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मसीही परिवारो—“तैयार रहो”

मसीही परिवारो—“तैयार रहो”

मसीही परिवारो—“तैयार रहो”

“तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी तुम्हें लगता भी न होगा, उसी घड़ी इंसान का बेटा आ रहा है।”—लूका 12:40.

1, 2. ‘तैयार रहने’ के मामले में दी गयी यीशु की सलाह को हमें क्यों दिल में उतारना चाहिए?

 “जब इंसान का बेटा अपनी पूरी महिमा के साथ आएगा” और “लोगों को एक-दूसरे से अलग करेगा” तब आपका और आपके परिवार का क्या होगा? (मत्ती 25:31, 32) वह ऐसी घड़ी आएगा जिसकी हमने कल्पना तक नहीं की होगी, इसलिए यीशु की सलाह के मुताबिक हमारा ‘तैयार रहना’ बेहद ज़रूरी है!—लूका 12:40.

2 पिछले लेख में हमने चर्चा की थी कि कैसे परिवार का हर सदस्य अपनी-अपनी ज़िम्मेदारी को गंभीरता से निभाकर पूरे परिवार को आध्यात्मिक तौर पर जागते रहने में मदद दे सकता है। आइए कुछ और तरीकों पर गौर करें, जिनसे परिवार का आध्यात्मिक तौर पर भला होगा।

अपनी आँख ‘एक ही चीज़ पर टिकाए’ रखो

3, 4. (क) मसीही परिवारों को किस बात से सावधान रहना चाहिए? (ख) अपनी आँख ‘एक ही चीज़ पर टिकाए’ रखने का क्या मतलब है?

3 मसीह के आने पर तैयार रहने के लिए हर परिवार को चाहिए कि वह सच्ची उपासना के कामों में पूरी तरह लगा रहे। दुनिया में मन भटकानेवाली बहुत-सी चीज़ें हैं, जिनसे उन्हें सावधान रहने की ज़रूरत है। धन-दौलत का प्यार एक ऐसा ही फंदा है जिसके चुंगल में कई परिवार फँस गए हैं इसलिए गौर कीजिए, यीशु ने अपनी आँख ‘एक ही चीज़ पर टिकाए’ रखने के बारे में क्या कहा। (मत्ती 6:22, 23 पढ़िए।) जिस तरह दीपक हमारे रास्ते को उजियाला करता है ताकि हम ठोकर न खाएँ, उसी तरह ‘मन की आँखों’ से हमारे दिल में जो ज्ञान की रौशनी जलती है, वह हमें ठोकर खाने से बचाती है।—इफि. 1:18.

4 हमारी आँखें साफ-साफ तभी देख पाएँगी, जब वे ठीक से काम करेंगी और जिस चीज़ को वे देखना चाहती हैं, उस पर टिकी रहेंगी। मन की आँखें भी कुछ इसी तरह काम करती हैं। अपनी आँख एक ही चीज़ पर टिकाए रखने का मतलब है, एक मकसद होना। हमारा मकसद सिर्फ धन-दौलत कमाकर अपने परिवार की शारीरिक ज़रूरतें पूरी करना नहीं होना चाहिए, बल्कि उसकी आध्यात्मिक ज़रूरतों पर भी ध्यान देना चाहिए। (मत्ती 6:33) इसका मतलब है कि हमारे पास जो है, उसी में संतोष करना सीखें और अपनी ज़िंदगी में परमेश्‍वर की सेवा को पहली जगह दें।—इब्रा. 13:5.

5. एक लड़की ने कैसे दिखाया कि उसकी “आँख” परमेश्‍वर की सेवा पर टिकी है?

5 जब बच्चों को अपनी आँख एक ही चीज़ पर टिकाए रखने की तालीम दी जाती है तो उसके क्या फायदे होते हैं? इथियोपिया की स्कूल जानेवाली एक लड़की के उदाहरण पर गौर कीजिए। वह पढ़ने में बड़ी तेज़ थी इसलिए बुनियादी शिक्षा खत्म करने के बाद उसे ऊँची शिक्षा हासिल करने के लिए वज़ीफे का प्रस्ताव आया। उसकी आँख यहोवा की सेवा करने पर टिकी थी सो उसने वज़ीफा लेने से इनकार कर दिया। उसके कुछ ही समय बाद उसे नौकरी का प्रस्ताव आया, जिसमें उसकी तनख्वाह हर महीने 4,200 अमरीकी डॉलर होती। यह रकम उस देश के लोगों की औसत तनख्वाह से काफी ज़्यादा थी। लेकिन उस लड़की की “आँख” पायनियर सेवा पर टिकी थी। उसने अपने माता-पिता से सलाह-मशविरा किए बिना ही इस नौकरी को ठुकरा दिया। जब उन्हें अपनी बेटी के इस फैसले का पता चला, तो वे बहुत खुश हुए और कहा कि उन्हें अपनी बच्ची पर नाज़ है!

