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यहोवा और यीशु ने जैसा सब्र दिखाया, उससे सीखिए

यहोवा और यीशु ने जैसा सब्र दिखाया, उससे सीखिए

“यह समझो कि हमारे प्रभु का सब्र तुम्हें उद्धार पाने का मौका दे रहा है।”—2 पत. 3:15.

1. कुछ वफादार सेवक क्या सोचते हैं?

 एक बहन जिसने दशकों तक यहोवा की वफादारी से सेवा की और कई मुश्‍किलों का सामना किया, पूछती है: “क्या मेरे जीते-जी अंत आएगा?” लंबे समय से यहोवा की सेवा कर रहे हमारे कुछ भाई-बहन ऐसा ही सोचते हैं। हम उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं, जब यहोवा उन सभी समस्याओं को दूर कर देगा जिनसे आज हम जूझ रहे हैं और सबकुछ नया बना देगा। (प्रका. 21:5) शैतान की दुनिया का बहुत जल्द अंत होनेवाला है और इस बात पर यकीन करने की हमारे पास बहुत-सी वजह हैं। फिर भी उस दिन तक सब्र दिखाना हमारे लिए मुश्‍किल हो सकता है।

2. सब्र दिखाने के मामले में हम किन सवालों के जवाब जानेंगे?

2 बाइबल दिखाती है कि हमें सब्र से काम लेना चाहिए। अगर हममें मज़बूत विश्‍वास हो और हम परमेश्‍वर के वादों के पूरा होने तक सब्र दिखाएँ, ठीक जैसे बीते समय में परमेश्‍वर के सेवकों ने किया, तो हम ज़रूर उन वादों को पूरा होते देखेंगे। (इब्रानियों 6:11, 12 पढ़िए।) यहोवा खुद सब्र से काम लेता है। वह चाहता तो कभी-भी बुराई का अंत कर सकता था, मगर वह सही समय का इंतज़ार कर रहा है। (रोमि. 9:20-24) यहोवा क्यों इतना सब्र दिखाता है? उसकी तरह सब्र दिखाने में यीशु ने कैसी मिसाल रखी? परमेश्‍वर की तरह सब्र दिखाने से हमें क्या फायदे होंगे? इन सवालों के जवाब जानने से हमें सब्र रखने और अपना विश्‍वास मज़बूत करने में मदद मिलेगी, खासकर तब जब हमें लगे कि यहोवा कार्रवाई करने में देर कर रहा है।

यहोवा क्यों सब्र दिखाता है?

3, 4. (क) यहोवा ने सब्र क्यों दिखाया है? (ख) जब आदम और हव्वा ने परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ दी, तब यहोवा ने क्या किया?

3 पूरे विश्‍व पर यहोवा से बढ़कर अधिकार रखनेवाला और कोई नहीं और वह चाहता तो सारी समस्याओं को कब का खत्म कर चुका होता। मगर उसने सब्र दिखाया है और इसके पीछे वाजिब कारण है। अदन में हुई बगावत की वजह से कुछ अहम सवाल उठाए गए थे और स्वर्ग में और धरती पर रहनेवालों की खातिर इनका जवाब मिलना ज़रूरी था। और सही-सही जवाब मिलने में वक्‍त लगता, इसीलिए यहोवा ने अब तक सब्र दिखाया है। वह धरती पर और स्वर्ग में रहनेवाले हरेक की सोच और उसके कामों के बारे में अच्छी तरह जानता है, इसलिए वह जो भी कर रहा है हमारी भलाई के लिए कर रहा है।—इब्रा. 4:13.

