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भाइयो, पवित्र शक्‍ति के लिए बोइए और सेवा में आगे बढ़िए!

भाइयो, पवित्र शक्‍ति के लिए बोइए और सेवा में आगे बढ़िए!

भाइयो, पवित्र शक्‍ति के लिए बोइए और सेवा में आगे बढ़िए!

“जो पवित्र शक्‍ति के लिए बोता है, वह पवित्र शक्‍ति से हमेशा की ज़िंदगी की फसल काटेगा।”—गला. 6:8.

1, 2. मत्ती 9:37, 38 में दर्ज़ भविष्यवाणी कैसे पूरी हो रही है? इससे मंडलियों में किन लोगों की ज़रूरत बढ़ रही है?

 आज हमारे सामने कुछ ऐसी घटनाएँ घट रही हैं, जो इतिहास के पन्‍नों पर सुनहरे अक्षरों से लिखी जाएँगी! यीशु मसीह ने जिस काम के बारे में भविष्यवाणी की थी, वह आज बहुत बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। यीशु ने कहा था: “कटाई के लिए फसल बहुत है, मगर मज़दूर थोड़े हैं। इसलिए खेत के मालिक से बिनती करो कि वह कटाई के लिए और मज़दूर भेज दे।” (मत्ती 9:37, 38) इस काम को पूरा करने के लिए जो प्रार्थनाएँ की जा रही हैं, यहोवा परमेश्‍वर उनका जवाब बेमिसाल तरीके से दे रहा है। सन्‌ 2009 के सेवा साल के दौरान पूरी दुनिया में यहोवा के साक्षियों की मंडली में 2,031 की बढ़ोतरी हुई और यह गिनती 1,05,298 तक पहुँच गयी है। हर दिन औसतन 757 लोगों ने बपतिस्मा लिया!

2 इस बढ़ोतरी की वजह से मंडलियों में सिखाने और चरवाही का काम करने के लिए योग्य भाइयों की ज़रूरत बढ़ रही है। (इफि. 4:11) पिछले दशकों में, यहोवा ने अपनी भेड़ों की ज़रूरतें पूरा करने के लिए योग्य पुरुषों को ठहराया है और हमें यकीन है कि वह आगे भी ऐसा ही करता रहेगा। मीका 5:5 में दर्ज़ भविष्यवाणी हमें भरोसा दिलाती है कि आखिरी दिनों में यहोवा के लोगों के बीच “सात चरवाहे” और “आठ प्रधान” होंगे। “सात” और “आठ,” यह संख्या दिखाती है कि यहोवा के लोगों की अगुवाई करने के लिए काफी योग्य पुरुषों को ठहराया जाएगा।

3. समझाइए कि ‘पवित्र शक्‍ति के लिए बोने’ का मतलब क्या है।

3 भाइयो, बपतिस्मे के बाद क्या बात आपको मंडली में ज़िम्मेदारियाँ उठाने के लिए आगे आने में मदद कर सकती है? एक तरीका है कि आप ‘पवित्र शक्‍ति के लिए बोएँ।’ (गला. 6:8) पवित्र शक्‍ति के लिए बोने का मतलब है कि आप अपनी ज़िंदगी में उसे काम करने दें। ठान लीजिए कि आप ‘शरीर के लिए नहीं बोएँगे।’ परमेश्‍वर की सेवा में अपना भरसक करने से पीछे मत हटिए, न ही मनोरंजन या आराम-परस्त और फुरसत की ज़िंदगी को उसकी सेवा में आड़े आने दीजिए। सभी मसीहियों को चाहिए कि वे ‘पवित्र शक्‍ति के लिए बोएँ।’ समय के गुज़रते ऐसे पुरुष मंडली की ज़िम्मेदारियाँ उठाने के काबिल बन जाते हैं। आज सहायक सेवकों और प्राचीनों की बहुत सख्त ज़रूरत है, इसलिए यह लेख खासकर मसीही पुरुषों के लिए लिखा गया है। भाइयो, हम आपसे गुज़ारिश करते हैं कि आप इस लेख में दी बातों पर प्रार्थना करते हुए विचार करें।

बढ़िया काम के लिए आगे आइए

4, 5. (क) जिन भाइयों का बपतिस्मा हो चुका है, वे मंडली में कौन-सी ज़िम्मेदारियाँ उठाने के लिए आगे आ सकते हैं? (ख) अगर कोई भाई आगे बढ़ना चाहता है, तो वह क्या कर सकता है?

