क्या आप “अदृश्य परमेश्वर” को देख सकते हैं?
“वह उस अदृश्य परमेश्वर को मानो देखता हुआ डटा रहा।”—इब्रा. 11:27.
1, 2. (क) समझाइए कि क्यों ऐसा लग रहा था कि मूसा की जान खतरे में है। (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।) (ख) फिरौन के आग-बबूला होने पर भी मूसा क्यों उससे डरा नहीं?
फिरौन एक ताकतवर शासक था और मिस्री लोग उसे ईश्वर का दर्जा देते थे। किताब जब मिस्र पूरब पर राज करता था (अँग्रेज़ी) बताती है कि मिस्रियों की नज़र में फिरौन “बुद्धि और ताकत में धरती पर रहनेवाले किसी भी इंसान से कहीं ज़्यादा महान था।” फिरौन चाहता था कि मिस्री उससे खौफ खाएँ, इसलिए वह जो मुकुट पहनता था उस पर एक ऐसा नाग बना हुआ था, जो मानो डसने के लिए तैयार हो। यह नाग इस बात की याद दिलाता था कि राजा के दुश्मन जल्द ही नाश कर दिए जाएँगे। इसलिए आप कल्पना कर सकते हैं कि मूसा को उस वक्त कैसा लगा होगा, जब यहोवा ने उससे कहा: “मैं तुझे फ़िरौन के पास भेजता हूं कि तू मेरी इस्राएली प्रजा को मिस्र से निकाल ले आए।”—निर्ग. 3:10.
2 यह आज्ञा पाकर, मूसा मिस्र गया और उसने फिरौन को परमेश्वर का पैगाम सुनाया। इस पर फिरौन का खून खौल उठा। मिस्रियों पर नौ विपत्तियाँ आने के बाद, फिरौन इतने गुस्से में था कि उसने मूसा को चेतावनी दी: “मुझे अपना मुख फिर न दिखाना; क्योंकि जिस दिन तू मुझे मुंह दिखलाए उसी दिन तू मारा जाएगा।” (निर्ग. 10:28) मूसा वहाँ से चला गया, पर जाने से पहले उसने भविष्यवाणी की कि राजा के पहलौठे बेटे की जान चली जाएगी। (निर्ग. 11:4-8) इसके बाद, मूसा ने हरेक इसराएली परिवार से कहा कि वे एक बकरे या मेढ़े का, जो मिस्री देवता रा के भक्तों की नज़रों में पवित्र जानवर था, बलिदान चढ़ाएँ और उसके लहू को अपने दरवाज़े की चौखटों पर लगाएँ। (निर्ग. 12:5-7) क्या इस पर फिरौन और भी ज़्यादा आग-बबूला नहीं हो उठता? जो भी हो, मूसा उससे डरा नहीं। क्यों? क्योंकि उसमें विश्वास था और वह यहोवा की आज्ञा मानता था। उसमें ‘राजा के क्रोध का डर नहीं था, क्योंकि वह उस अदृश्य परमेश्वर को मानो देखता हुआ डटा रहा।’—इब्रानियों 11:27, 28 पढ़िए।
3. “अदृश्य परमेश्वर” पर मूसा के विश्वास के सिलसिले में हम किन तीन सवालों के जवाब देखेंगे?
3 क्या आपका विश्वास इतना मज़बूत है कि आप मानो ‘परमेश्वर को देख’ सकते हैं? (मत्ती 5:8) आइए हम मूसा की मिसाल पर चर्चा करें, ताकि हम जान सकें कि हम अपने विश्वास को कैसे मज़बूत कर सकते हैं। ऐसा करने से हम “अदृश्य परमेश्वर” को एक असल शख्स के तौर पर देख सकेंगे। यहोवा पर मूसा के विश्वास ने कैसे उसे इंसानों के डर से बचाया? उसने कैसे दिखाया कि उसे वाकई परमेश्वर के वादों पर विश्वास था? “अदृश्य परमेश्वर” को देखने से मूसा को कैसे उस वक्त हिम्मत मिली, जब उसकी और उसके लोगों की जान खतरे में थी?
