आध्यात्मिक कामों से ताज़गी पाइए
आध्यात्मिक कामों से ताज़गी पाइए
“मेरा जूआ अपने ऊपर लो और . . . तुम ताज़गी पाओगे।”—मत्ती 11:29.
1. सीनै पर्वत परमेश्वर ने क्या इंतज़ाम किया और क्यों?
जब सीनै पर्वत पर कानून व्यवस्था की शुरूआत की गयी, तब उसमें हर हफ्ते सब्त मनाने का नियम भी शामिल था। अपने वक्ता मूसा के ज़रिए यहोवा ने इसराएल राष्ट्र को आज्ञा दी: “छ: दिन तक तो अपना काम काज करना, और सातवें दिन विश्राम करना; कि तेरे बैल और गदहे सुस्ताएं, और तेरी दासियों के बेटे और परदेशी भी अपना जी ठं[डा] कर सकें।” (निर्ग. 23:12) जी हाँ, यहोवा को अपने लोगों की परवाह थी इसलिए उसने उनके आराम के लिए एक दिन ठहराया ताकि वे ‘अपना जी ठंडा कर सकें।’
2. सब्त का दिन मानने से इसराएलियों को कैसे फायदा होता था?
2 क्या सब्त का दिन बस आराम करने के लिए था? नहीं, बल्कि यह दिन इसराएलियों के लिए यहोवा की उपासना का खास हिस्सा था। सब्त का दिन मानने से, परिवार के मुखियाओं को समय मिलता था जिससे वे अपने परिवार को ‘यहोवा के मार्ग में अटल बने रहने और धर्म’ के काम के बारे में सिखा पाते थे। (उत्प. 18:19) इसके अलावा, यह दिन परिवार और दोस्तों को एक-साथ मिलने-मिलाने का मौका देता था और वे यहोवा के कामों पर मनन कर पाते और संगति का आनंद ले पाते थे। (यशा. 58:13, 14) और सबसे अहम बात, सब्त का दिन आनेवाले उस समय की तरफ इशारा करता था, जब मसीह के हज़ार साल के दौरान सही मायनों में लोगों को ताज़गी मिलती। (रोमि. 8:21) लेकिन हमारे दिनों के बारे में क्या? जो यहोवा के मार्गों पर चलने में दिलचस्पी लेते हैं, उन सच्चे मसीहियों को ताज़गी कहाँ और कैसे मिल सकती है?
मसीही संगति के ज़रिए ताज़गी पाइए
3. पहली सदी के मसीहियों ने कैसे एक-दूसरे को सहारा दिया और उसका क्या नतीजा निकला?
3 प्रेषित पौलुस ने मसीही मंडली को ‘सच्चाई का खंभा और सहारा’ कहा। (1 तीमु. 3:15) पहली सदी के मसीहियों ने प्यार से एक-दूसरे की हिम्मत बढ़ाकर काफी हौसला और सहारा पाया था। (इफि. 4:11, 12, 16) पौलुस जब इफिसुस में था, तब कुरिंथ की मंडली के लोगों ने उससे भेंट करके उसकी हिम्मत बढ़ायी थी। ध्यान दीजिए कि इसका पौलुस पर क्या असर हुआ, उसने लिखा: “मैं स्तिफनास और फूरतूनातुस और अखइखुस की मौजूदगी से बेहद खुश हूँ, क्योंकि . . . उन्होंने . . . मेरा जी तरो-ताज़ा किया है।” (1 कुरिं. 16:17, 18) उसी तरह जब तीतुस कुरिंथ में अपने भाइयों की सेवा के लिए गया था, तब पौलुस ने उस मंडली को खत में लिखा: “तुम सबने उसके दिल को ताज़गी दी है।” (2 कुरिं. 7:13) वैसे ही, आज यहोवा के साक्षी मसीही भाईचारे का लुत्फ उठाकर सही मायनों में ताज़गी पाते हैं।
4. मंडली की सभाओं से कैसे हमें ताज़गी मिलती है?
4 आपने खुद इस बात का अनुभव किया होगा कि मसीही सभाओं से हमें सच्ची खुशी मिलती है। वहाँ हमें “अपने-अपने विश्वास के ज़रिए, आपस में एक-दूसरे का हौसला” बढ़ाने का मौका मिलता है। (रोमि. 1:12) हमारे भाई-बहन उन जान-पहचानवालों में से नहीं हैं, जो सिर्फ कभी-कभार मिलते हैं और जिनके साथ हमारा सिर्फ दुआ-सलाम का रिश्ता होता है। वे तो हमारे सच्चे दोस्त हैं जिनके लिए हमारे दिल में प्यार और इज़्ज़त है। इनसे नियमित तौर पर सभाओं में मिलकर हमें बड़ी खुशी और तसल्ली मिलती है।—फिले. 7.
