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जवानो—आप अपनी ज़िंदगी में क्या करना चाहते हैं?

जवानो—आप अपनी ज़िंदगी में क्या करना चाहते हैं?

जवानो—आप अपनी ज़िंदगी में क्या करना चाहते हैं?

“मैं इस तरह मुक्के नहीं चलाता मानो हवा को पीट रहा हूँ।”—1 कुरिं. 9:26.

1, 2. बड़े होने पर अगर आप कामयाब होना चाहते हैं तो आपको किन चीज़ों की ज़रूरत होगी?

 आप अगर अनजान रास्ते से जा रहे हैं तो आप अपने साथ शायद नक्शा और कंपास ले जाना चाहें। नक्शे से पता चलेगा कि आप किस जगह पर हैं और आगे आपको कौन-सा रास्ता लेना है। और कंपास आपको सही रास्ते पर बढ़ते रहने में मदद देगा। लेकिन अगर आपको यही नहीं मालूम कि आपको जाना कहाँ है, तब तो नक्शा और कंपास दोनों किसी काम के नहीं। अगर आप बिना मकसद के यूँ ही भटकना नहीं चाहते, तो पहले आपको अपनी मंज़िल तय करनी होगी।

2 जब आप बड़े होने लगते हैं, तब आपके हालात कुछ ऐसे ही होते हैं। आपके पास भरोसेमंद नक्शा और कंपास दोनों होते हैं। बाइबल एक नक्शा है, जो आपको जीवन में रास्ता दिखाती है। (नीति. 3:5, 6) और आपका विवेक कंपास की तरह होता है, जिसे सही तालीम दी जाए तो आपको सही रास्ते पर चलते रहने में बहुत मदद दे सकता है। (रोमि. 2:15) फिर भी, जीवन में कामयाब होने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि आपको जाना कहाँ है। और उस मंज़िल तक पहुँचने के लिए आपके लक्ष्य भी आपके मन में साफ होने चाहिए।

3. पौलुस ने 1 कुरिंथियों 9:26 में लक्ष्य रखने के क्या फायदे बताए?

3 प्रेषित पौलुस ने चंद शब्दों में ज़ाहिर किया कि लक्ष्य रखने और उनके लिए मेहनत करने के क्या फायदे हैं, जब उसने लिखा: “मैं अंधाधुंध यहाँ-वहाँ नहीं दौड़ता, मैं इस तरह मुक्के नहीं चलाता मानो हवा को पीट रहा हूँ।” (1 कुरिं. 9:26) अगर आपने लक्ष्य रखे हैं तो आप सही दिशा में बढ़ सकते हैं। क्योंकि जल्द ही वह घड़ी आएगी, जब आपको कुछ बड़े फैसले लेने होंगे जैसे उपासना, काम, शादी और परिवार के मामले में। तब आप देखेंगे कि आपके सामने कई रास्ते हैं। लेकिन अगर आपने परमेश्‍वर के वचन की सच्चाई और सिद्धांतों के आधार पर पहले से यह फैसला किया होगा कि आपको कौन-सा रुख लेना है तो आप गलत राह पर नहीं मुड़ेंगे।—2 तीमु. 4:4, 5.

4, 5. (क) अगर आप खुद लक्ष्य तय नहीं करते तो क्या हो सकता है? (ख) आपको जीवन में चुनाव करते वक्‍त क्यों परमेश्‍वर की पसंद-नापसंद का खयाल रखना चाहिए?

4 अगर आपने खुद लक्ष्य नहीं रखे तो मुमकिन है कि आप वही करेंगे जो आपके दोस्त और अध्यापक आपसे चाहते हैं। और अगर आपने लक्ष्य रखे हैं, तब भी लोग अपनी राय ज़रूर देंगे। जब आपको राय दी जाती है तब खुद से पूछिए, ‘जो लक्ष्य मुझे बताए जा रहे हैं क्या उनसे मुझे अपनी जवानी के दिनों में सृष्टिकर्ता के करीब जाने में मदद मिलेगी या मैं उससे और दूर चला जाऊँगा?’सभोपदेशक 12:1 पढ़िए।

5 आपको जीवन में चुनाव करते वक्‍त क्यों परमेश्‍वर की पसंद-नापसंद का खयाल रखना चाहिए? एक कारण तो यह है कि सारी अच्छी चीज़ें देनेवाला यहोवा है। (याकू. 1:17) वाकई हर कोई यहोवा का कर्ज़दार है। (प्रका. 4:11) इसलिए अपने लक्ष्य तय करते वक्‍त अगर आप यहोवा को मन में रखें तो यह उसकी भलाई के लिए कदरदानी दिखाने का बढ़िया तरीका होगा। आइए गौर करें कि कौन-से लक्ष्य रखना अच्छा होगा और उन्हें पाने के लिए आपको क्या करना होगा।

आप कौन-से लक्ष्य रख सकते हैं?