6, 7. ‘अपनी आँखें खुली न रखने’ से हम किस खतरे में पड़ सकते हैं?

6 मत्ती 6:22, 23 में दर्ज़ यीशु के शब्द हमें लालच से आगाह करते हैं। यीशु ने चिताया कि हमें अपनी आँख “बुरी बातों” पर नहीं लगानी चाहिए। बुरी बातों के लिए इस्तेमाल किए गए यूनानी शब्द में जलन या लालच की भावना भी शामिल है। यहोवा लालच या लोभ के बारे में कैसा महसूस करता है? बाइबल कहती है: “तुम्हारे बीच व्यभिचार और किसी भी तरह की अशुद्धता या लालच का ज़िक्र तक न हो।”—इफि. 5:3.

7 हालाँकि हम दूसरों में लालच आसानी से देख लेते हैं, मगर खुद में इसका पता लगाना मुश्‍किल होता है। इसलिए यीशु की इस सलाह को मानना बुद्धिमानी होगा: “तुम अपनी आँखें खुली रखो और हर तरह के लालच से खुद को बचाए रखो।” (लूका 12:15) ऐसा करने का मतलब है, खुद की जाँच करना कि हमारा मन कहाँ लगा हुआ है। मसीही परिवारों को इस बारे में गंभीरता से सोचने की ज़रूरत है कि वे किस हद तक अपना समय और पैसा मनोरंजन, मौज-मस्ती और ऐशो-आराम की चीज़ें बटोरने में लगाते हैं।

8. जब खरीदारी की बात आती है तो हम कैसे ‘अपनी आँख खुली’ रख सकते हैं?

8 जब हम कुछ खरीदते हैं, तो हमारा सिर्फ यह सोचना काफी नहीं होता कि मैं उस चीज़ को खरीदने की हैसियत रखता हूँ या नहीं। इससे भी ज़रूरी इन बातों पर गौर करना है: ‘क्या मेरे पास इस चीज़ को नियमित तौर पर इस्तेमाल करने का समय होगा या मैं इसकी अच्छी देखभाल कर सकूँगा? कितने वक्‍त में, मैं इसका इस्तेमाल करना सीख पाऊँगा?’ बच्चो, विज्ञापनों में दिखायी जानेवाली हर चीज़ पर भरोसा मत रखिए और महँगी-महँगी कंपनियों की चीज़ें और कपड़े खरीदने की ज़िद मत कीजिए। संयम दिखाइए। यह भी सोचिए कि अगर आप इस तरह चीज़ें बटोरने में लगे रहेंगे तो क्या आपका परिवार उस वक्‍त तैयार रह पाएगा, जब इंसान का बेटा आएगा। यहोवा के वादे पर भरोसा रखिए: “मैं तुझे कभी न छोड़ूंगा, न ही कभी त्यागूंगा।”—इब्रा. 13:5.

आध्यात्मिक लक्ष्य पाने की कोशिश कीजिए

9. आध्यात्मिक लक्ष्य रखने से परिवार को कैसे मदद मिल सकती है?

9 परिवार के सभी सदस्यों का विश्‍वास मज़बूत करने और उनकी आध्यात्मिक सेहत बनाए रखने का एक तरीका है: परिवार के लिए आध्यात्मिक लक्ष्य रखना और उन्हें पाने की कोशिश करना। इससे परिवार यह जान पाएगा कि वह यहोवा को खुश करने के अपने मकसद में किस हद तक कामयाब हो पाया है और किस काम को ज़्यादा अहमियत दे रहा है।फिलिप्पियों 1:10 पढ़िए।

10, 11. परिवार के तौर पर आप क्या आध्यात्मिक लक्ष्य पाने की कोशिश कर रहे हैं और भविष्य के लिए आप क्या लक्ष्य रखना चाहेंगे?