वह “राजा के क्रोध” से डरा नहीं
4. जब मूसा फिरौन के सामने आया, तब आँखों देखी चीज़ों से चलनेवालों को शायद क्या लगा होगा?
4 आँखों देखी चीज़ों से चलनेवालों को शायद लगा हो कि ताकतवर फिरौन के आगे मूसा कुछ भी नहीं। मूसा की ज़िंदगी और उसका भविष्य मानो फिरौन के हाथ में था। खुद मूसा ने यहोवा से पूछा: “मैं कौन हूं जो फ़िरौन के पास जाऊं, और इस्राएलियों को मिस्र से निकाल ले आऊं?” (निर्ग. 3:11) करीब 40 साल पहले, मूसा मिस्र से भाग गया था। हो सकता है उसने सोचा हो, ‘क्या मेरा मिस्र वापस जाना और राजा को गुस्सा दिलाने का खतरा मोल लेना सही होगा?’
5, 6. किस बात ने मूसा को यहोवा का भय पैदा करने और फिरौन के पास जाने में मदद दी?
5 मूसा के मिस्र वापस लौटने से पहले, परमेश्वर ने उसे एक ज़रूरी सबक सिखाया। इस सबक के बारे में मूसा ने आगे चलकर अय्यूब की किताब में लिखा: “प्रभु [यहोवा] का भय मानना यही बुद्धि है।” (अय्यू. 28:28) मूसा को अपने अंदर सही किस्म का भय पैदा करना और बुद्धि से चलना सिखाने के लिए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा ने इंसानों की तुलना खुद से की। उसने मूसा से पूछा: “मनुष्य का मुंह किस ने बनाया है? और मनुष्य को गूंगा, वा बहिरा, वा देखनेवाला, वा अन्धा, मुझ यहोवा को छोड़ कौन बनाता है?”—निर्ग. 4:11.
6 यहोवा दरअसल मूसा से क्या कहना चाहता था? यही कि मूसा को फिरौन के पास भेजनेवाला खुद यहोवा था, इसलिए उसे डरने की ज़रूरत नहीं थी। परमेश्वर मूसा को हिम्मत देता, ताकि वह फिरौन को परमेश्वर का पैगाम सुना सके। और यह पहली बार नहीं था कि मिस्र में परमेश्वर के लोगों की जान खतरे में थी। हो सकता है मूसा ने याद किया हो कि कैसे पहले भी यहोवा ने अब्राहम, यूसुफ और खुद उसे मिस्र के दूसरे कुछ फिरौन से बचाया था। जी हाँ, यहोवा के आगे फिरौन कुछ भी नहीं था। (उत्प. 12:17-19; 41:14, 39-41; निर्ग. 1:22–2:10) मूसा “अदृश्य परमेश्वर” को देख सकता था, इसलिए वह हिम्मत के साथ फिरौन के पास गया और उसे यहोवा का संदेश शब्द-ब-शब्द कह सुनाया।
7. यहोवा पर विश्वास रखने से कैसे एक बहन को इंसानों के डर पर काबू पाने में मदद मिली?
