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यहोवा पर भरोसा रखिए जो “समयों और ऋतुओं” का परमेश्‍वर है

यहोवा पर भरोसा रखिए जो “समयों और ऋतुओं” का परमेश्‍वर है

यहोवा पर भरोसा रखिए जो “समयों और ऋतुओं” का परमेश्‍वर है

“समयों और ऋतुओं को वही पलटता है; राजाओं का अस्त और उदय भी वही करता है।”—दानि. 2:21.

आप क्या जवाब देंगे?

यहोवा की बनायी हुई चीज़ें और उसकी भविष्यवाणियाँ कैसे दिखाती हैं कि वह वक्‍त का पाबंद है?

यहोवा “समयों और ऋतुओं” का परमेश्‍वर है यह समझने से हमें क्या करने का बढ़ावा मिलता है?

हम क्यों कह सकते हैं कि चाहे दुनिया में जो भी घटना घटे या इंसान चाहे जो भी योजना बनाए, परमेश्‍वर का मकसद वक्‍त पर पूरा होगा?

1, 2. हम क्यों कह सकते हैं कि यहोवा समय की पूरी समझ रखता है?

 इंसान की सृष्टि से काफी पहले, यहोवा परमेश्‍वर ने समय का हिसाब रखने का इंतज़ाम किया। सृष्टि के चौथे दिन, परमेश्‍वर ने कहा: “दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां हों; और वे चिन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों के कारण हों।” (उत्प. 1:14, 19, 26) यहोवा ने जैसा चाहा ठीक वैसा ही हुआ।

2 वैज्ञानिकों में अब तक इस बात को लेकर बहस छिड़ी है कि आखिर समय है क्या। एक इनसाइक्लोपीडिया कहती है, “समय इस दुनिया के सबसे गहरे रहस्यों में से एक है। इसे कोई भी ठीक-ठीक समझ नहीं पाया है।” लेकिन यहोवा इसे पूरी तरह समझता है। आखिर वह “आकाश का सृजनहार है, . . . उसी ने पृथ्वी को रचा और बनाया” है। इसके अलावा, यहोवा ‘अन्त की बात आदि से और प्राचीनकाल से उस बात को बताता आया है जो अब तक नहीं हुई’ है। (यशा. 45:18; 46:10) आइए देखें कि यहोवा की बनायी हुई चीज़ें और उसकी भविष्यवाणियाँ कैसे दिखाती हैं कि वह वक्‍त का पाबंद है। इससे यहोवा और उसके वचन पर हमारा विश्‍वास और मज़बूत होगा।

सृष्टि वक्‍त के पाबंद यहोवा पर हमारा भरोसा बढ़ाती है

3. हमारे चारों ओर की चीज़ें किस तरह वक्‍त की पाबंद हैं?

3 अगर हम अपने चारों ओर देखें तो पाएँगे कि सूक्ष्म चीज़ों से लेकर विशालकाय चीज़ों तक, सभी वक्‍त के पाबंद हैं। मिसाल के लिए, परमाणुओं में जो कंपन होता है उसकी एक नियत दर है। जिन घड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समय का मानक समझा जाता है वे इसी आधार पर समय बताती हैं। ये घड़ियाँ इतनी सटीकता से वक्‍त का हिसाब रखती हैं कि 8 करोड़ साल में इनके समय में बस 1 सेकेंड का फर्क आता है। ग्रह और सितारे भी इसी तरह एकदम समय का पालन करते हैं। वे हमेशा एक नियत गति से चलते हैं इसलिए पहले से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वे फलाँ वक्‍त पर आसमान में कहाँ होंगे। इनके आधार पर लोग मौसम और दिशा का भी अंदाज़ा लगाते हैं। यहोवा ने ही ये भरोसेमंद “घड़ियाँ” बनायी हैं। वह वाकई “अत्यन्त बली” है और हमारी स्तुति का हकदार है।यशायाह 40:26 पढ़िए।

4. जीव-विज्ञान की दुनिया में समय पर होनेवाले काम कैसे परमेश्‍वर की बुद्धि ज़ाहिर करते हैं?

