से ऐसे इंसान की मदद करता है। आप भी अपना चालचलन शुद्ध बनाए रखने से दिखाते हैं कि आप परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति को आपके जीवन पर गहरा असर करने दे रहे हैं।

12. (क) जैसे यहेजकेल के दर्शन में दिखाया गया है, यहोवा अपने संगठन को कैसे चला रहा है? (ख) आप कैसे दिखा सकते हैं कि आप पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन को मान रहे हैं?

12 दूसरा, यहोवा अपने संगठन को चलाने के लिए अपनी पवित्र शक्‍ति का इस्तेमाल करता है ताकि यह उसी तरीके से काम करे जैसा वह चाहता है। यहेजकेल के दर्शन में यहोवा के स्वर्गीय संगठन को एक रथ से दर्शाया गया है जो यहोवा के मकसद को अंजाम तक पहुँचाने के लिए बड़ी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और कोई उसका विरोध नहीं कर सकता। क्या चीज़ इस रथ को एक खास दिशा में बढ़ाती जा रही है? परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति। (यहे. 1:20, 21) हम यह कभी न भूलें कि यहोवा के संगठन के दो भाग हैं, एक स्वर्ग में और दूसरा धरती पर। अगर स्वर्ग में मौजूद संगठन को पवित्र शक्‍ति निर्देशित करती है तो यही बात धरती के संगठन के बारे में भी सच होगी। अगर आप धरती पर मौजूद परमेश्‍वर के संगठन के निर्देशों को मानते हैं और उसके वफादार रहते हैं तो आप दिखाते हैं कि आप यहोवा के स्वर्गीय रथ या संगठन के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चल रहे हैं और उसकी पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन को मान रहे हैं।—इब्रा. 13:17.

13, 14. (क) यीशु ने जब “यह पीढ़ी” कहा तो वह किन लोगों की बात कर रहा था? (ख) बाइबल की सच्चाइयों की समझ बढ़ाने में पवित्र शक्‍ति कैसे काम कर रही है, इसकी एक मिसाल दीजिए। (“क्या आप सच्चाई की बढ़ती समझ की ताज़ा-तरीन जानकारी रखते हैं?” बक्स देखिए।)

13 तीसरा, यहोवा की पवित्र शक्‍ति बाइबल की सच्चाइयों को समझने में हमारी मदद करती है। (नीति. 4:18) “विश्‍वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाला दास” बाइबल की सच्चाइयों पर ज़्यादा समझ देने के लिए एक लंबे समय से प्रहरीदुर्ग पत्रिका का खास तौर से इस्तेमाल करता आया है। (मत्ती 24:45) मिसाल के लिए, गौर कीजिए कि यीशु की बतायी “पीढ़ी” के बारे में हमने कैसी समझ पायी है। जब यीशु ने “यह पीढ़ी” कहा तो वह किन लोगों से बनी पीढ़ी की बात कर रहा था? (मत्ती 24:32-34 पढ़िए।) प्रहरीदुर्ग पत्रिका का एक लेख, “मसीह की उपस्थिति आपके लिए क्या मायने रखती है?” समझाता है कि यीशु दुष्टों की बात नहीं कर रहा था बल्कि अपने चेलों की बात कर रहा था जिनका जल्द ही पवित्र शक्‍ति से अभिषेक किया जाता। * जैसे पहली सदी में था, वैसे ही आज भी यीशु के अभिषिक्‍त चेले ही हैं जो न सिर्फ उसकी बतायी निशानियाँ देखते हैं बल्कि उन निशानियों का मतलब भी समझ पाते हैं कि यीशु “पास ही दरवाज़े पर है।”

