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जीवन-साथी की बेवफाई से उबरना

जीवन-साथी की बेवफाई से उबरना

जीवन-साथी की बेवफाई से उबरना

महिमा और उसके पति राहुल ने मिलकर कई सालों तक परमेश्‍वर की पूरे समय सेवा की। * लेकिन दुख की बात है कि उनका पहला बच्चा होने के कुछ समय बाद से राहुल का परमेश्‍वर के साथ रिश्‍ता कमज़ोर पड़ने लगा। आखिरकार राहुल एक बदचलन ज़िंदगी जीने लगा और उसे मसीही मंडली से बहिष्कृत कर दिया गया। महिमा कहती है, “जब यह सब हुआ तो मुझे लगा, अब मैं आगे नहीं जी पाऊँगी। . . . मेरा दिल पूरी तरह टूट चुका था। मैं अपनी सुध-बुध खो बैठी थी।”

ज्योति के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उसकी शादी के कुछ समय बाद उसके पति ने उसके प्यार और विश्‍वास का गला घोंट दिया, लेकिन दूसरे तरीके से। वह उसे मारने-पीटने लगा था। ज्योति कहती है, “पहली बार जब उसने मुझे घूँसा मारा तो मैं हैरान रह गयी। मैं बहुत शरमिंदगी और अपमानित महसूस कर रही थी। और फिर, यह रोज़ की बात हो गयी। वह मुझे मारता और बाद में गिड़गिड़ाकर माफी माँगता। मैं सोचती थी कि एक मसीही होने के नाते उसे माफ करना और बातों को भूल जाना मेरा फर्ज़ बनता है। मुझे लगता था कि अपनी परेशानियों के बारे में किसी को बताना अपने पति से विश्‍वासघात करना होगा, इसलिए मैंने प्राचीनों को भी नहीं बताया। मारने-पीटने और माफी माँगने का यह सिलसिला सालों तक चलता रहा। इस दौरान मेरे दिमाग में एक ही बात घूमती कि मैं ऐसा क्या करूँ जिससे मेरा पति मुझसे प्यार करने लगे। आखिरकार वह मुझे और हमारी बेटी को छोड़कर चला गया और तब मुझे लगा कि मैं हार गयी हूँ। काश, मैं कुछ और करती या कहती, जिससे मैं अपनी शादी को टूटने से बचा पाती!”

महिमा और ज्योति की तरह शायद आपके पति ने भी आपसे बेवफाई की हो, जिस वजह से आप अंदर-ही-अंदर टूटती जा रही हों, माली हालत बिगड़ती जा रही हो और परमेश्‍वर के साथ आपके रिश्‍ते में भी दरार पड़ने लगी हो। पुरुष भी ऐसे हालात का सामना कर सकते हैं। अगर आपकी पत्नी ने बेवफाई की है, तो आप भी शायद अपने ज़ज्बातों से जूझ रहे हों। बाइबल सच ही कहती है कि हम “संकटों से भरे ऐसे वक्‍त में जी रहे हैं जिसका सामना करना मुश्‍किल है।” यह भविष्यवाणी इस बात की तरफ इशारा करती है कि “आखिरी दिनों” में ज़्यादातर परिवारों पर मुसीबतों का पहाड़ टूटेगा और ऐसे कई परिवारों में मोह-ममता नाम की चीज़ ही नहीं रहेगी। और कुछ लोग अपनी ज़िंदगी में परमेश्‍वर की उपासना करने का ढोंग करेंगे। (2 तीमु. 3:1-5) सच्चे मसीही भी इस तरह की परेशानियों से अछूते नहीं हैं; अगर आपके साथ विश्‍वासघात हुआ है तो आप इसका सामना कैसे कर सकते हैं?

खुद को यहोवा की नज़र से देखिए

सबसे पहले तो आपको यह मानने में मुश्‍किल होगी कि जिस इंसान को आप इतना प्यार करते थे, वही आपको इतना गहरा घाव कैसे दे सकता है। शायद आप अपने पति या पत्नी के विश्‍वासघात के लिए खुद को ज़िम्मेदार ठहराएँ।

लेकिन याद रखिए कि सिद्ध इंसान यीशु के साथ भी ऐसा हुआ था। जिस इंसान से यीशु प्यार करता था और जिस पर भरोसा करता था, उसी ने उसके साथ विश्‍वासघात किया। यीशु ने अपने 12 चेलों का चुनाव काफी सोच-विचार और प्रार्थना के बाद ही किया था। तब सभी 12 चेले यहोवा के वफादार सेवक थे। इसलिए सोचिए, जब यहूदा इस्करियोती “दगाबाज़ बन गया,” तब यीशु को कितना दुख हुआ होगा। (लूका 6:12-16) मगर यहूदा इस्करियोती की हरकतों के लिए यहोवा ने यीशु को कभी ज़िम्मेदार नहीं ठहराया।