5. हम अधिवेशनों और सम्मेलनों में कैसे एक-दूसरे को ताज़गी दे सकते हैं?
5 हमें सालाना अधिवेशनों और सम्मेलनों के ज़रिए भी ताज़गी मिलती है। इन मौकों पर हमें परमेश्वर के वचन बाइबल से सच्चाई का जीवन-जल तो मिलता ही है, इसके अलावा हमें अपने “दिलों को बड़ा” करने यानी ज़्यादा-से-ज़्यादा दोस्त बनाने का मौका भी मिलता है। (2 कुरिं. ) लेकिन अगर हमारा स्वभाव शर्मीला है या लोगों से मिलना हमें मुश्किल लगता है, तब क्या किया जा सकता है? अपने भाई-बहनों से जान-पहचान बढ़ाने का एक तरीका है, अधिवेशनों में मदद करने के लिए आगे आना। एक अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में मदद करने के बाद एक बहन ने अपना अनुभव यूँ बताया: “अपने परिवार और मुट्ठी भर दोस्तों के अलावा मैं वहाँ किसी को नहीं जानती थी। लेकिन जब मैंने वहाँ साफ-सफाई के काम में मदद की, तो मैं ढेर सारे भाई-बहनों से मिली! सच मानिए, बड़ा मज़ा आया!” 6:12, 13
6. एक तरीका क्या है जिससे हम छुट्टियों के दौरान ताज़गी पा सकते हैं?
6 इसराएली हर साल यहोवा की उपासना के लिए तीन त्योहारों के मौकों पर यरूशलेम जाया करते थे। (निर्ग. 34:23) अकसर वहाँ जाने के लिए उन्हें अपने खेत और काम-धंधे को छोड़कर लंबा सफर तय करना पड़ता था और वह भी धूल भरी सड़कों पर पैदल चलकर। फिर भी, यहोवा के मंदिर पहुँचकर जब वे ‘उसकी स्तुति करते थे’ तो उन्हें ‘बड़ा आनंद’ मिलता था। (2 इति. 30:21) उसी तरह आज भी यहोवा के कई सेवक, परिवार के साथ अपने सबसे नज़दीकी शाखा दफ्तर यानी बेथेल घर का दौरा करने के लिए सफर करते हैं और इससे उन्हें बड़ी खुशी मिलती है। अगली बार जब आप परिवार के साथ छुट्टियाँ मनाने जाएँगे तो क्या आप उसमें बेथेल का दौरा करने की योजना बना सकते हैं?
7. (क) दोस्तों और परिवारों का एक-साथ इकट्ठा होना कैसे फायदेमंद हो सकता है? (ख) क्या बात ऐसे मौकों को यादगार और बढ़िया बना सकती है?
7 दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ इकट्ठा होकर समय बिताने से भी हौसला मिलता है। बुद्धिमान राजा सुलैमान ने कहा: “मनुष्य के लिये खाने-पीने और परिश्रम करते हुए अपने जीव को सुखी रखने के सिवाय और कुछ भी अच्छा नहीं।” (सभो. 2:24) दोस्तों और परिवारों के साथ इकट्ठा होने से न सिर्फ हमारे जी को ताज़गी मिलती है, बल्कि जैसे-जैसे हम अपने मसीही भाई-बहनों को समझने लगते हैं हमारे प्यार का बंधन और मज़बूत हो जाता है। इन मौकों को और भी यादगार और बढ़िया बनाने के लिए ज़रूरी है कि छोटे समूह में इकट्ठा हों, जिससे हर काम पर सही तरह से नज़र रखी जा सके खास तौर पर तब, जब शराब का इंतज़ाम किया जाता है।
प्रचार से ताज़गी मिलती है
8, 9. (क) यीशु का संदेश फरीसियों और सदूकियों के नियमों से कैसे अलग था? (ख) बाइबल की सच्चाई दूसरों को सुनाने से क्या फायदे होते हैं?
