क्या आप दुराचार से नफरत करते हैं?
क्या आप दुराचार से नफरत करते हैं?
“तू [यीशु] ने . . . दुराचार से नफरत की।”—इब्रा. 1:9.
1. यीशु ने प्यार के बारे में क्या सिखाया?
प्यार की अहमियत पर ज़ोर देते हुए यीशु ने अपने चेलों से कहा: “मैं तुम्हें एक नयी आज्ञा देता हूँ कि तुम एक-दूसरे से प्यार करो। ठीक जैसे मैंने तुमसे प्यार किया है, वैसे ही तुम भी एक-दूसरे से प्यार करो। अगर तुम्हारे बीच प्यार होगा, तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो।” (यूह. 13:34, 35) यीशु ने अपने चेलों को एक-दूसरे के लिए निस्वार्थ प्रेम दिखाने की आज्ञा दी। यही प्यार उनकी पहचान होता। यीशु ने उन्हें यह भी सलाह दी: “अपने दुश्मनों से प्यार करते रहो और जो तुम पर ज़ुल्म कर रहे हैं, उनके लिए प्रार्थना करते रहो।”—मत्ती 5:44.
2. यीशु के चेलों को किससे नफरत करना सीखना चाहिए?
2 यीशु ने अपने चेलों को न सिर्फ प्यार करने के बारे में सिखाया बल्कि यह भी कि उन्हें किस चीज़ से नफरत करनी है। यीशु के बारे में यह कहा गया है कि “तू ने सच्चाई से प्यार किया और दुराचार [दुष्टता] से नफरत की।” (इब्रा. 1:9; भज. 45:7) इससे पता चलता है कि हमें सिर्फ धर्म से प्रीति ही नहीं, बल्कि दुराचार यानी पाप से नफरत भी करनी चाहिए। प्रेषित यूहन्ना ने कहा: “हर कोई जो पाप करता रहता है, वह कानून को तोड़ता रहता है, इसलिए पाप का मतलब कानून के खिलाफ जाना है।”—1 यूह. 3:4.
3. बुराई से नफरत करने के बारे में यह लेख किन पहलुओं पर चर्चा करेगा?
3 एक मसीही होने के नाते हमारा खुद से यह पूछना अच्छा होगा कि ‘क्या मैं दुराचार से नफरत करता हूँ?’ आइए चर्चा करें कि हम आगे बतायी बुरी बातों के लिए कैसे नफरत दिखा सकते हैं, जैसे (1) शराब के गलत इस्तेमाल, (2) जादू-टोने, (3) अनैतिकता और (4) बुराई से प्यार करनेवालों के लिए।
शराब के गुलाम मत बनिए
4. पीकर धुत्त होने के खिलाफ यीशु क्यों बेझिझक चेतावनी दे सका?
4 यीशु जानता था कि दाखरस परमेश्वर की तरफ से तोहफा है और उसने कुछ मौकों पर दाखरस पिया भी। (भज. 104:14, 15) मगर वह कभी पीकर धुत्त नहीं हुआ और इस तरह उसने कभी इस तोहफे का गलत इस्तेमाल नहीं किया। (नीति. 23:29-33) तभी तो यीशु बेझिझक लोगों को सलाह दे सका कि हद-से-ज़्यादा शराब पीना गलत है। (लूका 21:34, 35 पढ़िए।) हद-से-ज़्यादा शराब पीकर हम दूसरे पापों में भी फँस सकते हैं। इसलिए प्रेषित पौलुस ने लिखा: “दाख-मदिरा पीकर धुत्त न हो, जो बदचलनी की तरफ ले जाता है, मगर पवित्र शक्ति से भरपूर होते जाओ।” (इफि. 5:18) उसने मंडली की बुज़ुर्ग स्त्रियों को भी सलाह दी कि वे “ज़्यादा दाख-मदिरा पीने की आदी न हों।”—तीतु. 2:3.
