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आध्यात्मिक कटाई में पूरा-पूरा हिस्सा लीजिए

आध्यात्मिक कटाई में पूरा-पूरा हिस्सा लीजिए

आध्यात्मिक कटाई में पूरा-पूरा हिस्सा लीजिए

“प्रभु की सेवा में व्यस्त रहने के लिए हमेशा तुम्हारे पास बहुत काम हो।”—1 कुरिं. 15:58.

1. यीशु ने अपने चेलों को क्या न्यौता दिया?

 यह बात करीब ईसवी सन्‌ 30 के आस-पास की है, जब यीशु सामरिया से गुज़र रहा था और सूखार नाम शहर में एक कुँए के पास थोड़ा सुस्ताने के लिए बैठा था। वहाँ उसने चेलों से कहा: “अपनी आँखें उठाओ और खेतों पर नज़र डालो कि वे कटाई के लिए पक चुके हैं।” (यूह. 4:35) यीशु यहाँ खेतों की कटाई की नहीं, बल्कि आध्यात्मिक कटाई यानी नेकदिल लोगों को इकट्ठा करने की बात कर रहा था जो आगे चलकर उसके चेले बनते। ऐसा कहकर वह चेलों को आध्यात्मिक कटनी में जुट जाने का न्यौता दे रहा था क्योंकि काम बहुत था और समय थोड़ा।

2, 3. (क) क्या बात दिखाती है कि हम कटाई के समय में जी रहे हैं? (ख) यह लेख किस बात पर चर्चा करेगा?

2 कटाई के बारे में यीशु की बात आज हमारे दिनों में और भी मायने रखती है। हम ऐसे वक्‍त में जी रहे हैं, जब इंसान की खेती ‘कटाई के लिए पक चुकी है।’ हर साल लाखों लोगों को जीवन देनेवाली सच्चाई का न्यौता दिया जाता है और हज़ारों लोग बपतिस्मा लेकर नए चेले बन जाते हैं। आज कटनी के मालिक यहोवा परमेश्‍वर की निगरानी में पूरी धरती पर कटाई का काम बड़े पैमाने पर हो रहा है और इसमें हिस्सा लेना हमारे लिए एक सम्मान की बात है। तो क्या इस कटनी में आपके पास “बहुत काम” है?—1 कुरिं. 15:58.

3 धरती पर साढ़े तीन साल की सेवा के दौरान, यीशु ने अपने चेलों को कटाई के मज़दूर के तौर पर अच्छी तालीम दी। उसने चेलों को कई सबक सिखाए, जिनमें से तीन पर हम इस लेख में चर्चा करेंगे। ये तीनों सबक ऐसे तीन गुणों पर ज़ोर देते हैं जो आज चेला बनाने के काम में अपना भरसक करने के लिए बहुत ज़रूरी हैं। आइए तीनों पर एक-एक करके चर्चा करें।

नम्रता ज़रूरी

4. यीशु ने नम्रता की अहमियत समझाने के लिए क्या उदाहरण दिया?

4 इस दृश्‍य को मन की आँखों से देखिए: चेलों के बीच अभी-अभी यह बहस हुई है कि उनमें सबसे बड़ा कौन है। और उनके चेहरे से नफरत और शक साफ झलक रहा है। इसलिए यीशु उनके बीच एक छोटे बच्चे को लाकर खड़ा करता है और बच्चे की तरफ इशारा करते हुए कहता है: “जो कोई इस छोटे बच्चे की तरह खुद को नम्र करेगा [या, “छोटा करेगा”, O.V.] वही स्वर्ग के राज में सबसे बड़ा होगा।” (मत्ती 18:1-4 पढ़िए।) यह दुनिया एक इंसान की कीमत उसके पैसे, ताकत और पदवी से आँकती है, मगर चेलों को ऐसा सोचने के बजाय यह समझना था कि उनका बड़प्पन दूसरों की नज़र में “छोटा” बनने में है। यहोवा उन्हें सिर्फ तभी आशीष देता और इस्तेमाल करता, जब वे सच्चे दिल से नम्रता दिखाते।

5, 6. कटाई के काम में पूरी तरह हिस्सा लेने के लिए आपको नम्र होने की ज़रूरत क्यों है? उदाहरण दीजिए।

5 आज भी कई लोग पैसा, ताकत और रुतबा हासिल करने के पीछे अपनी ज़िंदगी लगा देते हैं। और इसी वजह से उनके पास परमेश्‍वर के कामों के लिए ना के बराबर वक्‍त बचता है। (मत्ती 13:22) मगर यहोवा के लोग दूसरों की नज़र में खुद को “छोटा” बनाकर खुशी पाते हैं ताकि वे अपने कटनी के मालिक की मंज़ूरी और आशीष पा सकें।—मत्ती 6:24; 2 कुरिं. 11:7; फिलि. 3:8.