4 एक मसीही पुरुष बिना मेहनत किए निगरान नहीं बन जाता। उसे इस “बढ़िया काम” के लिए तरक्की करने की ज़रूरत है। (1 तीमु. 3:1) इसमें अपने संगी विश्‍वासियों की ज़रूरतों का ध्यान रखते हुए उनकी सेवा करना शामिल है। (यशायाह 32:1, 2 पढ़िए।) जो पुरुष नेक इरादे से आगे बढ़ता है वह दूसरों से ऊपर उठने की चाहत नहीं रखता। इसके बजाय, वह बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की भलाई करना चाहता है।

5 जो भाई सहायक सेवक और निगरानी के पद की ज़िम्मेदारी उठाने के लिए आगे आना चाहता है, उसे बाइबल में दी बातों पर खरा उतरने की ज़रूरत है। (1 तीमु. 3:1-10, 12, 13; तीतु. 1:5-9) अगर आपका बपतिस्मा हो चुका है, तो खुद से पूछिए: ‘क्या मैं प्रचार काम में पूरी तरह हिस्सा लेता हूँ और क्या ऐसा करने में मैं दूसरों की भी मदद करता हूँ? क्या मैं अपने भाई-बहनों की भलाई में सच्ची दिलचस्पी लेता हूँ और इस तरह उन्हें मज़बूत करने की कोशिश करता हूँ? क्या भाई-बहनों की नज़र में मैं परमेश्‍वर के वचन का एक अच्छा विद्यार्थी हूँ? सभाओं में मैं जो जवाब देता हूँ, क्या मैंने उसमें कोई तरक्की की है? प्राचीन मुझे जो ज़िम्मेदारी देते हैं, क्या मैं उसे अच्छी तरह पूरा करता हूँ?’ (2 तीमु. 4:5) ये सवाल गौर करने लायक हैं।

6. मंडली की ज़िम्मेदारियाँ उठाने के काबिल बनने का अहम तरीका क्या है?

6 मंडली में ज़िम्मेदारियाँ उठाने के काबिल बनने का दूसरा तरीका है, ‘परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति से वह ताकत पाना जिससे हमारे अंदर का इंसान शक्‍तिशाली होता जाए।’ (इफि. 3:16) मसीही मंडली में सहायक सेवक या प्राचीन वोट डालकर नहीं चुने जाते। यह सम्मान सिर्फ यहोवा के साथ अच्छा रिश्‍ता बनाने की वजह से मिलता है। परमेश्‍वर के साथ अच्छा रिश्‍ता कैसे बनाया जा सकता है? एक तरीका है, ‘पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलते रहना’ और उसका फल पैदा करना। (गला. 5:16, 22, 23) जब आप दिखाते हैं कि आप ज़्यादा ज़िम्मेदारियाँ उठाने के काबिल हैं और खुद को सुधारने के बारे में दूसरों की हिदायतों को लागू करते हैं, तो इस तरह आपकी ‘तरक्की सब लोगों पर ज़ाहिर हो जाएगी।’—1 तीमु. 4:15.

त्याग की भावना दिखाना ज़रूरी है

7. दूसरों की सेवा करने में क्या शामिल है?

7 दूसरों की सेवा करने में जी-तोड़ मेहनत करना और त्याग की भावना दिखाना शामिल है। मसीही निगरान लाक्षणिक तौर पर चरवाहों का काम करते हैं, इसलिए वे अपने झुंड की काफी चिंता करते हैं। प्रेषित पौलुस के पास भी चरवाही के काम की ज़िम्मेदारी थी, गौर कीजिए कि इस काम का उस पर क्या असर हुआ। उसने कुरिंथ में रहनेवाले अपने संगी विश्‍वासियों से कहा: “मैंने बड़ी तकलीफ और दिल की तड़प के साथ आँसू बहा-बहाकर तुम्हें लिखा, इसलिए नहीं कि तुम उदास हो जाओ बल्कि इसलिए कि तुम मेरे उस प्यार को जान सको जो मुझे खास तौर पर तुमसे है।” (2 कुरिं. 2:4) इससे साफ ज़ाहिर है कि पौलुस ने अपने काम में किसी तरह की ढिलाई नहीं की, उसने परमेश्‍वर के काम में खूब मेहनत की और हमेशा अपने भाई-बहनों की भलाई के बारे में सोचा।

