इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

आपने पूछा

आपने पूछा

सच्चाई जानने से पहले मैंने और मेरी पत्नी ने ‘इन विट्रो गर्भाधान’ (परख-नली निषेचन) करवाया था क्योंकि हम एक बच्चा चाहते थे। लेकिन निषेचित किए गए हमारे सभी डिंबों (भ्रूण) का इस्तेमाल नहीं किया गया। कुछ डिंब बर्फ में जमाकर सुरक्षित रखे गए। अब क्या हमें बचे हुए डिंब सुरक्षित रखने चाहिए या उन्हें नष्ट किया जा सकता है?

यह धार्मिक उसूलों से जुड़ा एक गंभीर मसला है। ऐसे ही और भी कई अहम मसले उन जोड़ों के सामने खड़े हो सकते हैं, जो ‘इन विट्रो गर्भाधान’ करवाते हैं। इस मामले में एक मसीही जोड़ा जो फैसला लेता है, उसके लिए वह खुद यहोवा के सामने जवाबदेह है। फिर भी गर्भधारण में मदद करनेवाली इस तकनीक के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी पाना अच्छा रहेगा।

सन्‌ 1978 में पहली बार इंग्लैंड की एक औरत ने ‘टेस्ट ट्यूब’ प्रक्रिया की मदद से एक बच्चे को जन्म दिया था। दरअसल वह औरत गर्भवती नहीं हो पा रही थी क्योंकि उसकी डिंबवाही नलियों में कुछ रुकावट पैदा हो गयी थी और जिस वजह से शुक्राणु उसके डिंबों तक नहीं पहुँच पा रहे थे। डॉक्टरों ने ऑपरेशन के ज़रिए उसके अंदर से एक विकसित डिंब निकालकर काँच के बर्तन में रखा। फिर उसके पति के शुक्राणु से उस डिंब का निषेचन किया। इससे जो भ्रूण तैयार हुआ उसे कुछ पोषक पदार्थों के बीच रखकर बढ़ाया गया। फिर उस भ्रूण को उस औरत के गर्भ में डाल दिया गया। कुछ समय बाद, उस औरत ने एक बच्ची को जन्म दिया। यह प्रक्रिया और इसके दूसरे तरीके आगे चलकर इन विट्रो (शीशा) गर्भधान के नाम से जाने गए।

हालाँकि अलग-अलग देशों में यह प्रक्रिया अलग-अलग तरीके से अपनायी जाती है, लेकिन आम तौर पर इसमें ये बातें शामिल होती हैं: पत्नी को कुछ हफ्तों तक ऐसी दवाइयाँ दी जाती हैं जिनकी वजह से उसके अंडाशय में ढेर सारे डिंब पैदा होते हैं। पति को शायद हस्तमैथुन करके ताज़ा शुक्राणु देने के लिए कहा जाता है। फिर प्रयोगशाला में शुक्राणु साफ किए जाते हैं और उन्हें डिंबों से मिलाया जाता है। ऐसा करने पर एक से ज़्यादा डिंब निषेचित होते हैं और वे बढ़ने लगते हैं। और इस तरह कई भ्रूण तैयार होते हैं। एक-दो दिन के बाद इन भ्रूणों की बड़ी सावधानी से जाँच की जाती है और पता लगाया जाता है कि कौन-से भ्रूण गर्भाधान के लिए अच्छे हैं और किन भ्रूणों में दोष है। करीब तीसरे तीन, अच्छे भ्रूणों में से एक नहीं बल्कि दो या तीन भ्रूण पत्नी के गर्भाशय में डाले जाते हैं ताकि गर्भाधान में कामयाबी मिल सके। अगर एक या उससे ज़्यादा भ्रूण गर्भ में डाले गए हैं और वह गर्भवती हो जाती है, तो उम्मीद की जाती है कि वक्‍त आने पर वह ज़रूर बच्चा जनेगी।