6 दक्षिण अमरीका में रहनेवाले एक प्राचीन फ्रैंसीसकू के उदाहरण पर गौर कीजिए। जब वह जवान था तो उसने पायनियर सेवा करने के लिए विश्‍वविद्यालय की पढ़ाई छोड़ दी। वह कहता है: “कुछ समय बाद जब मेरी सगाई हुई, तब मैं ऐसी नौकरी ढूँढ़ सकता था जिसमें ज्यादा पैसे मिलते और हम पति-पत्नी चैन से जीते। लेकिन हमने सादगी भरा जीवन जीने का फैसला किया और अपनी पूरे समय की सेवा जारी रखी। बाद में बच्चे हुए तब हमारी चुनौतियाँ बढ़ गयीं। मगर यहोवा ने हमें अपने फैसले पर डटे रहने की हिम्मत दी।” आखिर में फ्रैंसीसकू कहता है: “मैं तीस से भी ज़्यादा सालों से एक प्राचीन के तौर पर सेवा कर रहा हूँ। इसके अलावा मैंने दूसरी कई खास ज़िम्मेदारियाँ भी सँभाली हैं। हमें पलभर के लिए भी मलाल नहीं हुआ कि हमने सादगी भरा जीवन क्यों चुना।”

7. रोमियों 12:16 में दी गयी सलाह को आपने कैसे लागू करने की कोशिश की है?

7 अगर आप इस दुनिया की “बड़ी-बड़ी बातों” पर दिल न लगाएँ, पर “जिन बातों को दीन-हीन और छोटा समझा जाता है, उनसे लगाव रखते हुए उनके साथ लगे” रहें, तो आप भी कटाई के काम में दूसरी कई आशीषों और खास ज़िम्मेदारियों का आनंद ले पाएँगे।—रोमि. 12:16; मत्ती 4:19, 20; लूका 18:28-30.

कड़ी मेहनत का इनाम मिलता है

8, 9. (क) यीशु के दिए तोड़ों के उदाहरण का सार दीजिए। (ख) इस उदाहरण में किन लोगों के लिए हौसला बढ़ानेवाला संदेश है?

8 कटाई के काम में पूरी तरह हिस्सा लेने के लिए एक और गुण की ज़रूरत है, और वह है कड़ी मेहनत। यीशु ने इस बात को तोड़े का उदाहरण देकर समझाया। * यह उदाहरण एक आदमी का है जो विदेश जाने से पहले अपनी संपत्ति तीन सेवकों को सौंपता है। वह पहले दास को पाँच तोड़े और दूसरे को दो और तीसरे को एक तोड़ा देता है। मालिक के चले जाने के बाद, पहले दो दास तुरंत अपने तोड़े “कारोबार” में लगाकर दिखाते हैं कि वे मेहनती हैं। मगर तीसरा दास “आलसी” होता है। वह अपना तोड़ा ज़मीन में गाड़ देता है। लौटने पर मालिक अपने पहले दो दासों को “बहुत-सी चीज़ों” पर अधिकारी ठहराकर उन्हें इनाम देता है। मगर तीसरे दास को वह अपने घराने से बाहर निकाल देता है और जो तोड़ा उसे दिया था, वह भी उससे ले लेता है।—मत्ती 25:14-30.

9 इसमें कोई शक नहीं कि आप सच्चे दिल से, उदाहरण में बताए मेहनती दासों की तरह बनना चाहते होंगे और चेला बनाने के काम में पूरा-पूरा हिस्सा लेना चाहते होंगे। लेकिन तब क्या अगर फिलहाल आप अपने हालात की वजह से बहुत ही कम कर पा रहे हैं? शायद अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए आपको मजबूरन ज़्यादा घंटे काम करना पड़ता हो। या हो सकता है, आपकी उम्र हो चली है और अब आपकी पहले जैसी सेहत नहीं रही। अगर ऐसा है, तो तोड़े के उदाहरण में आपके लिए हौसला बढ़ानेवाला एक संदेश है।

10. तोड़ों के उदाहरण का मालिक कैसे समझदारी दिखाता है और इससे आपको कैसे हौसला मिलता है?

