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राज के नागरिकों जैसा बर्ताव करो!

राज के नागरिकों जैसा बर्ताव करो!

राज के नागरिकों जैसा बर्ताव करो!

“नागरिकों जैसा बर्ताव करो।”—फिलि. 1:27, फुटनोट।

आप क्या जवाब देंगे?

कौन परमेश्‍वर के राज के नागरिक बन सकते हैं?

परमेश्‍वर के राज की भाषा, उसका इतिहास और उसके नियम-कानूनों को जानने का क्या मतलब है?

राज के नागरिक कैसे दिखाते हैं कि वे परमेश्‍वर के स्तरों से प्यार करते हैं?

1, 2. पौलुस के शब्द फिलिप्पी की मंडली के लिए खास मायने क्यों रखते थे?

 प्रेषित पौलुस ने फिलिप्पी की मंडली को बढ़ावा दिया कि “तुम ऐसे पेश आओ जैसे मसीह की खुशखबरी के योग्य है।” (फिलिप्पियों 1:27 पढ़िए।) इस आयत में शब्द “पेश आओ” का मतलब है ‘नागरिकों जैसा बर्ताव करना।’ ये शब्द फिलिप्पी की मंडली के लिए खास मायने रखते थे। वह क्यों? क्योंकि ऐसा मालूम होता है कि फिलिप्पी उन गिने-चुने शहरों में से एक था, जहाँ के लोगों को रोम की नागरिकता दी गयी थी। फिलिप्पी और पूरे रोमी साम्राज्य के लोगों को अपनी रोमी नागरिकता पर बड़ा गर्व था। उन्हें रोम के कानून के तहत खास हिफाज़त मिलती थी।

2 मगर फिलिप्पी की मंडली के लिए गर्व महसूस करने की इससे भी बड़ी वजह थी। पौलुस ने उन्हें याद दिलाया कि अभिषिक्‍त मसीही होने के नाते उनकी नागरिकता “स्वर्ग की है।” (फिलि. 3:20) जी हाँ, वे परमेश्‍वर के राज के नागरिक थे, ऐसे राज के जो किसी भी इंसानी सरकार से बढ़कर है। परमेश्‍वर का राज उन्हें वे फायदे और हिफाज़त देता, जो दुनिया की कोई भी सरकार नहीं दे सकती थी।—इफि. 2:19-22.

3. (क) किन्हें राज के नागरिक बनने का मौका मिला है? (ख) इस लेख में हम क्या देखेंगे?

3 पौलुस की सलाह कि “नागरिकों जैसा बर्ताव करो” खास तौर से उन लोगों के लिए है, जो स्वर्ग में मसीह के साथ राज करेंगे। (फिलि. 3:20) लेकिन यह सलाह उन पर भी लागू हो सकती है, जो परमेश्‍वर के राज की प्रजा बनकर इस धरती पर जीएँगे। हम ऐसा क्यों कहते हैं? क्योंकि सभी समर्पित मसीहियों का एक ही राजा है, यहोवा। और उन सबके लिए उसने एक ही स्तर ठहराए हैं। (इफि. 4:4-6) आज लोग किसी अमीर देश के नागरिक बनने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। लेकिन परमेश्‍वर के राज के नागरिक बनने का हमें जो मौका मिला है, वह उससे कहीं ज़्यादा अनमोल है। यह मौका क्यों अनमोल है, इसे समझने के लिए आइए देखें कि किसी देश का नागरिक बनने और परमेश्‍वर के राज का नागरिक बनने की माँगों में क्या समानताएँ हैं। फिर हम गौर करेंगे कि अगर हम परमेश्‍वर के राज के नागरिक बने रहना चाहते हैं, तो हमें कौन-सी तीन बातें माननी चाहिए।

नागरिकता पाने की माँगें

4. शुद्ध भाषा क्या है? हम किस तरह यह भाषा बोलते हैं?