5. जो लोग शराब पीने का चुनाव करते हैं, उन्हें खुद से क्या सवाल पूछने चाहिए?
5 अगर आप शराब पीने का चुनाव करते हैं तो अच्छा होगा कि खुद से ये सवाल पूछें: ‘नशे में धुत्त होने के बारे में क्या मेरा नज़रिया यीशु के जैसा ही है? क्या मैं इस मामले में दूसरों को खुले मन से सलाह दे सकता हूँ? क्या मैं अपनी चिंताओं से निजात पाने के लिए पीता हूँ? हर हफ्ते में कितनी शराब पीता हूँ? अगर कोई मुझे इस बात का एहसास दिलाता है कि मैं बहुत ज़्यादा पी रहा हूँ, तो मैं कैसा रवैया दिखाता हूँ? क्या मैं अपनी सफाई देने लगता हूँ, यहाँ तक कि गुस्से से भड़क उठता हूँ?’ अगर हम बहुत ज़्यादा शराब पीते हैं, तो हम ठीक तरह सोच नहीं पाते और ना ही सही फैसले ले पाते हैं। मसीह के चेले होने के नाते हमें अपनी सोचने की काबिलीयत की हिफाज़त करनी चाहिए।—नीति. 3:21, 22.
जादू-टोने के कामों से दूर रहिए
6, 7. (क) यीशु ने शैतान और उसके दूतों का सामने कैसे किया? (ख) आज जादू-टोना पूरी दुनिया में क्यों फैला हुआ है?
6 यीशु जब धरती पर था तब उसने शैतान और उसके दूतों का हिम्मत के साथ विरोध किया। उसने शैतान के प्रलोभनों को ठुकरा दिया, जो सीधे उसकी वफादारी पर हमला था। (लूका 4:1-13) शैतान ने बड़ी चालाकी से उसकी सोच और उसके काम बिगाड़ने की कोशिश की, मगर यीशु ने शैतानी चालों को पहचान लिया और उनका विरोध किया। (मत्ती 16:21-23) जब दुष्ट स्वर्गदूतों ने कुछ लोगों को अपने कब्ज़े में किया, तब यीशु ने उन्हें भी छुटकारा दिलाया।—मर. 5:2, 8, 12-15; 9:20, 25-27.
7 सन् 1914 में यीशु के राजा बनाए जाने के बाद, शैतान और उसके दूतों को धरती पर खदेड़ दिया गया और स्वर्ग में राहत मिली। लेकिन नतीजा यह हुआ कि शैतान ने “सारे जगत को गुमराह” करने का अपना इरादा और भी पक्का कर लिया। (प्रका. 12:9, 10) इसलिए जब हम देखते हैं कि आज दुनिया भर में लोगों की दिलचस्पी जादू-टोने में बढ़ती जा रही है, तब हमें ताज्जुब नहीं करना चाहिए। हम इनके बुरे असर से खुद को बचाने के लिए क्या कर सकते हैं?
8. मनोरंजन के चुनाव के बारे में हमें खुद से क्या सवाल पूछने चाहिए?
8 भूत-विद्या से जुड़े खतरों के बारे में बाइबल हमें साफ-साफ चेतावनी देती है। (व्यवस्थाविवरण 18:10-12 पढ़िए।) आज, शैतान और उसके दूत, इंसानों की सोच को जादू-टोने के कामों से भ्रष्ट कर रहे हैं, जो हमें फिल्मों, किताबों और कुछ वीडियो गेम्स में आमतौर पर देखने को मिलते हैं। इसलिए मनोरंजन का चुनाव करते वक्त हममें से हरेक को खुद से पूछना चाहिए: ‘पिछले कुछ महीनों में क्या मैंने ऐसी फिल्में और टीवी कार्यक्रम देखे हैं, या ऐसी किताबें और कॉमिक्स पढ़ी हैं या ऐसे वीडियो गेम्स खेले हैं जिनमें जादू-टोने के काम होते हैं? क्या मैं जादू-टोने के बुरे असर को एक खतरा समझता हूँ या फिर उन्हें कम आँकता हूँ? क्या मैंने कभी यह सोचा कि मेरे मनोरंजन के चुनाव से यहोवा को कैसा महसूस होगा? अगर मैंने इनके ज़रिए शैतान को अपनी ज़िंदगी में आने दिया है तो क्या यहोवा और उसके धर्मी सिद्धांतों के लिए मेरा प्यार मुझे उभारेगा कि मैं फौरन शैतानी विचारों को ठुकराकर उसे अपनी ज़िंदगी से बेदखल कर दूँ?’—प्रेषि. 19:19, 20.