8 यीशु ने प्रचार काम को बड़े जोश से किया और अपने चेलों को भी ऐसा करने का बढ़ावा दिया। यह बात उसके इन शब्दों से साफ ज़ाहिर होती है: “बेशक, कटाई के लिए फसल बहुत है, मगर मज़दूर थोड़े हैं। इसलिए खेत के मालिक से बिनती करो कि वह कटाई के लिए और मज़दूर भेज दे।” (मत्ती 9:37, 38) यीशु ने जो संदेश दिया वह “खुशखबरी” का संदेश था जिससे वाकई ताज़गी मिली। (मत्ती 4:23; 24:14) लेकिन दूसरी तरफ लोग फरीसियों के बनाए नियमों के बोझ तले दबे जा रहे थे।—मत्ती 23:4, 23, 24 पढ़िए।
9 जब हम दूसरों को राज का संदेश सुनाते हैं तो हम उन्हें आध्यात्मिक तौर से तरोताज़ा करते हैं और हम भी अपने दिलो-दिमाग में बाइबल की अनमोल सच्चाइयाँ बसा लेते हैं। भजनहार ने बिलकुल ठीक कहा: “याह की स्तुति करो! क्योंकि अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है; क्योंकि वह मनभावना है।” (भज. 147:1) अपने पड़ोसियों को यहोवा के बारे में बताकर क्या आप अपनी खुशी बढ़ा सकते हैं?
10. क्या प्रचार में हमारी सफलता इस बात पर टिकी है कि कितने लोग राज संदेश को कबूल करते हैं? समझाइए।
10 यह सच है कि कुछ इलाकों में खुशखबरी बहुत-से लोग सुनते हैं और कुछ में नहीं। (प्रेषितों 18:1, 5-8 पढ़िए।) अगर आप ऐसी जगह में रहते हैं, जहाँ बहुत कम लोग राज संदेश को सुनते हैं तो दिल छोटा मत कीजिए बल्कि यह सोचिए कि आपकी सेवा से यहोवा के नाम का ऐलान हो रहा है। जी हाँ, आपकी यह मेहनत बेकार नहीं है। (1 कुरिं. 15:58) और यह भी याद रखिए कि प्रचार में हमारी सफलता इस बात पर नहीं टिकी कि कितने लोग राज संदेश को कबूल करते हैं। इसके अलावा, हम इस बात की भी तसल्ली रख सकते हैं कि यहोवा देखेगा कि भले लोगों को राज संदेश कबूल करने का मौका ज़रूर मिले।—यूह. 6:44.
पारिवारिक उपासना से ताज़गी मिलती है
11. यहोवा ने माता-पिताओं को कौन-सी ज़िम्मेदारी दी है और वे उसे कैसे पूरा कर सकते हैं?
11 परमेश्वर का भय माननेवाले माता-पिता की ज़िम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों को यहोवा और उसके मार्गों के बारे में सिखाएँ। (व्यव. 11:18, 19) अगर आप माता-पिता हैं, तो क्या आपने यहोवा के बारे में अपने बच्चों को सिखाने के लिए कोई वक्त तय किया है? इस अहम ज़िम्मेदारी को निभाने और अपने परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए यहोवा ने भरपूर मात्रा में किताबों, पत्रिकाओं, वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग के ज़रिए बढ़िया आध्यात्मिक भोजन का इंतज़ाम किया है।
12, 13. (क) पारिवारिक उपासना की शाम से परिवारों को कैसे फायदा हो सकता है? (ख) माता-पिता कैसे यह तय कर सकते हैं कि पारिवारिक उपासना से उनके परिवार को आध्यात्मिक ताज़गी मिले?
12 इसके अलावा विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास ने पारिवारिक उपासना की शाम का इंतज़ाम किया है। यह हर हफ्ते की एक शाम होती है जब परिवार के साथ बाइबल अध्ययन करने के लिए समय अलग रखा जाता है। बहुतों ने पाया है कि इस इंतज़ाम की वजह से परिवार में और भी प्यार बढ़ा है और यहोवा के साथ उनका रिश्ता मज़बूत हुआ है। लेकिन माता-पिता यह कैसे तय कर सकते हैं कि उनकी पारिवारिक उपासना उनके परिवार को आध्यात्मिक ताज़गी देती है?
