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सृष्टि में परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति का हाथ

सृष्टि में परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति का हाथ

सृष्टि में परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति का हाथ

“आकाशमण्डल यहोवा के वचन से, और उसके सारे गण उसके मुंह की श्‍वास [“पवित्र शक्‍ति,” NW] से बने।”—भज. 33:6.

1, 2. (क) समय के गुज़रते धरती और आकाश के बारे में इंसानों का ज्ञान कैसे बढ़ा है? (ख) किस सवाल का जवाब पाना ज़रूरी है?

 जब ऐल्बर्ट आइंस्टीन ने सन्‌ 1905 में सापेक्षता का अपना खास सिद्धांत प्रकाशित किया, तब उसका और बाकी वैज्ञानिकों का विश्‍वास था कि इस अंतरिक्ष में सिर्फ एक मंदाकिनी है, यानी हमारी आकाशगंगा। दरअसल तब उन्हें अंतरिक्ष की क्षमता का अंदाज़ा ही नहीं था! आज माना जाता है कि अंतरिक्ष में 100 अरब से भी ज़्यादा मंदाकिनियाँ हैं, जिनमें से कुछ में अरबों तारे हैं। जैसे-जैसे बेहतरीन टेलिस्कोप इस्तेमाल किए जा रहे हैं, वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में नयी-नयी मंदाकिनियाँ भी मिलती जा रही हैं।

2 जिस तरह सन्‌ 1905 में आकाश के बारे में वैज्ञानिकों का ज्ञान सीमित था, धरती के बारे में भी उन्हें ज़्यादा जानकारी नहीं थी। यह सच है कि आज से सौ साल पहले जो लोग जीए, उन्हें अपने पुरखाओं से ज़्यादा ज्ञान था। लेकिन जीवन की सुंदरता, इसकी जटिलता और इसे धरती पर कायम रखने की प्रक्रियाओं के बारे में आज लोगों के पास पहले से ज़्यादा जानकारी है। और इसमें शक नहीं कि हम धरती और आकाश के बारे में और भी सीखते जाएँगे। लेकिन इससे भी ज़रूरी सवाल यह है कि दुनिया में ये सारी चीज़ें आयीं कैसे? इसका जवाब जानना सिर्फ इसलिए मुमकिन है क्योंकि सृष्टिकर्ता ने पवित्र शास्त्र में इसका खुलासा किया है।

सृष्टि का करिश्‍मा

3, 4. परमेश्‍वर ने कैसे इस विश्‍व की सृष्टि की और उसकी हस्तकला कैसे उसका गुणगान करती है?

3 बाइबल के शुरूआती शब्द बताते हैं कि इस विश्‍व की रचना कैसे हुई: “आदि में परमेश्‍वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।” (उत्प. 1:1) सृष्टि बनाने के लिए जिन पदार्थों की ज़रूरत थी, वे शुरू में नहीं थे। यहोवा ने अपनी सबसे ताकतवर सक्रिय शक्‍ति, या पवित्र शक्‍ति से धरती, आकाश और इस विश्‍व की हर चीज़ बनायी। एक इंसानी कारीगर कुछ बनाने के लिए अपने हाथों और औज़ारों का इस्तेमाल करता है, लेकिन परमेश्‍वर ने अपनी पवित्र शक्‍ति भेजकर इस महान सृष्टि को अंजाम दिया।

4 बाइबल में पवित्र शक्‍ति को परमेश्‍वर की “उँगली” भी कहा गया है। (लूका 11:20, फुटनोट; मत्ती 12:28) और पवित्र शक्‍ति की मदद से परमेश्‍वर ने जिन चीज़ों की सृष्टि की, वे उसकी ‘हस्तकलाएँ’ हैं, जो उसका गुणगान करती हैं। भजनहार दाविद ने गाया: “आकाश ईश्‍वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकाशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है।” (भज. 19:1) वाकई यह विश्‍व इस बात का सबूत है कि परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति दुनिया की सबसे ताकतवर शक्‍ति है। (रोमि. 1:20) यह कैसे कहा जा सकता है?

