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क्या आपको याद है?

क्या आपको याद है?

क्या आपने हाल की प्रहरीदुर्ग पत्रिकाएँ ध्यान से पढ़ी हैं? देखिए कि क्या आप नीचे दिए सवालों के जवाब दे पाते हैं या नहीं:

निसान 14 को किस समय फसह के मेम्ने की बलि चढ़ायी जानी थी?

कुछ बाइबलें कहती हैं कि मेम्ने की बलि “दो शाम के बीच” चढ़ायी जानी थी, जिसका मतलब है धुँधलका या झुटपुटे के वक्‍त, यानी सूरज ढलने के बाद, लेकिन पूरी तरह अँधेरा होने से पहले। (निर्ग. 12:6)—12/15, पेज 18-19.

बाइबल में रंगों का कई बार ज़िक्र किया गया है, इससे क्या बात ज़ाहिर होती है?

बाइबल में जिस तरह रंगों का इस्तेमाल किया है, उससे पता चलता है कि परमेश्‍वर जानता है कि रंगों का इंसानों की भावनाओं और जज़बातों पर गहरा असर पड़ सकता है और रंग हमें बातों को याद रखने में भी मदद दे सकते हैं।—1/1, पेज 14-15.

हमें परमेश्‍वर की ज़रूरत क्यों है, इसकी कुछ वजह क्या हैं?

हमें सही मार्गदर्शन की ज़रूरत है और हम ज़िंदगी की परेशानियों का हल भी पाना चाहते हैं। परमेश्‍वर हमें ये दोनों चीज़ें दे सकता है। वह हमें एक अच्छी और खुशहाल ज़िंदगी जीने के लिए मदद मुहैया कराता है और यह सब मुमकिन करने के लिए वह अपने वचन में दर्ज़ वादे पूरे करेगा।—1/1, पेज 4-6.

सही फैसले लेने के लिए नौजवान किन बाइबल सिद्धांतों को लागू कर सकते हैं?

तीन सिद्धांत हैं (1) पहले परमेश्‍वर के राज और उसके स्तरों के मुताबिक जो सही है, उसकी खोज कीजिए। (मत्ती 6:19-34) (2) दूसरों की सेवा करने में खुशी पाइए। (प्रेषि. 20:35) (3) अपनी जवानी में यहोवा की सेवा करने में खुशी पाइए। (सभो. 12:1)—1/15, पेज 19-20.

“मेम्ने की शादी” कब होगी? (प्रका. 19:7)

“मेम्ने की शादी,” राजा यीशु मसीह के अपनी जीत पूरी करने के बाद, यानी, महानगरी बैबिलोन के विनाश और हर-मगिदोन का युद्ध लड़े जाने के बाद होगी।—2/15, पेज 10.

यीशु के ज़माने के यहूदी, मसीहा की “बड़ी आस लगाए” हुए क्यों थे? (लूका 3:15)

हम पक्के तौर पर नहीं कह सकते कि पहली सदी के यहूदी, आज हमारी तरह मसीहा के बारे में दानिय्येल की भविष्यवाणी की समझ रखते थे या नहीं। (दानि. 9:24-27) लेकिन हो सकता है उन्होंने चरवाहों को सुनायी गयी स्वर्गदूत की घोषणा के बारे में सुना हो। या हो सकता है भविष्यवक्‍तिन हन्‍ना ने मंदिर में नन्हे यीशु को देखकर जो कहा था, उससे वे वाकिफ हों। इसके अलावा, “यहूदियों का जो राजा पैदा हुआ” था, उसे ज्योतिषी ढूँढ़ते हुए आए थे। (मत्ती 2:1, 2) बाद में, यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने इस बात की ओर इशारा किया कि मसीहा जल्द आएगा।—2/15, पेज 26-27.

हम अपनी ‘हाँ’ को ‘न’ करने से कैसे दूर रह सकते हैं? (2 कुरिं. 1:18)

यह सच है कि कभी-कभार हालात की वजह से हमारे लिए अपना वादा निभाना मुश्‍किल हो सकता है। लेकिन अगर हम कोई वादा करते हैं, तो हमें उसे पूरा करने के लिए अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश करनी चाहिए।—3/15, पेज 32.

अगर एक मसीही पैसे कमाने के लिए अपने परिवार से बिछड़कर विदेश चला जाता या चली जाती है, तो इसके क्या अंजाम हो सकते हैं?

जब माता-पिता अपने बच्चों से अलग रहने का चुनाव करते हैं, तो बच्चों की भावनाओं और सही-गलत के उनके स्तरों पर काफी असर पड़ सकता है। हो सकता है उन्हें दूर रह रहे अपने पिता या अपनी माँ से नफरत होने लगे। और जब पति-पत्नी एक दूसरे से दूर रहते हैं, तो उन पर अनैतिकता में फँसने का भी खतरा मँडराता रहता है।—4/15, पेज 19-20.

प्रचार में लोगों से मिलते वक्‍त हमें किन चार सवालों को ध्यान में रखना चाहिए?

मैं किनसे बात कर रहा हूँ? मैं उनसे कहाँ बात कर रहा हूँ? मैं उनसे कब मिल रहा हूँ? मुझे उनसे कैसे बात करनी चाहिए?—5/15, पेज 12-15.