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एक ऐतिहासिक सभा

एक ऐतिहासिक सभा

एक ऐतिहासिक सभा

“इस सभा के खत्म होते-होते आप कहेंगे, ‘वाकई, यह परमेश्‍वर की तरफ से ऐतिहासिक सालाना सभा थी!’” इन शब्दों से यहोवा के साक्षियों के शासी निकाय के सदस्य स्टीवन लैट ने बड़ी तादाद में हाज़िर लोगों की उत्सुकता बढ़ायी। ये लोग वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ऑफ पेन्सिलवेनिया की 126वीं सालाना सभा के लिए जमा हुए थे, जो 2 अक्टूबर 2010 को, अमरीका के न्यू जर्सी राज्य के जर्सी शहर में साक्षियों के सम्मेलन हॉल में रखी गयी थी। इस ऐतिहासिक सभा की झलकियाँ क्या थीं?

पहला भाषण भाई लैट ने दिया। उन्होंने बड़े जोश के साथ यहोवा के स्वर्गीय रथ के बारे में बताया, जिसका वर्णन यहेजकेल की किताब में किया गया है। यह भव्य, महिमावान रथ यहोवा के संगठन को दर्शाता है जो पूरी तरह यहोवा के अधीन है। इस संगठन के स्वर्गीय भाग में स्वर्गदूत हैं। भाई लैट ने कहा कि वे प्रकाश की गति से यानी यहोवा के विचारों की गति से काम करते हैं। धरती पर परमेश्‍वर का संगठन भी उसी तरह काम करता है। भाई लैट ने बताया कि हाल के सालों में संगठन में बहुत-से हैरतअंगेज़ बदलाव हुए हैं।

उदाहरण के लिए कई शाखा दफ्तरों को मिलाकर एक कर दिया गया, जिससे वहाँ काम करनेवाले बहुत-से भाई-बहनों को अपने देश में प्रचार काम पर ज़्यादा ध्यान देने का मौका मिलेगा। भाई लैट ने हाज़िर लोगों से गुज़ारिश की कि वे दास वर्ग के प्रतिनिधि, शासी निकाय के लिए प्रार्थना करें कि वे न सिर्फ विश्‍वासयोग्य बनें बल्कि सूझ-बूझ से भी काम लें।—मत्ती 24:45-47.

हिम्मत बढ़ानेवाली रिपोर्टें और दिल छू लेनेवाले अनुभव

हैती देश की शाखा समिति के सदस्य टैब हॉन्सबर्जर ने उस देश में 12 जनवरी, 2010 को आए भूकंप की दिल छू लेनेवाली रिपोर्ट दी, जिसमें करीब 3,00,000 लोगों की जान चली गयी थी। उन्होंने बताया कि पादरी सबसे कह रहे थे कि परमेश्‍वर ने अविश्‍वासी लोगों को सज़ा दी है और अच्छे लोगों को बचाया है जबकि भूकंप में जेल की दीवारें ढह जाने से हज़ारों मुजरिम जेल से फरार हो गए थे। हैती में आज बहुत-से नेक दिल लोग, इस बुरे दौर के बारे में बाइबल से सच्चाई जानकर दिलासा पा रहे हैं। भाई टैब ने हैती के एक वफादार भाई के बारे में बताया, जिसकी पत्नी भूकंप में चल बसी थी। वह भाई कहता है: “मैं अपनी पत्नी के लिए आज तक आँसू बहा रहा हूँ, और न जाने कब तक बहाता रहूँगा। लेकिन यहोवा के संगठन से मिलनेवाले प्यार से मुझे खुशी भी मिली है। मेरे पास आशा है और मैंने ठान लिया है कि मैं दूसरों को यह आशा बताकर उनकी मदद करूँगा।”

ब्रुकलिन बेथेल परिवार के सदस्य मार्क सैंडरसन ने बड़े जोश के साथ फिलिपाईन्स के बारे में रिपोर्ट पेश की। वे पहले वहाँ की शाखा समिति के सदस्य थे। उन्होंने बताया कि उस देश में लगातार राज के प्रचारकों का शिखर हासिल हो रहा है और कहा कि यह 32वाँ शिखर है और बाइबल अध्ययनों की संख्या प्रचारकों से भी ज़्यादा है। उन्होंने मीगल नाम के एक भाई के बारे में बताया, जिनके पोते का कत्ल कर दिया गया था। भाई मीगल ने उस हत्यारे पर मुकद्दमा दायर कर उसे सलाखों के पीछे डलवाने में अपना पूरा ज़ोर लगा दिया। एक दिन जब वे जेल में प्रचार कर रहे थे, तब उनकी मुलाकात उस हत्यारे से हुई। हालाँकि भाई थोड़ा घबराए हुए थे, मगर फिर भी उन्होंने उससे बड़ी नम्रता और प्यार से बात की। आखिर में उन्होंने उस आदमी के साथ बाइबल अध्ययन किया, जिसने अच्छी दिलचस्पी दिखायी और यहोवा से प्यार भी करने लगा। अब उसका बपतिस्मा हो गया है। भाई मीगल उसके गहरे दोस्त बन गए हैं और कोशिश कर रहे हैं कि इस नए भाई की जल्दी रिहाई हो जाए। *

