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मंडली का खुशनुमा माहौल बरकरार रखिए

मंडली का खुशनुमा माहौल बरकरार रखिए

मंडली का खुशनुमा माहौल बरकरार रखिए

“हमारे प्रभु यीशु मसीह की महा-कृपा तुम्हारी उस भावना के साथ हो जो तुम दिखाते हो।”—फिलि. 4:23.

हम मंडली में अच्छा माहौल बनाए रखने के लिए अपना योगदान कैसे दे सकते हैं—

भाई-बहनों के साथ संगति करने के मामले में?

प्रचार में जोश दिखाने के मामले में?

प्राचीनों को गलत कामों की इत्तला देने के मामले में?

1. फिलिप्पी और थुआतीरा की मंडलियों को किस बात के लिए शाबाशी दी गयी?

 फिलिप्पी मंडली के भाई-बहन गरीब थे, लेकिन इसके बावजूद वे दिल खोलकर दूसरों की मदद करते थे और अपने संगी विश्‍वासियों को बेइंतिहा प्यार दिखाते थे। (फिलि. 1:3-5, 9; 4:15, 16) यही वजह थी कि प्रेषित पौलुस ने परमेश्‍वर की प्रेरणा से उन्हें अपने खत के आखिर में लिखा: “हमारे प्रभु यीशु मसीह की महा-कृपा तुम्हारी उस भावना के साथ हो जो तुम दिखाते हो।” (फिलि. 4:23) थुआतीरा के मसीहियों ने भी ऐसी ही भावना दिखायी थी, तभी यीशु मसीह ने उनसे कहा: “मैं तेरे काम, तेरे प्यार, विश्‍वास और सेवा और धीरज के बारे में जानता हूँ, और यह भी कि तू ने हाल में जो काम किए हैं, वे तेरे पहले के कामों से कहीं बढ़कर हैं।”—प्रका. 2:19.

2. हमारे रवैए का मंडली के माहौल पर क्या असर होता है?

2 आज भी यहोवा के साक्षियों की हर मंडली एक खास रवैए के लिए जानी जाती है। कुछ मंडलियाँ अपने प्यार के लिए मशहूर हैं। कुछ और मंडलियाँ प्रचार काम में जोश दिखाने और पूरे समय की सेवा की गहरी कदर करने के लिए जानी जाती हैं। हममें से हरेक अगर सही रवैया बनाए रखे, तो मंडली की एकता बढ़ेगी और उसकी आध्यात्मिक तरक्की होगी। (1 कुरिं. 1:10) दूसरी तरफ, अगर हमारा रवैया सही ना हो तो मंडली के भाई-बहन आध्यात्मिक तौर पर ढीले पड़ सकते हैं या गुनगुने हो सकते हैं, यहाँ तक कि वे बुरे कामों को बरदाश्‍त भी करने लग सकते हैं। (1 कुरिं. 5:1; प्रका. 3:15, 16) आपकी मंडली कैसा रवैया दिखाने के लिए जानी जाती है? आप मंडली में खुशनुमा माहौल बनाए रखने के लिए क्या कर सकते हैं?

खुशनुमा माहौल को बढ़ावा दीजिए

3, 4. हम “बड़ी सभा में [यहोवा का] धन्यवाद” कैसे कर सकते हैं?

3 भजनहार दाविद ने गीत में कहा: “मैं बड़ी सभा में [यहोवा] तेरा धन्यवाद करूंगा; बहुतेरे लोगों के बीच मैं तेरी स्तुति करूंगा।” (भज. 35:18) दाविद परमेश्‍वर के दूसरे सेवकों के सामने यहोवा की स्तुति करने से पीछे नहीं हटा। मंडली की सभाओं में, जैसे प्रहरीदुर्ग अध्ययन के दौरान, जवाब देकर हम अपना विश्‍वास और जोश ज़ाहिर कर सकते हैं। हममें से हरेक को खुद से पूछना चाहिए: ‘क्या मैं सभाओं में हिस्सा लेने के सम्मान का पूरा-पूरा फायदा उठा रहा हूँ? क्या मैं सभाओं की अच्छी तैयारी करता हूँ और बढ़िया जवाब देता हूँ? परिवार का मुखिया होने के नाते, क्या मैं अपने बच्चों को जवाब तैयार करने में मदद देता हूँ और उन्हें अपने शब्दों में जवाब देना सिखाता हूँ?’