7 यहोवा पर विश्वास रखने की वजह से एल्ला नाम की एक बहन को भी इंसानों के डर पर काबू पाने में मदद मिली। सन् 1949 में उसे एस्टोनिया देश में के.जी.बी. के अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने उसके कपड़े उतार दिए और जवान पुलिस अफसर उसे घूर-घूरकर देखने लगे। एल्ला बताती है, “मैं शर्म से पानी-पानी हो गयी। लेकिन जब मैंने यहोवा से प्रार्थना की, तो मेरे दिल को चैन और सुकून मिला।” फिर उसे एक छोटी-सी काल-कोठरी में तीन दिन तक अकेले रखा गया। वह कहती है: “अफसरों ने चिल्लाकर कहा: ‘हम वह हाल कर देंगे कि पूरे एस्टोनिया में किसी को यहोवा का नाम तक याद नहीं रहेगा! तुम्हें शिविर भेजा जा रहा है और दूसरों को साइबेरिया।’ फिर ताना कसते हुए उन्होंने कहा, ‘कहाँ है तुम्हारा यहोवा?’” क्या एल्ला इंसानों से डरती या फिर यहोवा पर भरोसा करती? जब उन्होंने उससे कहा कि अगर वह प्रचार करना छोड़ देगी, तो वे उसे रिहा कर देंगे, तो उसने बिना डरे उनसे कहा: “मैंने इस बारे में काफी सोचा है, और मुझे जेल में रहकर परमेश्वर के साथ अपना करीबी रिश्ता बनाए रखना मंज़ूर है, बजाय इसके कि मैं आज़ादी पाकर उसकी मंज़ूरी खो दूँ।” एल्ला के लिए यहोवा उतना ही असल था जितना कि उसके सामने खड़े वे आदमी। वह यहोवा की वफादार रही क्योंकि उसे यहोवा पर विश्वास था।
8, 9. (क) इंसान के डर पर काबू पाने के लिए आपको क्या करना होगा? (ख) अगर आप पर इंसान का डर हावी हो रहा है, तो आपको किसे अपने मन में रखना चाहिए?
8 अगर आपको यहोवा पर विश्वास है, तो आप भी इंसानों के डर पर काबू पा सकते हैं। अगर कभी अधिकारी आपको परमेश्वर की उपासना करने से रोकने की कोशिश करें, तो आपको ऐसा लग सकता है कि आपकी ज़िंदगी और भविष्य उनके हाथ में है। आप शायद खुद से यह भी पूछें: ‘क्या मेरा यहोवा की सेवा में लगे रहना और अधिकारियों को गुस्सा दिलाना सही होगा?’ याद रखिए: परमेश्वर पर विश्वास रखने से आप इंसान के डर पर काबू पा सकते हैं। (नीतिवचन 29:25 पढ़िए।) यहोवा पूछता है: “तू नश्वर मनुष्य से, घास के समान तत्काल सूख जानेवाले इन्सान से क्यों डरता है?”—यशा. 51:12, 13, हिंदी—कॉमन लैंग्वेज।
9 अपने सर्वशक्तिमान पिता को हमेशा अपने मन में रखिए। उसकी आँखें उन सभी को देखती हैं, जो नाइंसाफी की वजह से तकलीफें झेलते हैं। वह उन्हें दया दिखाता है और उनकी मदद करता है। (निर्ग. 3:7-10) अगर आपको बड़े-बड़े अफसरों के आगे भी अपने विश्वास की पैरवी करनी पड़े, तो बाइबल में दिए ये शब्द याद रखिए: “यह चिंता न करना कि तुम क्या कहोगे और कैसे कहोगे। जो तुम्हें बोलना है वह उस वक्त तुम जान जाओगे।” (मत्ती 10:18-20) यहोवा के आगे इंसानी शासक और बड़े-बड़े सरकारी अफसर कुछ भी नहीं। अगर आप आज अपना विश्वास मज़बूत करें, तो आप यहोवा को एक असल शख्स के तौर पर देख पाएँगे, जो आपकी मदद करने के लिए बेताब है।
उसे परमेश्वर के वादों पर विश्वास था
10. (क) ईसा पूर्व 1513 के निसान महीने में यहोवा ने इसराएलियों को क्या हिदायत दी? (ख) मूसा ने परमेश्वर की हिदायतें क्यों मानीं?