कार्यक्रम के अगले भाग में परमेश्‍वर के सेवा स्कूल विभाग के शिक्षक, मार्क नूमैर ने तीन जोड़ों के इंटरव्यू लिए। उनके नाम थे, ऐलिक्स और सेरा राइनम्यूलर, डेविड और क्रिस्टा शेफर और रॉबर्ट और केट्रा सिरान्को। ऐलिक्स राइनम्यूलर प्रकाशन समिति के सहायक हैं। उन्होंने बताया कि कैसे 15 साल की उम्र में उन्होंने सच्चाई को अपना बनाया था, जब वे कनाडा में अकसर अकेले पायनियर सेवा करते थे। जब उनसे पूछा गया कि बेथेल में किसका उन पर सबसे गहरा असर हुआ, तब उन्होंने तीन वफादार भाइयों का नाम लिया, जिन्होंने आध्यात्मिक तौर पर आगे बढ़ने में उनकी बड़ी मदद की। भाई राइनम्यूलर की पत्नी सेरा ने एक बहन के साथ अपनी दोस्ती के बारे में बताया जिसने अपने विश्‍वास की खातिर चीन की जेल में दशकों बिताए थे। सेरा ने यह भी कहा कि प्रार्थना के ज़रिए उसने यहोवा पर निर्भर रहना सीखा है।

भाई डेविड शेफर शिक्षा समिति के सदस्यों की मदद करते हैं। उन्होंने अपनी माँ के अटल विश्‍वास की बहुत तारीफ की। फिर उन्होंने उन भाइयों के बारे में बताया जो पेड़ काटने का काम करते थे और जिनसे उन्हें जवानी में सहयोगी पायनियर सेवा करने का बढ़ावा मिला था। उनकी पत्नी, क्रिस्टा ने बेथेल परिवार के बुज़ुर्ग सदस्यों के बारे में बताया जिन्होंने अपने आपको यीशु के कहे मुताबिक “थोड़े में भरोसे के लायक” साबित किया।—लूका 16:10.

भाई रॉबर्ट सिरान्को लेखन समिति के सदस्यों की मदद करते हैं। उन्होंने अपने दादा-दादी और नाना-नानी के बारे में बताया जो हंगरी से आए थे और अभिषिक्‍त थे। सन्‌ 1950 के दशक में जब भाई रॉबर्ट छोटे थे तब वे कई बड़े अधिवेशनों में हाज़िर हुए जिनका उनके जीवन पर गहरा असर हुआ। उन्होंने जाना कि यहोवा का संगठन कितना बड़ा है, वह सिर्फ उनकी मंडली तक सीमित नहीं है। उनकी पत्नी केट्रा ने कहा कि वह एक ऐसी मंडली में पायनियर सेवा कर रही थीं, जहाँ का माहौल काफी खराब था। वहाँ लोग धर्मत्यागी हो गए थे साथ ही दूसरी कई समस्याएँ थीं, ऐसे में उन्होंने यहोवा के वफादार रहना सीखा। उन्होंने धीरज रखा और आखिरकार उन्हें एक दूसरी मंडली में खास पायनियर के तौर पर भेजा गया, जिसके भाई-बहनों की एकता ने उनकी हिम्मत बढ़ायी।

अगली रिपोर्ट भाई मॉनफ्रेट टोनॉक ने इथिओपिया के बारे में दी। इस देश का ज़िक्र बाइबल के ज़माने से होता आया है और अब यहाँ खुशखबरी के 9,000 प्रचारक हैं। इनमें से ज़्यादातर इसकी राजधानी अड्डिस अबाबा में या उसके आस-पास रहते हैं। इसलिए अब इसके दूर-दराज़ के इलाकों पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है। इसे ध्यान में रखते हुए दूसरे देशों में रहनेवाले इथिओपिया के साक्षियों को उस देश में प्रचार करने के लिए बुलाया गया, जिसका अच्छा नतीजा निकला। बहुत-से लोग आए और उन्होंने साक्षियों का हौसला बढ़ाया और बहुत-से दिलचस्पी दिखानेवालों को ढूँढ़ा।