परमेश्‍वर की असीमित ताकत

5. यहोवा की पवित्र शक्‍ति में सृजने की जो ताकत है, उसका एक उदाहरण दीजिए।

5 हमारी कल्पना से भी बड़ा यह विशाल अंतरिक्ष इस बात का सबूत है कि यहोवा के पास असीमित ताकत और उर्जा है। (यशायाह 40:26 पढ़िए।) आज का विज्ञान जानता है कि पदार्थ को ऊर्जा में और ऊर्जा को पदार्थ में बदला जा सकता है। इसका बेहतरीन उदाहरण हमारा तारा, सूरज है। यह पदार्थ को ऊर्जा में तबदील करता है। हर सेकेंड में यह करीब चालीस लाख टन पदार्थ को रौशनी, उष्मा और दूसरी तरह की ऊर्जा में बदलता है। और इसका एक छोटा-सा अंश ही, इस धरती पर जीवन कायम रखने के लिए काफी है। लाज़िमी है कि न सिर्फ सूरज, बल्कि दूसरे अनगिनत तारों को भी बनाने के लिए भारी मात्रा में शक्‍ति और ऊर्जा की ज़रूरत पड़ी होगी। और इन्हें बनाने के लिए यहोवा के पास उससे भी कहीं ज़्यादा उर्जा थी।

6, 7. (क) हम कैसे कह सकते हैं कि यहोवा ने पवित्र शक्‍ति का बड़े व्यवस्थित ढंग से इस्तेमाल किया है? (ख) क्या बात दिखाती है कि यह विश्‍व अपने आप नहीं आया?

6 यहोवा ने पवित्र शक्‍ति का बड़े व्यवस्थित ढंग से इस्तेमाल किया है, जिसके हमें ढेरों सबूत मिलते हैं। उदाहरण के लिए: मान लीजिए आपके पास एक डिब्बा है जिसमें अलग-अलग रंग की गेंदें हैं। आप डिब्बे को अच्छी तरह हिलाकर गेंदें ज़मीन पर गिरा देते हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सारी गेंदें अपने-अपने रंगों के हिसाब से इकट्ठी हो जाएँ, जैसे नीली गेंदें एक तरफ और पीली एक तरफ? नहीं, यह मुमकिन नहीं! जो काम सोच-समझकर नहीं किया जाता, वह भले ही कुछ हद तक व्यवस्थित हो, मगर पूरी तरह कभी नहीं हो सकता। यह प्रकृति का एक बुनियादी नियम है।

7 जब हम टेलिस्कोप से आकाश के तारों को निहारते हैं, तो हम क्या देखते हैं? हम देखते हैं कि मंदाकिनियों, तारों और ग्रहों में एक बहुत बड़ी और बेहतरीन व्यवस्था है। ये बिना एक-दूसरे से टकराए तय गति में घूमते रहते हैं। अंतरिक्ष में ऐसी व्यवस्था किसी विस्फोट से या बिना किसी योजना के अपने आप नहीं हो सकती। इसलिए हमें खुद से पूछना चाहिए कि ऐसी व्यवस्था की शुरूआत करने के लिए कौन-सी ताकत इस्तेमाल की गयी होगी? पर उस ताकत को विज्ञान की बिनाह पर या सिर्फ किसी प्रयोग के ज़रिए पहचानना हम इंसानों के बस में नहीं। बाइबल बताती है कि वह परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति है, जो इस विश्‍व की सबसे ताकतवर शक्‍ति है। भजनहार ने गीत में गाया: “आकाशमण्डल यहोवा के वचन से, और उसके सारे गण उसके मुंह की श्‍वास [या, “पवित्र शक्‍ति,” NW] से बने।” (भज. 33:6) और हम जो तारे देखते हैं, वे तो उन ‘गणों’ का बहुत छोटा हिस्सा हैं!

पवित्र शक्‍ति और यह धरती

8. हम यहोवा के काम के बारे में दरअसल कितना जानते हैं?

8 आज प्रकृति के बारे में हम ना के बराबर जानते हैं। परमेश्‍वर की हस्तकला के बारे में हमें और भी कितना सीखना है, उसका अंदाज़ा हम वफादार अय्यूब के इन शब्दों से लगा सकते हैं: “देखो, ये तो उसकी गति के किनारे ही हैं; और उसकी आहट फुसफुसाहट ही सी तो सुन पड़ती है।” (अय्यू. 26:14) इसके सदियों बाद परमेश्‍वर की सृष्टि को गौर से निहारनेवाले राजा सुलैमान ने कहा: “[परमेश्‍वर] ने सब कुछ ऐसा बनाया कि अपने अपने समय पर वे सुन्दर होते हैं; फिर उस ने मनुष्यों के मन में अनादि-अनन्त काल का ज्ञान उत्पन्‍न किया है, तौभी जो काम परमेश्‍वर ने किया है, वह आदि से अन्त तक मनुष्य बूझ नहीं सकता।”—सभो. 3:11; 8:17.

9, 10. धरती बनाते वक्‍त परमेश्‍वर ने किस शक्‍ति का इस्तेमाल किया, और शुरू के तीन दिनों में क्या-क्या बनाया गया?