6. आप कौन-सा बुनियादी लक्ष्य रख सकते हैं और क्यों?

6 जैसा हमने पिछले लेख में देखा, आप एक बुनियादी लक्ष्य रख सकते हैं और वह है, पहले खुद यह जाँचना कि बाइबल जो कहती है क्या वह सच है। (रोमि. 12:2; 2 कुरिं. 13:5) आपके दोस्त शायद विकासवाद या झूठी धार्मिक शिक्षाओं पर विश्‍वास करते हों क्योंकि दूसरों ने उनसे कहा होगा कि वही सच है। लेकिन जहाँ तक आपकी शिक्षाओं की बात है वह किसी और के विश्‍वास पर आधारित नहीं होनी चाहिए। याद रखिए, यहोवा चाहता है कि आप उसकी सेवा पूरी बुद्धि से करें। (मत्ती 22:36, 37 पढ़िए।) स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता चाहता है कि हम अपने विश्‍वास को सबूतों के आधार पर मज़बूत करें।—इब्रा. 11:1.

7, 8. (क) अपना विश्‍वास मज़बूत करने के लिए आप कौन-से छोटे लक्ष्य रख सकते हैं? (ख) अपने कुछ छोटे लक्ष्य पा लेने के बाद आप कैसा महसूस करेंगे?

7 अपने विश्‍वास को मज़बूत करने के लिए क्यों न आप छोटे लक्ष्य रखें? एक लक्ष्य हो सकता है, रोज़ाना प्रार्थना करना। आपकी प्रार्थनाएँ ताज़गी भरी और सीधे मुद्दे से जुड़ी हों, इसके लिए आप दिन भर में हुई घटनाओं को कहीं लिख सकते हैं या मन में रख सकते हैं, फिर इनके बारे में आप यहोवा को बता सकते हैं। आप यहोवा को केवल अपनी समस्याएँ नहीं, बल्कि अपनी खुशियाँ भी बताइए। (फिलि. 4:6) दूसरा लक्ष्य हो सकता है, हर दिन बाइबल पढ़ना। क्या आप जानते हैं कि अगर आप हर दिन करीब चार पन्‍ने पढ़ेंगे तो सिर्फ एक साल में पूरी बाइबल पढ़ लेंगे? * भजन 1:1, 2 कहता है: “क्या ही धन्य है वह पुरुष जो . . . यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्‍न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है।”

8 तीसरा छोटा लक्ष्य हो सकता है, मंडली में जवाब देना। शायद शुरू-शुरू में आप सीधे साहित्य से जवाब देना चाहें या आयत पढ़ना चाहें। फिर आप अपने शब्दों में जवाब देने का लक्ष्य रख सकते हैं। वाकई हर बार जब आप जवाब देते हैं तो आप यहोवा को भेंट चढ़ाते हैं। (इब्रा. 13:15) आप देखेंगे कि जब आप इनमें से कुछ लक्ष्य पा लेंगे तो आपका हौसला बढ़ेगा, यहोवा के लिए आपकी कदर बढ़ेगी और आप बड़े लक्ष्य रखने के काबिल बन सकेंगे।

9. अगर अभी तक आप राज प्रचारक नहीं बने हैं तो आप कौन-से बड़े लक्ष्य रख सकते हैं?

9 आप कौन-से बड़े लक्ष्य रख सकते हैं? अगर अभी तक आपने खुशखबरी सुनानी शुरू नहीं की तो राज का प्रचारक बनना आपका बड़ा लक्ष्य हो सकता है। इस बेहतरीन लक्ष्य को पा लेने के बाद आप चाहेंगे कि आप नियमित तौर पर, और अच्छी तरह प्रचार करें और एक भी महीना बिना प्रचार किए न जाने दें। फिर आप बाइबल का भी कुशलता से इस्तेमाल करना सीखना चाहेंगे। ऐसा करके आप देखेंगे कि आपको प्रचार में और भी मज़ा आता है। फिर आप घर-घर के प्रचार में ज़्यादा वक्‍त बिताना चाहेंगे, यहाँ तक कि बाइबल अध्ययन चलाने की कोशिश करना चाहेंगे। एक अच्छा प्रचारक बनने के बाद इससे बढ़िया लक्ष्य और क्या हो सकता है कि आप बपतिस्मे के काबिल बनें और यहोवा को अपना जीवन समर्पित करके बपतिस्मा लेकर उसके साक्षी बनें?

