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येहू सच्ची उपासना का ज़बरदस्त हिमायती

येहू सच्ची उपासना का ज़बरदस्त हिमायती

येहू सच्ची उपासना का ज़बरदस्त हिमायती

येहू ने सच्ची उपासना को बढ़ावा देने के लिए जी-जान लगा दी। उसने पूरी हिम्मत, ताकत, फुर्ती और जोश के साथ काम किया और तब तक चैन से नहीं बैठा जब तक उसने यहोवा का दिया काम पूरा नहीं कर दिया। येहू ने कई बेहतरीन गुण दिखाए जिन्हें हम अपने जीवन में लागू कर सकते हैं।

येहू को यहोवा की तरफ से ज़िम्मेदारी तब मिली जब इसराएल राष्ट्र की हालत बहुत खराब थी। पूरे राष्ट्र पर ईज़ेबेल की करतूतों का बुरा असर देखा जा सकता था। वह पिछले राजा अहाब की विधवा और उस वक्‍त के राजा योराम की माँ थी। वह लोगों को यहोवा की उपासना करने के बजाय, बाल देवता की उपासना करने का बढ़ावा देती थी। उसने परमेश्‍वर के कई भविष्यवक्‍ताओं को मौत के घाट उतार दिया था और अपने “छिनालपन और टोना” से सारी प्रजा को भ्रष्ट कर डाला था। (2 राजा 9:22; 1 राजा 18:4, 13) यहोवा ने ऐलान किया कि वह अहाब के पूरे घराने का नाश कर देगा, जिसमें योराम और ईज़ेबेल भी शामिल थे। इस काम की ज़िम्मेदारी उसने येहू के कंधे पर डाली।

बाइबल में येहू का पहली बार ज़िक्र तब आता है जब गिलाद के रामोत नाम जगह में इसराएलियों और अरामियों के बीच युद्ध छिड़ा हुआ था और येहू वहाँ सेनापतियों के साथ बैठा था। वह सेना का एक बड़ा अधिकारी था और हो सकता है कि वह मुख्य सेनापति रहा हो। भविष्यवक्‍ता एलीशा ने भविष्यवक्‍ताओं के चेलों में से एक को येहू के पास भेजा ताकि वह चेला राजा बनने के लिए येहू का अभिषेक करे और उसे निर्देश दे कि वह धर्मत्यागी अहाब के घराने के सारे पुरुषों को मार डाले।—2 राजा 8:28; 9:1-10.

जब येहू के साथी सेनापतियों ने उससे पूछा कि भविष्यवक्‍ताओं में से एक का चेला उसके पास क्यों आया था, तो पहले येहू थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन सबके ज़ोर डालने पर उसने सच्चाई बता दी। तब वह और उसके साथी, योराम के खिलाफ साज़िश रचने लगे। (2 राजा 9:11-14) लगता है कि लोगों में राज-घराने की नीतियों और ईज़ेबेल के कामों के खिलाफ अंदर-ही-अंदर चिंगारी सुलग रही थी और लोग गुस्से में भरे बैठे थे। बात चाहे जो भी हो, येहू ने बहुत सोच-विचारकर फैसला किया कि यहोवा के दिए काम को पूरा करने के लिए कौन-सा तरीका सबसे अच्छा होगा।

उस वक्‍त राजा योराम यिज्रैल शहर में था क्योंकि अरामियों के खिलाफ युद्ध में वह घायल हो गया था और यिज्रैल में अपना इलाज करा रहा था। येहू जानता था कि उसकी योजना सफल होने के लिए ज़रूरी है कि यिज्रैल में इस बारे में किसी को भी भनक न पड़े। उसने कहा, “इस नगर में से कोई निकल कर यिज्रैल में सुनाने को न जाने पाए।” (2 राजा 9:14, 15) शायद उसे योराम के वफादार सैनिकों से विद्रोह की आशंका थी। येहू उन्हें ऐसा करने का कोई मौका नहीं देना चाहता था।

एक पल भी नहीं गँवाया

येहू चाहता था कि योराम पर अचानक हमला करके वह उसे सकपका दे, इसलिए वह तुरंत रथ पर सवार हुआ और यिज्रैल के लिए निकल पड़ा, जो कि गिलाद से 72 किलोमीटर दूर था। जब वह यिज्रैल के नज़दीक पहुँचा, तो उस शहर के गुम्मट पर खड़े एक पहरुए ने “येहू के विशाल दल को आते” देखा। (2 राजा 9:17, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) इससे ज़ाहिर होता है कि येहू अपने साथ एक बड़ी सेना लेकर चला था, क्योंकि वह हर हाल में अपने मकसद में कामयाब होना चाहता था।

पहरुए को लगा कि हो-न-हो एक रथ पर साहसी येहू ही सवार है, इसलिए उसने कहा: “वह तो बौड़हे [“पागलों,” ईज़ी-टू-रीड वर्शन] की नाई हांकता है।” (2 राजा 9:20) सोचिए अगर येहू आमतौर पर तेज़ी से रथ दौड़ाने के लिए जाना जाता था तो इस मौके पर उसने अपना रथ और भी कितनी रफ्तार से भगाया होगा।

येहू जब रास्ते में ही था तो राजा ने उसके पास दो दूत भेजे, मगर उसने दोनों ही दूत के हाथ कुछ जवाब नहीं भिजवाया। यह देखकर राजा योराम और यहूदा का राजा अहज्याह, जिसने उस वक्‍त योराम से संधि कर ली थी, अपने-अपने रथों पर सवार होकर येहू से मिलने के लिए आए। राजा योराम ने पूछा: “हे येहू क्या कुशल है?” येहू ने क्रोध-भरे स्वर में कहा, “जब तक तेरी माता ईज़ेबेल छिनालपन और टोना करती रहे, तब तक कुशल कहां?” इस जवाब से योराम डर गया और भागने के लिए मुड़ा। लेकिन येहू ने बिना एक पल गँवाए तीर चलाकर योराम के दिल को आर-पार छेद दिया और राजा वहीं रथ में ढेर हो गया। इस बीच अहज्याह भाग निकलने में कामयाब हो गया, मगर येहू ने उसका पीछा करके उसे भी मौत के घाट उतार दिया।—2 राजा 9:22-24, 27.

अब बारी दुष्ट रानी ईज़ेबेल की थी। येहू ने उसे “स्रापित स्त्री” कहा, जो सही था। जब येहू यिज्रैल में पहुँचा, तब उसने ईज़ेबेल को महल की खिड़की से झाँकते देखा। येहू ने तुरंत साफ और सीधे शब्दों में दरबार के अधिकारियों को हुक्म दिया कि वे ईज़ेबेल को खिड़की से नीचे फेंक दें। फिर उसने उस औरत को अपने घोड़ों से रौंद दिया, जिसने पूरे इसराएल को भ्रष्ट कर दिया था। इसके बाद येहू ने दुष्ट अहाब के घराने के दूसरे दर्जनों सदस्यों का खात्मा कर दिया।—2 राजा 9:30-34; 10:1-14.

यह सच है कि खून-खराबा कोई भी पसंद नहीं करता, लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि उन दिनों यहोवा अपने सेवकों के ज़रिए बुरे लोगों को उनके किए की सज़ा देता था। बाइबल कहती है: “अहज्याह का विनाश यहोवा की ओर से हुआ, क्योंकि वह [योराम] के पास गया था। और जब वह वहां पहुंचा, तब [योराम] के संग निमशी के पुत्र येहू का साम्हना करने को निकल गया, जिसका अभिषेक यहोवा ने इसलिये कराया था कि वह अहाब के घराने को नाश करे।” (2 इति. 22:7) जब येहू ने योराम की लाश उसके रथ से फेंक दी, तब उसे समझ आया कि उसके इस काम से यहोवा की बात पूरी हुई कि अहाब ने जिस तरह नाबोत का खून किया था, यहोवा उसकी सज़ा ज़रूर देगा। इसके अलावा, ईज़ेबेल ने परमेश्‍वर के दासों का जो खून बहाया था, येहू को उसका भी “पलटा” लेने की आज्ञा मिली थी।—2 राजा 9:7, 25, 26; 1 राजा 21:17-19.

आज यहोवा का कोई भी सेवक सच्ची उपासना के विरोधियों के साथ मार-पीट या खून-खराबा नहीं करता। परमेश्‍वर कहता है, “बदला देना मेरा काम है।” (इब्रा. 10:30) लेकिन अगर किसी व्यक्‍ति से मंडली के दूषित होने खतरा है, तो मसीही प्राचीनों को येहू की तरह हिम्मत के साथ कदम उठाना पड़ सकता है। (1 कुरिं. 5:9-13) मंडली के सभी सदस्यों को भी ठान लेना चाहिए कि वे बहिष्कृत व्यक्‍तियों के साथ मेल-जोल नहीं रखेंगे।—2 यूह. 9-11.

येहू ने यहोवा के लिए जलन रखी

येहू ने अपना काम किस इरादे से किया, यह हमें उस बात से पता चलता है जो उसने वफादार यहोनादाब से कही: “मेरे संग चल। और देख, कि मुझे यहोवा के निमित्त कैसी जलन रहती है।” यहोनादाब ने इस न्यौते को स्वीकार किया और येहू के रथ पर चढ़कर उसके साथ शोमरोन (सामरिया) गया। वहाँ येहू ने “कपट करके बाल के सब उपासकों को नाश करने” की योजना बनायी।—2 राजा 10:15-17, 19.

येहू ने घोषणा की कि वह बाल को “बहुत बड़ी बलि चढ़ाने जा रहा” है। (2 राजा 10:18, 19, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) एक विद्वान कहता है कि इस मौके पर “येहू ने बहुत समझदारी से शब्दों का चुनाव किया।” उसने जिस शब्द का इस्तेमाल किया उसके बारे में इस विद्वान का कहना है कि “वह आमतौर पर ‘बलिदान’ को दर्शाता है, लेकिन इस शब्द को धर्मत्यागियों के ‘कत्लेआम’ के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।” येहू नहीं चाहता था कि बाल का एक भी उपासक इस मौके पर हाज़िर होने से चूक जाए, इसलिए उसने सभी को बाल के भवन में इकट्ठा किया और उन्हें एक खास तरह का कपड़ा पहनने को कहा। जैसे ही वे ‘होमबलि चढ़ा चुके,’ येहू ने अपने 80 हथियारबंद लोगों को बाल के भक्‍तों का कत्लेआम करने का आदेश दिया। फिर उसने बाल के भवन को ढा दिया और उस जगह को पाखाना बना दिया, इस तरह वह जगह उपासना के योग्य नहीं रह गयी।—2 राजा 10:20-27.

बाइबल उसे एक बहादुर व्यक्‍ति कहती है जिसने इसराएल को ईज़ेबेल और उसके परिवार के अत्याचारी शासन से आज़ाद करने के लिए खून की नदियाँ बहायीं। इसराएल के किसी अगुवे को अगर इस मकसद में कामयाब होना था तो उसमें साहस, पक्का इरादा और जोश का होना निहायत ज़रूरी था। बाइबल का एक शब्दकोश बताता है कि “यह काम बहुत मुश्‍किल था और इसे पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गयी। अगर थोड़ी भी नरमी बरती जाती, तो इसराएल से बाल की उपासना को उखाड़ पाना नामुमकिन होता।”

आज भी मसीहियों को कुछ ऐसे ही हालात का सामना करना पड़ता है, जिसमें उन्हें येहू के जैसे कुछ गुण दिखाने की ज़रूरत पड़ती है। मसलन, अगर हम पर कोई ऐसा काम करने का दबाव आता है जिसे यहोवा ने मना किया है, तो हमें कैसा रवैया दिखाना चाहिए? हमें दबाव का विरोध करने के लिए फौरन हिम्मत और जोश के साथ कदम उठाना चाहिए। जब भक्‍ति दिखाने की बात आती है, तो हम यहोवा के अलावा किसी और की उपासना नहीं करते और उसके लिए जलन रखते हैं।

यहोवा की व्यवस्था पर चलते रहने का ध्यान रखिए

इस कहानी के अंत में हमें एक चेतावनी मिलती है। बाइबल बताती है, ‘येहू बेतेल और दान में के सोने के बछड़ों की पूजा से अलग न हुआ।’ (2 राजा 10:29) आखिर यह कैसे हो गया कि जिस इंसान ने सच्ची उपासना के लिए इतना जोश दिखाया, उसी ने मूर्ति पूजा को बढ़ावा दिया?

