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“मत डर, मैं तेरी सहायता करूंगा”

“मत डर, मैं तेरी सहायता करूंगा”

“मत डर, मैं तेरी सहायता करूंगा”

यीशु ने अपने चेलों को यह चेतावनी दी थी: “शैतान तुम में से कुछ लोगों को कैद में डलवाता रहेगा ताकि तुम पूरी हद तक परखे जाओ।” लेकिन यह चिताने से पहले यीशु ने कहा: “तू जो ज़ुल्म सहने पर है, उससे मत डर।” शैतान आज भी प्रचार काम रोकने के लिए मसीहियों को कैद में डालने की धमकी देता है, इसलिए यह संभावना पक्की है कि कुछ सरकारें सच्चे मसीहियों को सताएँगी। (प्रका. 2:10; 12:17) तो फिर शैतान की चालों का सामना करने और उससे ‘ना डरने’ की यीशु की सलाह को मानने में क्या बात हमारी मदद करेगी?

हममें से ज़्यादातर लोगों ने कभी-न-कभी अपने दिल में डर महसूस किया होगा। लेकिन बाइबल हमें यकीन दिलाता है कि यहोवा की मदद से डर पर जीत पा सकेंगे। वह कैसे? यहोवा हमें शैतान और उसके कारिंदों के दाँव-पेंचों को समझने में मदद देता है और इस तरह हमें विरोध का सामना करने के लिए तैयार करता है। (2 कुरिं. 2:11) इस बात को समझने के लिए आइए हम बाइबल के ज़माने में हुई एक घटना पर गौर करें। हम आज के ज़माने के वफादार मसीहियों पर भी गौर करेंगे, जो “शैतान के दाँव-पेंचों के खिलाफ डटे” रहे।—इफि. 6:11-13.

परमेश्‍वर का भय माननेवाले राजा का सामना एक दुष्ट राजा से

ईसा पूर्व आठवीं सदी में अश्‍शूर के एक दुष्ट राजा सन्हेरीब ने कई देशों पर एक-के-बाद-एक जीत हासिल की। अब गुरूर के मद में उसने यहोवा के लोगों और उनकी राजधानी यरूशलेम को अपने कब्ज़े में करने की ठानी, जहाँ परमेश्‍वर का भय माननेवाला राजा हिज़किय्याह राज करता था। (2 राजा 18:1-3, 13) इसमें दो राय नहीं कि शैतान ने इस हालात का फायदा उठाया और सन्हेरीब को उकसाया कि वह अपनी योजना को अंजाम दे, जिससे धरती पर से सच्ची उपासना का नामो-निशान मिट जाए।—उत्प. 3:15.

सन्हेरीब ने अपने आदमियों को यरूशलेम भेजकर यह माँग की कि वे आत्म-समर्पण कर दें। उन आदमियों में रबशाके भी था, जो राजा का सबसे खास वक्‍ता था। * (2 राजा 18:17) रबशाके का मकसद था कि वह यहूदियों की हिम्मत इस हद तक तोड़ दे कि वे बिना लड़े ही हथियार डाल दें। तो उसने यहूदियों के दिल में डर पैदा करने के लिए कौने-से तरीके अपनाएँ?

अकेले मगर वफादार

रबशाके ने हिज़किय्याह के आदमियों से कहा: “महाराजाधिराज अर्थात्‌ अश्‍शूर का राजा यों कहता है, कि तू किस पर भरोसा करता है? सुन, तू तो उस कुचले हुए नरकट अर्थात्‌ मिस्र पर भरोसा रखता है, उस पर यदि कोई टेक लगाए, तो वह उसके हाथ में चुभकर छेदेगा।” (2 राजा 18:19, 21) रबशाके एकदम झूठ बोल रहा था क्योंकि हिज़किय्याह ने मिस्र के साथ कोई संधि नहीं की थी। मगर ऐसा इलज़ाम लगाकर रबशाके यहूदियों को यह एहसास दिला रहा था कि ‘तुम बेसहारा हो, अकेले हो, कोई तुम्हारी मदद के लिए नहीं आएगा।’