4 यहोवा का यह मकसद था कि धरती आदम और हव्वा की संतानों से आबाद हो। मगर जब शैतान ने हव्वा को बहकाया और आदम ने यहोवा की आज्ञा तोड़ दी, तो परमेश्‍वर ने अपना मकसद ठुकरा नहीं दिया। वह न तो घबराया, न ही उसने जल्दबाज़ी में कोई फैसला लिया और न ही इंसानों से मुँह मोड़ लिया। इसके बजाय, इंसानों और धरती के लिए उसने जो मकसद ठहराया था, उसे पूरा करने का एक उपाय निकाला। (यशा. 55:11) अपना मकसद पूरा करने और अपनी हुकूमत बुलंद करने के लिए, यहोवा ने बहुत संयम दिखाया और सब्र से काम लिया। यहाँ तक कि अपने मकसद के कुछ पहलुओं को उम्दा तरीके से पूरा करने के लिए उसने हज़ारों साल इंतज़ार किया।

5. यहोवा के सब्र दिखाने से क्या आशीष मिलती है?

5 यहोवा के सब्र दिखाने की एक और वजह है। वह यह कि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग हमेशा की ज़िंदगी पाएँ। दरअसल आज वह “एक बड़ी भीड़” को बचाने की तैयारी कर रहा है। (प्रका. 7:9, 14; 14:6) हमारे प्रचार काम के ज़रिए यहोवा लोगों को बुलावा दे रहा है कि वे उसके राज और उसके नेक स्तरों के बारे में जानें। राज का संदेश इंसानों के लिए सबसे बेहतरीन संदेश है, यह एक “खुशखबरी” है। (मत्ती 24:14) जिस इंसान को यहोवा अपनी तरफ खींचता है, वह दुनिया-भर में फैले हमारे संगठन का हिस्सा बन जाता है जिसके लोग एक-दूसरे के सच्चे दोस्त होते हैं और सच्चाई से प्यार करते हैं। (यूह. 6:44-47) हमारा प्यारा परमेश्‍वर यह सब इसलिए कर रहा है ताकि लोग उसकी मंज़ूरी पा सकें। इसके अलावा, वह कुछ ऐसे लोगों को भी चुन रहा है जो स्वर्ग में उसकी सरकार का हिस्सा बनेंगे। स्वर्ग जाने के बाद, वे धरती पर आज्ञा माननेवाले इंसानों को सिद्ध होने और हमेशा की ज़िंदगी पाने में मदद देंगे। तो जहाँ एक तरफ यहोवा सब्र दिखा रहा है, वहीं दूसरी तरफ वह अपने वादों को पूरा करने के लिए कदम भी उठा रहा है। और यह सब वह हमारे भले के लिए कर रहा है।

6. (क) नूह के समय में यहोवा ने किस तरह सब्र दिखाया? (ख) आज यहोवा कैसे सब्र दिखा रहा है?

6 यहोवा तब भी सब्र दिखाता है, जब लोग घिनौने काम कर उसका अपमान करते हैं। नूह के समय के बारे में गौर कीजिए। उस वक्‍त सारी धरती खून-खराबे और बदचलनी से भर गयी थी और इंसान की सोच हर वक्‍त बुराई करने पर लगी थी। यह देखकर यहोवा “मन में अति खेदित हुआ।” (उत्प. 6:2-8) वह इस बुराई को हमेशा बरदाश्‍त नहीं कर सकता था, इसलिए उसने ठाना कि वह आज्ञा न माननेवाले इंसानों पर जलप्रलय लाएगा। उस वक्‍त के आने तक ‘परमेश्‍वर ने सब्र दिखाते हुए इंतज़ार किया।’ कैसे? उसने नूह और उसके परिवार को बचाने की तैयारी की। (1 पत. 3:20) अपने ठहराए वक्‍त पर उसने नूह को अपना फैसला सुनाया और उसे जहाज़ बनाने की आज्ञा दी। (उत्प. 6:14-22) यहोवा यह भी चाहता था कि नूह जल्द आनेवाले विनाश के बारे में दूसरों को खबरदार करे, इसलिए बाइबल बताती है कि नूह ‘नेकी का प्रचारक’ था। (2 पत. 2:5) यीशु ने बताया था कि हमारे दिन भी नूह के दिनों जैसे होंगे। यहोवा ने ठान लिया है कि वह इस दुष्ट व्यवस्था का नाश करेगा। वह ‘दिन और वह वक्‍त’ ठीक कब आएगा, यह कोई इंसान नहीं जानता। (मत्ती 24:36) मगर उस वक्‍त के आने तक परमेश्‍वर सब्र दिखा रहा है। उसने हमें यह काम दिया है कि हम लोगों को आनेवाले नाश के बारे में आगाह करें और उन्हें बताएँ कि वे कैसे बच सकते हैं।

