अतीत के झरोखे से
‘इतना बढ़िया संदेश लोगों ने इससे पहले कभी नहीं सुना था’
“ये सब किसलिए हैं?” यह सवाल भाई जॉर्ज नेश ने 18 मीटर लंबे-लंबे लट्ठों के एक ढेर की तरफ इशारा करते हुए पूछा। लट्ठों का यह ढेर कनाडा के सैस्कचवान प्रांत के सैसकटून शहर में हथियारों के भंडार में पड़ा था। जॉर्ज नेश को बताया गया कि ये सारे लट्ठे पहले विश्व-युद्ध के दौरान सिगनल टावर बनाने में इस्तेमाल किए गए थे। इस वाकये को याद करते हुए भाई जॉर्ज नेश ने बाद में बताया, “उन लट्ठों को देखकर मेरे दिमाग में एक खयाल आया कि हम उनसे एक रेडियो टावर बना सकते हैं। इस तरह अपने संदेश का प्रचार करने के लिए रेडियो स्टेशन बनाने का खयाल पहली बार हमारे दिमाग में कौंधा।” इसके एक साल बाद सन् 1924 में हमने सी.एच.यू.सी नाम के रेडियो स्टेशन से अपने कार्यक्रम प्रसारित करने शुरू किए। यह कनाडा में उन पहले रेडियो स्टेशनों में से एक था जिस पर धार्मिक कार्यक्रम प्रसारित किए जाते थे।
कनाडा देश तकरीबन यूरोप के जितना बड़ा है इसलिए इतने बड़े इलाके में रेडियो के ज़रिए संदेश सुनाना एक कारगर उपाय साबित हुआ। बहन फ्लॉरन्स जॉनसन, जो सैसकटून के रेडियो स्टेशन में काम करती थी, उसने कहा कि “रेडियो प्रसारणों की बदौलत ऐसे बहुत सारे लोगों तक सच्चाई पहुँच पायी जिनसे हम खुद मुलाकात नहीं कर पा रहे थे। उस ज़माने में रेडियो बिलकुल नयी चीज़ थी इसलिए लोग रेडियो पर बतायी जानेवाली हर बात बड़े गौर से सुनते थे।” सन् 1926 तक कनाडा के चार शहरों में बाइबल विद्यार्थी (उन दिनों यहोवा के साक्षी इसी नाम से जाने जाते थे) खुद के रेडियो स्टेशनों से अपने कार्यक्रम प्रसारित करने लगे। *
अगर आप उस ज़माने में होते और इनमें से किसी एक स्टेशन पर रेडियो लगाते तो आपको क्या सुनने को मिलता? आप किसी मंडली के भाई-बहनों को साज़ बजानेवालों की धुन पर गीत गाते हुए सुनते। कभी-कभार तो उनके साथ छोटे ऑरकेस्ट्रा भी हुआ करते थे। इसके अलावा, भाई बाइबल के विषयों पर भाषण देते और परिचर्चाएँ भी चलाते थे। बहन एमी जोन्स, जिसने ऐसी चर्चाओं में भाग लिया था, गुज़रे दिनों को याद करते हुए कहती हैं, “प्रचार में लोगों से मिलते वक्त जब मैं उन्हें अपना नाम बताती तो वे अकसर कहते, ‘अरे हाँ! मैंने आपकी आवाज़ रेडियो पर सुनी है।’”
नोवा स्कोशिया प्रांत के हैलिफैक्स शहर के बाइबल विद्यार्थियों ने रेडियो पर एक और तरीका अपनाया जो उस ज़माने के लिए बिलकुल नया था। वे बाइबल के किसी विषय पर बात करते और फिर श्रातोओं से कहते कि वे उसी वक्त फोन करके उनसे मनचाहा सवाल पूछ सकते हैं। एक भाई ने लिखा, “इस तरह से संदेश सुनाने का बहुत