हाल के समय में, सच्ची उपासना के दुश्‍मनों ने मसीहियों के खिलाफ यही पैंतरा अपनाया है। वे मसीहियों को अकेला और बेसहारा करके उनके दिल में डर पैदा करना चाहते हैं। एक बहन अपने विश्‍वास की वजह से कई सालों तक कैद में थी और उसे अपने विश्‍वासी भाई-बहनों की एक झलक तक देखने को नहीं मिली थी। तो उसने अकेलेपन के डर पर कैसे काबू पाया? वह बताती है: “प्रार्थना करने की वजह से मैं यहोवा के और करीब आ गयी। . . . यशायाह 66:2 में यहोवा ने अपने सेवकों को जो भरोसा दिलाया, वह मुझे याद आया कि वह ‘दीन और खेदित मन’ के लोगों की परवाह करता है। इस बात ने हमेशा मेरी बड़ी हिम्मत बढ़ायी और मैंने बहुत सुकून महसूस किया।” उसी तरह एक भाई जिसने कई साल कालकोठरी में गुज़ारे, वह कहता है: “मुझे एहसास हुआ कि अगर यहोवा के साथ आपका गहरा रिश्‍ता हो तो एक आयताकार कमरा भी खुले आसमान से कम नहीं होता।” जी हाँ, यहोवा के साथ करीबी रिश्‍ते ने इन दो मसीहियों को अकेलेपन के डर पर काबू पाने में मदद दी। (भज. 9:9, 10) उनके सतानेवाले उन्हें कैद में डालकर उन्हें उनके परिवार, दोस्तों और संगी विश्‍वासियों से दूर कर सकते थे, मगर ऐसे साक्षी जानते हैं कि वे उन्हें यहोवा से कभी अलग नहीं कर सकेंगे।—रोमि. 8:35-39.

इसलिए यह कितना ज़रूरी है कि हम हर मौके का फायदा उठाकर यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत करने की कोशिश करें! (याकू. 4:8) हमें हमेशा खुद से यह पूछना चाहिए: ‘क्या यहोवा मेरे लिए असल शख्स है? रोज़मर्रा की ज़िंदगी के छोटे-बड़े फैसले, क्या मैं उसके वचन के आधार पर करता हूँ?’ (लूका 16:10) अगर हम यहोवा के करीब बने रहने के लिए मेहनत करें तो हमें किसी बात से डर नहीं लगेगा। दुखियारे यहूदियों की तरफ से भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह ने कहा: “हे यहोवा, गहिरे गड़हे में से मैं ने तुझ से प्रार्थना की . . . जब मैं ने तुझे पुकारा, तब तू ने मुझ से कहा, मत डर!”—विला. 3:55-57.

शक के बीज निष्फल हुए

रबशाके ने यहूदियों के दिल में शक पैदा करने के लिए यह दलील दी: “क्या यह [यहोवा] वही नहीं है जिसके ऊंचे स्थानों और वेदियों को हिजकिय्याह ने दूर [किया] . . . यहोवा ने मुझ से कहा है, कि उस देश पर चढ़ाई करके उसे उजाड़ दे।” (2 राजा 18:22, 25) रबशाके की ये छली बातें कि यहोवा अपने लोगों के लिए नहीं लड़ेगा क्योंकि वह उनसे नाराज़ है, यह सरासर झूठी थीं। यहोवा हिज़किय्याह और यहूदियों से खुश था, जिन्होंने सच्ची उपासना फिर से शुरू की थी।—2 राजा 18:3-7.