7. क्या यहोवा अपने वादों को पूरा करने में देर कर रहा है? समझाइए।

7 इससे पता चलता है कि यहोवा के सब्र दिखाने का यह मतलब नहीं कि वह बस समय बीतने का इंतज़ार कर रहा है। हमें यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि वह हम पर ध्यान नहीं देता या उसे हमारी कोई परवाह नहीं। लेकिन जैस-जैसे हमारी उम्र ढलती जा रही है या इस दुष्ट दुनिया में जब हम दुख सहते हैं, तो हमारे मन में ऐसी सोच आ सकती है। हम निराश हो सकते हैं, या हमें लग सकता है कि यहोवा अपने वादों को पूरा करने में देर कर रहा है। (इब्रा. 10:36) मगर यह मत भूलिए कि यहोवा किसी ठोस वजह से ही सब्र दिखाता है और जब वह सब्र दिखाता है, तो वह उस वक्‍त का इस्तेमाल इस तरह करता है जिससे उसके वफादार सेवकों की भलाई हो। (2 पत. 2:3; 3:9) अब आइए देखें कि परमेश्‍वर की तरह यीशु ने कैसे सब्र दिखाया।

सब्र दिखाने में यीशु ने कैसे बेहतरीन मिसाल कायम की?

8. किन हालात में यीशु ने सब्र दिखाया?

8 यीशु, परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी कर रहा है और ऐसा वह खुशी-खुशी अरबों-खरबों सालों से करता आया है। जब शैतान ने बगावत की तब यहोवा ने यह फैसला किया कि उसका इकलौता बेटा इस धरती पर मसीहा बनकर आएगा। सोचिए कि इसके लिए यीशु को क्या करना था। उसे सब्र दिखाना था और हज़ारों साल इंतज़ार करना था, जब तक कि धरती पर आने का उसका वक्‍त पूरा नहीं होता। (गलातियों 4:4 पढ़िए।) इस दौरान वह हाथ-पर-हाथ धरे नहीं बैठा रहा। इसके बजाय, उसके पिता ने उसे जो काम दिया उसमें वह पूरी तरह लगा रहा। और जब वह धरती पर आया, तब वह जानता था कि भविष्यवाणी के मुताबिक उसे शैतान के हाथों मरना पड़ेगा। (उत्प. 3:15; मत्ती 16:21) फिर भी उसने सब्र दिखाते हुए एक दर्दनाक मौत सही क्योंकि उसे मालूम था कि उसके लिए परमेश्‍वर की यही मरज़ी है। यीशु ने अपने बारे में नहीं सोचा। परमेश्‍वर का बेटा होते हुए भी वह नम्र था और दुख सहने को तैयार था। उसने वफादारी दिखाने में क्या ही उम्दा मिसाल कायम की! हमें भी उसकी मिसाल पर चलना चाहिए।—इब्रा. 5:8, 9.

9, 10. (क) यहोवा के कार्रवाई करने का इंतज़ार करते वक्‍त यीशु क्या कर रहा है? (ख) हम यीशु के जैसा रवैया कैसे दिखा सकते हैं?

9 यीशु के जी उठाए जाने के बाद उसे स्वर्ग में और धरती पर अधिकार दिया गया। (मत्ती 28:18) वह उस अधिकार का इस्तेमाल यहोवा का मकसद पूरा करने के लिए करता है, लेकिन तब जब यहोवा का ठहराया समय आता है। इसलिए वह 1914 तक सब्र दिखाते हुए परमेश्‍वर की दायीं तरफ बैठा रहा, जब तक कि उसके दुश्‍मनों को उसके पाँवों की चौकी न बना दिया गया। (भज. 110:1, 2; इब्रा. 10:12, 13) जल्द ही वह शैतान की दुनिया खत्म करने के लिए कदम उठाएगा। लेकिन तब तक वह सब्र दिखाते हुए लोगों को यहोवा की मंज़ूरी पाने में मदद दे रहा है और उन्हें “जीवन के पानी” के पास ले जा रहा है।—प्रका. 7:17.

