एकता से सच्ची उपासना की पहचान होती है
एकता से सच्ची उपासना की पहचान होती है
“जैसे बाड़ों में भेड़ों को . . . रखा जाता है वैसे ही मैं तुमको एक साथ रखूंगा।”—मीका 2:12, NHT.
1. सृष्टि में परमेश्वर की बुद्धि कैसे नज़र आती है?
एक भजनहार ने कहा: “हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है।” (भज. 104:24) धरती पर जिस तरह लाखों प्रकार के पेड़-पौधे, जानवर, कीड़े-मकोड़े और जीवाणु एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं और आपसी ताल-मेल बनाए रखते हैं, वह बात वाकई हैरतअंगेज़ है। इसमें परमेश्वर की बुद्धि साफ झलकती है। उसी तरह आपके शरीर के बड़े अंगों से लेकर सूक्ष्म अणु मशीनों यानी कोशिकाओं में एक-साथ हज़ारों प्रक्रियाएँ होती रहती हैं, जिससे आपका शरीर बढ़ता और स्वस्थ रहता है।
2. जैसा कि पेज 13 पर दिखाया गया है, मसीहियों की एकता क्यों एक चमत्कार कही जा सकती थी?
2 इंसानों का रंग-रूप, उनकी शख्सियत और हुनर एक-दूसरे से अलग होते हैं फिर भी यहोवा ने उन्हें इस तरह बनाया है कि वे एक-दूसरे पर निर्भर रहें। इसके लिए उसने हमारे पहले माता-पिता को अपने जैसे गुण दिए, जिससे वे एक-दूसरे को सहयोग दे सकें। (उत्प. 1:27; 2:18) मगर आज इंसान परमेश्वर से बहुत दूर जा चुका है, जिस वजह से उसका एकता में काम करना बिलकुल नामुमकिन-सा हो गया है। (1 यूह. 5:19) इसलिए पहली सदी की मसीही मंडली की एकता को वाकई चमत्कार कहा जा सकता था क्योंकि उसमें अलग-अलग तरह के लोग मिलकर उपासना करते थे, जैसे इफिसुस के दास, मशहूर यूनानी स्त्रियाँ, शिक्षित यहूदी और कुछ ऐसे भी जो पहले मूर्तिपूजक थे।—प्रेषि. 13:1; 17:4; 1 थिस्स. 1:9; 1 तीमु. 6:1.
3. बाइबल मसीही एकता को कैसे समझाती है और इस लेख में हम किन पहलुओं पर गौर करेंगे?
3 सच्ची उपासना की वजह से लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर काम कर पाते हैं, ठीक जैसे हमारे शरीर के अंग साथ मिलकर काम करते हैं। (1 कुरिंथियों 12:12, 13 पढ़िए।) इस लेख में हम जिन पहलुओं पर गौर करेंगे वे हैं: सच्ची उपासना कैसे लोगों को एकता में बाँधती है? क्यों सिर्फ यहोवा ही दुनिया के लाखों लोगों को एकता के धागे में पिरो सकता है? क्या बात हमारी एकता में आड़े आ सकती है, जिससे पार पाने में यहोवा हमारी मदद करता है? और एकता के मामले में सच्ची मसीहियत और ईसाईजगत में क्या अंतर है?
सच्ची उपासना कैसे लोगों को एक करती है?
4. कैसे सच्ची उपासना लोगों को एक करती है?
4 सच्ची उपासना करनेवाले यह जानते हैं कि यहोवा ने ही सारी कायनात बनायी है इसलिए उसी को इस धरती पर राज करने का हक है। (प्रका. 4:11) हालाँकि सच्चे मसीही अलग-अलग समाज और हालात में जीते हैं, वे सभी परमेश्वर का नियम मानते हैं और बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक जीते हैं। तभी तो सारे सच्चे मसीही आदर के साथ यहोवा को अपना “पिता” कहते हैं। (यशा. 64:8; मत्ती 6:9) वे आध्यात्मिक तौर पर भाई-बहन हैं और वैसी ही एकता का आनंद उठाते हैं, जैसा कि भजनहार ने बताया: “देखो, यह क्या ही भली और मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें!”—भज. 133:1.
5. किस गुण की वजह से सच्चे उपासकों में एकता है?