आज भी साज़िश रचनेवाले सच के आधार पर बात शुरू करते हैं, जिससे सामनेवाले को उसकी बात पर भरोसा हो जाए और फिर झूठ का मसाला मिलाकर वे उसके दिमाग में शक के बीज बोने की कोशिश करते हैं। उदाहरण के लिए कभी-कभी कैद किए गए भाई-बहनों से कहा जाता है कि अगुवाई करनेवाले भाई ने समझौता कर लिया है, इसलिए अगर वे भी अपने विश्‍वास को ठुकराकर समझौता कर लें तो इसमें कोई बुराई नहीं। मगर समझ से काम लेनेवाले मसीहियों पर ऐसी झूठी दलीलों का कोई असर नहीं होता।

गौर कीजिए दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान एक मसीही बहन के साथ क्या हुआ। जब वह जेल में थी तो उसे एक लिखित दस्तावेज़ दिखाया गया जिससे ज़ाहिर होता था कि एक ज़िम्मेदार मसीह भाई अपने विश्‍वास से मुकर गया है। एक अधिकारी ने बहन से पूछा कि क्या वह ऐसे भाई पर विश्‍वास करती है। मसीही बहन ने जवाब दिया: “[वह] तो एक असिद्ध इंसान है।” फिर उसने कहा कि जब तक वह भाई बाइबल के सिद्धांतों को मानता रहा, उसे परमेश्‍वर ने अपने काम के लिए इस्तेमाल किया। “लेकिन अब जबकि उसकी लिखी हुई बात बाइबल से मेल नहीं खाती तो वह मेरा भाई नहीं रहा।” उस वफादार बहन ने बुद्धिमानी से बाइबल की इस सलाह पर अमल किया: “तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना, न किसी आदमी पर, क्योंकि उस में उद्धार करने की भी शक्‍ति नहीं।”—भज. 146:3.

परमेश्‍वर के वचन का सही-सही ज्ञान होने और उसकी सलाह को जीवन में लागू करने से हम दूसरों की धोखा देनेवाली दलीलों को समझ पाएँगे और अपना धीरज नहीं खोएँगे। (इफि. 4:13, 14; इब्रा. 6:19) इसलिए अगर भारी दबाव में हम साफ तरीके से सोचना चाहते हैं तो हमें अपने जीवन में रोज़ाना बाइबल पढ़ने और निजी अध्ययन को पहली जगह देनी होगी। (इब्रा. 4:12) जी हाँ, अभी यह वक्‍त है कि हम अपना ज्ञान बढ़ाएँ और विश्‍वास मज़बूत करें। एक भाई जो बहुत सालों तक कालकोठरी में रहा उसका कहना है: “मैं सबको इस बात का बढ़ावा देना चाहूँगा कि वे मिलनेवाले सारे आध्यात्मिक भोजन के लिए सही कदर दिखाएँ। क्योंकि हम नहीं जानते कि सीखी हुई बातें कब हमारे काम आ जाएँ।” वाकई, अगर हम परमेश्‍वर के वचन और विश्‍वासयोग्य दास के ज़रिए मुहैया कराए गए साहित्य का दिल लगाकर अध्ययन करें तो ज़िंदगी की मुश्‍किल घड़ियों में पवित्र शक्‍ति वे ‘सब बातें हमें याद’ दिलाएगी, जो हमने सीखी थीं।—यूह. 14:26.

धमकाए जाने के डर से हमारी रक्षा

रबशाके ने यहूदियों को धमकाकर डराने की कोशिश की। उसने कहा: “अब मेरे स्वामी अश्‍शूर के राजा के पास कुछ बन्धक रख, तब मैं तुझे दो हजार घोड़े दूंगा, क्या तू उन पर सवार चढ़ा सकेगा कि नहीं? फिर तू मेरे स्वामी के छोटे से छोटे कर्मचारी का भी कहा” क्यों नहीं मानता? (2 राजा 18:23, 24) इंसानी नज़रिए से देखें तो हिज़किय्याह और उसके आदमी शक्‍तिशाली अश्‍शूरी सेना का सामना करने के लायक नहीं थे।