4 भाषा सीखिए। कुछ देश की सरकारें यह माँग करती हैं कि जो कोई उनकी नागरिकता पाना चाहता है, उसे उनके देश की मुख्य भाषा आनी चाहिए। कुछ लोग नागरिकता मिलने के बाद भी नयी भाषा अच्छी तरह बोलने के लिए सालों मेहनत करते हैं। वे शायद व्याकरण के नियम जल्दी सीख जाएँ, पर शब्दों का सही-सही उच्चारण करने में उन्हें वक्‍त लग सकता है। उसी तरह, परमेश्‍वर का राज यह माँग करता है कि उसके नागरिक एक नयी भाषा सीखें जिसे बाइबल “शुद्ध भाषा” कहती है। (सपन्याह 3:9 पढ़िए।) यह भाषा क्या है? यह परमेश्‍वर और उसके मकसदों के बारे में सच्चाई है, जो बाइबल में दर्ज़ है। जब हम परमेश्‍वर के नियमों और सिद्धांतों के मुताबिक ज़िंदगी जीते हैं, तो हम एक तरह से शुद्ध भाषा बोल रहे होते हैं। परमेश्‍वर के राज के नागरिक बाइबल की बुनियादी शिक्षाएँ शायद जल्दी सीख जाएँ और बपतिस्मा ले लें। फिर भी उन्हें बपतिस्मे के बाद शुद्ध भाषा अच्छी तरह बोलने के लिए मेहनत करनी चाहिए। कैसे? उन्हें बाइबल से सीखी बातों को अपनी ज़िंदगी में उतारने की लगातार कोशिश करनी चाहिए।

5. यह क्यों ज़रूरी है कि हम यहोवा के संगठन के इतिहास के बारे में जितना हो सके जानें?

5 इतिहास जानिए। जो इंसान किसी देश का नागरिक बनना चाहता है, उससे शायद यह माँग की जाए कि वह उस देश की सरकार का इतिहास जाने। उसी तरह, परमेश्‍वर के राज का नागरिक बनने के लिए ज़रूरी है कि हम उस राज के बारे में जितना हो सके जानें। कोरह के वंशजों की मिसाल पर गौर कीजिए, जो प्राचीन इसराएल में सेवा करते थे। उन्हें यरूशलेम और उपासना की जगह से लगाव था और उन्हें उस शहर के इतिहास के बारे में जानना और बात करना अच्छा लगता था। वह इसलिए नहीं कि शहर और उपासना की जगह की खूबसूरती उन्हें बहुत भा गयी थी, बल्कि इसलिए कि यरूशलेम “राजाधिराज [यहोवा] का नगर” और सच्ची उपासना का केंद्र था। वहीं पर यहोवा की कानून-व्यवस्था सिखायी जाती थी। और वहीं से यरूशलेम का राजा अपने लोगों पर हुकूमत करता और उन पर करुणा दिखाता था। (भजन 48:1, 2, 9, 12, 13 पढ़िए।) कोरह के वंशजों की तरह, क्या आप भी यहोवा के संगठन के इतिहास के बारे में जानना और दूसरों को बताना चाहते हैं? जितना ज़्यादा आप परमेश्‍वर के संगठन के बारे में सीखेंगे और यह जानेंगे कि कैसे यहोवा अपने लोगों की मदद करता है, उतना ही आपका यकीन बढ़ता जाएगा कि उसका राज सचमुच की सरकार है। इससे राज की खुशखबरी सुनाने का आपका जज़्बा और भी बढ़ जाएगा।—यिर्म. 9:24; लूका 4:43.

6. यहोवा का यह उम्मीद करना क्यों गलत नहीं कि हम उसके नियमों और सिद्धांतों को जानें और उनका पालन करें?