10 ध्यान दीजिए कि उदाहरण में बताए मालिक ने इस बात को समझा कि उसके हर दास में अलग-अलग तरह की काबिलीयतें हैं। यह तब ज़ाहिर हुआ जब उसने “हरेक को उसकी काबिलीयत के मुताबिक” तोड़े दिए। (मत्ती 25:15) जैसा कि उम्मीद की गयी थी, पहले दास ने दूसरे दास के मुकाबले कारोबार में ज़्यादा मुनाफा कमाया। मगर मालिक ने दोनों ही दासों की कड़ी मेहनत देखी, इसलिए दोनों को “अच्छे और विश्‍वासयोग्य दास” कहकर उनकी काबिलीयत के मुताबिक उन्हें इनाम दिया। (मत्ती 25:21, 23) उसी तरह कटनी का मालिक यहोवा परमेश्‍वर जानता है कि आप अपने हालात के मुताबिक उसकी सेवा में कितना कर सकते हैं। आप उसकी सेवा में जी-जान लगाकर जो भी करेंगे, वह उसे नज़रअंदाज़ नहीं करेगा और मेहनत के मुताबिक आपको इनाम देगा।—मर. 14:3-9; लूका 21:1-4 पढ़िए।

11. उदाहरण दीजिए कि मुश्‍किल हालात में भी कैसे कड़ी मेहनत करने से बढ़िया आशीषें मिलती हैं।

11 यह ज़रूरी नहीं कि अच्छे हालात में ही जी-जान से परमेश्‍वर की सेवा की जा सकती है। यह बात ब्राज़ील में रहनेवाली एक मसीही बहन सलमीरा की मिसाल से समझ में आती है। बीस साल पहले डाकुओं ने सलमीरा के पति को गोली मार दी थी। अब सलमीरा को अकेले ही तीन बच्चों की परवरिश करनी थी। वह घरों में नौकरानी का काम करने लगी, जिसमें उसे काफी घंटे काम करना पड़ता और शहर की भीड़-भाड़वाली गाड़ियों में लंबा सफर तय करना पड़ता था। इन मुश्‍किलों के बावजूद उसने अपने काम को इस तरह व्यवस्थित किया कि वह पायनियर सेवा कर सकी। बाद में उसके दो बच्चों ने उसके साथ पायनियर सेवा शुरू कर दी। वह बताती है: “इन सालों में मैंने बीस से भी ज़्यादा लोगों के साथ बाइबल अध्ययन किया है और वे मेरे ‘परिवार’ के सदस्य बन गए हैं। . . . आज भी हम अच्छे दोस्त हैं और एक-दूसरे से प्यार करते हैं। यह ऐसा खज़ाना है, जिसे पैसे से नहीं खरीदा जा सकता।” कटनी के मालिक ने सलमीरा की कड़ी मेहनत का वाकई बड़ा इनाम दिया है!

12. हम कैसे प्रचार काम में कड़ी मेहनत कर सकते हैं?

12 अगर फिलहाल आपके हालात ऐसे हैं कि आप सेवा में ज़्यादा समय नहीं दे सकते, तो अपनी सेवा को और असरदार बनाने के ज़रिए आप कटाई के काम में निखार लाने की कोशिश कर सकते हैं। अगर आप हर हफ्ते होनेवाली सेवा सभा में दिए सुझावों पर ध्यान से अमल करें तो आप अपने प्रचार काम में कुशल हो पाएँगे और गवाही देने के नए तरीके ढूँढ़ पाएँगे। (2 तीमु. 2:15) और अगर मुमकिन हो तो गैर-ज़रूरी काम बंद कर दीजिए या फिर उनमें कुछ फेरबदल कीजिए जिससे आप मंडली की प्रचार सेवा के इंतज़ाम का साथ दे सकें।—कुलु. 4:5.

13. क्या बात एक इंसान को कड़ी मेहनत करने के लिए उभारेगी? और उसमें लगे रहने के लिए कैसे उसे मदद मिलेगी?

13 याद रखिए कि हम कड़ी मेहनत तभी करेंगे जब दिल में कदर होगी। (भज. 40:8) यीशु के उदाहरण में जिस तीसरे दास के बारे में बताया गया है, वह अपने मालिक से डरता था। उसे लगता था कि उसका मालिक कठोर है और हद-से-ज्यादा की माँग करता है। इसलिए उसने अपने तोड़े से मालिक की संपत्ति बढ़ाने के बजाय उसे ज़मीन में गाड़ दिया। अगर हम लापरवाही के ऐसे रवैये से दूर रहना चाहते हैं तो ज़रूरी है कि हम कटनी के मालिक यहोवा के लिए प्यार बढ़ाएँ और उसे बरकरार रखें। आप उसके प्यार, धीरज और दया जैसे मनभावने गुणों पर मनन करने और अध्ययन करने के लिए अलग से समय निकालिए। तब आपका दिल आपको तन-मन से उसकी सेवा करने के लिए उभारेगा।—लूका 6:45; फिलि. 1:9-11.