यह सच है कि आज कोई भी शादी-शुदा जोड़ा सिद्ध नहीं है, दोनों गलतियाँ करेंगे। तभी तो एक भजनहार ने परमेश्‍वर की प्रेरणा से यह सच्चाई दर्ज़ की: “हे याह, यदि तू अधर्म के कामों का लेखा ले, तो हे प्रभु कौन खड़ा रह सकेगा?” (भज. 130:3) इसलिए पति-पत्नी दोनों को यहोवा का नज़रिया अपनाते हुए एक-दूसरे की गलतियाँ माफ करनी चाहिए।—1 पत. 4:8.

लेकिन हाँ, “हम में से हरेक इंसान परमेश्‍वर को अपना-अपना हिसाब देगा।” (रोमि. 14:12) मान लीजिए कि अगर एक साथी की गाली देने और मार-पीट करने की आदत बन चुकी है, तो उसे यहोवा को अपनी करनी का जवाब देना होगा। यहोवा हिंसा और गाली-गलौज से घृणा करता है, इसलिए एक साथी के पास कोई वजह नहीं रहती कि वह अपने दूसरे साथी के साथ प्यार और आदर से पेश ना आए। (भज. 11:5; इफि. 5:33; कुलु. 3:6-8) अगर एक मसीही, बार-बार गुस्से से भड़क उठता है और सच्चा पछतावा नहीं दिखाता और ना ही अपने आपको बदलना चाहता है, तो उस स्त्री या पुरुष को मसीह मंडली से बहिष्कृत कर देना चाहिए। (गला. 5:19-21; 2 यूह. 9, 10) एक जीवन-साथी को तब खुद को कसूरवार समझने की ज़रूरत नहीं, जब वह अपने साथी के बुरे व्यवहार के बारे में प्राचीनों को बताता है। सच तो यह है कि यहोवा को बुरे व्यवहार सहनेवाले निर्दोष साथी से पूरी हमदर्दी होती है।

जब एक जीवन-साथी व्यभिचार करता है, तो वह न सिर्फ निर्दोष साथी के खिलाफ बल्कि यहोवा के खिलाफ भी पाप करता है। (मत्ती 19:4-9; इब्रा. 13:4) अगर ऐसा साथी बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक जीने की कोशिश करता है, तो उसे अपने साथी की बेवफाई के लिए खुद को दोषी समझने की ज़रूरत नहीं।

याद रखिए कि यहोवा आपकी भावनाओं को बखूबी समझता है क्योंकि उसके साथ भी विश्‍वासघात हुआ था। यहोवा खुद को इसराएलियों का पति कहता था, लेकिन इसराएलियों ने आध्यात्मिक मायने में व्यभिचार करके उसके साथ विश्‍वासघात किया। इससे यहोवा को जो ठेस पहुँची, उसके बारे में बाइबल में दिल छू लेनेवाली कई आयतें दर्ज़ हैं। (यशा. 54:5, 6; यिर्म. 3:1, 6-10) यकीन मानिए, आपके दर्द-भरे आँसू यहोवा से छिपे नहीं हैं, जो आपने अपने जीवन-साथी की बेवफाई की वजह से बहाए हैं। (मला. 2:13, 14) यहोवा जानता है कि इस वक्‍त आपके दिल को सुकून की तलाश है और सहारे की ज़रूरत है।

यहोवा कैसे सुकून देता है

एक तरीका जिससे यहोवा आपके दिल को सुकून पहुँचाता है, वह है मसीही मंडली। ज्योति को मंडली के भाई-बहनों से सुकून और शांति मिली। वह याद करते हुए कहती है: “जब मैं पूरी तरह टूट चुकी थी, उसी समय सफरी निगरान का दौरा था। . . . वे जानते थे कि मेरे पति से मिले तलाकनामे की वजह से मैं कितनी निराश हूँ। इसलिए उन्होंने समय निकालकर मेरे साथ 1 कुरिंथियों 7:15 और दूसरी आयतों पर चर्चा की। बाइबल की आयतों से और उनके प्यार भरे शब्दों से मुझे काफी सुकून मिला। और मैं अपने आपको कसूरवार समझने की भावना से उबर पायी।” *

