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पहली सदी में और आज पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलना

पहली सदी में और आज पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलना

पहली सदी में और आज पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलना

“ये सारे काम वही एक पवित्र शक्‍ति करती है।”—1 कुरिं. 12:11.

1. हम इस लेख में किन मुद्दों पर गौर करेंगे?

 पिन्तेकुस्त शब्द सुनते ही हमारे मन में कई रोमांचक घटनाओं की तसवीरें उभर आती हैं। (प्रेषि. 2:1-4) पहली सदी में जब पवित्र शक्‍ति उँडेली गयी तब से, अपने सेवकों के साथ परमेश्‍वर के व्यवहार में एक ज़बरदस्त बदलाव आया। पिछले लेख में हमने देखा कि पवित्र शक्‍ति ने कैसे अलग-अलग तरीकों से परमेश्‍वर के सेवकों को मुश्‍किल ज़िम्मेदारियाँ सँभालने में मदद दी। लेकिन पवित्र शक्‍ति ने पुराने ज़माने में जिस तरह काम किया और जिस तरह पहली सदी में काम किया, उसमें क्या फर्क है? और आज के ज़माने में मसीही, पवित्र शक्‍ति से कैसे फायदा पाते हैं? आइए देखें।

“देख! मैं यहोवा की दासी हूँ!”

2. मरियम ने पवित्र शक्‍ति को किस तरह काम करते हुए देखा था?

2 यीशु मसीह के वादे के मुताबिक जब पवित्र शक्‍ति उँडेली गयी, तब मरियम यरूशलेम के उस ऊपरी कमरे में मौजूद थी। (प्रेषि. 1:13, 14) लेकिन इस घटना के तीस साल पहले से ही वह जानती थी कि पवित्र शक्‍ति किन शानदार तरीकों से काम कर सकती है। जब वह कुवाँरी ही थी, यहोवा ने अपने बेटे का जीवन स्वर्ग से उसके गर्भ में डाल दिया था। यह “परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति की ताकत से” हुआ था।—मत्ती 1:20.

3, 4. मरियम ने कैसा रवैया दिखाया और हम उसकी मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?

3 मरियम को यह अनोखा सम्मान क्यों दिया गया? जब स्वर्गदूत ने उसे बताया कि उसके लिए यहोवा की मरज़ी क्या है, तब मरियम ने कहा: “देख! मैं यहोवा की दासी हूँ! तू ने जैसा कहा है, वैसा ही मेरे साथ हो।” (लूका 1:38) मरियम के जवाब ने ज़ाहिर किया कि उसका दिल कैसा था। परमेश्‍वर ने पहले से ही उसके रवैए पर गौर किया था। मरियम ने जिस तरह बिना देर किए स्वर्गदूत को जवाब दिया, उससे पता चलता है कि वह परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने के लिए एकदम तैयार थी। उसने ये सवाल नहीं पूछे कि अगर वह गर्भवती हुई तो ज़माना क्या कहेगा या फिर उसका मँगेतर क्या सोचेगा। खुद को दासी कहकर मरियम ने ज़ाहिर किया कि वह पूरी तरह अपने मालिक यहोवा पर भरोसा रखती है।

4 क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि परमेश्‍वर की सेवा में मिली ज़िम्मेदारियाँ सँभालना आपके बस के बाहर है? अगर ऐसा है तो आपको खुद-से ये सवाल पूछने चाहिए: ‘क्या मुझे यकीन है कि यहोवा मुझे अपनी ज़िम्मेदारी को उसकी मरज़ी के मुताबिक पूरी करने में मदद देगा? क्या मैं खुशी-खुशी परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने के लिए तैयार रहता हूँ?’ अगर एक इंसान परमेश्‍वर पर भरोसा रखे और उसकी मरज़ी के मुताबिक काम करे तो वह उसे अपनी पवित्र शक्‍ति ज़रूर देगा।—प्रेषि. 5:32.

पवित्र शक्‍ति ने पतरस की मदद की

5. पतरस ने ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त से पहले पवित्र शक्‍ति को किन तरीकों से काम करते देखा था?

