यहोवा हमारा परमप्रधान है!
यहोवा हमारा परमप्रधान है!
“यहोवा परमप्रधान . . . है, वह सारी पृथ्वी के ऊपर महाराजा है।”—भज. 47:2.
1. पहले कुरिंथियों 7:31 में दर्ज़ पौलुस के शब्द शायद किस बात की ओर इशारा कर रहे थे?
प्रेषित पौलुस ने कहा: “इस दुनिया का दृश्य बदल रहा है।” (1 कुरिं. 7:31) लगता है कि पौलुस इस दुनिया की तुलना एक मंच से कर रहा था, जिस पर अच्छे-बुरे किरदार तब तक अपना भाग अदा करते रहते हैं, जब तक कि दूसरा दृश्य नहीं आ जाता।
2, 3. (क) यहोवा की हुकूमत ने जिस चुनौती का सामना किया है, उसकी तुलना किससे की जा सकती है? (ख) हम किन सवालों पर गौर करेंगे?
2 एक ज़रूरी नाटक आज भी खेला जा रहा है, जिसका एक किरदार आप हैं। यह नाटक खास तौर पर यहोवा परमेश्वर की हुकूमत बुलंद करने के मुद्दे से जुड़ा है। इस नाटक को समझने के लिए हम एक ऐसे देश का उदाहरण ले सकते हैं, जिसमें शांति बनाए रखने के लिए एक तरफ अच्छी सरकार का गठन किया गया है। मगर दूसरी तरफ गुंडों का भी एक संगठन राज कर रहा है, जो देश में फरेब, हिंसा और खून-खराबा फैला रहा है। यह गैर-कानूनी संगठन सरकार के अधिकार को चुनौती देता है, साथ ही नागरिकों की वफादारी की परीक्षा लेता है कि वे अपनी सरकार के कायदे-कानून मानेंगे या नहीं।
3 आज इस विश्व के मंच पर कुछ ऐसा ही हो रहा है। कानूनी तौर पर “प्रभु यहोवा” की सरकार मौजूद है। (भज. 71:5) लेकिन मानवजाति पर गैर-कानूनी संगठन ने आतंक फैला रखा है जिसका सरदार है, “शैतान।” (1 यूह. 5:19) इस संगठन ने परमेश्वर की सरकार को चुनौती दी है, साथ ही उसकी प्रजा की वफादारी की परीक्षा ले रहा है कि क्या वह परमेश्वर के अधिकार का साथ देगी या नहीं। मगर ये हालात पैदा कैसे हुए? परमेश्वर ने इसकी इज़ाज़त क्यों दी? हम निजी तौर पर इसके बारे में क्या कर सकते हैं?
नाटक के पहलू
4. विश्व के इस नाटक में किन दो मुद्दों का खुलासा हुआ, जिनका आपस में ताल्लुक है?
4 विश्व के इस नाटक में दो मुद्दों का खुलासा हुआ है, जिनका आपस में ताल्लुक है: एक है यहोवा की हुकूमत करने का हक और दूसरा इंसान की खराई। बाइबल में अकसर यहोवा को “परमप्रधान” कहा गया है। मिसाल के लिए भजनहार ने कहा: “यहोवा परमप्रधान . . . है, वह सारी पृथ्वी के ऊपर महाराजा है।” (भज. 47:2) “परमप्रधान” उसे कहा जाता है, जिसके पास सभी पर हुकूमत करने का हक होता है। और उसी का अधिकार सबसे बड़ा होता है। तो यहोवा को परमप्रधान कहने के कई वाजिब कारण हैं।—दानि. 7:22.
5. क्या बात हमें यहोवा की हुकूमत का साथ देने के लिए उभारेगी?
5 सृष्टिकर्ता होने के नाते यहोवा, न सिर्फ धरती का बल्कि पूरे विश्व का मालिक या प्रधान है। (प्रकाशितवाक्य 4:11 पढ़िए।) वह हमारा न्यायी, व्यवस्था देनेवाला और राजा है क्योंकि पूरे विश्व पर न्याय करने, नियम-कानून बनाने और व्यवस्था देनेवाला वही है। (यशा. 33:22) यहोवा की वजह से ही हम वजूद में हैं और उसी पर निर्भर हैं इसलिए हमें उसी को परमप्रधान मानना चाहिए। अगर हम यह याद रखें कि “यहोवा ने . . . अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है, और उसका राज्य पूरी सृष्टि पर है” तो हमारा दिल हमें उभारेगा कि हम उसकी हुकूमत का साथ दें।—भज. 103:19; प्रेषि. 4:24.
