इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

डटे रहो और शैतान के फंदों से बचे रहो!

डटे रहो और शैतान के फंदों से बचे रहो!

डटे रहो और शैतान के फंदों से बचे रहो!

‘शैतान के दाँव-पेंचों के खिलाफ डटे रहो।’—इफि. 6:11.

आप क्या जवाब देंगे?

यहोवा का एक सेवक, धन-दौलत के लालच में फँसने से कैसे बच सकता है?

क्या बातें एक शादीशुदा मसीही को व्यभिचार के गड्ढे में गिरने से बचा सकती हैं?

आपकी राय में पैसे के लालच और लैंगिक अनैतिकता के खिलाफ डटे रहने से क्या फायदे होते हैं?

1, 2. (क) शैतान, अभिषिक्‍त जनों और ‘दूसरी भेड़ों’ से नफरत क्यों करता है? (ख) इस लेख में हम शैतान के किन फंदों के बारे में चर्चा करेंगे?

 शैतान इंसानों से नफरत करता है, खासकर यहोवा के सेवकों से। वह तो धरती पर बचे हुए अभिषिक्‍त जनों के खिलाफ युद्ध कर रहा है। (प्रका. 12:17) उन मसीहियों ने बड़ी दिलेरी दिखाते हुए प्रचार काम में अगुवाई ली है और इस बात का परदाफाश किया है कि शैतान इस दुनिया का राजा है। शैतान को ‘दूसरी भेड़ों’ से भी कोई प्यार नहीं जो अभिषिक्‍त जनों का साथ देती हैं। (यूह. 10:16) इनके पास हमेशा की ज़िंदगी जीने की आशा है, जबकि शैतान ने अपने लिए यह आशा गँवा दी है। इसीलिए वह क्रोध से भरा हुआ है! चाहे हम अभिषिक्‍त जनों में से हों या दूसरी भेड़ों में से, शैतान को हमारी भलाई की कोई फिक्र नहीं। उसका बस एक ही मकसद है, हमें अपना शिकार बनाना।—1 पत. 5:8.

2 अपना यह मकसद पूरा करने के लिए शैतान तरह-तरह के फंदे या जाल बिछाता है। उसके जाल से अविश्‍वासी लोग अनजान हैं क्योंकि शैतान ने उनका ‘मन इस कदर अंधा कर दिया है’ कि वे न तो खुशखबरी कबूल करते हैं, न ही उसके जाल को देख पाते हैं। मगर जिन्होंने खुशखबरी कबूल की है, शैतान उन्हें भी अपने फंदे में फँसाता है। (2 कुरिं. 4:3, 4) पिछले लेख में हमने देखा कि हम किस तरह शैतान के इन तीन फंदों से बच सकते हैं: (1) बेकाबू जीभ, (2) डर और दूसरों का दबाव और (3) खुद को बहुत ज़्यादा दोषी समझना। आइए अब देखें कि कैसे हम शैतान के दो और फंदों के खिलाफ डटे रह सकते हैं। वे हैं, धन-दौलत का लालच और शादी के बाहर यौन-संबंध रखने के लिए लुभाया जाना।

धन-दौलत का लालच—ऐसा फंदा जो दबा सकता है

3, 4. ज़िंदगी की चिंताओं की वजह से कैसे एक इंसान पैसे के लालच में पड़ सकता है?

3 यीशु ने एक मिसाल में बीज का ज़िक्र किया जिसे काँटों के बीच बोया गया था। उसने कहा कि एक व्यक्‍ति राज का संदेश शायद सुने तो सही, “मगर इस ज़माने की ज़िंदगी की चिंता और भ्रम में डालनेवाली पैसे की ताकत वचन को दबा देती है और वह फल नहीं लाता।” (मत्ती 13:22) जी हाँ, पैसे का लालच एक फंदा है, जिसे हमारा दुश्‍मन शैतान इस्तेमाल करता है।

