यहोवा से मिलनेवाली माफी आपके लिए क्या मायने रखती है?
“यहोवा, ईश्वर दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त . . . अधर्म और अपराध और पाप का क्षमा करनेवाला है।”—निर्ग. 34:6, 7.
1, 2. (क) यहोवा ने इसराएल राष्ट्र को हर बार क्या दिखाया? (ख) इस लेख में किस सवाल का जवाब दिया जाएगा?
नहेमायाह के दिनों में, लेवियों के एक दल ने प्रार्थना में सबके सामने कबूल किया कि उनके पुरखों ने बार-बार यहोवा की आज्ञा “मानने से इनकार किया।” लेकिन यहोवा ने हर बार दिखाया कि वह “क्षमा करनेवाला अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से कोप करनेवाला, और अतिकरुणामय ईश्वर है।” और नहेमायाह के समय में बंधुआई से लौट आए इन इसराएलियों को भी यहोवा ने महा-कृपा दिखाना नहीं छोड़ा।—नहे. 9:16, 17.
2 हममें से हरेक खुद से पूछ सकता है, ‘यहोवा से मिलनेवाली माफी मेरे लिए क्या मायने रखती है?’ इस अहम सवाल का जवाब पाने के लिए आइए देखें कि यहोवा ऐसे दो लोगों के साथ किस तरह पेश आया, जिन्होंने पाप किया था और परमेश्वर की माफी से उन्हें कैसे फायदा हुआ। वे थे राजा, दाविद और मनश्शे।
दाविद ने गंभीर पाप किए
3-5. दाविद ने कौन-से गंभीर पाप किए?
3 दाविद एक ऐसा इंसान था जो परमेश्वर का भय मानता था, मगर उसने अपनी ज़िंदगी में कुछ गंभीर पाप भी किए। इनमें से दो पाप का ताल्लुक ऊरिय्याह और बतशेबा नाम के शादीशुदा जोड़े से था। और तीनों को ही इसके दर्दनाक अंजाम भुगतने पड़े। लेकिन यहोवा ने जिस तरीके से दाविद को सुधारा, उससे यहोवा से मिलनेवाली माफी के बारे में बहुत कुछ पता चलता है। आइए इस घटना पर गौर करें।
4 दाविद ने इसराएली सेना को अम्मोनियों की राजधानी रब्बा पर कब्ज़ा करने के लिए भेजा था। यह शहर यरूशलेम के पूर्व में करीब 80 किलोमीटर दूर यरदन नदी के उस पार था। इस बीच दाविद यरूशलेम में ही था। एक दिन ऐसा हुआ कि उसने अपने महल की छत से एक शादीशुदा औरत, बतशेबा को नहाते देखा। उसका पति लड़ाई में गया हुआ था। बतशेबा को देखकर दाविद के दिल में इस कदर वासना जागी कि उसने उसे अपने महल बुलवा भेजा और उसके साथ व्यभिचार किया।—2 शमू. 11:1-4.
5 जब दाविद को मालूम पड़ा कि बतशेबा गर्भवती है, तो उसने उसके पति ऊरिय्याह को वापस यरूशलेम बुलवा लिया। उसने ऊरिय्याह को बार-बार घर जाने को कहा। वह चाहता था कि ऊरिय्याह अपनी पत्नी के साथ यौन-संबंध रखे ताकि उसे लगे कि बतशेबा उसके बच्चे की माँ बननेवाली है। लेकिन दाविद के लाख कोशिश करने पर भी ऊरिय्याह ने अपने घर में कदम तक नहीं रखा। इसलिए दाविद ने चुपके से अपने सेनापति को एक खत भेजा कि वह ऊरिय्याह को “घमासान युद्ध की पहली पंक्ति में” (अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) तैनात कर दे और बाकी सैनिकों को उसके पीछे से हट जाने को कहे। इससे ऊरिय्याह युद्ध में मारा गया और दाविद की चाल कामयाब हो गयी। (2 शमू. 11:12-17) व्यभिचार करने के साथ-साथ एक निर्दोष इंसान की जान लेकर, दाविद ने अपने पाप का पलड़ा और भारी कर दिया।
दाविद को पछतावा हुआ
6. दाविद के पाप करने पर परमेश्वर ने क्या किया? इससे हमें यहोवा के बारे में क्या पता चलता है?