लेकिन उन भ्रूणों का क्या जो औरत के गर्भ में नहीं डाले जाते और जिनमें कुछ दोष होता है या जो इतने अच्छे नज़र नहीं आते? अगर इनको यूँ ही छोड़ दिया जाए तो वे जल्द ही नष्ट हो जाएँगे। इसलिए उन्हें जल्द-से-जल्द तरल नाइट्रोजन में जमाकर रख दिया जाता है। किस लिए? वह इसलिए ताकि अगर इन विट्रो गर्भाधान की पहली प्रक्रिया नाकाम हो जाए तो बचाकर रखे गए इन भ्रूणों को गर्भाशय में दोबारा डाला सकता है। ऐसा करना किफायती भी होता है। लेकिन इससे कुछ धार्मिक विश्‍वास से जुड़े मसले खड़े हो सकते हैं। ऊपर जिस पति-पत्नी ने सवाल किया है, उनकी तरह बहुत से लोग यह फैसला करना मुश्‍किल पाते हैं कि उनके जो भ्रूण जमाकर रखे गए हैं उनका वे क्या करें। वे शायद और बच्चे न चाहते हो क्योंकि ढलती उम्र या माली हालात अच्छी न होने की वजह से वे न तो दोबारा इन विट्रो गर्भाधान करा सकते हैं और न ही बच्चों की परवरिश कर सकते हैं। इसके अलावा, उन्हें कोख में एक-से-ज़्यादा बच्चों के गर्भधारण से होनेवाले खतरों का भी डर रहता है। * या अगर पति-पत्नी में से किसी एक की या दोनों की मौत हो जाए तो मामला और पेचीदा हो सकता है। जी हाँ, कई मुश्‍किलें खड़ी हो सकती हैं इसलिए कुछ पति-पत्नी सालों-साल बचे हुए भ्रूणों को सुरक्षित रखने का खर्चा उठाते रहते हैं।

सन्‌ 2008 में एक प्रमुख भ्रूण-विज्ञान विशेषज्ञ ने द न्यू यॉर्क टाइम्स पत्रिका के एक लेख में कहा कि बहुत-से मरीज़ों को यह फैसला करना बेहद मुश्‍किल लगता है कि बचे हुए भ्रूणों का क्या किया जाए। उस लेख में कहा गया था: “देश-भर के अस्पतालों में कम-से-कम चार लाख भ्रूण सही और ठंडे तापमान में जमाकर रखे गए हैं और हर दिन और भी भ्रूण जमाकर रखे जा रहे हैं। . . . अगर भ्रूणों को सही तरह से जमाकर रखा जाए, तो उनमें दस साल या उससे ज़्यादा समय तक विकसित होकर बच्चे बनने की क्षमता बरकरार रहती है, लेकिन जब उन्हें ठंडे तापमान से निकाला जाता है, तो बहुत-से भ्रूण नष्ट हो जाते हैं।” (तिरछे टाइप हमारे।) इसे ध्यान में रखते हुए मसीहियों को इस सिलसिले में काफी सोच-समझकर फैसला करने की ज़रूरत है। ऐसा क्यों?

जो मसीही जोड़े ‘इन विट्रो गर्भाधान’ से उठनेवाले मसलों का सामना करते हैं, उनके लिए अच्छा होगा कि वे इसी से मिलते-जुलते एक और हालात पर गौर करें, जिससे उन्हें सही फैसला लेने में मदद मिल सकती है। मान लीजिए एक मसीही का कोई अज़ीज़ गंभीर बीमारी की वजह से बहुत नाज़ुक हालत में है और उसे एक मशीन, जैसे वेंटिलेटर (साँस लेने की मशीन) के सहारे ज़िंदा रखा गया है। ऐसे में उस मसीही को खुद तय करना होगा कि वह अपने अज़ीज़ के बारे में क्या फैसला लेगा। सच्चे मसीही इलाज के मामले में कोई लापरवाही नहीं बरतते, क्योंकि वे निर्गमन 20:13 और भजन 36:9 में दिए सिद्धांत की वजह से जीवन का गहरा आदर करते हैं। मई 8, 1974 की सजग होइए! (अँग्रेज़ी) में कहा गया था, “जो लोग बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक ज़िंदगी जीना चाहते हैं, वे परमेश्‍वर की तरह जीवन को पवित्र समझते हैं और अपने ज़मीर की खातिर और सरकार के नियमों को मानने की वजह से एक मरीज़ की ज़िंदगी जानबूझकर खत्म करने का फैसला कभी नहीं करेंगे।” हाँ, कुछ हालात ऐसे भी हो सकते हैं जब एक मरीज़ सिर्फ किसी उपकरण या मशीन के सहारे ही ज़िंदा रह सकता है। ऐसे में उसके परिवार के सदस्यों को फैसला करना होगा कि वे उसे मशीन का सहारा देना जारी रखेंगे या नहीं।