अनैतिकता के बारे में यीशु की चेतावनी पर ध्यान दीजिए
9. एक इंसान कैसे बुराई के लिए प्यार पाल सकता है ?
9 लैंगिक अनैतिकता के बारे में यीशु यहोवा के स्तरों को थामे रहा। उसने कहा: “क्या तुमने नहीं पढ़ा कि जिसने उनकी सृष्टि की थी, उसने शुरूआत से ही उन्हें नर और नारी बनाया था और कहा था, ‘इस वजह से पुरुष अपने पिता और अपनी माँ को छोड़ देगा और अपनी पत्नी से जुड़ा रहेगा, और वे दोनों एक तन होंगे’? तो वे अब दो नहीं रहे बल्कि एक तन हैं। इसलिए जिसे परमेश्वर ने एक बंधन में बाँधा है, उसे कोई इंसान अलग न करे।” (मत्ती 19:4-6) यीशु जानता था कि जो हम देखते हैं, उसका असर हमारे दिल पर होता है। इसलिए अपने पहाड़ी उपदेश में उसने कहा: “तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, ‘तू शादी के बाहर यौन-संबंध न रखना।’ मगर मैं तुमसे कहता हूँ कि हर वह आदमी जो किसी स्त्री को ऐसी नज़र से देखता रहता है जिससे उसके मन में स्त्री के लिए वासना पैदा हो, वह अपने दिल में उस स्त्री के साथ व्यभिचार कर चुका।” (मत्ती 5:27, 28) जो लोग यीशु की चेतावनी को नज़रअंदाज़ करते हैं, वे दरअसल बुराई के लिए प्यार पाल रहे होते हैं।
10. एक अनुभव बताइए जो दिखाता है कि एक इंसान अश्लील तसवीरें देखने की लत से छुटकारा पा सकता है।
10 अश्लील तसवीरों के ज़रिए शैतान लैंगिक अनैतिकता का प्रचार-प्रसार करता है। आज दुनिया इससे भरी पड़ी है। जो ऐसी गंदी तसवीरें देखते हैं, वे आसानी से उन्हें भुला नहीं पाते। यहाँ तक कि उन्हें इन तसवीरों को देखने की लत पड़ जाती है। गौर कीजिए कि एक मसीही के साथ क्या हुआ। वह कहता है: “मैं छिप-छिपकर गंदी तसवीरें देखता था। मैंने अपने मन में कल्पना की एक दुनिया बना ली थी, जिसका मेरी इस दुनिया से कोई वास्ता न था जहाँ मैं यहोवा की सेवा करता था। मैं जानता था कि मैं जो कर रहा हूँ वह गलत है, मगर फिर भी मैं सोचता था कि परमेश्वर मेरी सेवा कबूल करता है।” इस भाई की सोच कैसे बदली? वह कहता है: “हालाँकि इस लत से छुटकारा पाना मेरे लिए बेहद मुश्किल था, फिर भी मैंने फैसला किया कि मैं अपनी समस्या के बारे में प्राचीनों से बात करूँगा।” आगे चलकर भाई ने अपनी गंदी आदत से छुटकारा पा लिया। वह कबूल करता है, “जब मैंने अपनी जिंदगी को इस पाप से शुद्ध कर लिया तब जाकर मैंने महसूस किया कि मेरे पास वाकई एक साफ ज़मीर है।” जो लोग दुराचार से नफरत करते हैं, उन्हें अश्लील तसवीरों से भी नफरत करना सीखना होगा।
11, 12. जब संगीत के चुनाव की बात आती है, तो हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम दुराचार से नफरत करते हैं?