5 असिद्ध होने के बावजूद सच्चे मसीही मिलकर उपासना करते हैं क्योंकि उन्होंने एक-दूसरे से प्यार करना सीखा है। यहोवा उन्हें इस तरह प्यार करना सिखाता है जैसा कोई और नहीं सिखा सकता। (1 यूहन्ना 4:7, 8 पढ़िए।) उसका वचन कहता है: “परमेश्वर के चुने हुओं के नाते तुम जो पवित्र और प्यारे हो, करुणा से भरपूर गहरे लगाव, कृपा, मन की दीनता, कोमलता और सहनशीलता को पहन लो। अगर किसी के पास दूसरे के खिलाफ शिकायत की कोई वजह है, तो एक-दूसरे की सहते रहो और एक-दूसरे को दिल खोलकर माफ करो। जैसे यहोवा ने तुम्हें दिल खोलकर माफ किया है, वैसे ही तुम भी दूसरे को माफ करो। मगर, इन सब बातों के अलावा, प्यार को अपना पहनावा बना लो, क्योंकि यह लोगों को पूरी तरह से एकता में जोड़नेवाला जोड़ है।” (कुलु. 3:12-14) एकता में जोड़नेवाला यही प्यार सच्चे मसीहियों की पहचान है। क्या आप खुद इसके गवाह नहीं कि यही एकता सच्ची उपासना की खासियत है?—यूह. 13:35.
6. राज की आशा कैसे सच्चे मसीहियों को एक करती है?
6 सच्चे मसीहियों में एकता इसलिए भी है क्योंकि वे सभी परमेश्वर के राज पर आस लगाए हुए हैं। वे जानते हैं कि जल्द ही परमेश्वर का राज इंसानी सरकारों को चूर-चूर कर देगा और उसकी आज्ञा माननेवालों को सच्ची और हमेशा-हमेशा की शांति देगा। (यशा. 11:4-9; दानि. 2:44) इसलिए मसीही, यीशु की इस सलाह को मानते हैं जो उसने अपने चेलों को दी थी: “वे दुनिया के नहीं हैं, ठीक जैसे मैं दुनिया का नहीं हूँ।” (यूह. 17:16) सच्चे मसीही युद्धों और लड़ाई-झगड़ों में शामिल नहीं होते और इस वजह से वे लोगों के साथ भी अमन-चैन से जी पाते हैं।
एक ही सोते से आध्यात्मिक शिक्षा
7, 8. बाइबल के निर्देशनों से हम कैसे एक हो पाते हैं?
7 पहली सदी के मसीहियों में एकता थी क्योंकि उन्हें हिदायतें देनेवाला शख्स एक ही था। वे मानते थे कि यीशु शासी निकाय के ज़रिए मंडलियों को सिखाता और निर्देशन देता है। यह निकाय यरूशलेम में प्रेषितों और बुज़ुर्गों से मिलकर बना था। ये सच्चे लोग परमेश्वर के वचन के आधार पर अपना फैसला सुनाते थे और सफरी निगरान इन फैसलों को अलग-अलग मंडलियों में बताया करते थे। ऐसे कुछ निगरानों के बारे में बाइबल कहती है: “अपने सफर में वे जिन-जिन शहरों से गुज़रे वहाँ वे उन आदेशों को मानने के बारे में बताते गए जिनका फैसला यरूशलेम में मौजूद प्रेषितों और बुज़ुर्गों ने किया था।”—प्रेषितों 15:6, 19-22; 16:4.
8 उसी तरह आज भी शासी निकाय अभिषिक्त जनों से बना है, जो पूरी दुनिया की मंडलियों को एकता में बाँधता है। शासी निकाय कई भाषाओं में साहित्य प्रकाशित करता है ताकि सच्चे मसीही परमेश्वर के साथ मज़बूत रिश्ता बना सकें। यह आध्यात्मिक भोजन परमेश्वर के वचन पर आधारित होता है, इसलिए जो सिखाया जाता है वह लोगों की तरफ से नहीं, बल्कि यहोवा की तरफ से होता है।—यशा. 54:13.
9. परमेश्वर का काम कैसे एकता कायम करने में मदद देता है?