6 बेशक जो कुछ हुआ वह सब यहोवा ने देखा। उसकी नज़र से कोई बात नहीं छिप सकती। (नीति. 15:3) हालाँकि आगे चलकर राजा दाविद ने बतशेबा से शादी कर ली, लेकिन “जो काम [दाविद] ने किया था वह यहोवा की दृष्टि में बुरा था।” (2 शमू. 11:27, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) तब यहोवा ने क्या किया? उसने अपने भविष्यवक्ता नातान को दाविद के पास भेजा। यहोवा माफ करनेवाला परमेश्वर है, इसलिए वह दाविद पर दया दिखाना चाहता था, मगर उससे पहले वह यह जानना चाहता था कि क्या दाविद को सचमुच अपने किए पर पछतावा है। क्या यहोवा का इस तरह पेश आना आपके दिल को नहीं छू जाता? उसने पाप कबूल करने के लिए दाविद पर ज़ोर नहीं डाला, बल्कि नातान से इतना कहा कि वह दाविद को एक कहानी सुनाए जिससे उसे एहसास हो कि उसने कितना घोर पाप किया है। (2 शमूएल 12:1-4 पढ़िए।) दाविद के दिल में क्या था, यह जानने के लिए यहोवा ने क्या ही बेहतरीन तरीका अपनाया!
7. नातान की कहानी का दाविद पर क्या असर हुआ?
7 नातान की कहानी सुनकर राजा के अंदर न्याय का जज़्बा जाग उठा। दाविद उस कहानी में बताए धनी आदमी पर भड़क गया और उसने नातान से कहा: “यहोवा के जीवन की शपथ, जिस मनुष्य ने ऐसा काम किया वह प्राण दण्ड के योग्य है।” उसने यह भी कहा कि इस अन्याय के शिकार व्यक्ति ने जो खोया है उसकी भरपाई की जानी चाहिए। लेकिन तभी दाविद को एक ज़बरदस्त झटका लगा जब नातान ने उससे कहा, “तू ही वह मनुष्य है।” फिर दाविद से कहा गया कि उसके कामों की वजह से उस पर मुसीबतों का कहर टूट पड़ेगा और उसके परिवार के लोग दर्दनाक मौत मरेंगे। इसके अलावा, उसके पापों के लिए उसे सरेआम ज़लील किया जाएगा। दाविद को एहसास हुआ कि उसने कितना घिनौना पाप किया है और बहुत पछताते हुए उसने कबूल किया: “मैं ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है।”—2 शमू. 12:5-14.
दाविद ने प्रार्थना की और परमेश्वर ने उसे माफ किया
8, 9. भजन 51 से दाविद के दिल की तड़प कैसे ज़ाहिर होती है? और इस भजन से हम यहोवा के बारे में क्या सीखते हैं?
8 इस घटना के बाद दाविद ने भजन 51 में दिया गीत लिखा। उसके शब्दों से पता चलता है कि दाविद को सचमुच अफसोस हो रहा था। इस भजन में दाविद ने यहोवा से जो फरियाद की वह दिल छू लेनेवाली है और उससे साफ ज़ाहिर होता है कि उसने अपनी गलतियाँ न सिर्फ कबूल कीं बल्कि अपने पापों का पश्चाताप भी किया। दाविद के लिए परमेश्वर के साथ उसका रिश्ता सबसे ज़्यादा मायने रखता था। इसलिए उसने कबूल किया: “मैं ने केवल तेरे ही विरुद्ध पाप किया।” वह यहोवा के सामने गिड़गिड़ाया: “हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर . . . अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल।” (भज. 51:1-4, 7-12) क्या आप भी अपनी गलतियों के बारे में यहोवा को खुलकर बताते हैं?