4 जीव-विज्ञान की दुनिया में भी ऐसा ही कुछ देखा जा सकता है। पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के जीवन-चक्र में सब कुछ निर्धारित समय से होता है। मिसाल के लिए, प्रवासी पक्षी जानते हैं कि उन्हें कब उड़ान भरनी है। (यिर्म. 8:7) इंसानों में भी मानों एक घड़ी होती है जो दिन और रात के चक्र में, उन्हें सोने-जागने और खाने-पीने के वक्‍त का एहसास कराती है। मसलन, अगर हम किसी दूर देश जाएँ, जहाँ का समय अलग हो, तो हमारे अंदर की घड़ी को वहाँ के समय का आदी होने में थोड़ा वक्‍त लगता है। वाकई, सृष्टि में जिस तरह सब कुछ वक्‍त के हिसाब से होता है, वह इस बात का सबूत है कि “समयों और ऋतुओं” के परमेश्‍वर में कितनी ताकत और बुद्धि है! (भजन 104:24 पढ़िए।) जी हाँ, वक्‍त का पाबंद यहोवा, सबसे बुद्धिमान और शक्‍तिशाली है। हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि वह जो करना चाहता है, उसे पूरा कर सकता है।

समय पर पूरी हुई भविष्यवाणियों से हमारा भरोसा बढ़ता है

5. (क) इंसानों के भविष्य के बारे में जानने का सिर्फ एक तरीका क्या है? (ख) यहोवा भविष्य में होनेवाली घटनाओं और उनके घटने के समय के बारे में पहले से क्यों बता सकता है?

5 सृष्टि से हम यहोवा के ‘अनदेखे गुणों’ के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं, लेकिन यह हमें कई ज़रूरी सवालों के जवाब नहीं देती, जैसे कि भविष्य में इंसानों का क्या होगा? (रोमि. 1:20) इसके जवाब के लिए हमें परमेश्‍वर के वचन, बाइबल में झाँकना होगा। बाइबल की जाँच करने पर हमें ऐसी कई भविष्यवाणियाँ मिलती हैं, जो हमेशा समय पर पूरी हुई हैं। यहोवा को भविष्य की पूरी जानकारी है इसलिए वह बता सकता है कि आगे क्या होनेवाला है। इसके अलावा, बाइबल में दर्ज़ भविष्यवाणियाँ ठीक समय पर पूरी होती हैं क्योंकि यहोवा परमेश्‍वर अपने मकसद और ठहराए समय के मुताबिक घटनाओं का रुख भी मोड़ सकता है।

6. हम कैसे जानते हैं कि यहोवा चाहता है, हम बाइबल की भविष्यवाणियों को समझें?

6 यहोवा चाहता है कि उसके उपासक बाइबल की भविष्यवाणियाँ समझें और उनसे फायदा पाएँ। हालाँकि परमेश्‍वर समय को हमारे नज़रिए से नहीं देखता, लेकिन जब वह बताता है कि कोई घटना कब घटेगी तो वह ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करता है जिन्हें हम समझ सकें। (भजन 90:4 पढ़िए।) मिसाल के लिए, प्रकाशितवाक्य की किताब, “चार स्वर्गदूतों” का ज़िक्र करती है जिन्हें “इसी घड़ी, दिन, महीने और साल के लिए तैयार किया गया है।” ये समय को बतानेवाले ऐसे शब्द हैं जिन्हें हम आसानी से समझ सकते हैं। (प्रका. 9:14, 15) जब हम देखते हैं कि भविष्यवाणियाँ कैसे ठहराए हुए समय पर पूरी हुई हैं, तो “समयों और ऋतुओं” के परमेश्‍वर और उसके वचन पर हमारा भरोसा बढ़ता है। आइए ऐसी कुछ भविष्यवाणियों पर गौर करें।

7. यरूशलेम और यहूदा के बारे में यिर्मयाह की भविष्यवाणी जिस तरह पूरी हुई, वह कैसे दिखाती है कि यहोवा वक्‍त का पाबंद है?