10 क्या आप देख सकते हैं कि आप यीशु के जैसा रवैया कैसे दिखा सकते हैं? यीशु जानता था कि यहोवा कोई भी कार्रवाई करने का एक वक्‍त ठहराता है। यह सच है कि यीशु यहोवा का दिया काम करने को बेताब रहता था मगर वह यहोवा के वक्‍त का इंतज़ार करने को भी तैयार था। आज भले ही हम शैतान की दुष्ट दुनिया का अंत देखने को तरस रहे हैं, मगर हमें सब्र रखना चाहिए। हमें परमेश्‍वर के वक्‍त का इंतज़ार करना चाहिए, उससे आगे नहीं भागना चाहिए और न ही निराश होने पर हार मान लेनी चाहिए। परमेश्‍वर की तरह सब्र दिखाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

मैं परमेश्‍वर की तरह सब्र कैसे दिखा सकता हूँ?

11. (क) किस मायने में कहा जा सकता है कि सब्र का सीधा ताल्लुक विश्‍वास से है? (ख) मज़बूत विश्‍वास रखने की हमारे पास क्यों ठोस वजह हैं?

11 यीशु के धरती पर आने से पहले, भविष्यवक्‍ताओं और दूसरे वफादार सेवकों ने दिखाया कि असिद्ध इंसान भी मुश्‍किल हालात में सब्र दिखा सकते हैं। उनके सब्र का सीधा ताल्लुक उनके विश्‍वास से था। (याकूब 5:10, 11 पढ़िए।) अगर उन्हें यहोवा की बातों पर भरोसा न होता यानी उनमें विश्‍वास की कमी होती, तो क्या वे सब्र दिखाते हुए उसके वादों के पूरा होने का इंतज़ार करते? ऐसा कई बार हुआ जब उन्हें मुश्‍किल या दिल दहला देनेवाले हालात से गुज़रना पड़ा, मगर हर बार वे उनका सामना कर पाए क्योंकि उन्हें विश्‍वास था कि परमेश्‍वर अपने वादों का पक्का है। (इब्रा. 11:13, 35-40) हमारे पास मज़बूत विश्‍वास रखने की और भी कई वजह हैं, क्योंकि आज यीशु ‘हमारे विश्‍वास को परिपूर्ण करनेवाले’ के तौर पर सेवा कर रहा है। (इब्रा. 12:2) दूसरे शब्दों में कहें तो उसने भविष्यवाणियाँ पूरी करके और परमेश्‍वर के मकसद की समझ देकर हमें विश्‍वास रखने की ठोस वजह दी है।

12. हम अपना विश्‍वास मज़बूत करने के लिए क्या कर सकते हैं?

12 हम अपना विश्‍वास मज़बूत करने के लिए क्या कर सकते हैं, जिससे हम अपने अंदर सब्र का गुण बढ़ा सकें? सबसे अहम बात यह है कि हम परमेश्‍वर की सलाह मानें। मिसाल के लिए, सोचिए कि किन वजहों से आप राज के कामों को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देते हैं। क्या आप मत्ती 6:33 में दी सलाह को मानने में और मेहनत कर सकते हैं? हो सकता है, आप सेवा में और ज़्यादा समय दे पाएँ या अपनी ज़िंदगी को सादा बनाने के लिए कुछ फेरबदल कर पाएँ। इस बात को अनदेखा मत कीजिए कि यहोवा ने अब तक किस तरह आपकी मेहनत पर आशीष दी है। शायद उसकी मदद से आप एक बाइबल अध्ययन शुरू कर पाए हों, या फिर उसने “परमेश्‍वर की वह शांति जो हमारी समझने की शक्‍ति से कहीं ऊपर है” पाने में आपकी मदद की हो। (फिलिप्पियों 4:7 पढ़िए।) जब आप इन आशीषों पर ध्यान देते हैं, तो आप समझ पाएँगे कि सब्र दिखाना कितना फायदेमंद है।—भज. 34:8.

