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यीशु के राज के 100 साल पूरे हो चुके हैं!

यीशु के राज के 100 साल पूरे हो चुके हैं!

“परमेश्‍वर यहोवा, तेरे काम कितने महान और कैसे लाजवाब हैं . . . हे युग-युग के राजा।”—प्रका. 15:3.

1, 2. (क) परमेश्‍वर का राज क्या करेगा? (ख) हम कैसे यकीन रख सकते हैं कि परमेश्‍वर का राज ज़रूर आएगा?

 ईसवी सन्‌ 31 की बात है। यीशु मसीह ने अपने चेलों को कफरनहूम के पास एक पहाड़ पर इस तरह प्रार्थना करना सिखाया: “तेरा राज आए।” (मत्ती 6:10) आज कई लोग शक करते हैं कि क्या पता यह राज कभी आएगा भी कि नहीं। लेकिन हमें पूरा यकीन है कि परमेश्‍वर के राज के आने के लिए हम सच्चे दिल से जो प्रार्थनाएँ करते हैं, यहोवा उनका जवाब ज़रूर देगा।

2 यहोवा स्वर्ग में और धरती पर बसे अपने परिवार को एक करने के लिए अपने राज का इस्तेमाल करेगा। यहोवा का यह मकसद हर हाल में पूरा होगा। (यशा. 55:10, 11) पिछले 100 सालों में जो हैरतअंगेज़ घटनाएँ घटी हैं, वे इस बात के सबूत हैं कि यहोवा पहले ही राजा बन चुका है! वह अपने लाखों वफादार सेवकों की खातिर महान और लाजवाब काम कर रहा है। (जक. 14:9; प्रका. 15:3) लेकिन यहोवा के राजा बनने में और उसके राज के आने में फर्क है। ये दोनों घटनाएँ कैसे अलग हैं? और ये घटनाएँ हम पर क्या असर करती हैं?

यहोवा का ठहराया राजा कार्रवाई करता है

3. (क) यीशु को कब और कहाँ राजा ठहराया गया? (ख) आप कैसे साबित कर सकते हैं कि यीशु ने 1914 से राज करना शुरू किया? (फुटनोट देखिए।)

3 सन्‌ 1880 के आस-पास, यहोवा के सेवकों को दानिय्येल के ज़रिए लिखी इस भविष्यवाणी की समझ मिलने लगी, जो उसने करीब 2,500 साल पहले दर्ज़ की थी: “उन राजाओं के दिनों में स्वर्ग का परमेश्‍वर, एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा।” (दानि. 2:44) कई दशकों से बाइबल विद्यार्थी बताते आए थे कि 1914 बहुत खास साल होगा। उस समय कई लोग एक सुनहरे भविष्य की आस लगाए हुए थे। जैसे कि एक लेखक ने लिखा: “1914 की दुनिया उम्मीद और आशा से भरी थी।” लेकिन उसी साल आगे चलकर पहला विश्‍व युद्ध शुरू हुआ और बाइबल की भविष्यवाणी सच साबित हुई। इसके चलते, भुखमरी, भूकंप, बीमारियों और दूसरी बाइबल भविष्यवाणियों के पूरा होने से यह साबित हो गया कि यीशु मसीह ने 1914 से, परमेश्‍वर के राज के राजा के तौर पर स्वर्ग में राज करना शुरू कर दिया है। a अपने बेटे को मसीहाई राजा की हैसियत से राजगद्दी पर बिठाकर, यहोवा एक अलग मायने में राजा बना!

4. (क) राजा बनते ही यीशु ने सबसे पहले क्या कार्रवाई की? (ख) इसके बाद उसने क्या किया?

4 परमेश्‍वर के ठहराए नए राजा ने जो सबसे पहली कार्रवाई की, वह थी अपने पिता के सबसे बड़े दुश्‍मन शैतान के खिलाफ युद्ध लड़ना। यीशु और उसके स्वर्गदूतों ने इब्‌लीस और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों को स्वर्ग से धरती पर फेंक दिया। इस पर स्वर्ग में खुशियाँ मनायी गयीं, लेकिन धरती पर पहले से कहीं ज्यादा तकलीफें आ गयीं। (प्रकाशितवाक्य 12:7-9, 12 पढ़िए।) इसके बाद, राजा ने अपना ध्यान धरती पर बसी अपनी प्रजा पर लगाया कि वह उन्हें शुद्ध करे, शिक्षा दे और संगठित करे, ताकि वे परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी कर सकें। आइए गौर करें कि यीशु की प्रजा ने इन तीन बातों की तरफ जो सही रवैया दिखाया, वह कैसे आज हमारे लिए एक अच्छा उदाहरण है।

मसीहाई राजा अपनी वफादार प्रजा को शुद्ध करता है

5. सन्‌ 1914 से सन्‌ 1919 की शुरूआत तक किस तरह परमेश्‍वर के लोगों को शुद्ध किया गया?