10 ईसा पूर्व 1513 के निसान महीने में यहोवा ने मूसा और हारून से कहा कि वे इसराएलियों को एक हिदायत दें। वह यह कि उन्हें एक तंदुरुस्त मेढ़े या बकरे की बलि चढ़ाकर, उसके लहू को अपने दरवाज़े की चौखटों पर लगाना था। (निर्ग. 12:3-7) हालाँकि इसराएलियों ने ऐसा पहले कभी नहीं किया था, लेकिन आगे चलकर प्रेषित पौलुस ने लिखा: “विश्वास ही से मूसा ने फसह का त्योहार मनाया और दरवाज़े की चौखटों पर लहू छिड़का ताकि नाश करनेवाला उनके पहलौठों को हाथ न लगाए।” (इब्रा. 11:28) मूसा जानता था कि यहोवा के वादे ज़रूर पूरे होंगे, और उसे विश्वास था कि मिस्र के सभी पहलौठे बेटों को मौत के घाट उतार दिया जाएगा।
11. मूसा ने सभी इसराएली परिवारों को क्यों आगाह किया?
11 मूसा के अपने बेटे शायद मिद्यान में थे, ‘नाश करनेवाले’ से काफी दूर और सुरक्षित। a (निर्ग. 18:1-6) फिर भी, क्योंकि वह अपने साथी इसराएलियों से प्यार करता था, इसलिए उसने यहोवा की आज्ञा मानते हुए उन सभी इसराएली परिवारों को आगाह किया, जिनके पहलौठे बेटों की जान खतरे में थी। बाइबल बताती है कि मूसा ने फौरन “इसराएल के सब पुरनियों को बुलाकर कहा, . . . फसह का पशु बलि करना।”—निर्ग. 12:21.
12. यहोवा के लोग उससे मिले किस ज़रूरी संदेश का ऐलान कर रहे हैं?
12 आज स्वर्गदूतों की निगरानी में यहोवा के लोग उससे मिला यह ज़रूरी संदेश ऐलान कर रहे हैं: “परमेश्वर से डरो और उसकी महिमा करो, क्योंकि उसके न्याय करने का वक्त आ गया है। इसलिए उसकी उपासना करो जिसने यह आकाश और यह धरती और समुद्र और पानी के सोते बनाए।” (प्रका. 14:7) यह ज़रूरी है कि हम अभी इस संदेश का प्रचार करें। हमें अपने पड़ोसियों को यह चेतावनी देनी चाहिए कि वे महानगरी बैबिलोन, यानी झूठे धर्म से बाहर निकाल आएँ, ताकि वे “उस पर आनेवाले कहर में साझेदार” न हों। (प्रका. 18:4) अभिषिक्त जन, ‘दूसरी भेड़ों’ की मदद लेकर सभी लोगों से बिनती कर रहे हैं कि वे “परमेश्वर के साथ सुलह” कर लें, या उसके दोस्त बन जाएँ।—यूह. 10:16; 2 कुरिं. 5:20.
13. क्या बात आपको पूरे यकीन के साथ खुशखबरी का प्रचार करने में मदद देगी?
13 हमें पूरा यकीन है कि हम ‘न्याय करने के वक्त’ में जी रहे हैं। हमें इस बात का भी यकीन है कि आज प्रचार काम उतना ही ज़रूरी है, जितना यहोवा ने कहा है। उसने यह बात बढ़ा-चढ़ाकर नहीं कही है। एक दर्शन में, प्रेषित यूहन्ना ने “देखा कि पृथ्वी के चार कोनों पर चार स्वर्गदूत खड़े हैं और वे पृथ्वी की चारों हवाओं को मज़बूती से थामे हुए हैं।” (प्रका. 7:1) क्या आप अपनी विश्वास की आँखों से उन स्वर्गदूतों को देख सकते हैं, जो इस दुनिया पर महा-संकट की विनाशकारी हवाओं को छोड़ने के लिए तैयार खड़े हैं? अगर हाँ, तो आप पूरे यकीन के साथ खुशखबरी का प्रचार कर पाएँगे।
14. क्या बात हमें उभारती है कि हम ‘दुष्ट से कहें कि वह सचेत हो और अपना दुष्ट मार्ग छोड़कर जीवित रहे’?