9 लेकिन, फिर भी अपने कामों के बारे में यहोवा ने हमें ज़रूरी जानकारी दी है। उदाहरण के लिए बाइबल बताती है कि अनगिनत सालों पहले परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति इस धरती पर काम कर रही थी। (उत्पत्ति 1:2 पढ़िए।) लेकिन उस वक्‍त न तो सूखी ज़मीन थी, न रौशनी और न ही साँस लेने के लिए हवा।

10 बाइबल आगे बताती है कि सृष्टि के छः दिनों में परमेश्‍वर ने क्या-क्या बनाया। और इसका हर दिन 24 घंटे का नहीं, बल्कि एक लंबा समय था। पहले दिन यहोवा ने धरती पर रौशनी चमकायी। यह रौशनी तब और साफ नज़र आने लगी, जब सूरज और चाँद दिखायी दिए। (उत्प. 1:3, 14) दूसरे दिन वायुमंडल बनाया गया। (उत्प. 1:6) धरती पर अब पानी, रौशनी और हवा थी, मगर सूखी ज़मीन फिर भी नहीं थी। तीसरे दिन की शुरूआत में यहोवा ने धरती पर सूखी ज़मीन बनायी। इसके लिए उसने अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए धरती का पानी एक तरफ कर दिया, जिससे सूखी ज़मीन तैयार हो गयी। (उत्प. 1:9) सृष्टि के उस तीसरे दिन में और उसके बाद भी कई हैरतअँगेज़ चीज़ें बनायी गयीं।

पवित्र शक्‍ति और जीवित प्राणी

11. सुंदर, जटिल और सटीक तरीके से बने पेड़-पौधे और जीव-जंतु किस बात का सबूत देते हैं?

11 हम जीव-जंतुओं की सृष्टि में भी बेहतरीन व्यवस्था देखते हैं, जो परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति की ही कारीगरी है। सृष्टि के तीसरे और छठे दिन के बीच, परमेश्‍वर ने अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए हैरत में डाल देनेवाले तरह-तरह के पेड़-पौधे और जानवर बनाए। (उत्प. 1:11, 20-25) इस तरह हमें जीवित प्राणियों में इस बात के अनगिनत उदाहरण देखने को मिलते हैं कि वे बहुत ही सुंदर, जटिल और सटीक तरीके से बनाए गए हैं और वाकई अव्वल दर्ज़े की कारीगरी हैं।

12. (क) डी.एन.ए. क्या काम करता है? (ख) डी.एन.ए. जिस तरह अब तक कामयाबी से काम करता आया है, उससे हम क्या सीखते हैं?

12 डी.एन.ए. (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लीक अम्ल) पर गौर कीजिए। यह रासायनिक प्रक्रियाओं के ज़रिए माँ-बाप की खासियतें एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाता है। धरती के सभी पेड़-पौधे और प्राणी, मसलन सूक्ष्म जीव, घास, हाथी, नीली व्हेल और इंसान डी.एन.ए. की बदौलत उत्पन्‍न होते हैं। हर जीव एक-दूसरे से अलग है, लेकिन डी.एन.ए. में दिए सांकेतिक निर्देश स्थायी होने की वजह से इन्हें इनकी खासियतें अपने पूर्वजों से मिलती हैं। और इसलिए सदियों से तरह-तरह की जातियों के बीच एक बुनियादी फर्क बना हुआ है। परमेश्‍वर के मकसद के मुताबिक डी.एन.ए. की मदद से धरती के तरह-तरह के सूक्ष्म जीव, जीवन की जटिल प्रक्रिया को कायम रखने के लिए काम करते रहते हैं। (भज. 139:16) यह व्यवस्था इस बात का एक और सबूत देती है कि सृष्टि परमेश्‍वर की “उँगली” यानी पवित्र शक्‍ति का नतीजा है। *

धरती की बेहतरीन सृष्टि

13. परमेश्‍वर ने इंसान की सृष्टि कैसे की?

13 अनगिनत साल गुज़र गए और परमेश्‍वर ने ढेरों सजीव और निर्जीव चीज़ें बनायीं। अब धरती “बेडौल और सुनसान” नहीं रही। लेकिन फिर भी यहोवा ने पवित्र शक्‍ति का इस्तेमाल करना बंद नहीं किया। अब वह धरती पर एक बहुत ही उम्दा सृष्टि करनेवाला था। छठे दिन के आखिर में परमेश्‍वर ने इंसान की सृष्टि की। यहोवा ने यह कैसे किया? उसने ऐसा अपनी पवित्र शक्‍ति और धरती के तत्वों का इस्तेमाल करके किया।—उत्प. 2:7.