9 मसीही निगरान भी प्रचार काम में अगुवाई लेकर मसीही एकता में अपना योगदान देते हैं। दुनिया में अकसर लोग मेल-जोल के लिए इकट्ठा होते हैं, मगर उनकी एकता इतनी मज़बूत नहीं होती, जितनी कि परमेश्वर के लोगों की होती है क्योंकि वे उसकी सेवा करने के लिए इकट्ठा होते हैं। मसीही मंडली की नींव बस एक-दूसरे से मेल-जोल बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि यहोवा को महिमा देने और उसका काम करने के लिए डाली गयी थी, जिसमें खुशखबरी सुनाना, चेले बनाना और मंडलियों को मज़बूत करना शामिल था। (रोमि. 1:11, 12; 1 थिस्स. 5:11; इब्रा. 10:24, 25) इसलिए प्रेषित पौलुस मसीहियों के बारे में कह सका: “तुम सब एक ही सोच रखते हुए, मज़बूती से एक-साथ खड़े हो और खुशखबरी पर विश्वास के लिए कंधे-से-कंधा मिलाकर कड़ा संघर्ष कर रहे हो।”—फिलि. 1:27.
10. परमेश्वर के लोग होने के नाते हम किन कुछ तरीकों से एकता में बाँधे हैं?
10 जी हाँ, यहोवा के लोग होने के नाते हम एकता में बँधे हैं क्योंकि हम यहोवा की हुकूमत को कबूल करते हैं, अपने भाइयों से प्यार करते हैं, परमेश्वर के राज पर आशा रखते हैं और अगुवाई लेनेवाले उन भाइयों का आदर करते हैं, जिन्हें यहोवा ने चुना है। अगर असिद्धता की वजह से हममें कुछ खामियाँ हैं, तो यहोवा उन पर काबू पाने में हमारी मदद करेगा, ताकि हमारी एकता में कोई खलल न पैदा हो।—रोमि. 12:2.
घमंड और जलन पर काबू पाना
11. घमंड कैसे लोगों में फूट डालता है और घमंड पर काबू पाने में यहोवा हमारी मदद कैसे करता है?
11 घमंड लोगों को बाँटता है। एक घमंडी इंसान खुद को दूसरों से बड़ा समझता है और अकसर अपनी शेखी बघारने में उसे बड़ा मज़ा आता है। लेकिन यह बात एकता में खलल डाल सकती है और जो लोग ऐसी डींगें सुनते हैं, उनमें जलन पैदा हो सकती है। चेले याकूब ने यह साफ लिखा: “हर तरह का घमंड दुष्टता है।” (याकू. 4:16) दूसरों को अपने से नीचा दिखाना गलत है। दुनिया की सबसे महान हस्ती होने के बावजूद यहोवा हमारे साथ जिस तरह पेश आता है, वह अपने आप में नम्रता की बेहतरीन मिसाल है। दाविद ने लिखा: “[यहोवा की] नम्रता मुझे बढ़ाती है।” (2 शमू. 22:36) परमेश्वर का वचन एक इंसान को घमंड से दूर रहने का वाजिब कारण देता है। पौलुस तर्क करते हुए पूछता है: “कौन-सी ऐसी बात है जो तुझे दूसरे से अलग दिखाती है? दरअसल, तेरे पास ऐसा क्या है जो तू ने पाया न हो? तो अगर तू ने इसे पाया है, तो तू इस तरह शेखी क्यों मारता है मानो तू ने नहीं पाया?”—1 कुरिं. 4:7.
12, 13. (क) हम क्यों अकसर दूसरों से जलने लगते हैं? (ख) दूसरों को यहोवा की नज़र से देखने का क्या नतीजा होता है?
12 एकता भंग करने में जलन भी एक बाधा है। असिद्धता विरासत में मिलने की वजह से हममें “ईर्ष्या करने की . . . फितरत” समायी है, यहाँ तक कि बरसों से यहोवा की सेवा करनेवाले मसीही भी कई बार दूसरों के हालात, उनकी धन-दौलत, परमेश्वर की सेवा में उन्हें मिली ज़िम्मेदारियों या उनकी दूसरी योग्यताओं की वजह से जलन रख सकते हैं। (याकू. 4:5) मिसाल के लिए, परिवार का मुखिया एक ऐसे भाई से जलन रख सकता है जो पूरे समय की सेवा का आनंद उठा रहा है और इस बात से अनजान है कि पूरे समय का सेवक भी शायद इस परिवार के मुखिया से थोड़ा-बहुत जलता हो, जिसके बाल-बच्चे हैं। ऐसी जलन पर कैसे काबू पाया जा सकता है, जो हमारी एकता में आड़े आ सकती है?