4 दरअसल दो बातें हैं जो मिलकर वचन को दबा सकती हैं। एक है, “इस ज़माने की ज़िंदगी की चिंता।” ‘संकटों से भरे इस वक्‍त’ में बहुत-सी ऐसी बातें हैं जो आपको चिंता में डाल सकती हैं। (2 तीमु. 3:1) आसमान छूती महँगाई और बढ़ती बेरोज़गारी की वजह से आपके लिए अपना गुज़ारा चलाना मुश्‍किल हो सकता है। आपको शायद अपने भविष्य की भी चिंता सताए, आप शायद सोचें, ‘क्या मेरे पास इतनी जमा-पूँजी होगी कि रिटायर होने के बाद भी मैं आराम से बैठकर खा सकूँ?’ इन चिंताओं की वजह से कुछ लोग धन-दौलत बटोरने में लग गए हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि पैसा उनकी सारी परेशानी दूर कर देगा।

5. किस मायने में “पैसे की ताकत” भ्रम में डालनेवाली हो सकती है?

5 दूसरी बात जो वचन को दबा सकती है, वह है “भ्रम में डालनेवाली पैसे की ताकत।” चिंताओं के साथ-साथ भ्रम में डालनेवाली पैसे की ताकत से भी एक इंसान उसके लालच में पड़ सकता है। माना कि बाइबल कहती है, ‘धन रक्षा करता है’ यानी इससे एक इंसान अपनी ज़रूरत की चीज़ें खरीद सकता है। (सभो. 7:12, हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन) मगर पैसे के पीछे भागना अक्लमंदी नहीं है। बहुतों ने पाया है कि जितना ज़्यादा वे पैसा बटोरने की कोशिश करते हैं, उतना ही इसके लिए उनकी भूख बढ़ती है और वे इसके जाल में उलझते चले जाते हैं। यहाँ तक कि कुछ लोग धन-दौलत के गुलाम बन गए हैं। (मत्ती 6:24) पैसे की ताकत सचमुच भ्रम में डालनेवाली हो सकती है।

6, 7. (क) नौकरी की जगह पर एक व्यक्‍ति के दिल में धन-दौलत की चाहत कैसे पैदा हो सकती है? (ख) जब एक मसीही को ओवरटाइम करने के लिए कहा जाता है, तो उसे किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

6 कभी-कभी अनजाने में आपके दिल में धन-दौलत पाने की चाहत पैदा हो सकती है। ज़रा इस उदाहरण पर गौर कीजिए। आपका बॉस आकर आपसे कहता है, “एक अच्छी खबर है तुम्हारे लिए! हमारी कंपनी को एक बहुत बड़ा कॉनट्रैक्ट मिला है। इसका मतलब, अगले कुछ महीनों तक तुम्हें काफी ओवरटाइम करना पड़ेगा। मगर इसके लिए तुम्हें अच्छे पैसे मिलेंगे, मैं वादा करता हूँ।” यह सुनकर आप क्या करेंगे? यह सच है कि अपने परिवार के खाने-पहनने की ज़रूरतें पूरी करना आपकी अहम ज़िम्मेदारी है, मगर आप पर सिर्फ यही ज़िम्मेदारी नहीं है। (1 तीमु. 5:8) आपको और भी कई बातों का ध्यान रखना है जैसे, आपको कितना ओवरटाइम करना होगा? क्या इससे परमेश्‍वर की सेवा करने, सभाओं में जाने और पारिवारिक उपासना करने में रुकावट आएगी?

7 फैसला लेने से पहले सोचिए कि क्या बात आपके लिए सबसे ज़्यादा मायने रखती है। ओवरटाइम से मिलनेवाला पैसा या परमेश्‍वर के साथ आपका रिश्‍ता? क्या ज़्यादा-से-ज़्यादा पैसा कमाने की चाहत, राज के कामों को पहली जगह देने में आपके आड़े आ सकती है? क्या आप देख सकते हैं कि अगर आप अपनी और अपने परिवार की आध्यात्मिक सेहत पर ध्यान न दें, तो पैसे का लालच कैसे आप पर बुरा असर डाल सकता है? अगर परमेश्‍वर के साथ आपका रिश्‍ता दाँव पर लगा है, तो आप ऐसा क्या कर सकते हैं जिससे आप धन-दौलत के लालच के खिलाफ डटे रहें?—1 तीमुथियुस 6:9, 10 पढ़िए।

8. बाइबल में दिए कौन-से उदाहरण हमें अपने जीने के तरीके की जाँच करने में मदद दे सकते हैं?

