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‘मेरी याद में ऐसा ही करना’

‘मेरी याद में ऐसा ही करना’

“प्रार्थना में धन्यवाद देने के बाद, उसने [रोटी] तोड़ी और कहा: ‘यह मेरे शरीर का प्रतीक है जो तुम्हारी खातिर दिया जाना है। मेरी याद में ऐसा ही किया करना।’ ”—1 कुरिं. 11:24.

1, 2. यीशु के आखिरी बार यरूशलेम जाने से पहले, प्रेषित शायद क्या सोच रहे होंगे?

 पिछली रात यरूशलेम के पहरेदारों ने हँसिए के आकार के नए चाँद को निकलते देखा था। जैसे ही महासभा को इस बारे में पता चला, उन्होंने घोषणा कर दी कि नए महीने, यानी निसान की शुरूआत हो चुकी है। यह खबर हर तरफ फैला दी गयी। प्रेषित जानते थे कि फसह का समय नज़दीक आ रहा है। वे बेशक सोच रहे होंगे कि यीशु जल्द ही यरूशलेम जाना चाहेगा, ताकि वह फसह से पहले वहाँ पहुँच सके।

2 यह उस समय की बात है जब यीशु अपने प्रेषितों के साथ आखिरी बार यरूशलेम जा रहा था। उस वक्‍त वे पेरिया में थे, जो यरदन नदी की दूसरी तरफ था। (मत्ती 19:1; 20:17, 29; मर. 10:1, 32, 46) एक बार जब यहूदियों को पता लग गया कि निसान 1 कब शुरू हुआ, तो उसके बाद वे 13 दिन और इंतज़ार करते और फिर सूरज ढलने के बाद निसान 14 को फसह का त्योहार मनाते।

3. मसीही पहली बार मनाए गए फसह की तारीख जानने में दिलचस्पी क्यों लेते हैं?

3 प्रभु के संध्या भोज की तारीख, जो पहली बार मनाए गए फसह के दिन की तारीख से मेल खाती है, इस साल 14 अप्रैल, 2014 को सूरज ढलने के बाद मनाया जाएगा। यह दिन सच्चे मसीहियों और दिलचस्पी दिखानेवालों के लिए बहुत खास होगा। क्यों? इस सवाल का जवाब हमें 1 कुरिंथियों 11:23-25 में मिलता है। वहाँ लिखा है: “जिस रात . . . यीशु पकड़वाया जानेवाला था, उसने एक रोटी ली और प्रार्थना में धन्यवाद देने के बाद, उसने यह तोड़ी और कहा: ‘यह मेरे शरीर का प्रतीक है जो तुम्हारी खातिर दिया जाना है। मेरी याद में ऐसा ही किया करना।’ उसने प्याला लेकर भी ऐसा ही किया।”

4. (क) स्मारक के बारे में आप खुद से कौन-से सवाल पूछ सकते हैं? (ख) हर साल स्मारक की तारीख कैसे तय की जाती है? (बक्स  “2014 का स्मारक” देखिए।)

4 सिर्फ प्रभु का संध्या भोज ही वह समारोह है जिसे यीशु ने अपने चेलों को हर साल मनाने के लिए कहा था। और आप भी ज़रूर इस समारोह में हाज़िर होना चाहेंगे। इस समारोह में हाज़िर होने से पहले खुद से पूछिए: ‘मुझे उस शाम की तैयारी कैसे करनी चाहिए? स्मारक में किन खास चीज़ों का इस्तेमाल किया जाएगा? यह समारोह किस तरह मनाया जाएगा? यह समारोह और इसमें इस्तेमाल की जानेवाली चीज़ें मेरे लिए क्या मायने रखती हैं?’

स्मारक के प्रतीक

5. आखिरी बार फसह मनाने के लिए यीशु ने अपने प्रेषितों से क्या तैयारियाँ करने के लिए कहा?