4 यहोवा के लिए गीत गाकर हम दिखा सकते हैं कि हमारे पास एक स्थिर मन है, यानी हमने उसकी इच्छा करने की मन में ठान ली है। दाविद ने कहा, “हे परमेश्‍वर, मेरा मन स्थिर है, मेरा मन स्थिर है; मैं गाऊंगा वरन भजन कीर्तन करूंगा।” (भज. 57:7) मसीही सभाएँ हमें स्थिर मन से यहोवा के गीत ‘गाने और भजन कीर्तन’ करने का बढ़िया मौका देती हैं। अगर हम कुछ गीतों की धुन अच्छी तरह नहीं जानते, तो क्यों न अपनी पारिवारिक उपासना की शाम को इन्हें गाएँ? आइए हम ठान लें कि हम ‘जीवन भर यहोवा का गीत गाते रहेंगे; जब तक हम बने रहेंगे तब तक अपने परमेश्‍वर का भजन गाते रहेंगे।’—भज. 104:33.

5, 6. हम मेहमान-नवाज़ी और उदारता कैसे दिखा सकते हैं, और ऐसा करने से मंडली में कैसा माहौल पैदा होता है?

5 मंडली में प्यार-भरा माहौल बढ़ाने का एक और तरीका है अपने भाई-बहनों को मेहमान-नवाज़ी दिखाना। इब्रानियों को लिखे अपने खत के आखिरी अध्याय में पौलुस ने यह बढ़ावा दिया: “भाइयों की तरह एक-दूसरे से प्यार करते रहो। मेहमान-नवाज़ी करना मत भूलो।” (इब्रा. 13:1, 2) सफरी निगरानों और उनकी पत्नियों या मंडली में पूरे समय की सेवा करनेवालों को खाने पर बुलाना, मेहमान-नवाज़ी दिखाने का एक बढ़िया तरीका है। इसके अलावा आप ऐसे परिवारों को बुला सकते हैं जहाँ अकेली माँ या पिता बच्चों की परवरिश कर रहे हैं, या फिर आप विधवाओं और मंडली के दूसरे भाई-बहनों को मेहमान-नवाज़ी दिखा सकते हैं। आप इन्हें कभी-कभी अपनी पारिवारिक उपासना में शामिल होने का न्यौता भी दे सकते हैं।

6 पौलुस ने तीमुथियुस को हिदायत दी कि वह भाई-बहनों को सलाह दे कि वे “ऐसे काम करें जो दूसरों के लिए अच्छे हैं, भले कामों में धनी बनें, दरियादिल हों और जो उनके पास है वह दूसरों में बाँटने के लिए तैयार रहें। और अपने लिए ऐसा खज़ाना जमा करें, जो सही-सलामत रहेगा और भविष्य के लिए एक बढ़िया नींव बन जाएगा ताकि वे असली ज़िंदगी पर मज़बूत पकड़ हासिल कर सकें।” (1 तीमु. 6:17-19) पौलुस अपने संगी मसीहियों को दरियादिल होने का बढ़ावा दे रहा था। आर्थिक मंदी के दौर में भी हम उदारता दिखा सकते हैं। ऐसा करने का एक बढ़िया तरीका है प्रचार और सभाओं में दूसरों को अपनी गाड़ी में लाना-ले-जाना। जिन भाई-बहनों के साथ ऐसी भलाई की जाती है, वे ईंधन के बढ़ते खर्चे के मद्देनज़र, अपनी तरफ से कुछ देकर अपनी कदरदानी ज़ाहिर कर सकते हैं। ऐसा करके वे मंडली में एक खुशनुमा माहौल बनाए रखने में अपना योगदान दे रहे होंगे। अगर हम अपने आध्यात्मिक भाई-बहनों के साथ ज़्यादा वक्‍त बिताएँगे, तो क्या उन्हें यह महसूस नहीं होगा कि हम वाकई उनसे प्यार करते हैं और हमें उनकी ज़रूरत है? अगर हम ‘विश्‍वास में हमारे भाई-बहनों’ के लिए भलाई करते रहें और उनके लिए अपना समय और साधन लगाने को तैयार रहें, तो हमारा प्यार बढ़ेगा। इस तरह हम मंडली में एक प्यार-भरा और खुशनुमा माहौल पैदा करने में मदद दे रहे होंगे।—गला. 6:10.

7. दूसरों के निजी मामलों को गुप्त रखने से मंडली में एक खुशनुमा माहौल कैसे बना रहता है?