14 “पीढ़ी” के बारे में दी गयी यह समझ हमारे लिए कैसे फायदेमंद है? हालाँकि हम अंदाज़ा नहीं लगा सकते कि “यह पीढ़ी” ठीक कितने समय की होगी, मगर शब्द “पीढ़ी” के बारे में कुछ बातों को ध्यान में रखना हमारे लिए फायदेमंद होगा। जैसे कि आम तौर पर पीढ़ी का मतलब होता है, एक ही दौर में जीनेवाले अलग-अलग उम्र के लोग। इनमें से कुछ की मौत बाकियों से पहले हो जाती है, मगर फिर भी ये सभी एक ही दौर के लोग माने जाते हैं। पीढ़ी बहुत लंबे समय की नहीं होती और इसका एक अंत होता है। (निर्ग. 1:6) इन बातों को मद्देनज़र रखते हुए यीशु की बतायी “पीढ़ी” का हम क्या मतलब समझ सकते हैं? उस “पीढ़ी” का मतलब शायद वे सभी अभिषिक्‍त जन हैं जो अंत के समय के दौरान जीते हैं। यानी सन्‌ 1914 में जब अंत की निशानियाँ दिखनी शुरू हुई थीं तब से लेकर महासंकट के वक्‍त तक जीनेवाले सभी अभिषिक्‍त जनों को मिलाकर शायद एक पीढ़ी कहा गया है। यीशु शायद यह कह रहा था कि जिन अभिषिक्‍त जनों ने सन्‌ 1914 में अंत की निशानियाँ शुरू होते हुए देखी थीं, वे भले ही महासंकट के वक्‍त तक ज़िंदा न रहें मगर इसी अंत के समय के दौरान जीनेवाले कुछ अभिषिक्‍त मसीही, जिन्होंने 1914 में अंत की निशानियों की शुरूआत नहीं देखी थी, वे महासंकट का शुरू होना देखेंगे। इस तरह अलग-अलग उम्र के अभिषिक्‍त जनों से बनी इस पीढ़ी की एक शुरूआत थी और यह ज़रूर खत्म भी होगी। अंत के बारे में बतायी निशानी के सभी पहलू आज जिस तरह से पूरे हो रहे हैं, उससे यह साफ है कि महासंकट के आने में अब ज़्यादा वक्‍त नहीं बचा है। अगर आप इस बात को हमेशा अपने दिमाग में ताज़ा रखें कि अंत बहुत नज़दीक है और जागते रहें तो आप दिखाएँगे कि आप सच्चाई के बारे में ताज़ा-तरीन जानकारी रखते हैं और पवित्र शक्‍ति के निर्देशन के मुताबिक चल रहे हैं।—मर. 13:37.

15. क्या दिखाता है कि पवित्र शक्‍ति ही हमें खुशखबरी सुनाने के काबिल बनाती है?

15 चौथा, पवित्र शक्‍ति हमें खुशखबरी सुनाने के काबिल बनाती है। (प्रेषि. 1:8) आज जिस तरह से पूरी दुनिया में खुशखबरी का ऐलान किया जा रहा है, यह पवित्र शक्‍ति का करिश्‍मा नहीं तो और क्या है? ज़रा इसके बारे में सोचिए। हो सकता है आप भी उन लोगों में से हों जो पहले बहुत ज़्यादा शर्मीले थे या प्रचार के नाम से ही डरते थे। आपने शायद सोचा होगा, ‘मैं घर-घर के प्रचार में कभी नहीं जा सकता!’ लेकिन आज आप पूरे जोश के साथ प्रचार काम करते हैं। * बहुत से वफादार साक्षियों ने विरोध या ज़ुल्मों के दौर में भी प्रचार करना नहीं छोड़ा। सिर्फ परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति ही हमें पहाड़ जैसी रुकावटों को पार करने और ऐसे काम करने के काबिल बना सकती है जो हम अपनी ताकत से कभी नहीं कर सकते। (मीका 3:8; मत्ती 17:20) प्रचार काम में अपना भरसक करने से आप दिखाएँगे कि आप पवित्र शक्‍ति के निर्देशन पर चल रहे हैं।

भविष्य में पवित्र शक्‍ति कैसे काम करेगी

16. हम क्यों भरोसा रख सकते हैं कि महा-संकट के दौरान यहोवा अपने लोगों को ज़रूर बचाएगा?

16 भविष्य में यहोवा अपना मकसद पूरा करने के लिए अपनी पवित्र शक्‍ति का बड़े ही शानदार तरीकों से इस्तेमाल करेगा। सबसे पहले हिफाज़त करने की बात पर गौर कीजिए। जैसे हमने देखा, यहोवा ने गुज़रे वक्‍त में कुछ लोगों की और पूरे इसराएल राष्ट्र की हिफाज़त की थी। इसलिए हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि आनेवाले महा-संकट के दौरान यहोवा अपने लोगों की रक्षा करने के लिए इसी पवित्र शक्‍ति का इस्तेमाल करेगा। आज हमें अटकलें लगाने की ज़रूरत नहीं कि उस वक्‍त वह ठीक किस तरीके से हमें नाश से बचाएगा। इसके बजाय, हम पूरे भरोसे के साथ आनेवाले भविष्य की आस देख सकते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि जो यहोवा से प्यार करते हैं, वे कभी उसकी नज़रों से या उसकी पवित्र शक्‍ति की पहुँच से दूर नहीं होंगे।—2 इति. 16:9; भज. 139:7-12.