10, 11. बपतिस्मा पाया हुआ जवान अपने लिए कौन-से बड़े लक्ष्य रख सकता है?

10 अगर आपने यहोवा को समर्पण करके बपतिस्मा ले लिया है तो आप आगे बताए कुछ बड़े लक्ष्य हासिल करने की कोशिश कर सकते हैं। आप कभी-कभी शायद ऐसी जगहों में प्रचार करके मंडलियों की मदद करना चाहें, जहाँ न के बराबर प्रचार हुआ है। आप अपनी ताकत और सेहत, शायद सहायक पायनियर या पायनियर सेवा में लगाना चाहें। खुशी-खुशी पायनियर सेवा करनेवाले हज़ारों सेवक आपको बताएँगे कि जवानी में अपने सृष्टिकर्ता को याद करने का यह कितना बेहतरीन तरीका है! इन लक्ष्यों को आप अपने माता-पिता के साथ रहते हुए हासिल कर सकते हैं। आपकी मंडली को भी इससे फायदा होगा।

11 आप और भी दूसरे बड़े लक्ष्य रख सकते हैं, जिसके लिए शायद आपको अपनी मंडली से दूर जाकर सेवा करनी पड़े। उदाहरण के लिए हो सकता है, आप ऐसे दूसरे इलाके या देश में जाकर प्रचार करने की योजना बनाएँ, जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। आप शायद दूसरे देश में राज-घर या शाखा दफ्तर निर्माण काम में हाथ बँटाना चाहें। आप शायद बेथेल में या फिर मिशनरी सेवा करना चाहें। बेशक इन बड़े लक्ष्यों को पाने से पहले, आपको सबसे ज़रूरी कदम उठाना होगा और वह है बपतिस्मा लेना। अगर अभी तक आपने बपतिस्मा नहीं लिया है तो गौर कीजिए कि ज़िंदगी के इस सबसे ज़रूरी कदम उठाने में क्या शामिल है।

बपतिस्मे के लक्ष्य को पाना

12. कुछ लोग किन कारणों से बपतिस्मा लेते हैं और यह सही क्यों नहीं है?

12 आपके मुताबिक बपतिस्मा लेने का मकसद क्या है? कुछ शायद सोचें कि यह हमें पाप करने से बचाता है। दूसरों को शायद लगे कि उनके दोस्तों ने बपतिस्मा लिया है तो उन्हें भी लेना चाहिए। कुछ जवान शायद अपने माता-पिता की खुशी के लिए बपतिस्मा लें। लेकिन बपतिस्मा एक करारनामा नहीं है जो आपको अकेले में गलत काम करने से रोके और न ही बपतिस्मा किसी के दबाव में आकर लेना चाहिए। आपको बपतिस्मा तभी लेना चाहिए, जब आप पूरी तरह समझ लें कि यहोवा का एक साक्षी होने का मतलब क्या है और जब आपको यकीन हो जाए कि आप बपतिस्मे और उससे जुड़ी ज़िम्मेदारियों को उठाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।—सभो. 5:4, 5.

13. आपको बपतिस्मा क्यों लेना चाहिए?

13 हमें बपतिस्मा क्यों लेना है, इसकी एक वजह है कि यीशु ने अपने चेलों को आज्ञा दी थी कि लोगों को “मेरा चेला बनना सिखाओ और उन्हें . . . बपतिस्मा दो।” और खुद बपतिस्मा लेकर यीशु ने एक उदाहरण रखा। (मत्ती 28:19, 20; मरकुस 1:9 पढ़िए।) और उद्धार पाने के लिए भी बपतिस्मा लेना बहुत ज़रूरी है। पतरस ने कहा कि नूह ने जहाज़ बनाया, जिसकी वजह से प्रलय के दौरान उसकी और उसके परिवार की जान बची। फिर उसने कहा: “वह घटना जिस चीज़ की निशानी है, यानी बपतिस्मा . . . अभी तुम्हें यीशु मसीह के जी उठने के ज़रिए बचा रहा है।” (1 पत. 3:20, 21) इसका मतलब यह नहीं है कि बपतिस्मा बीमा पॉलिसी है, जिसे आप किसी विपत्ति के वक्‍त इस्तेमाल करते हैं। इसके बजाय आप बपतिस्मा इसलिए लेते हैं क्योंकि आप यहोवा से प्यार करते हैं और आप उसकी सेवा पूरे दिलो-जान, दिमाग और ताकत से करना चाहते हैं।—मर. 12:29, 30.