7 भाई-बहनों के साथ अपने रिश्‍ते और प्यार को ज़्यादा मज़बूत बनाने के लिए भरोसेमंद दोस्त बनना भी ज़रूरी है। (नीतिवचन 18:24 पढ़िए।) सच्चे मसीही दूसरों की निजी बातें गुप्त रखते हैं। जब हमारा कोई भाई हमें इस यकीन के साथ अपने दिल की बात बताता है कि हम उसे अपने तक ही रखेंगे, तो हमारे बीच प्यार और गहरा हो जाता है। आइए हम एक भरोसेमंद दोस्त बनें जो दूसरों का भेद प्रगट नहीं करता, और इस तरह मंडली में परिवार के जैसा प्यार-भरा माहौल बनाए रखें।—नीति. 20:19.

प्रचार में जोशीले बनिए

8. लौदीकिया के मसीहियों को क्या सलाह दी गयी और क्यों?

8 लौदीकिया की मंडली को यीशु ने यह कहा: “मैं तेरे काम जानता हूँ कि तू न तो ठंडा है न गर्म। काश कि तू ठंडा होता या फिर गर्म होता। क्योंकि तू गुनगुना है और न तो गर्म है न ठंडा, इसलिए मैं तुझे अपने मुँह से उगलने पर हूँ।” (प्रका. 3:15, 16) लौदीकिया के मसीहियों में प्रचार काम के लिए जोश नहीं था। इसका असर शायद उनके आपसी रिश्‍तों पर भी पड़ा। इसलिए यीशु ने प्यार से उन्हें यह सलाह दी: “जिनसे मैं गहरा लगाव रखता हूँ उन सभी को मैं ताड़ना और अनुशासन देता हूँ। इसलिए जोशीला बन और पश्‍चाताप कर।”—प्रका. 3:19.

9. प्रचार काम के बारे में हमारा रवैया, मंडली के माहौल पर कैसा असर करता है?

9 मंडली में एक अच्छा और खुशनुमा माहौल बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि हम प्रचार काम के लिए अपने जोश पर ध्यान दें। मंडली के इंतज़ाम का एक मकसद है, इलाके में भेड़ समान लोगों को ढूँढ़ना और उन्हें आध्यात्मिक तौर पर मज़बूत बनाना। इसलिए हमें यीशु की तरह, चेला बनाने के काम में जोश के साथ हिस्सा लेना चाहिए। (मत्ती 28:19, 20; लूका 4:43) प्रचार काम के लिए हमारा जोश जितना ज़्यादा होगा, उतना ही हम ‘परमेश्‍वर के सहकर्मियों’ के तौर पर एकता में बंधे रहेंगे। (1 कुरिं. 3:9) जब हम भाई-बहनों को प्रचार काम में अपने विश्‍वास की पैरवी करते और आध्यात्मिक चीज़ों के लिए अपनी कदरदानी ज़ाहिर करते देखते हैं, तो उनके लिए हमारा प्यार और हमारी इज़्ज़त और बढ़ जाती है। जब हम “कन्धे से कन्धा” मिलाकर प्रचार करते हैं, तो मंडली की एकता बढ़ती है।सपन्याह 3:9 पढ़िए।

10. अगर हम प्रचार काम में अपना हुनर बढ़ाएँ, तो इसका मंडली के भाई-बहनों पर क्या असर होगा?

10 अगर हम प्रचार काम में अपना हुनर बढ़ाएँ तो मंडली के भाई-बहनों पर इसका अच्छा असर होगा। प्रचार में मिलनेवाले लोगों के लिए ज़्यादा परवाह दिखाने और उनके दिल तक पहुँचने की कोशिश करने से प्रचार काम के लिए हमारा जोश बढ़ता है। (मत्ती 9:36, 37) जब भाई-बहन हमारा जोश देखते हैं, तो उनमें भी इसी तरह का जोश भर जाता है। यीशु ने अपने चेलों को अकेले नहीं बल्कि दो-दो करके प्रचार में भेजा। (लूका 10:1) इससे न सिर्फ उनकी हिम्मत बढ़ी और वे एक-दूसरे से सीख पाए, बल्कि उनमें प्रचार काम के लिए गज़ब का जोश भी भर गया। इसमें कोई शक नहीं कि हम जोशीले प्रचारकों के साथ काम करना पसंद करते हैं। उनके जोश से हमारा हौसला बढ़ता है और हमें प्रचार काम में ज़ोर-शोर से हिस्सा लेने का बढ़ावा मिलता है।—रोमि. 1:12.