7 आइए पहले हम ईसा पूर्व सातवीं सदी की एक घटना पर गौर करें। “योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के चौथे वर्ष में,” वक्‍त के पाबंद यहोवा का वचन, “यिर्मयाह नबी के पास पहुंचा।” यह वचन यहूदा के लोगों के बारे में था। (यिर्म. 25:1, 2) यहोवा ने भविष्यवाणी की थी कि यरूशलेम का नाश होगा और यहूदियों को बंदी बनाकर बैबिलोनिया देश ले जाया जाएगा। वे “सत्तर वर्ष तक बाबुल के राजा के आधीन” रहते। ठीक जैसे भविष्यवाणी की गयी थी, ईसा पूर्व 607 में बैबिलोनिया की सेना ने यरूशलेम का नाश कर दिया और यहूदियों को बंदी बनाकर ले गए। मगर 70 सालों बाद क्या होता? यिर्मयाह ने भविष्यवाणी की: “यहोवा यों कहता है कि बाबुल के सत्तर वर्ष पूरे होने पर मैं तुम्हारी सुधि लूंगा, और अपना यह मनभावना वचन कि मैं तुम्हें इस स्थान में लौटा ले आऊंगा, पूरा करूंगा।” (यिर्म. 25:11, 12; 29:10) यह भविष्यवाणी सही वक्‍त पर, ईसा पूर्व 537 में पूरी हुई, जब मादियों और फारसियों ने यहूदियों को बैबिलोनिया देश से आज़ाद कराया।

8, 9. मसीहा के आने और उसके राज के शुरू होने के बारे में दानिय्येल ने जो भविष्यवाणियाँ कीं, वे कैसे दिखाती हैं कि यहोवा “समयों और ऋतुओं” का परमेश्‍वर है?

8 आइए पुराने ज़माने की एक और भविष्यवाणी पर गौर करें। यहूदियों के बैबिलोनिया छोड़ने से दो साल पहले, परमेश्‍वर ने भविष्यवक्‍ता दानिय्येल के ज़रिए बताया कि यरूशलेम के दोबारा बनवाए जाने की आज्ञा के 483 साल बाद मसीहा आएगा। मादी-फारस के राजा ने यह आज्ञा, ईसा पूर्व 455 में दी। इसके ठीक 483 साल बाद, ईसवी सन्‌ 29 में जब नासरत के यीशु ने बपतिस्मा लिया और पवित्र शक्‍ति से उसका अभिषेक किया गया तब वह मसीहा के तौर पर ज़ाहिर हुआ। *नहे. 2:1, 5-8; दानि. 9:24, 25; लूका 3:1, 2, 21, 22.

9 अब ध्यान दीजिए कि बाइबल में परमेश्‍वर के राज के बारे में क्या भविष्यवाणी की गयी थी। बाइबल में इस बात की ओर इशारा किया गया था कि ठीक सन्‌ 1914 से मसीहा स्वर्ग में हुकूमत शुरू करेगा। हम यह कैसे जानते हैं? भविष्यवाणी में बताया गया था कि यीशु की मौजूदगी की “निशानी” क्या होगी। साथ ही यह भी बताया गया था कि उस वक्‍त धरती पर परेशानियाँ बढ़ जाएँगी क्योंकि शैतान को स्वर्ग से फेंक दिया जाएगा। (मत्ती 24:3-14; प्रका. 12:9, 12) इसके अलावा, बाइबल बताती है कि कब “राष्ट्रों के लिए तय किया हुआ वक्‍त पूरा” होगा और कब स्वर्ग में मसीहा का राज शुरू होगा और यह ठीक सन्‌ 1914 में हुआ।—लूका 21:24; दानि. 4:10-17. *

10. भविष्य में कौन-सी घटनाएँ यकीनन वक्‍त पर घटेंगी?