5 जब यीशु ने प्रेषितों से फसह के भोज के लिए एक कमरा तैयार करने के लिए कहा, तब वह उन्हें हद-से-ज़्यादा कमरा सजाने के लिए नहीं कह रहा था। इसके बजाय, वह बस एक साधारण-सा, साफ-सुथरा कमरा चाहता था, जहाँ वह और उसके प्रेषित आराम से बैठ सकें। (मरकुस 14:12-16 पढ़िए।) बेशक, वे फसह के भोज के लिए ज़रूरी चीज़ों की भी तैयारी करते, जिनमें बिन खमीर की रोटी और लाल दाख-मदिरा का इंतज़ाम करना भी शामिल था। फसह के भोज के बाद, यीशु ने स्मारक मनाने के लिए इन दो प्रतीकों का इस्तेमाल किया।

6. (क) फसह के भोज के बाद, यीशु ने रोटी के बारे में क्या कहा? (ख) स्मारक में किस तरह की रोटी का इस्तेमाल किया जाता है?

6 उस समारोह में मौजूद प्रेषित मत्ती ने बाद में लिखा: “यीशु ने एक रोटी ली और प्रार्थना में धन्यवाद देने के बाद उसे तोड़ा और चेलों को देते हुए कहा: ‘लो, खाओ।’ ” (मत्ती 26:26) वह “रोटी” बिना खमीर की थी, जैसी फसह के भोज में इस्तेमाल की गयी थी। (निर्ग. 12:8; व्यव. 16:3) वह रोटी गेहूँ के आटे और पानी की बनी थी, और उसमें कोई नमक-मिर्च या मसाला नहीं डाला गया था। साथ ही, जिस गूँधे हुए आटे से वह रोटी बनायी गयी थी, उसमें खमीर नहीं था, इसलिए खमीरा न होने की वजह से वह आटा उठा हुआ नहीं था। वह रोटी सादी, सूखी और कुरकुरी थी, जिसके आसानी से टुकड़े किए जा सकते थे। आज मंडली के प्राचीन, स्मारक से पहले किसी से इस तरह की रोटी बनाने के लिए कह सकते हैं। इसे गेहूँ के आटे और पानी से बनाया जाना चाहिए, और तवे पर थोड़ा-सा तेल डालकर सेंका जाना चाहिए। अगर गेहूँ का आटा नहीं मिलता, तो चावल, जौ, मक्के या इस तरह के किसी दूसरे अनाज के आटे की रोटी बनायी जा सकती है। यहूदी मैटज़ॉट का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसमें मॉल्ट, प्याज़, या अंडा न मिला हो।

7. (क) यीशु के हाथ में जो प्याला था, उसमें क्या था? (ख) आज स्मारक में किस तरह की दाख-मदिरा का इस्तेमाल किया जा सकता है?

7 मत्ती ने यह भी कहा: “[यीशु ने] एक प्याला लेकर प्रार्थना में धन्यवाद दिया और उन्हें यह कहकर दिया: ‘तुम सब इसमें से पीओ।’ ” (मत्ती 26:27, 28) यीशु के हाथ में जो प्याला था, उसमें लाल दाख-मदिरा थी। हम कैसे जानते हैं कि वह अंगूर का ताज़ा रस नहीं था? क्योंकि अंगूर की कटाई बहुत पहले हो चुकी थी। मिस्र में जो पहला फसह मनाया गया था, उसमें दाख-मदिरा का इस्तेमाल नहीं किया गया था। लेकिन यीशु ने फसह का त्योहार मनाते वक्‍त इसके इस्तेमाल पर कोई एतराज़ नहीं जताया। बल्कि उसने खुद प्रभु के संध्या भोज में इसमें से थोड़ी दाख-मदिरा का प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया। इसलिए आज मसीही जो स्मारक मनाते हैं, उसमें दाख-मदिरा भी रखी जाती है। स्मारक में किस तरह की दाख-मदिरा इस्तेमाल की जानी चाहिए? यीशु के लहू के मोल को और बढ़ाने के लिए उसमें किसी और चीज़ को मिलाने की ज़रूरत नहीं थी। इसलिए स्मारक में इस्तेमाल की जानेवाली दाख-मदिरा में भी कुछ मिला हुआ नहीं होना चाहिए, जैसे ब्रांडी या कोई मसाला। वह बिलकुल सादी लाल दाख-मदिरा होनी चाहिए। इसे घर में बनाया जा सकता है, या फिर बाज़ार से खरीदा जा सकता है, जैसे कियान्टी, बरगंडी या बोज़ोले।

रोटी और दाख-मदिरा किसे दर्शाते हैं?

