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उन्होंने मसीहा के आने की आस लगायी

उन्होंने मसीहा के आने की आस लगायी

उन्होंने मसीहा के आने की आस लगायी

“उस दौरान लोग मसीहा के आने की बाट जो जोह रहे थे और सभी अपने मन में यूहन्‍ना के बारे में सोच रहे थे कि ‘कहीं यही तो मसीहा नहीं?’”—लूका 3:15, दी एम्फेटिक डायग्लोट।

1. कुछ चरवाहों ने स्वर्गदूतों को क्या घोषणा करते हुए सुना?

 रात हो चुकी है। चरवाहे बाहर अपनी भेड़ों की रखवाली कर रहे हैं कि अचानक यहोवा का एक स्वर्गदूत उनके करीब आ खड़ा होता है। परमेश्‍वर का तेज उनके चारों तरफ फैल जाता है। यह देखकर चरवाहों की आँखें फटी-की-फटी रह जाती हैं! फिर स्वर्गदूत एक शानदार घोषणा करता है: “डरो मत, क्योंकि देखो! मैं तुम्हें एक बड़ी खुशखबरी सुना रहा हूँ जिससे सब लोगों को बेहद खुशी मिलेगी। क्योंकि आज दाविद के शहर में तुम्हारे लिए एक उद्धार करनेवाले का जन्म हो चुका है। यही मसीह प्रभु है,” जो मसीहा बनता। बाद में चरवाहे उस नए जन्मे शिशु को पास के इलाके में चरनी में लेटा हुआ पाते। घोषणा के बाद अचानक “स्वर्ग की एक बड़ी सेना” परमेश्‍वर की स्तुति करने लगती है: “स्वर्ग में परमेश्‍वर की महिमा हो, और धरती पर उन लोगों को शांति मिले जिनसे परमेश्‍वर खुश है।”—लूका 2:8-14.

2. “मसीहा” का मतलब क्या है और उसे कैसे पहचाना जा सकता है?

2 चरवाहे जानते थे कि “मसीहा” का मतलब परमेश्‍वर का “अभिषिक्‍त जन” है। (निर्ग. 29:5-7) लेकिन वे किस तरह दूसरों को यकीन दिलाते कि स्वर्गदूत ने जिस शिशु के बारे में बताया, वही यहोवा का चुना हुआ मसीह है? इब्रानी शास्त्र में पायी जानेवाली भविष्यवाणियों की जाँच करने से और फिर इनकी तुलना इस बच्चे के जीवन से करने पर यह बात पुख्ता हो जाती है।

लोग क्यों बाट जोह रहे थे?

3, 4. हम दानिय्येल 9:24, 25 को कैसे समझ सकते हैं?

3 काफी सालों बाद जब यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला आया तो उसकी बातों और कामों से कई लोगों को लगा कि शायद मसीहा आ गया है। (लूका 3:15 पढ़िए।) यह मुमकिन है कि कुछ लोगों को मसीहा के बारे में की गयी “सत्तर सप्ताह” की भविष्यवाणी अच्छी तरह समझ आयी होगी। अगर ऐसी बात है तो उन्हें पता होगा कि मसीह कब आएगा। इस भविष्यवाणी का एक भाग कहता है: ‘यरूशलेम के फिर बसाने की आज्ञा के निकलने से लेकर अभिषिक्‍त प्रधान के समय तक सात सप्ताह बीतेंगे। फिर बासठ सप्ताह।’ (दानि. 9:24, 25) बहुत-से विद्वान इस बात से सहमत हैं कि हरेक सप्ताह सात साल के बराबर है। उदाहरण के लिए रिवाइज़्ड स्टैंडर्ड वर्शन कहता है: “सालों के सत्तर सप्ताह ठहराए गए।”

4 आज यहोवा के सेवक जानते हैं कि दानिय्येल 9:25 में बताए 69 सप्ताह या 483 साल की शुरूआत ईसा पूर्व 455 से हुई जब फारस के राजा अर्तक्षत्र ने नहेमायाह को यरूशलेम के फिर बसाए जाने की आज्ञा दी। (नहे. 2:1-8) ये सप्ताह 483 साल बाद यानी ईसवी सन्‌ 29 में खत्म हुए, जब नासरत के यीशु का बपतिस्मा हुआ और उसे पवित्र शक्‍ति से अभिषिक्‍त किया गया और इस तरह वह मसीहा बना।—मत्ती 3:13-17. *

5. अब हम किन भविष्यवाणियों पर ध्यान देंगे?