6 नियम-कानून जानिए। इंसानी सरकारें अपने नागरिकों से माँग करती हैं कि वे देश के नियम-कानून जानें और उनका पालन करें। उसी तरह यहोवा का अपने नागरिकों से यह उम्मीद करना गलत नहीं कि वे उसके नियमों और सिद्धांतों को जानें और उनका पालन करें। (यशा. 2:3; यूह. 15:10; 1 यूह. 5:3) इंसान के बनाए नियम-कानून में अकसर खामियाँ पायी जाती हैं और कभी-कभी इनकी वजह से लोगों के साथ अन्याय भी होता है। मगर इसके उलट, “यहोवा की व्यवस्था खरी है।” (भज. 19:7) क्या हमें हर दिन बाइबल पढ़ने और परमेश्‍वर की व्यवस्था के बारे में जानने से खुशी मिलती है? (भज. 1:1, 2) हममें से हरेक को परमेश्‍वर के नियमों के बारे में सीखने की जी-तोड़ कोशिश करनी चाहिए। यह काम हमारे लिए कोई और नहीं कर सकता।

राज के नागरिक परमेश्‍वर के स्तरों से प्यार करते हैं

7. राज के नागरिक क्यों परमेश्‍वर के नियमों और स्तरों को मानते हैं?

7 राज के नागरिक बने रहने के लिए सिर्फ परमेश्‍वर के स्तर जानना काफी नहीं है, बल्कि उन स्तरों से प्यार करना भी ज़रूरी है। बहुत-से लोग कहते तो हैं कि वे अपने देश का कानून मानते हैं मगर जब उन्हें कोई नियम पसंद नहीं आता और उन्हें लगता है कि कोई उन्हें देख नहीं रहा, तो वे उस नियम को तोड़ देते हैं। अकसर वे ‘इंसानों को खुश करने’ के लिए ही नियम-कानून का पालन करते हैं। (कुलु. 3:22) मगर राज के नागरिक खुशी-खुशी परमेश्‍वर के नियमों और स्तरों को मानते हैं, तब भी जब उन्हें कोई देख न रहा हो। क्यों? क्योंकि वे अपने कानून-साज़ यहोवा से प्यार करते हैं।—यशा. 33:22; लूका 10:27 पढ़िए।

8, 9. आप कैसे जान सकते हैं कि आप सचमुच परमेश्‍वर के कानून से प्यार करते हैं?

8 आप कैसे जान सकते हैं कि आप सचमुच परमेश्‍वर के कानून से प्यार करते हैं? सोचिए कि उस वक्‍त आप कैसा रवैया दिखाते हैं, जब आपको किसी ऐसे मामले में सुधार करने को कहा जाता है जो आपको लगता है, हरेक का निजी मामला है। पहनावे और बनाव-सिंगार को ही लीजिए। सच्चाई में आने से पहले आप शायद ऐसे कपड़े पहनते हों, जो बेढंगे या बेहूदा किस्म के थे। लेकिन जैसे-जैसे परमेश्‍वर के लिए आपके दिल में प्यार बढ़ा, आपने ऐसे कपड़े पहनना सीखा जिनसे परमेश्‍वर की महिमा होती है। (1 तीमु. 2:9, 10; 1 पत. 3:3, 4) अब आपको शायद लगे कि मेरा पहनावा सलीकेदार है। लेकिन अगर कोई प्राचीन आकर आपसे कहता है कि आपके पहनावे से मंडली के कई भाई-बहनों को ठेस पहुँच रही है, तो आप कैसा रवैया दिखाएँगे? क्या आप सफाई देने लगेंगे? गुस्से से भड़क उठेंगे? या सुधार करने से इनकार कर देंगे? परमेश्‍वर के राज का एक अहम कानून है कि उसके नागरिक मसीह की मिसाल पर चलें। (1 पत. 2:21) यीशु के बारे में प्रेषित पौलुस ने लिखा, “हरेक अपने पड़ोसी को उन बातों में खुश करे जो उसके भले के लिए हैं और जिनसे उसे मज़बूती मिलती है। इसलिए कि मसीह ने भी खुद को खुश नहीं किया।” (रोमि. 15:2, 3) मंडली में शांति बनाए रखने के लिए एक प्रौढ़ मसीही ऐसे हर काम से दूर रहेगा जिससे दूसरों के ज़मीर को ठेस पहुँच सकती है।—रोमि. 14:19-21.