5 मरियम की तरह, प्रेषित पतरस ने भी ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त में हुई घटना से पहले परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति को अपनी ज़िंदगी में ज़बरदस्त तरीके से काम करते देखा था। यीशु ने उसे और दूसरे प्रेषितों को दुष्ट स्वर्गदूत निकालने का अधिकार दिया था। (मर. 3:14-16) पतरस ने ज़रूर इस अधिकार का इस्तेमाल किया होगा, हालाँकि बाइबल में इस बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं दी गयी है। इसके अलावा, पवित्र शक्‍ति की मदद से ही पतरस, यीशु के कहने पर गलील झील पर चल सका। (मत्ती 14:25-29 पढ़िए।) इसमें कोई शक नहीं कि पवित्र शक्‍ति की मदद से पतरस कई शानदार काम कर पाया। लेकिन आगे चलकर पवित्र शक्‍ति पतरस और दूसरे चेलों पर नए तरीकों से काम करनेवाली थी।

6. पवित्र शक्‍ति की मदद से पतरस ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त के दिन और उसके बाद क्या कर पाया?

6 पिन्तेकुस्त के दिन पवित्र शक्‍ति ने पतरस और दूसरों को उन लोगों की भाषाओं में बोलने की काबिलीयत दी, जो अलग-अलग देशों से यरूशलेम आए थे। उसके बाद, पतरस खड़ा हुआ और उसने वहाँ इकट्ठी हुई भीड़ को एक भाषण दिया। (प्रेषि. 2:14-36) जी हाँ, यह वही पतरस था जो बहुत उतावला हुआ करता था और जिसे इंसान का डर था। अब उसे इतनी ताकत मिली कि वह धमकियों और विरोध के बावजूद निडर होकर गवाही दे सका। (प्रेषि. 4:18-20, 31) पवित्र शक्‍ति के ज़रिए परमेश्‍वर ने उसे गुप्त बातों की जानकारी दी। (प्रेषि. 5:8, 9) यहाँ तक कि परमेश्‍वर ने उसे एक मरे हुए व्यक्‍ति को जी उठाने की ताकत भी दी।—प्रेषि. 9:40.

7. पतरस, यीशु की किन शिक्षाओं को अभिषिक्‍त किए जाने के बाद ही समझ पाया?

7 यह सच है कि पिन्तेकुस्त से पहले भी, पतरस यीशु की कई शिक्षाओं का मतलब समझता था। (मत्ती 16:16, 17; यूह. 6:68) लेकिन उसकी शिक्षा के कुछ पहलू ऐसे थे जिनकी साफ समझ पतरस को पिन्तेकुस्त के पहले नहीं थी। मिसाल के लिए, वह यह नहीं समझ पाया था कि यीशु को तीसरे दिन आत्मिक शरीर में जी उठाया जाएगा, ना ही यह कि उसका राज स्वर्ग में होगा। (यूह. 20:6-10; प्रेषि. 1:6) यह बात भी उसकी समझ के बाहर थी कि एक इंसान आत्मिक प्राणी बनकर स्वर्ग से राज कर सकता है। जब पवित्र शक्‍ति से खुद उसका बपतिस्मा हुआ और उसे स्वर्ग जाने की आशा मिली तब जाकर वह यीशु की शिक्षाओं को पूरी तरह समझ पाया।

8. अभिषिक्‍त लोगों और ‘दूसरी भेड़ों’ को किस तरह का ज्ञान मिल रहा है?

8 पवित्र शक्‍ति के उँडेले जाने के बाद यीशु के चेलों को उन बातों की गहरी समझ मिली जो वे पहले नहीं समझ सकते थे। परमेश्‍वर की प्रेरणा से उन्होंने मसीही यूनानी शास्त्र में यहोवा के मकसद के शानदार पहलुओं के बारे में जानकारी दर्ज़ की, जिसे पढ़कर हमें भी फायदा होता है। (इफि. 3:8-11, 18) आज, पवित्र शक्‍ति से अभिषिक्‍त लोग और “दूसरी भेड़ें,” साथ मिलकर आध्यात्मिक भोजन का आनंद उठाती हैं, इसलिए वे एक ही तरह की सच्चाइयाँ सीखते हैं। (यूह. 10:16) क्या आप परमेश्‍वर के वचन के ज्ञान और समझ की कदर करते हैं जो पवित्र शक्‍ति के ज़रिए आपको दी जाती है?