आज भी हमारे सतानेवाले शायद बड़े ताकतवर नज़र आएँ, खासकर तब जब पूरे देश की सरकार उनका साथ देती है। बिलकुल ऐसा ही दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान हुआ था, जब नात्ज़ी साक्षियों को सता रहे थे। उन्होंने परमेश्‍वर के बहुत-से सेवकों को धमकाने की कोशिश की। एक भाई जिसने सालों कैद में गुज़ारे, वह बताता है कि उसे कैसे डराया गया था। एक मौके पर एक अधिकारी ने उससे पूछा: “क्या तुमने देखा तुम्हारे भाई को कैसे गोली मार दी गयी? इससे तुमने कुछ सीखा?” भाई ने जवाब दिया: “‘मैं यहोवा का साक्षी हूँ और रहूँगा।’ अधिकारी ने धमकाते हुए कहा कि ‘अब अगली गोली तुम पर चलेगी।’” मगर हमारा भाई बिलकुल नहीं डरा और दुश्‍मन को हार माननी पड़ी। इस डर पर काबू पाने में किस बात ने उसकी मदद की? उसने जवाब दिया: “मैंने यहोवा के नाम पर भरोसा रखा।”—नीति. 18:10.

यहोवा पर पूरा भरोसा रखना हमारे लिए उस बड़ी ढाल की तरह है, जो शैतान के उन वारों से हमारी रक्षा करता है जिनसे हमें आध्यात्मिक तौर पर नुकसान हो सकता है। (इफि. 6:16) इसलिए अपने विश्‍वास को मज़बूत करने के लिए हमें यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए। (लूका 17:5) विश्‍वासयोग्य दास हमारे विश्‍वास को मज़बूत करने के लिए जो इंतज़ाम करता है, उसका हमें पूरा फायदा उठाना चाहिए। जब हमें डराया-धमकाया जाता है, तब यहोवा के उन शब्दों को याद करने से बहुत सुकून मिल सकता है जो उसने अपने भविष्यवक्‍ता यहेजकेल से कही थी, क्योंकि उसे भी ढीठ लोगों से निपटना था। यहोवा ने उससे कहा: “मैं तुमको उतना ही हठी बनाऊँगा जितने वे हैं। तुम्हारा चित्त ठीक उतना ही कठोर होगा जितना उनका! हीरा अग्नि-चट्टान से भी अधिक कठोर होता है। उसी प्रकार तुम्हारा चित्त उनके चित्त से अधिक कठोर होगा।” (यहे. 3:8, 9, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) ज़रूरत पड़ने पर यहोवा, यहेजकेल की तरह हमें भी हीरे की तरह कठोर बना सकता है।

लुभाए जाने का विरोध करना

विरोधियों ने पाया है कि जब सारी चालें नाकाम हो जाती हैं तो सामनेवाले को लुभाकर उसकी खराई तोड़ी जा सकती है। रबशाके ने भी इस पैंतरे का इस्तेमाल किया। उसने यरूशलेम के लोगों से कहा: “अश्‍शूर का राजा कहता है कि भेंट भेजकर मुझे प्रसन्‍न करो और मेरे पास निकल आओ . . . तब मैं आकर तुम को ऐसे देश में ले जाऊंगा, जो तुम्हारे देश के समान अनाज और नये दाखमधु का देश, रोटी और दाखबारियों का देश, जलपाइयों और मधु का देश है, वहां तुम मरोगे नहीं, जीवित रहोगे।” (2 राजा 18:31, 32) उनके शहर की घेराबंदी कर दी गयी थी, इसलिए ऐसे वक्‍त में ताज़ी रोटी और नयी शराब पीने की ललक ने वाकई उनके दिल को लुभाया होगा।