13 जलन पर काबू पाने के लिए बाइबल के उस उदाहरण को याद कीजिए जिसमें अभिषिक्त जनों की मसीही मंडली की तुलना शरीर के अलग-अलग अंगों से की गयी है। (1 कुरिंथियों 12:14-18 पढ़िए।) हालाँकि लोगों को आपका दिल नहीं बल्कि आँखें तुरंत दिखायी देती हैं, फिर भी क्या दोनों ही अंग आपके लिए अनमोल नहीं? उसी तरह यहोवा मंडली के सभी सदस्यों को अनमोल समझता है, फिर चाहे कुछ लोग थोड़े समय के लिए ज़्यादा बड़े नज़र आएँ। इसलिए आइए हम अपने भाइयों को यहोवा की नज़र से देखें। दूसरों से जलन रखने के बजाय हम उनमें सच्ची दिलचस्पी लें और उनके लिए परवाह दिखाएँ। अगर हम ऐसा करेंगे तो हम लोगों को सच्चे मसीहियों और चर्च जानेवाले ईसाइयों में फर्क दिखा सकेंगे।
ईसाईजगत में फूट साफ नज़र आती है
14, 15. धर्मत्यागी मसीहियत में कैसे बँटवारा हुआ?
14 जहाँ एक तरफ सच्चे मसीही एकता में बँधे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ ईसाईजगत के चर्चों के आपसी मतभेद साफ नज़र आते हैं। चौथी सदी के आते-आते मसीहियत में धर्मत्याग इतना फैल गया था कि एक विधर्मी रोमी सम्राट इसका प्रमुख बन गया और तब से ईसाईजगत की शुरूआत हुई। मगर आगे चलकर रोम में फूट पड़ने की वजह से उसके कई राज्य अलग हो गए और सभी ने अपने-अपने चर्च बना लिए।
15 सदियों से उनमें से कई राज्य एक-दूसरे के खिलाफ युद्ध करते रहे हैं। सत्रहवीं और अठारहवीं सदी के दौरान ब्रिटेन, फ्राँस और अमरीका के लोगों में देश प्रेम की भावना इस कदर पैदा की गयी कि देश प्रेम मानो उनके लिए धर्म बन गया। उन्नीसवीं और बीसवीं सदी के दौरान राष्ट्रवाद की भावना बहुत-से लोगों की सोच पर हावी हो गयी और आखिरकार ईसाईजगत के चर्च कई पंथों में बँट गए, जिनमें से ज़्यादातर ने राष्ट्रवाद का पक्ष लिया। यहाँ तक कि जब एक ही धर्म को माननेवाले दो देशों में युद्ध छिड़ा तो उन्होंने बेधड़क एक-दूसरे की जान ले ली। इसलिए साफ देखा जा सकता है कि आज ईसाईजगत पंथों और राष्ट्रवाद में बँटा हुआ है।
16. ईसाईजगत किन वजहों से बँटा हुआ है?
16 बीसवीं सदी में ईसाईजगत के सैकड़ों पंथों ने एकता कायम करने के लिए अखिल-चर्ची आंदोलन चलाया। लेकिन दशकों तक मेहनत करने के बाद सिर्फ कुछ चर्च ही आपस में एक हो पाए और चर्च जानेवाले अब भी कई विषयों में एकमत नहीं हैं, जैसे विकासवाद, गर्भपात, समलैंगिकता और स्त्रियों को पादरियों का पद देने के मामले में। एक वक्त पर जिन धार्मिक शिक्षाओं की वजह से अलग-अलग पंथ उभर आए थे, अब उन्हीं धार्मिक शिक्षाओं को नज़रअंदाज़ करते हुए ईसाईजगत के कुछ देशों के पादरी उन पंथों को एक करने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन धार्मिक शिक्षाओं की अहमियत को कम करने से लोगों का विश्वास भी खोखला हो जाता है और बेशक उनमें एकता नहीं आ पाती।
देश प्रेम की भावना से बढ़कर
17. यह भविष्यवाणी कैसे की गयी थी कि “अन्त के दिनों में” सच्ची उपासना लोगों को एक करेगी?