14. कुछ लोग बपतिस्मा लेने से क्यों पीछे हटते हैं, मगर आपको क्या भरोसा दिया गया है?

14 कुछ लोग बपतिस्मा लेने से झिझकते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर उन्होंने कोई गलती की तो उन्हें मंडली से बहिष्कृत कर दिया जाएगा। क्या आपको भी यही डर सताता है? यह डर अपने आप में गलत नहीं है। इससे पता चलता है कि यहोवा का साक्षी बनने के साथ-साथ जो बड़ी ज़िम्मेदारी आती है, आप उसे समझते हैं। क्या बपतिस्मा न लेने का कोई और कारण भी हो सकता है? शायद आपको अब तक यह भरोसा न हुआ हो कि परमेश्‍वर के स्तरों के हिसाब से जीना ही सबसे बेहतर है। अगर ऐसा है तो उन नतीजों के बारे में सोचिए जो बाइबल के स्तरों को नज़रअंदाज़ करने से भुगतने पड़ते हैं, इससे आपको मदद मिलेगी। या ऐसा हो सकता है कि आप परमेश्‍वर के स्तरों से तो प्यार करते हों, मगर खुद पर भरोसा न हो कि आप उनके मुताबिक जी पाएँगे या नहीं। यह तो अच्छी बात की निशानी है, इससे पता चलता है कि आप नम्र हैं। बाइबल कहती है कि सभी असिद्ध इंसानों का दिल धोखा देनेवाला होता है। (यिर्म. 17:9) लेकिन अगर आप ‘परमेश्‍वर के वचन के अनुसार [हमेशा] सावधान रहें’ तो आपके कदम बहकेंगे नहीं। (भजन 119:9 पढ़िए।) बपतिस्मा लेने से झिझकने का चाहे जो भी कारण हो, आपको उसे समझकर दूर करने की ज़रूरत है। *

15, 16. आप कैसे जान सकते हैं कि आप बपतिस्मे के लिए तैयार हैं?

15 आप कैसे पता लगा सकते हैं कि आप बपतिस्मे के लिए तैयार हैं? एक तरीका है, खुद से ये सवाल पूछना: ‘क्या मैं दूसरों को बाइबल की बुनियादी शिक्षाएँ समझा सकता हूँ? क्या मैं प्रचार में जाता हूँ, फिर चाहे मेरे माता-पिता जाएँ या न जाएँ? क्या मैं हर मसीही सभा में जाने की कोशिश करता हूँ? क्या मुझे ऐसे मौके याद हैं जब मैंने साथियों के दबाव का विरोध किया? अगर मेरे माता-पिता या दोस्तों ने यहोवा की सेवा करने से मुझे रोका, क्या तब भी मैं उसकी सेवा करता रहूँगा? क्या मैं परमेश्‍वर के साथ अपने रिश्‍ते को बनाए रखने के लिए प्रार्थना करता हूँ? क्या मैंने प्रार्थना में यहोवा को अपना समर्पण कर दिया है?’

16 बपतिस्मे के बाद हमारी ज़िंदगी एक नया रुख लेती है, इसलिए हमें इसे हलकी बात नहीं समझना चाहिए। क्या आप इतने समझदार हैं कि बपतिस्मा लेने की गंभीरता को पहचान सकें? मंडली में अच्छे भाषण देने या दमदार जवाब देने से ही एक इंसान समझदार नहीं बन जाता। समझदार इंसान बाइबल सिद्धांतों के आधार पर सही फैसले लेने के काबिल होता है। (इब्रानियों 5:14 पढ़िए।) अगर आपमें ऐसी काबिलीयत है, तब तो आपके सामने बेहद सुनहरा मौका है। जी हाँ, परमेश्‍वर यहोवा की सेवा करना। आप दिलो-जान से उसकी सेवा कर सकते हैं और इस तरह जी सकते हैं जिससे ज़ाहिर हो कि आप वाकई उसे समर्पित हैं।

17. बपतिस्मे के बाद आनेवाली परीक्षाओं का सामना करने के लिए आपको कैसे मदद मिल सकती है?