महिमा जिसका हमने पहले ज़िक्र किया था, उसने भी देखा कि यहोवा मसीही मंडली के ज़रिए लोगों को शांति देता है। वह कहती है: “जब मेरे पति ने कोई पछतावा नहीं दिखाया, . . . तब मैं अपने दोनों लड़कों को लेकर दूसरे शहर चली गयी। वहाँ पहुँचते ही मुझे किराए पर दो कमरोंवाला मकान मिल गया। अगले दिन मैं टूटे मन से अपना सामान खोल रही थी कि दरवाज़े पर दस्तक हुई। मुझे लगा कि घर-मालकिन होगी, जो पड़ोस में रहती थी। लेकिन दरवाज़े पर उस मसीही बहन को देखकर मुझे बड़ा ताज्जुब हुआ, जिसने मेरी माँ के साथ बाइबल अध्ययन किया था और जिसने हमारे परिवार को भी सच्चाई सिखायी थी। और वह बहन भी मुझे देखकर हैरान हुई, क्योंकि वह तो वहाँ घर-मालकिन से मिलने आयी थी, जिसके साथ वह बाइबल अध्ययन करती थी। बहन से मिलकर मुझे इतना अच्छा लगा कि मैं अपनी भावनाओं पर काबू न रख पायी और मैंने उसे अपनी आप-बीती सुनायी और हम दोनों रोने लगे। उसी दिन उसने तुरंत हम सबके लिए सभाओं में जाने का इंतज़ाम किया। मंडली में हमारा स्वागत किया गया, प्राचीनों ने कुछ कारगर इंतज़ाम किए जिससे मैं अपनी और अपने बच्चों की आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी कर सकूँ।”

दूसरे कैसे मदद कर सकते हैं

यकीनन मसीही मंडली के भाई-बहन कई कारगर तरीकों से एक इंसान की ज़रूरतें पूरी कर सकते हैं। मिसाल के लिए, अब महिमा को नौकरी ढूँढ़ने की ज़रूरत थी। उस समय मंडली के एक परिवार ने पहल की और ज़रूरत पड़ने पर उसके बच्चों की देखभाल की, खासकर जब वे स्कूल से लौटते थे।

महिमा कहती है, “मगर जो बात मुझे सबसे अच्छी लगती है, वह यह कि भाई-बहन मुझे और मेरे बच्चों को अपने साथ प्रचार में ले जाते हैं।” जी हाँ, ऐसी मदद से मसीही भाई-बहन ‘एक-दूसरे का भार उठाते’ हैं और इस तरह वे “मसीह का कानून” पूरा करते हैं।—गला. 6:2.

दूसरों के पापों की सज़ा भुगत रहे भाई-बहन, इस तरह की कारगर मदद की बड़ी कदर करते हैं। जब मोनिका का पति उसे छोड़कर चला गया, तब वह उस पर चार बच्चों को पालने की ज़िम्मेदारी और क्रेडिट कार्ड पर करीब 6,00,000 रुपए का उधार छोड़ गया। वह कहती है, “मंडली के भाई-बहनों ने मुझे बहुत प्यार दिया है। अगर ये लोग न होते, तो पता नहीं मैं कैसे जी पाती। मुझे लगता है कि यहोवा ने मेरी मंडली में बहुत-ही प्यारे भाई दिए हैं, जिन्होंने जी-जान से मेरे बच्चों की मदद की। और आज मेरे बच्चे आध्यात्मिक तौर से प्रौढ़ बन पाए हैं। जब कभी मुझे सलाह की ज़रूरत पड़ी, तब प्राचीनों ने मेरी मदद की। जब मुझे बात करनी होती थी तो प्राचीन मेरी बात सुनते थे।”—मर. 10:29, 30.

बेशक एक सच्चा दोस्त जानता है कि अपने दोस्त की ज़िंदगी में घटी कोई दुख भरी बात की चर्चा करना कब सही है, और कब नहीं। (सभो. 3:7) महिमा कहती है, “नयी मंडली की बहनों के साथ मुझे अपनी परेशानियों से ज़्यादा, प्रचार सेवा, अपने बाइबल अध्ययन और बच्चों के बारे में बात करना बहुत अच्छा लगता था। मैं उनकी आभारी हूँ कि उन्होंने कभी मेरे अतीत को कुरेदने की कोशिश नहीं की, बल्कि एक नयी शुरूआत करने में मेरी मदद की।”

बदला लेने से खुद को रोकिए

कभी-कभी हो सकता है कि जीवन-साथी के विश्‍वासघात की वजह से आपके अंदर बदले की भावना पनपने लगे, यह सोचकर कि उसकी गलतियों का खामियाज़ा आपको भुगतना पड़ रहा है। अगर आप ऐसी भावनाओं को जड़ पकड़ने देते हैं, तो यहोवा के वफादार बने रहने का आपका इरादा कमज़ोर पड़ सकता है। मसलन, आप हमेशा अपने बेवफा साथी से बदला लेने की तलाश में रहेंगे।