10 जल्द ही वह “महा-संकट” आनेवाला है जिसके बारे में यीशु ने भविष्यवाणी की थी। उसके बाद, उसका हज़ार साल का राज शुरू होगा। हम यकीन रख सकते हैं कि यह सब ठीक समय पर पूरा होगा। जब यीशु ने महा-संकट की बात कही तब तक यहोवा इन घटनाओं के होने का ‘दिन और वक्‍त’ तय कर चुका था।—मत्ती 24:21, 36; प्रका. 20:6.

“तय वक्‍त का पूरा-पूरा इस्तेमाल करो”

11. हम आखिरी दिनों में जी रहे हैं, इस बात का हम पर क्या असर होना चाहिए?

11 हम जानते हैं कि यीशु राजा बन चुका है और हम “अन्त समय” में जी रहे हैं। (दानि. 12:4) इस बात का हम पर क्या असर होना चाहिए? ज़्यादातर लोग देखते हैं कि इस दुनिया की हालत बिगड़ रही है, लेकिन वे यह कबूल नहीं करते कि इन घटनाओं से आखिरी दिनों के बारे में बतायी गयी भविष्यवाणी पूरी हो रही है। वे शायद यह मानते हैं कि एक दिन यह दुनिया खत्म हो जाएगी। दूसरे मानते हैं कि इंसान अपनी कोशिशों से “शांति और सुरक्षा” ला सकता है। (1 थिस्स. 5:3) लेकिन हमारे बारे में क्या? अगर हम यह मानते हैं कि हम इस दुनिया के आखिरी दिनों के आखिरी दौर में जी रहे हैं, तो हम “समयों और ऋतुओं” के परमेश्‍वर की सेवा करने और दूसरों को सच्चाई सिखाने के लिए बचे हुए समय का समझदारी से इस्तेमाल करेंगे।—2 तीमु. 3:1; इफिसियों 5:15-17 पढ़िए।

12. नूह के दिनों के बारे में यीशु ने जो कहा उससे हम क्या सीख सकते हैं?

12 ध्यान भटकानेवाली चीज़ों से भरी इस दुनिया में ‘तय वक्‍त का पूरा-पूरा इस्तेमाल करना’ आसान नहीं है। यीशु ने आगाह किया था कि “ठीक जैसे नूह के दिन थे, इंसान के बेटे की मौजूदगी भी वैसी ही होगी।” नूह के दिन कैसे थे? परमेश्‍वर ने उस बुरी दुनिया का अंत करने की ठान ली थी। सभी दुष्ट इंसान एक जलप्रलय में नाश किए जाते। “नेकी के प्रचारक” नूह ने बड़ी ईमानदारी से परमेश्‍वर का यह संदेश अपने ज़माने के लोगों को सुनाया। (मत्ती 24:37; 2 पत. 2:5) मगर वे तो बस “खा रहे थे और पी रहे थे, पुरुष शादी कर रहे थे और स्त्रियाँ ब्याही जा रही थीं। जब तक जलप्रलय आकर उन सबको बहा न ले गया, तब तक उन्होंने कोई ध्यान न दिया।” इसलिए यीशु ने अपने चेलों को आगाह किया: “तैयार रहने का सबूत दो, क्योंकि जिस घड़ी तुमने सोचा भी न होगा, उस घड़ी इंसान का बेटा आ रहा है।” (मत्ती 24:38, 39, 44) हमें नूह की तरह होने का सबूत देना चाहिए, ना कि उसके ज़माने के लोगों की तरह। क्या बात हमें तैयार रहने में मदद देगी?

13, 14. इंसान के बेटे के आने का इंतज़ार करते वक्‍त हमें यहोवा के बारे में क्या बात याद रखनी चाहिए जिससे हमें उसकी सेवा करने में मदद मिलेगी?