6. खराई बनाए रखने का मतलब क्या है?
6 यहोवा की हुकूमत का साथ देने के लिए ज़रूरी है कि हम उसके प्रति अपनी खराई बनाए रखें। “खराई” का मतलब है, नैतिक शुद्धता या पूरी तरह नैतिक सिद्धांतों पर चलना। इसलिए खराई रखनेवाला इंसान निर्दोष और सच्चा होता है। कुलपिता अय्यूब एक ऐसा ही इंसान था।—अय्यू. 1:1.
नाटक कैसे शुरू होता है
7, 8. शैतान ने किस तरह यहोवा की हुकूमत करने के हक पर उँगली उठायी?
7 करीब 6,000 साल पहले एक स्वर्गदूत ने यह सवाल खड़ा किया कि क्या यहोवा को हुकूमत करने का हक है? उसके ऐसा करने के पीछे था उसका स्वार्थ, वह अपनी उपासना चाहता था इसलिए उसने गलत कहा और किया। उसने पहले इंसानी जोड़े, आदम और हव्वा को यहोवा की हुकूमत के खिलाफ भड़काया और यहोवा पर झूठ बोलने का इलज़ाम लगाकर उसका नाम बदनाम किया। (उत्पत्ति 3:1-5 पढ़िए।) और यह गुस्ताख, शैतान (विरोधी), इबलीस (निंदा करनेवाला), साँप (धोखेबाज़), अजगर (निगलनेवाला) परमेश्वर का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया।—प्रका. 12:9.
8 अब शैतान विरोधी शासक के तौर पर यहोवा के सामने खड़ा हो गया। यहोवा इस चुनौती का सामना कैसे करता? क्या वह एक ही झटके में तीनों बागियों, आदम, हव्वा और शैतान का नाश कर देता? यकीनन उसमें ऐसा करने की ताकत थी और ऐसा करके यह साबित हो जाता कि विश्व में सबसे ताकतवर कौन है। इससे यहोवा की वह बात भी सच हो जाती कि आज्ञा तोड़नेवाले को सज़ा-ए-मौत मिलेगी। तो फिर परमेश्वर ने ऐसा कदम क्यों नहीं उठाया?
9. शैतान ने कौन-से सवाल खड़े किए?
9 शैतान ने झूठ बोलकर, साथ ही आदम और हव्वा को परमेश्वर के खिलाफ भड़काकर दरअसल दो सवाल खड़े किए। एक, क्या यहोवा के पास इंसानों से अपनी आज्ञाएँ मनवाने का हक है? दूसरा, क्या सारे बुद्धिमान प्राणी यहोवा के प्रति अपनी वफादारी बनाए रखेंगे? यहोवा की हुकूमत का साथ देनेवाले अय्यूब के मामले पर जब हम गौर करते हैं, तब हमें पता चलता है कि शैतान ने असल में दावा किया था कि वह सारे इंसानों को परमेश्वर के खिलाफ कर देगा।—अय्यू. 2:1-5.
10. यहोवा ने अपने हक को सही साबित करने में देर लगाकर क्या मौका दिया है?
10 यहोवा ने अपने हक को सही साबित करने में वक्त लगाकर शैतान को अपना दावा साबित करने का मौका दिया है। उसने इंसानों को भी मौका दिया है कि वे उसकी हुकूमत के प्रति वफादारी दिखाएँ। इस दौरान क्या हुआ? शैतान ने अपना बड़ा आपराधिक संगठन बना लिया है। लेकिन अंत में यहोवा उसका और उसके संगठन दोनों का नाश करके हुकूमत करने के अपने हक का ज़बरदस्त सबूत देगा। यहोवा को अपनी इस जीत का इतना यकीन है कि उसने अदन के बाग में बगावत के दौरान ही इसका ऐलान कर दिया था।—उत्प. 3:15.
11. यहोवा की हुकूमत के मामले में कई इंसानों ने क्या किया है?
11 इस दौरान कई इंसानों ने यहोवा की हुकूमत को बुलंद किया और उसके नाम को पवित्र किया है। कैसे? अपना विश्वास ज़ाहिर करके और अपनी खराई बनाए रखकर। उन इंसानों में शामिल हैं, हाबिल, हनोक, नूह, अब्राहम, सारा, मूसा, रूत, दाविद, यीशु, पहली सदी के यीशु के चेले, साथ ही आज खराई बनाए रखनेवाले उसके लाखों चेले। जो परमेश्वर की हुकूमत का साथ देते हैं, वे शैतान को झूठा साबित करते हैं और यहोवा के नाम पर लगाए कलंक को मिटाने में हिस्सा लेते हैं।—नीति. 27:11.