8. रोटी और दाख-मदिरा जिस बात को दर्शाते हैं, उसमें मसीही क्यों गहरी दिलचस्पी लेते हैं?

8 प्रेषित पौलुस ने कुरिंथ में रहनेवाले भाइयों को जो लिखा, उससे यह साफ हो जाता है कि प्रेषितों के अलावा, मसीहियों के लिए भी प्रभु का संध्या भोज मनाना ज़रूरी है। उसने लिखा: ‘जो बात मैंने प्रभु से पायी है, वही तुम्हें सिखायी थी कि प्रभु यीशु ने एक रोटी ली और प्रार्थना में धन्यवाद देने के बाद, उसने यह तोड़ी और कहा: “यह मेरे शरीर का प्रतीक है जो तुम्हारी खातिर दिया जाना है। मेरी याद में ऐसा ही किया करना।” ’ (1 कुरिं. 11:23, 24) इसलिए आज भी मसीही इस खास समारोह को हर साल मनाते हैं, और रोटी और दाख-मदिरा जिस बात को दर्शाते हैं, उसमें वे गहरी दिलचस्पी लेते हैं।

9. यीशु के ज़रिए इस्तेमाल की गयी रोटी के बारे में कुछ लोग क्या गलत राय रखते हैं?

9 चर्च जानेवाले कुछ लोगों का कहना है कि यीशु ने रोटी के सिलसिले में असल में यह कहा था: ‘यह मेरी देह है।’ इसलिए उनका मानना है कि रोटी चमत्कार से यीशु का माँस बन गयी थी। लेकिन यह सच नहीं है। * यीशु का शरीर और बिन खमीर की वह रोटी दोनों ही वफादार प्रेषितों के सामने थीं। जी हाँ, यीशु दरअसल कह रहा था कि वह रोटी उसके शरीर का सिर्फ एक प्रतीक है। यीशु अकसर इस तरह तुलना करके सिखाया करता था।—यूह. 2:19-21; 4:13, 14; 10:7; 15:1.

10. प्रभु के संध्या भोज में इस्तेमाल की जानेवाली रोटी किसे दर्शाती है?

10 जो रोटी प्रेषितों के सामने थी और जिसे वे बस खाने ही वाले थे, वह यीशु के शरीर का प्रतीक थी। एक वक्‍त पर सच्चे मसीहियों को लगता था कि उस रोटी का मतलब है अभिषिक्‍त मसीहियों की मंडली, जिसे बाइबल में “मसीह का शरीर” कहा गया है। उन्हें ऐसा इसलिए लगता था क्योंकि यीशु ने रोटी के कई टुकड़े किए थे, जबकि उसके शरीर की एक भी हड्डी नहीं तोड़ी गयी थी। (इफि. 4:12; रोमि. 12:4, 5; 1 कुरिं. 10:16, 17; 12:27) लेकिन जब उन्होंने इस बारे में और खोजबीन की, तो उन्हें एहसास हुआ कि रोटी का मतलब यीशु का इंसानी शरीर है। शास्त्र में अकसर इस बारे में बताया गया है कि यीशु ने कैसे “शारीरिक दुःख झेला,” यहाँ तक कि उसे सूली पर भी चढ़ाया गया। इसलिए प्रभु के संध्या भोज में इस्तेमाल की जानेवाली रोटी उस इंसानी शरीर को दर्शाती है, जिसे यीशु ने हमारे पापों की खातिर कुरबान कर दिया था।—1 पत. 2:21-24; 4:1; यूह. 19:33-36; इब्रा. 10:5-7.