13 पारिवारिक उपासना की शाम को एकदम गंभीर और उबाऊ नहीं बनाना चाहिए। आखिर हम एक “आनंदित परमेश्वर” की उपासना करते हैं और वह चाहता है कि हम खुशी-खुशी उसकी उपासना करें। (1 तीमु. 1:11; फिलि. 4:4) बाइबल से आध्यात्मिक रत्नों के बारे में चर्चा करने के लिए हमें जो यह शाम मिली है वाकई वह एक बड़ी आशीष है। इसलिए माता-पिता अपने बच्चों को सिखाने के लिए नए-नए तरीके ढूँढ़ सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक परिवार में एक दस साल के बच्चे ब्रेंडन को यह बात बहुत अखरती थी कि बाइबल शैतान की पहचान साँप से कराती है क्योंकि साँप उसे बहुत पसंद थे। इसलिए उसके परिवार ने उसे इस विषय पर रिपोर्ट तैयार करने को कहा: “यहोवा ने शैतान की पहचान बताने के लिए साँप का इस्तेमाल क्यों किया?” कुछ परिवार कभी-कभी बाइबल के किसी विषय पर ड्रामा खेलते हैं। परिवार का हर सदस्य बाइबल के एक किरदार की भूमिका निभाता है और बाइबल से अपना-अपना भाग पढ़ता है। या फिर वे घटना के मुताबिक अभिनय करते हैं। सिखाने के ये तरीके न सिर्फ मज़ेदार होते हैं बल्कि बच्चे इनमें पूरी तरह शामिल हो जाते हैं, जिससे बाइबल के सिद्धांत उनके दिलो-दिमाग में रच-बस जाते हैं। *
उन चीज़ों से दूर रहिए जो आप पर दबाव डाल सकती हैं
14, 15. (क) इन आखिरी दिनों में तनाव और असुरक्षा की भावना कैसे बहुत बढ़ गयी है? (ख) हम मसीहियों को और किन दबावों का सामना करना पड़ता है?
14 इस दुष्ट दुनिया के आखिरी दिनों में तनाव और असुरक्षा की भावना बहुत बढ़ गयी है। बेरोज़गारी और पैसे की तंगी का असर लाखों लोगों पर हो रहा है। यहाँ तक कि जिनके पास नौकरी है वे भी महसूस करते हैं कि वे अपनी तनख्वाह ऐसी जेब में रखते हैं जिसमें छेद हैं जिससे उनके परिवार को ज़्यादा फायदा नहीं हो पाता। (हाग्गै 1:4-6 से तुलना कीजिए।) आतंकवाद और ऐसे ही दूसरे अपराधों को खत्म करने के लिए राजनेता और दूसरे नेता अपनी पूरी कोशिश करते हैं मगर वे भी इसमें नाकाम रहे हैं। कई लोग अपनी कमज़ोरियों के चलते निराशा में डूब गए हैं।—भज. 38:4.
15 शैतान की दुनिया जो दबाव डालती है और जो समस्याएँ लाती है उससे सच्चे मसीही भी अछूते नहीं हैं। (1 यूह. 5:19) मसीह के चेलों को और भी कई तरह के दबावों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि वे यहोवा के वफादार बने रहना चाहते हैं। यीशु ने कहा था: “अगर उन्होंने मुझ पर ज़ुल्म किया है, तो तुम पर भी ज़ुल्म करेंगे।” (यूह. 15:20) जी हाँ, “हम पर ज़ुल्म तो ढाए जाते हैं, मगर हम मँझधार में नहीं छोड़े जाते।” (2 कुरिं. 4:9) ऐसा क्यों कहा जा सकता है?
16. किसकी बदौलत हम अपनी खुशी बनाए रख पाते हैं?
16 यीशु ने कहा: “हे लोगो, तुम जो कड़ी मज़दूरी से थके-माँदे और बोझ से दबे हो, तुम सब मेरे पास आओ, मैं तुम्हें तरो-ताज़ा करूँगा।” (मत्ती 11:28) यीशु के फिरौती बलिदान के इंतज़ाम पर पूरा विश्वास दिखाने के ज़रिए हम एक तरह से खुद को यहोवा के हाथ में सौंप देते हैं। इस तरह हम “वह ताकत” पाते हैं “जो आम इंसानों की ताकत से कहीं बढ़कर [होती] है।” (2 कुरिं. 4:7) परमेश्वर की पवित्र शक्ति हमारी “मददगार” है और वह हमारे विश्वास को इस हद तक मज़बूत करती है कि हम न सिर्फ परीक्षाओं और मुसीबतों को सह लेते हैं बल्कि इस दौरान अपनी खुशी भी बनाए रखते हैं।—यूह. 14:26; याकू. 1:2-4.