यह सच है कि जिस शादीशुदा जोड़े ने ‘इन विट्रो गर्भाधान’ करवाया था और भ्रूण सुरक्षित रखवाए थे, उस जोड़े के हालात कुछ अलग हैं। हो सकता है, डॉक्टर उन्हें सुझाव दें कि वे जमाए गए भ्रूणों को नाइट्रोजन के द्रव्य में से निकलवा दें। जब भ्रूणों को ठंडे तापमान से निकाल दिया जाएगा, तो जल्द ही उनमें विकसित होने की क्षमता खत्म हो जाएगी। अब उस मसीही जोड़े को खुद फैसला करना होगा कि वे ऐसा करना चाहेंगे या नहीं।—गला. 6:7.

जो शादीशुदा जोड़े गर्भधारण कराने और बच्चे जनने के लिए ‘इन विट्रो गर्भाधान’ करवाते हैं वे शायद अलग-अलग फैसला करें। हो सकता है एक जोड़ा तय करे कि वे अपने भ्रूणों को जमाए रखने का खर्चा उठाते रहेंगे या फिर भविष्य में जब कभी उन्हें बच्चा चाहिए तो वे ‘इन विट्रो गर्भाधान’ में इनका इस्तेमाल करेंगे। वहीं दूसरी तरफ, दूसरा जोड़ा शायद तय करे कि वह अपने भ्रूणों को जमाए रखने का खर्चा नहीं उठाएगा। इस फैसले के पीछे शायद वह जोड़ा दलील दे कि भ्रूण सिर्फ मशीन के सहारे सुरक्षित हैं। ऐसे हालात में मसीहियों की परमेश्‍वर के सामने ज़िम्मेदारी बनती है कि वे बाइबल से तालीम पाए ज़मीर के मुताबिक फैसला करें। उनकी कोशिश यही रहनी चाहिए कि उनके फैसले की वजह से उनका ज़मीर उन्हें न कचोटे और वे दूसरों के ज़मीर का भी लिहाज़ करें।—1 तीमुथियुस 1:19.

मसीहियों की परमेश्‍वर के सामने ज़िम्मेदारी बनती है कि वे बाइबल से तालीम पाए ज़मीर के मुताबिक फैसला करें

एक प्रजनन विशेषज्ञ ने पाया कि ज़्यादातर जोड़े “बड़ी उलझन में पड़ जाते हैं और यह सोच-सोचकर बड़े परेशान हो जाते हैं कि वे अपने [जमाए गए] भ्रूणों के साथ क्या करें।” विशेषज्ञ आखिर में कहता है: “कई जोड़ों के बारे में ऐसा लगता है कि वे किसी भी फैसले से खुश नहीं होंगे।”

इन सारी बातों से साफ है कि जो सच्चे मसीही ‘इन विट्रो गर्भाधान’ करवाने की सोचते हैं, उन्हें इस तकनीक से उठनेवाली सभी पेचीदा समस्याओं के बारे में अच्छी तरह विचार करना चाहिए। बाइबल सलाह देती है: “चतुर मनुष्य विपत्ति को आते देखकर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़कर दण्ड भोगते हैं।—नीति. 22:3.

बाइबल अध्ययन करनेवाला एक जोड़ा, जो शादीशुदा नहीं है, बपतिस्मा लेना चाहता है। मगर वे कानूनी तौर पर शादी नहीं कर सकते क्योंकि आदमी उस देश में गैर-कानूनी तौर पर रह रहा है। और उस देश की सरकार किसी गैर-कानूनी परदेसी को शादी करने की इजाज़त नहीं देती। ऐसे में क्या यह जोड़ा ‘डिक्लरेशन प्लेड्‌जिंग फेथफुलनेस’ नाम के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कर सकता है और फिर बपतिस्मा ले सकता है?

