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क्या आप यहोवा के संगठन के साथ-साथ आगे बढ़ रहे हैं?

क्या आप यहोवा के संगठन के साथ-साथ आगे बढ़ रहे हैं?

“यहोवा की आँखें नेक लोगों पर लगी रहती हैं।”—1 पत. 3:12.

1. किस संगठन ने इसराएल राष्ट्र की जगह ली? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

 आज धरती पर यहोवा के लोग उस तरीके से यहोवा की उपासना कर रहे हैं, जिससे उसे खुशी होती है। जैसा कि हमने पिछले लेख में देखा, पुराने ज़माने में इसराएल राष्ट्र के सदस्य यहोवा के चुने हुए लोग थे। लेकिन आगे चलकर वे बगावती बन गए। फिर यहोवा ने एक नया राष्ट्र बनाया, जो मसीह के चेलों से मिलकर बना था। यह राष्ट्र एक ऐसा संगठन बना, जो यहोवा के नाम से पहचाना गया। हालाँकि ईसवी सन्‌ 70 में यरूशलेम का नाश हुआ, लेकिन उसमें उस नए संगठन का नाश नहीं हुआ। (लूका 21:20, 21) इन आखिरी दिनों में, यह नया राष्ट्र यहोवा के नाम से पहचाने जाने के लिए संगठित किया गया है। जब शैतान की दुनिया को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाएगा, तब भी यहोवा का संगठन बना रहेगा। (2 तीमु. 3:1) हम इस बात पर कैसे यकीन कर सकते हैं?

2. (क) यीशु ने “महा-संकट” के बारे में क्या कहा था? (ख) यह कब शुरू होगा?

2 यीशु ने पहले से ही भविष्यवाणी की थी कि आखिरी दिनों में क्या होगा: “ऐसा महा-संकट होगा जैसा दुनिया की शुरूआत से न अब तक हुआ और न फिर कभी होगा।” (मत्ती 24:3, 21) यह महा-संकट तब शुरू होगा जब यहोवा “महानगरी बैबिलोन” का, यानी पूरी दुनिया में साम्राज्य की तरह फैले झूठे धर्म का नाश कर देगा। ऐसा करने के लिए यहोवा इंसानी सरकारों का इस्तेमाल करेगा। (प्रका. 17:3-5, 16) इसके बाद क्या होगा?

शैतान के हमले के बाद हर-मगिदोन की शुरूआत होगी

3. झूठे धर्म के विनाश के बाद, यहोवा के लोगों के साथ क्या होगा?

3 झूठे धर्म के विनाश के बाद, सिर्फ यहोवा के साक्षियों का संगठन ही धरती पर बचा अकेला धार्मिक संगठन होगा। तब शैतान और उसकी दुनिया, परमेश्‍वर के लोगों पर हमला करेगी। ऐसा लगेगा जैसे शांति से प्यार करनेवाले यहोवा के लोगों का बचाव करनेवाला कोई नहीं है। बाइबल “मागोग देश के गोग” के बारे में कहती है: “तू चढ़ाई करेगा, और आंधी की नाईं आएगा, और अपने सारे दलों और बहुत देशों के लोगों समेत मेघ के समान देश पर छा जाएगा।” लेकिन यहोवा के लोगों पर हमला करके शैतान और उसकी दुनिया कितनी बड़ी भूल कर रही होगी!—यहे. 38:1, 2, 9-12.

4, 5. जब यहोवा के लोगों पर हमला किया जाएगा, तब यहोवा क्या करेगा?

4 जब शैतान और उसके लोग यहोवा के लोगों पर हमला करेंगे, तो यह ऐसा होगा मानो वे यहोवा ही पर हमला कर रहे हैं। (जकर्याह 2:8 पढ़िए।) ऐसे में यहोवा क्या करेगा? पूरे जहान का महाराजा और मालिक अपने लोगों को बचाने के लिए फौरन कदम उठाएगा। और “सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर के महान दिन के युद्ध,” हर-मगिदोन में शैतान की दुनिया को खत्म करके, यहोवा अपने लोगों का पूरी तरह से उद्धार करेगा।—प्रका. 16:14, 16.