17, 18. (क) हमें किस तरह के रवैये से सावधान रहने की ज़रूरत है? (ख) इस दुनिया के झूठे सुख-विलास पर ज़्यादा ज़ोर देने का क्या नतीजा हो सकता है?
17 हम सच्चे मसीहियों को आज सावधान रहने की ज़रूरत है ताकि मौज-मस्ती की दीवानी इस दुनिया के रंग में न रंग जाएँ। (इफिसियों 2:2-5 पढ़िए।) अगर सावधान न रहें तो हम ‘शरीर की ख्वाहिशों, आँखों की ख्वाहिशों और अपनी चीज़ों का दिखावा’ करने के चक्कर में फँस सकते हैं। (1 यूह. 2:16) या इस धोखे में पड़ सकते हैं कि शरीर की ख्वाहिशें पूरी करने से हमें ताज़गी मिलेगी। (रोमि. 8:6) उदाहरण के लिए कुछ लोग खुशी पाने के लिए ड्रग्स और शराब में डूब जाते हैं, अश्लील तसवीरें देखते हैं, खतरनाक खेल खेलते हैं या दूसरे गलत कामों में हिस्सा लेते हैं। ऐसा करके लोगों को लगता है कि वे ताज़गी पाते हैं, मगर सही मायनों में इनसे ताज़गी नहीं मिलती। ये दरअसल शैतान की ‘धूर्त चालें’ हैं जो लोगों को गुमराह करती हैं।—इफि. 6:11, फुटनोट।
18 यह सच है कि एक हद में रहकर खाने-पीने और सही तरीके के मनोरंजन करने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन हम इन चीज़ों को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह नहीं लेने देते। हम आत्म संयम दिखाते हैं और सीमा में रहकर ऐसा करते हैं, खासकर इन आखिरी दिनों में। अगर हम ध्यान न दें, तो अपनी इच्छाओं को पूरी करने में इस कदर डूब सकते हैं कि ‘प्रभु यीशु मसीह के बारे में सही ज्ञान को अमल में लाने में ठंडे पड़ सकते हैं या निष्फल हो सकते हैं।’—2 पत. 1:8.
19, 20. सच्ची ताज़गी कैसे पायी जा सकती है?
19 जब हम यहोवा के नियमों के मुताबिक अपने विचारों को ढालते हैं तब हम यह समझ पाते हैं कि दुनिया का हर सुख-विलास एक बुलबुला है। मूसा ने इस बात को समझा था और हम भी समझते हैं। (इब्रा. 11:25) दरअसल सच्ची ताज़गी उसे कहते हैं जो हममें खुशी और संतुष्टि लंबे समय तक बरकरार रखे और यह तभी मुमकिन है जब हम स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता की इच्छा पूरी करते हैं।—मत्ती 5:6.
20 आइए हम आध्यात्मिक कामों से ताज़गी पाते रहें। ऐसा करने के ज़रिए ‘हम दुनियावी ख्वाहिशों को और ऐसे चालचलन को त्याग देंगे जो परमेश्वर की मरज़ी के खिलाफ है। और उस वक्त का इंतज़ार करते रहेंगे जब हमारी सुखद आशा पूरी होगी और महान परमेश्वर, साथ ही हमारे उद्धारकर्त्ता, मसीह यीशु की महिमा ज़ाहिर होगी।’ (तीतु. 2:12, 13) तो आइए, यीशु के अधिकार और मार्गदर्शन को मानते हुए उसके जुए के अधीन रहने की ठान लें। ऐसा करने से हमें सच्ची खुशी और ताज़गी मिलेगी!
[फुटनोट]
^ पारिवारिक अध्ययन को और दिलचस्प कैसे बनाया जा सकता है इस पर अधिक जानकारी के लिए जनवरी 1991 की हमारी राज्य सेवकाई का पेज 1 देखिए।
आप कैसे जवाब देंगे?
• आज यहोवा के लोग ताज़गी कैसे पाते हैं?
• प्रचार करने से हमें और जिनसे हम बात करते हैं उन्हें कैसे ताज़गी मिलती है?
• परिवार के मुखिया कैसे यह तय कर सकते हैं कि पारिवारिक उपासना से उनके परिवार को ताज़गी मिले?
• कौन-सी बातें हमें आध्यात्मिक तौर पर कमज़ोर कर सकती हैं?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 26 पर तसवीरें]
यीशु के जुए के अधीन रहने से हमें कई तरीकों से ताज़गी मिलती है