यह तरीका इस समस्या का आसान हल लग सकता है, मगर बाइबल के मुताबिक यह सही नहीं है। क्यों? इसके लिए आइए पहले देखें कि ‘डिक्लरेशन प्लेड्‌जिंग फेथफुलनेस’ दस्तावेज़ का मकसद क्या है, इसे क्यों तैयार किया गया है और इसे कब और कहाँ इस्तेमाल करना जायज़ है।

यह दस्तावेज़ एक लिखित बयान होता है जिस पर एक ऐसा जोड़ा गवाहों के सामने हस्ताक्षर करता है जिसे लेख में आगे बतायी वजह से शादी करने की इजाज़त नहीं मिलती। इस दस्तावेज़ में वे दोनों शपथ खाते हैं कि वे एक-दूसरे के वफादार रहेंगे और अगर मुमकिन हुआ तो अपने रिश्‍ते पर कानून की मुहर लगवाएँगे। मंडली ऐसे जोड़े को शादीशुदा जोड़े की नज़र से देखती है जैसे उन्होंने परमेश्‍वर और इंसानों के सामने एक-दूसरे के वफादार रहने की शपथ खायी हो। इसलिए उनका रिश्‍ता ऐसा समझा जा सकता है मानो सरकारी अधिकारियों ने उनके रिश्‍ते को मान्यता दी हो।

लेकिन ‘डिक्लरेशन प्लेड्‌जिंग फेथफुलनेस’ दस्तावेज़ कब और क्यों इस्तेमाल किया जाता है? शादी का इंतज़ाम यहोवा ने ठहराया है और वह इसका गहरा सम्मान करता है। यहोवा के बेटे ने कहा था: “जिसे परमेश्‍वर ने एक बंधन में बाँधा है, उसे कोई इंसान अलग न करे।” (मत्ती 19:5, 6; उत्प. 2:22-24) यीशु ने यह भी कहा था: “जो कोई व्यभिचार [लैंगिक अनैतिकता] को छोड़ किसी और वजह से अपनी पत्नी को तलाक देता है, और किसी दूसरी से शादी करता है, वह शादी के बाहर यौन-संबंध रखने का गुनहगार है।” (मत्ती 19:9) मतलब, सिर्फ “व्यभिचार” या लैंगिक अनैतिकता ही ऐसी वजह है जिसके आधार पर बाइबल के मुताबिक शादी का बंधन तोड़ा जा सकता है। मिसाल के लिए, अगर एक आदमी शादी के बाहर किसी के साथ यौन-संबंध रखता है, तो उसकी निर्दोष पत्नी फैसला कर सकती है कि वह उसे तलाक देना चाहेगी या नहीं। अगर वह अपने पति को तलाक देती है तो वह किसी और आदमी से शादी कर सकती है।

लेकिन बाइबल में बतायी इस साफ हिदायत को बीते सालों में कुछ देशों में चर्च ने स्वीकार नहीं किया है। इसके बजाय, चर्च में सिखाया जाता है कि किसी भी हाल में तलाक नहीं लिया जा सकता। इसलिए कुछ देशों में, जहाँ चर्च का बहुत ज़्यादा दबदबा है, वहाँ सरकार की तरफ से तलाक का कोई इंतज़ाम नहीं है। यहाँ तक कि यीशु ने तलाक का जो जायज़ कारण बताया, उस आधार पर भी तलाक की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी गयी है। कुछ ऐसे देश भी हैं जहाँ तलाक लिया जा सकता है, मगर इसकी प्रक्रिया बहुत लंबी और पेचीदा है और इसमें कई-कई साल लग जाते हैं। यह ऐसा मानो परमेश्‍वर जिस बात की मंज़ूरी देता है उसे चर्च या सरकार ‘रोक’ देती है।—प्रेषि. 11:17.

मिसाल के लिए, हो सकता है, एक आदमी और औरत ऐसे देश में रहते हों, जहाँ तलाक लेना नामुमकिन है या बहुत मुश्‍किल है या फिर उसे जायज़ ठहराने में कई साल लग सकते हैं। ऐसे में शादी करने की इच्छा रखनेवाले जोड़े ने अपनी पिछली कानूनन शादी रद्द करने की हर मुमकिन कोशिश की है और वे परमेश्‍वर की नज़र में दोबारा शादी करने के योग्य हैं, तो वे ‘डिक्लरेशन प्लेड्‌जिंग फेथफुलनेस’ पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। मसीही मंडली की तरह से यह प्यार-भरा इंतज़ाम सिर्फ ऐसे देशों में रहनेवालों के लिए किया है, जहाँ तलाक लेना करीब-करीब नामुमकिन है। मगर इस इंतज़ाम का उन देशों में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, जहाँ तलाक लेना मुमकिन है, फिर चाहे यह प्रक्रिया जटिल हो या इसमें ढेर सारा पैसा क्यों न खर्च करना पड़े।