14. किस खास मायने में इंसान, जानवरों से अलग है?

14 उत्पत्ति 1:27 बताता है: “परमेश्‍वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्‍न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्‍वर ने उसको उत्पन्‍न किया, नर और नारी करके उस ने मनुष्यों की सृष्टि की।” परमेश्‍वर के स्वरूप में उत्पन्‍न किए जाने का मतलब है कि हम इंसानों को इस तरह सृजा गया कि हममें प्यार करने, अपनी मरज़ी से चुनाव करने और अपने सृष्टिकर्ता के साथ एक नज़दीकी रिश्‍ता बनाने की काबिलीयत है। इसलिए हमारी बुद्धि जानवरों से कहीं बढ़कर है। यहोवा ने खासकर इंसान को ऐसा दिमाग दिया है ताकि वह खुशी-खुशी परमेश्‍वर और उसके कामों के बारे में सीखता रहे।

15. आदम और हव्वा के सामने क्या शानदार भविष्य था?

15 मानवजाति की शुरूआत में परमेश्‍वर ने आदम और उसकी पत्नी हव्वा को यह धरती और उस पर की हैरतअंगेज़ चीज़ें दीं ताकि वे उनका मुआयना कर सकें और उनका लुत्फ उठा सकें। (उत्प. 1:28) यहोवा ने उन्हें खाने की ढेर सारी चीज़ें दीं और रहने के लिए सुंदर बाग। उनके सामने हमेशा तक जीने और अरबों सिद्ध बच्चों के प्यारे माता-पिता बनने का सुनहरा मौका था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

पवित्र शक्‍ति की भूमिका को पहचानना

16. हमारे पहले माता-पिता के बगावत करने के बावजूद हमारे लिए क्या आशा है?

16 आदम-हव्वा ने आज्ञा मानने के बजाय अपने सृष्टिकर्ता से बगावत की। एहसान मानने के बजाय उन्होंने स्वार्थ दिखाया और उसका खामियाज़ा आज उनकी असिद्ध संतानों को भुगतना पड़ रहा है। लेकिन बाइबल बताती है कि हमारे पहले माता-पिता के पाप करने की वजह से जो नुकसान हुआ, परमेश्‍वर उसकी भरपायी करेगा। बाइबल यह भी बताती है कि यहोवा ने शुरू में जो मकसद ठहराया था वह पूरा होगा। यह धरती सुंदर बाग बन जाएगी, जिस पर लोग सदा तक खुशी से जीएँगे और अच्छी सेहत का आनंद उठाएँगे। (उत्प. 3:15) इस शानदार भविष्य पर भरोसा बनाए रखने के लिए हमें परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति की मदद की ज़रूरत होगी।

17. हमें किस तरह की सोच से दूर रहना चाहिए?

17 हमें यहोवा की पवित्र शक्‍ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। (लूका 11:13) ऐसा करने से हमारा यह भरोसा और पक्का होगा कि सृष्टि के पीछे परमेश्‍वर का ही हाथ है। आज विकासवादियों की गलत और बेबुनियादी बातों का ज़ोर-शोर से प्रचार किया जा रहा है और नास्तिकों की गिनती एकाएक बढ़ गयी है। गलत जानकारी के ऐसे प्रचार से हमें घबराने या उलझन में पड़ने की ज़रूरत नहीं। इसके बजाय सभी मसीहियों को इसका और इसकी वजह से आनेवाले साथियों के दबाव का विरोध करना चाहिए।कुलुस्सियों 2:8 पढ़िए।

18. जब हम इस विश्‍व और इंसान की सृष्टि पर गौर करते हैं तब बुद्धिमान सृष्टिकर्ता के वजूद को ठुकराना क्यों गलत होगा?

18 जब हम सृष्टि के सबूतों पर ईमानदारी से जाँच करेंगे तो यकीनन बाइबल और परमेश्‍वर पर हमारा भरोसा बढ़ेगा। हाँ, यह बात कई लोगों के गले नहीं उतरती कि विश्‍व और इंसान की रचना के पीछे किसी अलौकिक शक्‍ति का हाथ है। लेकिन सृष्टि के मामले में अगर हम इस शक्‍ति को नज़रअंदाज़ करते हैं तो असल में हम सारे सबूतों की जाँच नहीं कर रहे होते, जो कि पक्षपात होगा। इससे भी बढ़कर हम सृष्टि में साफ नज़र आनेवाली सोच-समझकर की गयी उन सारी व्यवस्थाओं को नकार रहे होंगे, जिन्हें ‘गिना नहीं जा सकता।’ (अय्यू. 9:10; भज. 104:25) मसीही होने के नाते हमें पूरा यकीन है कि सृष्टि में जिस सक्रिय शक्‍ति का इस्तेमाल किया गया वह पवित्र शक्‍ति है, जिसे सबसे बुद्धिमान परमेश्‍वर यहोवा ने निर्देशित किया था।

पवित्र शक्‍ति और परमेश्‍वर में हमारा विश्‍वास

19. हमें निजी तौर पर कैसे परमेश्‍वर के वजूद और उसकी पवित्र शक्‍ति के काम करने का सबूत मिलता है?