5 जब यीशु ने स्वर्ग से शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों का सफाया कर दिया, तब यहोवा ने उसे आज्ञा दी कि वह धरती पर बसे अपने चेलों का मुआयना करे और उन्हें शुद्ध करे। भविष्यवक्‍ता मलाकी उनके आध्यात्मिक तौर पर शुद्ध किए जाने का ज़िक्र करता है। (मला. 3:1-3) इतिहास बताता है कि शुद्ध करने का यह काम 1914 से 1919 की शुरूआत तक चला। b अगर हम यहोवा के विश्‍वव्यापी परिवार का हिस्सा होना चाहते हैं, तो हमें शुद्ध, या पवित्र होना चाहिए। (1 पत. 1:15, 16) हमारी उपासना झूठे धर्म या इस दुनिया की राजनीति से किसी भी तरह दूषित नहीं होनी चाहिए।

6. (क) आध्यात्मिक भोजन कैसे मुहैया कराया जाता है? (ख) यह आध्यात्मिक भोजन हमारे लिए क्यों बेहद ज़रूरी है?

6 फिर यीशु ने राजा की हैसियत से अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए ‘विश्‍वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास’ को नियुक्‍त किया। यह दास लगातार उन सभी लोगों को बढ़िया किस्म का आध्यात्मिक भोजन मुहैया कराता, जो यीशु की निगरानी में “एक झुंड” का हिस्सा हैं। (मत्ती 24:45-47; यूह. 10:16) सन्‌ 1919 से अभिषिक्‍त भाइयों से मिलकर बना यह छोटा-सा समूह पूरी वफादारी से “घर के कर्मचारियों” को आध्यात्मिक खाना खिलाने की गंभीर ज़िम्मेदारी पूरी कर रहा है। यह विश्‍वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाला दास हमें भरपूर आध्यात्मिक खाना देता है, ताकि हम विश्‍वास में बढ़ते जाएँ। इससे हमारा यह इरादा और भी मज़बूत होता है कि हम आध्यात्मिक, नैतिक, मानसिक और शारीरिक तौर पर शुद्ध बने रहें। इसके अलावा, यह आध्यात्मिक भोजन हमें शिक्षा भी देता है, साथ ही, आज धरती पर हो रहे प्रचार के सबसे ज़रूरी काम में हमें अपना भरसक करने के लिए तैयार भी करता है। क्या आप इस आध्यात्मिक भोजन से पूरा-पूरा फायदा उठा रहे हैं?

राजा अपनी प्रजा को दुनिया-भर में प्रचार करने के लिए शिक्षा देता है

7. (क) जब यीशु धरती पर था, तब उसने कौन-सा ज़रूरी काम शुरू किया? (ख) यह काम कब तक जारी रहता?

7 जब यीशु ने धरती पर अपनी सेवा शुरू की, तो उसने ऐलान किया: “मुझे दूसरे शहरों में भी परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी सुनानी है, क्योंकि मुझे इसीलिए भेजा गया है।” (लूका 4:43) साढ़े तीन साल तक, यीशु ने अपनी ज़िंदगी में प्रचार काम को सबसे ज़्यादा अहमियत दी। उसने अपने चेलों को हिदायत दी: “जहाँ जाओ वहाँ यह कहकर प्रचार करना, ‘स्वर्ग का राज पास आ गया है।’” (मत्ती 10:7) अपने पुनरुत्थान के बाद, यीशु ने भविष्यवाणी की कि उसके चेले “दुनिया के सबसे दूर के इलाकों में” जाकर यह संदेश फैलाएँगे। (प्रेषि. 1:8) यीशु ने उनसे वादा किया कि दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्‍त तक वह इस ज़रूरी काम में खुद उनका साथ देगा।—मत्ती 28:19, 20.

8. राजा ने धरती पर मौजूद अपनी प्रजा को प्रचार करने के लिए कैसे उभारा?

