इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

सफाई पेश करना—यहोवा इसे किस नज़र से देखता है?

सफाई पेश करना—यहोवा इसे किस नज़र से देखता है?

सफाई पेश करना—यहोवा इसे किस नज़र से देखता है?

आदमी ने कहा: “जिस स्त्री को तू ने मेरे संग रहने को दिया है उसी ने उस वृक्ष का फल मुझे दिया, और मैं ने खाया।” स्त्री ने जवाब दिया: “सर्प ने मुझे बहका दिया तब मैं ने खाया।” ये शब्द हमारे पहले माता-पिता आदम और हव्वा ने परमेश्‍वर से कहे थे और तभी से इंसानों में सफाई देने की आदत चली आ रही है।—उत्प. 3:12, 13.

लेकिन आदम-हव्वा ने जो सफाई पेश की, यहोवा ने उसे कबूल नहीं किया क्योंकि उन्हें अपने किए की सज़ा मिली। (उत्प. 3:16-19) तो क्या यहोवा पेश की गयी कोई सफाई नहीं सुनता? या फिर वह कुछ तरह की सफाई को सही करार देता है? अगर ऐसा है तो हम कैसे जान सकते हैं कि वह किस तरह की सफाई को सही करार देता है और किसे गलत? चलिए इसका जवाब जानने से पहले हम सफाई देने की परिभाषा देखें।

जब एक इंसान कोई वजह बताता है कि उसने फलाँ काम क्यों किया, या क्यों नहीं किया, या क्यों नहीं करेगा, तो उसे सफाई देना कहते हैं। अपनी सफाई देते वक्‍त वह सही वजह बताता है और शायद उसमें सच्चे दिल से माफी माँगने की बात भी शामिल होगी, जिसकी बिनाह पर उसके साथ नरमी से पेश आया जा सकता है या उसे माफ किया जा सकता है। लेकिन ऐसा भी हो सकता है, जैसा कि आदम और हव्वा के मामले में हुआ कि उन्होंने सच्चाई पर परदा डालने के लिए झूठी दलीलें देकर सफाई पेश की। और सफाई पेश करने में ज़्यादातर बहाने और झूठी दलीलें शामिल होती हैं, इसीलिए उसे हमेशा शक की निगाह से देखा जाता है।

अगर हम खासकर परमेश्‍वर की सेवा के मामले में कोई सफाई देते हैं, तो हमें खबरदार रहने की ज़रूरत है कि हम “झूठी दलीलों से खुद को धोखा” न दें। (याकू. 1:22) आइए बाइबल के कुछ उदाहरणों और सिद्धांतों पर गौर करें जो हमें यह ‘जाँचने’ में मदद देंगे कि “प्रभु को क्या भाता है।”—इफि. 5:10.

परमेश्‍वर हमसे क्या उम्मीद करता है

परमेश्‍वर के वचन में हमें साफ-साफ आज्ञाएँ दी गयी हैं जिन्हें यहोवा के लोग होने के नाते हमें मानने की ज़रूरत है। उदाहरण के लिए मसीह ने आज्ञा दी कि “जाओ और सब राष्ट्रों के लोगों को मेरा चेला बनना सिखाओ।” (मत्ती 28:19, 20) यह आज्ञा आज भी मसीह के सच्चे चेलों पर लागू होती है। इस आज्ञा को मानना इतना ज़रूरी है कि प्रेषित पौलुस ने लिखा: “धिक्कार है मुझ पर अगर मैं खुशखबरी न सुनाऊँ!”—1 कुरिं. 9:16.

फिर भी, कुछ लोग जो हमारे साथ लंबे समय से बाइबल सीख रहे हैं, वे शायद परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी न सुनाना चाहें। (मत्ती 24:14) दूसरे लोग जो पहले प्रचार किया करते थे, वे अब शायद नहीं करते। जो लोग प्रचार में जाना बंद कर देते हैं, वे कई बार इसकी क्या सफाई पेश करते हैं? बीते समय में जो लोग साफ-साफ बतायी यहोवा की आज्ञाएँ मानने से झिझकते थे, उनके बारे में यहोवा ने क्या कहा?