8 अगर आप धन-दौलत के फंदे से बचना चाहते हैं, तो समय-समय पर अपने जीने के तरीके की जाँच करते रहिए। आप एसाव की तरह कभी नहीं बनना चाहेंगे, जिसने अपने कामों से दिखाया कि उसे परमेश्‍वर के वादों की कोई कदर नहीं। (उत्प. 25:34; इब्रा. 12:16) और उस रईस आदमी की तरह तो आप बिलकुल भी नहीं बनना चाहेंगे जिसे अपना सबकुछ बेचकर कंगालों को देने और यीशु का चेला बनने का न्यौता मिला था, मगर उसने उसे ठुकरा दिया। बाइबल बताती है कि वह “दुःखी होकर चला गया, क्योंकि उसके पास बहुत धन-संपत्ति थी।” (मत्ती 19:21, 22) उस आदमी की धन-संपत्ति ही उसके लिए फंदा थी और उसमें फँसकर उसने दुनिया के सबसे महान शख्स के पीछे हो लेने का अनोखा मौका गँवा दिया। हमें खबरदार रहना चाहिए कि कहीं हम भी यीशु मसीह का चेला बनने का मौका न खो दें।

9, 10. ज़िंदगी की ज़रूरतों के बारे में हमें बाइबल का क्या नज़रिया अपनाना चाहिए?

9 हम ज़िंदगी की ज़रूरतों के बारे में बहुत ज़्यादा चिंता न करें, इसके लिए हमें यीशु की इस सलाह को मानना चाहिए: “कभी-भी चिंता न करना, न ही यह कहना, ‘हम क्या खाएँगे?’ या, ‘हम क्या पीएँगे?’ या, ‘हम क्या पहनेंगे?’ क्योंकि इन्हीं सब चीज़ों के पीछे दुनिया के लोग दिन-रात भाग रहे हैं। मगर तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है कि तुम्हें इन सब चीज़ों की ज़रूरत है।”—मत्ती 6:31, 32; लूका 21:34, 35.

10 भ्रम में डालनेवाली पैसे की ताकत के शिकार बनने के बजाय, बाइबल के एक लेखक आगूर का नज़रिया अपनाने की कोशिश कीजिए, जिसने कहा, “मुझे न तो बहुत गरीब बना, न ही बहुत अमीर। मुझे बस उतना दे जितना मेरे लिए ज़रूरी है।” (नीति. 30:8, कॉन्टेम्प्ररी इंग्लिश वर्शन बाइबल) आगूर जानता था कि जीने के लिए थोड़ा-बहुत पैसा ज़रूरी है मगर वह यह भी जानता था कि पैसा भ्रम में डालने की ताकत रखता है। हमें यह समझना चाहिए कि ज़िंदगी की चिंताएँ और भ्रम में डालनेवाली पैसे की ताकत, परमेश्‍वर के साथ हमारा रिश्‍ता तबाह कर सकती हैं। अगर हम ज़िंदगी की ज़रूरतों को लेकर हद-से-ज़्यादा चिंता करें, तो राज के काम करने के लिए हमारे पास न समय बचेगा, न ताकत, न ही उसे करने का जज़्बा। इसलिए ठान लीजिए कि आप शैतान के इस फंदे का डटकर सामना करेंगे और धन-दौलत के लालच में नहीं आएँगे!—इब्रानियों 13:5 पढ़िए।

शादी के बाहर यौन-संबंध—छिपा हुआ गड्ढा

11, 12. एक मसीही किस तरह अपने काम की जगह पर व्यभिचार के फंदे में फँस सकता है?