14 सच्चे मसीही होने के नाते, हमारी पहले से ही यहोवा के साथ दोस्ती है और हमारे पास हमेशा तक जीने की आशा है। लेकिन हम अपनी इस ज़िम्मेदारी को भी बखूबी समझते हैं कि हम ‘दुष्ट से कहें कि वह सचेत हो और अपना दुष्ट मार्ग छोड़कर जीवित रहे।’ (यहेजकेल 3:17-19 पढ़िए।) बेशक, हम सिर्फ इसलिए प्रचार नहीं करते ताकि दूसरों के खून का दोष हमारे सिर पर न आ पड़े। हम इसलिए भी प्रचार करते हैं क्योंकि हम यहोवा से और अपने पड़ोसियों से प्यार करते हैं। सामरी आदमी का दृष्टांत देकर यीशु ने हमें सिखाया कि प्यार और दया दिखाने का असल में क्या मतलब होता है। हम शायद खुद से पूछें: “क्या मैं दृष्टांत में बताए सामरी की तरह हूँ, जिसका ‘दिल दूसरे इंसान को देखकर तड़प उठा था,’ या क्या मैं याजक और लेवी की तरह हूँ, जो ‘सड़क की दूसरी तरफ से निकलकर चले गए’ थे? दूसरे शब्दों में कहें, तो क्या मैं गवाही देने के लिए हमेशा तैयार रहता हूँ या क्या मैं प्रचार न करने के बहाने बनाता हूँ?” (लूका 10:25-37) परमेश्वर के वादों पर विश्वास और पड़ोसियों के लिए प्यार हमें उकसाएगा कि हम प्रचार काम में अपना भरसक करें, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।
‘वे लाल सागर के बीच से गुज़रे’
15. इसराएलियों को क्यों लगा कि अब उनके आगे बचने का कोई रास्ता नहीं है?
15 “अदृश्य परमेश्वर” पर विश्वास रखने से मूसा को उस वक्त मदद मिली, जब मिस्र छोड़ने के बाद इसराएलियों की जान खतरे में थी। बाइबल कहती है: “इस्राएलियों ने आंखें उठाकर क्या देखा, कि मिस्री हमारा पीछा किए चले आ रहे हैं; और इस्राएली अत्यन्त डर गए, और चिल्लाकर यहोवा की दोहाई दी।” (निर्ग. 14:10-12) इसराएलियों को पता होना चाहिए था कि ऐसा होनेवाला है। आखिर यहोवा ने उन्हें पहले से ही बता रखा था: “मैं फ़िरौन के मन को कठोर कर दूंगा, और वह उनका पीछा करेगा, तब फ़िरौन और उसकी सारी सेना के द्वारा मेरी महिमा होगी; और मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं।” (निर्ग. 14:4) हालाँकि यहोवा ने यह चेतावनी दी थी, फिर भी इसराएलियों में विश्वास नहीं था। उन्हें बस वही दिख रहा था, जो उनकी आँखों के सामने था। एक तरफ फिरौन की सेना, जो तेज़ी से उनकी तरफ बढ़ रही थी और एक तरफ विशाल लाल सागर और एक 80 साल का चरवाहा, जो उनकी अगुवाई कर रहा था। उन्हें लगा जैसे अब उनके आगे बचने का कोई रास्ता नहीं है।
16. लाल सागर के पास मूसा क्यों डरा नहीं?
16 लेकिन मूसा डरा नहीं, क्योंकि वह अपनी विश्वास की आँखों से कुछ ऐसा देख सकता था, जो लाल सागर या फिरौन की सेना से कहीं ज़्यादा ताकतवर था। वह ‘यहोवा का उद्धार देख’ सकता था और उसे मालूम था कि यहोवा इसराएलियों की तरफ से ज़रूर लड़ेगा। (निर्गमन 14:13, 14 पढ़िए।) मूसा के विश्वास ने परमेश्वर के लोगों की हिम्मत बढ़ायी और उनका हौसला मज़बूत किया। बाइबल बताती है: “विश्वास ही से वे लाल सागर के बीच से ऐसे गुज़रे जैसे सूखी ज़मीन पर चल रहे हों। मगर जब मिस्रियों ने इससे गुज़रने की जुर्रत की, तो सागर ने उन्हें निगल लिया।” (इब्रा. 11:29) इसके बाद, इसराएलियों ने “यहोवा का भय माना और उन्होंने यहोवा पर और उसके दास मूसा पर विश्वास किया।”—निर्ग. 14:31, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन।
17. भविष्य में होनेवाली किस घटना से हमारे विश्वास की परीक्षा होगी?