11, 12. (क) यीशु ने दाख-मदिरा के बारे में क्या कहा? (ख) प्रभु के संध्या भोज में इस्तेमाल की जानेवाली दाख-मदिरा किसे दर्शाती है?

11 रोटी किसे दर्शाती है, यह जानने से हमें वह बात भी समझने में मदद मिलती है, जो यीशु ने इसके बाद दाख-मदिरा के बारे में कही थी। बाइबल कहती है: “उसने प्याला लेकर भी ऐसा ही किया और शाम का खाना खाने के बाद उसने कहा: ‘यह प्याला उस नए करार का प्रतीक है जो मेरे लहू के आधार पर बाँधा गया है।’ ” (1 कुरिं. 11:25) बहुत-सी बाइबलों में रॉबर्ट यंग के अनुवाद से मिलते-जुलते शब्द पाए जाते हैं: “यह प्याला मेरे लहू में नया करार है।” क्या वह प्याला ही अपने-आप में नया करार था? जी नहीं। जब यीशु ने शब्द “प्याला” कहा, तो वह दरअसल दाख-मदिरा के बारे में बात कर रहा था, जो उस प्याले में थी। यीशु ने दाख-मदिरा को किस बात का प्रतीक बताया? उसके बहाए लहू का।

12 मरकुस की खुशखबरी की किताब में, हम यीशु के ये शब्द पढ़ते हैं: “यह ‘करार के मेरे लहू’ का प्रतीक है जिसे बहुतों की खातिर बहाया जाना है।” (मर. 14:24) जी हाँ, यीशु का लहू “बहुतों की खातिर उनके पापों की माफी के लिए बहाया” जाता। (मत्ती 26:28) इसलिए लाल दाख-मदिरा यीशु के लहू को बिलकुल सही तरह से दर्शाती है। उस लहू के ज़रिए फिरौती देकर हमें छुड़ाया गया है, ताकि “हमें गुनाहों की माफी” मिल सके।—इफिसियों 1:7 पढ़िए।

प्रेषितों ने उस दाख-मदिरा को पीने में हिस्सा लिया, जो यीशु के ‘करार के लहू’ को सूचित करती है (पैराग्राफ 11, 12 देखिए)

स्मारक कैसे मनाया जाता है?

13. बताइए कि मसीह की मौत का सालाना स्मारक किस तरह मनाया जाता है।

13 अगर आप पहली बार यहोवा के साक्षियों के साथ स्मारक में हाज़िर होनेवाले हैं, तो आप वहाँ क्या होते देखेंगे? स्मारक एक अच्छी और साफ-सुधरी जगह पर मनाया जाएगा, जहाँ हाज़िर सभी लोग आराम से बैठकर सभा का आनंद ले सकें। उस जगह को फूलों से शायद थोड़ा बहुत सजाया जाए, मगर वहाँ बहुत शानदार सजावट नहीं होगी, मानो आप किसी पार्टी में आए हों। एक काबिल प्राचीन साफ शब्दों में और आदर के साथ एक भाषण देगा, जिसमें वह बताएगा कि बाइबल प्रभु के संध्या भोज के बारे में क्या बताती है। वह समझाएगा कि यीशु ने हमारे लिए फिरौती बलिदान दिया ताकि हमें जीवन मिल सके।—रोमियों 5:8-10 पढ़िए।

14. स्मारक के भाषण में वक्‍ता कौन-सी दो आशाओं के बारे में बताएगा?

14 वक्‍ता यह भी बताएगा कि बाइबल में मसीहियों के लिए दो अलग-अलग आशाओं के बारे में बताया गया है। एक है, स्वर्ग में मसीह के साथ राज करने की आशा। सिर्फ कुछ मसीहियों को ही, जैसे यीशु के वफादार प्रेषितों को, यह आशा मिली है। (लूका 12:32; 22:19, 20; प्रका. 14:1) दूसरी आशा है, इस धरती पर फिरदौस में हमेशा तक जीने की आशा। यह आशा हमारे ज़माने में वफादारी से परमेश्‍वर की सेवा कर रहे ज़्यादातर मसीहियों को मिली है। आखिरकार, यह धरती बिलकुल वैसी बन जाएगी, जैसा परमेश्‍वर ने शुरू में चाहा था और जिसके लिए मसीही हमेशा से प्रार्थना करते आए हैं। (मत्ती 6:10) बाइबल बताती है कि उस वक्‍त वे एक खूबसूरत माहौल में हमेशा-हमेशा के लिए ज़िंदगी का लुत्फ उठा पाएँगे।—यशा. 11:6-9; 35:5, 6; 65:21-23.

