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बच्चों को यहोवा के संगठन की जानकारी दीजिए

बच्चों को यहोवा के संगठन की जानकारी दीजिए

बच्चों को यहोवा के संगठन की जानकारी दीजिए

बच्चों में सीखने की ललक होती है। उस समय की कल्पना कीजिए, जब मिस्र में पहली बार फसह मनाया जा रहा था और इसराएली बच्चों ने अपने माता-पिता से तरह-तरह के सवाल पूछे होंगे। उन्होंने पूछा होगा: ‘उस मेम्ने को क्यों मारा?’ ‘पिताजी चौखट पर लहू क्यों लगा रहे हैं?’ ‘हम कहाँ जा रहे हैं?’ बच्चों के सवाल पूछने से यहोवा को कोई एतराज़ नहीं था। यह हमें उसकी कही इस बात से पता चलता है जो उसने फसह का पर्व मनाने के बारे में इसराएली पिताओं से कही थी: “जब तुम्हारे लड़केबाले तुम से पूछें, कि इस काम से तुम्हारा क्या मतलब है? तब तुम उनको यह उत्तर देना, कि यहोवा ने जो मिस्रियों के मारने के समय मिस्र में रहनेवाले हम इस्राएलियों के घरों को . . . बचाया, इसी कारण उसके फसह का यह बलिदान किया जाता है।” (निर्ग. 12:24-27) बाद में यहोवा ने इसराएली माता-पिताओं को याद दिलाया कि जब उनके बच्चे यहोवा की ‘विधियों और नियमों’ से जुड़े सवाल पूछें, तो उन्हें उनका जवाब ज़रूर दें।—व्यव. 6:20-25.

बेशक यहोवा चाहता है कि बच्चों को सच्ची उपासना से जुड़े उनके सवालों का संतोषजनक जवाब मिले। ऐसे जवाबों से उन्हें प्रेरणा मिलती कि वे यहोवा को अपना परमेश्‍वर और उद्धार करनेवाला मानकर प्यार करें। यहोवा आज भी यही चाहता है। अगर माता-पिता अपने बच्चों के दिलों में यहोवा के लिए प्यार बढ़ाना चाहते हैं तो एक तरीका है, अपने बच्चों को यहोवा के संगठन और उसके इंतज़ामों से मिलनेवाले फायदों के बारे में सिखाना। आइए बारीकी से देखें कि हम बच्चों को परमेश्‍वर के संगठन की और ज़्यादा समझ कैसे दे सकते हैं।

आपकी मंडली

ज़रूरी है कि आप जिस मंडली में जाते हैं, बच्चों को उसके बारे में पूरी जानकारी हो। इसलिए चाहिए कि माता-पिता अपने बच्चों को हरेक मसीही सभा में अपने साथ ले जाएँ। अगर आप ऐसा करेंगे तो यहोवा की इस आज्ञा के मुताबिक चल रहे होंगे जो उसने इसराएलियों को दी थी: “क्या पुरुष, क्या स्त्री, क्या बालक . . . सब लोगों को इकट्ठा करना कि वे सुनकर सीखें, और तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा का भय मानकर, इस व्यवस्था के सारे वचनों के पालन करने में चौकसी करें, और उनके लड़केबाले जिन्हों ने ये बातें नहीं सुनीं वे भी सुनकर सीखें, कि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा का भय उस समय तक मानते रहें।”—व्यव. 31:12, 13.

छुटपन से ही बच्चों में परमेश्‍वर का वचन सीखने-समझने की काबिलीयत होती है। प्रेषित पौलुस ने तीमुथियुस के बारे में कहा: “बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है।” (2 तीमु. 3:15) बहुत छोटे बच्चे भी मंडली की सभाओं में पेश की जानेवाली जानकारी थोड़ी-बहुत समझ लेते हैं और राज गीतों से वाकिफ हो जाते हैं। वहाँ वे बाइबल और उस पर आधारित साहित्य का इस्तेमाल करना और उनका आदर करना सीखते हैं। साथ ही, वे महसूस कर पाते हैं कि वहाँ लोग एक-दूसरे से सच्चा प्यार करते हैं, जो मसीह के सच्चे चेलों की पहचान है। यीशु ने कहा: “मैं तुम्हें एक नयी आज्ञा देता हूँ कि तुम एक-दूसरे से प्यार करो। ठीक जैसे मैंने तुमसे प्यार किया है, वैसे ही तुम भी एक-दूसरे से प्यार करो। अगर तुम्हारे बीच प्यार होगा, तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो।” (यूह. 13:34, 35) बच्चों को वहाँ सुरक्षा और प्यार मिलता है जो उनका दिल छू लेता है और इससे उन्हें मसीही सभाओं को अपने जीवन का हिस्सा बनाने में मदद मिलती है।