अगर आपको लगता है कि आपके अंदर ऐसी भावनाएँ उबल रही हैं, तो आप यहोशू और कालेब की मिसाल से बहुत कुछ सीख सकते हैं। इन वफादार सेवकों ने वादा किए गए देश का भेद जानने के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाल दी। लेकिन दूसरे जासूसों ने विश्‍वास की कमी दिखायी और लोगों को यहोवा के खिलाफ भड़काया। जब यहोशू और कालेब, वफादार बने रहने के लिए इसराएलियों का ढाढ़स बँधा रहे थे, तब कुछ इसराएली पत्थर मारकर उनकी हत्या कर देना चाहते थे। (गिन. 13:25–14:10) इसराएलियों के ऐसे बुरे व्यवहार की वजह से यहोशू और कालेब को भी मजबूरन 40 साल वीराने में रहना पड़ा, जबकि उनका कोई कसूर नहीं था।

यहोशू और कालेब निराश ज़रूर हुए, लेकिन उन्होंने अपने भाइयों की गलतियों की वजह से अपने अंदर कड़वाहट नहीं पनपने दी। उन्होंने परमेश्‍वर के साथ अपने रिश्‍ते को बरकरार रखा। वीराने में 40 साल गुज़ारने के बाद लेवियों के साथ इन्हें भी इनाम मिला। उस पीढ़ी के लोगों में लेवियों के अलावा, उनकी भी जान बची और वादा किए गए देश में जाने का सुनहरा मौका मिला।—गिन. 14:28-30; यहो. 14:6-12.

अपने जीवन-साथी की बेवफाई का अंजाम आपको शायद लंबे समय तक भुगतना पड़े। शादी का रिश्‍ता शायद खत्म हो जाए, पर ज़िंदगी में संघर्ष जारी रह सकता है। जैसे, आपको अपनी भावनाओं से जूझना पड़ सकता है और अकेले घर चलाने का भार आपके कंधों पर आ सकता है। लेकिन कभी-भी निराशा के काले बादल अपने ऊपर मत मँडराने दीजिए। हमेशा याद रखिए कि यहोवा बखूबी जानता है कि जो जानबूझकर उसके नियमों को तोड़ते हैं, उनके साथ क्या किया जाना चाहिए और इसका अनुभव अविश्‍वासी इसराएलियों ने किया था।—इब्रा. 10:30, 31; 13:4.

काले बादल छँट सकते हैं!

दुख पहुँचानेवाली ऐसी बातें सोचने के बजाय अच्छा होगा आप अपने मन को यहोवा की बातों से भरें। ज्योति कहती है, “प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं की टेप रिकॉर्डिंग सुनने से मुझे अपनी परेशानियों से जूझने की ताकत मिली।” फिर वह कहती है, “सभाओं से भी मुझे बहुत हिम्मत मिली। इनमें जोश के साथ हिस्सा लेने से मैं अपनी परेशानियों को भुला पायी। प्रचार से भी मुझे वही ताकत मिली। जब मैं दूसरों को यहोवा पर विश्‍वास बढ़ाने में मदद देती, तो उनके साथ मेरा विश्‍वास भी मज़बूत होता था। अपने बाइबल विद्यार्थियों की ज़रूरतों का खयाल रखने की वजह से, मैं अपना मन सबसे ज़रूरी चीज़ों पर लगा पाती थी।”

मोनिका जिसका ज़िक्र हमने पहले किया था, कहती है: “सभाओं में नियम से हाज़िर होकर और जितना हो सके उतना प्रचार में जाने की वजह से मैं अपना दुख सह सकी। इससे परिवार में एक-दूसरे के साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत हुआ और हम मंडली के और भी करीब आ सके। मेरी परेशानियों की वजह से मैं अपनी कमज़ोरियों को पहचान सकी। मेरी परीक्षा हुई, लेकिन यहोवा की मदद से मैं कामयाब भी हुई।”

आप भी कामयाब हो सकते हैं। अपने जीवन-साथी की बेवफाई से हालाँकि आपको काफी चोट पहुँची है, मगर फिर भी प्रेषित पौलुस की इस सलाह के मुताबिक चलने की कोशिश करते रहिए: “आओ हम बढ़िया काम करने में हार न मानें, क्योंकि अगर हम हिम्मत न हारें, तो वक्‍त आने पर ज़रूर फल पाएँगे।”—गला. 6:9.

[फुटनोट]

^ कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

^ अलग होने और तलाक के बारे में बाइबल की राय जानने के लिए किताब खुद को परमेश्‍वर के प्यार के लायक बनाए रखो” के पेज 142-148, 251-253 देखिए, जहाँ इन पर बारीकी से चर्चा की गयी है।

[पेज 31 पर तसवीर]

निर्दोष साथी की जब प्रचार में मदद की जाती है, तब वह इसके लिए बहुत एहसानमंद होता है