प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण दिसंबर 2013

यहोवा ने उन्हें पहाड़ों की छाया में महफूज़ रखा

नात्ज़ी सरकार के राज में जर्मनी में रहनेवाले यहोवा के साक्षियों तक बाइबल साहित्य कैसे पहुँचाया गया? साक्षियों ने किन खतरों का सामना किया?

‘उतावली में आकर अपनी समझ-बूझ खो बैठने’ से दूर रहिए!

पौलुस ने थिस्सलुनीकियों को लिखे खतों में किस बारे में सही वक्‍त पर आगाह किया? क्या बात हमें छलावे में आने से बचा सकती है?

क्या आप राज के कामों के लिए त्याग करेंगे?

जानिए कि कैसे हम अपना समय, पैसा, ताकत और काबिलीयतें परमेश्‍वर के राज को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

क्या आपको याद है?

क्या आपने हाल की प्रहरीदुर्ग पत्रिकाएँ ध्यान से पढ़ी हैं? खुद की जाँच कीजिए और देखिए कि आपको कितना याद है।

‘वह दिन तुम को स्मरण दिलानेवाला ठहरे’

मसीहियों को फसह के त्योहार के बारे में क्या पता होना चाहिए? प्रभु का संध्या-भोज हम सभी के लिए क्या मायने रखता है?

‘मेरी याद में ऐसा ही करना’

हमें कैसे पता चलता है कि प्रभु का संध्या भोज कब मनाया जाना चाहिए? रोटी और दाख-मदिरा किसे दर्शाते हैं?

अपने साथी को खोने का गम सहना

अपने साथी को खोने का दर्द दिल पर गहरे घाव छोड़ जाता है जो जल्दी नहीं भरते। गौर कीजिए कि कैसे उनके दोबारा जी उठाए जाने के बारे में परमेश्‍वर के वचन में दी आशा हमें दिलासा दे सकती है।

2013 प्रहरीदुर्ग की विषय-सूची

2013 की प्रहरीदुर्ग में आए सभी लेखों की सूची का इस्तेमाल कीजिए। यह सूची विषयों के हिसाब से दी गयी है।