येहू को शायद लगा होगा कि अगर उसे यहूदा राज्य से अपने इसराएल राज्य को अलग रखना है, तो उसे धर्म के मामले में भी दोनों राज्यों को अलग-अलग रखना होगा। इसलिए वह अपने से पहले के इसराएल के राजाओं की लीक पर चला और बछड़े की उपासना को बढ़ावा देकर उसने दोनों राज्यों को अलग-अलग रखने की कोशिश की। लेकिन उसके इस कदम से ज़ाहिर होता कि उसे यहोवा पर भरोसा नहीं है, जिसने उसे राजा बनाया था।

यहोवा ने येहू की तारीफ इसलिए की क्योंकि ‘उस ने वह किया, जो परमेश्‍वर की दृष्टि में ठीक था।’ फिर भी “येहू ने इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा की व्यवस्था पर पूर्ण मन से चलने की चौकसी न की।” (2 राजा 10:30, 31) येहू ने पहले जो भी किया था, उसे याद करते हुए जब आप उसके इस काम को देखेंगे तो शायद आपको हैरानी हो और दुख भी पहुँचे, लेकिन इससे हमें एक सबक मिलता है। हमें यहोवा के साथ अपने रिश्‍ते को मामूली नहीं समझना चाहिए। हमें हर दिन परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करने और उस पर मनन करने, साथ ही उससे दिल खोलकर प्रार्थना करने के ज़रिए उसके लिए अपनी वफादारी बढ़ाते जाना होगा। इसलिए आइए हम यहोवा की व्यवस्था पर पूरे दिल से चलने का ध्यान रखें।—1 कुरिं. 10:12.

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इतिहास के पन्‍नों पर येहू का नाम

आलोचक कई बार कहते हैं कि बाइबल में दिए स्त्री-पुरुष कभी अस्तित्व में नहीं थे, वे काल्पनिक हैं। तो क्या येहू के बारे में बाइबल के अलावा कहीं और से कोई सबूत मिलता है?

प्राचीन अश्‍शूर के कम-से-कम तीन दस्तावेज़ों में इसराएल के इस राजा का नाम मिलता है। इनमें से एक शिलालेख यह दिखाने का दावा करता है कि येहू या शायद उसका कोई दूत अश्‍शूर के राजा शल्मनेसेर के सामने झुक रहा है और उसे नज़राना पेश कर रहा है। उसी शिलालेख पर लिखा है: “येहू (इआ-उ-आ), ओम्री (हु-उम-री) के बेटे का नज़राना; मैंने उससे चाँदी, सोना, सोने का सप्लु-कटोरा, नुकीली पेंदीवाला सोने का फूलदान, सोने के गिलास, सोने की बाल्टियाँ, कनस्तर, राजा के लिए एक राजदंड (और) लकड़ी का पुरुहतु [आखिरी शब्द का मतलब नहीं मालूम] लिया।” येहू “ओम्री का बेटा” नहीं था, लेकिन शायद यह उपाधि इसराएल के उन राजाओं के लिए इस्तेमाल की जाती थी जो ओम्री के बाद राजा बने, शायद इसलिए क्योंकि ओम्री बहुत मशहूर हो गया था और उसी ने इसराएल की राजधानी, सामरिया को बनाया था।

अश्‍शूर के राजा के इस दावे को साबित नहीं किया जा सकता कि येहू ने उसे नज़राना पेश किया। फिर भी वह तीन बार येहू का ज़िक्र करता है; एक तो शिलालेख पर, शल्मनेसेर की प्रतिमा पर और अश्‍शूर के शाही दस्तावेज़ों में। इन सबूतों से पक्का हो जाता है कि बाइबल में दिया यह शख्स वाकई अस्तित्व में था।