इस कार्यक्रम का खास भाग एक परिचर्चा थी, जो रूस के साक्षियों और उनकी कानूनी लड़ाई के बारे में थी। रूस की शाखा समिति के सदस्य अउलिस बर्गडॉल ने रूस में, खासकर मॉस्को के साक्षियों पर किए अत्याचार का इतिहास पेश किया। अमरीकी शाखा दफ्तर के कानून विभाग के सदस्य फिलिप ब्रमली ने हाल के महीनों में ‘मानव अधिकार की यूरोपीय अदालत’ (ई.सी.एच.आर.) में हुए मुकद्दमे की शानदार रिपोर्ट पेश की। उन्होंने बताया कि साक्षियों के खिलाफ नौ आरोप लगाए गए थे। लेकिन अदालत ने देखा कि उनका हर आरोप बेबुनियाद था। उनमें से कुछ के बारे में तो अदालत ने समझाया कि कैसे उनके लगाए आरोप सरासर गलत हैं। भाई ब्रमली ने कहा कि अभी फैसले का इंतज़ार है पर पूरी उम्मीद है कि इस नतीजे का असर दूसरे देशों के मुकद्दमों पर भी पड़ेगा।

इस रोमांचक खबर के बाद भाई लैट ने घोषणा की कि फ्रांस की सरकार और यहोवा के साक्षियों के बीच लंबे समय से चले आ रहे टैक्स के मुकद्दमे को ई.सी.एच.आर. ने कबूल कर लिया है। इस जानी-मानी अदालत के पास हालाँकि कई मुकद्दमे आते हैं, मगर यह सिर्फ कुछ मुकद्दमे ही कबूल करती है। अब तक ई.सी.एच.आर ने यहोवा के साक्षियों से जुड़े कुल 39 मुकद्दमों पर गौर किया है जिनमें से 37 मुकद्दमों के फैसले हमारे हक में सुनाए गए हैं। भाई लैट ने हाज़िर सभी लोगों को बढ़ावा दिया कि वे मौजूदा अदालती कार्यवाही के बारे में यहोवा से प्रार्थना करें।

कार्यक्रम की आखिरी रिपोर्ट भाई रिचर्ड मॉरलन ने पेश की जो प्राचीनों के स्कूल के शिक्षक हैं। उन्होंने स्कूल के बारे में बड़े जोश के साथ बताया और यह भी कि इस स्कूल में हाज़िर होनेवाले प्राचीनों ने कैसे इसके लिए अपनी कदरदानी ज़ाहिर की।

शासी निकाय के सदस्यों के दूसरे भाषण

शासी निकाय के सदस्य गाय पीयर्स ने 2011 के सालाना वचन ‘यहोवा के नाम में शरण लो’ पर आधारित दिल से भाषण दिया। (सप. 3:12, NHT) उन्होंने बताया कि हालाँकि यह वक्‍त यहोवा के लोगों के लिए खुशी का है, लेकिन वहीं गंभीर होने का भी है। यहोवा का महान दिन नज़दीक है फिर भी लोग झूठे धर्मों, राजनैतिक संस्थानों, धन-दौलत, इंसानी फलसफों और ऐसी ही दूसरी बातों पर अपना भरोसा रखते हैं। सही मायने में शरण पाने के लिए हमें यहोवा का नाम लेने की ज़रूरत है जिसका मतलब है, उसे जानना, दिल से उसका आदर करना, उस पर भरोसा रखना और तन-मन से उससे प्यार करना।

शासी निकाय के एक सदस्य डेविड स्प्लेन ने विचारों को झनझना देनेवाला भाषण दिया जिसका विषय था “क्या आप परमेश्‍वर के विश्राम में प्रवेश कर चुके हैं?” उन्होंने बताया कि परमेश्‍वर के विश्राम का मतलब आराम नहीं है, क्योंकि यहोवा और उसका बेटा, दोनों इस लाक्षणिक विश्राम दिन में “अब तक काम” कर रहे हैं ताकि धरती पर बनायी चीज़ों के लिए परमेश्‍वर का मकसद पूरा हो सके। (यूह. 5:17) तो फिर हम कैसे परमेश्‍वर के विश्राम में दाखिल हो सकते हैं? एक तरीका है, पाप करने या गलती करने पर खुद की सफाई पेश करने से दूर रहना। हमें विश्‍वास दिखाने और परमेश्‍वर के मकसद को ध्यान में रखते हुए अपनी ज़िंदगी जीने की ज़रूरत है और इस मकसद की खातिर हम जो भी कर सकते हैं उसे करने के लिए तैयार रहना चाहिए। कभी-कभी यह बहुत मुश्‍किल हो सकता है, लेकिन हमें फिर भी सलाह को कबूल करने और यहोवा के संगठन का साथ देने की ज़रूरत है। भाई स्प्लेन ने हाज़िर लोगों से गुज़ारिश की कि वे परमेश्‍वर के विश्राम में दाखिल होने के लिए अपना भरसक करें।