5 यिर्मयाह ने भविष्यवाणी की थी कि हर-मगिदोन के युद्ध में यहोवा खुद राष्ट्रों से लड़ेगा: “सब जातियों से यहोवा का मुक़द्दमा है; वह सब मनुष्यों से वादविवाद करेगा, और दुष्टों को तलवार के वश में कर देगा। सेनाओं का यहोवा यों कहता है, देखो, विपत्ति एक जाति से दूसरी जाति में फैलेगी, और बड़ी आंधी पृथ्वी की छोर से उठेगी! उस समय यहोवा के मारे हुओं की लोथें पृथ्वी की एक छोर से दूसरी छोर तक पड़ी रहेंगी। उनके लिये कोई रोने-पीटनेवाला न रहेगा, और उनकी लोथें न तो बटोरी जाएंगी और न कबरों में रखी जाएंगी; वे भूमि के ऊपर खाद की नाईं पड़ी रहेंगी।” (यिर्म. 25:31-33) हर-मगिदोन में शैतान की दुनिया का नाश हो जाएगा। लेकिन यहोवा के संगठन का धरती पर मौजूद हिस्सा कायम रहेगा।

यहोवा का संगठन क्यों बढ़ता जा रहा है

6, 7. (क) “बड़ी भीड़” किससे मिलकर बनी है? (ख) हाल के सालों में किस तरह बढ़ोतरी हुई है?

6 आज यहोवा के संगठन का धरती पर मौजूद हिस्सा बढ़ता ही जा रहा है, क्योंकि यह ऐसे लोगों से मिलकर बना है, जिन पर परमेश्‍वर की मंज़ूरी है। बाइबल कहती है: “यहोवा की आँखें नेक लोगों पर लगी रहती हैं और उसके कान उनकी मिन्‍नतों की तरफ लगे रहते हैं।” (1 पत. 3:12) इन नेक लोगों में अनगिनत लोगों से मिलकर बनी “एक बड़ी भीड़” शामिल है, जो “महा-संकट से” बच निकलेगी। (प्रका. 7:9, 14) ज़रा सोचिए, जब आप बड़ी भीड़ के दूसरे सदस्यों के साथ मिलकर महा-संकट पार करेंगे, तो आपको कैसा लगेगा?

7 यह बड़ी भीड़ सब राष्ट्रों के लोगों से मिलकर बनी है। प्रचार काम की बदौलत सब राष्ट्रों के लोग इकट्ठा किए जा रहे हैं। यीशु ने पहले ही बताया था: “राज की इस खुशखबरी का सारे जगत में प्रचार किया जाएगा ताकि सब राष्ट्रों पर गवाही हो; और इसके बाद अंत आ जाएगा।” (मत्ती 24:14) इसलिए इन आखिरी दिनों में, परमेश्‍वर के लोगों का सबसे खास काम यही है, परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी का प्रचार करना। नतीजा, आज लाखों लोग “पवित्र शक्‍ति और सच्चाई से” यहोवा की उपासना कर रहे हैं। (यूह. 4:23, 24) उदाहरण के लिए, 2003 और 2012 के बीच, 27,07,000 से भी ज़्यादा लोगों ने यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित की और बपतिस्मा लिया। आज 79,00,000 से भी ज़्यादा यहोवा के साक्षी हैं और हर साल उनके साथ लाखों लोग मसीह की मौत का स्मारक मनाने के लिए हाज़िर होते हैं। बड़ी भीड़ को इतनी तेज़ी से बढ़ते देखकर हमें बेहद खुशी होती है! हम जानते हैं कि यहोवा ही है, जो इसे बढ़ा रहा है।—1 कुरिं. 3:5-7.

8. यहोवा के संगठन में इतनी कमाल की तरक्की क्यों हो रही है?

