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15 जून, 2011

अध्ययन संस्करण

इन हफ्तों के अध्ययन लेख:

1-7 अगस्त, 2011

खुशखबरी—जिसे जानना सबके लिए ज़रूरी है

पेज 7

गीत नं. 47, 10

8-14 अगस्त, 2011

परमेश्‍वर ने अपने प्यार की अच्छाई हम पर ज़ाहिर की है

पेज 11

गीत नं. 18, 51

15-21 अगस्त, 2011

“परमेश्‍वर के झुंड की, जो तुम्हारी देख-रेख में है, चरवाहों की तरह देखभाल करो”

पेज 20

गीत नं. 42, 25

22-28 अगस्त, 2011

“तुम्हारे बीच जो कड़ी मेहनत करते हैं . . . उनकी कदर करो”

पेज 24

गीत नं. 22, 53

अध्ययन लेखों का मकसद

अध्ययन लेख 1, 2 पेज 7-15

रोमियों की किताब में प्रेषित पौलुस “खुशखबरी” के एक पहलू का ज़िक्र करता है, जो असिद्ध इंसानों के लिए बहुत मायने रखता है। वह पहलू क्या है और “खुशखबरी” के उस पहलू से आप कैसे फायदा उठा सकते हैं? ये दो लेख यीशु के फिरौती बलिदान और इस इंतज़ाम के ज़रिए परमेश्‍वर ने जो प्यार ज़ाहिर किया है, उसके लिए हमारी समझ और कदरदानी बढ़ाएँगे।

अध्ययन लेख 3, 4 पेज 20-28

इन लेखों में बताया गया है कि किस तरह प्राचीन, झुंड की चरवाहों की तरह देखभाल करने की अपनी ज़िम्मेदारी के लिए कदरदानी बढ़ा सकते हैं। साथ ही, इसमें बताया गया है कि मंडली, प्राचीनों के लिए कैसे कदर दिखा सकती है।

इस अंक में ये लेख भी हैं

3 क्या किशोर बच्चों को बपतिस्मा लेना चाहिए?

16 क्या वाकई अब्राहम के पास अपने ऊँट थे?

18 “खर्रे, खासकर चर्मपत्र लेते आना”

29 ‘अपना मार्ग सफल बनाइए’—कैसे?