बढ़िया नतीजा निकला। इतने सारे लोग फोन करके सवाल पूछते थे कि सबको जवाब देना मुमकिन नहीं हो पाता था।”बाइबल विद्यार्थियों का संदेश सुनकर लोगों ने अलग-अलग तरह का रवैया दिखाया। जैसे प्रेषित पौलुस का संदेश कुछ लोगों ने सुना तो कुछ ने ठुकरा दिया, उसी तरह बाइबल विद्यार्थियों का संदेश कुछ लोगों को बहुत अच्छा लगा जबकि दूसरों को बिलकुल रास नहीं आया। (प्रेषि. 17:1-5) मिसाल के लिए, जब हेक्टर मार्शल नाम के आदमी ने रेडियो पर बाइबल विद्यार्थियों को स्टडीज़ इन द स्क्रिप्चर्स के बारे में बात करते सुना, तो उसने बाइबल विद्यार्थियों से इस किताब के छः भाग भेजने की गुज़ारिश की। बाद में उसने लिखा, “मैंने यह सोचकर किताबें मँगवायीं थीं कि मैं इनकी मदद से संडे स्कूल में और अच्छी तरह सिखा पाऊँगा।” लेकिन इन किताबों को पढ़ने का उस पर कुछ और ही असर हुआ। भाग 1 खत्म करते-करते उसने फैसला किया कि वह चर्च छोड़ देगा। वह एक जोशीला प्रचारक बन गया और सन् 1998 में अपनी मौत तक उसने वफादारी से यहोवा की सेवा की। एक और मिसाल पर गौर कीजिए।
एक बार पूर्वी नोवा स्कोशिया में इस शीर्षक पर भाषण प्रसारित किया गया, “परमेश्वर का राज, दुनिया के लिए आशा की किरण।” उसके अगले दिन कर्नल ए. मेक्डॉनल्ड ने वहाँ के एक भाई से कहा, “कल केप ब्रेटन द्वीप के लोगों ने जो संदेश सुना, वैसा बढ़िया संदेश उन्होंने इससे पहले कभी नहीं सुना था।”
मगर दूसरी तरफ पादरी हमारे रेडियो प्रसारणों से भड़क उठे। हैलिफैक्स में कुछ कैथोलिक लोगों ने धमकी दी कि वे उस स्टेशन को फूँक डालेंगे जो बाइबल विद्यार्थियों के कार्यक्रम प्रसारित करता है। धर्म-गुरुओं के भड़काने पर सन् 1928 में सरकार ने अचानक यह ऐलान किया कि बाइबल विद्यार्थियों के रेडियो स्टेशन के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। तब भाई-बहनों ने इस नाइंसाफी के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए एक संदेश छापकर लोगों में बाँटा जिसका नाम था, रेडियो तरंगों पर किसका हक है? फिर भी सरकारी अधिकारियों ने बाइबल विद्यार्थियों के लाइसेंस का नवीनीकरण करने से इनकार कर दिया।
क्या इस वजह से कनाडा में साक्षियों के उस छोटे-से समूह का जोश ठंडा पड़ गया? बहन इज़बेल वेनराइट ने कहा, “शुरू में ऐसा लगा कि हमारे दुश्मन को हम पर बहुत बड़ी जीत मिल गयी है। लेकिन मैं जानती थी कि अगर यहोवा चाहता कि हम रेडियो स्टेशनों का इस्तेमाल जारी रखें तो वह हम पर यह पाबंदी नहीं लगने देता। यहोवा ने ऐसा नहीं किया जिससे यह ज़ाहिर हुआ कि हमें प्रचार के लिए अब कोई ऐसा तरीका अपनाना होगा जो इससे भी बेहतर हो।” कनाडा के साक्षी अब लोगों को गवाही देने के लिए रेडियो का ज़्यादा इस्तेमाल करने के बजाय घर-घर जाकर हर किसी से मुलाकात करने पर ज़्यादा ध्यान देने लगे। फिर कुछ समय बाद, रेडियो ने एक बार फिर हमारे प्रचार काम में एक अहम भूमिका निभायी और कई लोगों को ‘वह बढ़िया संदेश सुनाया जो उन्होंने इससे पहले कभी नहीं सुना था।’—कनाडा के अतीत के झरोखे से।
^ पैरा. 4 साक्षी खुद के रेडियो स्टेशनों के अलावा, दूसरे रेडियो स्टेशनों को पैसा देकर उनके ज़रिए भी गवाही देते थे।