8, 9. बाइबल से कुछ उदाहरण बताइए जो दिखाते हैं कि पुरुषों ने दूसरों की ज़रूरतों का खयाल रखा।

8 जो पुरुष यहोवा के सेवकों की खातिर जी-जान से काम करते हैं, त्याग की भावना हमेशा से उनकी पहचान रही है। मिसाल के लिए हम कभी यह सोच भी नहीं सकते कि नूह ने अपने परिवार के लोगों से कहा होगा: ‘जब जहाज़ बन जाए, तो मुझे बता देना, मैं आ जाऊँगा।’ मूसा ने मिस्र में इसराएलियों से यह नहीं कहा: ‘तुम चलो, मैं तुम्हें लाल सागर के पास मिलूँगा। तुम्हें जो रास्ता ठीक लगे उससे चले जाना।’ यहोशू ने यह कभी नहीं कहा: ‘जब यरीहो की शहरपनाह गिर जाए तो मुझे बता देना।’ और यशायाह ने किसी और की तरफ इशारा करते हुए नहीं कहा: ‘वह वहाँ है! उसे भेज।’—यशा. 6:8.

9 हम इंसानों को परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति को अपने ऊपर काम करने देना चाहिए। इस मामले में सबसे बढ़िया उदाहरण यीशु मसीह का है। मानवजाति को छुड़ाने की जो ज़िम्मेदारी यीशु को सौंपी गयी थी, उसे उसने खुशी-खुशी कबूल किया। (यूह. 3:16) जब हम यह देखते हैं कि यीशु ने किस तरह हमारी खातिर खुद को न्यौछावर कर दिया, तो क्या हमारे अंदर भी वैसा ही जज़्बा पैदा नहीं होता? एक भाई की मिसाल लीजिए, जो काफी साल से प्राचीन की ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं। भाई-बहनों के लिए उनके दिल में जो भावनाएँ हैं, उन्हें ज़ाहिर करते हुए वे कहते हैं: “यीशु ने पतरस से कहा था कि मेरी छोटी भेड़ों की देखभाल कर। इन शब्दों का मेरे दिलो-दिमाग पर बड़ा गहरा असर हुआ है। इतने सालों के दौरान मैंने खुद अनुभव किया है कि प्यार के दो बोल या किसी के लिए की गयी छोटी-सी मदद से उसे कितना हौसला मिलता है। सच! चरवाही का काम ऐसा काम है, जिसमें मुझे बड़ी खुशी मिलती है।”—यूह. 21:16.

10. दूसरों की सेवा करने के मामले में यीशु के उदाहरण पर चलने के लिए क्या बात मसीही पुरुषों को उकसा सकती है?

10 जब परमेश्‍वर के झुंड की रखवाली करने की बात आती है तो मंडली के भाइयों को यीशु का रवैया ज़ाहिर करना चाहिए। उसने कहा था: “मैं तुम्हें तरो-ताज़ा करूँगा।” (मत्ती 11:28) परमेश्‍वर पर विश्‍वास और मंडली के लिए प्यार होने से मसीही पुरुषों को इस बढ़िया काम के लिए आगे आने का बढ़ावा मिलेगा। वे यह नहीं सोचेंगे कि इसके लिए उन्हें बहुत बड़ा त्याग करना पड़ेगा या उनसे कुछ ज़्यादा करने की माँग की जाएगी। लेकिन अगर कोई भाई मंडली में ज़िम्मेदारी के पद के लिए आगे आने की ख्वाहिश नहीं रखता तो वह क्या कर सकता है? क्या वह मंडली की सेवा करने का जज़्बा अपने अंदर पैदा कर सकता है?

सेवा करने का जज़्बा पैदा कीजिए

11. एक भाई दूसरों की सेवा करने की इच्छा पैदा करने के लिए क्या कर सकता है?