17. यहोवा नयी दुनिया में कैसे अपनी पवित्र शक्‍ति का इस्तेमाल करेगा?

17 आनेवाली नयी दुनिया में यहोवा अपनी पवित्र शक्‍ति का कैसे इस्तेमाल करेगा? बाइबल बताती है कि उस वक्‍त कुछ नयी किताबें खोली जाएँगी। यह काम पवित्र शक्‍ति की बदौलत मुमकिन होगा। (प्रका. 20:12) उन किताबों में क्या लिखा होगा? ज़ाहिर है, उनमें इस बारे में ब्यौरेदार जानकारी दी जाएगी कि हज़ार साल के दौरान हमें यहोवा की क्या-क्या माँगें पूरी करनी हैं। क्या आप उन किताबों की जाँच करने के लिए बेताब हैं? हम सब उस नयी दुनिया का कितनी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं! आज हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि उस खूबसूरत नयी दुनिया में जीना कैसा होगा, जब यहोवा अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए धरती और इंसानों के लिए अपना मकसद आखिरकार पूरा कर देगा।

18. आपने क्या अटल फैसला किया है?

18 हम यह बात कभी न भूलें कि यहोवा का मकसद, जो अपने अंजाम तक बढ़ रहा है, वह हर हाल में पूरा होगा। क्योंकि यहोवा अपने मकसद को पूरा करने के लिए अपनी पवित्र शक्‍ति का इस्तेमाल कर रहा है जो दुनिया की सबसे ताकतवर शक्‍ति है। यहोवा के मकसद में आप भी शामिल हैं। इसलिए आप अटल फैसला कर लीजिए कि आप यहोवा से उसकी पवित्र शक्‍ति के लिए बिनती करते रहेंगे और उसके निर्देशन के मुताबिक काम भी करेंगे। (लूका 11:13) तब आप उस ज़िंदगी का लुत्फ उठाने की उम्मीद कर सकते हैं जो यहोवा ने शुरू में इंसानों के लिए तय की थी—धरती पर एक खूबसूरत फिरदौस में हमेशा-हमेशा की ज़िंदगी।

[फुटनोट]

^ 1 सितंबर, 1993 की प्रहरीदुर्ग के पेज 31 पर एक बहन का अनुभव दिया गया है जो पहले बहुत शर्मीली थी मगर बाद में बड़े जोश के साथ प्रचार करने लगी।

क्या आपको याद है?

• बाइबल के ज़माने में यहोवा ने अपने मकसद को अंजाम तक बढ़ाते रहने के लिए किन-किन तरीकों से पवित्र शक्‍ति का इस्तेमाल किया था?

• आज यहोवा कैसे अपनी पवित्र शक्‍ति का इस्तेमाल कर रहा है?

• भविष्य में यहोवा अपना मकसद पूरा करने के लिए कैसे अपनी पवित्र शक्‍ति का इस्तेमाल करेगा?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 10 पर बक्स]

क्या आप सच्चाई की बढ़ती समझ की ताज़ा-तरीन जानकारी रखते हैं?

यहोवा, सच्चाई के बारे में अपने लोगों को दिन-ब-दिन ज़्यादा समझ दे रहा है। प्रहरीदुर्ग में किन-किन विषयों पर पहले से भी ज़्यादा साफ समझ दी गयी?

▪ यीशु की मिसाल में खमीर, आध्यात्मिक तरक्की से ताल्लुक रखनेवाली किस अच्छी बात को दर्शाता है? (मत्ती 13:33)—15 जुलाई, 2008, पेज 19-20.

▪ स्वर्ग में जीवन पाने के लिए मसीहियों को बुलावा दिया जाना कब खत्म होता है?—1 मई, 2007, पेज 30-31 (अँग्रेज़ी)

▪ यहोवा की उपासना ‘पवित्र शक्‍ति से’ करने का क्या मतलब है? (यूह. 4:24)—15 जुलाई, 2002, पेज 15.

▪ बड़ी भीड़ आत्मिक मंदिर के किस आँगन में सेवा करती है? (प्रका. 7:15)—1 मई, 2002, पेज 30-31.

▪ भेड़ और बकरियों को अलग करने का काम कब किया जाता है? (मत्ती 25:31-33)—15 अक्टूबर, 1995, पेज 18-28.