जब आप राज-घर में जल्दी आने का एक दस्तूर बना लेते हैं और सभा खत्म होने के बाद भी कुछ देर तक वहाँ ठहरते हैं तो इससे आपके बच्चों को नए दोस्त बनाने का मौका मिलता है। इसके बजाय कि वे सिर्फ बच्चों से दोस्ती करें, क्यों न आप उनका परिचय हर उम्र के भाई-बहनों से कराएँ? बुज़ुर्ग भाई-बहनों के साथ मेल-जोल बढ़ाने से उन्हें बुद्धि और तजुरबे का बेशकीमती खज़ाना मिलेगा। प्राचीन समय में जकर्याह ने जवान राजा उज्जिय्याह को “शिक्षा दी कि परमेश्‍वर का सम्मान और उसकी आज्ञा का पालन कैसे किया जाता है।” (2 इति. 26:1, 4, 5, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) इसका उस पर बहुत अच्छा असर हुआ। उसी तरह आज ऐसे भाई-बहनों का बच्चों पर अच्छा असर होता है, जो सालों से यहोवा की सेवा वफादारी से कर रहे हैं। राज-घर में आप बच्चों को लाइब्रेरी, सूचना बोर्ड और बाकी चीज़ों के बारे में समझा सकते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय संगठन

बच्चों का यह समझना ज़रूरी है कि वे जिस मंडली में जाते हैं वह अंतर्राष्ट्रीय संगठन का भाग है। पूरी दुनिया में फैले इस संगठन में 1,00,000 से भी ज़्यादा मंडलियाँ हैं। उन्हें इस संगठन की खासियतें बताइए कि यह कैसे काम करता है और बच्चे कैसे इसके काम को बढ़ावा दे सकते हैं। उन्हें बताइए कि आप सर्किट सम्मेलनों, ज़िला अधिवेशनों और सर्किट निगरान के दौरों का क्यों इंतज़ार करते हैं।–पेज 28 पर दिया बक्स, “विषय जिन पर पारिवारिक उपासना के दौरान गौर किया जा सकता है” देखिए।

जब भी आपको मौका मिले, सफरी निगरानों, मिशनरियों, बेथेल परिवार के सदस्यों और दूसरे पूरे समय के सेवकों को अपने घर खाने पर बुलाइए। ऐसा मत सोचिए कि उनके पास बच्चों के लिए वक्‍त नहीं होगा। पूरे समय के सेवक यीशु के नक्शेकदम पर चलने की कोशिश करते हैं। यीशु की तरह वे भी बच्चों से मुँह नहीं मोड़ते बल्कि उनसे बातें करते हैं। (मर. 10:13-16) ऐसे सेवकों के अनुभव सुनकर और परमेश्‍वर की सेवा में उनकी खुशी देखकर आपके बच्चे भी पूरे समय की सेवा को अपना लक्ष्य बना सकते हैं।

अपने बच्चों को यहोवा के संगठन से और भी वाकिफ कराने के लिए आप क्या कर सकते हैं? यहाँ कुछ सुझाव हैं: यहोवा के साक्षी वे कौन हैं? उनके विश्‍वास क्या हैं? ब्रोशर, साथ ही प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! में छपी जीवन कहानियों पर पूरा परिवार मिलकर चर्चा कर सकता है। उनमें यहोवा के सेवकों ने जिस तरह से नम्रता, वफादारी और भक्‍ति दिखायी उस पर ज़ोर दे सकते हैं। उन्हें समझने में मदद दीजिए कि कैसे यहोवा ने इन सेवकों के ज़रिए पूरी पृथ्वी पर सुसमाचार फैलाया है। यहोवा के संगठन ने नए और पुराने ज़माने के बाइबल पर आधारित जो वीडियो तैयार किए हैं, उन्हें बच्चों को दिखाकर कई ज़रूरी सबक सिखा सकते हैं। अगर मुमकिन हो, तो अपने देश के या फिर दूसरे देश के शाखा दफ्तर और बेथेल घर देखने जाइए। वहाँ का दौरा करने से बच्चे यह साफ देख पाएँगे कि धरती पर यहोवा का संगठन विश्‍वासयोग्य दास के निर्देशन में कैसे काम करता है और कैसे भाइयों को पूरी दुनिया में आध्यात्मिक भोजन और मार्गदर्शन दिया जाता है, ठीक जैसा पहली सदी में भी हुआ करता था।—मत्ती 24:45-47; प्रेषि. 15:22-31.