कुड़कुड़ाने और गलत कामों से सावधान रहिए

11. मूसा के दिनों में कुछ इसराएलियों ने कैसी भावना ज़ाहिर की और इसका क्या नतीजा हुआ?

11 इसराएल को एक नया राष्ट्र बने कुछ ही हफ्ते हुए थे कि वे असंतोष की भावना ज़ाहिर करने लगे और कुड़कुड़ाने लगे। नतीजतन उन्होंने यहोवा और उसके ठहराए अगुवों के खिलाफ बगावत की। (निर्ग. 16:1, 2) मिस्र छोड़नेवालों में से बहुत कम इसराएली ही वादा किए गए देश में कदम रख पाए। इसराएल की मंडली के खराब रवैए की वजह से मूसा गलती कर बैठा और उसे वादा किए देश में कदम रखने की इजाज़त नहीं मिली। (व्यव. 32:48-52) हम एक बुरा रवैया रखने से कैसे बच सकते हैं?

12. हम शिकायती रवैए से कैसे बच सकते हैं?

12 हमें भी कुड़कुड़ाने और शिकायत करने के रवैए से सावधान रहना चाहिए। इस रवैए से बचने का एक तरीका है, नम्र बनना और अधिकार रखनेवालों का आदर करना। लेकिन हमें इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि हमारी संगत कैसी है। गलत किस्म का मनोरंजन चुनना या स्कूल या काम की जगह के ऐसे साथियों से बहुत ज़्यादा मेल-जोल रखना, जो परमेश्‍वर के उसूल नहीं मानते, हमारे लिए नुकसानदेह हो सकता है। अच्छा होगा कि हम ऐसे लोगों से दूर रहें जो शिकायती रवैया रखते हैं या अपनी मन-मरज़ी करते हैं।—नीति. 13:20.

13. कुड़कुड़ाने का बुरा रवैया किस तरह मंडली को आध्यात्मिक तौर पर नुकसान पहुँचा सकता है?

13 कुड़कुड़ाने का बुरा रवैया आध्यात्मिक तौर पर काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। मिसाल के लिए, इससे मंडली की शांति और एकता खतरे में पड़ सकती है। इसके अलावा, अगर हम दूसरों के बारे शिकायतें करते रहें, तो इससे न सिर्फ उन्हें तकलीफ होगी, बल्कि ऐसा करने से शायद हम दूसरे को बदनाम करने या गाली देने जैसे पाप भी कर बैठें। (लैव्य. 19:16; 1 कुरिं. 5:11) पहली सदी की मंडली में कुड़कुड़ानेवाले कुछ लोग ‘अधिकार रखनेवालों को नीची नज़र से देखते थे और जिन पर परमेश्‍वर की महिमा है, उनके बारे में बुरी-बुरी बातें कहते फिरते थे।’ (यहू. 8, 16) मंडली के ज़िम्मेदार भाइयों के खिलाफ इस तरह कुड़कुड़ानेवालों से परमेश्‍वर खुश नहीं था।

14, 15. (क) बुरे कामों को अनदेखा करने से पूरी मंडली पर क्या असर पड़ सकता है? (ख) अगर हमें पता चले कि कोई चोरी-छिपे पाप कर रहा है, तो हमें क्या करना चाहिए?

14 अगर हमें पता चले कि मंडली में कोई चोरी-छिपे पाप कर रहा है, जैसे कोई बदचलन ज़िंदगी जी रहा है, हद-से-ज़्यादा शराब पी रहा है, या अश्‍लील तसवीरें देख रहा है, तो हमें क्या करना चाहिए? (इफि. 5:11, 12) अगर हम ऐसे गलत कामों को अनदेखा कर दें, तो यहोवा की पवित्र शक्‍ति मंडली पर काम नहीं करेगी और इससे मंडली की शांति खतरे में पड़ सकती है। (गला. 5:19-23) जैसे पहली सदी में कुरिंथ के मसीहियों को बुराई को निकाल बाहर करना था, उसी तरह आज भी मंडली में एक अच्छा और खुशनुमा माहौल बनाए रखने के लिए हमें उसे हर तरह के बुरे असर से बचाना है। आप मंडली की शांति बरकरार रखने के लिए क्या कर सकते हैं?