8 यहोवा ने धरती पर एक संगठन चुना है, जो उसके नाम से पहचाना जाता है। और इस संगठन में ज़बरदस्त बढ़ोतरी हो रही है। (यशायाह 43:10-12 पढ़िए।) यशायाह ने आखिरी दिनों के बारे में भविष्यवाणी की थी: “छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। मैं यहोवा हूं; ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करूंगा।” (यशा. 60:22) एक वक्‍त, धरती पर बचे हुए अभिषिक्‍त जन, यानी “परमेश्‍वर का इस्राएल,” “छोटे से छोटा” था, लेकिन यहोवा ने उनके प्रचार काम पर आशीष दी। धीरे-धीरे और भी अभिषिक्‍त जन यहोवा के संगठन में शामिल किए जाने लगे, और इस तरह उनकी गिनती में इज़ाफा होता गया। (गला. 6:16) सालों के दौरान, धरती पर जीने की आशा रखनेवाले लाखों लोगों ने भी सच्चाई कबूल की।

यहोवा हमसे क्या चाहता है

9. परमेश्‍वर के वादे के मुताबिक एक शानदार भविष्य का लुत्फ उठाने के लिए हमें क्या करना होगा?

9 हम चाहे अभिषिक्‍त मसीही हों या बड़ी भीड़ के सदस्य, यहोवा ने हम सभी को एक शानदार भविष्य देने का वादा किया है। उस भविष्य का लुत्फ उठाने के लिए ज़रूरी है कि हम उसकी आज्ञाएँ मानें। (यशा. 48:17, 18) मिसाल के लिए, यहोवा इसराएलियों से चाहता था कि वे उसका दिया कानून मानें। यह कानून उनकी हिफाज़त करता और उन्हें सिखाता कि वे अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुश कैसे रह सकते हैं, ईमानदारी से व्यापार कैसे कर सकते हैं, और दूसरों के साथ प्यार से कैसे पेश आ सकते हैं। (निर्ग. 20:14; लैव्य. 19:18, 35-37; व्यव. 6:6-9) आज हमारे मामले में भी यह बात सच है। परमेश्‍वर की आज्ञाएँ हमारी हिफाज़त करती हैं और हमारे भले के लिए हैं। उन्हें मानना हमारे लिए बहुत मुश्‍किल नहीं है। (1 यूहन्‍ना 5:3 पढ़िए।) जब हम परमेश्‍वर की आज्ञाएँ मानते हैं, तो हम ज़्यादा खुश रहते हैं और इससे भी बढ़कर, हम “विश्‍वास में मज़बूत” बने रहते हैं।—तीतु. 1:13.

10. हमें इस बात का ध्यान क्यों रखना चाहिए कि हम लगातार बाइबल का अध्ययन करें और हर हफ्ते पारिवारिक उपासना करें?

10 परमेश्‍वर के संगठन का धरती पर मौजूद हिस्सा कई मायनों में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। यह हमारी मदद करता है, ताकि हम बाइबल की सच्चाइयों को और भी साफ तरह से समझ पाएँ। बाइबल में ठीक इसी बात का वादा किया गया था: “धर्मियों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान है, जिसका प्रकाश दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता है।” (नीति. 4:18) मगर हममें से हरेक को खुद से पूछना चाहिए: ‘हाल ही में कुछ आयतों के बारे में हमारी समझ में जो बदलाव हुए हैं, क्या मैं उनसे वाकिफ हूँ? क्या मैं रोज़ बाइबल पढ़ता हूँ? क्या मैं हर नए साहित्य को पढ़ने के लिए बेताब रहता हूँ? क्या मैंने हर हफ्ते एक शाम पारिवारिक उपासना के लिए अलग रखी है?’ ऐसा करना मुश्‍किल नहीं है, लेकिन हमें इनके लिए समय तय करना होगा। यह बेहद ज़रूरी है कि हम लगातार परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करें, उसे लागू करें और परमेश्‍वर के संगठन के साथ-साथ आगे बढ़ें। खासकर आज हमारे लिए ऐसा करना ज़रूरी है, क्योंकि अब महा-संकट इतना नज़दीक आ चुका है!

11. यहोवा के लोग सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों में क्यों हाज़िर होते हैं?