बच्चे की समझ के मुताबिक जानकारी देना

अब ज़रा गौर कीजिए कि यीशु अपने प्रेषितों को सिखाते वक्‍त किस बात का ध्यान रखता था। यीशु ने एक बार उनसे कहा: “मुझे तुमसे और भी बहुत-सी बातें कहनी हैं, मगर इस वक्‍त तुम इन्हें समझ नहीं सकते।” (यूह. 16:12) जी हाँ, चेलों को एक-साथ ढेर सारी जानकारी देने के बजाय यीशु ने उन्हें धीरे-धीरे अहम सच्चाइयाँ सिखायीं ताकि वे उन्हें सही तरीके से जज़्ब कर सकें। उसी तरह आप भी बच्चों को एक-साथ ढेर सारी जानकारी मत दीजिए। नियमित तौर पर उन्हें संगठन के बारे में थोड़ी-थोड़ी जानकारी दीजिए। इससे आप उनकी दिलचस्पी बरकरार रख पाएँगे और वे मसीही मंडली के बारे में खुशी-खुशी सीखते रहेंगे। बच्चों की ज़रूरत के हिसाब से आप सिखायी गयी बातों को दोहरा सकते हैं और उसके बारे में ज़्यादा जानकारी भी दे सकते हैं।

मसीही मंडली एक ऐसी जगह है, जहाँ आध्यात्मिक तौर पर मज़बूती मिलती है और जब हमारे बच्चे इसके कामों में जोश के साथ हिस्सा लेते हैं तो वे इस शैतानी दुनिया की बुराइयों का डटकर मुकाबला कर पाते हैं। (रोमि. 12:2) हमें यकीन है कि बच्चों को यहोवा के संगठन के बारे में सिखाकर आपको बेहद खुशी मिलेगी। हमारी यही प्रार्थना है कि आपके बच्चे इस संगठन से जुड़े रहें और जिस प्यारे परमेश्‍वर की हम उपासना करते हैं, वे उसके वफादार बने रहें।

[पेज 28 पर बक्स/तसवीर]

विषय जिन पर पारिवारिक उपासना के दौरान गौर किया जा सकता है

संगठन से जुड़े इन विषयों पर आप पारिवारिक उपासना के दौरान चर्चा कर सकते हैं:

▪ अपनी मंडली के इतिहास पर चर्चा कीजिए। मंडली की शुरुआत कब और कैसे हुई, उसकी सभाएँ कहाँ-कहाँ हुआ करती थीं, वगैरह? क्यों न आप किसी ऐसे भाई-बहन को अपने घर बुलाएँ जो आपकी मंडली के साथ लंबे समय से जुड़ा है ताकि वह बच्चों के सवालों का जवाब दे सके?

▪ बच्चों को मंडली की अलग-अलग सभाओं और दूसरे बड़े सम्मेलनों का मकसद बताइए और यह भी कि वे कैसे इनसे फायदा पा सकते हैं।

▪ यहोवा के संगठन के अलग-अलग स्कूलों का मकसद समझाइए। जो लोग इन स्कूलों में हाज़िर हुए थे, उनके अनुभव बताइए कि वे कैसे परमेश्‍वर की सेवा में अच्छे फल पैदा कर रहे हैं।

▪ बच्चों को बताइए कि नियमित तौर पर प्रचार में जाना क्यों ज़रूरी है। उन्हें दुनिया में हो रहे साक्षियों के प्रचार काम की सालाना रिपोर्ट दिखाकर बताइए कि वे भी रिपोर्ट के हिस्सेदार बन सकते हैं। यह रिपोर्ट हर साल हमारी राज सेवा में प्रकाशित होती है।

▪ इस पर भी चर्चा कीजिए कि यहोवा के संगठन में जवान किन अलग-अलग तरीकों से पूरे समय की सेवा कर सकते हैं। इस बारे में अच्छी जानकारी यहोवा की इच्छा पूरी करने के लिए संगठित किताब के अध्याय 10 में दी गयी है।

▪ बच्चों को यह समझने में मदद दीजिए कि मंडली में क्यों हर काम एक खास तरीके से किया जाता है। उन्हें बताइए कि अपनी ज़िंदगी की छोटी-से-छोटी बात में भी उन्हें यहोवा के संगठन के निर्देशनों को मानना चाहिए। दिखाइए कि प्राचीनों की सलाह मानकर वे कैसे मंडली की अच्छी व्यवस्था बनाए रख सकते हैं।

[तसवीर]

लंबे समय से सेवा करनेवाले भाई-बहनों के साथ दोस्ती करने से आपके बच्चों को फायदा होगा

[पेज 26 पर तसवीरें]

प्राचीन इसराएलियों की तरह ही आज माता-पिता अपने बच्चों को यहोवा के संगठन के बारे में संतोषजनक जवाब देने की कोशिश करते हैं