“तुम्हें पवित्र होना है”

14. कटनी के मज़दूर बनने के लिए हमें कौन-सी ज़रूरी माँग पूरी करनी होगी?

14 परमेश्‍वर धरती पर अपने सेवकों से जिस चीज़ की माँग करता है उसके बारे में प्रेषित पतरस ने बताया। उसने इब्रानी शास्त्र का हवाला देते हुए कहा: “उस पवित्र परमेश्‍वर की तरह, जिसने तुम्हें बुलाया है, तुम भी अपने सारे चालचलन में पवित्र बनो क्योंकि यह लिखा है: ‘तुम्हें पवित्र होना है क्योंकि मैं पवित्र हूँ।’” (1 पत. 1:15, 16; लैव्य. 19:2; व्यव. 18:13) यह साफ दिखाता है कि कटनी के मज़दूरों को नैतिक और आध्यात्मिक रूप से शुद्ध रहने की ज़रूरत है। इस ज़रूरी माँग को पूरा करने के लिए हमें खुद को लाक्षणिक तौर पर साफ करने की ज़रूरत है। वह कैसे? परमेश्‍वर के सच्चे वचन की मदद से।

15. परमेश्‍वर का सच्चा वचन हमारे लिए क्या करने की ताकत रखता है?

15 परमेश्‍वर के सच्चे वचन की तुलना पानी से की गयी है जो गंदगी दूर करता है। उदाहरण के लिए प्रेषित पौलुस ने लिखा कि अभिषिक्‍त मसीहियों की मंडली, परमेश्‍वर की नज़र में ऐसे शुद्ध की गयी है जैसे मसीही की पवित्र दुल्हन। इस दुल्हन ने “पानी-रूपी वचन के स्नान से” खुद को शुद्ध किया ताकि “यह पवित्र और बेदाग हो।” (इफि. 5:25-27) यीशु ने भी बताया था कि परमेश्‍वर के सच्चे वचन में शुद्ध करने की ताकत है। अपने चेलों से बात करते हुए यीशु ने कहा: “मैंने तुमसे जो वचन कहा है उसकी वजह से तुम पहले ही शुद्ध हो।” (यूह. 15:3) तो हम देख सकते हैं कि परमेश्‍वर के सच्चे वचन में नैतिक और आध्यात्मिक रूप से शुद्ध करने की ताकत है। अगर हम परमेश्‍वर के वचन को इस तरह से अपने आपको शुद्ध करने की इजाज़त दें, तभी वह हमारी उपासना कबूल करेगा।

16. हम खुद को कैसे आध्यात्मिक और नैतिक रूप से शुद्ध रख सकते हैं?

16 परमेश्‍वर से मिले कटनी के काम में मंज़ूरी पाने के लिए हम सबसे पहले अपनी सारी नैतिक और आध्यात्मिक गंदगी दूर करते हैं। जी हाँ, हमें कटनी के मज़दूर बनने का जो सम्मान मिला है, उसे बनाए रखने के लिए हमें यहोवा के ऊँचे नैतिक और आध्यात्मिक स्तरों को मानने में अच्छा उदाहरण रखना होगा। (1 पतरस 1:14-16 पढ़िए।) जिस तरह हम अपनी शारीरिक साफ-सफाई पर लगातार ध्यान देते हैं, उसी तरह हमें परमेश्‍वर के सच्चे वचन से खुद को शुद्ध करते रहना चाहिए। इसके लिए हमें बाइबल पढ़नी चाहिए और मसीही सभाओं में हाज़िर होना चाहिए। साथ ही, परमेश्‍वर के वचन से जो बातें याद दिलायी जाती हैं, उन्हें लागू करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। अगर ऐसा करें तो हम अपनी पापी इच्छाओं के खिलाफ लड़ पाएँगे और दुनिया के गंदे असर का विरोध कर पाएँगे। (भज. 119:9; याकू. 1:21-25) जी हाँ, यह जानकर कितनी तसल्ली मिलती है कि परमेश्‍वर का सच्चा वचन हमारे गंभीर-से-गंभीर पाप को भी “धोकर शुद्ध” कर सकता है।—1 कुरिं. 6:9-11.

17. अपने आपको शुद्ध रखने के लिए बाइबल की कौन-सी सलाह मानना ज़रूरी है?