11 संगीत और उसके बोल भी हमारी भावनाओं या हमारे दिल पर बड़ा ज़बरदस्त असर करते हैं। संगीत परमेश्वर की तरफ से तोहफा है और यहोवा की उपासना में हमेशा से इसकी अहमियत रही है। (निर्ग. 15:20, 21; इफि. 5:19) लेकिन शैतान की दुनिया जिस तरह के संगीत को बढ़ावा देती है, उससे अनैतिकता की महिमा होती है। (1 यूह. 5:19) आप कैसे जान सकते हैं कि जो संगीत आप सुन रहे हैं वह आपको भ्रष्ट कर रहा है या नहीं?
12 आप खुद से ये सवाल पूछ सकते हैं: ‘जो गाने मैं सुनता हूँ क्या उनमें हत्या, व्यभिचार, शादी से पहले लैंगिक संबंध और परमेश्वर की निंदा को बढ़ावा दिया जाता है? अगर मुझे गाने के बोल किसी को पढ़कर सुनाने पड़ें तो वह मेरे बारे में क्या सोचेगा, क्या यह कि मैं बुराई से नफरत करता हूँ या यह कि मेरा दिल भ्रष्ट हो चुका है?’ अगर हम गानों में बुराई की महिमा करेंगे तो हम उससे नफरत कैसे कर सकेंगे? यीशु ने कहा: “मुँह से जो बाहर निकलता है वह दिल से निकलता है, और ये चीज़ें एक इंसान को दूषित करती हैं। मिसाल के लिए, दुष्ट विचार, हत्याएँ, शादी के बाहर यौन-संबंध, व्यभिचार, चोरियाँ, झूठी गवाही और निंदा की बातें, ये दिल से ही निकलती हैं।”—मत्ती 15:18, 19; याकूब 3:10, 11 से तुलना कीजिए।
बुराई से प्यार करनेवालों के प्रति यीशु का नज़रिया अपनाइए
13. यीशु का उन पापियों के बारे में क्या नज़रिया था, जिनका दिल कठोर हो चुका था?
13 यीशु ने कहा कि वह पापियों या दुराचारियों के लिए आया है ताकि वे अपने बुरे मार्ग से फिरें। (लूका 5:30-32) लेकिन यीशु उन पापियों को किस नज़र से देखता था, जिनका दिल कठोर हो चुका था? ऐसे लोगों का असर हम पर न हो, इसके लिए उसने बड़ी ज़बरदस्त चेतावनी दी। (मत्ती 23:15, 23-26) उसने यह भी साफ-साफ कहा: “जो मुझे ‘हे प्रभु, हे प्रभु’ कहते हैं, उनमें से हर कोई स्वर्ग के राज में दाखिल नहीं होगा, मगर जो मेरे स्वर्गीय पिता की मरज़ी पूरी कर रहा है, वही दाखिल होगा। उस दिन बहुत-से लोग मुझसे कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हमने तेरे नाम से भविष्यवाणी नहीं की और तेरे नाम से, लोगों में समाए दुष्ट स्वर्गदूतों को नहीं निकाला और तेरे नाम से बहुत-से शक्तिशाली काम नहीं किए?’ तब मैं उनसे साफ-साफ कह दूँगा: मैंने तुम्हें कभी नहीं जाना! अरे दुराचारियो, मेरे सामने से दूर हो जाओ।” (मत्ती 7:21-23) यीशु ने ऐसा कड़ा न्यायदंड क्यों सुनाया? क्योंकि ऐसे लोग परमेश्वर का अपमान करते हैं और अपने बुरे कामों से दूसरों को नुकसान पहुँचाते हैं।
14. एक ढीठ पापी को मंडली से क्यों बेदखल कर देना चाहिए?