11 अगर आप इस वजह से ज़िम्मेदारियों से पीछे हटते हैं क्योंकि आपको लगता है कि आप इस लायक नहीं है, तो अच्छा होगा कि आप परमेश्‍वर से उसकी पवित्र शक्‍ति के लिए प्रार्थना करें। (लूका 11:13) यहोवा की पवित्र शक्‍ति आपको सारी चिंताओं से पार पाने में मदद करेगी। दूसरों की सेवा करने की इच्छा परमेश्‍वर ही हमारे अंदर पैदा करता है, क्योंकि यहोवा की पवित्र शक्‍ति ही एक भाई को ज़िम्मेदारियाँ उठाने के लिए उकसाती और पवित्र सेवा करने के लिए ताकत देती है। (फिलि. 2:13; 4:13) इसलिए सही होगा कि आप यहोवा से मदद माँगे कि वह आपके दिल में ज़िम्मेदारियाँ लेने की इच्छा पैदा करे।भजन 25:4, 5 पढ़िए।

12. जिस भाई को मंडली की कोई ज़िम्मेदारी सौंपी जाती है, वह उसे पूरा करने के लिए कैसे बुद्धि पा सकता है?

12 हो सकता है एक भाई को लगे कि मंडली की ज़रूरतें पूरी करना आसान नहीं है, इसमें बहुत मेहनत लगती है। इसलिए शायद वह फैसला करे कि वह यह ज़िम्मेदारी उठाने के लिए आगे नहीं बढ़ेगा। या शायद वह सोचे कि उसके पास इतनी बुद्धि नहीं है कि वह इन ज़िम्मेदारियों को अच्छी तरह निभा सके। अगर वह ऐसा सोचता है तो परमेश्‍वर के वचन और बाइबल पर आधारित साहित्य का गहरा अध्ययन करके वह बुद्धि पा सकता है। अच्छा होगा कि वह अपने आपसे पूछे, ‘क्या मैं परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करने के लिए समय निकालता हूँ और बुद्धि के लिए प्रार्थना करता हूँ?’ यीशु के चेले याकूब ने लिखा: “अगर तुम में से किसी को बुद्धि की कमी हो तो वह परमेश्‍वर से माँगता रहे क्योंकि परमेश्‍वर अपने सभी माँगनेवालों को उदारता से और बिना डाँटे-फटकारे बुद्धि देता है और माँगनेवाले को यह दी जाएगी।” (याकू. 1:5) परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी इस बात पर क्या आप विश्‍वास करते हैं? जब सुलैमान ने यहोवा से बुद्धि के लिए प्रार्थना की, तो जवाब में परमेश्‍वर ने उसे “बुद्धि और विवेक से भरा मन” दिया, जिसकी वजह से न्याय करते वक्‍त वह सही-गलत में फर्क कर सका। (1 राजा 3:7-14) यह सच है कि सुलैमान की बात अलग थी। लेकिन फिर भी हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि जिन पुरुषों को मंडली की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है, यहोवा उन्हें बुद्धि ज़रूर देगा ताकि वे उसके झुंड की देखभाल कर सकें।—नीति. 2:6.

13, 14. (क) समझाइए कि ‘मसीह के प्यार’ का पौलुस पर क्या असर हुआ। (ख) ‘मसीह के प्यार’ का हम पर कैसा असर होना चाहिए?

13 दूसरों की सेवा करने का जज़्बा पैदा करने में एक और बात हमारी मदद करती है, वह है इस बारे में गहराई से सोचना कि यहोवा और उसके बेटे ने हमारे लिए कितना कुछ किया है। उदाहरण के लिए 2 कुरिंथियों 5:14, 15 पर गौर कीजिए। (पढ़िए।) “मसीह का प्यार हमें” कैसे “मजबूर करता है”? मसीह ने परमेश्‍वर की इच्छा के मुताबिक हमारी खातिर अपनी जान कुरबान करके अपने बेमिसाल प्यार का सबूत दिया है। हम जितना ज़्यादा उस प्यार को समझने की कोशिश करेंगे उतनी ही हमारे दिल में उसके लिए एहसानमंदी बढ़ती जाएगी। मसीह के प्यार ने पौलुस पर गहरा असर किया। उस प्यार की वजह से वह अपने लिए नहीं जीया बल्कि उसने अपनी ज़िंदगी परमेश्‍वर, मंडली और बाहर के लोगों की सेवा करने में लगा दी।