10 अगर परिवार आसानी से पाए जानेवाले छोटे-छोटे लक्ष्य रखे, तो इससे परिवार में सभी को फायदा होगा। उदाहरण के लिए एक लक्ष्य हो सकता है, रोज़ाना बाइबल वचनों पर चर्चा करना। परिवार के सदस्यों के जवाबों से मुखिया को यह समझने में मदद मिलेगी कि वे आध्यात्मिक रूप से कितने मज़बूत हैं। जब पूरा परिवार मिलकर रोज़ बाइबल पढ़ता है तो इससे बच्चे पढ़ने में माहिर होते हैं और बाइबल के बारे में उनकी समझ बढ़ती है। (भज. 1:1, 2) और क्या हमें अपनी प्रार्थनाओं को और बेहतर बनाने का लक्ष्य नहीं रखना चाहिए? पवित्र शक्‍ति के फल के पहलुओं को अपने जीवन में और ज़्यादा पैदा करना भी एक लक्ष्य हो सकता है। (गला. 5:22, 23) और प्रचार में हम जिन लोगों से मिलते हैं, उन्हें हमदर्दी दिखाने के बारे में क्या कहा जा सकता है? अगर पूरा परिवार ऐसे गुण दिखाने के लिए मेहनत करे तो इससे बच्चे भी हमदर्द बनेंगे और उनमें पायनियर या मिशनरी बनने का जज़्बा पैदा होगा।

11 क्यों न बात करके देखें कि आप और आपका परिवार कौन-से लक्ष्य रख सकता है? क्या आपका परिवार प्रचार में ज़्यादा वक्‍त बिताने का लक्ष्य रख सकता है? क्या आप टेलीफोन, सड़क या कारोबार की जगहों पर गवाही देने की झिझक पर काबू पा सकते हैं? उन जगहों में प्रचार करने के बारे में क्या जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है? क्या परिवार का कोई सदस्य नयी भाषा सीख सकता है, ताकि दूसरी भाषा बोलनेवालों को खुशखबरी सुनायी जा सके?

12. परिवार को आध्यात्मिक तौर पर मज़बूत करने के लिए घर का मुखिया क्या कर सकता है?

12 परिवार का मुखिया होने के नाते जाँचिए कि आपके परिवार को आध्यात्मिक तौर पर कहाँ सुधार करने की ज़रूरत है। फिर उस कमी को पूरा करने के लिए कुछ खास लक्ष्य रखिए। ध्यान रहे, परिवार के लिए आप जो लक्ष्य रखेंगे वे कारगर, साथ ही हालात और योग्यताओं के मुताबिक हों ताकि उन्हें आसानी से पाया जा सके। (नीति. 13:12) यह सच है कि अच्छे लक्ष्यों को पाने में वक्‍त लगता है। इसलिए टीवी देखने का समय कम करके उसे आध्यात्मिक चीज़ों में लगाइए। (इफि. 5:15, 16) अपने परिवार के लिए आपने जो लक्ष्य रखे हैं, उन्हें पाने के लिए कड़ी मेहनत कीजिए। (गला. 6:9) जो परिवार आध्यात्मिक लक्ष्य पाने की कोशिश में लगा रहता है, उसकी तरक्की “सब लोगों पर ज़ाहिर” होती है।—1 तीमु. 4:15.

नियमित तौर पर पारिवारिक उपासना कीजिए

13. हमारी सभाओं में क्या बदलाव हुआ और हमें किन सवालों पर गौर करना चाहिए?

13 मसीह के आने पर ‘तैयार रहने’ के लिए जो बात हर परिवार को बेहतरीन तरीके से मदद देगी वह है पारिवारिक उपासना। हम पहले मंडली के पुस्तक अध्ययन के लिए अलग से एक दिन जमा होते थे। मगर 1 जनवरी 2009 से यह सभा, परमेश्‍वर के सेवा स्कूल और सेवा सभा के साथ होने लगी है। यह बदलाव इसलिए किया गया ताकि हर परिवार पारिवारिक उपासना के लिए खासकर एक शाम अलग रख सके, जिससे वह आध्यात्मिक तौर पर मज़बूत हो। इस इंतज़ाम को लागू किए अब काफी समय हो चुका है, इसलिए हमें खुद से पूछना चाहिए: ‘पारिवारिक उपासना या निजी अध्ययन के लिए मुझे जो शाम मिली है, क्या मैं उसका अच्छा इस्तेमाल कर रहा हूँ? और जिस मकसद से इस शाम का इंतज़ाम किया गया था, क्या मैं उसमें कामयाब हुआ हूँ?’