13 हालाँकि हम नहीं जानते कि इंसान का बेटा किस घड़ी आएगा, मगर हमें यह याद रखना चाहिए कि यहोवा वक्‍त का पाबंद है और वह सही वक्‍त पर कदम उठाएगा। दुनिया में चाहे जो भी घटना घटे और इंसान चाहे जो भी योजना बनाए, यहोवा के मकसद पर इसका कोई असर नहीं होगा। वह अपनी मरज़ी के मुताबिक तय कर सकता है कि कौन-सी घटना कब घटेगी और उसका अंजाम क्या होगा। (दानिय्येल 2:21 पढ़िए।) नीतिवचन 21:1 कहता है: “राजा का मन नालियों के जल की नाईं यहोवा के हाथ में रहता है, जिधर वह चाहता उधर उसको फेर देता है।”

14 अपना मकसद वक्‍त पर पूरा करने के लिए यहोवा घटनाओं का रुख मोड़ सकता है। इस दुनिया में हुए कई ज़बरदस्त बदलावों से बाइबल में दी भविष्यवाणियाँ पूरी हुई हैं, खासकर दुनिया-भर में होनेवाले प्रचार के बारे में की गयी भविष्यवाणी। उदाहरण के लिए, ज़बरदस्त राजनैतिक बदलाव के चलते सोवियत संघ के बिखरने और उसके अंजामों के बारे में सोचिए। किसी को अंदाज़ा तक नहीं था कि राजनैतिक उथल-पुथल की वजह से हालात इतनी जल्दी बदल जाएँगे। इस तरह के बदलावों का क्या नतीजा हुआ है? आज खुशखबरी ऐसे देशों में सुनायी जा रही है जहाँ पहले हमारे काम पर सरकार ने रोक लगा दी थी। इसलिए आइए हम वफादारी से “समयों और ऋतुओं” के परमेश्‍वर की सेवा करने के लिए तय वक्‍त का पूरा-पूरा इस्तेमाल करें।

भरोसा रखिए कि यहोवा वक्‍त पर अपना मकसद पूरा करेगा

15. जब फेरबदल किए जाते हैं, तो हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम संगठन पर भरोसा रखते हैं?

15 इन आखिरी दिनों में प्रचार के काम में लगे रहने के लिए यह भरोसा रखना ज़रूरी है कि यहोवा ठहराए वक्‍त पर अपना मकसद पूरा करेगा। इस दुनिया के बदलते हालात के मद्देनज़र, चेले बनाने के काम के तरीकों में फेरबदल की ज़रूरत पड़ सकती है। इसलिए हो सकता है कि संगठन समय-समय पर प्रचारकों को कुछ बदलाव करने को कहे। ऐसी हिदायतों को लागू करके हम “समयों और ऋतुओं” के परमेश्‍वर यहोवा में अपना विश्‍वास ज़ाहिर करते हैं और दिखाते हैं कि हम ‘मंडली के सिर’ यीशु मसीह के अधीन हैं।—इफि. 5:23.

16. हम क्यों भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा सही वक्‍त पर मदद देगा?

16 यहोवा चाहता है कि हम पूरे मन से उससे प्रार्थना करें और पूरा भरोसा रखें कि वह हमें “सही वक्‍त पर मदद” देगा। (इब्रा. 4:16) क्या यह इस बात का सबूत नहीं कि वह हममें से हरेक से प्यार करता है और उसे हमारी फिक्र है? (मत्ती 6:8; 10:29-31) नियमित तौर पर यहोवा से प्रार्थना में मदद माँगिए और उसके निर्देश के मुताबिक काम कीजिए। इस तरह आप दिखाएँगे कि आपको यहोवा परमेश्‍वर पर विश्‍वास है। इसके अलावा, अपने भाई-बहनों के लिए भी प्रार्थना कीजिए।

17, 18. (क) यहोवा जल्द ही अपने दुश्‍मनों के खिलाफ क्या कदम उठानेवाला है? (ख) हमें क्या नहीं सोचना चाहिए?