11 जब एक शिकारी किसी बड़े और ताकतवर जानवर को पकड़ना चाहता है, तो वह उस रास्ते में एक गड्ढा खोदता है, जहाँ से जानवर अकसर गुज़रता है। फिर वह गड्ढे को पतली-पतली लकड़ियों और पत्तों से ढक देता है। इंसानों को पाप में फँसाने के लिए शैतान की एक सबसे कामयाब चाल कुछ इस गड्ढे की तरह है। वह है लैंगिक अनैतिकता। (नीति. 22:14; 23:27) इस गड्ढे में कई मसीही गिर चुके हैं। वह इसलिए कि उन्होंने खुद को ऐसे हालात में डाल दिया था जिनमें वे बड़ी आसानी से अनैतिक काम कर बैठे। यहाँ तक कि कुछ शादीशुदा मसीही भी इसके शिकार हुए हैं क्योंकि उन्होंने किसी पराए व्यक्‍ति के साथ रोमानी रिश्‍ता शुरू किया था।

12 इस तरह का नाजायज़ रिश्‍ता काम की जगह पर शुरू हो सकता है। दरअसल एक अध्ययन बताता है कि आधी से ज़्यादा औरतों और 4 में से 3 आदमियों ने अपने सहकर्मियों के साथ व्यभिचार किया है। क्या आपको अपनी नौकरी की जगह पर विपरीत लिंग के व्यक्‍तियों के साथ काम करना होता है? अगर हाँ, तो उनके साथ आपका किस तरह का रिश्‍ता है? क्या आपने कुछ हदें ठहरायी हैं, जिससे उनके साथ आपका रिश्‍ता काम तक ही सीमित रहे, इससे ज़्यादा और कुछ न हो? मिसाल के लिए, एक मसीही बहन अपने सहकर्मी के साथ अकसर बातें करती है। धीरे-धीरे वह उस आदमी के इतने करीब आ जाती है कि वह उसे अपनी शादीशुदा ज़िंदगी की समस्याओं के बारे में भी बताने लगती है। एक और हालात पर गौर कीजिए। एक मसीही भाई अपने साथ काम करनेवाली एक स्त्री के साथ दोस्ती करता है। वह शायद मन-ही-मन सोचे, “वह मेरे विचारों की कदर करती है और जब मैं उससे बात करता हूँ तो वह बड़े ध्यान से सुनती है। वह मेरी कितनी इज़्ज़त करती है! काश! मेरी पत्नी भी मेरे साथ इसी तरह पेश आती।” क्या आप देख सकते हैं कि ऐसे हालात में मसीहियों के आगे व्यभिचार करने का कितना बड़ा खतरा है?

13. मंडली में गलत किस्म के रोमानी रिश्‍ते कैसे पनप सकते हैं?

13 मंडली में भी गलत किस्म के रोमानी रिश्‍ते पनप सकते हैं। इस असल घटना पर ध्यान दीजिए। दिलीप और उसकी पत्नी शालिनी * पायनियर के तौर पर सेवा कर रहे थे। दिलीप अपने बारे में कहता है कि एक प्राचीन के नाते वह मंडली में किसी भी ज़िम्मेदारी से इनकार नहीं करता था। इसके अलावा, वह पाँच आदमियों के साथ बाइबल अध्ययन करता था और उनमें से तीन का बपतिस्मा हो गया। बपतिस्मा पाए इन भाइयों को काफी मदद की ज़रूरत थी। दिलीप को मंडली के कामों से फुरसत नहीं थी, इसलिए कई बार शालिनी इन भाइयों को ज़रूरी मदद देती थी। देखते-ही-देखते यह सिलसिला शुरू हो गया: जब-जब इन भाइयों को सहारे की ज़रूरत होती, शालिनी उन्हें सहारा देती। और शालिनी को ज़रूरत थी कि कोई उस पर ध्यान दे, तो उसकी यह ज़रूरत ये भाई पूरी कर देते थे। कितने खतरनाक हालात पैदा हो गए थे! दिलीप कहता है, “लगातार कई महीनों तक दूसरों को मदद देते-देते मेरी पत्नी पूरी तरह पस्त हो चुकी थी। उसे सहारे की और परमेश्‍वर के वचन से ताकत पाने की ज़रूरत थी। मगर उसकी इन ज़रूरतों को पूरा करने में मैंने लापरवाही दिखायी। इसका बहुत भयानक अंजाम हुआ। मेरी पत्नी इनमें से एक भाई के साथ व्यभिचार कर बैठी। यहोवा के साथ उसका रिश्‍ता कमज़ोर पड़ गया था और मैं मंडली की ज़िम्मेदारियों में इतना उलझा हुआ था कि मैंने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया।” ऐसा हादसा आपके साथ न हो, इसके लिए आप क्या कर सकते हैं?