17 हालाँकि पहले की बनिस्बत आज इंसान ज़्यादा बँटा हुआ है मगर सच्चे मसीहियों की एकता साफ नज़र आती है। परमेश्वर के भविष्यवक्ता मीका ने कहा: “जैसे बाड़ों में भेड़ों को . . . रखा जाता है वैसे ही मैं तुमको एक साथ रखूंगा।” (मीका 2:12, NHT) मीका ने बताया कि सच्ची उपासना हर तरह की उपासना से ऊँची की जाएगी फिर चाहे वे झूठे देवी-देवताओं की हो या फिर राज्यों की। उसने लिखा: “अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि यहोवा के भवन का पर्वत सब पहाड़ों पर दृढ़ किया जाएगा, और सब पहाड़ियों से अधिक ऊंचा किया जाएगा; और हर जाति के लोग धारा की नाईं उसकी ओर चलेंगे। सब राज्यों के लोग तो अपने अपने देवता का नाम लेकर चलते हैं, परन्तु हम लोग अपने परमेश्वर यहोवा का नाम लेकर सदा सर्वदा चलते रहेंगे।”—मीका 4:1, 5.
18. सच्ची उपासना ने हमें क्या बदलाव करने में मदद दी है?
18 मीका ने यह बताया कि सच्ची उपासना कैसे उन लोगों को भी एक कर देगी जो पहले एक-दूसरे के दुश्मन थे। “बहुत जातियों के लोग जाएंगे, और आपस में कहेंगे, आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़कर, याकूब के परमेश्वर के भवन में जाएं; तब वह हम को अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे। . . . सो वे अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल, और अपने भालों से हंसिया बनाएंगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध तलवार फिर न चलाएगी।” (मीका 4:2, 3) जो लोग इंसान के बनाए देवी-देवताओं या राष्ट्रवाद को छोड़कर यहोवा की उपासना कबूल करते हैं, वे दुनिया भर के भाई-बहनों के साथ सच्ची एकता का लुत्फ उठाते हैं। परमेश्वर उन्हें प्यार से जीने का तरीका सिखाता है।
19. लाखों लोगों का सच्ची उपासना में एक होना किस बात का सबूत देता है?
19 सच्चे मसीहियों की एकता अपने आप में बेजोड़ है और यह इस बात का सबूत है कि यहोवा अपनी पवित्र शक्ति के ज़रिए आज भी लोगों को एकता के धागे में पिरो रहा है। अलग-अलग देशों के लोग जिस तरह एकता में बँधे हैं, वैसी एकता इंसानी इतिहास में पहले कभी नहीं देखी गयी। यह एकता दरअसल प्रकाशितवाक्य 7:9, 14 में लिखी भविष्यवाणी को पूरा करती है। इससे ज़ाहिर होता है कि जल्द ही परमेश्वर के स्वर्गदूत उन “हवाओं” को छोड़ देंगे, जिससे यह दुष्ट व्यवस्था खाक में मिल जाएगी। (प्रकाशितवाक्य 7:1-4, 9, 10, 14 पढ़िए।) क्या यह गर्व की बात नहीं कि हम पूरी दुनिया में भाईचारे की एकता का आनंद उठाते हैं? हममें से हरेक इस एकता को बनाए रखने में अपना योगदान कैसे दे सकता है? इस बारे में अगले लेख में चर्चा की जाएगी।
आप कैसे जवाब देंगे?
• सच्ची उपासना कैसे लोगों को एक करती है?
• हम जलन की भावना को कैसे दूर कर सकते हैं जो हमारी एकता को भंग कर सकती है?
• राष्ट्रवाद की भावना क्यों सच्चे उपासकों नहीं बाँट सकी?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 13 पर तसवीर]
पहली सदी के मसीही समाज के अलग-अलग वर्ग और जाति से थे
[पेज 15 पर तसवीरें]
हम राज्य घर निर्माण में मदद करके एकता में बढ़ावा दे सकते हैं?