13. क्या मिसाल दिखाती है कि विश्‍वास, हमारे अंदर सब्र का गुण बढ़ाता है?

13 विश्‍वास किस तरह हमारे अंदर सब्र का गुण बढ़ाता है, इसे समझने के लिए एक मिसाल पर गौर कीजिए। एक किसान बीज बोता है, सींचता है और फसल काटता है। हर बार जब उसकी फसल अच्छी होती है, उसका यकीन बढ़ता है कि बीज बोने से उसे फसल मिलेगी। और शायद अगली बार वह और भी खेतों में पहले से ज़्यादा बीज बोए। हालाँकि उसे मालूम है कि फसल काटने तक उसे सब्र दिखाना और इंतज़ार करना होगा, मगर उसे भरोसा है कि वह फसल ज़रूर काटेगा। उसी तरह जब हम यहोवा की हिदायतों के बारे में सीखकर उन पर चलते हैं और अच्छे नतीजे पाते हैं, तो यहोवा पर हमारा भरोसा और विश्‍वास बढ़ता है। ऐसे में सब्र रखना और उन आशीषों के लिए इंतज़ार करना आसान होता है, जो हमें मालूम है कि हमें ज़रूर मिलेंगी।—याकूब 5:7, 8 पढ़िए।

14, 15. इंसान की दुख-तकलीफों के बारे में हमारा क्या नज़रिया होना चाहिए?

14 सब्र का गुण बढ़ाने का एक और तरीका है, इस दुनिया को और अपने हालात को यहोवा की नज़र से देखना। मिसाल के लिए, सोचिए कि वह इंसान की दुख-तकलीफों के बारे में कैसा नज़रिया रखता है। यहोवा ने सदियों से इंसानों को तकलीफें झेलते देखा है। यह देखकर उसका कलेजा छलनी हो जाता है मगर यह दुख उसे अच्छाई करने से नहीं रोक पाया है। उसने अपने इकलौते बेटे को भेजा ताकि वह “शैतान के कामों को नष्ट कर दे” और वे सारी दुख-तकलीफें मिटा दे जो शैतान की वजह से इंसानों पर आयी हैं। (1 यूह. 3:8) सच तो यह है कि परमेश्‍वर बहुत जल्द हमेशा के लिए दुख-तकलीफों का नामो-निशान मिटा देगा। इसलिए हम नहीं चाहते कि दुनिया में हो रही बुराई किसी भी तरह हमारे विश्‍वास को कमज़ोर कर दे। न ही हम यह सोच-सोचकर सब्र खोना चाहते हैं कि पता नहीं, परमेश्‍वर कब कार्रवाई करेगा। आइए हम परमेश्‍वर के वादों पर विश्‍वास दिखाएँ। यहोवा ने तय कर लिया है कि वह ठीक कब बुराई का अंत करेगा और वह एकदम सही वक्‍त पर कदम उठाएगा।—यशा. 46:13; नहू. 1:9.

15 इस व्यवस्था के आखिरी दिनों में हमें शायद ऐसे हालात का सामना करना पड़े जिनमें हमारे विश्‍वास की ज़बरदस्त परीक्षा हो। हो सकता है, हिंसा या किसी और वजह से हमें या हमारे अज़ीज़ों को दुख सहना पड़े। इन हालात में अपना आपा खोने के बजाय हमें ठान लेना चाहिए कि हम यहोवा पर पूरा भरोसा रखेंगे। हम असिद्ध हैं, इसलिए ऐसा करना हमारे लिए आसान नहीं है। लेकिन याद कीजिए यीशु ने क्या किया जो मत्ती 26:39 में दर्ज़ है।—पढ़िए।

16. अंत का इंतज़ार करते वक्‍त हमें क्या नहीं करना चाहिए?

16 जिस इंसान को पूरा यकीन नहीं होता कि अंत करीब है, उसमें एक तरह का गलत रवैया पैदा हो सकता है। वह यह सोचकर कुछ योजनाएँ बनाने लगता है कि अगर यहोवा के वादे पूरे नहीं होते तो कम-से-कम मेरी योजनाएँ काम आएँगी। वह शायद अपने आपसे कहे, ‘देखते हैं, यहोवा सचमुच अपने वादों का पक्का निकलता है या नहीं।’ नतीजा, वह परमेश्‍वर के राज को पहली जगह देने के बजाय इस दुनिया में नाम और पैसा कमाने लग जाए। या फिर वह ऐशो-आराम की ज़िंदगी पाने के लिए ऊँची शिक्षा हासिल करने का फैसला ले। लेकिन क्या ऐसा करना विश्‍वास की कमी दिखाना नहीं होगा? याद कीजिए पौलुस ने हमें उन वफादार जनों की मिसाल पर चलने के लिए उकसाया जिन्होंने “विश्‍वास और सब्र रखने की वजह से” यहोवा के वादों को पूरा होते देखा था। (इब्रा. 6:12) यहोवा ने इस दुष्ट दुनिया को नाश करने की ठान ली है और वह इसमें ज़रा भी देर नहीं करेगा। (हब. 2:3) मगर तब तक हमें आधे-अधूरे मन से यहोवा की सेवा नहीं करनी चाहिए। इसके बजाय, हमें याद रखना चाहिए कि हम आखिरी दिनों में जी रहे हैं और प्रचार में अपना भरसक करना चाहिए। प्रचार का यह काम हमें वह खुशी दे सकता है जो दुनिया का और कोई काम नहीं दे सकता।—लूका 21:36.

सब्र दिखाने से क्या आशीषें मिलती हैं?

17, 18. (क) सब्र दिखाते हुए इंतज़ार करते वक्‍त हमारे पास क्या मौका है? (ख) आज सब्र दिखाने से हमें क्या आशीषें मिलेंगी?

17 चाहे हम दशकों से परमेश्‍वर की सेवा कर रहे हों या हमने हाल में ऐसा करना शुरू किया हो, हमारी तमन्‍ना है कि हम हमेशा-हमेशा के लिए उसकी सेवा करते रहें। इस दुनिया के अंत का चाहे जितना वक्‍त रह गया हो, सब्र का गुण हमारी मदद करेगा कि हम अंत तक धीरज धरें। आज यहोवा हमें यह साबित करने का मौका दे रहा है कि हमें उसके फैसलों पर पूरा भरोसा है और अगर हमें उसके नाम की खातिर दुख उठाना पड़े तब भी हम उसके वफादार रहेंगे। (1 पत. 4:13, 14) परमेश्‍वर हमें प्रशिक्षण भी दे रहा है जिससे हम अंत तक सब्र रख सकते हैं और उद्धार पा सकते हैं।—1 पत. 5:10.

18 यीशु को स्वर्ग में और धरती पर सारा अधिकार दिया गया है और अगर आप वफादार रहते हैं, तो दुनिया की कोई भी ताकत उसे आपकी हिफाज़त करने से नहीं रोक सकती। (यूह. 10:28, 29) हमें न तो भविष्य से न ही मौत से डरने की ज़रूरत है। जो लोग सब्र दिखाते हुए अंत तक धीरज धरेंगे, उन्हीं का उद्धार होगा। इसलिए हमें सावधान रहना होगा कि कहीं इस दुनिया के बहकावे में आकर यहोवा पर से हमारा भरोसा न उठ जाए। इसके बजाय, आइए हम ठान लें कि जब तक परमेश्‍वर सब्र दिखा रहा है, हम इस वक्‍त का समझदारी से इस्तेमाल करेंगे और अपने विश्‍वास को मज़बूत करेंगे।—मत्ती 24:13; 2 पतरस 3:17, 18 पढ़िए।