पौलुस ‘पवित्र शक्‍ति से भर’ गया

9. पवित्र शक्‍ति के ज़रिए पौलुस क्या कर पाया?

9 ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त के तकरीबन एक साल बाद, एक और इंसान को परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति का तोहफा दिया गया। उसका नाम था शाऊल, जिसे बाद में पौलुस के नाम से जाना गया। पवित्र शक्‍ति की मदद से वह अलग-अलग तरह के काम कर पाया जिनके बारे में सीखने से हमें भी फायदा होता है। प्रेषित पौलुस को बाइबल की 14 किताबें लिखने के लिए प्रेरित किया गया। पतरस की तरह पौलुस भी पवित्र शक्‍ति की मदद से, स्वर्ग में अमरता और अनश्‍वरता के बारे में समझ पाया और उसने बाइबल में इस बारे में साफ-साफ लिखा। पवित्र शक्‍ति की मदद से पौलुस लोगों को चंगा कर पाया, दुष्ट स्वर्गदूतों को निकाल पाया, यहाँ तक कि मरे हुओं को भी दोबारा ज़िंदा कर पाया! लेकिन उसे पवित्र शक्‍ति देने का एक खास मकसद था। आज हमें भी उसी मकसद से पवित्र शक्‍ति दी जाती है, लेकिन चमत्कारिक तरीके से नहीं।

10. पवित्र शक्‍ति ने कैसे पौलुस को बोलने की काबिलीयत दी?

10 पौलुस ने “पवित्र शक्‍ति से भरकर” एक जादूगर को निडरता से फटकारा। उस वक्‍त कुप्रुस का राज्यपाल भी वहाँ मौजूद था और उस पर पौलुस की बातों का ज़बरदस्त असर हुआ। “वह यहोवा की शिक्षा से दंग रह गया” और उसने सच्चाई कबूल कर ली। (प्रेषि. 13:8-12) पौलुस जानता था कि सच्चाई के बारे में गवाही देने के लिए पवित्र शक्‍ति बहुत ज़रूरी है। (मत्ती 10:20) उसने इफिसुस की मंडली से गुज़ारिश की कि वे उसके लिए मिन्‍नतें करें ताकि उसे “बोलने की . . . काबिलीयत” दी जाए।—इफि. 6:18-20.

11. पवित्र शक्‍ति ने पौलुस का मार्गदर्शन कैसे किया?

11 पवित्र शक्‍ति ने पौलुस को ना सिर्फ बोलने की काबिलीयत दी बल्कि कुछ इलाकों में उसे बोलने से रोका भी। जब वह अपने मिशनरी दौरे पर निकला, तो पवित्र शक्‍ति ने पौलुस का मार्गदर्शन किया। (प्रेषि. 13:2; प्रेषितों 16:6-10 पढ़िए।) आज भी यहोवा अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए प्रचार काम में हमें मार्गदर्शन देता है। पौलुस की तरह यहोवा के सभी आज्ञाकारी सेवक, निडरता और जोश के साथ सच्चाई का ऐलान करने की पूरी कोशिश करते हैं। हालाँकि आज निर्देश देने के लिए परमेश्‍वर चमत्कार नहीं करता जैसा कि उसने पौलुस के दिनों में किया था, मगर हम इस बात का यकीन रख सकते हैं कि यहोवा अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए नेकदिल लोगों तक सच्चाई का संदेश ज़रूर पहुँचाएगा।—यूह. 6:44.

‘अलग-अलग किस्म के काम’

12-14. क्या परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति उसके सभी सेवकों पर एक ही तरह से काम करती है? समझाइए।

12 पहली सदी के अभिषिक्‍त लोगों की मंडली पर जिस तरह यहोवा ने आशीष दी, क्या उसके बारे में जानकर आज परमेश्‍वर के समर्पित सेवकों को भी हिम्मत नहीं मिलती? बेशक मिलती है! गौर कीजिए कि पवित्र शक्‍ति के चमत्कारिक तोहफों के बारे में पौलुस ने कुरिंथ की मंडली को क्या लिखा: “अब वरदान तो अलग-अलग किस्म के हैं, मगर परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति एक ही है। सेवाएँ अलग-अलग किस्म की हैं, फिर भी प्रभु एक ही है। और जो काम हो रहे हैं वे अलग-अलग किस्म के हैं, फिर भी वह परमेश्‍वर एक ही है जो सब लोगों के अंदर ये सारे काम करता है।” (1 कुरिं. 12:4-6, 11) जी हाँ, परमेश्‍वर का मकसद पूरा करने के लिए पवित्र शक्‍ति उसके सेवकों पर अलग-अलग तरह से काम करती है। पवित्र शक्‍ति मसीह के “छोटे झुंड” और “दूसरी भेड़ें,” दोनों को मिलती है। (लूका 12:32; यूह. 10:16) लेकिन यह मंडली के हर सदस्य पर हमेशा एक जैसा काम नहीं करती।

13 मिसाल के लिए, प्राचीनों को पवित्र शक्‍ति के ज़रिए नियुक्‍त किया जाता है। (प्रेषि. 20:28) मगर सभी अभिषिक्‍त मसीहियों को मंडली में प्राचीन नियुक्‍त नहीं किया जाता। इससे हम क्या समझ सकते हैं? यही कि परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति मंडली के सदस्यों पर अलग-अलग तरीकों से काम करती है।

14 यहोवा ने जिस शक्‍ति का इस्तेमाल करके यीशु को जी उठाया और स्वर्ग में अमर जीवन दिया, वही पवित्र शक्‍ति अभिषिक्‍त जनों को ‘गोद लिए जाने’ का यकीन दिलाती है। (रोमियों 8:11, 15 पढ़िए।) पूरी कायनात बनाने के लिए भी यहोवा ने इसी शक्‍ति का इस्तेमाल किया था। (उत्प. 1:1-3) पवित्र शक्‍ति के ज़रिए ही यहोवा ने शिमशोन को ज़बरदस्त ताकत दी, साथ ही बसलेल को निवासस्थान का काम करने और पतरस को पानी पर चलने में मदद दी। इसलिए, हमें पवित्र शक्‍ति पाने और उससे अभिषिक्‍त होने को एक ही बात नहीं समझनी चाहिए। लोगों का अभिषेक करना, पवित्र शक्‍ति के अलग-अलग कामों में से बस एक है। परमेश्‍वर अपनी मरज़ी के मुताबिक लोगों का अभिषेक करता है।

15. क्या पवित्र शक्‍ति से अभिषेक करने का काम हमेशा तक जारी रहेगा? समझाइए।

15 लोगों का अभिषेक करने के लिए पवित्र शक्‍ति का इस्तेमाल ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त के दिन से शुरू हुआ, मगर इसके हज़ारों साल पहले से ही यहोवा अपने वफादार सेवकों को पवित्र शक्‍ति देता आया है। पवित्र शक्‍ति से अभिषेक करने का काम हमेशा तक जारी नहीं रहेगा। लेकिन पवित्र शक्‍ति परमेश्‍वर के लोगों पर काम करती रहेगी ताकि वे हमेशा तक उसकी मरज़ी पूरी करते रहें।

16. पवित्र शक्‍ति की मदद से आज परमेश्‍वर के सेवक क्या काम कर पा रहे हैं?

16 यहोवा की पवित्र शक्‍ति के ज़रिए आज पृथ्वी पर क्या काम हो रहा है? प्रकाशितवाक्य 22:17 जवाब देता है: “पवित्र शक्‍ति और वह दुल्हन कहती रहती हैं: ‘आ!’ और सुननेवाला हर कोई कहे: ‘आ!’ और हर कोई जो प्यासा हो वह आए। जो कोई चाहे वह जीवन देनेवाला पानी मुफ्त में ले ले।” पवित्र शक्‍ति से उभारे गए मसीही, लोगों को न्यौता दे रहे हैं कि “जो कोई चाहे” वह जीवन देनेवाला पानी कबूल कर ले। हालाँकि इस काम में अभिषिक्‍त मसीही अगुवाई लेते हैं मगर दूसरी भेड़ों के सदस्य भी उनका साथ दे रहे हैं। अभिषिक्‍त जन और दूसरी भेड़ें, दोनों, इसी पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलकर इस काम को अंजाम दे पाते हैं। और इन दोनों ही वर्ग के लोगों ने खुद को यहोवा को समर्पित किया है और “पिता, बेटे और पवित्र शक्‍ति के नाम से” बपतिस्मा लेकर अपना समर्पण ज़ाहिर किया है। (मत्ती 28:19) ये सभी पवित्र शक्‍ति की दिखायी राह पर चलते हैं और उसका फल पैदा करते हैं। (गला. 5:22, 23) अभिषिक्‍त जनों की तरह दूसरी भेड़ें भी पवित्र शक्‍ति की मदद कबूल करती हैं। उसकी मदद से ही वे यहोवा की पवित्रता की माँगों पर खरे उतरने की पूरी कोशिश करते हैं।—2 कुरिं. 7:1; प्रका. 7:9, 14.