9 आइए अब हम गौर करें कि लैंगिक संबंधों और शादी के बारे में हमारा क्या नज़रिया है। जो लोग परमेश्‍वर के राज के नागरिक नहीं हैं, वे शायद सोचें कि समलैंगिकता में कोई बुराई नहीं है, अश्‍लील तसवीरें देखना मन-बहलाव का एक ज़रिया है और शादी के बाहर यौन संबंध रखना और तलाक लेना हरेक का निजी मामला है जिसमें किसी को दखल नहीं देना चाहिए। लेकिन राज के नागरिक ऐसी सोच नहीं रखते, वे हमेशा इस बात का ध्यान रखते हैं कि उनके कामों का अंजाम क्या होगा और इसका दूसरों पर क्या असर पड़ेगा। हालाँकि उनमें से कई लोग मसीही बनने से पहले अनैतिक ज़िंदगी जीते थे, मगर अब वे लैंगिक संबंधों और शादी को परमेश्‍वर से मिला तोहफा समझते हैं। वे यहोवा के ऊँचे नैतिक स्तरों की बहुत कदर करते हैं और जानते हैं कि जो लोग अनैतिक कामों से बाज़ नहीं आते, वे राज के नागरिक बनने के लायक नहीं। (1 कुरिं. 6:9-11) लेकिन वे यह भी जानते हैं कि उनका दिल उन्हें धोखा दे सकता है। (यिर्म. 17:9) इसलिए जब उन्हें किसी मामले पर चेतावनी दी जाती है, तो वे उसके लिए एहसानमंद होते हैं, क्योंकि इससे उन्हें यहोवा के ऊँचे नैतिक स्तरों पर चलते रहने में मदद मिलती है।

राज के नागरिक चेतावनियों की कदर करते हैं

10, 11. परमेश्‍वर का राज हमें किन बातों से खबरदार करता है? इस तरह की चेतावनी के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?

10 हो सकता है, देश की सरकारें अपने नागरिकों को खान-पान और दवाइयों के बारे में चेतावनी दें। माना कि खाने-पीने की सभी चीज़ें और दवाइयाँ खतरनाक नहीं होतीं। लेकिन अगर किसी चीज़ से नुकसान हो सकता है, तो सरकार अपने नागरिकों को उस खतरे के बारे में आगाह करेगी। अगर सरकार ऐसा न करे, तो वह लापरवाही दिखा रही होगी। उसी तरह, परमेश्‍वर का राज हमें उन बातों से खबरदार करता है, जिनसे हम परमेश्‍वर के नियम तोड़ सकते हैं और उसके साथ अपना रिश्‍ता खराब कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, इंटरनेट बड़े काम की चीज़ है। इसके ज़रिए लोग एक-दूसरे से बातचीत कर सकते हैं, बहुत कुछ सीख सकते हैं और मनोरंजन का लुत्फ उठा सकते हैं। परमेश्‍वर का संगठन इंटरनेट का इस्तेमाल कर बहुत-से अच्छे काम कर रहा है। लेकिन इंटरनेट पर ऐसी कई साइट हैं, जो परमेश्‍वर के लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। और ऐसी वेब साइट जिन पर अश्‍लील काम दिखाए जाते हैं, परमेश्‍वर के साथ हमारे रिश्‍ते को तबाह कर सकती हैं। दास वर्ग सालों से हमें इस तरह की वेब साइट से खबरदार करता आया है। इन चेतावनियों के लिए हम कितने शुक्रगुज़ार हैं!

