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15 जुलाई, 2011

अध्ययन संस्करण

इन हफ्तों के अध्ययन लेख:

29 अगस्त, 2011–4 सितंबर, 2011

क्या आप यहोवा के प्यार-भरे मार्गदर्शन के मुताबिक चलेंगे?

पेज 10

गीत नं. 26, 3

5-11 सितंबर, 2011

क्या आप यहोवा की साफ चेतावनियों पर ध्यान देंगे?

पेज 15

गीत नं. 32, 52

12-18 सितंबर, 2011

परमेश्‍वर का विश्राम—इसका मतलब क्या है?

पेज 24

गीत नं. 19, 27

19-25 सितंबर, 2011

परमेश्‍वर का विश्राम—क्या आप उसमें दाखिल हुए हैं?

पेज 28

गीत नं. 55, 24

अध्ययन लेखों का मकसद

अध्ययन लेख 1, 2 पेज 10-19

यहोवा प्यार से हमें उन खतरों के बारे में आगाह करता है जो हमेशा की ज़िंदगी के रास्ते से हमें भटका सकते हैं। इन दोनों लेखों में छः खतरों के बारे में बताया गया है और यह भी कि हम उनसे कैसे दूर रह सकते हैं।

अध्ययन लेख 3, 4 पेज 24-32

बाइबल कहती है कि इंसान को बनाने के बाद यहोवा ने सातवें दिन “विश्राम” किया। (इब्रा. 4:4) तीसरे लेख में परमेश्‍वर के विश्राम दिन का मकसद समझाया जाएगा और यह भी कि आज यह हमारे लिए क्यों मायने रखता है। चौथे लेख में बताया जाएगा कि हम किन तरीकों से यह दिखा सकते हैं कि हम यहोवा के विश्राम में दाखिल हो चुके हैं।

इस अंक में ये लेख भी हैं

3 सरल अँग्रेज़ी संस्करण की शुरूआत

4 एक लंबे कानूनी संघर्ष के बाद जीत!

20 पहले मौत का खौफ—अब ‘बहुतायत में जीवन’ की आस