9 यहोवा ने दाविद को उसके पाप के दर्दनाक अंजाम से नहीं बचाया। वे दाविद को ज़िंदगी-भर भुगतने पड़े। लेकिन उसने दाविद के “टूटे और पिसे हुए मन” को, उसके सच्चे पश्चाताप को देखा और उसे माफ किया। (भजन 32:5 पढ़िए; भज. 51:17) सर्वशक्तिमान परमेश्वर एक इंसान के दिल की हालत को बखूबी जानता है कि वह किस वजह से पाप करता है। इसलिए यहोवा ने दाविद और बतशेबा का मामला इंसानी न्यायियों के हाथों नहीं सौंपा जो उन्हें मूसा के कानून के तहत व्यभिचार के लिए मौत की सज़ा देते। बल्कि यहोवा ने खुद उनका न्याय किया और इस तरह उन पर दया दिखायी। (लैव्य. 20:10) यहाँ तक कि उसने उनके बेटे सुलैमान को इसराएल का अगला राजा बनाया।—1 इति. 22:9, 10.
10. (क) यहोवा ने दाविद को शायद किस वजह से माफ किया? (ख) यहोवा से माफी पाने के लिए एक इंसान को क्या करना होगा?
10 यहोवा ने दाविद को क्यों माफ किया, इसकी एक और वजह यह हो सकती है कि दाविद ने भी शाऊल पर दया दिखायी थी। (1 शमू. 24:4-7) यीशु ने बताया था कि जिस तरह हम दूसरों के साथ पेश आते हैं यहोवा भी हमारे साथ उसी तरह पेश आता है। उसने कहा: “दोष लगाना बंद करो ताकि तुम पर दोष न लगाया जाए। इसलिए कि जैसे तुम दोष लगाते हो, वैसे ही तुम पर भी दोष लगाया जाएगा। जिस नाप से तुम नापते हो, वे भी उसी नाप से तुम्हारे लिए भी नापेंगे।” (मत्ती 7:1, 2) यह जानकर हमारे दिल को कितना सुकून मिलता है कि यहोवा हमारे पापों को माफ कर देगा, व्यभिचार और कत्ल जैसे गंभीर पाप भी! मगर वह ऐसा तभी करेगा जब हम दूसरों को माफ करने के लिए तैयार होंगे, परमेश्वर के सामने अपने पापों को मान लेंगे और उनके बारे में अपना नज़रिया बदलेंगे यानी उन पापों को उसी नज़र से देखेंगे जिस नज़र से यहोवा देखता है। जब कोई पापी सच्चे दिल से पश्चाताप करता है, तो यहोवा की तरफ से उसके लिए “ताज़गी के दिन” आते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो, यहोवा की मदद से वह दोबारा एक साफ ज़मीर रख पाता है।—प्रेषितों 3:19 पढ़िए।
मनश्शे ने गंभीर पाप किए मगर पछताया भी
11. राजा मनश्शे ने कौन-कौन-से घिनौने काम किए?
11 बाइबल में दर्ज़ एक और उदाहरण पर गौर कीजिए जो दिखाता है कि यहोवा बड़े-बड़े पाप भी माफ करने को तैयार रहता है। दाविद की हुकूमत के लगभग 360 साल बाद मनश्शे, यहूदा देश का राजा बना। उसने 55 साल तक राज किया और इस दौरान उसने कई घिनौने काम किए जिनकी वजह से यहोवा ने उसे धिक्कारा। मनश्शे ने बाल देवता के लिए वेदियाँ खड़ी कीं, “आकाश के सारे गण” की पूजा की, अपने बेटों को आग में होम करके चढ़ाया और भूत-विद्या को बढ़ावा दिया। जी हाँ, “उस ने ऐसे बहुत से काम किए, जो यहोवा की दृष्टि में बुरे हैं।”—2 इति. 33:1-6.
12. मनश्शे कैसे परमेश्वर के पास लौट आया?