17 जल्द ही, ऐसा लगेगा जैसे हमारी ज़िंदगी खतरे में है। जब तक हर-मगिदोन शुरू होगा, तब तक इस दुनिया की सरकारें हमारे संगठन से कहीं ज़्यादा बड़े धार्मिक संगठनों का विनाश कर चुकी होंगी। (प्रका. 17:16) एक भविष्यवाणी में यहोवा ने कहा कि हम निहत्थे नज़र आएँगे, मानो हम “बिन शहरपनाह के गांवों के देश [में] . . . बिना शहरपनाह और बिना बेड़ों और पल्लों के बसे हुए” हों। (यहे. 38:10-12, 14-16) जो लोग यहोवा पर विश्वास नहीं करते, वे शायद सोचें कि हमारे बचने की कोई उम्मीद नहीं है। क्या आप उस वक्त यहोवा पर विश्वास दिखाएँगे?
18. समझाइए कि क्यों हमें महा-संकट के दौरान डरने की ज़रूरत नहीं है।
18 हमें डरने की ज़रूरत नहीं है। क्यों नहीं? क्योंकि यहोवा ने न सिर्फ यह भविष्यवाणी की है कि उसके लोगों पर हमला किया जाएगा, बल्कि यह भी कि वह उन्हें बचाएगा। “जिस दिन इस्राएल के देश पर गोग चढ़ाई करेगा, उसी दिन मेरी जलजलाहट मेरे मुख से प्रगट होगी, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है। और मैं ने जलजलाहट और क्रोध की आग में कहा।” (यहे. 38:18-23) यहोवा उन सभी का नाश कर देगा, जो उसके लोगों को नुकसान पहुँचाना चाहेंगे। अगर आप विश्वास रखें कि यहोवा अपने “बड़े और भयानक दिन” में आपकी हिफाज़त करेगा, तो यह विश्वास आपको ‘यहोवा का उद्धार देखने’ और अपनी खराई बनाए रखने में मदद देगा।—योए. 2:31, 32.
19. (क) मूसा का यहोवा के साथ कितना करीबी रिश्ता था? (ख) अगर आप ‘सब काम करने’ में यहोवा की आज्ञा मानें, तो आपको क्या आशीष मिलेगी?
19 ‘उस अदृश्य परमेश्वर को मानो देखते हुए डटे रहकर,’ उन रोमांचक घटनाओं के लिए अभी से तैयारी कीजिए! लगातार अध्ययन और प्रार्थना करके यहोवा परमेश्वर के करीबी दोस्त बनिए। मूसा का यहोवा के साथ इतना करीबी रिश्ता था और यहोवा ने उसे अपनी सेवा में इतने ज़बरदस्त तरीके से इस्तेमाल किया कि बाइबल कहती है यहोवा मूसा को “आम्हने-साम्हने” जानता था। (व्यव. 34:10) मूसा एक अनोखा नबी था। अगर आपमें विश्वास है, तो मूसा की तरह आप भी यहोवा के इतने करीबी दोस्त बन सकते हैं कि मानो आप यहोवा को देख सकते हैं। अगर आप ‘सब काम करने’ में उसकी आज्ञा मानें, जैसा कि परमेश्वर का वचन हमें बढ़ावा देता है, तो ‘वह आपके लिए सीधा मार्ग निकालेगा।’—नीति. 3:6.
a सबूत दिखाते हैं कि मिस्रियों के पहलौठे बेटों का नाश करने के लिए यहोवा ने स्वर्गदूतों को भेजा।—भज. 78:49-51.