क्या आपको याद है?
क्या आपने हाल की प्रहरीदुर्ग पत्रिकाएँ ध्यान से पढ़ी हैं? देखिए कि क्या आप नीचे दिए सवालों के जवाब दे पाते हैं या नहीं:
बाइबल को कहीं से भी खोलना और जिस आयत पर सबसे पहले नज़र पड़ जाए, उसे परमेश्वर की सलाह मानना, इस बारे में मसीहियों का क्या नज़रिया है?
सच्चे मसीही बाइबल का तावीज़ की तरह इस्तेमाल नहीं करते। इसके बजाए, वे बाइबल का अध्ययन करते हैं ताकि वे सही ज्ञान ले सकें और परमेश्वर का मार्गदर्शन पा सकें।—12/15, पेज 3.
परमेश्वर के ठहराए बढ़िया प्रबंधकों के नाते, सभी मसीहियों को कौन-से अहम सिद्धांत हमेशा याद रखने चाहिए? (1 पत. 4:10)
मसीहियों के नाते, हम सब पर परमेश्वर का अधिकार है और हमें उसी को लेखा देना होगा। हम सब एक ही तरह के स्तरों को मानते हैं, और हमें विश्वासयोग्य और भरोसेमंद होना चाहिए।—12/15, पेज 10-12.
वह “दुनिया” क्या है जो मिटनेवाली है?
“यह दुनिया” जो मिटनेवाली है, वे लोग हैं जो परमेश्वर की मरज़ी के मुताबिक नहीं जीते। (1 यूह. 2:17) धरती और वफादार लोग दुनिया के अंत से बच निकलेंगे।—1/1, पेज 5-7.
हालाँकि हाबिल मर चुका है, फिर भी वह कैसे आज भी हमसे बात करता है? (इब्रा. 11:4)
हाबिल अपने विश्वास की वजह से हमसे बात करता है। हम उसके विश्वास से बहुत कुछ सीख सकते हैं और उसकी मिसाल पर चल सकते हैं। आज भी वह हमारे लिए एक बढ़िया मिसाल और आदर्श है।—1/1, पेज 12.
हमें किन मामलों में सावधान रहना चाहिए ताकि वे बातें हमें यहोवा से दूर न ले जाएँ?
कुछ मामले ये हैं: हमारी नौकरी या करियर, जो मनोरंजन हम चुनते हैं, बहिष्कार किए गए रिश्तेदार से मेल-जोल रखना, कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल, सेहत के बारे में चिंता, पैसे के बारे में गलत नज़रिया, और अपने विचारों या मंडली में ज़िम्मेदारी के पद को बहुत ज़्यादा तवज्जह देना।—1/15, पेज 12-21.
हम मूसा की नम्रता से क्या सीख सकते हैं?
मूसा ने अपने अधिकार पर कभी घमंड नहीं किया। उसने खुद पर नहीं बल्कि यहोवा पर भरोसा किया। हमें कभी इस बात पर घमंड नहीं करना चाहिए कि हमारे पास बहुत अधिकार है या फिर हममें बहुत-सी काबिलीयतें हैं। इसके बजाय, हमें यहोवा पर भरोसा करना चाहिए। (नीति. 3:5, 6)—2/1, पेज 5.
इसका क्या मतलब है कि इसराएली “मन में खतनारहित” थे? (यिर्म. 9:26)
उनका दिल बागी बन चुका था और वे बदलने को तैयार नहीं थे। उन्हें अपने दिल से ऐसा हर विचार, इच्छा और इरादा निकाल फेंकना था जो परमेश्वर की आज्ञाओं से मेल नहीं खाता। (यिर्म. 5:23, 24)—3/15, पेज 9-10.
धरती पर यहोवा के संगठन का हिस्सा कौन हैं?
इसमें शासी निकाय, शाखा-समिति, सफरी निगरान, प्राचीनों का निकाय, मंडलियाँ और प्रचारक शामिल हैं।—4/15, पेज 29.
क्या इसराएली अपराधियों को मौत की सज़ा देने के लिए उन्हें सूली पर लटकाकर मारते थे?
नहीं। प्राचीन समय में दूसरे कई राष्ट्र अपराधियों को सूली या काठ पर लटकाकर मारते थे, मगर इसराएली ऐसा नहीं करते थे। यह बात तो पक्की है कि इब्रानी शास्त्र के ज़माने में, एक अपराधी को पहले मार डाला जाता था, जैसे पत्थरवाह करके। (लैव्य. 20:2, 27) फिर उसकी लाश को सूली या पेड़ पर लटका दिया जाता था ताकि बाकी इसराएलियों को इससे चेतावनी मिल सके।—5/15, पेज 13.