5 आइए मसीहा के बारे में कुछ और भविष्यवाणियों पर गौर करें जिनकी पूर्ती यीशु के जन्म, शुरूआती ज़िंदगी और प्रचार सेवा में हुई। इससे बेशक परमेश्‍वर की उन भविष्यवाणियों पर हमारा विश्‍वास और मज़बूत होगा, जो उसके वचन में दर्ज़ हैं। यही नहीं, हमें यह भी साफ पता चलेगा कि यीशु ही वह मसीहा था, जिसकी लोग लंबे समय से आस लगाए हुए थे।

उसके बचपन के बारे में भविष्यवाणियाँ

6. समझाइए कि उत्पत्ति 49:10 कैसे पूरा हुआ।

6 मसीहा, इसराएल के यहूदा गोत्र से जन्म लेगा। अपनी अंतिम घड़ियों में अपने बेटों को आशीषें देते वक्‍त कुलपिता याकूब ने कहा: “जब तक शीलो न आए तब तक न तो यहूदा से राजदण्ड छूटेगा, न उसके वंश से व्यवस्था देनेवाला अलग होगा; और राज्य राज्य के लोग उसके अधीन हो जाएंगे।” (उत्प. 49:10) बहुत-से यहूदी विद्वानों ने इन शब्दों को मसीहा पर लागू किया। यहूदा गोत्र के राजा दाविद से ही राजदण्ड (राज करने का हक) और व्यवस्था देनेवाले की शुरूआत हुई, जो इसी गोत्र में कायम रहा। लेकिन जैसा कहा गया कि “शीलो” के आने पर यहूदा के शाही वंश का अंत होगा और फिर उसका राज कायम रहेगा। तो “शीलो” क्या है? उसका मतलब है, “वह जिसका यह है; या वह जो इसका हकदार है।” परमेश्‍वर ने यहूदा के आखिरी राजा सिदकिय्याह से कहा था कि उसका राज ऐसे शख्स को दिया जाएगा, जिसे इसका कानूनी अधिकार है। (यहे. 21:26-27) और सिदकिय्याह के बाद यीशु ही वह शख्स था, जिसे राजगद्दी देने का वादा किया गया। उसके जन्म से पहले जिब्राईल स्वर्गदूत ने मरियम से कहा: “वह महान होगा और परम-प्रधान का बेटा कहलाएगा और यहोवा परमेश्‍वर उसके पुरखे दाविद की राजगद्दी उसे देगा। वह याकूब के घराने पर हमेशा तक राजा बनकर राज करेगा और उसके राज का कभी अंत न होगा।” (लूका 1:32, 33) जी हाँ, यीशु मसीह ही शीलो था, जो यहूदा के गोत्र और दाविद के वंश से था।—मत्ती 1:1-3, 6; लूका 3:23, 31-34.

7. मसीहा का जन्म कहाँ हुआ और यह क्यों एक अनोखी बात है?

7 मसीहा का जन्म बेतलेहेम में होगा। भविष्यवक्‍ता मीका ने लिखा: “हे बेतलेहेम एप्राता, यदि तू ऐसा छोटा है कि यहूदा के हजारों में गिना नहीं जाता, तौभी तुझ में से मेरे लिये एक पुरुष निकलेगा, जो इस्राएलियों मे प्रभुता करनेवाला होगा; और उसका निकलना प्राचीनकाल से, वरन अनादि काल से होता आया है।” (मीका 5:2) मसीहा को यहूदा के बेतलेहेम शहर में पैदा होना था, जो एप्राता के नाम से जाना जाता था। हालाँकि यीशु की माँ मरियम और उसका दत्तक पिता यूसुफ नासरत में रहते थे, मगर जब रोम ने पंजीकरण कराने का फरमान जारी किया तो उन्हें बेतलेहेम जाना पड़ा, जहाँ ईसा पूर्व 2 में यीशु का जन्म हुआ। (मत्ती 2:1, 5, 6) वाकई, यह भविष्यवाणी क्या ही बेहतरीन ढंग से पूरी हुई!