14. (क) निजी अध्ययन या पारिवारिक उपासना की शाम का खास मकसद क्या है? (ख) क्यों पारिवारिक उपासना के लिए एक शाम अलग रखना ज़रूरी है?

14 निजी अध्ययन या पारिवारिक उपासना की शाम को बरकरार रखने का सबसे बड़ा मकसद है, हमें परमेश्‍वर के और करीब लाना। (याकू. 4:8) जब हम नियमित तौर पर बाइबल का अध्ययन करने में समय बिताते हैं तो सृष्टिकर्ता के बारे में हमारा ज्ञान बढ़ता है, जिससे उसके साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत होता है। हम जितना यहोवा के करीब जाएँगे, हम उतना ही उससे ‘पूरे दिल, पूरी जान, पूरे दिमाग और पूरी ताकत से प्यार’ करने लगेंगे। (मर. 12:30) बेशक हम परमेश्‍वर की आज्ञा मानना और उसकी मिसाल पर चलना चाहते हैं। (इफि. 5:1) इसके अलावा, नियमित तौर पर पारिवारिक उपासना करना एक ऐसा नुस्खा है, जिसकी बदौलत हमारा परिवार भविष्यवाणी में बताए “महा-संकट” के आने पर आध्यात्मिक तौर पर तैयार रह सकेगा। (मत्ती 24:21) यह हमारे बचाव के लिए बहुत ज़रूरी है।

15. पारिवारिक उपासना की शाम का परिवार के सदस्यों के आपसी रिश्‍ते पर क्या असर पड़ता है?

15 पारिवारिक उपासना की शाम का एक और मकसद है, परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे के करीब आने में मदद देना। अगर वे हर हफ्ते मिलकर आध्यात्मिक बातों पर चर्चा करेंगे तो उनका आपसी रिश्‍ता मज़बूत होगा। जब शादीशुदा जोड़े मिलकर कोई आध्यात्मिक रत्न खोज निकालते हैं, फिर उससे मिलनेवाली खुशी एक-दूसरे को बयान करते हैं, तो इससे वे एक-दूसरे के और भी करीब आ जाते हैं। (सभोपदेशक 4:12 पढ़िए।) जब माता-पिता और बच्चे मिलकर उपासना करते हैं तो वे प्यार के ऐसे बँधन में बँधते हैं, जो “पूरी तरह से एकता में जोड़नेवाला जोड़ [होता] है।”—कुलु. 3:14.

16. बताइए बाइबल अध्ययन के लिए जो शाम अलग रखी गयी है उससे तीन आध्यात्मिक बहनों को कैसे फायदा हुआ।

16 गौर कीजिए, बाइबल अध्ययन के लिए एक शाम अलग रखने से तीन आध्यात्मिक बहनों को कैसे फायदा हुआ। ये सगी बहनें नहीं हैं और इन तीनों के पतियों की मौत हो चुकी है। ये एक ही शहर में रहती हैं और सालों से अच्छी सहेलियाँ हैं। इनकी एक-दूसरे के साथ वक्‍त बिताने की बड़ी इच्छा थी, मगर वे चाहती थीं कि इधर-उधर की बातों में समय गँवाने के बजाय कुछ आध्यात्मिक बातों पर चर्चा करें। इसलिए उन्होंने फैसला किया कि वे हफ्ते की एक शाम को मिलकर बाइबल का अध्ययन करेंगी। इसके लिए उन्होंने परमेश्‍वर के राज की “अच्छी गवाही देना” (अँग्रेज़ी) किताब का इस्तेमाल किया। उनमें से एक का कहना है: “हमें अध्ययन करने में इतना मज़ा आता है कि हम एक घंटे से भी ज़्यादा समय इसमें बिताते हैं। हम पहली सदी के भाइयों के हालात को मन की आँखों से देखने की कोशिश करते हैं और चर्चा करते हैं कि इस तरह के हालात में हम क्या करते। फिर अध्ययन में सीखी हुई बातों को हम प्रचार में लागू करने की कोशिश करते हैं। इसकी वजह से हमें राज प्रचार और चेले बनाने के काम में और मज़ा आने लगा है और हमारी सेवा और असरदार हो गयी है।” इस इंतज़ाम से इन सहेलियों को न सिर्फ आध्यात्मिक तौर पर मदद मिली है, बल्कि वे एक-दूसरे के और भी करीब आ गयी हैं। वे कहती हैं: “हम इस इंतज़ाम की दिल से कदर करते हैं।”

17. पारिवारिक उपासना की शाम को कामयाब होने में क्या बात मदद दे सकती है?