12 आखिरकार, मनश्शे को बंदी बनाकर उसके वतन से दूर बैबिलोन ले जाया गया। वहाँ शायद उसने मूसा के इन शब्दों को याद किया होगा, जो उसने इसराएलियों से कहे थे: “जब तुम संकट में पड़ो, और ये सब विपत्तियां तुम पर आ पड़ेंगी, तब तुम अपने परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो और उसकी मानना।” (व्यव. 4:30) मनश्शे, यहोवा के पास लौट आया। कैसे? वह “परमेश्वर के साम्हने बहुत दीन हुआ” और ‘उस से प्रार्थना करता रहा’ (जैसा पेज 21 पर दिखाया गया है)। (2 इति. 33:12, 13) बाइबल यह तो नहीं बताती कि मनश्शे ने अपनी प्रार्थना में क्या-क्या कहा, लेकिन मुमकिन है कि उसके शब्द भजन 51 में दर्ज़ दाविद के शब्दों से मिलते-जुलते होंगे। मगर एक बात तय है, मनश्शे अंदर से पूरी तरह बदल चुका था।
13. यहोवा ने मनश्शे को क्यों माफ किया?
13 यहोवा ने मनश्शे की प्रार्थनाओं का क्या जवाब दिया? “उस ने प्रसन्न होकर उसकी बिनती सुनी।” दाविद की तरह मनश्शे को भी एहसास हुआ कि उसने कितने गंभीर पाप किए हैं और उसने दिल से पश्चाताप किया। इसलिए यहोवा ने मनश्शे को माफ कर दिया और यरूशलेम में उसका राजपाट उसे लौटा दिया। नतीजा यह हुआ कि “मनश्शे को निश्चय हो गया कि यहोवा ही [सच्चा] परमेश्वर है।” (2 इति. 33:13) यह उदाहरण इस बात का एक और सबूत है कि यहोवा दयालु है और सच्चा पश्चाताप करनेवालों को माफ करता है। क्या यह जानकर हमें ढाँढ़स नहीं मिलता?
क्या यहोवा हर किसी के पाप माफ कर देता है?
14. यहोवा कैसे तय करता है कि वह एक पापी को माफ करेगा या नहीं?
14 आज परमेश्वर के ज़्यादातर सेवक शायद ही ऐसे गंभीर पाप करें जैसे दाविद और मनश्शे ने किए थे। फिर भी, हम उनके उदाहरण से सीखते हैं कि अगर एक पापी दिल से पश्चाताप करे, तो परमेश्वर उसके गंभीर पापों को भी माफ करने को तैयार रहता है।
15. हम कैसे जानते हैं कि यहोवा हर किसी के पाप माफ नहीं करता?
15 लेकिन यह सोचना सही नहीं होगा कि यहोवा हर किसी के पाप माफ कर देता है। इस बात को समझने के लिए आइए दाविद और मनश्शे के रवैए की तुलना इसराएल और यहूदा के भटके हुए लोगों के रवैए से करें। परमेश्वर ने दाविद को अपनी गलती का एहसास दिलाने के लिए नातान को भेजा और दाविद को पश्चाताप करने का मौका दिया। दाविद ने दिल से यह ताड़ना कबूल की। मनश्शे ने भी खुद को संकट में पाकर सच्चा पश्चाताप किया। लेकिन अकसर इसराएल और यहूदा के लोगों को पाप करने पर कोई पछतावा नहीं होता था, जबकि यहोवा बार-बार अपने भविष्यवक्ताओं को उन्हें चिताने के लिए भेजता था। इसलिए यहोवा ने उन्हें माफ नहीं किया। (नहेमायाह 9:30 पढ़िए।) बैबिलोन की बंधुआई से जब इसराएली अपने देश लौटे तब भी यहोवा, याजक एज्रा और भविष्यवक्ता मलाकी जैसे अपने वफादार दूतों को उनके पास भेजता रहा। जब-जब लोगों ने परमेश्वर की मरज़ी के मुताबिक काम किया, उन्हें बड़ी खुशी मिली।—नहे. 12:43-47.
16. (क) पश्चाताप न दिखाने की वजह से पूरे इसराएल राष्ट्र को क्या अंजाम भुगतना पड़ा? (ख) पैदाइशी इसराएलियों के सदस्यों के आगे क्या मौका है?