19 हमें परमेश्‍वर पर विश्‍वास और उससे प्यार करने, या उसका भय मानने के लिए सृष्टि की हर बारीक-से-बारीक बात जानने की ज़रूरत नहीं। हमें सिर्फ सबूतों के आधार पर यहोवा पर भरोसा नहीं करना चाहिए, ठीक जैसे दोस्ती में होता है। दो दोस्त जितना बेहतर एक-दूसरे को जानने लगते हैं, उनकी दोस्ती भी उतनी गहरी होती जाती है। उसी तरह परमेश्‍वर के बारे में और ज़्यादा सीखने से, हमारा विश्‍वास और बढ़ता जाएगा। और हमने देखा भी है, जब परमेश्‍वर हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देता है और जब उसके सिद्धांतों को अपने जीवन में लागू करने से हमें फायदे होते हैं, तो परमेश्‍वर के वजूद में हमारा विश्‍वास बढ़ जाता है। हम इसके ढेरों सबूत देखते हैं कि यहोवा हमें राह दिखा रहा है, हमारी हिफाज़त कर रहा है, उसकी सेवा में हम जो मेहनत करते हैं उस पर आशीष दे रहा है और हमारी ज़रूरतें पूरी कर रहा है। इससे हम उसके और करीब आ जाते हैं। ये सारी बातें हमें परमेश्‍वर के वजूद और उसकी पवित्र शक्‍ति के काम करने का ज़बरदस्त सबूत देती हैं।

20. (क) परमेश्‍वर ने विश्‍व और इंसान की सृष्टि क्यों की? (ख) अगर हम परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति के निर्देशन में चलते रहें तो क्या नतीजा होगा?

20 यहोवा की पवित्र शक्‍ति के काम करने का सबसे बड़ा सबूत है बाइबल, क्योंकि उसके लेखक “पवित्र शक्‍ति से उभारे जाकर परमेश्‍वर की तरफ से बोलते थे।” (2 पत. 1:21) अगर हम ध्यान से बाइबल का अध्ययन करें तो हमारा भरोसा बढ़ेगा कि यहोवा ने ही सारी चीज़ें बनायी हैं। (प्रका. 4:11) अपने सबसे महान गुण प्यार की वजह से ही यहोवा ने दुनिया रची। (1 यूह. 4:8) इसलिए आइए हम स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता और दोस्त के बारे में लोगों को सिखाने के लिए जी-जान लगा दें। हमारे सामने भी परमेश्‍वर के बारे में सीखते रहने का मौका हमेशा खुला रहेगा, बशर्ते हम परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति के निर्देशन में चलते रहें। (गला. 5:16, 25) ऐसा हो कि हम सभी यहोवा और उसके महान कामों के बारे में सीखते रहें। उसने पवित्र शक्‍ति के ज़रिए जिस तरह धरती-आकाश और मानवजाति की सृष्टि की है, वह उसके बेइंतहा प्यार का सबूत है। आइए हम भी वैसा ही प्यार दिखाते रहें!

[फुटनोट]

^ ब्रोशर जीवन की शुरूआत के पाठ 3, पेज 21 का बक्स सच्चाई और उस पर उठे सवाल देखिए।

क्या आप समझा सकते हैं?

• धरती और आकाश हमें परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति के कामों के बारे में क्या सिखाते हैं?

• परमेश्‍वर के स्वरूप में बनाए जाने की वजह से हमें क्या मौके मिलते हैं?

• हमें सृष्टि के सबूतों की जाँच क्यों करनी चाहिए?

• किन तरीकों से यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत हो सकता है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 7 पर तसवीर]

अंतरिक्ष में दिखायी देनेवाली व्यवस्था हमें सृष्टि के बारे में क्या सिखाती है?

[चित्र का श्रेय]

तारे: Anglo-Australian Observatory/David Malin Images

[पेज 8 पर तसवीरें]

इन सभी में डी.एन.ए. कैसे काम करता है?

[पेज 10 पर तसवीर]

क्या आप अपने विश्‍वास की पैरवी करने के लिए तैयार हैं?