17 आपके बारे में क्या कहा जा सकता है? पारिवारिक उपासना या निजी अध्ययन के लिए जो शाम अलग रखी गयी है, उससे आपको कैसे फायदा हो रहा है? अगर हम कभी-कभार ही इस इंतज़ाम का फायदा उठाते हैं तो इसका मकसद पूरा नहीं होगा। परिवार के हर सदस्य को अध्ययन के लिए तय किए गए वक्‍त पर तैयार रहना चाहिए। छोटी-मोटी बातें इस इंतज़ाम के आड़े नहीं आनी चाहिए। इसके अलावा अध्ययन के लिए ऐसी जानकारी चुननी चाहिए जिससे परिवार को फायदा हो। इस अध्ययन के समय को दिलचस्प बनाने के लिए आप क्या कर सकते हैं? सिखाने के असरदार तरीके अपनाइए और अध्ययन का माहौल शांत और आदर भरा रखिए।—याकू. 3:18. *

‘जागते रहो’ और “तैयार रहो”

18, 19. यह जान लेने के बाद कि जल्द ही इंसान का बेटा आ रहा है, इसका आप पर और आपके परिवार पर कैसा असर होना चाहिए?

18 दुनिया के बिगड़ते हालात यह पुख्ता करते हैं कि सन्‌ 1914 से शैतान की दुष्ट दुनिया के आखिरी दिन शुरू हो गए हैं। हर-मगिदोन के काले बादल उमड़ने लगे हैं। जल्द ही वह समय आ रहा है जब इंसान का बेटा इस दुष्ट दुनिया पर यहोवा का न्यायदंड सुनाएगा। (भज. 37:10; नीति. 2:21, 22) क्या इस जानकारी का आप पर और आपके परिवार पर असर नहीं होना चाहिए?

19 क्या आप यीशु की इस चेतावनी को मान रहे हैं कि अपनी आँख ‘एक ही चीज़ पर टिकाए’ रखो? यह दुनिया रुपए-पैसे, शोहरत और ताकत के पीछे भाग रही है, लेकिन क्या आपका परिवार आध्यात्मिक लक्ष्यों को पाने में लगा हुआ है? क्या निजी अध्ययन या पारिवारिक उपासना के लिए अलग रखी गयी शाम से आपको फायदा हो रहा है? यह इंतज़ाम जिस मकसद से किया गया था, क्या आप उसे पूरा कर रहे हैं? जैसे पिछले लेख में चर्चा की गयी थी क्या आप सभी, पति, पत्नी और बच्चे अपनी-अपनी ज़िम्मेदारियाँ उठा रहे हैं और पूरे परिवार को ‘जागते रहने’ में मदद दे रहे हैं? (1 थिस्स. 5:6) अगर ऐसा है तो आप इंसान के बेटे के आने पर ‘तैयार रहेंगे!’

[फुटनोट]

^ पारिवारिक उपासना में अध्ययन के विषय, साथ ही उसे कारगर और मज़ेदार बनाने के तरीकों के बारे में 15 अक्टूबर 2009 की प्रहरीदुर्ग के पेज 29-31 में कुछ सुझाव दिए गए हैं।

आपने क्या सीखा?

• बताइए कि मसीही परिवार कैसे तैयार रह सकते हैं . . .

अपनी आँख ‘एक ही चीज़ पर टिकाए’ रखने के ज़रिए?

आध्यात्मिक लक्ष्य रखने और उन्हें पाने के ज़रिए?

पारिवारिक उपासना की शाम को नियमित तौर पर करने के ज़रिए?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 13 पर तसवीर]

अपनी आँख ‘एक ही चीज़ पर टिकाए’ रखने से आप दुनिया की लुभावनी चीज़ों का विरोध कर पाएँगे