कुछ लोग ‘डिक्लरेशन प्लेड्‌जिंग फेथफुलनेस’ दस्तावेज़ का मकसद नहीं समझ पाए हैं, इसलिए उन्होंने पूछा है कि क्या वे इस दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, जबकि उनके देश में तलाक लेना मुमकिन है। वे शायद इस दस्तावेज़ का इसलिए इस्तेमाल करना चाहते हैं क्योंकि वे तलाक की प्रक्रिया से जुड़ी झंझटों और दिक्कतों से बचना चाहते हैं।

इस लेख की शुरूआत में जो सवाल पूछा गया है, उसमें बताए आदमी-औरत का रिश्‍ता नाजायज़ है और वे शादी करना चाहते हैं। बाइबल के मुताबिक वे दोनों शादी करने के लिए आज़ाद हैं। उन दोनों में से किसी ने पहले शादी नहीं की थी इसलिए किसी और के साथ उनका कोई रिश्‍ता नहीं है। लेकिन वह आदमी देश में गैर-कानूनी तरीके से रह रहा है इसलिए सरकार ऐसे परदेसी की शादी को कानूनन जायज़ नहीं ठहराएगी। (कई देशों में सरकारी अधिकारी ऐसी शादी को भी कानूनन जायज़ ठहराते हैं, जिसमें आदमी या औरत या फिर दोनों के पास देश में रहने का कानूनी हक नहीं है।) इस लेख में, हम जिस आदमी-औरत की बात कर रहे हैं, वे ऐसे देश में रहते हैं जहाँ तलाक का इंतज़ाम मौजूद है। इसलिए उन दोनों की समस्या का हल यह नहीं कि वे ‘डिक्लरेशन प्लेड्‌जिंग फेथफुलनेस’ दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करें। गौर कीजिए, उनके हालात ऐसे लोगों से अलग हैं जो तलाक लेना तो चाहते हैं मगर उनके देश की सरकार इजाज़त नहीं देती। वे दोनों शादी करने के लिए आज़ाद हैं। लेकिन उस आदमी के पास देश में रहने का कानूनी हक नहीं है, ऐसे में वे शादी करने के लिए क्या कर सकते हैं? वे किसी ऐसे देश में जाकर शादी कर सकते हैं जहाँ कानूनी तौर पर उनका शादी करना मुमकिन है और जहाँ इस बात पर कोई सवाल नहीं उठता कि उस आदमी के पास उस देश में रहने का कानूनी हक है या नहीं। या वे फिलहाल जिस देश में रहते हैं वहाँ भी शादी कर सकते हैं बशर्ते आदमी पहले उस देश में रहने का कानूनी हक हासिल करे।

जी हाँ, सवाल में बताए आदमी-औरत परमेश्‍वर के स्तरों के मुताबिक जीने और कैसर यानी सरकार के नियमों को मानने के लिए ज़रूरी कदम उठा सकते हैं। (मर. 12:17; रोमि. 13:1) और हम उम्मीद करते हैं कि वे ऐसा ज़रूर करेंगे। इसके बाद, वे बपतिस्मा लेने के योग्य बन सकते हैं।—इब्रा. 13:4.

^ पैरा. 6 अगर गर्भ में पल रहे बच्चे में कोई दोष हो या बहुत सारे भ्रूण गर्भ में तैयार होने लगें, तो क्या किया जाए? गर्भ में पल रहे भ्रूण को जानबूझकर नष्ट करना गर्भपात होगा। ‘इन विट्रो गर्भाधान’ प्रक्रिया से गर्भ में एक-से-ज़्यादा बच्चों का तैयार होना बहुत आम है (कभी जुड़वाँ बच्चे तो कभी तीन या उससे ज़्यादा बच्चे)। इससे खतरे बढ़ जाते हैं, जैसे वक्‍त से पहले बच्चों का जन्म होना, माँ का बहुत ज़्यादा खून बहना वगैरह। जिस औरत के गर्भ में एक-से-ज़्यादा बच्चे पलने लगते हैं उससे शायद कहा जाए कि वह खुद चुने कि वह कितने बच्चे चाहेगी। नतीजा, एक या उससे ज़्यादा भ्रूणों को नष्ट करना पड़ सकता है। ऐसा करना जानबूझकर गर्भपात करवाना है और यह कत्ल के बराबर है।—निर्ग. 21:22,23; भज. 139:16.