14 परमेश्वर का वचन आज्ञा देता है कि जो पश्चाताप नहीं दिखाते, ऐसे पापियों को मंडली से निकाल देना चाहिए। (1 कुरिंथियों 5:9-13 पढ़िए।) यह तीन कारणों से करना ज़रूरी है ताकि (1) यहोवा का नाम कलंकित न हो, (2) मंडली दूषित न हो और (3) पापी को पश्चाताप करने में मदद मिले।
15. यहोवा के प्रति हमारी वफादारी हमें खुद से कौन-से गंभीर सवाल पूछने के लिए उभारेगी?
15 जिन लोगों ने पूरी तरह बुराई का रास्ता इख्तियार कर लिया है, क्या उनके प्रति हम यीशु के जैसा नज़रिया रखते हैं? हमें इन सवालों पर गौर करने की ज़रूरत है: ‘क्या मैं नियमित तौर पर एक ऐसे इंसान के साथ संगति करूँगा, जिसे मंडली से बहिष्कृत किया गया है या जिसने मंडली के साथ संगति करना छोड़ दिया है? मैं तब क्या करूँगा, अगर वह मेरा करीबी रिश्तेदार हो और मेरे साथ नहीं रहता?’ बेशक, ऐसे समय पर धार्मिकता के लिए हमारे प्यार और परमेश्वर के लिए हमारी वफादारी की परीक्षा हो सकती है। *
16, 17. एक बहन ने किस मुश्किल का सामना किया और बहिष्कार के इंतज़ाम को मानने में उसे किस बात से मदद मिली?
16 एक बहन के अनुभव पर गौर कीजिए। पहले उसका बेटा यहोवा से प्यार करता था, लेकिन बाद में उसने दुष्टता का रास्ता अपना लिया। इसका नतीजा यह हुआ कि उसे मंडली से बहिष्कृत कर दिया गया। हमारी बहन यहोवा से प्यार करती थी, मगर वह अपने बेटे से भी बहुत प्यार करती थी। इसलिए बाइबल की यह सलाह लागू करना उसके लिए बहुत मुश्किल था कि बहिष्कृत इंसान के साथ कोई मेल-जोल न रखा जाए।
17 अगर आप वहाँ होते तो उस बहन को क्या सलाह देते? एक प्राचीन ने बहन को बताया कि यहोवा उसका दर्द बखूबी समझता है। भाई ने उससे यह भी कहा, सोचो जब यहोवा के कुछ आत्मिक बेटे बागी बन गए, तब उसने कैसा महसूस किया होगा। फिर उसने कहा कि यहोवा अच्छी तरह जानता है कि ऐसे हालात का सामना करना आसान नहीं, मगर फिर भी उसकी माँग है कि अगर एक पापी पश्चाताप नहीं दिखाता तो उसका बहिष्कार किया जाना ज़रूरी है। उस बहन ने भाई की बातों पर ध्यान दिया और बहिष्कार के इंतज़ाम के प्रति वफादारी दिखायी। * इस मामले में वफादारी दिखाने से यहोवा का दिल खुश होता है।—नीति. 27:11.
18, 19. (क) बुराई करनेवालों के साथ नाता तोड़ लेना किस बात से नफरत करने का सबूत होगा? (ख) अगर हम परमेश्वर और उसके इंतज़ाम के प्रति वफादार रहेंगे, तो उसका क्या नतीजा हो सकता है?