एक बार कैद किए एक मिशनरी का विश्‍वास कमज़ोर करने के लिए कुछ इसी तरह लुभाया गया। उस भाई से कहा गया कि वे उसे छः महीने के लिए “एक खूबसूरत बागीचे” में ले जाएँगे। वहाँ उसका “प्यारा-सा घर” होगा, जहाँ उसे अच्छी तरह सोचने का वक्‍त मिलेगा। मगर भाई आध्यात्मिक तौर पर जागता रहा और उसने अपने मसीही सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। किस बात ने उसकी मदद की? वह बताता है: “मुझे हमेशा से परमेश्‍वर के राज पर पक्की आशा थी . . .। परमेश्‍वर के राज के बारे में सही ज्ञान ने मेरे विश्‍वास को मज़बूत किया, मुझे पूरा यकीन था कि उसका राज आएगा और मैं एक पल के लिए भी नहीं डगमगाया। मुझे लुभाने की उनकी यह चाल नाकाम रही।”

क्या हमें भी पूरा यकीन है कि परमेश्‍वर का राज आएगा? कुलपिता अब्राहम, प्रेषित पौलुस और यीशु के लिए यह राज एक हकीकत था, यही वजह थी कि वे मुश्‍किल-से-मुश्‍किल परीक्षा का सामना कर सके। (फिलि. 3:13, 14; इब्रा. 11:8-10; 12:2) अगर हम परमेश्‍वर के राज को ज़िंदगी में पहली जगह देते रहें और उससे मिलनेवाली हमेशा की आशीषों को मन में ताज़ा रखें तो तकलीफों से थोड़े समय के लिए निजात दिलानेवाले किसी भी प्रलोभन का हम डटकर सामना कर सकेंगे।—2 कुरिं. 4:16-18

यहोवा हमें कभी नहीं छोड़ेगा

रबशाके ने हिज़किय्याह और उसकी प्रजा को डराने के लिए हर पैंतरा अपनाया, मगर उनका विश्‍वास यहोवा पर से ज़रा भी नहीं डगमगाया। (2 राजा 19:15, 19; यशा. 37:5-7) बदले में यहोवा ने उनकी प्रार्थनाओं का जवाब दिया। उसने एक स्वर्गदूत भेजकर एक ही रात में अश्‍शूरियों के डेरे में 1,85,000 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। अगले दिन सन्हेरीब अपनी इज़्ज़त गँवाकर बची-खुची सेना को साथ लिए अपनी राजधानी नीनवे लौट आया।—2 राजा 19:35, 36.

इससे साफ पता चलता है कि यहोवा उन लोगों को कभी नहीं छोड़ता जो उस पर भरोसा रखते हैं। आज के ज़माने में हमारे भाई-बहन जिस तरह परीक्षाओं के दौरान डटे रहे उससे ज़ाहिर होता है कि यहोवा आज भी अपने सेवकों के साथ रहता है। इसलिए जब स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता यहोवा हमें भरोसा दिलाता है तो वह यूँ ही नहीं कहता: “मैं तेरा परमेश्‍वर यहोवा, तेरा दहिना हाथ पकड़कर कहूंगा, मत डर, मैं तेरी सहायता करूंगा।”—यशा. 41:13.

[फुटनोट]

^ “रबशाके” अश्‍शूर के बड़े अधिकारी की उपाधि होती थी। इस अधिकारी का अपना नाम इस घटना में नहीं बताया गया है।

[पेज 13 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

अपने वचन बाइबल में 30 से भी ज़्यादा बार यहोवा ने अपने सेवकों को भरोसा दिलाया है कि “मत डर”

[पेज 12 पर तसवीर]

परमेश्‍वर के लोगों के दुश्‍मन, आज जो पैंतरे अपनाते हैं वे कैसे रबशाके के पैंतरों के जैसे हैं?

[पेज 15 पर तसवीरें]

अगर यहोवा के साथ हमारा करीबी रिश्‍ता हो, तो इससे परीक्षाओं के दौरान हमें खराई बनाए रखने में मदद मिलेगी