17 बपतिस्मे के तुरंत बाद परमेश्‍वर की सेवा करने का खूब जोश होता है। लेकिन जल्द ही आप पर परीक्षाएँ आ सकती हैं, जो आपके विश्‍वास और हौसले को परख सकती हैं। (2 तीमु. 3:12) ऐसा मत सोचिए कि आपको इन परीक्षाओं का सामना अकेले करना है। अपने माता-पिता से सलाह लीजिए। मंडली के प्रौढ़ लोगों से मदद लीजिए। ऐसे भाई-बहनों से दोस्ती बनाए रखिए जो आपकी हिम्मत बढ़ा सकें। यह कभी मत भूलिए कि यहोवा आपकी परवाह करता है और वह आनेवाली किसी भी मुसीबत का सामना करने के लिए आपको ताकत ज़रूर देगा।—1 पत. 5:6, 7.

आप अपने लक्ष्य कैसे पा सकते हैं?

18, 19. अपने कामों की जाँच करने से आपको क्या फायदा होगा?

18 क्या ऐसा है कि सच्चे दिल से चाहने पर भी, कोई काम जो आप करना चाहते हैं और जो ज़रूरी भी है, उसे करने के लिए आपके पास वक्‍त ही नहीं बचता? अगर ऐसा है, तो अपने कामों पर एक नज़र डालिए और इस उदाहरण पर गौर कीजिए: एक प्लास्टिक की बाल्टी लीजिए और उसमें कई बड़े पत्थर डालिए। उसके बाद उसमें रेत भर दीजिए। आपकी बाल्टी में रेत और पत्थर दोनों हैं। अब बाल्टी खाली कर दीजिए और फिर से उसमें दोनों भरिए। लेकिन इस बार बाल्टी में पहले रेत भरिए, उसके बाद पत्थरों को डालने की कोशिश कीजिए। जगह ही नहीं बची, है ना? वह इसलिए क्योंकि आपने बाल्टी में पहले रेत जो भर दिया।

19 जब समय के अच्छे इस्तेमाल की बात आती है तो कुछ ऐसी ही चुनौती सामने आती है। अगर आप मनोरंजन जैसी चीज़ों को पहली जगह देंगे तो आपको जीवन की ज़्यादा ज़रूरी चीज़ों यानी आध्यात्मिक बातों के लिए बिलकुल वक्‍त नहीं मिलेगा। लेकिन अगर आप बाइबल की सलाह को मानकर ‘ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातों’ को पहली जगह दें तो आप राज के कामों के साथ-साथ कुछ हद तक मनोरंजन को भी जगह दे पाएँगे।—फिलि. 1:10.

20. अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते वक्‍त अगर आपके मन में कोई शक पैदा हो या चिंता सताए तो आप क्या कर सकते हैं?

20 जब आप बपतिस्मा लेने के अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते हैं, तो कभी-कभी आपके मन में कोई शक पैदा हो सकता है या कोई चिंता सता सकती है। अगर ऐसा हुआ तो ‘अपना बोझ यहोवा पर डाल दीजिए वह आपको सम्भालेगा।’ (भज. 55:22) इस वक्‍त आपके पास इंसानी इतिहास के बहुत ही दिलचस्प और ज़रूरी काम में हिस्सा लेने का मौका है, और वह है पूरे संसार में होनेवाले प्रचार और सिखाने के अभियान में हिस्सा लेना। (प्रेषि. 1:8) फैसला आपके हाथ में है, क्या आप सिर्फ दूसरों को यह काम करते देखना चाहते हैं या खुद इसमें हिस्सा लेना चाहते हैं? आपमें जो भी हुनर है, उसे राज के कामों में लगाइए। पीछे मत हटिए। बेशक, “अपनी जवानी के दिनों में अपने सृजनहार को स्मरण” रखने से आप कभी नहीं पछताएँगे।—सभो. 12:1.

[फुटनोट]

^ जनवरी-मार्च 2010 की प्रहरीदुर्ग के पेज 23-28 देखिए।

^ इस मामले में मदद के लिए किताब युवाओं के प्रश्‍न—व्यावहारिक उत्तर, भाग 2 (अँग्रेज़ी) का अध्याय 34 देखिए।

आप क्या जवाब देंगे?

• आपको लक्ष्य क्यों रखने चाहिए?

• ऐसे कौन-से लक्ष्य हैं, जिन्हें हासिल करने से आपको फायदा होगा?

• बपतिस्मे का लक्ष्य पाने में क्या शामिल है?

• अपने कामों की जाँच करने से कैसे आपको अपना लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 13 पर तसवीर]

क्या आपने रोज़ाना बाइबल पढ़ने का लक्ष्य रखा है?

[पेज 15 पर तसवीर]

बपतिस्मे के लक्ष्य को पाने में क्या बात आपकी मदद करेगी?

[पेज 16 पर तसवीर]

इस उदाहरण से आप क्या सबक सीखते हैं?