17 यह वक्‍त ‘विश्‍वास की कमी से डगमगाने’ का नहीं बल्कि विश्‍वास के ज़रिए शक्‍तिशाली बनने का है। (रोमि. 4:20) शैतान और उसके बहकावे में आए कुछ लोग, हमें वह काम पूरा करने से रोक रहे हैं जो यीशु ने हमें सौंपा था। (मत्ती 28:19, 20) शैतान चाहे लाख हमले करे, हम जानते हैं कि यहोवा “एक जीवित परमेश्‍वर” है, “जो सब किस्म के लोगों का उद्धार करानेवाला परमेश्‍वर है, खासकर उनका जो विश्‍वासयोग्य हैं।” वह “जानता है कि जो उसकी भक्‍ति करते हैं उन्हें परीक्षा से कैसे निकाले।”—1 तीमु. 4:10; 2 पत. 2:9.

18 जल्द ही यहोवा इस दुष्ट दुनिया की व्यवस्था का अंत करनेवाला है। हालाँकि हम यह पूरी तरह नहीं जानते कि यह कैसे और कब होगा, लेकिन हम जानते हैं कि सही वक्‍त पर मसीह परमेश्‍वर के दुश्‍मनों का खात्मा कर देगा और यहोवा की हुकूमत को बुलंद करेगा। तो फिर यह कितनी बड़ी भूल होगी अगर हम उन “समयों और ठहराए हुए दिनों” का मतलब समझने से चूक जाएँ, जिनमें हम जी रहे हैं। हमें यह सोचने की गलती कभी नहीं करनी चाहिए कि “सबकुछ बिलकुल वैसा ही चल रहा है, जैसा सृष्टि की शुरूआत से था।”—1 थिस्स. 5:1; 2 पत. 3:3, 4.

‘यहोवा की बाट जोहते रहो’

19, 20. हमें यहोवा की बाट क्यों जोहते रहना चाहिए?

19 जब यहोवा ने इंसान की सृष्टि की, तो वह चाहता था कि इंसान हमेशा ज़िंदा रहे और उसके बारे में और उसकी बनायी खूबसूरत चीज़ों के बारे में हमेशा सीखता रहे। सभोपदेशक 3:11 कहता है: “उस ने सब कुछ ऐसा बनाया कि अपने अपने समय पर वे सुन्दर होते हैं; फिर उस ने मनुष्यों के मन में अनादि-अनन्त काल का ज्ञान उत्पन्‍न किया है, तौभी जो काम परमेश्‍वर ने किया है, वह आदि से अन्त तक मनुष्य बूझ नहीं सकता।”

20 हम कितने खुश हैं कि यहोवा ने हमारे लिए अपना मकसद कभी नहीं बदला! (मला. 3:6) परमेश्‍वर में “कोई बदलाव नहीं होता, न ही कुछ घट-बढ़ होती है, जैसे रौशनी के घटने-बढ़ने से छाया घटती-बढ़ती है।” (याकू. 1:17) इंसान धरती के घूमने के आधार पर समय का हिसाब रखता है। लेकिन यहोवा ‘युग-युग का राजा’ है, समय के मामले में उसकी सोच हमारी तरह सीमित नहीं है। (1 तीमु. 1:17) इसलिए ज़रूरी है कि हम ‘अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्‍वर की बाट जोहते रहें।’ (मीका 7:7) बाइबल कहती है, “यहोवा पर आशा रखनेवालो हियाव बान्धो और तुम्हारे हृदय दृढ़ रहें!”—भज. 31:24.

[फुटनोट]

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 19 पर तसवीर]

दानिय्येल को भरोसा था कि यहोवा की भविष्यवाणी ज़रूर पूरी होगी

[पेज 21 पर तसवीर]

क्या आप यहोवा की मरज़ी करने के लिए वक्‍त का समझदारी से इस्तेमाल करते हैं?