15 जैसा कि पहले बताया गया था, कुछ मामलों को अपने तक रखना ज़रूरी होता है, खासकर जब दूसरे हम पर भरोसा करके हमें अपने दिल की बात बताते हैं। किसी की निजी बातें दूसरों को बताना गलत है और यह बहुत दुख पहुँचा सकता है। लेकिन जब कोई गंभीर पाप करता है, तो हमें उन भाइयों को इसकी खबर कर देनी चाहिए जिन्हें ऐसे मामलों को निपटाने के लिए नियुक्‍त किया गया है, यानी मंडली के प्राचीनों को। (लैव्यव्यवस्था 5:1 पढ़िए।) अगर हम जानते हैं कि एक मसीही इस तरह के गलत काम में फँस गया है, तो हमें पहले उसे बढ़ावा देना चाहिए कि वह प्राचीनों से बात करे और उनकी मदद ले। (याकू. 5:13-15) अगर वह कुछ समय के अंदर ऐसा नहीं करता, तो खुद हमें प्राचीनों को इत्तला करनी चाहिए।

16. गलत कामों के बारे में प्राचीनों को इत्तला करना, कैसे मंडली का अच्छा माहौल बनाए रखने में मदद देता है?

16 मसीही मंडली एक ऐसी जगह है जहाँ सभी आध्यात्मिक तौर पर सुरक्षित महसूस करते हैं। गंभीर पापों के बारे में प्राचीनों को बताकर हम इसे सुरक्षित रखने में अपना योगदान दे सकते हैं। अगर प्राचीनों की मदद पाकर पाप करनेवाले को अपनी गलती का एहसास हो जाए और वह ताड़ना को कबूल करे, तो वह मंडली के लिए खतरा नहीं होगा। मगर तब क्या अगर पाप करनेवाला इंसान पश्‍चाताप ना दिखाए और प्राचीनों की प्यार-भरी सलाह ठुकरा दे? ऐसे इंसान को मंडली से निकाला जाता है और इस तरह उसके बुरे असर का “नाश” किया जाता है और मंडली के मन का अच्छा रुझान बना रहता है। (1 कुरिंथियों 5:5 पढ़िए।) जी हाँ, मंडली के खुशनुमा माहौल को बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि हम सभी इस मामले में अपनी ज़िम्मेदारी निभाएँ, प्राचीनों के निकाय का साथ दें और अपने भाई-बहनों के लिए परवाह दिखाते हुए मंडली को सुरक्षित रखने में अपना योगदान दें।

“एकता में रहने” का बढ़ावा दीजिए

17, 18. “एकता में रहने” के लिए क्या बात हमारी मदद कर सकती है?

17 ‘प्रेषितों से शिक्षा पाने में लगे रहने’ से पहली सदी के यीशु के चेले, मंडली में एकता बनाए रख पाए। (प्रेषि. 2:42) बुज़ुर्गों से उन्हें शास्त्र पर आधारित जो सलाह और निर्देश मिलते थे, उनकी वे दिल से कदर करते थे। आज प्राचीन विश्‍वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास के निर्देश मानते हुए उनका साथ देते हैं। इससे मंडली के भाई-बहनों को एकता में बंधे रहने का बढ़ावा मिलता है। (1 कुरिं. 1:10) जब हम बाइबल पर आधारित उन हिदायतों को मानते हैं, जो यहोवा के संगठन और प्राचीनों से हमें मिलती हैं, तो हम इस बात का सबूत देते हैं कि हम ‘शांति के एक करनेवाले बंधन में बंधे हुए उस एकता में रहने की जी-जान से कोशिश कर रहे हैं जो पवित्र शक्‍ति की तरफ से मिलती है।’—इफि. 4:3.

18 तो फिर आइए हम मंडली में अच्छा और खुशनुमा माहौल बनाए रखने की हर मुमकिन कोशिश करें। अगर हम ऐसा करें तो हम भरोसा रख सकते हैं कि ‘हमारे प्रभु यीशु मसीह की महा-कृपा हमारी उस भावना के साथ होगी जो हम दिखाते हैं।’—फिलि. 4:23.

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 19 पर तसवीर]

क्या आप बढ़िया जवाब देने की तैयारी करके एक अच्छे माहौल को बढ़ावा देते हैं?

[पेज 20 पर तसवीर]

गीतों को अच्छी तरह गाना सीखकर एक खुशनुमा माहौल को बढ़ावा दीजिए