किस तरह की सफाई देना यहोवा को मंज़ूर नहीं

“यह तो बहुत मुश्‍किल है।” खासकर जिनका स्वभाव शर्मीला होता, उन्हें लगता है कि प्रचार करना बेहद मुश्‍किल काम है। गौर कीजिए योना के उदाहरण से क्या सीखा जा सकता है। उसे एक ऐसा काम मिला जो उसे बहुत मुश्‍किल लगा। यहोवा ने उससे नीनवे जाकर आनेवाले कहर के बारे में ऐलान करने को कहा। इस बात का अंदाज़ा लगाना मुश्‍किल नहीं था कि क्यों योना इस खबर का ऐलान करने से डर रहा था। नीनवे अश्‍शूर की राजधानी थी और अश्‍शूरी बेरहम लोगों के नाम से मशहूर थे। योना ने सोचा होगा: ‘क्या ये लोग मेरी बात सुनेंगे? ये मेरे साथ कैसा सलूक करेंगे?’ वह भाग खड़ा हुआ। फिर भी यहोवा ने योना की कोई सफाई कबूल नहीं की। इसके बजाय यहोवा ने फिर से योना को नीनवे के लोगों को प्रचार करने का काम दिया। इस बार योना ने बड़ी हिम्मत के साथ अपना काम पूरा किया और उससे जो फायदा हुआ उस पर यहोवा ने आशीष दी।—योना 1:1-3; 3:3, 4, 10.

अगर आपको लगता है कि खुशखबरी सुनाना आपके लिए बेहद मुश्‍किल है तो याद रखिए कि “परमेश्‍वर के लिए सबकुछ मुमकिन है।” (मर. 10:27) आप भरोसा रख सकते हैं कि अगर आप यहोवा से मदद माँगेंगे तो वह आपको हिम्मत देगा और जब आप हिम्मत के साथ प्रचार करेंगे तो वह आपको आशीष देगा।—लूका 11:9-13.

“मेरा दिल नहीं करता।” अगर प्रचार में हिस्सा लेने का आपका दिल नहीं करता तब आप क्या कर सकते हैं? याद रखिए कि यहोवा आपकी भावनाओं में बदलाव ला सकता है जिससे आपमें प्रचार करने की इच्छा जागेगी। पौलुस ने कहा: “परमेश्‍वर है जो अपनी मरज़ी के मुताबिक तुम्हारे अंदर काम कर रहा है ताकि तुम्हारे अंदर इच्छा पैदा हो और तुम उस पर अमल भी करो।” (फिलि. 2:13) इसलिए आप यहोवा से बिनती कर सकते हैं कि वह आपमें उसकी इच्छा पूरी करने का जज़्बा पैदा करे। राजा दाविद ने ऐसा ही किया था, उसने यहोवा से बिनती की: “मुझे अपने सत्य पर चला।” (भज. 25:4, 5) आप भी यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्थना कर सकते हैं ताकि वह आपमें उसे खुश करने की इच्छा पैदा करे।

यह लाज़िमी है कि कभी-कभी थकावट या मायूसी की वजह से हम अपनी मरज़ी के खिलाफ सभाओं या प्रचार में जाते हैं। अगर ऐसी बात है तो क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि हम यहोवा से सच्चा प्यार नहीं करते? बिलकुल नहीं। बीते समय में परमेश्‍वर के वफादार जनों को भी उसकी मरज़ी पूरी करने में मुश्‍किल हुई थी। उदाहरण के लिए पौलुस ने कहा कि वह अपनी “देह को मारता कूटता” है ताकि वह परमेश्‍वर की आज्ञाओं को मान सके। (1 कुरिं. 9:26, 27) इसलिए अगर हम न चाहते हुए भी जबरन प्रचार में जाते हैं, तो इस बात का भरोसा रखिए कि यहोवा हमें आशीष ज़रूर देगा। क्यों? क्योंकि परमेश्‍वर की इच्छा पूरी करने के लिए हम खुद से ज़बरदस्ती करते हैं वह भी इसलिए क्योंकि हम यहोवा से प्यार करते हैं। जब हम ऐसा करते हैं तो हम शैतान के दावे का मुँह तोड़ जवाब देते हैं, जिसने कहा था कि परमेश्‍वर के सेवक परीक्षाओं के दौर में उसका साथ छोड़ देंगे।—अय्यू. 2:4.

“साँस लेने की भी फुरसत नहीं।” अगर आप प्रचार में नहीं जाते क्योंकि आपको लगता है कि आपके पास साँस लेने की भी फुरसत नहीं तो यह बेहद ज़रूरी है कि आप अपने सारे कामों पर एक बार फिर नज़र डालें और देखें कि कहीं आपका वक्‍त फिज़ूल के कामों में तो ज़ाया नहीं हो रहा। यीशु ने कहा: “तुम पहले उसके राज . . . की खोज में लगे रहो।” (मत्ती 6:33) इस सिद्धांत का पालन करने के लिए आपको अपनी ज़िंदगी में कुछ फेरबदल करने पड़ेंगे या अपने मनोरंजन से वक्‍त काटकर प्रचार में लगाना होगा। हालाँकि मनोरंजन और बाकी निजी कामों की अपनी एक अलग जगह है लेकिन प्रचार में न जाने के लिए यह सफाई देना बेबुनियाद होगा। परमेश्‍वर के एक सेवक को राज के कामों को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देनी चाहिए।