17 क्या आप परमेश्‍वर के सच्चे वचन से खुद को साफ करने की इजाज़त देते हैं? उदाहरण के लिए जब इस दुनिया के ओछे मनोरंजन से दूर रहने के लिए आपको खबरदार किया जाता है तो आप कैसा रवैया दिखाते हैं? (भज. 101:3) क्या आप उनके साथ ज़्यादा मेल-जोल रखने से दूर रहते हैं, जो आपके विश्‍वास को नहीं मानते, फिर चाहे वे आपके साथ पढ़ते हों या काम करते हों? (1 कुरिं. 15:33) क्या आप ऐसी कमज़ोरियों पर काबू पाने की पुरज़ोर कोशिश करते हैं, जो यहोवा की नज़र में आपको अशुद्ध कर सकती हैं? (कुलु. 3:5) क्या आप राजनैतिक मसलों और उन खेलों से दूर रहते हैं जिनमें एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ और राष्ट्रवाद की भावना कूट-कूटकर भरी होती है?—याकू. 4:4.

18. अगर हम नैतिक और आध्यात्मिक रूप से शुद्ध रहें तो कैसे कटाई के काम में और फल ला सकते हैं?

18 इन मामलों में अगर आप वफादारी दिखाते हुए आज्ञा मानें तो उसके बेहतरीन नतीजे मिल सकते हैं। अपने अभिषिक्‍त चेलों की तुलना दाख की डालियों से करते हुए यीशु ने कहा: “मेरी हर वह डाली जो फल नहीं लाती, उसे [मेरा पिता] काट देता है और ऐसी हर डाली जो फल लाती है, उसकी वह छँटाई करता है ताकि उसमें और ज़्यादा फल लगे।” (यूह. 15:2) अगर आप बाइबल की सच्चाई के पानी से खुद को साफ करने की इजाज़त देंगे तो आप और भी ज़्यादा फल लाएँगे।

आज और भविष्य में आशीषें

19. कटाई के मज़दूरों के तौर पर यीशु के चेलों को अपनी मेहनत पर किस तरह आशीष मिली?

19 जिन वफादार चेलों ने यीशु की तालीम कबूल की थी, बाद में वे ईसवी सन्‌ 33 में पिन्तेकुस्त के दिन पवित्र शक्‍ति से ताकत पाकर “दुनिया के सबसे दूर के इलाकों में” भी गवाही दे पाए। (प्रेषि. 1:8) उन्होंने “दुनिया के कोने-कोने में” खुशखबरी का ऐलान करने के लिए शासी निकाय, मिशनरी और सफरी सेवक जैसी अहम भूमिका निभायीं। (कुलु. 1:23) वाकई उन्हें कितनी सारी आशीषें मिलीं और उनसे दूसरों को भी कितनी खुशी मिली!

20. (क) आध्यात्मिक कटनी में पूरा हिस्सा लेने की वजह से आपको क्या आशीषें मिली हैं? (ख) आपने क्या करने की ठान ली है?

20 जी हाँ, नम्रता दिखाने, कड़ी मेहनत करने और परमेश्‍वर के वचन के ऊँचे स्तरों के मुताबिक चलने के ज़रिए हम आज दुनिया भर में हो रहे कटनी के काम में खुशी से पूरा-पूरा हिस्सा ले पाएँगे, जिससे सभी को फायदा मिलेगा। ऐशो-आराम और सुख-विलास में रमी इस दुनिया में जहाँ लोग बहुत-सी तकलीफों और निराशा का सामना करते हैं, वहीं हम सच्ची खुशी और सुकून का आनंद लेते हैं। (भज. 126:6) सबसे बड़ी बात तो यह है कि “प्रभु में [हमारी] कड़ी मेहनत बेकार नहीं है।” (1 कुरिं. 15:58) कटनी का मालिक यहोवा परमेश्‍वर हमें अपने “काम और उस प्यार” के लिए हमेशा का इनाम देगा, जो हमने “उसके नाम के लिए दिखाया है।”—इब्रा. 6:10-12.

[फुटनोट]

^ तोड़ों का उदाहरण खासकर इस बारे में है कि यीशु अपने अभिषिक्‍त चेलों के साथ कैसे पेश आता है, मगर इसके सिद्धांत सभी मसीहियों पर लागू होते हैं।

क्या आपको याद है?

कटाई के काम में पूरा-पूरा हिस्सा लेते समय

• आपको नम्रता दिखाना क्यों ज़रूरी है?

• कड़ी मेहनत के साथ उसमें कैसे लगे रहने के लिए क्या बात आपको उकसाएगी?

• आपको नैतिक और आध्यात्मिक रूप से शुद्ध रहना क्यों ज़रूरी है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 17 पर तसवीर]

नम्रता हमें सादगी भरा जीवन जीने के लिए मदद करेगी, जिसमें राज के कामों को पहली जगह दी जाती है