14 जब हम मनन करते हैं कि मसीह के दिल में लोगों के लिए कितना प्यार था, तो हम एहसान से भर जाते हैं। नतीजा, हमें एहसास होता है कि अपने स्वार्थ को पूरा करने और अपनी इच्छाओं के पीछे भागकर ‘शरीर के लिए बोना’ कितना गलत होगा। इसलिए परमेश्‍वर के दिए काम को पहली जगह देने के लिए हम अपनी ज़िंदगी में फेरबदल करेंगे। प्यार हमें अपने भाइयों की “सेवा” करने के लिए उकसाता है। (गलातियों 5:13 पढ़िए।) अगर हम खुद को यहोवा के उपासकों का सेवक समझेंगे, तो हम उनके साथ गरिमा और आदर से पेश आएँगे। शैतान दुनिया में दूसरों की नुक्‍ताचीनी करने और उनके बारे में गलत राय कायम करने का रवैया फैलाता है, लेकिन हमें ऐसे रवैये से दूर रहना चाहिए।—प्रका. 12:10.

परिवार का साथ

15, 16. एक पुरुष सहायक सेवक या प्राचीन की ज़िम्मेदारी उठाने के काबिल बने, इसमें परिवार के सदस्य क्या भूमिका निभाते हैं?

15 अगर एक भाई शादीशुदा है और उसके बच्चे हैं, तो यह तय करने के लिए कि वह सहायक सेवक या प्राचीन बनने के काबिल है या नहीं, उसके परिवार के लोगों पर भी ध्यान दिया जाता है। यह सच है कि उसे ज़िम्मेदारी तभी दी जाती है जब उसके परिवार का परमेश्‍वर के साथ करीबी रिश्‍ता हो और लोगों में अच्छा नाम हो। इससे पता चलता है कि जब एक पुरुष मंडली में सहायक सेवक या प्राचीन के तौर पर सेवा करना चाहता है, तो उसका साथ देने में उसके परिवार की बहुत बड़ी भूमिका होती है।1 तीमुथियुस 3:4, 5, 12 पढ़िए।

16 जब परिवार के सदस्य एक-दूसरे का साथ देते हैं, तो इससे यहोवा को बड़ी खुशी होती है। (इफि. 3:14, 15) परिवार के मुखिया को मंडली की ज़िम्मेदारी पूरी करने और अपने घराने की “अच्छी देखरेख” करने के लिए संतुलन बनाए रखने की ज़रूरत होती है। इसलिए ज़रूरी है कि प्राचीन और सहायक सेवक अपनी पत्नी और बच्चों के साथ हर हफ्ते पारिवारिक उपासना की शाम को बाइबल अध्ययन करें ताकि पूरे परिवार को फायदा हो। उन्हें नियमित तौर पर अपने परिवार के साथ प्रचार काम में भी हिस्सा लेना चाहिए। उसी तरह, परिवार के सदस्यों के लिए भी ज़रूरी है कि वे अपने मुखिया का साथ दें।

क्या आप दोबारा सेवा करेंगे?

17, 18. (क) अगर एक भाई के हाथ से कोई ज़िम्मेदारी चली गयी है, तो वह क्या कर सकता है? (ख) जो भाई पहले प्राचीन या सहायक सेवक के तौर पर सेवा करता था, उसे किस तरह का नज़रिया रखना चाहिए?