“मैं इतना काबिल नहीं।” आप शायद सोचें कि आप खुशखबरी सुनाने के काबिल नहीं। बाइबल के ज़माने में भी यहोवा के कुछ वफादार सेवकों को लगा था कि वे यहोवा के दिए काम को पूरा करने के काबिल नहीं हैं। मूसा का उदाहरण ही ले लीजिए। जब मूसा को यहोवा से एक खास काम करने की आज्ञा मिली तो मूसा ने कहा: “हे मेरे प्रभु, मैं बोलने में निपुण नहीं, न तो पहिले था, और न जब से तू अपने दास से बातें करने लगा; मैं तो मुंह और जीभ का भद्दा हूं।” हालाँकि यहोवा ने उसे भरोसा दिलाया मगर मूसा ने कहा: “मेरे यहोवा मैं दूसरे व्यक्‍ति को भेजने के लिए प्रार्थना करता हूँ मुझे न भेज।” (ईज़ी-टू-रीड वर्शन) (निर्ग. 4:10-13) तब यहोवा ने क्या किया?

यहोवा ने फिर भी मूसा से ही काम लिया, लेकिन उसकी मदद के लिए हारून को साथ भेजा। (निर्ग. 4:14-17) इसके अलावा जैसे-जैसे साल गुज़रे यहोवा मूसा के साथ रहा और जो काम उसने मूसा को दिया था उसे पूरा करने के लिए उसे हर तरह से मदद दी। आप इस बात का भरोसा रख सकते हैं कि आज भी यहोवा अनुभवी भाई-बहनों के ज़रिए प्रचार काम को पूरा करने के लिए आपकी मदद कर सकता है। इस सबसे बढ़कर परमेश्‍वर का वचन हमें यकीन दिलाता है कि यहोवा उसके दिए काम को पूरा करने के लिए हमें काबिल बनाएगा।—2 कुरिं. 3:5; “मेरी ज़िंदगी के सबसे खुशहाल साल” बक्स देखिए।

“किसी ने मेरा दिल दुखाया है।” कुछ लोग इसलिए प्रचार में या सभाओं में जाना बंद कर देते हैं क्योंकि किसी ने उनकी भावनाओं को ठेस पहुँचायी है। वे तर्क करते हैं कि परमेश्‍वर का काम न करने की मेरे पास यह ठोस वजह है जिसे यहोवा कबूल कर लेगा। हालाँकि हम समझ सकते हैं कि ठेस लगने पर हमें बड़ा दुख होता है मगर क्या मसीही कामों में ढीले पड़ने के लिए ऐसी सफाई पेश करना सही है? पौलुस और उसके साथी बरनबास को शायद एक-दूसरे की बातों से दुख पहुँचा होगा क्योंकि दोनों में “ज़बरदस्त तकरार” हुई थी। (प्रेषि. 15:39) लेकिन क्या दोनों में से किसी ने इस वजह से परमेश्‍वर की सेवा छोड़ दी? बिलकुल नहीं!

इसी तरह जब कोई मसीही भाई आपको ठेस पहुँचाता है तो याद रखिए कि आपका दुश्‍मन आपका असिद्ध मसीही भाई नहीं बल्कि शैतान है, जो आपको फाड़ खाना चाहता है। शैतान इसमें कामयाब नहीं होगा, अगर आप “विश्‍वास में मज़बूत रहकर उसका मुकाबला” करें। (1 पत. 5:8, 9; गला. 5:15) अगर आपका ऐसा मज़बूत विश्‍वास होगा, तो आप कभी भी “निराश” नहीं होंगे।—रोमि. 9:33.

सीमित दायरे में

अभी हमने सफाई देने के कई उदाहरण देखे जिससे पता चलता है कि परमेश्‍वर की साफ-साफ आज्ञाएँ न मानने का हमारे पास कोई ठोस कारण नहीं है, जिसमें खुशखबरी सुनाने का काम भी शामिल है। फिर भी, हो सकता है परमेश्‍वर की सेवा ज़्यादा न कर पाने का हमारे पास कोई वाजिब कारण हो। बाइबल से मिली दूसरी ज़िम्मेदारियों को निभाने की वजह से शायद हम प्रचार में ज़्यादा वक्‍त न दे पाएँ। और कई बार हो सकता है कि हम वाकई बहुत थके हों या बहुत बीमार हों जिस वजह से हम यहोवा की सेवा पहले जितनी न कर पाएँ। लेकिन परमेश्‍वर का वचन हमें यकीन दिलाता है कि यहोवा हमारी दिली इच्छा को जानता है और हमारे सीमित दायरे को समझता है।—भज. 103:14; 2 कुरिं. 8:12.