15, 16. प्रभु के संध्या भोज के दौरान रोटी के साथ क्या किया जाता है?

15 दोनों आशाओं के बारे में बताने के बाद, वक्‍ता हाज़िर लोगों का ध्यान उसके पास मेज़ पर रखे दोनों प्रतीकों, यानी बिन खमीर की रोटी और लाल दाख-मदिरा की तरफ खींचेगा। वह कहेगा कि यीशु ने अपने प्रेषितों को प्रभु के संध्या भोज पर जो करने के लिए कहा था, अब वह करने का समय आ गया है। वक्‍ता बाइबल से वह वाकया पढ़ेगा, जहाँ बताया गया है कि यीशु ने पहली बार यह समारोह कैसे मनाया था। हो सकता है वह मत्ती का ब्यौरा पढ़े, जहाँ लिखा है: “यीशु ने एक रोटी ली और प्रार्थना में धन्यवाद देने के बाद उसे तोड़ा और चेलों को देते हुए कहा: ‘लो, खाओ। यह मेरे शरीर का प्रतीक है।’ ” (मत्ती 26:26) यीशु ने रोटी के टुकड़े किए ताकि वह उसे अपनी दोनों तरफ बैठे प्रेषितों को दे सके। आप 14 अप्रैल को होनेवाले स्मारक में देखेंगे कि प्लेट में बिन खमीर की रोटी के पहले से ही कुछ टुकड़े करके रखे गए हैं।

16 वहाँ प्लेटें काफी होंगी, ताकि समय के अंदर वहाँ हाज़िर सभी लोगों में इन्हें फिराया जा सके। इसके लिए कोई लंबी-चौड़ी रस्म पूरी नहीं की जाएगी। बस एक छोटी-सी प्रार्थना की जाएगी और उसके बाद प्लेटें तरतीब से सभी लोगों में फिरायी जाएँगी। इसके लिए जगह को ध्यान में रखते हुए सबसे कारगर तरीका अपनाया जाएगा। सिर्फ कुछ लोग ही रोटी खाएँगे या कुछ मंडलियों में तो शायद कोई भी न खाए, ठीक जैसे 2013 में स्मारक के समय ज़्यादातर मंडलियों में हुआ था।

17. स्मारक के दौरान, दाख-मदिरा के बारे में यीशु की हिदायत को कैसे माना जाता है?

17 इसके बाद वक्‍ता वह ब्यौरा पढ़ेगा, जिसमें बताया गया है कि यीशु ने दाख-मदिरा का क्या किया: “उसने एक प्याला लेकर प्रार्थना में धन्यवाद दिया और उन्हें यह कहकर दिया: ‘तुम सब इसमें से पीओ। क्योंकि यह “करार के मेरे लहू” का प्रतीक है, जिसे बहुतों की खातिर उनके पापों की माफी के लिए बहाया जाना है।’ ” (मत्ती 26:27, 28) यीशु के रखे नमूने के मुताबिक एक और प्रार्थना की जाएगी, जिसके बाद लाल दाख-मदिरा के ‘प्याले’ सभी लोगों में फिराए जाएँगे।

18. हालाँकि ज़्यादातर मसीही प्रतीकों को खाने-पीने में हिस्सा नहीं लेते, फिर भी स्मारक में हाज़िर होना उनके लिए क्यों ज़रूरी है?