नाटक का अंजाम तय है
12. हम कैसे यकीन रख सकते हैं कि परमेश्वर दुष्टता को हमेशा-हमेशा तक बरदाश्त नहीं करेगा?
12 हम इस बात का यकीन रख सकते हैं कि यहोवा जल्द ही हुकूमत करने के अपने हक को सही साबित करेगा। वह हमेशा के लिए दुष्टता नहीं सहेगा और हम यह भी जानते हैं कि हम अंत के दिनों में जी रहे हैं। जलप्रलय के दौरान भी यहोवा ने दुष्टों का नाश किया था। उसने सदोम और अमोरा का, साथ ही फिरौन और उसकी सेना का भी खात्मा किया था। उसने सीसरा और उसकी सेना को, साथ ही अश्शूरी राजा सन्हेरीब और उसकी सेना को भी धूल चटायी थी। (उत्प. 7:1, 23; 19:24, 25; निर्ग. 14:30, 31; न्यायि. 4:15, 16; 2 राजा 19:35, 36) तो हम पूरा इत्मीनान रख सकते हैं कि यहोवा परमेश्वर अपने नाम की बदनामी और उसके साक्षियों के साथ बदसलूकी को बहुत दिनों तक बरदाश्त नहीं करेगा। इसके अलावा, आज हम यीशु की मौजूदगी और इस दुष्ट दुनिया की व्यवस्था के अंत की निशानियों को अपनी आँखों से देख रहे हैं।—मत्ती 24:3.
13. परमेश्वर के दुश्मनों के साथ नाश न होने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
13 अगर हम परमेश्वर के दुश्मनों के साथ मिटना नहीं चाहते, तो हमें इस बात का सबूत देना होगा कि हम यहोवा की हुकूमत का साथ दे रहे हैं। हम यह कैसे कर सकते हैं? शैतान के संगठन से कोई नाता न रखकर और उसके कारिंदों की धमकियों से न डरकर। (यशा. 52:11; यूह. 17:16; प्रेषि. 5:29) ऐसा करके हम स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता की हुकूमत बुलंद करेंगे और जब यहोवा अपने नाम से कलंक मिटाएगा और यह साबित करेगा कि वही परमप्रधान है तो उस समय हम बचने की उम्मीद कर सकेंगे।
14. बाइबल के अलग-अलग भागों में किन बातों का खुलासा किया गया है?
14 इंसान और यहोवा के मामले में जो मसला उठा, उसके बारे में पूरी बाइबल में खुलकर बताया गया है। बाइबल के पहले तीन अध्यायों में सृष्टि का ब्यौरा दिया गया है और यह बताया गया है कि इंसान कैसे पाप में पड़ गया। उसके आखिरी तीन अध्याय बताते हैं कि इंसान कैसे बहाल किया जाएगा। बाइबल के बीच के अध्यायों से इस बात की जानकारी मिलती है कि परमप्रधान यहोवा ने इंसान, धरती और इस विश्व के मामले में अपना मकसद पूरा करने के लिए क्या कदम उठाए हैं। उत्पत्ति की किताब बताती है कि शैतान और बुराई की शुरुआत कैसे हुई। और प्रकाशितवाक्य की किताब में बताया गया है कि बुराई और शैतान, दोनों को मिटा दिया जाएगा और परमेश्वर की इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे ही धरती पर होगी। तो इसमें शक नहीं, बाइबल खुलासा करती है कि पाप और मौत दुनिया में कैसे आए और कैसे इनका नामोनिशान मिटाया जाएगा और फिर कैसे खराई बनाए रखनेवाले इंसानों को बेइंतहा खुशी और हमेशा-हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी।
15. हुकूमत के बारे में चला आ रहा यह नाटक जब खत्म होगा तब निजी तौर पर फायदा पाने के लिए हमें क्या करना होगा?