8, 9. मसीह के जन्म और उसके बाद जो घटनाएँ घटीं, उनके बारे में क्या भविष्यवाणी की गयी थी?

8 मसीहा का जन्म एक कुँवारी से होगा। (यशायाह 7:14 पढ़िए।) हालाँकि इब्रानी भाषा में “कुँवारी” के लिए शब्द बिथुलाह इस्तेमाल किया जाता है लेकिन यशायाह 7:14 में इब्रानी शब्द ‘अल्माह’ लिखा है। यह शब्द रिबका के लिए तब इस्तेमाल किया गया जब वह “कुमारी” थी। (उत्प. 24:16, 43) और जब मत्ती ने यीशु के जन्म के बारे में यशायाह 7:14 की भविष्यवाणी का ज़िक्र किया, तब उसने परमेश्‍वर की प्रेरणा से यूनानी शब्द (पार्थिनोस) का इस्तेमाल किया जिसका मतलब है “कुँवारी।” खुशखबरी के लेखक मत्ती और लूका ने लिखा कि जब मरियम परमेश्‍वर की शक्‍ति से गर्भवती हुई तब वह कुँवारी थी।—मत्ती 1:18-25; लूका 1:26-35.

9 मसीहा के जन्म के बाद छोटे बच्चों को मार डाला जाएगा। सदियों पहले फिरौन ने कुछ ऐसा ही किया था। उसने हुक्म दिया कि जितने इब्री लड़के पैदा हों उन सबको नील नदी में फेंककर मार डाला जाए। (निर्ग. 1:22) गौर करने लायक बात है, यिर्मयाह 31:15, 16 बताता है कि राहेल अपने बेटों के लिए रो रही है जिन्हें “शत्रुओं के देश” में ले जाया गया है। उसका विलाप यरूशलेम के उत्तर में, बिन्यामिन के रामा नगर तक सुनायी पड़ रहा है। मत्ती ने यिर्मयाह की इसी भविष्यवाणी का ज़िक्र किया जब राजा हेरोदेस ने बेतलेहेम और आस-पास के नगरों के सभी बच्चों को मार डालने का आदेश दिया। (मत्ती 2:16-18 पढ़िए।) ज़रा उस मातम की कल्पना कीजिए जो इन इलाकों में छाया होगा!

10. समझाइए कि होशे 11:1 की भविष्यवाणी यीशु पर कैसे पूरी हुई।

10 इसराएलियों की तरह मसीहा को भी मिस्र से बुलाया जाएगा। (होशे 11:1) हेरोदेस के यह आदेश देने से पहले कि बच्चों को मार डाला जाए, एक स्वर्गदूत ने यूसुफ से कहा कि वह मरियम और यीशु को लेकर मिस्र चला जाए। इसके बाद यूसुफ उन दोनों के साथ “हेरोदेस की मौत तक वहीं रहा। इस तरह, वह बात पूरी हुई जो यहोवा ने अपने भविष्यवक्‍ता के ज़रिए कही थी: ‘मैंने अपने बेटे को मिस्र देश से बुलाया।’” (मत्ती 2:13-15) बेशक, अपने जन्म और बचपन के बारे में की गयी भविष्यवाणियों पर यीशु का कोई बस नहीं था।

मसीहा जोश के साथ काम करता है!

11. यहोवा के अभिषिक्‍त के लिए रास्ता कैसे तैयार किया गया?

11 परमेश्‍वर के अभिषिक्‍त के लिए रास्ता तैयार किया जाना था। मलाकी ने पहले से बताया था कि “एलिय्याह नबी” यह काम करेगा यानी वह आनेवाले मसीह को कबूल करने के लिए लोगों का दिल तैयार करेगा। (मलाकी 4:5, 6 पढ़िए।) यीशु ने खुद बताया कि यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला ही “एलिय्याह” है। (मत्ती 11:12-14) और मरकुस ने कहा कि यूहन्‍ना की प्रचार सेवा ने यशायाह की भविष्यवाणी पूरी की। (यशा. 40:3; मर. 1:1-4) यीशु ने यह इंतज़ाम नहीं किया था कि यूहन्‍ना उसके लिए रास्ता तैयार करे। यह बात मसीहा की पहचान के लिए परमेश्‍वर की इच्छा के मुताबिक उसके वचन में दर्ज़ की गयी थी कि यूहन्‍ना “एलिय्याह” की तरह काम करेगा।

12. किस काम से मसीहा को पहचानने में मदद मिलती?