11 हाल के सालों में, एक और तरह की साइट काफी मशहूर हुई है। इन्हें सोशल नेटवर्किंग वेब साइट कहा जाता है। जहाँ एक तरफ ये साइटें फायदेमंद हैं, वहीं दूसरी तरफ अगर एहतियात न बरती जाए तो ये बहुत नुकसान पहुँचा सकती हैं। इनका इस्तेमाल कर एक इंसान बुरी सोहबत में पड़ सकता है। (1 कुरिं. 15:33) इसलिए इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि परमेश्‍वर के संगठन ने हमें इन साइटों के इस्तेमाल के बारे में चेतावनी दी है। सोशल नेटवर्किंग के बारे में विश्‍वासयोग्य दास ने हाल ही में काफी कुछ जानकारी प्रकाशित की है। क्या आपने वह सारी जानकारी पढ़ी है? इसे पढ़े बिना, इन साइटों का इस्तेमाल करना ऐसा होगा मानो आप कोई ज़बरदस्त दवा ले रहे हों, मगर बोतल पर दी चेतावनी पढ़े बगैर ही। * यह कितनी बड़ी मूर्खता होगी!

12. चेतावनियों को अनसुना करना क्यों बेवकूफी होगी?

12 जो लोग विश्‍वासयोग्य दास की दी चेतावनियों को अनसुना करते हैं, वे खुद को और अपने अज़ीज़ों को नुकसान पहुँचाते हैं। कुछ लोग अनैतिक काम करने में लगे हुए हैं या उन्हें पोर्नोग्राफी देखने की लत लग गयी है और वे सोचते हैं कि यहोवा उन्हें नहीं देख सकता। यह सोचना कितनी बड़ी बेवकूफी होगी कि हम अपने काम यहोवा से छिपा सकते हैं! (नीति. 15:3; इब्रानियों 4:13 पढ़िए।) जो लोग लगातार यहोवा के स्तरों को ठुकराते हैं, यहोवा उनकी नागरिकता खारिज कर देगा, ठीक जैसे इंसानी सरकार उन लोगों की नागरिकता खारिज कर सकती है जो कोई अपराध करते हैं। * (1 कुरिं. 5:11-13) मगर यहोवा दयालु परमेश्‍वर है और वह प्राचीनों के ज़रिए उन लोगों की मदद करना चाहता है जो पाप में पड़ गए हैं। (गला. 6:1) जो लोग पछतावा दिखाकर अपने गलत कामों को छोड़ देते हैं, वे दोबारा यहोवा की मंज़ूरी पा सकते हैं और राज के नागरिक बने रह सकते हैं। (2 कुरिं. 2:5-8) वाकई, ऐसे प्यार करनेवाले राजा की सेवा करना क्या ही बड़ा सम्मान है!

राज के नागरिक शिक्षा को अनमोल समझते हैं

13. राज के नागरिक कैसे दिखाते हैं कि वे शिक्षा को अनमोल समझते हैं?

13 बहुत-सी इंसानी सरकारें अपने नागरिकों को शिक्षा देने के लिए कड़ी मेहनत करती हैं। वे कई स्कूल चलाती हैं, जहाँ पढ़ने-लिखने के साथ-साथ कुछ ऐसे हुनर भी सिखाए जाते हैं जिनसे आगे चलकर लोग अपने पैरों पर खड़े हो सकें। राज के नागरिक इस तरह के स्कूलों के लिए बहुत एहसानमंद हैं और उनसे पूरा-पूरा फायदा पाने की कोशिश करते हैं। लेकिन वे उस शिक्षा को और भी अनमोल समझते हैं जो यहोवा उन्हें अपने संगठन के ज़रिए देता है। उदाहरण के लिए, उसका संगठन हमें पढ़ने का बढ़ावा देता है। माता-पिताओं को उकसाया जाता है कि वे अपने बच्चों को पढ़कर सुनाएँ। विश्‍वासयोग्य दास प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! के ज़रिए हर महीने बाइबल पर आधारित काफी जानकारी प्रकाशित करता है। अगर आप हर दिन कुछ पेज पढ़ें, तो आप यहोवा से मिलनेवाली शिक्षा से लगातार फायदा पा सकेंगे।

14. (क) हमें क्या तालीम दी जाती है? (ख) पारिवारिक उपासना के लिए दिए किन सुझावों को आपने लागू किया है?