11 यहोवा का संगठन हमें पौलुस की इस सलाह पर चलने का बढ़ावा देता है: “आओ हम प्यार और बढ़िया कामों में उकसाने के लिए एक-दूसरे में गहरी दिलचस्पी लें, और एक-दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसा कुछ लोगों का दस्तूर है। बल्कि एक-दूसरे की हिम्मत बंधाएँ, और जैसे-जैसे तुम उस दिन को नज़दीक आता देखो, यह और भी ज़्यादा किया करो।” (इब्रा. 10:24, 25) पुराने ज़माने में इसराएली यहोवा की उपासना करने और उसके ज़रिए सिखलाए जाने के लिए नियमित तौर पर इकट्ठा होते थे। नहेमायाह के ज़माने में मनाया जानेवाला झोपड़ियों का त्योहार ऐसा ही एक खुशी का मौका था। (निर्ग. 23:15, 16; नहे. 8:9-18) आज हमारे ज़माने में भी सभाएँ, सम्मेलन और अधिवेशन होते हैं। हमें इन सभी मौकों पर हाज़िर होने की पूरी कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि ये हमें यहोवा के करीब बने रहने और उसकी सेवा में खुशी पाने में मदद देते हैं।—तीतु. 2:2.

12. हमें प्रचार काम के बारे में कैसा महसूस करना चाहिए?

12 परमेश्‍वर के संगठन के सदस्य होने के नाते, हमें खुशखबरी का प्रचार करना चाहिए। ऐसा करना हमारे लिए एक बड़े सम्मान की बात है। दरअसल, बाइबल इस काम को “परमेश्‍वर की खुशखबरी सुनाने का पवित्र काम” कहती है। (रोमि. 15:16) इस “पवित्र काम” में हिस्सा लेने से हम “पवित्र परमेश्‍वर” यहोवा के “सहकर्मी” बनते हैं। (1 कुरिं. 3:9; 1 पत. 1:15) ऐसा करने से हम यहोवा के पवित्र नाम का आदर भी करते हैं। और “आनंदित परमेश्‍वर की उस शानदार खुशखबरी” का प्रचार करने से हमें खुशी भी मिलती है।—1 तीमु. 1:11.

13. हमारी ज़िंदगी और यहोवा के साथ हमारी दोस्ती किस बात पर टिकी है?

13 यहोवा हमारे लिए वही चाहता है जिसमें हमारी भलाई हो। इसलिए वह चाहता है कि हम उसके और उसके संगठन के करीब रहें। हमारे आगे भी वही चुनाव है जो इसराएलियों के आगे था, जब मूसा ने उनसे कहा था: “मैं आज आकाश और पृथ्वी दोनों को तुम्हारे साम्हने इस बात की साक्षी बनाता हूं, कि मैं ने जीवन और मरण, आशीष और शाप को तुम्हारे आगे रखा है; इसलिये तू जीवन ही को अपना ले, कि तू और तेरा वंश दोनों जीवित रहें; इसलिये अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्रेम करो, और उसकी बात मानो, और उस से लिपटे रहो; क्योंकि तेरा जीवन और दीर्घजीवन यही है, और ऐसा करने से जिस देश को यहोवा ने इब्राहीम, इसहाक, और याक़ूब, तेरे पूर्वजों को देने की शपथ खाई थी उस देश में तू बसा रहेगा।” (व्यव. 30:19, 20) हमारी ज़िंदगी यहोवा की मरज़ी पूरी करने, उससे प्यार करने, उसकी आज्ञा मानने और उसके वफादार बने रहने पर टिकी है।

14. एक भाई यहोवा के संगठन के बारे में कैसा महसूस करते थे?

14 भाई प्राइस ह्‍यूज़, जिन्होंने 1914 से पहले सच्चाई सीखी थी, अपनी पूरी ज़िंदगी यहोवा और उसके संगठन के वफादार रहे। अपनी जीवन कहानी में भाई ने बताया कि उन्होंने जो सबसे ज़रूरी सबक सीखा था, वह था, यहोवा के संगठन के करीब बने रहना और इंसानी सोच पर भरोसा न करना। इस बात ने उन्हें पूरी ज़िंदगी परीक्षाओं के दौरान धीरज धरने में मदद दी। भाई ह्‍यूज़ ने कहा कि यहोवा की मंज़ूरी पाने का एक ही तरीका है, और वह है हमेशा वही करना, जो उसका संगठन कहता है।

यहोवा के संगठन के साथ-साथ आगे बढ़ते रहिए

15. बाइबल में दी कौन-सी मिसाल हमें सिखाती है कि जब हमारी समझ में कोई फेरबदल होता है, तो हमें कैसा रवैया दिखाना चाहिए?