12 परमेश्‍वर के दिए काम से मसीहा की पहचान होती। यीशु की परवरिश नासरत शहर में हुई थी। एक बार वहाँ के अराधनालय में उसने यशायाह के खर्रे से पढ़ा: “यहोवा की पवित्र शक्‍ति मुझ पर है, क्योंकि उसने गरीबों को खुशखबरी सुनाने के लिए मेरा अभिषेक किया है। उसने कैदियों को रिहाई का और अंधों को आँखों की रौशनी पाने का संदेश सुनाने के लिए मुझे भेजा है कि कुचले हुओं को रिहाई देकर आज़ाद करूँ और यहोवा की मंज़ूरी पाने के वक्‍त का प्रचार करूँ।” क्योंकि यीशु ही मसीहा था इसीलिए वह पूरे अधिकार के साथ कह सका: “यह शास्त्रवचन जो तुमने अभी-अभी सुना, वह आज पूरा हुआ है।”—लूका 4:16-21.

13. गलील में यीशु के प्रचार काम के बारे में क्या भविष्यवाणी की गयी थी?

13 भविष्यवाणी की गयी थी कि मसीहा, गलील में प्रचार काम करेगा। यशायाह ने “अन्यजातियों के [ग]लील” के “जबूलून और नप्ताली” शहरों के बारे में लिखा, “जो लोग अन्धियारे में चल रहे थे उन्हों ने बड़ा उजियाला देखा; और जो लोग घोर अन्धकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहते थे, उन पर ज्योति चमकी।” (यशा. 9:1, 2) यीशु ने अपनी प्रचार सेवा गलील प्रांत के कफरनहूम नगर से शुरू की जहाँ वह रहता था और वहाँ जबूलून और नप्ताली की जाति के लोगों को उस आध्यात्मिक ज्योति से फायदा मिला जो यीशु लाया था। (मत्ती 4:12-16) गलील में यीशु ने दमदार पहाड़ी उपदेश दिया; इसके अलावा उसने प्रेषित चुने, अपना पहला चमत्कार किया और पुनरुत्थान के बाद करीब 500 चेलों पर प्रकट हुआ। (मत्ती 5:1–7:27; 28:16-20; मर. 3:13, 14; यूह. 2:8-11; 1 कुरिं. 15:6) इस तरह उसने “जबूलून और नप्ताली” में प्रचार करके यशायाह की भविष्यवाणी पूरी की। बेशक, इसराएल की दूसरी जगहों में भी यीशु ने राज का प्रचार किया।

मसीहा के दूसरे कामों की भविष्यवाणियाँ

14. भजन 78:2 यीशु पर कैसे पूरा हुआ?

14 मसीहा, मिसालों के ज़रिए बात करेगा। भजनहार आसाप ने गीत में गाया: “मैं अपना मुंह नीतिवचन कहने के लिये खोलूंगा।” (भज. 78:2) हम कैसे कह सकते हैं कि यह भविष्यवाणी यीशु पर लागू होती है? मत्ती इस बात को पुख्ता करता है। एक बार यीशु ने राज की तुलना राई के दाने और खमीर से की, तो उसका हवाला देते हुए मत्ती ने कहा: “[यीशु] बगैर मिसाल के उनसे बात नहीं करता था, ताकि यह बात पूरी हो जो भविष्यवक्‍ता से कहलवायी गयी थी: ‘मैं मिसालों के साथ अपना मुँह खोलूँगा, और जो बातें दुनिया की शुरूआत से छिपी रही हैं, उन्हें ज़ाहिर करूँगा।’” (मत्ती 13:31-35) असरदार तरीके से सिखाने के लिए यीशु मिसालों का इस्तेमाल करता था।

15. बताइए कि यशायाह 53:4 यीशु में कैसे पूरा हुआ।

15 मसीहा हमारी बीमारियाँ दूर करेगा। यशायाह ने भविष्यवाणी की थी: “निश्‍चय उस ने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दु:खों को उठा लिया।” (यशा. 53:4) पतरस की सास को ठीक करने के बाद जब यीशु ने दूसरों को भी चंगा किया तब मत्ती ने इस तरह कहा, “ताकि वह वचन पूरा हो सके जो यशायाह भविष्यवक्‍ता के ज़रिए कहा गया था: ‘उसने हमारी बीमारियाँ खुद ले लीं और हमारे रोग उठा ले गया।’” (मत्ती 8:14-17) यह तो चंगाई की सिर्फ एक मिसाल है, यीशु ने कई दूसरे मौकों पर भी चंगाई के काम किए थे।

16. प्रेषित यूहन्‍ना ने कैसे दिखाया कि यशायाह 53:1 यीशु पर पूरा हुआ?