8 सन्‌ 1919 से ‘राज की खुशखबरी’ के प्रचार ने एक नया मोड़ लिया। (मत्ती 24:14) राजा यीशु स्वर्ग में राज कर रहा था और उसने धरती पर शुद्ध किए गए एक छोटे-से समूह को इकट्ठा कर लिया था। इस समूह ने यीशु की इस साफ हिदायत को बड़ी उत्सुकता से माना: पूरी धरती पर इस खुशखबरी का प्रचार करो कि परमेश्‍वर का राज स्वर्ग में राज कर रहा है। (प्रेषि. 10:42) मिसाल के लिए, सितंबर 1922 में अमरीका के सीडर पॉइंट, ओहायो में रखे गए एक अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में करीब 20,000 राज के प्रचारक इकट्ठा हुए। ज़रा कल्पना कीजिए कि वहाँ हाज़िर लोगों में किस कदर जोश भर गया होगा जब भाई रदरफर्ड ने “परमेश्‍वर का राज करीब है” इस विषय पर भाषण दिया, जिसमें उन्होंने कहा, “देखो, राजा राज करता है! तुम उसके प्रचारक हो। इसलिए राजा और उसके राज का ऐलान करो, ऐलान करो, ऐलान करो।” अगले दिन वहाँ हाज़िर लोगों में से 2,000 भाई-बहनों ने “सर्विस डे” नाम के एक खास प्रचार के दिन में हिस्सा लिया। कुछ ने तो अधिवेशन की जगह से 72 किलोमीटर (45 मील) दूर जाकर भी प्रचार किया। एक भाई ने कहा: “राज का ऐलान करने की घोषणा और लोगों के हुजूम का जोश मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी।” कई और भाई-बहनों ने भी ऐसा ही महसूस किया।

9, 10. (क) राज के प्रचारकों को तालीम देने के लिए क्या-क्या इंतज़ाम किए गए हैं? (ख) आपने इस तालीम से कैसे फायदा पाया है?

9 सन्‌ 1922 तक, दुनिया-भर में 58 देशों में 17,000 से ज़्यादा राज के प्रचारक, प्रचार काम कर रहे थे। लेकिन उन्हें तालीम की ज़रूरत थी। भविष्य में बननेवाले राजा की हैसियत से, यीशु ने पहली सदी में अपने चेलों को साफ निर्देश दिए थे कि उन्हें क्या, कहाँ और कैसे प्रचार करना है। (मत्ती 10:5-7; लूका 9:1-6; 10:1-11) ठीक उसी तरह, आज भी यीशु ने इस बात का ध्यान रखा है कि सभी प्रचारकों को प्रचार से जुड़े ज़रूरी निर्देश मिलें और उनके पास असरदार तरीके से प्रचार करने के लिए ज़रूरी औज़ार हों। (2 तीमु. 3:17) मसीही मंडली के ज़रिए यीशु अपने चेलों को प्रचार करने की तालीम दे रहा है। तालीम देने का एक तरीका जो यीशु इस्तेमाल कर रहा है, वह है ‘परमेश्‍वर की सेवा स्कूल,’ जो पूरी दुनिया में 1,11,000 से भी ज़्यादा मंडलियों में चलाया जा रहा है। इस स्कूल से मिलनेवाली हिदायतों की बदौलत, आज 70 लाख से भी ज़्यादा प्रचारक इस तरह प्रचार करने और सिखाने के काबिल बन गए हैं कि वे “सब किस्म के लोगों” की मदद कर सकते हैं।—1 कुरिंथियों 9:20-23 पढ़िए।

10 ‘परमेश्‍वर की सेवा स्कूल’ के अलावा, और भी बहुत-से बाइबल स्कूल शुरू किए गए हैं। इनमें मंडली के प्राचीनों, पायनियरों, अविवाहित भाइयों, मसीही जोड़ों, शाखा-समिति के सदस्यों और उनकी पत्नियों, सफरी निगरानों और उनकी पत्नियों, और मिशनरियों को तालीम दी जा रही है। c ‘मसीही जोड़ों के लिए बाइबल स्कूल’ की एक क्लास के विद्यार्थियों ने इस स्कूल के लिए इस तरह अपनी कदरदानी ज़ाहिर की: “जो खास तालीम हमें दी गयी, उससे यहोवा के लिए हमारा प्यार और गहरा हो गया है और हम दूसरों की और भी अच्छी तरह से मदद करने के लिए तैयार हो गए हैं।”

11. शैतान के हमलों के बावजूद यीशु के चेले क्यों प्रचार काम जारी रख पाए हैं?

11 आज बड़े पैमाने पर खुशखबरी का प्रचार करने और सिखाने के काम में जो मेहनत की जा रही है, वह दुश्‍मन शैतान की नज़रों से छिपी नहीं है। वह इस काम को रोकने की फिराक में है और इसके लिए वह राज के संदेश और उसका प्रचार करनेवालों पर हमला करने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहा है। कभी वह सामने से हमला करता है, तो कभी छिपकर। लेकिन उसके मनसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे। यहोवा ने अपने बेटे को ‘हर सरकार और अधिकार और ताकत और प्रभुता से कहीं ऊपर’ बिठाया है। (इफि. 1:20-22) राजा होने के नाते, यीशु अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए अपने चेलों की हिफाज़त करता है और उनका मार्गदर्शन करता है, ताकि वह यह पक्का कर सके कि उसके पिता की मरज़ी पूरी हो। d खुशखबरी का प्रचार आज भी किया जा रहा है और लाखों नेकदिल लोगों को यहोवा की उपासना करना सिखाया जा रहा है। इस शानदार काम में हिस्सा लेना हमारे लिए क्या ही सम्मान की बात है!

राजा अपनी प्रजा को और भी काम के लिए संगठित करता है

12. बताइए कि यीशु के राजा बनने के बाद से संगठन में कौन-कौन-से सुधार हुए हैं।

12 परमेश्‍वर के सेवक जिस संगठित तरीके से उसकी मरज़ी पूरी कर रहे हैं, उसमें यीशु ने 1914 में राजा बनने के बाद काफी सुधार किए। (यशायाह 60:17 पढ़िए।) सन्‌ 1919 में, प्रचार काम में अगुवाई लेने के लिए हर मंडली में सेवा निर्देशक (सर्विस डाइरेक्टर) को नियुक्‍त किया गया। सन्‌ 1927 में हर रविवार को घर-घर जाकर प्रचार करने का इंतज़ाम शुरू किया गया। सन्‌ 1931 में यहोवा के सेवकों ने ‘यहोवा के साक्षी’ नाम अपनाया, जिससे उन्हें प्रचार में और भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने का बढ़ावा मिला। (यशा. 43:10-12) सन्‌ 1938 से, मंडली में अगुवाई लेनेवाले भाइयों को वोट डालकर चुनने के बजाय, बाइबल में दी योग्यताओं के आधार पर नियुक्‍त किया जाने लगा। सन्‌ 1972 से, मंडली की देख-रेख करने की ज़िम्मेदारी अकेले ‘मंडली निगरान’ को देने के बजाय, प्राचीनों के निकाय को दी जाने लगी। सभी काबिल भाइयों को बढ़ावा दिया गया था कि वे ‘परमेश्‍वर के झुंड की, जो उनकी देख-रेख में है, चरवाहों की तरह देखभाल करें।’ (1 पत. 5:2) सन्‌ 1976 से, दुनिया-भर में हो रहा राज का प्रचार काम शासी निकाय की छ: समितियों की निगरानी में किया जाने लगा। तब से राजा यीशु लगातार अपनी प्रजा को परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने के लिए संगठित कर रहा है।

13. यीशु के शासन के 100 सालों में जो कुछ हुआ है, उसका आपकी ज़िंदगी पर क्या असर पड़ा है?

13 गौर कीजिए कि मसीहाई राजा यीशु ने अपने राज के पहले 100 सालों में कितना कुछ हासिल किया है! उसने उन लोगों को शुद्ध किया है जो यहोवा के नाम से पहचाने जाते हैं। उसने 239 देशों में प्रचार काम का मार्गदर्शन किया है और लाखों लोगों को यहोवा की उपासना करना सिखाया है। उसने 70 लाख से भी ज़्यादा लोगों से मिलकर बनी अपनी वफादार प्रजा को एकता में बाँधा है, जिन्होंने खुशी-खुशी खुद को उसके पिता की मरज़ी पूरी करने के लिए पेश किया है। (भज. 110:3) सच, यहोवा ने मसीहाई राज के ज़रिए जो काम किए हैं, वे वाकई महान और लाजवाब हैं। लेकिन भविष्य में और भी शानदार घटनाएँ होनेवाली हैं!

मसीहाई राज के ज़रिए भविष्य में मिलनेवाली आशीषें

14. (क) जब हम प्रार्थना करते हैं कि “तेरा राज आए,” तो हम परमेश्‍वर से क्या गुज़ारिश कर रहे होते हैं? (ख) सन्‌ 2014 का हमारा सालाना वचन क्या है? (ग) यह वचन क्यों इस साल के लिए बिलकुल सही है?

14 हालाँकि यहोवा ने अपने बेटे, यीशु मसीह को 1914 में मसीहाई राज का राजा बनाया, मगर यह हमारी इस प्रार्थना का पूरा जवाब नहीं है कि “तेरा राज आए।” (मत्ती 6:10) बाइबल में भविष्यवाणी की गयी थी कि यीशु “अपने शत्रुओं के बीच में शासन” करेगा। (भज. 110:2) लेकिन शैतान के अधीन इंसानी सरकारें तो आज भी परमेश्‍वर के राज का विरोध कर रही हैं। तो फिर, जब हम परमेश्‍वर के राज के आने के लिए प्रार्थना करते हैं, तब हम दरअसल परमेश्‍वर से गुज़ारिश कर रहे होते हैं कि मसीहाई राजा और उसके साथ राज करनेवाले 1,44,000 जन आकर इंसानी सरकारों और परमेश्‍वर के राज का विरोध करनेवालों को मिटा दें। और जब ऐसा होगा, तब दानिय्येल 2:44 में दर्ज़ भविष्यवाणी पूरी होगी, जहाँ लिखा है कि परमेश्‍वर का राज “उन सब राज्यों को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा।” जी हाँ, यह राज उन सभी सरकारों को मिटा देगा, जो परमेश्‍वर के राज का विरोध करती हैं। (प्रका. 6:1, 2; 13:1-18; 19:11-21) ऐसा होने में बहुत कम वक्‍त बाकी रह गया है। इसलिए कितना सही है कि 2014 का हमारा सालाना वचन है, मत्ती 6:10: “तेरा राज आए।” इस साल यीशु मसीह को स्वर्ग में राजा बने 100 साल पूरे हो चुके हैं!

सन्‌ 2014 के लिए हमारा सालाना वचन है: “तेरा राज आए।”—मत्ती 6:10

15, 16. (क) मसीह के हज़ार साल के राज के दौरान क्या-क्या हैरतअंगेज़ घटनाएँ घटेंगी? (ख) मसीहाई राजा की हैसियत से यीशु का सबसे आखिरी काम क्या होगा? (ग) इससे यहोवा के मकसद का क्या होगा?

15 परमेश्‍वर के दुश्‍मनों को मिटाने के बाद मसीहाई राजा शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों को एक हज़ार साल के लिए अथाह-कुंड में फेंक देगा। (प्रका. 20:1-3) उस वक्‍त, शैतान का इंसानों पर कोई ज़ोर नहीं चलेगा। इसके बाद, परमेश्‍वर का राज यीशु के फिरौती बलिदान से मिलनेवाली सारी आशीषें इंसानों को देने और उन्हें आदम के पाप से होनेवाले बुरे अंजाम से राहत दिलाने में ज़रा भी वक्‍त नहीं गवाँएगा। राजा यीशु लाखों लोगों को दोबारा ज़िंदा करेगा और उन्हें यहोवा के बारे में सिखाने के लिए पूरी दुनिया में शिक्षा के कार्यक्रम का इंतज़ाम करेगा। (प्रका. 20:12, 13) पूरी धरती अदन के बाग की तरह, फिरदौस बन जाएगी और सभी वफादार इंसान सिद्ध हो जाएँगे।

16 मसीह के हज़ार साल के राज के बाद, धरती के लिए यहोवा का मकसद पूरा हो चुका होगा। इसके बाद, यीशु अपने पिता के हाथ में राज सौंप देगा। (1 कुरिंथियों 15:24-28 पढ़िए।) फिर यहोवा और धरती पर उसके बच्चों के बीच किसी बिचवई की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। स्वर्ग में परमेश्‍वर के बेटे और धरती पर उसके सभी बच्चे, पूरे विश्‍व में फैले उसके परिवार का हिस्सा बनकर, परमेश्‍वर के साथ एकता में बँध जाएँगे।

17. आपने राज की खातिर क्या करने की ठानी है?

17 परमेश्‍वर के राज के इन 100 सालों में जो हैरतअंगेज़ घटनाएँ घटी हैं, वे हमें इस बात का यकीन दिलाती हैं कि सब कुछ पूरी तरह से यहोवा के काबू में है और पृथ्वी के लिए उसका मकसद ज़रूर पूरा होगा। आइए हम वफादारी से परमेश्‍वर की सेवा करते रहें और राजा और उसके राज का ऐलान करते रहें। हमें यकीन है कि यहोवा हमारी इस प्रार्थना का जवाब ज़रूर देगा: “तेरा राज आए”!

c 15 सितंबर, 2012 की प्रहरीदुर्ग के पेज 13-17 पर दिया लेख “परमेश्‍वर से तालीम पाने के लिए स्कूल—यहोवा के प्यार का सबूत” देखिए।

d कई देशों में यहोवा के साक्षियों ने जो मुकदमे जीते हैं, उनके कुछ उदाहरणों के लिए 1 दिसंबर, 1998 की प्रहरीदुर्ग के पेज 19-22 देखिए।