15 जल्द ही दुनिया का दृश्य बदल जाएगा। जी हाँ, परदा गिरेगा और हुकूमत के बारे में सदियों से चला आ रहा यह नाटक खत्म हो जाएगा। शैतान को मंच पर से हटाकर उसका नामोनिशान मिटा दिया जाएगा। परमेश्वर की इच्छा हर कहीं पूरी होगी। लेकिन अगर हम इससे फायदा और परमेश्वर के वचन में दर्ज़ उन अनगिनत आशीषों को पाना चाहते हैं तो अभी यह वक्त है कि हम यहोवा के हुकूमत करने के हक में खड़े हों। हम दो नावों में पैर रखकर नदी पार नहीं कर सकते। “यहोवा मेरी ओर है,” यह कहने के लिए हमें उसकी ओर होना होगा।—भज. 118:6, 7.
हम खराई बनाए रख सकते हैं!
16. हम क्यों यकीन के साथ कह सकते हैं कि इंसानों के लिए खराई बनाए रखना मुमकिन है?
16 यहोवा की हुकूमत का साथ देना और उसके प्रति खराई बनाए रखना बेशक मुमकिन है, क्योंकि प्रेषित पौलुस ने कहा: “तुम ऐसी किसी अनोखी परीक्षा से नहीं गुज़रे, जिससे दूसरे इंसान कभी न गुज़रे हों। मगर परमेश्वर विश्वासयोग्य है और वह तुम्हें ऐसी किसी भी परीक्षा में नहीं पड़ने देगा जो तुम्हारी बरदाश्त के बाहर हो, मगर परीक्षा के साथ-साथ वह उससे निकलने का रास्ता भी निकालेगा ताकि तुम इसे सहन कर सको।” (1 कुरिं. 10:13) पौलुस यहाँ जिस परीक्षा की बात कर रहा है, वह किसकी वजह से आयी और परमेश्वर हमें उससे निकलने का रास्ता कैसे दिखाएगा?
17-19. (क) वीराने में इसराएली किन परीक्षाओं में पड़े? (ख) हम इंसानों के लिए यहोवा को खराई दिखाना क्यों मुमकिन है?
17 वीराने में भटकते समय इसराएलियों के साथ जो हुआ, उससे पता चलता है कि हमारे हालात ही हम पर “परीक्षा” लाते हैं और हमें परमेश्वर के नियम तोड़ने के कगार पर खड़ा कर देते हैं। (1 कुरिंथियों 10:6-10 पढ़िए।) जब यहोवा ने चमत्कार करके इसराएलियों के खाने के लिए एक महीने तक बटेरों का इंतज़ाम किया, तब वे चाहते तो परीक्षा का विरोध कर सकते थे, मगर उन्होंने “बुरी बातों” की लालसा की। यह सच है कि उन्हें कुछ समय के लिए माँस खाने को नहीं मिला था, मगर यहोवा ने उनके लिए भरपूर मन्ना का इंतज़ाम किया था। फिर भी वे लालचियों की तरह बटेरों पर टूट पड़े और खुद पर परीक्षा ले आए।—गिन. 11:19, 20, 31-35.
18 इससे पहले, जब मूसा सीनै पहाड़ पर यहोवा से व्यवस्था लेने गया था, तब इसराएली बछड़े की पूजा और शारीरिक इच्छा पूरी करने में लगकर मूर्तिपूजक बन गए। अपने अगुवे की गैर-मौजूदगी में उनके इस स्वार्थी रवैये को टोकनेवाला कोई नहीं था। (निर्ग. 32:1, 6) वादा किए हुए देश में जाने से ठीक पहले, हज़ारों इसराएली मोआबी स्त्रियों के जाल में फँस गए और उनके साथ उन्होंने लैंगिक संबंध बनाए। उस समय इस पाप की वजह से हज़ारों इसराएलियों की मौत हो गयी। (गिन. 25:1, 9) कभी-कभी इसराएली शिकायत करने की परीक्षा में पड़ जाते थे। एक दफा उन्होंने मूसा और खुद परमेश्वर के खिलाफ शिकायत की। (गिन. 21:5) जब दुष्ट कोरह, दातान, अबीराम और उनके साथियों का विनाश किया गया, तब इसराएली बहस करके कहने लगे कि उनका नाश करके नाइंसाफी की गयी है। इसका नतीजा यह हुआ कि परमेश्वर ने 14,700 इसराएलियों को मौत के घाट उतार दिया।—गिन. 16:41, 49.