15 यहोवा चाहता है कि हम उसके संगठन का साथ दें। वह यह भी चाहता है कि जब बाइबल सच्चाइयों की समझ में या हमारे प्रचार करने के तरीके में कोई फेरबदल होता है, तो हम उसे कबूल करें। पहली सदी में, हज़ारों यहूदी मसीही मूसा के कानून को मानते रहना चाहते थे। (प्रेषि. 21:17-20) लेकिन पौलुस ने इब्रानियों को चिट्ठी लिखकर उन्हें यह कबूल करने में मदद दी, कि वे ‘मूसा के कानून के मुताबिक चढ़ाए’ गए बलिदानों के ज़रिए पवित्र नहीं हुए थे, बल्कि “यीशु मसीह के एक ही बार हमेशा के लिए चढ़ाए गए शरीर के ज़रिए” पवित्र हुए थे। (इब्रा. 10:5-10) इनमें से बहुत-से यहूदी मसीहियों ने पौलुस की सलाह कबूल की और अपनी सोच सुधारी। हम उनकी मिसाल से एक ज़रूरी सबक सीख सकते हैं। हमें बाइबल और हमारे साहित्यों का अच्छी तरह अध्ययन करना चाहिए, और जब यहोवा का संगठन बाइबल के बारे में हमारी समझ में कोई फेरबदल करता है, तो हमें उसे नम्रता से कबूल करना चाहिए।

16. (क) नयी दुनिया में कौन-सी आशीषें ज़िंदगी को खुशनुमा बनाएँगी? (ख) नयी दुनिया में आप किस वादे को पूरा होते देखना चाहते हैं?

16 जो यहोवा और उसके संगठन के वफादार बने रहेंगे, उन्हें आशीषें मिलेंगी। वफादार अभिषिक्‍त जन यीशु मसीह के साथ स्वर्ग में राजाओं के तौर पर राज करेंगे। (रोमि. 8:16, 17) और जिन्हें धरती पर जीने की आशा है, उन्हें फिरदौस में हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी। यहोवा के संगठन का हिस्सा होने के नाते, हमें इस शानदार भविष्य के बारे में दूसरों को बताने का क्या ही अनोखा सम्मान मिला है! (2 पत. 3:13) भजन 37:11 कहता है: “नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।” लोग “घर बनाकर उन में बसेंगे” और “अपने कामों का” पूरा मज़ा लेंगे। (यशा. 65:21, 22) कोई भी एक-दूसरे के साथ बुरा व्यवहार नहीं करेगा। किसी को भी गरीबी का मुँह नहीं देखना पड़ेगा और सबके पास भरपूर खाना होगा। (भज. 72:13-16) फिर कभी झूठा धर्म किसी को गुमराह नहीं करेगा, क्योंकि उसका नामो-निशान ही मिट जाएगा। (प्रका. 18:8, 21) मरे हुओं को दोबारा ज़िंदा किया जाएगा और उनके पास धरती पर हमेशा तक जीने का मौका होगा। (यशा. 25:8; प्रेषि. 24:15) लाखों लोग जिन्होंने यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित की है, उनके आगे क्या ही सुनहरा भविष्य है! अगर हम यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत करें और उसके संगठन के साथ-साथ आगे बढ़ते रहें, तो बेशक हम इन शानदार वादों को पूरा होते देखेंगे!

क्या आप खुद को नयी दुनिया में देख सकते हैं? (पैराग्राफ 16 देखिए)

17. हमें यहोवा और उसके संगठन के बारे में कैसा महसूस होना चाहिए?

17 शैतान की व्यवस्था का जल्द ही खात्मा होनेवाला है। इस विनाश से बचने के लिए, हमें अपना विश्‍वास मज़बूत करने की ज़रूरत है और वफादारी से यहोवा के संगठन के साथ उसकी उपासना करने की ज़रूरत है। अगर हम ऐसा करें, तो हमें दाविद की तरह महसूस होगा, जिसने गाया: “एक वर मैं ने यहोवा से मांगा है, उसी के यत्न में लगा रहूंगा; कि मैं जीवन भर यहोवा के भवन में रहने पाऊं, जिस से यहोवा की मनोहरता पर दृष्टि लगाए रहूं, और उसके मन्दिर में ध्यान किया करूं।” (भज. 27:4) आइए हममें से हरेक यहोवा के करीब रहे और उसके संगठन के साथ-साथ आगे बढ़े।