14, 15. किन बातों पर ध्यान देने से शादीशुदा मसीही व्यभिचार के फंदे से बच सकते हैं?

14 व्यभिचार के फंदे से बचने के लिए ज़रा सोचिए कि अपने साथी के वफादार रहने का क्या मतलब है। यीशु ने कहा, “जिसे परमेश्‍वर ने एक बंधन में बाँधा है, उसे कोई इंसान अलग न करे।” (मत्ती 19:6) ऐसा कभी मत सोचिए कि परमेश्‍वर की सेवा में मिली ज़िम्मेदारियाँ, आपके साथी से ज़्यादा अहमियत रखती हैं। और अगर आप बार-बार अपने साथी से दूर रहकर दूसरे गैर-ज़रूरी कामों में अपना वक्‍त बिताते हैं, तो आप दोनों का आपसी रिश्‍ता कमज़ोर पड़ सकता है। आप व्यभिचार करने के लिए भी लुभाए जा सकते हैं।

15 लेकिन एक प्राचीन होने के नाते आप शायद सोचें, ‘अगर मुझे अपने साथी को अहमियत देनी चाहिए तो झुंड के बारे में क्या?’ प्रेषित पतरस ने कहा, “परमेश्‍वर के झुंड की, जो तुम्हारी देख-रेख में है, चरवाहों की तरह देखभाल करो और ऐसा मजबूरी में नहीं बल्कि खुशी-खुशी करो। बेईमानी से उनसे कुछ हासिल करने के लालच से नहीं, बल्कि तत्परता के साथ करो।” (1 पत. 5:2) जी हाँ, मंडली के भाई-बहनों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि आप एक अच्छे प्राचीन बनने में मेहनत करें, मगर एक अच्छे पति बनने से चूक जाएँ। जब घर में आपकी पत्नी आध्यात्मिक मायने में भूखों मर रही है, तो मंडली को आध्यात्मिक खुराक देने में जी-जान लगाना एकदम बेमाने होगा। इससे आपकी शादी के रिश्‍ते को भी खतरा हो सकता है। दिलीप कहता है, ‘आपको मंडली की ज़िम्मेदारियाँ पूरी करने में इतना मशगूल नहीं हो जाना चाहिए कि आप परिवार की तरफ अपनी ज़िम्मेदारी भूल जाएँ।’

16, 17. (क) एक शादीशुदा मसीही अपने काम की जगह पर कैसे दिखा सकता है कि उसकी ज़िंदगी में किसी तीसरे के लिए कोई जगह नहीं? (ख) हमारे साहित्य में छपी किसी ऐसी जानकारी का उदाहरण दीजिए, जिससे मसीहियों को व्यभिचार से दूर रहने में मदद मिलती है।

16 शादीशुदा मसीहियों को व्यभिचार के फंदे से बचाने के लिए प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं में बेहतरीन सलाह दी गयी है। उदाहरण के लिए, 1 अक्टूबर, 2006 की प्रहरीदुर्ग में यह सलाह दी गयी है: “नौकरी या किसी दूसरी जगह पर ऐसे हालात से दूर रहिए जो आपको किसी विपरीत लिंग के करीब ला सकते हैं। जैसे, किसी विपरीत लिंग के व्यक्‍ति के साथ अकेले में ओवरटाइम करने से बहकने का खतरा हो सकता है। आपकी बातों और आपके चालचलन से साफ ज़ाहिर होना चाहिए कि आपकी ज़िंदगी में अपने साथी के अलावा किसी तीसरे के लिए कोई जगह नहीं है। साथ ही, अगर आप परमेश्‍वर से प्यार और उसकी भक्‍ति करते हैं, तो आप इश्‍कबाज़ी करके या बेहूदा किस्म के कपड़े पहनकर बेवजह दूसरों का ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश नहीं करेंगे। . . . काम की जगह पर अपने साथी और बच्चों की तसवीरें लगाना भी एक हिफाज़त साबित होती है। क्योंकि ये तसवीरें आपको और दूसरों को भी याद दिलाएँगी कि आप अपने परिवार से बेहद प्यार करते हैं और उन्हें किसी तरह से ठेस नहीं पहुँचाना चाहते। अपना इरादा बुलंद कर लीजिए कि अगर कोई आप पर डोरे डालने की कोशिश करे, तो आप उसे बढ़ावा नहीं देंगे ना ही चुपचाप उसे बरदाश्‍त करेंगे।”