19 इसराएलियों के सामने जितनी भी परीक्षाएँ आयीं, वे उन सबका सामना कर सकते थे। मगर उनका यहोवा पर से विश्वास उठ गया था, इसलिए वे परीक्षा में पड़ गए। वे यह भूल गए कि यहोवा ने कैसे उनकी परवाह की और कैसे उन्हें सच्चाई के रास्ते पर ले गया। इसराएलियों की तरह अकसर हम भी उन्हीं परीक्षाओं का सामना करते हैं, हम पर कुछ अनोखी परीक्षाएँ नहीं आतीं। अगर हम अपनी पूरी कोशिश करके उनका विरोध करें और परमेश्वर पर भरोसा रखें तो वह हमें सँभाल लेगा और हम अपनी खराई बनाए रख सकेंगे। हम यह भरोसा रख सकते हैं क्योंकि “परमेश्वर विश्वासयोग्य है” और वह हमें ऐसी किसी भी परीक्षा में नहीं पड़ने देगा जो हमारे “बरदाश्त के बाहर हो।” यहोवा कभी हमें ऐसे हालात में लाकर नहीं छोड़ेगा, जहाँ हमारे लिए उसकी इच्छा पूरी करना नामुमकिन हो जाए।—भज. 94:14.
20, 21. जब हम पर परीक्षा आती है तो यहोवा कैसे हमारे लिए ‘रास्ता निकालता’ है?
20 यहोवा परीक्षाओं का विरोध करने की ताकत देकर हमारे लिए ‘रास्ता निकालता’ है। मसलन, हमारे सतानेवाले हमें अपने विश्वास से मुकरने के लिए शायद हमें मारें-पीटें। ऐसे हालात में समझौता करने का खयाल हमारे दिल में आ सकता है ताकि हम यातनाओं और मौत से बच सकें। लेकिन 1 कुरिंथियों 10:13 में परमेश्वर की प्रेरणा से लिखे पौलुस के शब्द हमें भरोसा दिलाते हैं कि परीक्षाएँ सिर्फ कुछ समय के लिए होती हैं। यहोवा कभी भी परीक्षाओं को इस हद तक बढ़ने की इजाज़त नहीं देगा कि हम अपनी खराई तोड़ दें। परमेश्वर हमारे विश्वास को मज़बूत कर सकता है और खराई बनाए रखने के लिए हमें आध्यात्मिक ताकत दे सकता है।
21 यहोवा हमें अपनी पवित्र शक्ति के ज़रिए ताकत देता है। परीक्षा के दौर में यही शक्ति हमें बाइबल की आयतें याद दिला सकती है। (यूह. 14:26) और नतीजा यह होगा कि हम गलत राह पर चलने के बहकावे में नहीं आएँगे। उदाहरण के लिए, हम जानते हैं कि यहोवा की हुकूमत और इंसान की खराई के मामले में क्या मुद्दे खड़े हुए थे। इस जानकारी की वजह से बहुत-से लोगों को मौत तक वफादार बने रहने की ताकत मिली है। लेकिन मौत ने उन्हें परीक्षाओं से छुटकारा नहीं दिलाया, बल्कि यहोवा की मदद से वे आखिरी दम तक तकलीफ सह सके और परीक्षा में नहीं पड़े। यहोवा इसी तरह हमारी भी मदद कर सकता है। असल में वह अपने वफादार स्वर्गदूतों को जनसेवक के तौर पर हमारी ‘सेवा के लिए भेजता है ताकि हम उद्धार पाएँ।’ (इब्रा. 1:14) जैसा कि अगला लेख बताएगा कि सिर्फ खराई रखनेवालों को ही हमेशा-हमेशा तक यहोवा की हुकूमत का साथ देने का सुनहरा मौका मिलेगा। अगर हम यहोवा को अपना परमप्रधान मानकर उससे लिपटे रहेंगे तो हम भी उनमें से एक होंगे।
आप कैसे जवाब देंगे?
• हमें क्यों यहोवा को अपना परमप्रधान मानने की ज़रूरत है?
• यहोवा के प्रति अपनी खराई बनाए रखने का मतलब क्या है?
• हम कैसे जानते हैं कि यहोवा जल्द ही अपनी हुकूमत करने का हक साबित करेगा?
• पहले कुरिंथियों 10:13 को ध्यान में रखते हुए हम कैसे कह सकते हैं कि खराई बनाए रखना मुमकिन है?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 24 पर तसवीर]
शैतान ने आदम और हव्वा को यहोवा की आज्ञा तोड़ने के लिए भड़काया
[पेज 26 पर तसवीर]
यहोवा की हुकूमत का साथ देने की ठान लीजिए