पवित्र शक्‍ति माँगते रहिए

17. हम यह कैसे दिखा सकते हैं कि परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति हम पर काम कर रही है?

17 तो फिर चाहे आपकी आशा, स्वर्ग में रहने की हो या पृथ्वी पर, यहोवा आपको “वह ताकत” दे सकता है “जो आम इंसानों की ताकत से कहीं बढ़कर है” ताकि आप अपनी खराई बनाए रख सकें और इनाम पा सकें। (2 कुरिं. 4:7) खुशखबरी सुनाने की वजह से लोग आपकी निंदा कर सकते हैं। लेकिन इसके बावजूद इस काम में लगे रहकर आप दिखा सकते हैं कि पवित्र शक्‍ति आप पर काम कर रही है। याद रखिए कि “अगर मसीह के नाम की खातिर तुम्हें बदनाम किया जाता है, तो तुम सुखी हो, क्योंकि परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति और इसकी महिमा तुम्हारे ऊपर रहती है।”—1 पत. 4:14.

18, 19. यहोवा अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए आपकी मदद कैसे करेगा और इस मामले में आपका फैसला क्या है?

18 सच्चे दिल से जो भी पवित्र शक्‍ति माँगता है उसे परमेश्‍वर दिल खोलकर यह तोहफा देता है। पवित्र शक्‍ति ना सिर्फ आपकी काबिलीयतें बढ़ा सकती है, बल्कि परमेश्‍वर की सेवा में भरसक करने की इच्छा भी आपमें जगा सकती है। “परमेश्‍वर [ही] है जो अपनी मरज़ी के मुताबिक तुम्हारे अंदर काम कर रहा है ताकि तुम्हारे अंदर इच्छा पैदा हो और तुम उस पर अमल भी करो।” अगर हम पवित्र शक्‍ति की मदद लें और “जीवन के वचन पर मज़बूत पकड़” रखने की पूरी कोशिश करें तो हम “डरते और काँपते हुए अपने उद्धार के लिए काम” कर पाएँगे।—फिलि. 2:12, 13, 16.

19 इस यकीन के साथ अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाने में जी जान लगा दीजिए कि पवित्र शक्‍ति आपकी मदद ज़रूर करेगी। अपने काम में महारत हासिल कीजिए और इसके लिए यहोवा से मदद माँगिए। (याकू. 1:5) आपको उसके वचन को समझने, ज़िंदगी की मुश्‍किलों से निपटने और खुशखबरी का प्रचार करने के लिए जो भी मदद चाहिए, वह यहोवा आपको देगा। “माँगते रहो और तुम्हें दे दिया जाएगा। ढूँढ़ते रहो और तुम पाओगे। खटखटाते रहो, और तुम्हारे लिए खोला जाएगा।” (लूका 11:9, 13) यह आयत पवित्र शक्‍ति के मामले में भी लागू होती है। इसलिए, यहोवा से मिन्‍नत करते रहिए कि पुराने ज़माने और आज के वफादार सेवकों की तरह आप भी परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चल सकें।

क्या आप समझा सकते हैं?

• मरियम की तरह हमें भी कैसा रवैया दिखाना चाहिए ताकि हमें आशीष मिले?

• पवित्र शक्‍ति ने किस तरह पौलुस का मार्गदर्शन किया?

• आज पवित्र शक्‍ति किस तरह परमेश्‍वर के सेवकों का मार्गदर्शन करती है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 24 पर तसवीर]

परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति की मदद से पौलुस दुष्ट स्वर्गदूतों के असर को नाकाम कर सका

[पेज 26 पर तसवीर]

पवित्र शक्‍ति आज सभी मसीहियों की मदद करती है, फिर चाहे उनकी आशा जो भी हो