इसीलिए हमें ध्यान रखने की ज़रूरत है कि हम इस मामले में खुद को और दूसरों को भी कठोरता से न परखें। प्रेषित पौलुस ने लिखा: “तू दूसरे के घर के नौकर को दोषी ठहरानेवाला कौन होता है? वह खड़ा रहेगा या गिर जाएगा, इसका फैसला करना उसके मालिक के हाथों में है।” (रोमि. 14:4) अपने हालात की तुलना दूसरों से करने के बजाय हमें याद रखना चाहिए कि “हम में से हरेक इंसान परमेश्‍वर को अपना-अपना हिसाब देगा।” (रोमि. 14:12; गला. 6:4, 5) जब हम यहोवा से प्रार्थना करते हैं और उसकी सेवा न कर पाने की सफाई पेश करते हैं, तो ऐसा करते वक्‍त हमारा “ज़मीर साफ” होना चाहिए।—इब्रा. 13:18.

यहोवा की सेवा करने से क्यों खुशी मिलती है

हमारे हालात चाहे जैसे भी हों, हम सभी खुशी-खुशी यहोवा की सेवा कर सकते हैं क्योंकि उसकी माँगें पूरी करना मुश्‍किल नहीं। हम ऐसा क्यों कह सकते हैं?

परमेश्‍वर का वचन कहता है: “जिनका भला करना चाहिये, यदि तुझ में शक्‍ति रहे, तो उनका भला करने से न रुकना।” (नीति. 3:27) परमेश्‍वर की माँगों के बारे में आपने इस आयत में क्या गौर किया? परमेश्‍वर यह नहीं कहता कि तेरे भाई के हाथ में जो शक्‍ति है उसके मुताबिक हम उसकी सेवा करें बल्कि वह कहता है कि ‘तुझ में जो शक्‍ति’ है उसके बल पर उसकी सेवा कर। जी हाँ, हममें से सभी यहोवा की सेवा दिलो-जान से कर सकते हैं फिर चाहे हम कितने ही कमज़ोर हों या ताकतवर।—लूका 10:27; कुलु. 3:23.

[पेज 14 पर बक्स/तसवीर]

“मेरी ज़िंदगी के सबसे खुशहाल साल”

अगर हममें कोई गंभीर शारीरिक खामी है या हम भावनात्मक तौर पर पूरी तरह से टूट चुके हैं तो झट से हमें यह नहीं सोच लेना चाहिए कि इन हालात में हम यहोवा की सेवा पूरी तरह नहीं कर सकते। इस बात को अच्छी तरह से समझने के लिए आइए कनाडा के एक भाई अरनस्ट के उदाहरण पर गौर करें।

अरनस्ट ठीक से बोल नहीं पाता था और वह बहुत शर्मीला भी था। उसकी कमर में बहुत ज़्यादा चोट लगने की वजह से उसे निर्माण काम की अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। हालाँकि वह अपंग हो गया था मगर इस हालत में भी वह प्रचार में काफी वक्‍त बिताता था। जब मसीही मंडली में सहयोगी पायनियर सेवा करने का बढ़ावा दिया गया तो उसके दिल में भी पायनियर सेवा करने की इच्छा जागी जबकि वह समझता था कि वह यह सेवा नहीं कर पाएगा।

सहयोगी पायनियर सेवा करना उसके बस की बात नहीं थी फिर भी उसने एक महीने सहयोगी पायनियर सेवा करने की अरज़ी दे दी। उसे बहुत ताज्जुब हुआ जब उसने अपनी पायनियर सेवा पूरी की। फिर उसने सोचा, ‘मैं जानता हूँ कि मैं दोबारा ऐसा नहीं कर पाऊँगा।’ अपनी इस बात को गलत साबित करने के लिए उसने दूसरे महीने भी पायनियर सेवा की और कामयाब हुआ।

अरनस्ट ने एक साल तक सहयोगी पायनियर सेवा की लेकिन वह कहता है: “यकीनन मैं पायनियर तो कभी नहीं बन पाऊँगा।” फिर से अपनी बात को गलत साबित करने के लिए उसने पायनियर सेवा की अरज़ी भर दी। उसे बड़ा ताज्जुब हुआ जब उसने पहले साल में अपनी पायनियर सेवा पूरी की। उसने आगे भी करने का फैसला किया और दो साल तक पायनियर सेवा करता रहा। लेकिन बाद में उस चोट की वजह से उसकी हालत बिगड़ती चली गयी आखिरकार उसने दम तोड़ दिया। अपनी मौत से पहले डबडबाई आँखों से वह लोगों से कहा करता था: “जिन सालों में मैंने पायनियर सेवा की वे मेरी ज़िंदगी के सबसे खुशहाल साल थे।”

[पेज 13 पर तसवीर]

हमें प्रचार में जाने से रोकनेवाली किसी भी बाधा को हम पार कर सकते हैं

[पेज 15 पर तसवीर]

जब हम अपने हालात के मुताबिक तन-मन से यहोवा की सेवा करते हैं, तो यहोवा उससे खुश होता है