16 मसीहा के भले काम करने के बावजूद बहुत-से लोग उस पर विश्‍वास नहीं करेंगे। (यशायाह 53:1 पढ़िए।) प्रेषित यूहन्‍ना ने बताया कि यह भविष्यवाणी पूरी हुई, जब उसने लिखा: “[यीशु ने] उनके सामने बहुत-से चमत्कार किए थे, इसके बावजूद वे उस पर विश्‍वास नहीं कर रहे थे। इसलिए यशायाह भविष्यवक्‍ता का कहा यह वचन पूरा हुआ: ‘यहोवा, किसने हमारे संदेश पर विश्‍वास किया है? और यहोवा ने अपनी ताकत किस पर ज़ाहिर की है?’” (यूह. 12:37, 38) प्रेषित पौलुस की प्रचार सेवा के दौरान भी ज़्यादातर लोगों ने यह विश्‍वास नहीं किया कि यीशु ही मसीहा है।—रोमि. 10:16, 17.

17. यूहन्‍ना ने भजन 69:4 को किस तरह लागू किया?

17 बिना किसी कारण मसीहा से नफरत की जाएगी। (भज. 69:4) प्रेषित यूहन्‍ना ने यीशु के शब्दों का हवाला देते हुए कहा: “अगर मैंने उनके बीच ये काम न किए होते, तो उनमें कोई पाप न होता। मगर अब उन्होंने मेरे काम देखे हैं और मुझसे और मेरे पिता, दोनों से नफरत की है। मगर यह इसलिए हुआ कि उनके कानून में लिखी यह बात पूरी हो सके: ‘उन्होंने बेवजह मुझसे नफरत की।’” (यूह. 15:24, 25) अकसर शब्द “कानून” पूरे शास्त्र को दर्शाता है। (यूह. 10:34; 12:34) खुशखबरी की किताबें साबित करती हैं कि यीशु से नफरत की गयी और खासकर यहूदी धर्म गुरुओं ने ऐसा किया। इसके अलावा मसीह ने कहा: “दुनिया के पास तुमसे नफरत करने की कोई वजह नहीं है, मगर यह मुझसे नफरत करती है, क्योंकि मैं इसके बारे में गवाही देता हूँ कि इसके काम दुष्ट हैं।”—यूह. 7:7.

18. किस बात पर अध्ययन करने से हमारा यकीन और पक्का होगा कि यीशु ही मसीहा है?

18 पहली सदी के चेलों को इस बात का पूरा यकीन था कि यीशु ही मसीहा है क्योंकि उसने इब्रानी शास्त्र में मसीहा के बारे में लिखी सारी भविष्यवाणियाँ पूरी कीं। (मत्ती 16:16) हमने देखा कि कैसे कुछ भविष्यवाणियाँ नासरत के यीशु के बचपन और उसकी प्रचार सेवा के दौरान पूरी हुईं। अगले लेख में हम मसीह के बारे में और भी भविष्यवाणियों का अध्ययन करेंगे। अगर हम इन भविष्यवाणियों पर प्रार्थना और मनन करें तो हमारा यकीन और पक्का होगा कि यीशु ही वाकई मसीहा है जिसे स्वर्ग में रहनेवाले हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने अभिषिक्‍त किया है।

[फुटनोट]

^ “सत्तर सप्ताह” के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें! किताब का अध्याय 11 देखिए।

आप क्या जवाब देंगे?

• यीशु के जन्म के बारे में कौन-सी भविष्यवाणियाँ पूरी हुईं?

• मसीहा के लिए रास्ता कैसे तैयार किया गया?

यशायाह अध्याय 53 की कौन-सी भविष्यवाणियाँ यीशु में पूरी हुईं?

[अध्ययन के लिए सवाल]