16 धरती पर रहते वक्त यीशु ने यरूशलेम के बारे में जो कहा उससे हमें यहोवा की भावनाओं के बारे में पता चलता है: “यरूशलेम, यरूशलेम, तू जो भविष्यवक्ताओं की हत्यारी नगरी है और जो तेरे पास भेजे जाते हैं उन पर पत्थरवाह करती है,—मैंने कितनी बार चाहा कि जैसे मुर्गी अपने चूज़ों को अपने पंखों तले इकट्ठा करती है, वैसे ही मैं भी तेरे बच्चों को इकट्ठा करूँ! मगर तुम लोगों ने यह नहीं चाहा।” इसलिए यीशु ने ऐलान किया: “देखो! तुम्हारा घर तुम्हारे हवाले छोड़ा जाता है।” (मत्ती 23:37, 38) पाप करने से बाज़ न आने और पश्चाताप न दिखाने की वजह से इसराएल राष्ट्र को ठुकरा दिया गया और उसकी जगह आत्मिक इसराएल ने ले ली। (मत्ती 21:43; गला. 6:16) लेकिन क्या इसका मतलब है कि पैदाइशी इसराएलियों के हरेक सदस्य को भी ठुकरा दिया गया और उसके पाप माफ नहीं किए जाएँगे? जी नहीं, उनके आगे यह मौका है कि वे परमेश्वर पर और यीशु मसीह के फिरौती बलिदान पर विश्वास दिखाएँ जिसने जानवरों के बलिदान की जगह ली, और यहोवा की दया और माफी से फायदा पाएँ। (1 यूह. 4:9, 10) यह मौका उन लोगों के लिए भी खुला है जो अपने पापों का पश्चाताप किए बिना ही मौत की नींद सो गए थे, मगर जिन्हें एक साफ-सुथरी धरती पर दोबारा जी उठाया जाएगा।—यूह. 5:28, 29; प्रेषि. 24:15.
यहोवा से मिलनेवाली माफी से फायदा पाना
17, 18. हम यहोवा से अपने पापों की माफी कैसे पा सकते हैं?
17 यहोवा माफ करने को तैयार रहता है, इस बात का हम पर क्या असर होना चाहिए? बेशक हम वही रवैया दिखाना चाहेंगे जो दाविद और मनश्शे ने दिखाया था। हमें कबूल करना होगा कि हम पापी हैं, अपनी गलतियों का पश्चाताप करना होगा, यहोवा से गिड़गिड़ाकर माफी माँगनी होगी और शुद्ध मन पाने के लिए उससे बिनती करनी होगी। (भज. 51:10) अगर हमने कोई गंभीर पाप किया है तो हमें प्राचीनों की मदद लेनी चाहिए। (याकू. 5:14, 15) चाहे हमने कितना ही बड़ा पाप क्यों न किया हो, हमें यह जानकर तसल्ली मिलती है कि यहोवा आज भी, “ईश्वर दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, और अति करुणामय और सत्य, हज़ारों पीढ़ियों तक निरन्तर करुणा करनेवाला, अधर्म और अपराध और पाप का क्षमा करनेवाला है।” यहोवा बदला नहीं है।—निर्ग. 34:6, 7.
18 यहोवा ने पश्चाताप करनेवाले इसराएलियों से वादा किया कि वह उनके पाप के दाग को पूरी तरह मिटा देगा। उसने कहा कि चाहे उनके पाप “लाल रंग” के हों, वह उन्हें “हिम” की तरह सफेद कर देगा। (यशायाह 1:18 पढ़िए।) तो फिर, परमेश्वर से मिलनेवाली माफी हमारे लिए क्या मायने रखती है? अगर हम सच्चे दिल से पश्चाताप करें और यहोवा की माफी के लिए शुक्रगुज़ार हों, तो हमारे पापों को पूरी तरह माफ किया जाएगा।
19. अगले लेख में हम क्या देखेंगे?
19 हम किस तरह दूसरों को माफ करने के लिए तैयार रह सकते हैं, ठीक जैसे यहोवा हमें माफ करता है? जो गंभीर पाप करते हैं मगर सच्चा पश्चाताप दिखाते हैं, हम कैसे उन्हें माफ कर सकते हैं? अगला लेख हमें अपने दिलों की जाँच करने में मदद देगा ताकि हम और भी ज़्यादा अपने पिता यहोवा की तरह बनें, जो “भला है और क्षमा करने को तत्पर रहता है।”—भज. 86:5, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन।