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मेम्ने की शादी पर खुशियाँ मनाइए!

मेम्ने की शादी पर खुशियाँ मनाइए!

“आओ हम खुशियाँ मनाएँ और आनंद से भर जाएँ . . . क्योंकि मेम्ने की शादी का वक्‍त आ पहुँचा है।”—प्रका. 19:7.

1, 2. (क) किसकी शादी से स्वर्ग में बड़ी खुशियाँ मनायी जाएँगी? (ख) हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?

 शादी की तैयारियाँ करने में हमेशा वक्‍त लगता है। मगर इस लेख में हम एक शाही घराने में होनेवाली शादी पर ध्यान देंगे, जिसकी तैयारी लगभग 2,000 सालों से चल रही है। बहुत जल्द, दूल्हा और दुल्हन एकता के बँधन में बँध जाएँगे। राजा का महल खुशियों से गूँज उठेगा और हर तरफ मधुर संगीत की धुन सुनायी देगी। स्वर्ग में यह गीत गाया जाएगा: “याह का गुणगान करो, क्योंकि हमारे सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर यहोवा ने राजा बनकर राज करना शुरू किया है। आओ हम खुशियाँ मनाएँ और आनंद से भर जाएँ और परमेश्‍वर की महिमा करें क्योंकि मेम्ने की शादी का वक्‍त आ पहुँचा है और उसकी दुल्हन ने खुद को तैयार कर लिया है।”—प्रका. 19:6, 7.

2 इस आयत में बताया “मेम्ना” यीशु मसीह है। (यूह. 1:29) उसकी शादी में, स्वर्ग में बड़ी खुशियाँ मनायी जाएँगी। वह शादी के लिए किस तरह तैयार हुआ है? उसकी दुल्हन कौन है? इस दुल्हन ने शादी के लिए खुद को कैसे तैयार किया है? यह शादी कब होगी? इस शादी से स्वर्ग में बड़ी खुशियाँ मनायी जाएँगी, लेकिन जिन्हें धरती पर हमेशा तक जीने की आशा है, क्या वे भी खुशियाँ मनाएँगे? इन सवालों के जवाब जानने के लिए हम बेहद उत्सुक हैं, इसलिए आइए हम भजन 45 का अध्ययन करना जारी रखें।

‘उसके वस्त्र सुगन्धित हैं’

3, 4. (क) दूल्हे की पोशाक के बारे में क्या कहा गया है? (ख) क्या बात उसे और भी खुशी दे रही है? (ग) दूल्हे की खुशी में शरीक होनेवाली “पटरानी” और “राजकुमारियां” कौन हैं?

3 भजन 45:8, 9 पढ़िए। दुल्हा यीशु मसीह शादी के लिए शाही पोशाक पहन लेता है। उसकी पोशाक खुशबू से ऐसे महक रही है, मानो कोई “सुगन्ध द्रव्य” हो, जैसे गंधरस और तज, जिनका इस्तेमाल इसराएल में अभिषेक का पवित्र तेल बनाने के लिए किया जाता था।—निर्ग. 30:23-25.

4 जैसे-जैसे दूल्हे की शादी का समय नज़दीक आ रहा है, उसके महल में बज रहा मधुर स्वर्गीय संगीत उसे और भी खुशी दे रहा है। उसकी खुशी में “पटरानी” भी शरीक है। यह किसे दर्शाती है? यहोवा के संगठन के अदृश्‍य भाग को, जिसमें “राजकुमारियां,” यानी पवित्र स्वर्गदूत भी शामिल हैं। स्वर्ग से आ रही आवाज़ें ऐलान कर रही हैं: “आओ हम खुशियाँ मनाएँ और आनंद से भर जाएँ . . . क्योंकि मेम्ने की शादी का वक्‍त आ पहुँचा है”!

दुल्हन को शादी के लिए तैयार किया जाता है

5. दुल्हन कौन है?

5 भजन 45:10, 11 पढ़िए। हमने देखा कि दुल्हा कौन है। मगर दुल्हन कौन है? यह कोई सचमुच की दुल्हन नहीं है। यह 1,44,000 अभिषिक्‍त मसीहियों से मिलकर बने पूरे समूह को दर्शाती है। यीशु इस अभिषिक्‍त मंडली का मुखिया है। (इफिसियों 5:23, 24 पढ़िए।) ये अभिषिक्‍त जन मसीहाई राज में मसीह के साथ राज करेंगे। (लूका 12:32) वे “मेम्ने के पीछे जहाँ-जहाँ वह जाता है वहाँ-वहाँ चलते रहते हैं।” (प्रका. 14:1-4) वे “मेम्ने की दुल्हन” बनते हैं और उसके साथ उसके घर, यानी स्वर्ग में रहते हैं।—प्रका. 21:9; यूह. 14:2, 3.

6. (क) अभिषिक्‍त जनों को “बादशाह की बेटी” क्यों कहा गया है? (ख) उन्हें ‘अपने लोगों को भूल जाने’ के लिए क्यों कहा गया है?

6 दुल्हन को न सिर्फ “राजकुमारी,” बल्कि “बादशाह की बेटी” भी कहा गया है। (भज. 45:13, उर्दू—ओ.वी.) यह “बादशाह” कौन है? यहोवा। वह अभिषिक्‍त मसीहियों को अपने ‘बच्चों’ के नाते गोद लेता है। (रोमि. 8:15-17) अभिषिक्‍त जनों से कहा गया है: “अपने लोगों और अपने [इंसानी] पिता के घर को भूल जा।” ये अभिषिक्‍त मसीही स्वर्ग में दुल्हन बनेंगे, इसलिए उन्हें अपना मन “स्वर्ग की बातों पर ही लगाए [रखना है], न कि धरती की बातों पर।”—कुलु. 3:1-4.

7. (क) मसीह अपनी होनेवाली दुल्हन को कैसे तैयार कर रहा है? (ख) दुल्हन अपने होनेवाले पति के बारे में कैसा महसूस करती है?

7 सदियों से, मसीह अपनी होनेवाली दुल्हन को स्वर्ग में होनेवाली शादी के लिए तैयार कर रहा है। प्रेषित पौलुस ने लिखा कि मसीह ने “मंडली से प्यार किया और अपने आपको उसकी खातिर दे दिया, ताकि वह पानी-रूपी वचन के स्नान से स्वच्छ कर उसे पवित्र बनाए। और मंडली को इसके पूरे वैभव के साथ अपने सामने पेश करे जिसमें न कोई दाग हो, न झुर्री हो, न ही ऐसी कोई और खामी हो, बल्कि यह पवित्र और बेदाग हो।” (इफि. 5:25-27) पौलुस ने कुरिंथ के अभिषिक्‍त मसीहियों से कहा: “मुझे तुम्हारे लिए वैसी ही जलन है, जैसी जलन परमेश्‍वर रखता है, क्योंकि मैं खुद, तुम्हारी शादी करवाने के लिए एक पुरुष यानी मसीह से तुम्हारी सगाई करवा चुका हूँ ताकि मैं तुम्हें एक पवित्र कुँवारी की तरह मसीह को सौंप सकूँ।” (2 कुरिं. 11:2) राजा यीशु मसीह की नज़रों में यह दुल्हन बहुत सुंदर है, क्योंकि उसकी उपासना शुद्ध है और परमेश्‍वर को मंज़ूर है। दुल्हन खुशी-खुशी उसे अपना “प्रभु” मानती है और अपने होनेवाले पति के नाते ‘उसे दण्डवत्‌ करती’ है।

दुल्हन को “राजा के पास” लाया जाता है

8. दुल्हन को “अति शोभायमान” क्यों बताया गया है?

8 भजन 45:13, 14क पढ़िए। दुल्हन ने “अपने दूल्हे के लिए सिंगार” किया है और वह इस शाही घराने में होनेवाली शादी के लिए “अति शोभायमान” लग रही है। प्रकाशितवाक्य 21:2 में दुल्हन की तुलना नयी यरूशलेम नगरी से की गयी है। यह स्वर्गीय नगरी “परमेश्‍वर की महिमा” के तेज से चमक रही है। उसकी चमक “सबसे अनमोल रत्न, यानी बिल्लौर की तरह दमकते यशब जैसी” है। (प्रका. 21:10, 11) नयी यरूशलेम की बेमिसाल सुंदरता के बारे में प्रकाशितवाक्य की किताब में बहुत ही खूबसूरती से बताया गया है। (प्रका. 21:18-21) इसमें कोई शक नहीं कि क्यों भजनहार इस दुल्हन की खूबसूरती का इस तरह बखान करता है। आखिर स्वर्ग के राज-घराने में होनेवाली शादी से हम यही तो उम्मीद करेंगे।

9. (क) दुल्हन को किसके पास लाया जाता है? (ख) उसके कपड़े कैसे हैं?

9 दुल्हन को अपने दूल्हे, यानी मसीहाई राजा के पास लाया जाता है। मसीहाई राजा ने दुल्हन को “वचन” की मदद से स्वच्छ करके उसे तैयार किया है। वह “पवित्र और बेदाग” है। (इफि. 5:26, 27) दुल्हन के कपड़े भी इस मौके के लिए सही होने चाहिए। और इसमें कोई शक नहीं कि उसके कपड़े बहुत खूबसूरत हैं। “उसके वस्त्र में सुनहले बूटे कढ़े हुए हैं” और “वह बूटेदार वस्त्र पहिने हुए राजा के पास पहुंचाई जाएगी।” मेम्ने की शादी के लिए “उसे [दुल्हन को] यह अधिकार दिया गया है कि वह उजला, साफ और बढ़िया मलमल पहनकर सजे, क्योंकि बढ़िया मलमल पवित्र जनों के नेक कामों की निशानी है।”—प्रका. 19:8.

“शादी का वक्‍त आ पहुँचा है”

10. मेम्ने की शादी से पहले क्या होगा?

10 प्रकाशितवाक्य 19:7 पढ़िए। मेम्ने की शादी कब होगी? हालाँकि प्रकाशितवाक्य 19:7 कहता है कि शादी के लिए “उसकी दुल्हन ने खुद को तैयार कर लिया है,” लेकिन उसके बाद की आयतें शादी के बारे में नहीं बतातीं। इसके बजाय, वे आयतें साफ तौर पर महा-संकट के आखिरी भाग के बारे में बताती हैं। (प्रका. 19:11-21) क्या इसका यह मतलब है कि राजा के अपनी जीत पूरी करने से पहले यह शादी होगी? नहीं। प्रकाशितवाक्य की किताब में बतायी घटनाएँ उस क्रम में नहीं लिखी गयी हैं, जिस क्रम में वे घटेंगी। भजन 45 में बताया गया है कि राजा यीशु मसीह पहले अपनी तलवार बाँधेगा और दुश्‍मनों को हराएगा, फिर उसकी शादी होगी।—भज. 45:3, 4.

11. मसीह अपनी जीत किस क्रम में पूरी करेगा?

11 हमने बाइबल से सीखा कि ये घटनाएँ इस क्रम में घटेंगी: सबसे पहले, “बड़ी वेश्‍या” महानगरी बैबिलोन, यानी दुनिया-भर में साम्राज्य की तरह फैले झूठे धर्म का नाश कर दिया जाएगा। (प्रका. 17:1, 5, 16, 17; 19:1, 2) इसके बाद, मसीह यीशु शैतान की दुष्ट दुनिया के बचे हुए भाग को हर-मगिदोन, यानी “सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर के महान दिन के युद्ध” में नाश कर देगा। (प्रका. 16:14-16; 19:19-21) और आखिर में, राजा यीशु शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों को अथाह-कुंड में फेंककर अपनी जीत पूरी करेगा। अथाह-कुंड में वे किसी को नुकसान नहीं पहुँचा पाएँगे। उनकी हालत ऐसी होगी, मानो वे मरे हुए हैं।—प्रका. 20:1-3.

12, 13. (क) मेम्ने की शादी कब होगी? (ख) स्वर्ग में, मेम्ने की शादी में और कौन खुशियाँ मनाएँगे?

12 आखिरी दिनों में, जो अभिषिक्‍त मसीही धरती पर अपनी आखिरी साँस तक वफादार रहते हैं, उन्हें दोबारा स्वर्ग में जी उठाया जाता है। महानगरी बैबिलोन के विनाश के कुछ वक्‍त बाद, लेकिन हर-मगिदोन से पहले, मसीह सभी 1,44,000 अभिषिक्‍त मसीहियों को अपने साथ स्वर्ग में रहने के लिए इकट्ठा कर चुका होगा। (1 थिस्स. 4:16, 17) फिर हर-मगिदोन के बाद, मेम्ने की शादी होगी। वह क्या ही खुशी का आलम होगा! प्रकाशितवाक्य 19:9 कहता है: “सुखी हैं वे जिन्हें मेम्ने की शादी की शाम की दावत पर आने का न्यौता मिला है।” वाकई, दुल्हन बहुत ही खुश होगी। और जब सभी अभिषिक्‍त जन राजा के साथ राज करने के लिए स्वर्ग चले जाएँगे, तो राजा खुशी से फूला नहीं समाएगा। (लूका 22:18, 28-30) लेकिन खुशी मनानेवालों में सिर्फ दूल्हा और दुल्हन नहीं होंगे।

13 जैसे हमने पहले पढ़ा, स्वर्गदूत मिलकर यह गीत गाएँगे: “आओ हम खुशियाँ मनाएँ और आनंद से भर जाएँ और [यहोवा] की महिमा करें क्योंकि मेम्ने की शादी का वक्‍त आ पहुँचा है और उसकी दुल्हन ने खुद को तैयार कर लिया है।” (प्रका. 19:6, 7) धरती पर यहोवा के सेवकों के बारे में क्या? क्या वे भी इस जश्‍न में शामिल होंगे?

‘वे आनन्दित होकर पहुंचाई जाएंगी’

14. भजन 45 में बतायी गयी दुल्हन की “कुमारियां” कौन हैं?

14 भजन 45:12, 14ख, 15 पढ़िए। नबी जकर्याह ने भविष्यवाणी की थी कि आखिरी दिनों में पूरी दुनिया में लोग, बचे हुए अभिषिक्‍त जनों के साथ मिलकर यहोवा की सेवा करने के सम्मान के लिए बहुत एहसानमंद होंगे। उसने लिखा: “उन दिनों में भांति भांति की भाषा बोलनेवाली सब जातियों में से दस मनुष्य, एक यहूदी पुरुष के वस्त्र की छोर को यह कहकर पकड़ लेंगे, कि, हम तुम्हारे संग चलेंगे, क्योंकि हम ने सुना है कि परमेश्‍वर तुम्हारे साथ है।” (जक. 8:23) भजन 45:12 में इन ‘दस मनुष्यों’ को “सोर की राजकुमारी” और “प्रजा के धनवान” कहकर दर्शाया गया है। वे बचे हुए अभिषिक्‍त जनों को तोहफे देते हैं और वे उनकी मंज़ूरी और यहोवा की सेवा में उनसे मदद पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। सन्‌ 1935 से, बचे हुए अभिषिक्‍त मसीहियों ने लाखों लोगों को “धर्मी” बनने में, यानी उन्हें यहोवा के बारे में सच्चाई जानने में मदद दी है। (दानि. 12:3) ये “दस मनुष्य” धरती पर जीने की आशा रखनेवाले लाखों लोग हैं। वे अभिषिक्‍त मसीहियों के वफादार साथी हैं और उन्होंने हर तरह की झूठी उपासना से खुद को शुद्ध किया है। इसलिए उन्हें “कुमारियां” कहा गया है। उन्होंने यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित की है और यह साबित किया है कि वे राजा यीशु मसीह के वफादार सेवक हैं।

15. ‘कुमारियों’ ने बचे हुए अभिषिक्‍त जनों के साथ मिलकर कैसे काम किया है?

15 बचे हुए अभिषिक्‍त जन इन ‘कुमारियों’ के बड़े एहसानमंद हैं, क्योंकि वे सारे जगत में ‘राज की खुशखबरी’ का प्रचार करने में पूरे जोश के साथ उनकी मदद करती हैं। (मत्ती 24:14) न सिर्फ “पवित्र शक्‍ति और वह दुल्हन कहती रहती हैं: ‘आ!’,” बल्कि सुननेवाला हर कोई कहता है: “आ!” (प्रका. 22:17) इसका मतलब है कि ‘दूसरी भेड़ों’ ने अभिषिक्‍त जनों को यह कहते सुना है, “आ!” और वे भी उनके साथ मिलकर दुनिया-भर के सभी लोगों को यह कहने में जुट गयी हैं: “आ!”—यूह. 10:16.

16. यहोवा ने दूसरी भेड़ों को क्या सम्मान दिया है?

16 धरती पर बचे हुए अभिषिक्‍त मसीही दूसरी भेड़ों से बहुत प्यार करते हैं। अभिषिक्‍त मसीहियों को इस बात की बहुत खुशी है कि दूल्हे के पिता, यहोवा ने दूसरी भेड़ों को भी स्वर्ग में होनेवाली मेम्ने की शादी की खुशी में शरीक होने का सम्मान दिया है। यह भविष्यवाणी की गयी थी कि ये “कुमारियां” “आनन्दित और मगन होकर पहुंचाई जाएंगी।” जी हाँ, दूसरी भेड़ें, जो धरती पर हमेशा तक जीने की आशा रखती हैं, वे मेम्ने की शादी पर, यहोवा के विश्‍वव्यापी परिवार के साथ खुशियाँ मनाएँगी। प्रकाशितवाक्य की किताब धरती पर यहोवा की उपासना करनेवाली “बड़ी भीड़” के बारे में बताती है कि वह “राजगद्दी के सामने और उस मेम्ने के सामने . . . खड़ी है।” वे यहोवा के महान आत्मिक मंदिर के आँगन में, यानी धरती पर उसकी सेवा करती हैं।—प्रका. 7:9, 15.

दुल्हन की “कुमारियां” मेम्ने की शादी की खुशियों में शरीक होंगी (पैराग्राफ 16 देखिए)

“तेरे पितरों के स्थान पर तेरे पुत्र होंगे”

17, 18. (क) मेम्ने की शादी से नयी दुनिया में रहनेवालों को कैसे फायदा होगा? (ख) मसीह अपने हज़ार साल के राज में किनका पिता बनेगा?

17 भजन 45:16 पढ़िए। स्वर्ग में मसीह की दुल्हन की “कुमारियां” जब नयी दुनिया में इस शादी से होनेवाले फायदे देखेंगी, तब उनके पास खुशियाँ मनाने की और भी वजह होगी। राजा यीशु मसीह अपने इंसानी “पितरों” को दोबारा ज़िंदा करेगा, और इस तरह वे उसके “पुत्र” ठहरेंगे। (यूह. 5:25-29; इब्रा. 11:35) मसीह इनमें से कुछ को “सारी पृथ्वी पर हाकिम” ठहराएगा। हम उम्मीद कर सकते हैं कि नयी दुनिया में मसीह, आज के वफादार प्राचीनों में से कुछ को ‘राजकुमारों’ के नाते अगुवाई करने के लिए चुनेगा।—यशा. 32:1.

18 मसीह के हज़ार साल के राज में, वह दूसरों का भी पिता बनेगा। किस तरह? जो यीशु के फिरौती बलिदान पर विश्‍वास करेंगे, वे धरती पर हमेशा की ज़िंदगी पाएँगे। (यूह. 3:16) इस तरह, मसीह उनका “अनन्तकाल का पिता” बनेगा।—यशा. 9:6, 7.

राजा के नाम का ऐलान करने के लिए उभारे गए

19, 20. भजन 45 में दर्ज़ रोमांचक घटनाएँ आज कैसे सभी सच्चे मसीहियों पर असर करती हैं?

19 भजन 45:1, 17 पढ़िए। सभी मसीहियों को भजन 45 में दर्ज़ घटनाओं में दिलचस्पी लेनी चाहिए। धरती पर बचे अभिषिक्‍त मसीही इतने खुश हैं कि जल्द ही वे स्वर्ग में अपने भाइयों और दूल्हे यीशु मसीह के साथ एकता में बँधनेवाले हैं। दूसरी भेड़ों को बढ़ावा मिलता है कि वे अपने राजा को, जो महिमा से भरपूर है, और भी ज़्यादा अधीनता दिखाती रहें। वे इस बात के लिए बहुत शुक्रगुज़ार हैं कि उन्हें धरती पर दुल्हन के बचे हुए सदस्यों के साथ संगति करने का सम्मान मिला है। अपनी शादी के बाद, मसीह और उसकी दुल्हन इंसानों पर आशीषों की ऐसी बौछार करेंगे, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते।—प्रका. 7:17; 21:1-4.

20 मसीहाई राजा के बारे में की गयी भविष्यवाणियों के पूरा होने का इंतज़ार करते वक्‍त, बेशक हमारा दिल हमें उसके नाम का ऐलान करने के लिए उभारता है। आइए हम अपने राजा की “सदा सर्वदा” महिमा करते रहें।