कार्यक्रम का आखिरी भाषण शासी निकाय के सदस्य एनथनी मॉरिस ने दिया जिसका विषय था “हम किसका इंतज़ार कर रहे हैं?” वक्‍त की नज़ाकत को ध्यान में रखते हुए एक प्यारे पिता की तरह भाई मॉरिस ने हाज़िर लोगों को याद दिलाया कि अभी कई भविष्यवाणियाँ पूरी होनी बाकी हैं, जिनकी वफादार लोग बेसब्री से बाट जोह रहे हैं। इनमें “शांति और सुरक्षा” की पुकार और झूठे धर्म का विनाश होना शामिल है। (1 थिस्स. 5:2, 3; प्रका. 17:15-17) भाई मॉरिस ने चिताया कि किसी खबर के सुनने पर हमें ऐसा नहीं कहना चाहिए, “हर-मगिदोन आ गया” क्योंकि इन घटनाओं से बाइबल की ये भविष्यवाणियाँ पूरी नहीं होतीं। उन्होंने कहा कि जैसा कि मीका 7:7 में बताया गया है, हमें धीरज धरते हुए खुशी के साथ उसका इंतज़ार करना चाहिए। साथ ही उन्होंने सभी को शासी निकाय के “साथ मिलकर” काम करने का बढ़ावा दिया, जैसे सैनिक बड़े युद्ध के मैदान में एक-साथ निकल पड़ते हैं। उन्होंने कहा: “हे यहोवा पर आशा रखनेवालो हियाव बान्धो और तुम्हारे हृदय दृढ़ रहें!”—भज. 31:24.

आखिर में कुछ ऐसी घोषणाएँ की गयीं जिनसे नया इतिहास बना। शासी निकाय के एक और सदस्य जैफरी जैकसन ने प्रहरीदुर्ग के सरल अध्ययन संस्करण के बारे में घोषणा की जिसे कुछ समय के लिए आज़माकर देखा जाएगा। यह खासकर उन लोगों के लिए है जिन्हें ज़्यादा अँग्रेज़ी नहीं आती। उसके बाद शासी निकाय के सदस्य स्टीवन लैट ने घोषणा की कि अमरीका में ज़िला निगरान और उनकी पत्नियों के साथ चरवाही भेंट करने का इंतज़ाम किया जाएगा। फिर उन्होंने बताया कि अब से ‘मंडली सेवक प्रशिक्षण स्कूल’ का नाम बदलकर ‘अविवाहित भाइयों के लिए बाइबल स्कूल’ रखा जाएगा। इसके बाद जल्द, मसीही जोड़ों के लिए भी बाइबल स्कूल शुरू किया जाएगा। इस स्कूल से मसीही जोड़ों को ज़्यादा तालीम मिलेगी ताकि वे यहोवा के संगठन के लिए फायदेमंद साबित हो सकें। भाई लैट ने सफरी निगरानों और उनकी पत्नियों के लिए स्कूल साथ ही, शाखा समिति के सदस्यों और उनकी पत्नियों के लिए पैटरसन में होनेवाली क्लास की घोषणा की जो साल में दो बार आयोजित की जाएगी। जो लोग पहले इस क्लास में हाज़िर हो चुके हैं, वे भी दोबारा इनमें हाज़िर होंगे।

97 साल के भाई जॉन ई. बार जो शासी निकाय के सदस्य हैं उन्होंने जिस तरह कार्यक्रम को खत्म किया वह दिल को छू गया। भाई बार ने तहेदिल और सच्चे मन से प्रार्थना की। * इस सभा के आखिर में हरेक को महसूस हुआ कि यह वाकई ऐतिहासिक दिन था।

[फुटनोट]

^ भाई जॉन बार ने 4 दिसंबर, 2010 को धरती पर अपना जीवन खत्म किया।

[पेज 19 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

एक-दूसरे को जानिए, इस इंटरव्यू ने हाज़िर लोगों का दिल छू लिया

[पेज 20 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

यहोवा ने इथिओपिया में प्रचार काम पर आशीष दी