17 हो सकता है कि आप पहले प्राचीन या सहायक सेवक रह चुके हों मगर आज आपके पास वह ज़िम्मेदारी नहीं है। लेकिन फिर भी यहोवा के लिए आपका प्यार कम नहीं हुआ है और आप इस भरोसा रख सकते हैं कि वह भी आपकी परवाह करता है। (1 पत. 5:6, 7) क्या आपसे कहा गया था कि आपको कुछ फेरबदल करने की ज़रूरत है? अपनी गलती कबूल कीजिए और परमेश्‍वर की मदद से उसे सुधारने की कोशिश कीजिए। किसी के लिए अपने मन में कड़वाहट मत पालिए। बुद्धिमानी से काम लीजिए, निराश मत होइए और अच्छा रवैया दिखाइए। एक भाई की बात लीजिए जिसने कई साल प्राचीन के तौर पर सेवा की, लेकिन फिर उसे इस ज़िम्मेदारी से हटा दिया गया। उसने कहा: “मैंने ठान लिया था कि प्राचीन की ज़िम्मेदारी निभाते वक्‍त मैं जिस तरह नियमित तौर से सभाओं और प्रचार में जाता था और बाइबल पढ़ाई करता था, उसे मैं जारी रखूँगा। मैं अपने इस लक्ष्य से कभी नहीं हटा। मैंने सोचा था कि एक या दो साल में मुझे अपनी ज़िम्मेदारी वापस मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्राचीन की ज़िम्मेदारी मिलने के लिए मुझे सात साल इंतज़ार करना पड़ा। इस दौरान मैंने धीरज धरना सीखा। एक बात ने मेरी बड़ी मदद की, मुझे लगातार यह हौसला मिलता रहा कि हिम्मत मत हारो और मंडली में ज़िम्मेदारियाँ पाने के लिए आगे बढ़ते रहो।”

18 अगर आप भी इस भाई के जैसे हालात से गुज़र रहे हैं, तो निराश मत होइए। मनन कीजिए कि यहोवा कैसे आपके प्रचार काम और आपके घराने पर आशीष बरसा रहा है। अपने परिवार को परमेश्‍वर के साथ मज़बूत रिश्‍ता बनाने में मदद दीजिए, बीमार भाई-बहनों से मिलने जाइए और आध्यात्मिक तौर से कमज़ोर भाई-बहनों का हौसला बढ़ाइए। सबसे बढ़कर आपको परमेश्‍वर की महिमा करने और यहोवा के साक्षी के तौर पर राज की खुशखबरी का ऐलान करने का जो सम्मान मिला है, उसकी कदर कीजिए। *भज. 145:1, 2; यशा. 43:10-12.

अपने हालात पर एक बार फिर गौर कीजिए

19, 20. (क) बपतिस्मा पाए भाइयों से क्या करने की गुज़ारिश की गयी है? (ख) अगले लेख में किस बात पर चर्चा की जाएगी?

19 आज मंडलियों में पहले से कहीं ज़्यादा निगरानों और सहायक सेवकों की ज़रूरत है। इसलिए सभी बपतिस्मा पाए भाइयों से गुज़ारिश है कि वे अपने हालात पर एक बार फिर गौर करें और खुद से पूछें, ‘अगर मैं सहायक सेवक या प्राचीन के तौर पर सेवा नहीं कर रहा हूँ, तो क्या वजह है कि मुझे अब तक यह ज़िम्मेदारी नहीं मिली?’ परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति को आपकी मदद करने दीजिए कि वह इस ज़रूरी मामले में आपको सही नज़रिया रखने दे।

20 परमेश्‍वर की सेवा में भाई-बहन त्याग की भावना दिखाते हुए जो करते हैं उससे मंडली के सभी सदस्यों को फायदा होगा। जब हम अपना स्वार्थ देखे बिना दूसरों के लिए भले काम करते हैं, तो हम वह खुशी पाते हैं जो दूसरों की सेवा करने और पवित्र शक्‍ति के लिए बोने से मिलती है। अगला लेख बताएगा कि हमें परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति को दुखी नहीं करना चाहिए। हम ऐसा करने से कैसे बच सकते हैं।

[फुटनोट]

आप क्या जवाब देंगे?

मीका 5:5 में दर्ज़ भविष्यवाणी हमें क्या भरोसा दिलाती है?

• त्याग की भावना दिखाने में क्या शामिल है?

• एक इंसान दूसरों की सेवा करने की इच्छा कैसे पैदा कर सकता है?

• अगर एक भाई सहायक सेवक या प्राचीन की ज़िम्मेदारी निभाने के काबिल बनना चाहता है, तो इसमें उसके परिवार का साथ कितना ज़रूरी है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 25 पर तसवीरें]

कोई ज़िम्मेदारी पाने के लिए आप क्या कर सकते हैं?