14 राज के नागरिक हर हफ्ते मंडली की सभाओं में तालीम पाते हैं। मिसाल के लिए, परमेश्‍वर की सेवा स्कूल साठ से भी ज़्यादा सालों से अपने विद्यार्थियों की मदद करता आया है कि वे परमेश्‍वर के वचन के बढ़िया शिक्षक बनें। क्या आप इस स्कूल में हिस्सा लेते हैं? हाल के सालों में विश्‍वासयोग्य दास ने पारिवारिक उपासना के इंतज़ाम पर खास ज़ोर दिया है और परिवारों को हर हफ्ते इसे करने का बढ़ावा दिया है। इससे परिवार मज़बूत होता है। क्या आपने इस सिलसिले में हमारे साहित्य में दिए सुझाव लागू किए हैं? *

15. हमें कौन-सा बड़ा सम्मान मिला है?

15 देश के नागरिक जब किसी राजनैतिक दल का समर्थन करते हैं, तो वे उस बारे में सरेआम ऐलान करते हैं और कभी-कभी तो लोगों के घर जाकर भी उनका समर्थन पाने की कोशिश करते हैं। दुनिया-भर में परमेश्‍वर के राज के नागरिक, घर-घर जाकर और सड़कों पर गवाही देकर दिखाते हैं कि वे उसके राज का समर्थन करते हैं। दरअसल प्रहरीदुर्ग पत्रिका का मकसद है, यहोवा के राज्य की घोषणा करना और जैसे कि पिछले लेख में बताया गया है, यह दुनिया की सबसे ज़्यादा बाँटी जानेवाली पत्रिका है। परमेश्‍वर के राज के बारे में दूसरों को बताना सचमुच बहुत बड़े सम्मान की बात है! क्या आप गवाही देने के इस काम में ज़ोर-शोर से हिस्सा ले रहे हैं?—मत्ती 28:19, 20.

16. आप कैसे दिखा सकते हैं कि आप परमेश्‍वर के राज के अच्छे नागरिक हैं?

16 बहुत जल्द ऐसा वक्‍त आएगा, जब पूरी धरती पर सिर्फ परमेश्‍वर के राज की हुकूमत होगी। उस समय सिर्फ परमेश्‍वर के नियम-कानून होंगे। उन्हीं नियमों पर चलकर इंसान रोज़मर्रा के काम और उपासना से जुड़े काम करेंगे। क्या आप उस वक्‍त परमेश्‍वर के राज के अच्छे नागरिक साबित होंगे? आज ही वह समय है जब आप दिखा सकते हैं कि आप उसके राज के अच्छे नागरिक बनेंगे। ध्यान रखिए कि आप हर दिन जो फैसले लेते हैं, उनसे यहोवा की महिमा हो। इस तरह साबित कीजिए कि आप परमेश्‍वर के राज के एक अच्छे नागरिक जैसा बर्ताव कर रहे हैं।—1 कुरिं. 10:31.

[फुटनोट]

^ पैरा. 11 उदाहरण के लिए, सजग होइए! के ये अंक देखिए: जनवरी-मार्च 2012 के पेज 14-21 और जुलाई-सितंबर 2012 के पेज 29-32.

^ पैरा. 14 15 अगस्त, 2011 की प्रहरीदुर्ग के पेज 6-7 और जनवरी 2011 की हमारी राज-सेवा के पेज 3-6 देखिए।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 14 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

क्या आप इंटरनेट के बारे में दास वर्ग की दी चेतावनियों पर ध्यान देते हैं?

[पेज 12 पर तसवीर]

कोरह के वंशजों की तरह, क्या आपको सच्ची उपासना और उसके इतिहास से लगाव है?

[पेज 15 पर तसवीर]

पारिवारिक उपासना की मदद से आप और आपका परिवार राज के अच्छे नागरिक बन सकते हैं