17 जुलाई-सितंबर, 2009 की सजग होइए! में एक लेख आया था, “शादी में वफादारी—इसका असल मतलब क्या है?” इस लेख में खबरदार किया गया है कि शादीशुदा लोगों को किसी और के साथ यौन-संबंध रखने के बारे में कल्पना नहीं करनी चाहिए। लेख यह भी बताता है कि अगर कोई ऐसा करता है, तो उसके लिए व्यभिचार में पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। (याकू. 1:14, 15) अगर आप शादीशुदा हैं, तो अपने साथी के साथ समय-समय पर इस तरह की जानकारी पर चर्चा कीजिए। शादी का इंतज़ाम खुद यहोवा ने शुरू किया है और यह एक पवित्र बंधन है। जब आप दोनों समय निकालकर अपनी शादीशुदा ज़िंदगी के बारे में बातचीत करते हैं, तो आप दिखाते हैं कि आपको पवित्र बातों की कदर है।—उत्प. 2:21-24.

18, 19. (क) व्यभिचार के क्या बुरे अंजाम होते हैं? (ख) अपने साथी के वफादार रहने के क्या फायदे होते हैं?

18 अगर आप नाजायज़ रिश्‍ता रखने के लिए लुभाए जाते हैं, तो व्यभिचार या शादी के बाहर यौन-संबंध रखने के बुरे अंजामों के बारे में सोचिए। (नीति. 7:22, 23; गला. 6:7) जो लोग अनैतिक काम करते हैं वे यहोवा को नाराज़ करने के साथ-साथ अपने जीवन-साथी और खुद को भी चोट पहुँचाते हैं। (मलाकी 2:13, 14 पढ़िए।) दूसरी तरफ, उन फायदों के बारे में सोचिए जो शुद्ध चालचलन बनाए रखनेवालों को मिलते हैं। उन्हें न सिर्फ भविष्य में हमेशा तक जीने की आशा मिलती है, बल्कि आज भी वे एक बेहतरीन ज़िंदगी का लुत्फ उठाते हैं और उनका ज़मीर साफ रहता है।—नीतिवचन 3:1, 2 पढ़िए।

19 भजनहार ने गाया, ‘परमेश्‍वर की व्यवस्था से प्रीति रखनेवालों को बड़ी शान्ति मिलती है; और उनको कुछ ठोकर नहीं लगती।’ (भज. 119:165) इसलिए सच्चाई से प्यार करो और इस बुरे समय में, “खुद पर कड़ी नज़र रखो कि तुम्हारा चालचलन कैसा है, मूर्खों की तरह नहीं बल्कि बुद्धिमानों की तरह चलो।” (इफि. 5:15, 16) शैतान ने सच्चे उपासकों को फँसाने के लिए कदम-कदम पर जाल बिछा रखे हैं। मगर हम अपनी हिफाज़त करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं क्योंकि यहोवा हमारे साथ है। उसने शैतान के हमलों के खिलाफ ‘डटे रहने’ और ‘उस दुष्ट के सभी जलते हुए तीरों को बुझाने’ के लिए हमें ज़रूरी मदद दी है।—इफि. 6:11, 16.

[फुटनोट]

^ पैरा. 13 नाम बदल दिए गए हैं।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 26 पर तसवीर]

धन-दौलत का लालच परमेश्‍वर के साथ एक इंसान का रिश्‍ता तबाह कर सकता है। आप अपने साथ ऐसा मत होने दीजिए

[पेज 29 पर तसवीर]

इश्‍कबाज़ी करने या इसका बढ़ावा देने से आप व्यभिचार के फंदे में फँस सकते हैं