18 जब ये प्रतीक फिराए जाएँगे, तो वहाँ हाज़िर ज़्यादातर लोग इन्हें अपने साथ बैठे व्यक्‍ति की तरफ बढ़ा देंगे। वे इन्हें खाने या पीने में हिस्सा नहीं लेंगे, क्योंकि यीशु ने इस बात की तरफ इशारा किया था कि सिर्फ वे लोग इन प्रतीकों को खा-पी सकते हैं, जो उसके साथ स्वर्ग में राज करने की आशा रखते हैं। (लूका 22:28-30 पढ़िए; 2 तीमु. 4:18) हालाँकि ज़्यादातर मसीही इन्हें खाने या पीने में हिस्सा नहीं लेते, फिर भी स्मारक में हाज़िर होना उनके लिए ज़रूरी है। क्यों? क्योंकि वहाँ हाज़िर होकर वे दिखाते हैं कि वे यीशु के बलिदान की कितनी कदर करते हैं। स्मारक के दौरान वे उन सभी आशीषों पर मनन कर सकते हैं, जो फिरौती बलिदान की बिनाह पर उन्हें मिल सकती हैं। उदाहरण के लिए, उन्हें उस “बड़ी भीड़” का भाग होने की आशा है जो “महा-संकट” से बच निकलेगी। यीशु के बलिदान पर अपने विश्‍वास की वजह से वे परमेश्‍वर की नज़रों में नेक ठहरेंगे, मानो उन्होंने “अपने चोगे मेम्ने के लहू में धोकर सफेद किए” हों।—प्रका. 7:9, 14-17.

19. स्मारक के लिए तैयारी करने और इससे फायदा पाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

19 दुनिया-भर में यहोवा के साक्षी पहले से ही इस खास समारोह की तैयारी करते हैं। स्मारक से कई हफ्तों पहले, हम ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को इसमें आने का न्यौता देंगे। स्मारक के कुछ दिनों पहले से हम बाइबल के वे वाकए पढ़ेंगे, जिनमें बताया है कि ईसवी सन्‌ 33 में प्रभु के संध्या भोज से पहले क्या-क्या घटनाएँ घटीं और यीशु ने क्या-क्या किया। स्मारक में हाज़िर होने के लिए हम पहले से ही योजना बनाएँगे। अच्छा होगा कि हम शुरूआती गीत और प्रार्थना शुरू होने से काफी पहले पहुँचें, ताकि हम आनेवालों का स्वागत कर सकें और कार्यक्रम का कोई भी भाग न छूटे। जब वक्‍ता बाइबल से कोई आयत पढ़ेगा या उसका मतलब समझाएगा तो हम सभी, मंडली के सदस्य और नए लोग, अगर अपनी-अपनी बाइबल से वह आयत खोलकर पढ़ेंगे, तो हमें बहुत फायदा होगा। और सबसे बढ़कर, स्मारक में हाज़िर होकर हम दिखाएँगे कि हम यीशु के बलिदान के लिए दिल से कदरदान हैं और उसकी इस आज्ञा को मान रहे हैं: “मेरी याद में ऐसा ही किया करना।”—1 कुरिं. 11:24.

^ जर्मनी के एक विद्वान हाइनरिख मेयर का कहना है कि प्रेषितों ने ऐसा हरगिज़ नहीं सोचा होगा कि वे सचमुच में यीशु का शरीर खा रहे हैं और उसका लहू पी रहे हैं, क्योंकि “यीशु का शरीर उस वक्‍त तक सही-सलामत (जीवित) था।” मेयर ने यह भी कहा कि यीशु ने “आसान शब्दों” का इस्तेमाल करके यह समझाया था कि रोटी और दाख-मदिरा किस बात के प्रतीक हैं और यीशु ने ऐसा कभी नहीं चाहा होगा कि प्रेषित उसकी बात का गलत मतलब निकालें।

^ विषुव साल में दो बार, यानी मार्च और सितंबर में होता है। उस वक्‍त दिन और रात दोनों 12-12 घंटे के होते हैं। वसंत ऋतु का विषुव आम तौर पर करीब 21 मार्च को होता है।