18 अगर आप ऐसे हालात का सामना करते हैं तो याद रखिए कि यहोवा आपका दर्द समझता है। अगर आप बहिष्कृत किए गए इंसान या जिसने खुद को मंडली से अलग कर लिया है, उससे पूरी तरह नाता तोड़ लेते हैं तो आप दिखाते हैं कि आप ऐसे रवैये और कामों से नफरत करते हैं, जिसकी वजह से उन्होंने ऐसा रास्ता इख्तियार किया है। इसके अलावा आप गलती करनेवाले के प्रति प्यार दिखा रहे होंगे, क्योंकि आपके ऐसा करने से उसे सही कदम उठाने में मदद मिलेगी। यहोवा के प्रति वफादार रहने से हो सकता है कि एक दिन पापी पश्चाताप करे और यहोवा के पास लौट आए।
19 एक बहन जिसे मंडली से बहिष्कृत कर दिया गया था, वापस आने पर कहती है: “मुझे खुशी है कि यहोवा अपने लोगों से इतना प्यार करता है कि चाहता है, उसका संगठन हमेशा शुद्ध रहे। शायद बाहरवालों को किसी का बेदखल किया जाना रूखा व्यवहार लगे, मगर ऐसा करना ज़रूरी है और यह वाकई प्यार भरा इंतज़ाम है।” क्या आपको लगता है, अगर उसकी मंडली के लोग और उसके परिवारवाले उससे हमेशा मिलते-जुलते रहते तो वह ऐसा कह पाती? अगर हम बाइबल में दिए बहिष्कार के इंतज़ाम को मानते हैं तो वह इस बात का सबूत होगा कि हम धार्मिकता से प्यार करते हैं और यह मानते हैं कि चाल-चलन के बारे में स्तर तय करने का हक यहोवा को ही है।
“बुराई से घृणा” कीजिए
20, 21. यह क्यों ज़रूरी है कि हम दुराचार से नफरत करना सीखें?
20 प्रेषित पतरस ने चिताया: “अपने होश-हवास बनाए रखो” क्योंकि “तुम्हारा दुश्मन शैतान, गरजते हुए शेर की तरह इस ताक में घूम रहा है कि किसे निगल जाए।” (1 पत. 5:8) क्या ऐसा हो सकता है कि आप उसके शिकार बन जाएँ? यह इस पर निर्भर करता है कि आप किस हद तक दुराचार से नफरत करना सीखते हैं।
21 बुराई से नफरत करना आसान नहीं है। हम पाप में पैदा होते हैं और ऐसे संसार में जीते हैं जो शरीर की ख्वाहिशों को पूरा करने का बढ़ावा देता है। (1 यूह. 2:15-17) यीशु के रास्ते पर चलकर और यहोवा परमेश्वर के लिए गहरा प्यार पैदा करके हम दुष्टता से नफरत करने में कामयाब हो पाएँगे। आइए “बुराई से घृणा” करने की ठान लें और पूरा भरोसा रखें कि यहोवा “अपने भक्तों . . . की रक्षा करता, और उन्हें दुष्टों के हाथ से बचाता है।”—भज. 97:10.
[फुटनोट]
^ इस विषय पर ज़्यादा जानकारी के लिए “खुद को परमेश्वर के प्यार के लायक बनाए रखो” के पेज 207-209 देखिए।
^ 1 फरवरी, 2001 की प्रहरीदुर्ग के पेज 28-29 भी देखिए।
आप कैसे जवाब देंगे?
• शराब के मामले में हम अपना रवैया कैसे जाँच सकते हैं?
• जादू-टोने के बारे में हम क्या एहतियात बरत सकते हैं?
• अश्लील तसवीरें देखना क्यों खतरनाक साबित हो सकता है?
• जब हमारा कोई अज़ीज़ बहिष्कृत होता है, तब हम बुराई के लिए नफरत कैसे दिखा सकते हैं?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 29 पर तसवीर]
अगर आप शराब पीने का चुनाव करते हैं, तो आपको किस बात का ध्यान रखना चाहिए?
[पेज 30 पर तसवीर]
मनोरंजन के मामले में शैतान के असर से खबरदार रहिए
[पेज 31 पर तसवीर]
अश्लील तसवीरें देखनेवाला इंसान किस चीज़ के लिए प्यार बढ़ाता है?